वो अपना हाथ तेजी से चलाने लगी. मैं भी आनंद के मारे इधर उधर लोटने लगी …. करवटें बदलने लगी. पर मंजू भी मेरी करवटों के साथ साथ कस कस के अन्दर बाहर लंड को चलने लगी. उसने चोदना चालू रखा. मैं जोश के मारे करवटें बदल कर उलटी हो गयी . पर मंजू ने लंड नहीं निकलने दिया और अपने दूसरे हाथ का सहारा लेकर लंड को अन्दर बाहर करती रही. मैं आनंद के मारे घोडी बन गयी. अपने चूतडों को दीदी के सामने कर दिया. पर उसने लंड नहीं छोड़ा और हाथ चलता ही गया.
“हाय दीदी … मेरा निकाल जाएगा …अब लंड निकाल दो ..”
“झड़ने वाली है तो झड़ जा …अब निकल जाने दे ….छोड़ दे अपना पानी …चल निकाल दे ….”
“दीदी अभी तो इस से मुझे गांड भी चुदवानी है ना ….फिर मज़ा नहीं आयेगा ….”
“अच्छा तो ये ले ……” उसने मेरी चूत से लंड निकाल दिया. और अब मेरी चूतडों की दोनों फाकें सहलाने लगी और उसे खींच कर फैला दी. मेरा गांड का छेद खुल गया. मेरी गांड के छेद में उसने थूक लगाया और फिर उस पर लंड रख दिया. मंजू बोली – “अब चालू करें ….”
“ हाँ दीदी … घुसा दो ..”
दीदी ने लंड को अन्दर ठेल दिया. फिर और अन्दर घुसाया. फिर हलके से बाहर निकाल कर अन्दर डाल दिया. मुझे मीठा मीठा सा मज़ा आने लगा . मंजू की स्पीड बढती गयी. मुझे मज़ा आने लगा …… उसी समय दीदी ने अपनी उंगली मेरी चूत में डाल दी और अन्दर घुमाने लगी. चूत से पानी तो पहले ही निकल रहा था. अब दोनों तरफ़ से डबल मज़ा आने लगा. अब मेरे से सहन नहीं हो रहा था ……..
“दीदी क्या कर रही ….आह्ह ह्ह्ह ….मज़ा आ रहा आया है …... दीदी … हाय रे ….. मुझे ये क्या हो रहा है …….दीदी …मैं मर जाऊंगी …….ऊओई एई …सी ….सी ……. अरे ….अरे ….मैं गयी …. निकला …. निकला … दीदी ……गयी मैं तो दीदी …… हाय …..हाय ….. ऊऊह ह्ह्छ …अआया आई ईईई .”
कहते हुए मैं बिस्तर पर घोडी बनी हुयी एक तरफ़ लुढ़क गई. मैं हांफ रही थी .
मंजू कह रही थी – “कैसा लगा ….. मज़ा आया ना …”मैंने आँख बंद किए ही सर हाँ में हिलाया. फिर मैं उठी .
मंजू ने कहा – “अब मेरी बारी है ….हाथ चलते ही रहना मैं चाहे कितना ही करवटें बदलूं या उछल कूद मचाऊं. लंड बाहर नहीं निकलना चाहिए …जैसे कि मैंने नहीं निकलने दिया था …ऐसे में पूरा मजा आता है .”
“दीदी तुम्हें तो बहुत अच्छा अनुभव हो गया है …इस लंड से चोदने का ..”
“अच्छा तो चालू हो जाओ …”
मैंने भी उसकी लंड से चुदाई चालू कर दी ……… वो भी तरह तरह से चुदवाती रही …फिर उसका भी पानी निकाल दिया. हम दोनों फिर दूर हो गयी और टांगे फैला कर नंगी ही लेट गयी. जाने कब धीरे से नींद ने आ घेरा और मैं गहरी नींद में सो गयी. सवेरे उठी तो देखा दीदी ने मुझे एक चादर ओढा दी थी. उसने मुझे मुस्करा कर देखा और झुक कर किस किया. और कहा – “कामिनी ….थंक यू ..”