ज़ूबी ने अपनी आँखें खोली और उसकी पैंट की ज़िप को तलाश करने लगी। उसने पहली बार नीचे देखा। लड़के का हाथ उसकी फैली हुई चूत पर था और उसकी अंगुलियाँ उसकी चूत के अंदर बाहर हो रही थी।
ज़ूबी ने उसकी पैंट और अंडरवीयर को उसके घुटनों तक नीचे खिसका दिया। ज़ूबी अब उसके लंड को अपने हाथों में पकड़ कर सहला रही थी। उस लड़के ने अपनी अँगुली उसकी चूत से निकाली और उसे बिस्तर की ओर घसीट कर ले आया।
“चलो बिस्तर पर लेट जाओ” उसने कहा।
ज़ूबी बिस्तर पर पीठ के बल लेट गयी और अपनी टाँगें पूरी तरह से फैला दी। उसने अपनी बांहें इस तरह से फ़ैलायी कि जैसे अपने महबूब को बुला रही हो। उस लड़के ने अपने बाकी के सारे कपड़े उतार दिये और उछल कर उसकी टाँगों के बीच आ गया।
ज़ूबी को अपने आप पर शरम आ रही थी, पर अँगुली की चुदाई ने उसके अंदर भी आग भर दी थी। ज़ूबी ने उसके तने हुए लंड को देखा और उसे पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगा दिया। वो थोड़ी देर उसे अपनी चूत पर रगड़ती रही और जब वो उसके रस से पूरी तरह गीला हो गया तो अपनी कमर ऊपर उठा कर उसे अंदर लेने लगी।
जैसे ही लड़के ने धीरे से धक्का लगाया, ज़ूबी सिसक पड़ी। वो अब धीरे धीरे धक्के लगा कर ज़ूबी को चोद रहा था। उसने ज़ूबी की टाँगें पकड़ कर अपनी कमर के इर्द गिर्द कर लीं और जोरों से धक्के लगाने लगा।
“ऊऊऊऊऊहहह हाँआँआँ ओओहहहह आआआआह ऊऊओहह।” ज़ूबी सिसक रही थी। उसने उस लड़के के चेहरे को अपने पास खींचा और उसके सूखे होंठों को चूसने लगी। उस लड़के ने भी अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी जिसे ज़ूबी अपनी जीभ से जीभ मिलाकर चूसने लगी और साथ ही उसके लंड को अपनी चूत में जकड़ने लगी।
वो लड़का इतना उत्तेजित और गरम था कि उसका लंड कुछ देर में ही झड़ गया। पानी छूटने के बाद जैसे ही लड़के ने अपना लंड बाहर निकाला ज़ूबी को निराशा हुई कि उस लड़के ने उसका पानी नहीं छुड़ाया था। पर वो कर भी क्या सकती थी। उसे इस लड़के से अपना काम निकालना था।
“चलो तैयार हो जाओ” लड़का अपने कपड़े पहनते हुए बोला, “हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है।”
उस लड़के ने उसे अपनी होटल यूनिफॉर्म का कोट पकड़ाया जो सिर्फ़ ज़ूबी के चूत्तड़ों तक ही आ सकता था। ज़ूबी जल्दी से बिस्तर से उठी और उसने वो कोट पहन लिया। ज़ूबी ने जैसे ही कोट पहना, उसे लगा उस लड़के का वीर्य उसकी चूत से उसकी टाँगों पर बह रहा है और ज़ूबी ने जल्दी से उसे अपने हाथों से पौंछ दिया।
“मेरी गाड़ी होटल के पार्किंग में खड़ी है। तुम पीछे वाली लिफ्ट से नीचे आ जाओ, वहाँ तुम्हें कोई नहीं देख सकेगा” उसने कहा।
ज़ूबी इतनी ऊँची हील के सैंडल पहने होने के बावजूद हॉलवे में दौड़ती हुई पीछे की लिफ्ट की ओर लपकी। लड़का भी उसके पीछे-पीछे आ गया। दोनों जल्दी से नीचे पार्किंग में पहुँचे और उस लड़के की पुरानी सी गाड़ी में बैठ गये। जब उनकी गाड़ी होटल से काफी दूर आ गयी तो उस लड़के के हाथ ज़ूबी के पहने हुए कोट के बटन को ढूंढने लगे।
थोड़ी ही देर में उस लड़के ने कोट के बटन खोल दिये और उसकी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया। ज़ूबी के निप्पल एक बार फिर तन गये।
गाड़ी चलती रही और थोड़ी देर बाद किसी गली में जाकर रुक गयी। ज़ूबी ने खिड़की के बाहर देखा तो गाड़ी किसी अंजान जगह पर खड़ी थी।
“ये कहाँ आ गये हम, ये मेरा घर तो नहीं?” ज़ूबी ने पूछा।
“सिर्फ़ दो मिनट रुको...” उस नौजवान ने जवाब दिया। वो अपना मोबाइल फोन निकाल कर कोई नंबर मिलाने लगा।
“हाँ नीचे आ जाओ... यार मैं सच कह रहा हूँ... जल्दी से नीचे आओ।”
ज़ूबी ने उस लड़के को देखा और उसकी आँखें फिर नम हो गयी। फिर एक बार वो समझ गयी कि उसे धोका दिया जा रहा है। “प्लीज़” उसने गिड़गिड़ाते हुए कहा, “तुमने जो भी कहा मैंने किया, प्लीज़ मुझे मेरे घर पर छोड़ दो।”
उस लड़के ने उसकी ओर देखा, “हाँ मैं जानता हूँ पर जैसे तुम्हारी और मेरी बात हुई थी, बस थोड़ा समय लगेगा।”
उसी समय गाड़ी के आगे का दरवाज़ा खुला और कोई अंदर आ गया। ज़ूबी थोड़ी देर तक तो उसे घूरती रही फिर अपनी सीट पर खिसक कर उसके लिये जगह बनाने लगी। कोट के अंदर नंगी होने की वजह से उसकी नंगी जाँघें और कुल्हे आने वाले मर्द को साफ़ दिखायी दे रहे थे।
जब उस मर्द ने ज़ूबी को इस हालत में देखा तो वो खुशी से उछल पड़ा, “यार तुम झूठ नहीं कह रहे थे।”
“देखा मैंने सही कहा था ना तुमसे?” उस नौजवान ने आने वाले लड़के से कहा। उस नौजवान ने ज़ूबी के कोट के बटन खोल दिये जिससे उसकी भरी और तनी हुई चूचियाँ नज़र आने लगी। आने वाले नौजवान की नज़र जैसे ही ज़ूबी की नंगी चूचियों पर पड़ी, उसका लंड तन कर खड़ा हो गया।
“प्लीज़...!” ज़ूबी उस होटल वाले नौजवान से गिड़गिड़ाते हुए बोली, “प्लीज़ तुमने वादा किया था।”
“देखो मेरी बात सुनो,” उस नौजवान ने कहा, “तुमने कहा था कि तुम कुछ भी करने को तैयार हो, तुम्हें तुम्हारे घर जाना है कि नहीं?”
ज़ूबी कुछ जवाब नहीं दे पायी।
“मैंने जो कहा वो करना चाहती हो कि नहीं? नहीं तो मैं तुम्हें अभी इस वक्त गाड़ी से उतार दूँगा।” उस नौजवान ने उसे धमकाते हुए कहा।
“मैं नहीं सह सकती... प्लीज़...।”
पर ज़ूबी की आवाज़ उसके हलक में दब कर रह गयी। वो नौजवान उसकी चूचियों को मसले जा रहा था। ज़ूबी उस नये नौजवान से थोड़ा हट कर बैठी थी। उस नौजवान ने शॉट्र्स और टी-शर्ट पहन रखी थी। उस लड़के ने ज़ूबी के हाथ को पकड़ा और अपने खड़े लंड पर रख दिया।
“अच्छा है ना?” कहकर उस लड़के ने ज़ूबी के हाथ को अपने लंड पर दबा दिया।
तभी ज़ूबी ने उस होटल के लड़के का हाथ अपने कंधे पर महसूस किया, “तुम इसके लंड को चूसती क्यों नहीं हो?”
अपमान और आत्मग्लानि की एक लहर सी दौड़ गयी ज़ूबी के शरीर में। ये दोनों क्या उसे कोई दो टके में बिकने वाली रंडी समझते थे। पर ज़ूबी के पास कोई चारा नहीं था। अगर ये दोनों उसे इस तरह नंगा सड़क पर छोड़ देते तो उसकी काफी बदनामी होती। वो बरबाद हो जाती।
ज़ूबी ने देखा कि आने वाला नौजवान अपनी सीट पर थोड़ा कसमसा रहा है और अपनी शॉट्र्स नीचे खिसका रहा है। ज़ूबी समझ गयी कि उसे ये सब करना ही पड़ेगा।
होटल वाले नौजवान ने उसके कुल्हों को सहलाते हुए कहा, “चलो अब चूसो भी!”
ज़ूबी ने घूम कर देखा कि एक लंबा और मोटा लंड उसके चेहरे के सामने फुंकार मार रहा था। उसे घृणा तो बहुत आयी पर मजबूर होकर उसने अपना मुँह खोला और उस लंड को अपने मुँह में लिया। शायद आज के बाद उसकी हालत सुधर जाये।
उस आने वाले लड़के ने अपने हाथ ज़ूबी के सिर पर रख दिये और उसके सिर को अपने लंड पर ऊपर नीचे होते देखने लगा। ज़ूबी का एक हाथ उसके लंड को पकड़े हुए था और दूसरा हाथ उसकी गोलियों को सहला रहा था।
उस होटल वाले नौजवान ने गाड़ी चला दी थी। ज़ूबी उस नये नौजवान का लंड चूस रही थी और गाड़ी शहर कि सड़कों पर ऐसे ही चल रही थी।
वैसे तो ज़ूबी उस नौजवान के लंड को बड़े मन से चूस रही थी, पर आखिर वो भी इंसान थी। धीरे-धीरे उसके शरीर में भी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। उसने महसूस किया कि किसी के हाथ उसकी जाँघों से होते हुए उसकी चूत से खेल रहे हैं। फिर दो अंगुलियाँ उसकी चूत के अंदर बाहर होने लगी। उसे विश्वास था कि ये अँगुलियाँ जरूर उस होटल वाले नौजवान की होंगी।
“ओहहहहह हाँआँआँ आआआआँआँ” ज़ूबी के मुँह से एक सिसकरी निकल पड़ी पर वो उस नौजवान के लंड को चूसती रही। उस लड़के ने तभी अपने कुल्हे उठाये और अपना वीर्य ज़ूबी के मुँह में छोड़ दिया।
“हम पहुँच चुके हैं,” उस नौजवान ने कहा।
ज़ूबी ने खिड़की से बाहर अपने इलाके को पहचाना, पर उस लड़के के लंड को अपने मुँह से बाहर निकालने की बजाय उसने उसके लंड को अपने गले तक ले लिया। थोड़ी देर तक अपने मुँह को ऊपर नीचे कर के उसे चूसने के बाद उस लंड को बाहर निकाल दिया और नौजवान की और देख कर मुस्कुराने लगी।
होटल वाले नौजवान ने दरवाज़ा खोला तो ज़ूबी उछल कर नीचे उतर गयी और अपने घर की तरफ़ दौड़ पड़ी। बड़ी मुश्किल से उसने दरवाज़ा खोला। उसे अपनी चूत से पानी बहता महसूस हो रहा था। बड़ी मुश्किल से वो अपने जज़बतों पर कंट्रोल कर पायी थी।
क्रमशः
दास्तान - वक्त के फ़ैसले Complete Story
-
- Rookie
- Posts: 39
- Joined: 22 Oct 2014 22:33
दास्तान - वक्त के फ़ैसले Part-3
दास्तान - वक्त के फ़ैसले (भाग-३)
लेखक: राज अग्रवाल
********************************************
ज़ूबी के लिये आज का दिन उसकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा दिन था। आज उसका निकाह था। ज़ूबी ने पिछले कई महीने अपने शरीर पर मेहनत कर अपने शरीर को काफी कसरती और सुंदर बनाया था। उसने अपने शरीर को इस तरह ढाल दिया था जिससे उसके मंगेतर को रत्ति भर भी शक ना होने पाये कि वो पिछले कई महीनों से किन हालातों से गुज़र रही है।
आखिर रसमों की घड़ी आ ही गयी थी। ज़ूबी अपना समय अपने रिश्तेदारों और परिवार वालों के साथ बिता रही थी और जान रही थी कि हर तैयारी पूरी तरह से हो गयी है कि नहीं। उसने अपने बालों को अच्छी तरह गुंथा हुआ था और वो अपने कमरे में अपनी अम्मी और दादी के साथ बैठी थी।
एक घंटा रह गया था निकाह की रसम के लिये। वो अपना शादी का जोड़ा पहनने की तैयारी करने लगी। गुलाबी रंग का जोड़ा, उसने खास तौर पर ऑर्डर देकर बनवाया था।
ज़ूबी अपने चेहरे का मेक-अप कर रही थी कि तभी उसके कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई। उसकी नौकरानी ने दरवाजा खोला। दरवाजे पर मिस्टर राज खड़े थे। ज़ूबी वैसे तो उन्हें शादी पर बुलाना नहीं चाहती थी, पर उसने सोचा कि शायद उसके शौहर से मिलने के बाद राज का व्यवहार उसके प्रति शायद बदल जाये, और उसे वो सब करने पर मजबूर ना करे जो वो नहीं करना चाहती है।
राज एक बहुत ही महंगा सूट पहने हुए था। उसके हाथ में एक पैक किया हुआ तोहफा था और उसके साथ ज़ूबी की उम्र की ही एक लड़की थी।
“हाय, ज़ूबी,” राज ने कमरे में कदम रखते हुए कहा, “शादी से पहले मैं तुमसे मिलकर तुम्हें मुबारकबाद देना चाहता था।”
“आइये, कैसे हैं आप?” ना चाहते हुए ज़ूबी ने मुस्कुराते हुए कहा।
राज ने कमरे में आकर सभी को अपना परिचय दिया और उन्हें बताया कि ज़ूबी ने किस तरह उसकी कंपनी की मदद की है। जब उसने कमरे में मौजूद सभी सदस्यों से ये कहा कि उसे ज़ूबी से कंपनी के बारे में कुछ खास बातें करनी हैं तो सभी चौंक पड़े।
“मिस्टर राज! शायद आप मज़ाक कर रहे हैं,” ज़ूबी ने थोड़ा हंसते हुए कहा, “आपको पता है ना कि आज मेरा निकाह है।”
“मैं जानता हूँ ज़ूबी, पर सिर्फ़ दस मिनट लगेंगे। शादी के बाद तुम अपने हनीमून पर चली जाओगी और मैं इस समस्या के विषय में तुमसे कम से कम तीन हफ़्तों तक बात नहीं कर पाऊँगा। मुझे आज ही तुमसे बात कर के इस समस्या का हल निकालना है,” राज ने उसे समझाते हुए कहा।
ज़ूबी राज के बारे में अच्छी तरह जानती थी। एक बार जो वो कह देता था वो कर के रहता था। फिर ज़ूबी बात को बढ़ाना भी नहीं चाहती थी। एक अनजाना डर सा उसके दिल में था, पता नहीं राज क्या कर बैठे।
ज़ूबी की माँ को ज़ूबी की हालत का अंदाज़ा नहीं था, और ना ही उसे राज की या उसकी कंपनी की समस्या से कोई लेना देना था।
“मिस्टर राज!” ज़ूबी की अम्मी ने कहा, “मैं ये कहने पर मजबूर हूँ कि आज आप नाजायज़ बात कर रहे हैं, कम से कम आज के दिन तो ज़ूबी को आप काम से दूर रखें।”
राज ने ज़ूबी की और देखा, “ठीक है ज़ूबी मैं तुम्हें आज के दिन कोई काम करने पर मजबूर नहीं करूँगा, पर ये टेप मैं यहाँ छोड़े जा रहा हूँ, इसे अपनी अम्मी को ज़रूर दिखाना। इसमें हमारी कंपनी की तरक्की की कहानी है,” राज ने एक टेप अपनी जेब से निकाल कर टेबल पर रख दी।
राज की ये हर्कत देख कर ज़ूबी तो मानो पत्थर की मुरत बन गयी। उसने तुरंत अपनी हालत पर काबू पाया।
“अम्मी मैं एक वकील हूँ और आपको क्या मालुम कि वकील का पेशा क्या होता है। माना आज मेरा निकाह है पर मेरा काम मेरे निकाह से ज्यादा अहम है,” ज़ूबी ने अपनी अम्मी को समझाते हुए कहा, “प्लीज़ एक मिनट मुझे मिस्टर राज से बात कर लेने दिजिये।”
ज़ूबी ने इशारे से राज को अपने पास बुलाया और कमरे के एक कोने में ले जाकर बात करने लगी।
राज ज़ूबी के पास पहुँचा, “ज़ूबी मैं जानता हूँ कि ये सही नहीं है, पर मुझे तुमसे कुछ अकेले में बात करनी है।”
ज़ूबी की समझ में नहीं आ रहा था कि राज को क्या जवाब दे। कभी वो अपने हाथ में पकड़े उस विडियो टेप को देखती और कभी कमरे में खड़े सभी लोगों को।
“ठीक है,” ज़ूबी ने कमरे में खड़े सभी लोगों से कहा, “प्लीज़ आप सभी लोग कुछ देर के लिये बाहर जायें, मुझे मिस्टर राज से अकेले में कुछ जरूरी बातें करनी हैं।”
ज़ूबी ने सभी को कमरे के बाहर जाने का इशारा किया, “प्लीज़ आप सभी समझें... ये काम बहुत जरूरी है।” राज के साथ आयी लड़की ने सभी को कमरे के बाहर निकाला और फिर कमरे को अंदर से बंद कर दिया।
जैसे ही उस लड़की ने दरवाजा बंद किया, राज के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी।
ज़ूबी कमरे में खड़े लंबे चौड़े राज को देख रही थी। वैसे तो राज कईं बार उसे चोद चुका था, पर वो सोच रही थी कि क्या आज उसकी शादी के दिन भी राज उससे यही करवाना चाहेगा। वो अपने मेक-अप और अपने कपड़ों के बारे में सोच रही थी। ये सब सोचते हुए उसे रोना आ रहा था पर वो रोकर अपना दिन बरबाद नहीं करना चाहती थी।
“मिस्टर राज! धन्यवाद कि आप समय निकालकर शादी में आये,” ज़ूबी समय की नज़ाकत को समझती हुई बोली।
“ज़ूबी आज से बड़ा शुभ दिन क्या हो सकता है,” राज ने कहा, “मैं तो जूली को ये दिखाने लाया था कि तुम कितनी सुंदर हो और तुम्हारा शौहर कितना खुशनसीब है जो उसे तुम्हारी जैसी बीवी मिल रही है,” राज जूली की ओर देखते हुए बोला, “क्यों मैं ठीक कह रहा हूँ ना जूली।”
“हाँ राज! वाकय में ज़ूबी काफी खूबसूरत और सैक्सी है,” जूली अपने होंठों पर ज़ुबान फेरते हुए बोली।
“पर हमारी कितनी बदकिस्मती है कि हमारे पास पूरी रात नहीं है,” राज ने कहा।
राज की बात सुनकर ज़ूबी सोच में पड़ गयी, “हाय अल्लाह! ये सही में मुझसे आज के दिन वो सब करवाना चाहता है।”
“मिस्टर राज! आज मेरा निकाह है... प्लीज़ आज के दिन तो मुझसे ये सब मत करवाइये।”
“ज़ूबी आज तुम्हारा निकाह है, इसी लिए तो मैं ये सब तुम्हारे साथ करना चाहता हूँ,” उसने जवाब दिया, “मैं माफी चाहता हूँ, पर ये मेरी सोच है कि तुम्हारे निकाह के दिन मैं पहला मर्द होना चाहता हूँ जो तुम्हारी चुदाई करेगा। मैं चाहता हूँ कि जब तुम निकाह की रस्म में बैठो तो मेरा वीर्य तुम्हारी चूत से बहता रहे। अब अगर तुम चाहती हो कि घर में आये सारे मेहमान तुम्हारी ये वीडियो कैसेट ना देखें तो जल्दी से अपना लहँगा उठाओ और मेरे लंड के लिये तैयार हो जाओ।”
“सैंडल तो बड़ी प्यारी और सैक्सी पहनी है दुल्हन रानी,” ज़ूबी की गुलाबी रंग की हाई हील की सैंडल की तरफ इशारा करते हुए जूली बोली।
ज़ूबी अपने आपको फ़िर काफी विवश पा रही थी। वो ना तो हाँ कर सकती थी ना ही ना। ज़ूबी डर और अपमान के मारे बुरी हालत में थी। पर वो जानती थी कि उसे ये सब करना पड़ेगा। वो राज की धमकी से डर सी गयी थी। जैसे ही जूली ने उसके लहँगे को उठाया ज़ूबी ने अपनी सैंडल उतारने की कोशिश की।
जैसे ही ज़ूबी अपनी सैंडल उतारने के लिए झुकी तो जूली ने उसे रोक दिया और उससे कहा, “सैंडल पहनी रहो... तुम्हारे पैरों में जंच रहे हैं... अब ऐसा करो तुम टेबल को पकड़ कर घोड़ी बन जाओ, मैं तुम्हारे इस घाघरे को अच्छी तरह से तुम्हारी कमर तक उठा देती हूँ जिससे ये खराब ना हो।”
जूली ने ये सब इतनी अच्छी तरह से कहा था कि ज़ूबी के पास उसकी बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था। वो घूमी और दोनों हाथों से टेबल को पकड़ कर घोड़ी बन गयी। उसने महसूस किया कि जूली ने उसके घाघरे को उसकी कमर तक उठा दिया है और अब पीछे से उसके बदन को सहला रही है।
“थोड़ा नीचे झुको मेरी गुड़िया,” जूली ने हल्के दबाव से उसे नीचे झुक दिया। वो सोच रही थी कि कमरे के बाहर खड़े उसके परिवार वाले और रिश्तेदार क्या सोच रहे होंगे कि उन्हें बंद कमरे में इतनी देर क्यों लग रही है।
ज़ूबी की चिकनी और गोरी टाँगें कमरे की दूधिया रोशनी में चमक रही थी। उसके कुल्हे और चूत एक सिल्क की सफ़ेद पैंटी से ढकी हुई थी। ज़ूबी का ये नज़ारा किसी भी मर्द को उत्तेजित करने के लिए काफी था।
राज ने महसूस किया कि उसका लंड पैंट के अंदर तनने लगा है। ये सोच कर तो उसका लंड और खड़ा हो गया कि ये नयी नवेली दुल्हन आज शादी के दिन किसी और मर्द से चुदवाने जा रही है।
राज ये सब सोचते हुए अपने लंड को पैंट के ऊपर से मसल रहा था। वहीं जूली ने धीरे से अपनी अँगुलियाँ ज़ूबी कि पैंटी में फँसायी और उसे उसके सैंडलों तक नीचे खिसका दी। फिर उसने ज़ूबी का एक-एक पैर उठा कर वो पैंटी निकाल दी। वो पैंटी उतार कर उसने उसे राज को पकड़ा दी और राज ने उसे अपने कोट की जेब में डाल दी।
ज़ूबी के पीछे खड़े होकर राज ने जूली को इशारा किया। उसका इशारा पा कर वो लड़की अब ज़ूबी के चूत्तड़ों को सहलाने लगी।
“अपनी टाँगों को थोड़ा और फ़ैलाओ रानी,” जूली ने ज़ूबी से कहा।
ज़ूबी के मुँह से एक हल्की सी हुंकार निकली और उसने अपनी टाँगें थोड़ी सी फैला दी जिससे उसकी उभरी हुई चूत अब साफ़ दिखायी दे रही थी।
जूली के हाथ अब ज़ूबी की टाँगों के बीच आ गये। जूली अब अपने हाथ ज़ूबी की बिना झाँटों की साफ़ और चिकनी चूत पर फिराने लगी।
ज़ूबी को अपनी इस अवस्था पे काफी शरम आ रही थी। वो सोच रही थी कि तकदीर भी उसके साथ कैसे खेल खेल रही थी। आज ही उसके निकाह के दिन वो किसी कुत्तिया कि तरह किसी दूसरे मर्द से चुदवाने जा रही थी।
तभी उसने किसी मर्दाने हाथों को अपने चूत्तड़ पर महसूस किया। ज़ूबी ने अपनी गर्दन घुमा कर देखना चाहा कि उसके पीछे क्या हो रहा है। राज ठीक उसके पीछे खड़ा था। उसकी पैंट और अंडरवीयर उसके घुटनों तक नीचे खिसकी हुई थी। उसका तन्नाया हुआ लंड ठीक उसकी चूत को मुँह किये खड़ा था। जूली अब उसके लंड को उसकी चूत पर लगा रही थी।
लेखक: राज अग्रवाल
********************************************
ज़ूबी के लिये आज का दिन उसकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा दिन था। आज उसका निकाह था। ज़ूबी ने पिछले कई महीने अपने शरीर पर मेहनत कर अपने शरीर को काफी कसरती और सुंदर बनाया था। उसने अपने शरीर को इस तरह ढाल दिया था जिससे उसके मंगेतर को रत्ति भर भी शक ना होने पाये कि वो पिछले कई महीनों से किन हालातों से गुज़र रही है।
आखिर रसमों की घड़ी आ ही गयी थी। ज़ूबी अपना समय अपने रिश्तेदारों और परिवार वालों के साथ बिता रही थी और जान रही थी कि हर तैयारी पूरी तरह से हो गयी है कि नहीं। उसने अपने बालों को अच्छी तरह गुंथा हुआ था और वो अपने कमरे में अपनी अम्मी और दादी के साथ बैठी थी।
एक घंटा रह गया था निकाह की रसम के लिये। वो अपना शादी का जोड़ा पहनने की तैयारी करने लगी। गुलाबी रंग का जोड़ा, उसने खास तौर पर ऑर्डर देकर बनवाया था।
ज़ूबी अपने चेहरे का मेक-अप कर रही थी कि तभी उसके कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई। उसकी नौकरानी ने दरवाजा खोला। दरवाजे पर मिस्टर राज खड़े थे। ज़ूबी वैसे तो उन्हें शादी पर बुलाना नहीं चाहती थी, पर उसने सोचा कि शायद उसके शौहर से मिलने के बाद राज का व्यवहार उसके प्रति शायद बदल जाये, और उसे वो सब करने पर मजबूर ना करे जो वो नहीं करना चाहती है।
राज एक बहुत ही महंगा सूट पहने हुए था। उसके हाथ में एक पैक किया हुआ तोहफा था और उसके साथ ज़ूबी की उम्र की ही एक लड़की थी।
“हाय, ज़ूबी,” राज ने कमरे में कदम रखते हुए कहा, “शादी से पहले मैं तुमसे मिलकर तुम्हें मुबारकबाद देना चाहता था।”
“आइये, कैसे हैं आप?” ना चाहते हुए ज़ूबी ने मुस्कुराते हुए कहा।
राज ने कमरे में आकर सभी को अपना परिचय दिया और उन्हें बताया कि ज़ूबी ने किस तरह उसकी कंपनी की मदद की है। जब उसने कमरे में मौजूद सभी सदस्यों से ये कहा कि उसे ज़ूबी से कंपनी के बारे में कुछ खास बातें करनी हैं तो सभी चौंक पड़े।
“मिस्टर राज! शायद आप मज़ाक कर रहे हैं,” ज़ूबी ने थोड़ा हंसते हुए कहा, “आपको पता है ना कि आज मेरा निकाह है।”
“मैं जानता हूँ ज़ूबी, पर सिर्फ़ दस मिनट लगेंगे। शादी के बाद तुम अपने हनीमून पर चली जाओगी और मैं इस समस्या के विषय में तुमसे कम से कम तीन हफ़्तों तक बात नहीं कर पाऊँगा। मुझे आज ही तुमसे बात कर के इस समस्या का हल निकालना है,” राज ने उसे समझाते हुए कहा।
ज़ूबी राज के बारे में अच्छी तरह जानती थी। एक बार जो वो कह देता था वो कर के रहता था। फिर ज़ूबी बात को बढ़ाना भी नहीं चाहती थी। एक अनजाना डर सा उसके दिल में था, पता नहीं राज क्या कर बैठे।
ज़ूबी की माँ को ज़ूबी की हालत का अंदाज़ा नहीं था, और ना ही उसे राज की या उसकी कंपनी की समस्या से कोई लेना देना था।
“मिस्टर राज!” ज़ूबी की अम्मी ने कहा, “मैं ये कहने पर मजबूर हूँ कि आज आप नाजायज़ बात कर रहे हैं, कम से कम आज के दिन तो ज़ूबी को आप काम से दूर रखें।”
राज ने ज़ूबी की और देखा, “ठीक है ज़ूबी मैं तुम्हें आज के दिन कोई काम करने पर मजबूर नहीं करूँगा, पर ये टेप मैं यहाँ छोड़े जा रहा हूँ, इसे अपनी अम्मी को ज़रूर दिखाना। इसमें हमारी कंपनी की तरक्की की कहानी है,” राज ने एक टेप अपनी जेब से निकाल कर टेबल पर रख दी।
राज की ये हर्कत देख कर ज़ूबी तो मानो पत्थर की मुरत बन गयी। उसने तुरंत अपनी हालत पर काबू पाया।
“अम्मी मैं एक वकील हूँ और आपको क्या मालुम कि वकील का पेशा क्या होता है। माना आज मेरा निकाह है पर मेरा काम मेरे निकाह से ज्यादा अहम है,” ज़ूबी ने अपनी अम्मी को समझाते हुए कहा, “प्लीज़ एक मिनट मुझे मिस्टर राज से बात कर लेने दिजिये।”
ज़ूबी ने इशारे से राज को अपने पास बुलाया और कमरे के एक कोने में ले जाकर बात करने लगी।
राज ज़ूबी के पास पहुँचा, “ज़ूबी मैं जानता हूँ कि ये सही नहीं है, पर मुझे तुमसे कुछ अकेले में बात करनी है।”
ज़ूबी की समझ में नहीं आ रहा था कि राज को क्या जवाब दे। कभी वो अपने हाथ में पकड़े उस विडियो टेप को देखती और कभी कमरे में खड़े सभी लोगों को।
“ठीक है,” ज़ूबी ने कमरे में खड़े सभी लोगों से कहा, “प्लीज़ आप सभी लोग कुछ देर के लिये बाहर जायें, मुझे मिस्टर राज से अकेले में कुछ जरूरी बातें करनी हैं।”
ज़ूबी ने सभी को कमरे के बाहर जाने का इशारा किया, “प्लीज़ आप सभी समझें... ये काम बहुत जरूरी है।” राज के साथ आयी लड़की ने सभी को कमरे के बाहर निकाला और फिर कमरे को अंदर से बंद कर दिया।
जैसे ही उस लड़की ने दरवाजा बंद किया, राज के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी।
ज़ूबी कमरे में खड़े लंबे चौड़े राज को देख रही थी। वैसे तो राज कईं बार उसे चोद चुका था, पर वो सोच रही थी कि क्या आज उसकी शादी के दिन भी राज उससे यही करवाना चाहेगा। वो अपने मेक-अप और अपने कपड़ों के बारे में सोच रही थी। ये सब सोचते हुए उसे रोना आ रहा था पर वो रोकर अपना दिन बरबाद नहीं करना चाहती थी।
“मिस्टर राज! धन्यवाद कि आप समय निकालकर शादी में आये,” ज़ूबी समय की नज़ाकत को समझती हुई बोली।
“ज़ूबी आज से बड़ा शुभ दिन क्या हो सकता है,” राज ने कहा, “मैं तो जूली को ये दिखाने लाया था कि तुम कितनी सुंदर हो और तुम्हारा शौहर कितना खुशनसीब है जो उसे तुम्हारी जैसी बीवी मिल रही है,” राज जूली की ओर देखते हुए बोला, “क्यों मैं ठीक कह रहा हूँ ना जूली।”
“हाँ राज! वाकय में ज़ूबी काफी खूबसूरत और सैक्सी है,” जूली अपने होंठों पर ज़ुबान फेरते हुए बोली।
“पर हमारी कितनी बदकिस्मती है कि हमारे पास पूरी रात नहीं है,” राज ने कहा।
राज की बात सुनकर ज़ूबी सोच में पड़ गयी, “हाय अल्लाह! ये सही में मुझसे आज के दिन वो सब करवाना चाहता है।”
“मिस्टर राज! आज मेरा निकाह है... प्लीज़ आज के दिन तो मुझसे ये सब मत करवाइये।”
“ज़ूबी आज तुम्हारा निकाह है, इसी लिए तो मैं ये सब तुम्हारे साथ करना चाहता हूँ,” उसने जवाब दिया, “मैं माफी चाहता हूँ, पर ये मेरी सोच है कि तुम्हारे निकाह के दिन मैं पहला मर्द होना चाहता हूँ जो तुम्हारी चुदाई करेगा। मैं चाहता हूँ कि जब तुम निकाह की रस्म में बैठो तो मेरा वीर्य तुम्हारी चूत से बहता रहे। अब अगर तुम चाहती हो कि घर में आये सारे मेहमान तुम्हारी ये वीडियो कैसेट ना देखें तो जल्दी से अपना लहँगा उठाओ और मेरे लंड के लिये तैयार हो जाओ।”
“सैंडल तो बड़ी प्यारी और सैक्सी पहनी है दुल्हन रानी,” ज़ूबी की गुलाबी रंग की हाई हील की सैंडल की तरफ इशारा करते हुए जूली बोली।
ज़ूबी अपने आपको फ़िर काफी विवश पा रही थी। वो ना तो हाँ कर सकती थी ना ही ना। ज़ूबी डर और अपमान के मारे बुरी हालत में थी। पर वो जानती थी कि उसे ये सब करना पड़ेगा। वो राज की धमकी से डर सी गयी थी। जैसे ही जूली ने उसके लहँगे को उठाया ज़ूबी ने अपनी सैंडल उतारने की कोशिश की।
जैसे ही ज़ूबी अपनी सैंडल उतारने के लिए झुकी तो जूली ने उसे रोक दिया और उससे कहा, “सैंडल पहनी रहो... तुम्हारे पैरों में जंच रहे हैं... अब ऐसा करो तुम टेबल को पकड़ कर घोड़ी बन जाओ, मैं तुम्हारे इस घाघरे को अच्छी तरह से तुम्हारी कमर तक उठा देती हूँ जिससे ये खराब ना हो।”
जूली ने ये सब इतनी अच्छी तरह से कहा था कि ज़ूबी के पास उसकी बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था। वो घूमी और दोनों हाथों से टेबल को पकड़ कर घोड़ी बन गयी। उसने महसूस किया कि जूली ने उसके घाघरे को उसकी कमर तक उठा दिया है और अब पीछे से उसके बदन को सहला रही है।
“थोड़ा नीचे झुको मेरी गुड़िया,” जूली ने हल्के दबाव से उसे नीचे झुक दिया। वो सोच रही थी कि कमरे के बाहर खड़े उसके परिवार वाले और रिश्तेदार क्या सोच रहे होंगे कि उन्हें बंद कमरे में इतनी देर क्यों लग रही है।
ज़ूबी की चिकनी और गोरी टाँगें कमरे की दूधिया रोशनी में चमक रही थी। उसके कुल्हे और चूत एक सिल्क की सफ़ेद पैंटी से ढकी हुई थी। ज़ूबी का ये नज़ारा किसी भी मर्द को उत्तेजित करने के लिए काफी था।
राज ने महसूस किया कि उसका लंड पैंट के अंदर तनने लगा है। ये सोच कर तो उसका लंड और खड़ा हो गया कि ये नयी नवेली दुल्हन आज शादी के दिन किसी और मर्द से चुदवाने जा रही है।
राज ये सब सोचते हुए अपने लंड को पैंट के ऊपर से मसल रहा था। वहीं जूली ने धीरे से अपनी अँगुलियाँ ज़ूबी कि पैंटी में फँसायी और उसे उसके सैंडलों तक नीचे खिसका दी। फिर उसने ज़ूबी का एक-एक पैर उठा कर वो पैंटी निकाल दी। वो पैंटी उतार कर उसने उसे राज को पकड़ा दी और राज ने उसे अपने कोट की जेब में डाल दी।
ज़ूबी के पीछे खड़े होकर राज ने जूली को इशारा किया। उसका इशारा पा कर वो लड़की अब ज़ूबी के चूत्तड़ों को सहलाने लगी।
“अपनी टाँगों को थोड़ा और फ़ैलाओ रानी,” जूली ने ज़ूबी से कहा।
ज़ूबी के मुँह से एक हल्की सी हुंकार निकली और उसने अपनी टाँगें थोड़ी सी फैला दी जिससे उसकी उभरी हुई चूत अब साफ़ दिखायी दे रही थी।
जूली के हाथ अब ज़ूबी की टाँगों के बीच आ गये। जूली अब अपने हाथ ज़ूबी की बिना झाँटों की साफ़ और चिकनी चूत पर फिराने लगी।
ज़ूबी को अपनी इस अवस्था पे काफी शरम आ रही थी। वो सोच रही थी कि तकदीर भी उसके साथ कैसे खेल खेल रही थी। आज ही उसके निकाह के दिन वो किसी कुत्तिया कि तरह किसी दूसरे मर्द से चुदवाने जा रही थी।
तभी उसने किसी मर्दाने हाथों को अपने चूत्तड़ पर महसूस किया। ज़ूबी ने अपनी गर्दन घुमा कर देखना चाहा कि उसके पीछे क्या हो रहा है। राज ठीक उसके पीछे खड़ा था। उसकी पैंट और अंडरवीयर उसके घुटनों तक नीचे खिसकी हुई थी। उसका तन्नाया हुआ लंड ठीक उसकी चूत को मुँह किये खड़ा था। जूली अब उसके लंड को उसकी चूत पर लगा रही थी।
-
- Rookie
- Posts: 39
- Joined: 22 Oct 2014 22:33
दास्तान - वक्त के फ़ैसले Part-3
जूली राज के लंड को ज़ूबी की चूत पर ऊपर नीचे कर के घिस रही थी। राज ने थोड़ा सा दबाव लगाते हुए अपने लंड को ज़ूबी की चूत में घूसा दिया। जैसे ही उसका लंड ज़ूबी की चूत में घूसा, ज़ूबी को हल्का सा दर्द हुआ। ज़ूबी ने टेबल के किनारे को और कस के पकड़ लिया और अपनी आँखें बंद कर लीं। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि ठीक अपने निकाह में बैठने के पहले वो किसी और मर्द से चुदवा रही थी।
राज ने ज़ूबी के शरीर को काँपते हुए देखा। उसकी सूखी चूत शायद उसके मूसल लंड के लिये तैयार नहीं थी। राज ने भी कोई जोर नहीं लगाया, वो आराम और धीरे से अपने लंड को उसकी चूत में घुसाने लगा। वो तो ज़ूबी को सिर्फ़ ये बताना और ये एहसास दिलाना चाहता था कि वो जब और जहाँ चाहे ज़ूबी को चोद सकता है। वो ये बताना चाहता था कि ज़ूबी की शादी के बाद भी हालात यही रहने वाले हैं और बदलेंगे नहीं।
राज ने ज़ूबी के चूत्तड़ों को कस कर पकड़ा और अपने लंड को अंदर तक घुसा दिया। ज़ूबी की चूत गीली हो जाये इसलिये उसने अपने लंड को अंदर तक घुसा कर वहीं थोड़ी देर तक रहने दिया। फिर उसने थोड़ा सा बाहर खींचा और फिर हल्के से अंदर पेल दिया। जब उसने देखा कि ज़ूबी का मुँह खुला है और वो गहरी साँसें ले रही है तो वो समझ गया कि लौंडिया को भी मज़ा आ रहा है।
थोड़ी ही देर में ज़ूबी की चूत गीली हो गयी और अब राज का लंड बड़ी आसानी से अंदर बाहर हो रहा था। राज ने देखा कि ज़ूबी ने अपने शरीर को पत्थर सा कर लिया जिससे वो ये अंदाज़ा ना लगा सके कि वो भी बड़े आनंद से चुदाई का मज़ ले रही है। राज इस बात की परवाह ना करते हुए उसकी चूत में जोरों से लंड को अंदर बाहर कर रहा था। राज ने जानबूझ कर कई दिनों से किसी को चोदा नहीं था, जिससे वो ज्यादा से ज्यादा पानी ज़ूबी की चूत में छोड़ सके।
किसी लड़की को उसकी शादी से चंद मिनट पहले वो चोद रहा है, इस ख्याल ने राज के शरीर में और उत्तेजना भर दी। ये लड़की अब उसकी गुलाम है, वो जब चाहे और जैसे चाहे उसे इस्तमाल कर सकता है, और थोड़ी देर में ही वो उसकी चूत को अपने पानी से भरने वाला है।
वहीं ज़ूबी शरम के मारे मरी जा रही थी पर चुदाई एक ऐसी चीज़ है कि इंसान चाह कर भी अपनी उत्तेजना को छुपा नहीं सकता है। जैसे ही ज़ूबी को ये एहसास हुआ कि उसकी चूत भी पानी छोड़ने वाली है, उसके कुल्हे अपने आप ही पीछे की ओर हुए और राज के लंड को अपनी चूत के अंदर तक ले लिया।
ज़ूबी के कुल्हों को अपने शरीर से सटते देख राज और जोरों से धक्के लगाने लगा। ज़ूबी अब उसके धक्कों का साथ दे रही थी। ज़ूबी को लगा कि अब उससे सहन नहीं होने वाला है तो उसने अपना हाथ अपनी टाँगों के बीच किया और राज के अंडकोशों को पकड़ कर मसलने लगी। थोड़ी ही देर में राज के लंड ने उसकी चूत में पानी छोड़ दिया।
ज़ूबी उसकी गोलियों को मसलते हुए उससे उसका पानी निचोड़ रही थी, कि अचानक उसका शरीर काँपा। उसने अपने होंठों को दाँतों से दबा लिया जिससे उसकी उत्तेजना की चींख बाहर ना सुनायी दे सके। उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
राज भी ज़ूबी के कुल्हों को पकड़ कर अपना पानी उसकी चूत में छोड़ने लगा। जब उसने देखा कि उसके अंडकोश खाली हो गये हैं और एक-एक बून्द ज़ूबी की चूत में गिर पड़ी है तो उसने अपने लंड को ज़ूबी की चूत से बाहर निकाल लिया।
ज़ूबी ने अपनी साँसों पर काबू पाया और देखा कि जूली राज के लंड को अपने मुँह में ले कर चूस रही है। थोड़ी देर बाद जूली ने उसके लंड को अपने मुँह से निकाला और उसे राज के अंडरवीयर में रख कर उसकी पैंट को ऊपर खींच दिया। फिर जूली उठी और ज़ूबी को कपड़े दुरुस्त करने में मदद करने लगी। फिर राज ने जाकर कमरे का दरवाजा खोल दिया। ये सब इतनी जल्दी से हुआ कि ज़ूबी को मौका ही नहीं मिला कि वो अपनी पैंटी राज से माँग सकती।
जैसे ही उसके परिवार वाले और उसके मेहमान कमरे में आये, राज ने बड़ी विनम्रता से उनसे बात की और जूली को अपने साथ ले कर वहाँ से चला गया। ज़ूबी बड़ी डरी और सहमी हुई सी कमरे के बीचों बीच खड़ी थी, उसे डर था कि कहीं किसी को उस पर कोई शक ना हो जाये। जब निकाह का वक्त हो गया तो उसकी सहेलियाँ उसे लेकर नीचे आ गयीं।
ज़ूबी अपनी सहेलियों का हाथ पकड़े निकाह वाले हॉल की ओर आ रही थी। कमरा मेहमानों से भरा पड़ा था और सभी ज़ूबी को देख मुस्कुरा रहे थे। मिस्टर राज और जूली पास ही खड़े थे। वो राज से नज़रें बचाते हुए दूसरे मेहमानों की ओर देख मुस्कुरा रही थी, कि तभी उसने महसूस किया कि राज का वीर्य उसकी चूत से बहकर उसकी जाँघों के अंदरूनी हिस्से को और उसकी टाँगों को गीला कर रहा है।
राज ने ज़ूबी के शरीर को काँपते हुए देखा। उसकी सूखी चूत शायद उसके मूसल लंड के लिये तैयार नहीं थी। राज ने भी कोई जोर नहीं लगाया, वो आराम और धीरे से अपने लंड को उसकी चूत में घुसाने लगा। वो तो ज़ूबी को सिर्फ़ ये बताना और ये एहसास दिलाना चाहता था कि वो जब और जहाँ चाहे ज़ूबी को चोद सकता है। वो ये बताना चाहता था कि ज़ूबी की शादी के बाद भी हालात यही रहने वाले हैं और बदलेंगे नहीं।
राज ने ज़ूबी के चूत्तड़ों को कस कर पकड़ा और अपने लंड को अंदर तक घुसा दिया। ज़ूबी की चूत गीली हो जाये इसलिये उसने अपने लंड को अंदर तक घुसा कर वहीं थोड़ी देर तक रहने दिया। फिर उसने थोड़ा सा बाहर खींचा और फिर हल्के से अंदर पेल दिया। जब उसने देखा कि ज़ूबी का मुँह खुला है और वो गहरी साँसें ले रही है तो वो समझ गया कि लौंडिया को भी मज़ा आ रहा है।
थोड़ी ही देर में ज़ूबी की चूत गीली हो गयी और अब राज का लंड बड़ी आसानी से अंदर बाहर हो रहा था। राज ने देखा कि ज़ूबी ने अपने शरीर को पत्थर सा कर लिया जिससे वो ये अंदाज़ा ना लगा सके कि वो भी बड़े आनंद से चुदाई का मज़ ले रही है। राज इस बात की परवाह ना करते हुए उसकी चूत में जोरों से लंड को अंदर बाहर कर रहा था। राज ने जानबूझ कर कई दिनों से किसी को चोदा नहीं था, जिससे वो ज्यादा से ज्यादा पानी ज़ूबी की चूत में छोड़ सके।
किसी लड़की को उसकी शादी से चंद मिनट पहले वो चोद रहा है, इस ख्याल ने राज के शरीर में और उत्तेजना भर दी। ये लड़की अब उसकी गुलाम है, वो जब चाहे और जैसे चाहे उसे इस्तमाल कर सकता है, और थोड़ी देर में ही वो उसकी चूत को अपने पानी से भरने वाला है।
वहीं ज़ूबी शरम के मारे मरी जा रही थी पर चुदाई एक ऐसी चीज़ है कि इंसान चाह कर भी अपनी उत्तेजना को छुपा नहीं सकता है। जैसे ही ज़ूबी को ये एहसास हुआ कि उसकी चूत भी पानी छोड़ने वाली है, उसके कुल्हे अपने आप ही पीछे की ओर हुए और राज के लंड को अपनी चूत के अंदर तक ले लिया।
ज़ूबी के कुल्हों को अपने शरीर से सटते देख राज और जोरों से धक्के लगाने लगा। ज़ूबी अब उसके धक्कों का साथ दे रही थी। ज़ूबी को लगा कि अब उससे सहन नहीं होने वाला है तो उसने अपना हाथ अपनी टाँगों के बीच किया और राज के अंडकोशों को पकड़ कर मसलने लगी। थोड़ी ही देर में राज के लंड ने उसकी चूत में पानी छोड़ दिया।
ज़ूबी उसकी गोलियों को मसलते हुए उससे उसका पानी निचोड़ रही थी, कि अचानक उसका शरीर काँपा। उसने अपने होंठों को दाँतों से दबा लिया जिससे उसकी उत्तेजना की चींख बाहर ना सुनायी दे सके। उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
राज भी ज़ूबी के कुल्हों को पकड़ कर अपना पानी उसकी चूत में छोड़ने लगा। जब उसने देखा कि उसके अंडकोश खाली हो गये हैं और एक-एक बून्द ज़ूबी की चूत में गिर पड़ी है तो उसने अपने लंड को ज़ूबी की चूत से बाहर निकाल लिया।
ज़ूबी ने अपनी साँसों पर काबू पाया और देखा कि जूली राज के लंड को अपने मुँह में ले कर चूस रही है। थोड़ी देर बाद जूली ने उसके लंड को अपने मुँह से निकाला और उसे राज के अंडरवीयर में रख कर उसकी पैंट को ऊपर खींच दिया। फिर जूली उठी और ज़ूबी को कपड़े दुरुस्त करने में मदद करने लगी। फिर राज ने जाकर कमरे का दरवाजा खोल दिया। ये सब इतनी जल्दी से हुआ कि ज़ूबी को मौका ही नहीं मिला कि वो अपनी पैंटी राज से माँग सकती।
जैसे ही उसके परिवार वाले और उसके मेहमान कमरे में आये, राज ने बड़ी विनम्रता से उनसे बात की और जूली को अपने साथ ले कर वहाँ से चला गया। ज़ूबी बड़ी डरी और सहमी हुई सी कमरे के बीचों बीच खड़ी थी, उसे डर था कि कहीं किसी को उस पर कोई शक ना हो जाये। जब निकाह का वक्त हो गया तो उसकी सहेलियाँ उसे लेकर नीचे आ गयीं।
ज़ूबी अपनी सहेलियों का हाथ पकड़े निकाह वाले हॉल की ओर आ रही थी। कमरा मेहमानों से भरा पड़ा था और सभी ज़ूबी को देख मुस्कुरा रहे थे। मिस्टर राज और जूली पास ही खड़े थे। वो राज से नज़रें बचाते हुए दूसरे मेहमानों की ओर देख मुस्कुरा रही थी, कि तभी उसने महसूस किया कि राज का वीर्य उसकी चूत से बहकर उसकी जाँघों के अंदरूनी हिस्से को और उसकी टाँगों को गीला कर रहा है।