एक बार तो मैने भी सोचा, क्या फ़र्क है मदन मे और मेरे मैं. मदन ने नौकरी के लिए उसकी गंद मारी और मैं भी नौकरी दे कर उस से चुद्वाना चाहती थी. दोनो ही ज़बरदस्ती थी. पर मेरी उस से चुद्वाने की चाहत थी, मैने अपने आप से कहा कि मैं उस को चोद्ने के लिया मजबूर नहीं करूँगी और फिर मैं तो उस से चुद्वाना चाहती थी, एक मर्द और एक औरत के बीच मे होने वाली नॅचुरल चुदाई करवाना चाहती थी. जैसे मदन ने उस की गंद मार कर खुद तो मज़ा लिया था पर उस लड़के को तकलीफ़ दी थी, मैं वैसा नही करना चाहती थी. मैं तो उस को चुदाई का मज़ा बराबर देना चाहती थी. अगर मुझे मज़ा आता है तो उसको भी तो आएगा मुझे चोद्कर. ये तो बराबर की चुदाई की बात थी. और फिर वो तो उस की खुशकिश्मति है कि उस को मेरे जैसी खूबसूरत और सेक्सी मालकिन की चुदाई करने का मौका मिल रहा है.
मैं - ओके. ठीक है. मेरे पैर छ्चोड़ो और कुर्सी पर बैठो. ये बच्चे की तरह रोना भी बंद करो. मैं तुम को नौकरी देती हूँ और तुम्हारा काम इस कॉटेज की देख भाल करना है. कॉटेज के सब काम तुम को करने है, सॉफ सफाई और सब देख भाल. तुम कॉटेज के अंदर सर्वेंट्स रूम मे रहना सुरू कर दो जो इस ऑफीस के बगल मे है. तुम्हारी नौकरी इसी समय से सुरू होती है. तुम अपना सामान ले आओ और मदन को बुलाओ.
वो अपनी गीली आँखों के साथ चला गया और मैं सोचने लगी कि किस तरह उस लड़के का लंड अपनी चूत मे डलवाया जाए.
मैने मदन को रतन का सामान कॉटेज के सेरवेंट्स रूम मे शिफ्ट करने को कहा और उसको अपना खाना बनाने की लिए ज़रूरी चीज़ो का इन्तेजाम करने को भी कहा. मैने रतन को कुछ रुपये ज़रूरी सामान खरीदने के लिए भी दिए. और मैने रतन को अपने लिए चाइ बनाने को कहा. मदन ने उसको किचन बताया.
उस वक़्त दोपहर के 2.00 बजे थे और मैने रतन को लंच बॉक्स मे से खाना निकाल कर टेबल पर लगाने को कहा. लंच बॉक्स मैं घर से लाई थी.
मैं खाना खा रही थी और रतन वहाँ खड़ा था. मैने खाना ख़तम किया और रतन को टेबल और बर्तन सॉफ करके अपने बेड रूम मे आने को कहा.
मैं फर्स्ट फ्लोर पर अपने बेड रूम मे आ कर ए.सी. चालू किया और कुछ समय बाद रतन रूम मे आया.
मैं - रतन, क्या तुम मालिश करना जानते हो?
रतन - हां मेम्साब. मैं मालिश करना जानता हूँ.
मैं - तो फिर आओ और मेरे पैरों की मालिश कर दो. मुझे कुछ थकान लग रही है.
ये मेरा उस से चुद्वाने की तरफ पहला कदम था.
उस ने मेरे स्कॅंडल्ज़ निकाले और मेरे पैरों की मालिश करना सुरू किया. मैं टाइट जीन पहनी हुई थी जिसकी वजह से वो मेरे पंजे के उपर मालिश नही कर पा रहा था. मैने उसको वेट करने को कहा और अपना शॉर्ट ले कर बाथरूम मे गई. मैने जीन की जगह शॉर्ट पहना और वापस रूम मे आ गई. अब मेरे सेक्सी पैरों का ज़्यादातर भाग नंगा था जिस से वो आसानी से उन पर मालिश कर सके. मैं सोफा पर बैठ गई और उस ने मेरे पैरों की मालिश करनी सुरू कर दी. वो बहुत अच्छी मालिश कर रहा था. कुछ ही देर मे मैने महसूस किया की उसकी हथेलियाँ पसीने से गीली होने लगी थी. मैं मन ही मन मुस्काई ये जान कर कि मेरे बदन की गर्मी वो भी फील कर रहा था. मेरी सेक्सी टाँगें है ही ऐसी की कोई भी गरम हो जाए. मैं सोफे पर थोड़ा आयेज सर्की ताकि वो मेरे घुटनो के उपर भी मालिश कर सके. उस के हाथ काँपने लगे और उसका गला भी सूखने लगा था पर वो बराबर मालिश कर रहा था मेरी सेक्सी नंगी टाँगों पर.
अब मैने अपना अगला तीर फेंका.
मैं बोली - रतन !
रतन - हां मेम्साब !
मैं - सच सच बताना. तुम ने वो सब मदन के साथ पहली बार किया था या से सब पहले भी कर चुके हो ?
रतन ने अपना सिर नीचे करते हुए जवाब दिया - ये पहली बार था मेम्साब.
मैं - उस ने तुम से क्या कहा, कैसे सुरू हुआ, मुझे पूरी बात बताओ.
रतन - मेमसाब ! मैं यहाँ मदन का लेटर मिलने के बाद चार दिन पहले आया था कि वो मेरी नौकरी लगा देगा. वो दिन मे सोता है क्यों कि रात मे ड्यूटी करता है. उस ने मुझे कहा कि मैं दिन मे यहाँ वहाँ खेत मे घूम कर टाइम पास करूँ जब तक की मेरी नौकरी नही लग जाती. उस ने मुझ से ये भी कहा कि वो यहाँ बहुत अकेला फील करता है, अब ये अच्छा है कि मैं उस के साथ हूँ. पहले दिन हम दोनो ने मिल कर अपना रात का खाना बनाया और वो अपनी ड्यूटी के लिए चला गया मुझे ये बोल कर कि मैं दरवाजा अंदर से बंद ना करूँ क्यों कि रूम तो कॉंपाउंड के अंदर ही है. मैं भी सो गया और मेरी आँख सुबह ही खुली. मैने देखा की मदन रूम के एक कोने मे बैठा है और अपने ....... अपने..... उस को बाहर निकाल कर कुछ कर रहा है. फिर मैने उस को ज़ोर ज़ोर से हिलाते हुए देखा. थोड़ी देर बाद उसने उस को फिर अपने पॅंट मे डाला और कपड़े से ज़मीन को सॉफ करने लगा. उस ने मुझे जागते हुए देखा तो वो मुश्कराया. फिर उस ने हम दोनो के लिए चाइ बनाई और कहा कि उसकी ड्यूटी अब ख़तम हो गई है और वो खाना खाने के बाद सोएगा. मैने उस से पूछा की वो अभी क्या कर रहा था तो उसने कोई जवाब नही दिया. दो दिन और निकल गये और कुछ खास नही हुआ. कल सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैने देखा कि मदन मेरे बिस्तर मे है और उस का हाथ मेरे...... मेरे..... उस पर है. उस ने मेरे हाथ मे अपना वो भी बाहर निकाल कर दिया. वो मेरा भी कपड़ों से बाहर निकालने की कोशिस करने लगा तो मैं उठ कर खड़ा हो गया. वो हँसने लगा और बोला - तुम बहुत अच्छे और सुंदर लड़के हो. हम दोनो को ही यहाँ अकेले रहना है इस लिए हम दोनो को ही एक दूसरे की मदद करनी चाहिए. अगर तुम मेरा कहना मानोगे तो तुम्हारी नौकरी जल्दी ही लग जाएगी और मैं तुम को हमेशा खुस रखूँगा. मैं समझ गया कि वो क्या कहना चाहता है लेकिन मैं क्या करता, मैं मजबूर था, पूरी तरह उस पर निर्भर था. वो खाना खाने के बाद सो गया और 4,30 बजे उठा. उस ने मुझे अपने बिस्तर मे घसीटा और मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरे साथ............. मेरे साथ...........
जुली को मिल गई मूली compleet
Re: जुली को मिल गई मूली
मैं - तुम को दर्द हुआ था उस समय?
रतन - हां मेम्साब. बहुत दर्द हुआ था.
मैं उठ कर खड़ी हुई और बोली - रतन ! तुम एक अच्छे लड़के हो. तुम अब मेरी पीठ पर मालिश कर दो. और मैं अपने शर्ट के बटन खोल कर बिस्तर पर उल्टी लेट गई. रतन आँखें फाड़ फाड़ कर मुझे देख रहा था. मैं बोली - " क्या हुआ ? आओ और मालिश करो."
वो बिस्तर पर आया और मेरी बटन खुली हुई शर्त उपर कर के उस ने मेरी पीठ पर मालिश करनी सुरू करदी, लेकिन मैं उस के हाथों का कंपन और हथेलियो पर पसीना सॉफ सॉफ महसोस कर रही थी. मैने उसको अपनी ब्रा का हुक खोल कर पूरी पीठ पर मालिश करने को कहा. उस ने कोशिश ज़रूर की पर मेरी ब्रा का हुक वो खोल नही पाया. मैने अपना हाथ पीछे किया और खुद ही अपनी ब्रा का हुक खोल दिया. मैने घूम कर देखा तो कमरे मे ए.सी. चलने के बावजूद उसका चेहरा पसीने से भरा हुआ था. मतलब लोहा गरम हो चुका था और अब सिर्फ़ हथौड़ा मारने के देर थी.
मैं बोली - अगर तुम को गर्मी लग रही है तो अपना शर्ट खोल दो.
वो बोला - नही मेम्साब. ठीक है.
मैं फिर बोली - नही, शर्ट उतार दो और फिर मालिश करो.
उसने अपनी शर्ट उतार दी. उस की नंगी छाती मेरी आँखों के सामने थी. प्यारी सी, छोटी सी छाती, बिना बालों की छाती. मैने भी अपनी शर्ट निकाल दी थी. वो मेरी चिकनी नंगी पीठ पर मालिश कर रहा था और मेरी चुचियों को देख रहा था जो मेरी बगल से बाहर आ रही थी क्यों कि अब वो मेरी चोली के बाहर थी. वो गरम हो चुका था और मैं तो पहले से ही गरम थी. मेरी चूत अपने खुद के प्रेम रस से गीली होने लगी थी. मेरी चुचियाँ मेरे और बिस्तर के बीच मे दब रही थी.
और मैने गरम लोहे पर हथौड़ा मार दिया.
मैने अपना हाथ पीछे किया तो पाया कि वो उसका घुटना था. वो अपने घुटनों के बल बिस्तर पर बैठ कर मेरी मालिश कर रहा था. मैने अपना हाथ सही दिशा की तरफ बढ़ाया और उसके खड़े हुए लंड को उस की पॅंट के उपर से ही पकड़ लिया. जब मैने उसके लंड को हाथ लगाया तो वो जैसे हवा मे उच्छल गया पर मूह से कुछ नही बोला. गरम लोहे पर हथौड़ा पड़ चुका था. मैं अपनी ब्रा निकलती हुई उस की तरफ घूम गई और वो मेरी मस्त कड़क चुचियों का नज़ारा करने लगा. उस का मूह और होंठ सुख चुके थे और वो अपने होंठो पर ज़बान फिरा रहा था. मैं जानती थी कि वो कुँवारा है और चुदाई के बारे मे ज़्यादा नही जानता है. मैं भी उस को सीखने मे ज़्यादा समय बर्बाद नही करना चाहती थी. मैने उस को अपने उपर खींचा और उसका चुंबन लिया. मैं जानती थी कि सब कुछ मुझे ही करना होगा. मैने अपनी एक चुचि उस के मूह मे दे कर चूसने को कहा. वो एक बालक की तरह मेरी चुचि को चूसने लगा जैसे उस मे से दूध आएगा. जब वो मेरी चुचि चूस रहा था तो मैने उस की पॅंट और चड्डी उतार दी. अब वो मेरे सामने पूरा नंगा था. उस का गुलाबी लंड जो ज़्यादा मोटा नही था पर लंबा ज़रूर था, मेरे सामने था. मैने उस के लंड को हाथ मे पकड़ा तो वो मुझे बहुत कड़क लगा, एक दम फिट था चोद्ने के लिए. उस के लंड पर अभी बाल आना सुरू ही हुए थे और उस के लंड के बाल हल्के हल्के से भूरे थे. मैने उसको अपना शॉर्ट और चड्डी उतारने को कहा तो उसने मेरा शॉर्ट और चड्डी उतार दी. मैने अपनी टांगे चौड़ी की और उस को अपनी सफाचत रसीली चूत का नज़ारा कराया. उस का मूह खुला का खुला रह गया मेरी चूत का नज़ारा करके. मैने उस को अपनी चूत चाटने को कहा तो पहले तो ज़रा हिचकिचाया, पर फिर उसने अपना मूह मेरी चूत पर रखा. हे भगवान........ मैं तो जैसे पागल ही हो गई एक कुंवारे, कमसिन लड़के का मूह अपनी चूत पर ले कर. मैं बता नही सकती की मुझे कितना अच्छा लग रहा था. वो मेरी चूत का चुंबन लेने लगा और मेरी चूत के रस को चखने लगा. उस बेचारे को तो बराबर पता ही नही था कि चूत कैसे चाती जाती है. मैने फिर किसी दिन उस को सीखने की सोची क्यों कि उस वक़्त तो मैं जल्दी से जल्दी उस का लंड अपनी चूत मे ले कर उस से चुद्वाना चाहती थी. मैने उस को बिस्तर पर बैठने को कहा और उस की गोद मे सिर रख कर लेट गई. अब उसका गुलाबी और प्यारा सा लंड बिल्कुल मेरी आँखों के सामने था. उस का लंड किसी डंडे की तरह तना हुआ सीधा खड़ा था. मैने ध्यान से देखा तो वो करीब 6 इंच या 6.5 इंच का था. पता नही क्यों, उस के लंड का गुलाबी रंग मुझे बहुत भा रहा था. उस के लंड का मूह ज़रा सा गीला था और लंड के मूह पर चॅम्डी का ढक्कन था. मैने उस के लंड को पकड़ कर चॅम्डी नीचे की तो उस के लंड का मूह और भी ज़्यादा गुलाबी देखा. उस के लंड मुण्ड पर छ्होटा सा होल बहुत ही अच्छा लगरहा था. मैने धीरे से उस का लंड अपने मूह मे लिया. ये पहला मौका था जब कोई सीधा, पतला, गुलाबी और कुँवारा लंड मेरे मूह मे था. उस के लंड का स्वाद मेरे चाचा और प्रेमी के लॅंड से थोड़ा अलग था पर अच्छा था. मैं उसका लंड चूस रही थी और उस को मज़ा आ रहा था. अब वो भी थोड़ा खुल गया था और जब मैं उसका लंड चूस रही थी तो वो मेरी चुचियों से खेल रहा था, दबा रहा था, मसल रहा था.
थोड़ी देर बाद मैं बिस्तर पर अपने पैर चौड़े कर के लेट गयी. मैने अपनी गंद के नीचे एक तकिया रखा ताकि उस का लंड मेरी चूत की गहराइयों तक पहुँचे. लगता था वो भी समझ गया था कि अब असली चुदाई का समय आ गया है. वो मेरे पैरों के बीच मे आ कर घुटनो पर बैठा और उस का लंड मेरी चूत के दरवाजे पर खड़ा था. एक कुँवारा लंड चुदि हुई चूत को चोद्ने के लिए तय्यार था. वो अपनी पूरी कोशिस कर रहा था कि मेरी चूत मे अपना लंड डाले पर उस को सही रास्ता नही मिल रहा था. मिने फील किया कि वो ग़लत दरवाजा खटखटा रहा है. पर इस मे उस बेचारे की क्या ग़लती थी. उस को क्या पता की चूत क्या होती है. वो तो एक दम कच्चा कुँवारा फूल था. वो कोशिस कर रहा था पर अपने लंड को मेरी चूत मे घुसा नही पा रहा था. ये देख कर मेरे होंठो पर मुश्कान आ गई. तब मैने चुदाई का चार्ज संभाला और उस के खड़े लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मूह पर रखा. उस ने धक्का मारा तो उसका आधा लंड मेरी चिकनी चूत मे उतर गया. जैसा कि पहले लिख चुकी हूँ की उस का लंड ज़्यादा मोटा नही था पर उस के लंड की लंबाई एक मर्दाना पके हुए लंड जितनी थी. मैने उस को समझाया कि कैसे आगे पीछे कर के धक्का मारना है. उस ने वैसा ही किया और अब उस का लंड पूरी तरह मेरी चूत मे घुस चुका था. मैने उस को धीरे धीरे धक्के मारने को कहा तो वो अपना लंड मेरी चूत मे धीरे धीरे अंदर बाहर..... अंदर बाहर करने लगा. फिर मुझको उस को समझने की ज़रूरत नही पड़ी. अपने आप ही उस की स्पीड बढ़ती चली गयी.
रतन - हां मेम्साब. बहुत दर्द हुआ था.
मैं उठ कर खड़ी हुई और बोली - रतन ! तुम एक अच्छे लड़के हो. तुम अब मेरी पीठ पर मालिश कर दो. और मैं अपने शर्ट के बटन खोल कर बिस्तर पर उल्टी लेट गई. रतन आँखें फाड़ फाड़ कर मुझे देख रहा था. मैं बोली - " क्या हुआ ? आओ और मालिश करो."
वो बिस्तर पर आया और मेरी बटन खुली हुई शर्त उपर कर के उस ने मेरी पीठ पर मालिश करनी सुरू करदी, लेकिन मैं उस के हाथों का कंपन और हथेलियो पर पसीना सॉफ सॉफ महसोस कर रही थी. मैने उसको अपनी ब्रा का हुक खोल कर पूरी पीठ पर मालिश करने को कहा. उस ने कोशिश ज़रूर की पर मेरी ब्रा का हुक वो खोल नही पाया. मैने अपना हाथ पीछे किया और खुद ही अपनी ब्रा का हुक खोल दिया. मैने घूम कर देखा तो कमरे मे ए.सी. चलने के बावजूद उसका चेहरा पसीने से भरा हुआ था. मतलब लोहा गरम हो चुका था और अब सिर्फ़ हथौड़ा मारने के देर थी.
मैं बोली - अगर तुम को गर्मी लग रही है तो अपना शर्ट खोल दो.
वो बोला - नही मेम्साब. ठीक है.
मैं फिर बोली - नही, शर्ट उतार दो और फिर मालिश करो.
उसने अपनी शर्ट उतार दी. उस की नंगी छाती मेरी आँखों के सामने थी. प्यारी सी, छोटी सी छाती, बिना बालों की छाती. मैने भी अपनी शर्ट निकाल दी थी. वो मेरी चिकनी नंगी पीठ पर मालिश कर रहा था और मेरी चुचियों को देख रहा था जो मेरी बगल से बाहर आ रही थी क्यों कि अब वो मेरी चोली के बाहर थी. वो गरम हो चुका था और मैं तो पहले से ही गरम थी. मेरी चूत अपने खुद के प्रेम रस से गीली होने लगी थी. मेरी चुचियाँ मेरे और बिस्तर के बीच मे दब रही थी.
और मैने गरम लोहे पर हथौड़ा मार दिया.
मैने अपना हाथ पीछे किया तो पाया कि वो उसका घुटना था. वो अपने घुटनों के बल बिस्तर पर बैठ कर मेरी मालिश कर रहा था. मैने अपना हाथ सही दिशा की तरफ बढ़ाया और उसके खड़े हुए लंड को उस की पॅंट के उपर से ही पकड़ लिया. जब मैने उसके लंड को हाथ लगाया तो वो जैसे हवा मे उच्छल गया पर मूह से कुछ नही बोला. गरम लोहे पर हथौड़ा पड़ चुका था. मैं अपनी ब्रा निकलती हुई उस की तरफ घूम गई और वो मेरी मस्त कड़क चुचियों का नज़ारा करने लगा. उस का मूह और होंठ सुख चुके थे और वो अपने होंठो पर ज़बान फिरा रहा था. मैं जानती थी कि वो कुँवारा है और चुदाई के बारे मे ज़्यादा नही जानता है. मैं भी उस को सीखने मे ज़्यादा समय बर्बाद नही करना चाहती थी. मैने उस को अपने उपर खींचा और उसका चुंबन लिया. मैं जानती थी कि सब कुछ मुझे ही करना होगा. मैने अपनी एक चुचि उस के मूह मे दे कर चूसने को कहा. वो एक बालक की तरह मेरी चुचि को चूसने लगा जैसे उस मे से दूध आएगा. जब वो मेरी चुचि चूस रहा था तो मैने उस की पॅंट और चड्डी उतार दी. अब वो मेरे सामने पूरा नंगा था. उस का गुलाबी लंड जो ज़्यादा मोटा नही था पर लंबा ज़रूर था, मेरे सामने था. मैने उस के लंड को हाथ मे पकड़ा तो वो मुझे बहुत कड़क लगा, एक दम फिट था चोद्ने के लिए. उस के लंड पर अभी बाल आना सुरू ही हुए थे और उस के लंड के बाल हल्के हल्के से भूरे थे. मैने उसको अपना शॉर्ट और चड्डी उतारने को कहा तो उसने मेरा शॉर्ट और चड्डी उतार दी. मैने अपनी टांगे चौड़ी की और उस को अपनी सफाचत रसीली चूत का नज़ारा कराया. उस का मूह खुला का खुला रह गया मेरी चूत का नज़ारा करके. मैने उस को अपनी चूत चाटने को कहा तो पहले तो ज़रा हिचकिचाया, पर फिर उसने अपना मूह मेरी चूत पर रखा. हे भगवान........ मैं तो जैसे पागल ही हो गई एक कुंवारे, कमसिन लड़के का मूह अपनी चूत पर ले कर. मैं बता नही सकती की मुझे कितना अच्छा लग रहा था. वो मेरी चूत का चुंबन लेने लगा और मेरी चूत के रस को चखने लगा. उस बेचारे को तो बराबर पता ही नही था कि चूत कैसे चाती जाती है. मैने फिर किसी दिन उस को सीखने की सोची क्यों कि उस वक़्त तो मैं जल्दी से जल्दी उस का लंड अपनी चूत मे ले कर उस से चुद्वाना चाहती थी. मैने उस को बिस्तर पर बैठने को कहा और उस की गोद मे सिर रख कर लेट गई. अब उसका गुलाबी और प्यारा सा लंड बिल्कुल मेरी आँखों के सामने था. उस का लंड किसी डंडे की तरह तना हुआ सीधा खड़ा था. मैने ध्यान से देखा तो वो करीब 6 इंच या 6.5 इंच का था. पता नही क्यों, उस के लंड का गुलाबी रंग मुझे बहुत भा रहा था. उस के लंड का मूह ज़रा सा गीला था और लंड के मूह पर चॅम्डी का ढक्कन था. मैने उस के लंड को पकड़ कर चॅम्डी नीचे की तो उस के लंड का मूह और भी ज़्यादा गुलाबी देखा. उस के लंड मुण्ड पर छ्होटा सा होल बहुत ही अच्छा लगरहा था. मैने धीरे से उस का लंड अपने मूह मे लिया. ये पहला मौका था जब कोई सीधा, पतला, गुलाबी और कुँवारा लंड मेरे मूह मे था. उस के लंड का स्वाद मेरे चाचा और प्रेमी के लॅंड से थोड़ा अलग था पर अच्छा था. मैं उसका लंड चूस रही थी और उस को मज़ा आ रहा था. अब वो भी थोड़ा खुल गया था और जब मैं उसका लंड चूस रही थी तो वो मेरी चुचियों से खेल रहा था, दबा रहा था, मसल रहा था.
थोड़ी देर बाद मैं बिस्तर पर अपने पैर चौड़े कर के लेट गयी. मैने अपनी गंद के नीचे एक तकिया रखा ताकि उस का लंड मेरी चूत की गहराइयों तक पहुँचे. लगता था वो भी समझ गया था कि अब असली चुदाई का समय आ गया है. वो मेरे पैरों के बीच मे आ कर घुटनो पर बैठा और उस का लंड मेरी चूत के दरवाजे पर खड़ा था. एक कुँवारा लंड चुदि हुई चूत को चोद्ने के लिए तय्यार था. वो अपनी पूरी कोशिस कर रहा था कि मेरी चूत मे अपना लंड डाले पर उस को सही रास्ता नही मिल रहा था. मिने फील किया कि वो ग़लत दरवाजा खटखटा रहा है. पर इस मे उस बेचारे की क्या ग़लती थी. उस को क्या पता की चूत क्या होती है. वो तो एक दम कच्चा कुँवारा फूल था. वो कोशिस कर रहा था पर अपने लंड को मेरी चूत मे घुसा नही पा रहा था. ये देख कर मेरे होंठो पर मुश्कान आ गई. तब मैने चुदाई का चार्ज संभाला और उस के खड़े लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मूह पर रखा. उस ने धक्का मारा तो उसका आधा लंड मेरी चिकनी चूत मे उतर गया. जैसा कि पहले लिख चुकी हूँ की उस का लंड ज़्यादा मोटा नही था पर उस के लंड की लंबाई एक मर्दाना पके हुए लंड जितनी थी. मैने उस को समझाया कि कैसे आगे पीछे कर के धक्का मारना है. उस ने वैसा ही किया और अब उस का लंड पूरी तरह मेरी चूत मे घुस चुका था. मैने उस को धीरे धीरे धक्के मारने को कहा तो वो अपना लंड मेरी चूत मे धीरे धीरे अंदर बाहर..... अंदर बाहर करने लगा. फिर मुझको उस को समझने की ज़रूरत नही पड़ी. अपने आप ही उस की स्पीड बढ़ती चली गयी.
Re: जुली को मिल गई मूली
और मैं उस से चुद्वाती हुई सोच रही थी कि एक लड़का, कुँवारा लड़का, मेरा नौकर, जिसकी नौकरी का आज पहला दिन ही था और मैं उस से चुद्वा रही थी. वो ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाता हुआ मुझे चोद रहा था. मैं देख चुकी थी कि वो झरने मे काफ़ी समय लेता है पर मैं तो झरने के करीब थी. मैने उस को जल्दी जल्दी, ज़ोर ज़ोर से चोद्ने को, ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने को कहा तो वो अपनी गंद और कमर को किसी मशीन की तरह आगे पीछे करता हुआ मुझे स्पीड से चोद्ने लगा. मैं क्यों की अपनी मंज़िल पर पहुँचने वाली थी. मेरी गंद. मेरी कमर अपने आप उपर उठने लगी थी और मैं चुदाई मे उस का पूरा पूरा साथ दे रही थी अपनी गंद उपर - नीचे करते हुए. और वो मुझे चोद रहा था......... चोद रहा था......... चोद रहा था.
और मैं पहुँच गयी. मैं झार चुकी थी. बहुत ही ज़ोर से झरी थी. मैने उसको अपने पैरों के बीच भींच लिया था. उस की समझ मे नही आया था पर वो अब भी मेरी चूत मे अपने लंड के धक्के लगाने की कोशिस कर रहा था. लेकिन उस की गंद मेरे पैरों की मज़बूत पकड़ मे होने की वजह से वो मुझे चोद नही पा रहा था. वो रुक गया. उस का लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर गहराइयों मे था.
मैने अपनी पकड़ ढीली की तो वो फिर से मुझे पहले की तरह चोद्ने लगा. मैं अपनी दूसरी पारी खेल रही थी. ए.सी. होते हुए भी हम दोनो के पसीने निकल रहे थे. मैं बहुत खुस थी कि वो लड़का इतनी देर तक चुदाई कर सकता है. वो अपने पूरे ज़ोर मे मेरी चूत चोद्ने मे लगा हुआ था. उमर उस की ज़रूर कम थी लेकिन वो किसी बैल की तरह मेरी चुदाई कर रहा था. मैं दूसरी बार पहुँचने वाली थी लेकिन लगता था कि उसके लंड का पानी निकलने मे अभी और देर थी. मैं उस के साथ साथ झरना चाहती थी. मैने उस को चोद्ना बंद करके अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकालने को कहा. वो समझ नही पाया कि मैं ऐसा क्यों कह रही हूँ, पर उस के चेहरे को देख कर सॉफ पता चलता था कि वो लंड बाहर नही निकलना चाहता था, मेरी और चुदाई करना चाहता था, क्यों कि वो तो अभी बीच मे ही था. लेकिन उस ने मेरा कहना माना और अपना लंड मेरी चूत मे से बाहर निकाल लिया. मैने उसके खड़े हुए गुलाबी और गीले लंड को अपने हाथ मे पकड़ा और उस पर मूठ मारना सुरू किया. वो समझ रहा था कि जैसे मदन ने मूठ मार कर उस का पानी निकाला था, वैसे ही मैं भी मूठ मार कर उस का पानी निकाल दूँगी. पर वो अपने मूह से कुछ नही बोला. मैं उस के लंड को पकड़ कर हिलाते हुए, आगे पीछे करते हुए मूठ मार रही थी ताकि वो पानी निकालने के करीब पहुँच जाए. थोड़ी देर बाद जब मैने महसोस किया की उस का लंड अपना प्रेम रस बरसाने के नज़दीक है तो मैने मूठ मारना बंद कर दिया और उस को लंड फिर से मेरी चूत मे डाल कर चोद्ने को कहा. वो बहुत खुस हो गया कि उस के लंड का पानी बाहर नही, मेरी चूत के अंदर निकलेगा. मैने फिर उस की मदद की लंड को चूत मे डालने के लिए.
अपने लंड को मेरी चूत मे डालते ही उस ने मुझको ज़ोर ज़ोर से चोद्ना चालू कर्दिया. मैं तो झरने के करीब थी ही, उसके धक्के लगाने के तरीके से मालूम होता था कि वो भी नज़दीक ही है. वो मुझे चोद रहा था, चोद रहा था, ज़ोर ज़ोर से चोद रहा था, एक नौकर लड़का अपनी मालकिन को चोद रहा था, एक कुँवारा गुलाबी लंड एक चुदि हुई चूत को चोद रहा था. हम दोनो ही सातवें आसमान की सैर कर रहे थे. उस के मूह से मज़े मे आवाज़ें निकलने लगी थी और मैं तो बस पहुँच ही गयी थी. मेरा दूसरी बार हो गया था उसकी एक चुदाई मैं. मैं लगातार दूसरी बार झार चुकी थी. मैं बहुत ज़ोर से झारी थी. उस की चोद्ने की स्पीड बढ़ गयी थी और वो पागल की तरह मुझे चोद रहा था. मैने भी उस को रोका नही और कोई 8 / 10 धक्के लगाने के बाद उस के लंड ने मेरी चूत के अंदर अपने पानी की बरसात करदी. उस का गरम गरम लंड रस मेरी चूत के अंदर निकल रहा था. वो मेरे उपर लेट गया और हम दोनो ने एक दूसरे को टाइट पकड़ा हुआ था. उस का प्यारा सा, गुलाबी लंड अभी भी मेरी चूत मे नाच नाच कर अपने प्रेम का रस फोर्स के साथ बरसा रहा था. हम दोनो ज़ोर ज़ोर से साँस ले रहे थे जैसे लंबी दौड़ लगा कर आए हैं.
कुंवारे लड़के से चुद कर बहुत मज़ा आया था. उस को भी जिंदगी मे पहली चुदाई का बहुत मज़ा आया था और वो भी अपनी सुंदर मालकिन को चोद कर. हम लोग कुछ देर तक लिपटे हुए ऐसे ही पड़े रहे और फिर मैने रतन को कपड़े पहन कर मेरे लिए चाइ लाने को कहा. उस ने अपना लंड मेरी चूत से निकाला तो मुझे उस का लंड पहली चुदाई करने के बाद और भी ज़्यादा गुलाबी लगा. अब वो कड़क नही था, खड़ा नही था, नरम हो रहा था. आप लोग जानते ही है कि मुझे मुलायम लंड चूसने मे कितना मज़ा आता है, इस लिए मैं अपने आप को रोक नही सकी और उस के मुलायम लंड को पकड़ कर अपने मूह मे डाला और उस को चूसने लगी. मेरी अपनी चूत का रस और उस के लंड से निकला हुआ रस उस के लंड पर लगा हुआ था और मैने दोनो का स्वाद उसके प्यारे से, छ्होटे से लंड को चूस कर लिया. मैने उस के लंड को चूस चूस कर पूरी तरह सॉफ कर दिया था. मुझे यहाँ लिखने मे कोई हिचकिचाहट नही हो रही है कि उस का मुलायम लंड मुझे अपने चाचा और अपने प्रेमी के लंड से भी ज़्यादा अच्छा लगा था.
मैं नंगी ही बाथरूम गई और वो बिस्तर पर बैठा हुआ पीछे से मेरी गोल गोल गंद को मटकाते हुए, हिलते हुए देखता रहा. मैं जानती थी की उस ने किसी औरत को आज पहली बार नंगा देखा था, सिर्फ़ नंगा देखा ही नही था, उस को चोदा भी था. कितनी बढ़िया किस्मत ले कर आया था रतन.
मैं नहा कर आई और रतन चाइ लेकर आ गया.
मैं बोली - तुम क्या सोचते हो मेरे बारे मैं?
रतन - आप बहुत अच्छी है मेम्साब! आप का दिल बहुत बड़ा है.
मैं - ठीक है रतन! अब मदन के साथ वैसा दोबारा मत करना. तुम चाहो तो उस को बोल देना कि मेम्साब को सब पता चल गया है और उनको ये पसंद नही है.
रतन - ठीक है मेम्साब!
मैं - और एक बात. किसी को भी पता नही चलना चाहिए कि हम दोनो ने क्या किया है.
रतन - नही मेम्साब. मैं कसम ख़ाता हूँ कि किसी से भी कुछ नही कहूँगा.
मैं - अच्छा, सच बताना....... क्या तुम को मज़ा आया..... तुम को अच्छा लगा?
और वो ज़्यादा कुछ नही बोल पाया. सिर्फ़ " आप बहुत अच्छी है मेम्साब" कह कर किसी शर्मीली लड़की की तरह वहाँ से किचन की तरफ भाग गया.
क्रमशः....................
और मैं पहुँच गयी. मैं झार चुकी थी. बहुत ही ज़ोर से झरी थी. मैने उसको अपने पैरों के बीच भींच लिया था. उस की समझ मे नही आया था पर वो अब भी मेरी चूत मे अपने लंड के धक्के लगाने की कोशिस कर रहा था. लेकिन उस की गंद मेरे पैरों की मज़बूत पकड़ मे होने की वजह से वो मुझे चोद नही पा रहा था. वो रुक गया. उस का लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर गहराइयों मे था.
मैने अपनी पकड़ ढीली की तो वो फिर से मुझे पहले की तरह चोद्ने लगा. मैं अपनी दूसरी पारी खेल रही थी. ए.सी. होते हुए भी हम दोनो के पसीने निकल रहे थे. मैं बहुत खुस थी कि वो लड़का इतनी देर तक चुदाई कर सकता है. वो अपने पूरे ज़ोर मे मेरी चूत चोद्ने मे लगा हुआ था. उमर उस की ज़रूर कम थी लेकिन वो किसी बैल की तरह मेरी चुदाई कर रहा था. मैं दूसरी बार पहुँचने वाली थी लेकिन लगता था कि उसके लंड का पानी निकलने मे अभी और देर थी. मैं उस के साथ साथ झरना चाहती थी. मैने उस को चोद्ना बंद करके अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकालने को कहा. वो समझ नही पाया कि मैं ऐसा क्यों कह रही हूँ, पर उस के चेहरे को देख कर सॉफ पता चलता था कि वो लंड बाहर नही निकलना चाहता था, मेरी और चुदाई करना चाहता था, क्यों कि वो तो अभी बीच मे ही था. लेकिन उस ने मेरा कहना माना और अपना लंड मेरी चूत मे से बाहर निकाल लिया. मैने उसके खड़े हुए गुलाबी और गीले लंड को अपने हाथ मे पकड़ा और उस पर मूठ मारना सुरू किया. वो समझ रहा था कि जैसे मदन ने मूठ मार कर उस का पानी निकाला था, वैसे ही मैं भी मूठ मार कर उस का पानी निकाल दूँगी. पर वो अपने मूह से कुछ नही बोला. मैं उस के लंड को पकड़ कर हिलाते हुए, आगे पीछे करते हुए मूठ मार रही थी ताकि वो पानी निकालने के करीब पहुँच जाए. थोड़ी देर बाद जब मैने महसोस किया की उस का लंड अपना प्रेम रस बरसाने के नज़दीक है तो मैने मूठ मारना बंद कर दिया और उस को लंड फिर से मेरी चूत मे डाल कर चोद्ने को कहा. वो बहुत खुस हो गया कि उस के लंड का पानी बाहर नही, मेरी चूत के अंदर निकलेगा. मैने फिर उस की मदद की लंड को चूत मे डालने के लिए.
अपने लंड को मेरी चूत मे डालते ही उस ने मुझको ज़ोर ज़ोर से चोद्ना चालू कर्दिया. मैं तो झरने के करीब थी ही, उसके धक्के लगाने के तरीके से मालूम होता था कि वो भी नज़दीक ही है. वो मुझे चोद रहा था, चोद रहा था, ज़ोर ज़ोर से चोद रहा था, एक नौकर लड़का अपनी मालकिन को चोद रहा था, एक कुँवारा गुलाबी लंड एक चुदि हुई चूत को चोद रहा था. हम दोनो ही सातवें आसमान की सैर कर रहे थे. उस के मूह से मज़े मे आवाज़ें निकलने लगी थी और मैं तो बस पहुँच ही गयी थी. मेरा दूसरी बार हो गया था उसकी एक चुदाई मैं. मैं लगातार दूसरी बार झार चुकी थी. मैं बहुत ज़ोर से झारी थी. उस की चोद्ने की स्पीड बढ़ गयी थी और वो पागल की तरह मुझे चोद रहा था. मैने भी उस को रोका नही और कोई 8 / 10 धक्के लगाने के बाद उस के लंड ने मेरी चूत के अंदर अपने पानी की बरसात करदी. उस का गरम गरम लंड रस मेरी चूत के अंदर निकल रहा था. वो मेरे उपर लेट गया और हम दोनो ने एक दूसरे को टाइट पकड़ा हुआ था. उस का प्यारा सा, गुलाबी लंड अभी भी मेरी चूत मे नाच नाच कर अपने प्रेम का रस फोर्स के साथ बरसा रहा था. हम दोनो ज़ोर ज़ोर से साँस ले रहे थे जैसे लंबी दौड़ लगा कर आए हैं.
कुंवारे लड़के से चुद कर बहुत मज़ा आया था. उस को भी जिंदगी मे पहली चुदाई का बहुत मज़ा आया था और वो भी अपनी सुंदर मालकिन को चोद कर. हम लोग कुछ देर तक लिपटे हुए ऐसे ही पड़े रहे और फिर मैने रतन को कपड़े पहन कर मेरे लिए चाइ लाने को कहा. उस ने अपना लंड मेरी चूत से निकाला तो मुझे उस का लंड पहली चुदाई करने के बाद और भी ज़्यादा गुलाबी लगा. अब वो कड़क नही था, खड़ा नही था, नरम हो रहा था. आप लोग जानते ही है कि मुझे मुलायम लंड चूसने मे कितना मज़ा आता है, इस लिए मैं अपने आप को रोक नही सकी और उस के मुलायम लंड को पकड़ कर अपने मूह मे डाला और उस को चूसने लगी. मेरी अपनी चूत का रस और उस के लंड से निकला हुआ रस उस के लंड पर लगा हुआ था और मैने दोनो का स्वाद उसके प्यारे से, छ्होटे से लंड को चूस कर लिया. मैने उस के लंड को चूस चूस कर पूरी तरह सॉफ कर दिया था. मुझे यहाँ लिखने मे कोई हिचकिचाहट नही हो रही है कि उस का मुलायम लंड मुझे अपने चाचा और अपने प्रेमी के लंड से भी ज़्यादा अच्छा लगा था.
मैं नंगी ही बाथरूम गई और वो बिस्तर पर बैठा हुआ पीछे से मेरी गोल गोल गंद को मटकाते हुए, हिलते हुए देखता रहा. मैं जानती थी की उस ने किसी औरत को आज पहली बार नंगा देखा था, सिर्फ़ नंगा देखा ही नही था, उस को चोदा भी था. कितनी बढ़िया किस्मत ले कर आया था रतन.
मैं नहा कर आई और रतन चाइ लेकर आ गया.
मैं बोली - तुम क्या सोचते हो मेरे बारे मैं?
रतन - आप बहुत अच्छी है मेम्साब! आप का दिल बहुत बड़ा है.
मैं - ठीक है रतन! अब मदन के साथ वैसा दोबारा मत करना. तुम चाहो तो उस को बोल देना कि मेम्साब को सब पता चल गया है और उनको ये पसंद नही है.
रतन - ठीक है मेम्साब!
मैं - और एक बात. किसी को भी पता नही चलना चाहिए कि हम दोनो ने क्या किया है.
रतन - नही मेम्साब. मैं कसम ख़ाता हूँ कि किसी से भी कुछ नही कहूँगा.
मैं - अच्छा, सच बताना....... क्या तुम को मज़ा आया..... तुम को अच्छा लगा?
और वो ज़्यादा कुछ नही बोल पाया. सिर्फ़ " आप बहुत अच्छी है मेम्साब" कह कर किसी शर्मीली लड़की की तरह वहाँ से किचन की तरफ भाग गया.
क्रमशः....................