ऋतु की आँखों में उफनते आँसुओं को देख के कुमुद उसे एक साइड में ले गयी. उसने ऋतु के हाथ को अपने हाथ में लिया और दूसरे हाथ को ऋतु के सर पे फेरा.. ऋतु टूट गयी और सब कुछ कुमुद को बता दिया. कुमुद ने बड़े ही धैर्या से ऋतु की सारी बातें सुनी. और उसको कहा.
“ऋतु होसला रखो… मैं हूँ ना. कुछ नही होगा तुम्हे. तुम पहले जैसे ही खुश रहना सीखोगी… वो भी बिना करण के… डॉन’ट वरी. ऐसा करो अभी जाके अपनी शिफ्ट पूरी करो… और शिफ्ट ख़तम होने के बाद मुझे मेरे ऑफीस में आके मिलना. तब तक मैं कुछ सोचती हूँ तुम्हारे बारे में.. डॉन’ट वरी आइ आम हियर फॉर यू. मैं हूँ ना… चलो अब अपनी शिफ्ट पे जाओ और काम देखो.”
ऋतु सर हिला के चल दी. यह सब बातें कुमुद को बताके वो बहुत हल्का महसूस कर रही थी. ना जाने क्यू कुमुद के आश्वशण पे यकीन करने का मन कर रहा था उसका. उसको कुमुद की बातों पे यकीन था. वो मान बैठी थी की कुमुद कुछ ना कुछ ज़रूर करेगी .
शिफ्ट ख़तम हुई तो ऋतु जाके कुमुद से मिलती हैं. कुमुद फोन पे किसी से बात कर रही थी. ऋतु ने दरवाज़ा खटखटाया.
“कम इन”
“गुड ईव्निंग मेम”
“आओ आओ ऋतु .. 2 मिनट मैं ज़रा फोन पे हूँ”
“जी मेम”
फोन पे बात करते करते ही कुमुद ने ऋतु की तरफ एक एन्वेलप बढ़ा दिया.
“यह मेरे लिए हैं”
कुमुद ने हां में सर हिला दिया. ऋतु ने धीरे से एन्वेलप खोला और अंदर देखा. अंदर 500 के नोट्स की एक गॅडी थी. अचंभे में ऋतु की आँखें फैल गयी. उसने जैसे ही मूह खोलना चाहा कुमुद से कुछ कहने के लिए कुमुद ने अपने होंटो पे उंगली रख के उसे चुप रकने का इशारा किया. ऋतु चुप हो गयी.
थोड़ी ही देर में फोन पे बात ख़तम हुई और कुमुद ऋतु की तरफ मूडी.
“मेम यह क्या हैं… और यह मेरे लिए हैं?”
“हां ऋतु… देखो यह पैसे लो और अपनी गाड़ी छुड़ाओ”
“लेकिन मेम यह पैसे मैं कैसे ले सकती हूँ”
“रख लो ऋतु… यह मैं तुमपे कोई एहसान नही कर रही हूँ… इसे लोन समझ के रख लो… थोड़ा थोड़ा करके लौटा देना.”
“लेकिन में मेरी सॅलरी कितनी हैं आपसे छुपा नही हैं… यह पैसे मैं कैसे लौउटौँगी…”
“डॉन’ट वरी … यह पैसे लो आंड जाके अपनी गाड़ी छुड़ाओ”
“मेम मैं आपका शुक्रिया कैसे अदा करूँ”
“डॉन’टी वरी.. गो होम.”
ऋतु वो पैसे लेके वपास आ गयी. उसके मन में कुमुद मेम के लिए इज़्ज़त और भी बढ़ गयी थी.
ऋतु अपने हालत से खुश नही थी. होटेल की मामूली सी सॅलरी से उसका गुज़ारा मुश्किल से हो रहा था. वो महत्वाकांक्षी लड़की थी. पैसा कमाना चाहती थी. वो चाहती थी की आछे से पैसे कमाए और उसी शान ओ शौकत से रहे जैसे वो पहले रहती थी. ताकि अगर किसी दिन किसी मोड़ पे करण से मुलाकात हो तो करण को ऋतु के हालात पे व्यंग करने का मौका ना मिले. वो चाहती थी की वो अपनी मेहनत से फिर उसी बुलंदी पे पहुचे जैसे पहले थी.. और कोई यह ना कहे की करण के बिना वो कुछ नही हैं.
Raj Sharma stories--रूम सर्विस compleet
Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस
कुमुद होटेल के सीनियर स्टाफ में थी. होटेल में करीब 10 साल से काम कर रही थी. उसने भी हाउस कीपिंग स्टाफ जाय्न किया था और आज हाउस कीपिंग आंड कस्टमर लियासों डिपार्टमेंट की मॅनेजर थी. होटेल की हाउस कीपिंग और कस्टमर सॅटिस्फॅक्षन का ध्यान रखना उसका काम था. कस्टमर “सॅटिस्फॅक्षन”.
एक दिन अचानक ऋतु को घर से फोन आया. फोन ऋतु की मा का था. उसके पापा का आक्सिडेंट हुआ था और वो हॉस्पिटल में भरती थे. ऋतु के पैरों तले ज़मीन खिसक गयी. उसने कुमुद से बात की और फॉरन छुट्टी लेकर पठानकोट के लिए रवाना हो गयी. ऋतु के पापा को एक कार ने टक्कर मारी थी. टक्कर किसी सुनसान इलाक़े में हुई थी और टक्कर मारने वाला गाड़ी भगा ले गया. राह चलते कुछ लोगों ने उसके घर पे सूचित किया. अगले दिन जब ऋतु पठानकोट पहुचि तो सीधा हॉस्पिटल गयी. उसकी मया का रो रो के बुरा हाल था. ऋतु भी रोती हुई मा के गले लग कर रोने लगी. डॉक्टर्स से बात की तो पता चला की उसके पापा अब ख़तरे से बाहर हैं लेकिन आक्सिडेंट की वजह से उनके टॅंगो में सेन्सेशन ख़तम हो गयी हैं. इलाज के लिए ऑल इंडिया इन्स्टिट्यूट ऑफ मेडिकल ससईएनए (आयिम्स) ले जाना पड़ेगा. एक हफ्ते के बाद ऋतु अपने माता पिता को लेके दिल्ली आ गयी.
उसने अपने पापा को आयिम्स में दिखाया तो डॉक्टर ने काई तरह के टेस्ट्स वगेरह किए. उन टेस्ट्स के आधार पे डॉक्टर की राई थी की उनका इलाज लंबा होगा लेकिन वो दोबारा पहले जैसे चल फिर सकेंगे. ऋतु को इस बात से बहुत खुशी हुई. लेकिन मान ही मान यह दर सताने लगा की इलाज के लिए पैसो का इंतेज़ां कैसे होगा. उसकी छोटी सी तनख़्वा से वैसे ही हाथ तंग था.
एक दिन ऋतु मायूस होकर अपने काम पे लगी हुई थी की तभी कुमुद ने आकर उससे पूछा
“ऋतु .. अब तुम्हारे पापा की तबीयत कैसी हैं”
“हेलो मेम… जी इलाज चल रहा हैं आयिम्स में”
“ओक.. वहाँ के डॉक्टर्स बहुत काबिल हैं.. डॉन’ट वरी सब ठीक होगा.”
“ऋतु अगर किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो हिचकिचाना नही. आइ आम हियर फॉर यू.”
“मेम मैं यह सोच रही थी की अगर कुछ लोन मिल जाता तो बहुत अच्छा रहता. आइ नो मैने आपके पहले के भी पैसे चुकाने हैं लेकिन यह लोन मेरे परिवार के लिए बहुत ज़रूरी हैं”
“देखो ऋतु.. होटेल की कोई पॉलिसी नही हैं एंप्लायी लोन्स की सो मैं तुम्हे झूठी उमीदें नही दे सकती. मेरे पास जो थोड़ा बहुत था वो मैं पहले ही तुम्हे दे चुकी हूँ”
“आइ नो मेम… आप ना होती तो ना जाने मेरा क्या होता.”
“ऋतु एक तरीका हैं जिससे की तुम्हारी परेशानी सॉल्व हो सकती हैं”
“वो कैसे मेम”
“इस होटेल में बहुत बड़े बड़े लोग आते हैं. बिज़्नेस्मेन, डिप्लोमॅट्स, आक्टर्स, पॉलिटिशियन्स वगेरह… एज दा कस्टमर लियासों मॅनेजर यह मेरी ड्यूटी हैं की मैं कस्टमर सॅटिस्फॅक्षंका ध्यान रखूं. हुमारे क्लाइंट्स दिन भर अपना काम करके शाम को जब वापस होटेल में आते हैं तो दे नीड टू रिलॅक्स.. उन्हे कोई चाहिए जो उनसे दो बातें कर सके आंड उनके साथ वक़्त स्पेंड करे. उनका दिल बहला सके. तुम समझ रही हो ना मैं क्या कह रही हूँ.”
“जी मेम” ऋतु अच्छिी तरह समझ रही थी की कुमुद क्या कह रही हैं.
“तुम स्मार्ट हो इंटेलिजेंट हो ब्यूटिफुल हो. तुम इस काम को बखूबी कर सकती हो.”
“जी मैं?”
“और नही तो क्या. तुम इस बारे में सोचना ज़रूर. इस काम के आछे ख़ासे पैसे भी मिलेंगे. तुम्हारी ज़िंदगी के सारे गीले शिखवे दूर हो जाएँगे. तुम्हारे पापा का आछे से अछा इलाज हो सकेगा. तुम्हे कभी पैसो की तंगी का सामना नही करना पड़ेगा. कोई जल्दी नही हैं आराम से सोच लो और फिर जवाब दो.”
एक दिन अचानक ऋतु को घर से फोन आया. फोन ऋतु की मा का था. उसके पापा का आक्सिडेंट हुआ था और वो हॉस्पिटल में भरती थे. ऋतु के पैरों तले ज़मीन खिसक गयी. उसने कुमुद से बात की और फॉरन छुट्टी लेकर पठानकोट के लिए रवाना हो गयी. ऋतु के पापा को एक कार ने टक्कर मारी थी. टक्कर किसी सुनसान इलाक़े में हुई थी और टक्कर मारने वाला गाड़ी भगा ले गया. राह चलते कुछ लोगों ने उसके घर पे सूचित किया. अगले दिन जब ऋतु पठानकोट पहुचि तो सीधा हॉस्पिटल गयी. उसकी मया का रो रो के बुरा हाल था. ऋतु भी रोती हुई मा के गले लग कर रोने लगी. डॉक्टर्स से बात की तो पता चला की उसके पापा अब ख़तरे से बाहर हैं लेकिन आक्सिडेंट की वजह से उनके टॅंगो में सेन्सेशन ख़तम हो गयी हैं. इलाज के लिए ऑल इंडिया इन्स्टिट्यूट ऑफ मेडिकल ससईएनए (आयिम्स) ले जाना पड़ेगा. एक हफ्ते के बाद ऋतु अपने माता पिता को लेके दिल्ली आ गयी.
उसने अपने पापा को आयिम्स में दिखाया तो डॉक्टर ने काई तरह के टेस्ट्स वगेरह किए. उन टेस्ट्स के आधार पे डॉक्टर की राई थी की उनका इलाज लंबा होगा लेकिन वो दोबारा पहले जैसे चल फिर सकेंगे. ऋतु को इस बात से बहुत खुशी हुई. लेकिन मान ही मान यह दर सताने लगा की इलाज के लिए पैसो का इंतेज़ां कैसे होगा. उसकी छोटी सी तनख़्वा से वैसे ही हाथ तंग था.
एक दिन ऋतु मायूस होकर अपने काम पे लगी हुई थी की तभी कुमुद ने आकर उससे पूछा
“ऋतु .. अब तुम्हारे पापा की तबीयत कैसी हैं”
“हेलो मेम… जी इलाज चल रहा हैं आयिम्स में”
“ओक.. वहाँ के डॉक्टर्स बहुत काबिल हैं.. डॉन’ट वरी सब ठीक होगा.”
“ऋतु अगर किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो हिचकिचाना नही. आइ आम हियर फॉर यू.”
“मेम मैं यह सोच रही थी की अगर कुछ लोन मिल जाता तो बहुत अच्छा रहता. आइ नो मैने आपके पहले के भी पैसे चुकाने हैं लेकिन यह लोन मेरे परिवार के लिए बहुत ज़रूरी हैं”
“देखो ऋतु.. होटेल की कोई पॉलिसी नही हैं एंप्लायी लोन्स की सो मैं तुम्हे झूठी उमीदें नही दे सकती. मेरे पास जो थोड़ा बहुत था वो मैं पहले ही तुम्हे दे चुकी हूँ”
“आइ नो मेम… आप ना होती तो ना जाने मेरा क्या होता.”
“ऋतु एक तरीका हैं जिससे की तुम्हारी परेशानी सॉल्व हो सकती हैं”
“वो कैसे मेम”
“इस होटेल में बहुत बड़े बड़े लोग आते हैं. बिज़्नेस्मेन, डिप्लोमॅट्स, आक्टर्स, पॉलिटिशियन्स वगेरह… एज दा कस्टमर लियासों मॅनेजर यह मेरी ड्यूटी हैं की मैं कस्टमर सॅटिस्फॅक्षंका ध्यान रखूं. हुमारे क्लाइंट्स दिन भर अपना काम करके शाम को जब वापस होटेल में आते हैं तो दे नीड टू रिलॅक्स.. उन्हे कोई चाहिए जो उनसे दो बातें कर सके आंड उनके साथ वक़्त स्पेंड करे. उनका दिल बहला सके. तुम समझ रही हो ना मैं क्या कह रही हूँ.”
“जी मेम” ऋतु अच्छिी तरह समझ रही थी की कुमुद क्या कह रही हैं.
“तुम स्मार्ट हो इंटेलिजेंट हो ब्यूटिफुल हो. तुम इस काम को बखूबी कर सकती हो.”
“जी मैं?”
“और नही तो क्या. तुम इस बारे में सोचना ज़रूर. इस काम के आछे ख़ासे पैसे भी मिलेंगे. तुम्हारी ज़िंदगी के सारे गीले शिखवे दूर हो जाएँगे. तुम्हारे पापा का आछे से अछा इलाज हो सकेगा. तुम्हे कभी पैसो की तंगी का सामना नही करना पड़ेगा. कोई जल्दी नही हैं आराम से सोच लो और फिर जवाब दो.”
Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस
यह कहकर कुमुद चली गयी. ऋतु समझ गयी थी की “कस्टमर सॅटिस्फॅक्षन” किस चिड़िया का नाम हैं. कुमुद का लिहाज करके वो उस वक़्त कुछ नही बोली. लेकिन उसके दिमाग़ में एक अजीब सा असमंजस चल रहा था. क्या पैसो के लिए वो एक वैश्या बन सकती थी? क्या वो अपने पापा के लिए यह कर सकती हैं? उसके सामने यह बहुत ही बड़ा धरमसंकट था. उसे कुछ समझ नही आ रहा था. उसे कोई और सूरत नज़र नही आ रही थी जिससे वो अपने परिवार की ज़रूरतो को पूरा कर सके. उस रात ऋतु सो नही पाई. पूरी रात वो इसी बारे में सोचती रही और सुबह की पहली किरण के साथ ही उसने निश्चय कर लिया था. अगले दिन उसने होटेल जाके कुमुद मेम को अपना निश्चय बताया.
“गुड मॉर्निंग मेम”
“गुड मॉर्निंग ऋतु.. प्लीज़ सीट. आइ होप ऋतु तुमने मेरी बात पर अच्छी तरह से सोच लिया होगा.”
“जी मेम. मैने सोचा हैं लेकिन मैं एक कशमकश में हूँ. समझ नही आ रहा की जो मैने फ़ैसला लिया हैं सही हैं या नही.”
कुमुद ऋतु की बात को ताड़ गयी.
“देखो ऋतु… इतना मत सोचो… अगर फ़ैसला ले लिया हैं तो उसपर अमल करो… जितना सोचोगी उतना ही उलझन बढ़ेगी.”
“जी मेम”
“डॉन’ट वरी.. मैं हूँ ना. तुम्हे डरने की कोई ज़रूरत नही.”
“मेम लेकिन यह सब जब बाकी लोगों को पता चलेगा तो मेरी नौकरी… और मेरी रेप्युटेशन की ऐसी तैसी हो जाएगी.”
“ऋतु यह सब की चिंता मत करो.. मुझ पे छोड़ दो. यहाँ होटेल में बंद दरवाज़े के पीछे क्या होता हैं किसी को खबर नही. और तुम अकेली नही हो इस होटेल में जो यह सब करोगी. मेरा यकीन करो.”
“जी मेम”
“आज शाम को अपनी शिफ्ट के बाद मुझे यहीं ऑफीस में मिलना.. और हां अपने घर फोन कर दो की तुम आज डबल शिफ्ट कर रही हो इसलिए रात को घर नही आओगी.”
“ओके मेम”
ऋतु अपनी शिफ्ट में लग गयी. दिन भर उसके मन में एक अजीब सी बेचैनी थी. दिल और दिमाग़ दोनो उसको अलग तरफ खीच रहे थे. शिफ्ट ख़तम होते होते उसके सर में दर्द होने लगा और थकान महसूस होने लगी. वो फिर भी कुमुद के ऑफीस में गयी.
“मे आइ कम इन मेम”
“आओ ऋतु. मैं तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रही थी. तुम सीधा जाओ हमारे नेचर स्पा में और वहाँ स्नेहा से मिलो. स्नेहा स्पा की इंचारगे हैं. मैने उससे बात कर ली हैं. वो तूमे स्पा में रिलॅक्स करवाएँगे. उसके बाद वेट फॉर मी इन्स्ट्रक्षन्स.”
“जी मेम.”
और ऋतु स्पा की और बढ़ी. स्पा पहुच के वो स्नेहा से मिली. स्नेहा 27 साल की एक लड़की थी जो देखने में बहुत खूबसूरत थी. वो ऋतु को चेंजिंग रूम में ले गयी और उसे एक रोब दिया पहनने को. उसके बाद ऋतु को ले जाया गया सॉना रूम में. सॉना के भाप ने जैसे ऋतु के दिमाग़ से रोज़मर्रा की तकलीफो को धुनबदला कर दिया. ऋतु को वहाँ बहुत रिलॅक्सेशन मिली.
सॉना के बाद स्नेहा ऋतु को लेके मसाज रूम में चली गयी. उसने ऋतु को एक टवल दिया और बोला की सिर्फ़ इसको लप्पेट के टेबल पे औंधे मूह लेट जाओ. स्नेहा रूम से बाहर चली गयी. इतने में ऋतु ने चेंज किया और लेट गयी टेबल पे. स्नेहा रूम में आई कुछ आयिल्स और क्रीम्स लेके. उसने ऋतु की अची तरह मसाज की. मसाज के बाद ऋतु का फेशियल किया गया. उसके बाद ऋतु की फुल बॉडी वॅक्सिंग की गयी. एक एक बॉल को बहुत बारीकी से सॉफ किया गया.
इतना सब होने के बाद ऋतु बहुत ही अच्छा और फ्रेश महसूस करने लगी थी. उसका सर दर्द और थकान गायब हो गये. अब ऋतु का मॅनिक्यूवर और पेदिकुरे करवाया गया. उसके बाद हेर आंड मेकप. अंत में स्नेहा ने ऋतु को एक ड्रेस दी और कहा की इसको पहन लो. ऋतु ने केवल एक रोब पहना हुआ था. उसने स्नेहा से पूछा.
“यह ड्रेस पेहन्नि हैं क्या?”
“हां ऋतु”
“ओके… लेकिन मेरी ब्रा और पॅंटी कहाँ हैं,,, वो दे दो.”
“डॉन’ट वरी.. उनकी ज़रूरत नही. सिर्फ़ यह ड्रेस पहन लो.”
ऋतु उस ड्रेस में स्टन्निंग लग रही थी. वो एक ब्लॅक कलर की कॉकटेल ड्रेस थी. उसके साथ ही ऋतु के लिए हाइ हील शूज भी थे. ऋतु को थोडा उंकोमफोर्टब्ल ज़रूर लग रहा था क्यूकी स्कर्ट के नीचे ना उसने पॅंटी पहनी थी और ना ही टॉप के नीचे ब्रा. एसी की ठंड के कारण ऋतु के निपल्स एकद्ूम एरेक्ट हो रखे थे. उस ड्रेस में ऋतु के शरीर की एक एक लचक बहुत शष्ट रूप से दिख रही थी. स्नेहा भी एक बार उसे देख के हैरान ही गयी.
कुमुद स्पा में आई और ऋतु से मिली. वो ऋतु में आए चेंज को देखकर खुश थी. ऋतु किसी फिल्म की हेरोयिन से कम नही लग रही थी. उसकी स्किन एकद्ूम सॉफ्ट और सुपल आंड उसके बाल अच्छी तरह से बँधे हुए थे. ऋतु की ड्रेस उसके फिगर को इस कदर निखार रही थी की देखने वालो के लंड खड़े हो जायें.
कुमुद ने स्नेहा को उसके काम के लिए सराहा और उसे रूम से जाने के लिए कहा. कुमुद अब ऋतु की तरफ मूडी और उसे कहा
“ऋतु तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो… आइ आम स्योर मिस्टर स्टीवन तुम्हे देख के बहुत खुश होंगे”
“मिस्टर स्टीवन… कौन हैं यह?”
“स्टीवन उस का एक बहुत बड़ा बिज़्नेसमॅन हैं जो की हर महीने दो महीने में इंडिया आता हैं. वो हमेशा हामरे ही होटेल में रुकता हैं.. वो भी प्रेसिडेन्षियल सूयीट में. वो हमेशा हमारे होटेल में रुकता हैं क्यूकी यहाँ उसकी ज़रूरतो का पूरा ख़याल रखा जाता हैं.”
“ओके”
“स्टीवन हमारे होटेल का बहुत ही इंपॉर्टेंट कस्टमर हैं. बहुत रईस और दिलदार. उसकी नज़र-ए-इनायत हुई तो तुम्हारे व्यारे न्यारे हो जाएँगे. ऋतु आज तुम्हारा इस काम में पहला दिन हैं. आइ होप तुम मेरी और स्टीवन की उमीदो पे खरी उतरॉगी.”
“आइ विल ट्राइ माइ बेस्ट मेम”
“रूम नो 137 में वो तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा हैं. गुड लक”
“थॅंक यू मेम”
दोस्तो इस पार्ट का एंड अब यही करता हूँ बाकी जानने के लिए रूम सर्विस का लास्ट पार्ट पढ़न ना भूलें
आपका दोस्त
राज शर्मा
“गुड मॉर्निंग मेम”
“गुड मॉर्निंग ऋतु.. प्लीज़ सीट. आइ होप ऋतु तुमने मेरी बात पर अच्छी तरह से सोच लिया होगा.”
“जी मेम. मैने सोचा हैं लेकिन मैं एक कशमकश में हूँ. समझ नही आ रहा की जो मैने फ़ैसला लिया हैं सही हैं या नही.”
कुमुद ऋतु की बात को ताड़ गयी.
“देखो ऋतु… इतना मत सोचो… अगर फ़ैसला ले लिया हैं तो उसपर अमल करो… जितना सोचोगी उतना ही उलझन बढ़ेगी.”
“जी मेम”
“डॉन’ट वरी.. मैं हूँ ना. तुम्हे डरने की कोई ज़रूरत नही.”
“मेम लेकिन यह सब जब बाकी लोगों को पता चलेगा तो मेरी नौकरी… और मेरी रेप्युटेशन की ऐसी तैसी हो जाएगी.”
“ऋतु यह सब की चिंता मत करो.. मुझ पे छोड़ दो. यहाँ होटेल में बंद दरवाज़े के पीछे क्या होता हैं किसी को खबर नही. और तुम अकेली नही हो इस होटेल में जो यह सब करोगी. मेरा यकीन करो.”
“जी मेम”
“आज शाम को अपनी शिफ्ट के बाद मुझे यहीं ऑफीस में मिलना.. और हां अपने घर फोन कर दो की तुम आज डबल शिफ्ट कर रही हो इसलिए रात को घर नही आओगी.”
“ओके मेम”
ऋतु अपनी शिफ्ट में लग गयी. दिन भर उसके मन में एक अजीब सी बेचैनी थी. दिल और दिमाग़ दोनो उसको अलग तरफ खीच रहे थे. शिफ्ट ख़तम होते होते उसके सर में दर्द होने लगा और थकान महसूस होने लगी. वो फिर भी कुमुद के ऑफीस में गयी.
“मे आइ कम इन मेम”
“आओ ऋतु. मैं तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रही थी. तुम सीधा जाओ हमारे नेचर स्पा में और वहाँ स्नेहा से मिलो. स्नेहा स्पा की इंचारगे हैं. मैने उससे बात कर ली हैं. वो तूमे स्पा में रिलॅक्स करवाएँगे. उसके बाद वेट फॉर मी इन्स्ट्रक्षन्स.”
“जी मेम.”
और ऋतु स्पा की और बढ़ी. स्पा पहुच के वो स्नेहा से मिली. स्नेहा 27 साल की एक लड़की थी जो देखने में बहुत खूबसूरत थी. वो ऋतु को चेंजिंग रूम में ले गयी और उसे एक रोब दिया पहनने को. उसके बाद ऋतु को ले जाया गया सॉना रूम में. सॉना के भाप ने जैसे ऋतु के दिमाग़ से रोज़मर्रा की तकलीफो को धुनबदला कर दिया. ऋतु को वहाँ बहुत रिलॅक्सेशन मिली.
सॉना के बाद स्नेहा ऋतु को लेके मसाज रूम में चली गयी. उसने ऋतु को एक टवल दिया और बोला की सिर्फ़ इसको लप्पेट के टेबल पे औंधे मूह लेट जाओ. स्नेहा रूम से बाहर चली गयी. इतने में ऋतु ने चेंज किया और लेट गयी टेबल पे. स्नेहा रूम में आई कुछ आयिल्स और क्रीम्स लेके. उसने ऋतु की अची तरह मसाज की. मसाज के बाद ऋतु का फेशियल किया गया. उसके बाद ऋतु की फुल बॉडी वॅक्सिंग की गयी. एक एक बॉल को बहुत बारीकी से सॉफ किया गया.
इतना सब होने के बाद ऋतु बहुत ही अच्छा और फ्रेश महसूस करने लगी थी. उसका सर दर्द और थकान गायब हो गये. अब ऋतु का मॅनिक्यूवर और पेदिकुरे करवाया गया. उसके बाद हेर आंड मेकप. अंत में स्नेहा ने ऋतु को एक ड्रेस दी और कहा की इसको पहन लो. ऋतु ने केवल एक रोब पहना हुआ था. उसने स्नेहा से पूछा.
“यह ड्रेस पेहन्नि हैं क्या?”
“हां ऋतु”
“ओके… लेकिन मेरी ब्रा और पॅंटी कहाँ हैं,,, वो दे दो.”
“डॉन’ट वरी.. उनकी ज़रूरत नही. सिर्फ़ यह ड्रेस पहन लो.”
ऋतु उस ड्रेस में स्टन्निंग लग रही थी. वो एक ब्लॅक कलर की कॉकटेल ड्रेस थी. उसके साथ ही ऋतु के लिए हाइ हील शूज भी थे. ऋतु को थोडा उंकोमफोर्टब्ल ज़रूर लग रहा था क्यूकी स्कर्ट के नीचे ना उसने पॅंटी पहनी थी और ना ही टॉप के नीचे ब्रा. एसी की ठंड के कारण ऋतु के निपल्स एकद्ूम एरेक्ट हो रखे थे. उस ड्रेस में ऋतु के शरीर की एक एक लचक बहुत शष्ट रूप से दिख रही थी. स्नेहा भी एक बार उसे देख के हैरान ही गयी.
कुमुद स्पा में आई और ऋतु से मिली. वो ऋतु में आए चेंज को देखकर खुश थी. ऋतु किसी फिल्म की हेरोयिन से कम नही लग रही थी. उसकी स्किन एकद्ूम सॉफ्ट और सुपल आंड उसके बाल अच्छी तरह से बँधे हुए थे. ऋतु की ड्रेस उसके फिगर को इस कदर निखार रही थी की देखने वालो के लंड खड़े हो जायें.
कुमुद ने स्नेहा को उसके काम के लिए सराहा और उसे रूम से जाने के लिए कहा. कुमुद अब ऋतु की तरफ मूडी और उसे कहा
“ऋतु तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो… आइ आम स्योर मिस्टर स्टीवन तुम्हे देख के बहुत खुश होंगे”
“मिस्टर स्टीवन… कौन हैं यह?”
“स्टीवन उस का एक बहुत बड़ा बिज़्नेसमॅन हैं जो की हर महीने दो महीने में इंडिया आता हैं. वो हमेशा हामरे ही होटेल में रुकता हैं.. वो भी प्रेसिडेन्षियल सूयीट में. वो हमेशा हमारे होटेल में रुकता हैं क्यूकी यहाँ उसकी ज़रूरतो का पूरा ख़याल रखा जाता हैं.”
“ओके”
“स्टीवन हमारे होटेल का बहुत ही इंपॉर्टेंट कस्टमर हैं. बहुत रईस और दिलदार. उसकी नज़र-ए-इनायत हुई तो तुम्हारे व्यारे न्यारे हो जाएँगे. ऋतु आज तुम्हारा इस काम में पहला दिन हैं. आइ होप तुम मेरी और स्टीवन की उमीदो पे खरी उतरॉगी.”
“आइ विल ट्राइ माइ बेस्ट मेम”
“रूम नो 137 में वो तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा हैं. गुड लक”
“थॅंक यू मेम”
दोस्तो इस पार्ट का एंड अब यही करता हूँ बाकी जानने के लिए रूम सर्विस का लास्ट पार्ट पढ़न ना भूलें
आपका दोस्त
राज शर्मा