रश्मि एक सेक्स मशीन compleet

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 14 Oct 2014 07:51


रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -21
गतान्क से आगे...

मेरी योनि पर उगे हल्के बालों को देख कर तो दमले पागल हो गया. उसका मुँह खुला का खुला रह गया. बाकी लोगों की भी आँखे फटी रह गयी थी. फिर दमले ने मुझे उपर से नीचे तक निहारते हुए अपने रंग कोई बॉटल से रंग निकाला और मेरे सामने घुटनो के बल बैठ कर पहले उसने रंग मेरी चिकनी टाँगों पर और जांघों पर लगाए. फिर कुच्छ रंग हाथों मे ले कर मेरे नितंबों पर मले. सबसे आख़िरी मे उसने मेरी योनि के उपर रंग लगाया. मैं अब अपना विरोध पूरी तरह समाप्त कर चुकी थी. अब मैने अपने हथियार डाल दिए थे. अब मैने अपने आप को किस्मेत के भरोसे छ्चोड़ दिया था. मैं जानती थी कि इन से आज बच पाना मेरे बस मे नही थी. मैं मचल रही थी मगर उससे ज़्यादा कुच्छ भी नही कर पा रही थी.



एक आख़िरी कोशिश करती हुई अचानक उसके एक हाथ को मैने काट खाया. दमले मेरी इस हरकत से बुरी तरह नाराज़ हो गया. उसने एक ज़ोर दार थप्पड़ मेरे गाल पर लगाया. उसका थप्पड़ इतना जबरदस्त था कि मुझे लगा कि मेरे दाँत टूट गये होंगे. उसने मेरे बालों को मुट्ठी मे भर कर इतनी ज़ोर से खींचा कि कुच्छ बॉल मेरे सिर से टूट कर अलग हो गये. उसने मेरे दोनो गाल्लों पर कस कस कर दो चार झापड़ लगाए. मैं दर्द से रोने लगी. सारे गुंडे हंस रहे थे.



“यारों तुम लोग अपनी भाभी से होली नही खेलोगे क्या?” दमले मुझे छ्चोड़ कर खड़े होते हुए कहा.



बस इतना कहना था कि सारे गुंडे मुझ पर टूट पड़े कोई मेरी जांघों को मसल रहा था तो कोई मेरे स्तनो को. कोई मेरी गुदा मे उंगली डाल रहा था तो किसी की उंगली मेरी चूत के अंदर घूम रही थी. मुझे सब लोगो ने मिल कर बुरी तरह मसल दिया. सारे मर्द मेरे जिस्म से जोंक की तरह चिपक गये थे. काफ़ी देर तक मेरे बदन को इस तरह नोचने के बाद जब दमले ने उनको मेरे पास से हटाया तो मैने लड़खड़ाते हुए दमले के बाँहो का ही सहारा ले लिया. उसने खुश होकर मेरे नंगे बदन को अपने चौड़े सीने पर दाब लिया.



“च्च्च…क्या बुरी गत बनाई है तुम लोगों ने इसकी. किसी नाज़ुक कली को इस तरह से मसला जाता है क्या. साले तुम लोग रहोगे जंगली के जंगली. ये प्यार करने की चीज़ है तुम लोग तो इसको मार ही डालते.” दमले ने उन्हे बनावटी झिड़कियाँ देते हुए कहा.

फिर उसने मुझे अपनी बाँहों मे उठा लिया. अपने बाकी साथियों को वहीं छ्चोड़ कर वो मुझे लेकर आगे बढ़ा.



“ मेरी जान चलो अब मैं तुम्हे नहला कर सॉफ कर देता हूँ नही तो आगे के खेल मे मज़ा नही आएगा. ऐसी रंगी पूती को कैसे प्यार करूँगा.” कह कर वो मुझे बाथरूम मे ले गया.



बाथरूम मे घुस कर उसने अपने सारे कपड़े भी उतार दिए. मैं तो पहले से ही बिल्कुल नंगी थी. उसने पहले मुझे नहलाया साबुन रगड़ रगड़ कर बदन से सारे रंग को निकाला. इस कोशिश मे मेरे बदन के हर अंग को उसने खूब मसला. मैं चुपचाप सब कुच्छ सहती रही. मुझमे और मार खाने की हिम्मत नही बची थी. मैं लगातार सुबक्ती रही.



जब उसने मुझे खींच कर खड़ी किया तो मैने देखा उसका लंड खड़ा हो गया था. होता भी क्यों ना. पंद्रह मिनिट से एक नंगी महिला के बदन को मसले जो जा रहा था.



उसने मुझे दीवार पर हाथ रख कर थोड़ा सामने की ओर झुकाया. फिर पीछे की तरफ से मेरे नितंबों से चिपक गया. उसका लिंग मेरे नितंबों के बीच की दरार पर ठोकर मार रहा था. मैने अपने दोनो नितंबों को सख़्त कर लिया जिससे वो मेरी गुदा मे अपना लंड ना डाल सके.



उसने अपनी गीली उंगलियों से मेरी चूत को सहलाया. उसने एक एक करके अपनी दो उंगलियाँ मेरी चूत मे डाल दी. मैं उसके इस हमले से सिहर उठी. उसकी उंगलियाँ मेरी योनि के अंदर तक जा रही थी.

raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 14 Oct 2014 07:51



“वाह क्या मस्त माल है…..जाआं क्यूँ इस हरम्जदे के पल्लू से बँधी हो मेरे पास आ जाओ रानी बना कर रखूँगा. राज करेगी राज…” मैने फिर अपने बचाव के लिए अपनी एक टाँग को पीछे की ओर चलाया. मगर वो इस बार भी मेरे वार से बच गया.



“साली लगता है तेरे बाल अभी निकले नही हैं सारे……करले जो कर सकती है तू. जितना हाथ पैर चला सकती है चला ले. लेकिन तुझे आज से अपनी रांड़ बना कर ही रहूँगा. बहुत नाज़ है ना अपने इस रूप पर. आज हम तुझे अपनी कुतिया बना कर चोदेन्गे. साली देखता हूँ कितना दम है तुझ मे आज तुझे किसी कुत्ते की तरह हम तेरी धज्जियाँ उड़ाएंगे. देखता हूँ कौन बचाता है तुझे. ये साला तेरा पति इस पर भरोसा है ना तुझे इस की इतनी हिम्मत नही है कि दमले के सामने सीना तान सके.”



मैं एक आख़िरी कोशिश के रूप मे उसके सामने रो पड़ी,” प्लीईस्स….मुझे मत खराब करो…. कौन पति चाहेगा किसी और से रेप की हुई महिला को अपनी बीवी बना कर रखना….. मुझे मेरा पति घर से निकाल देगा…..मेरे सास ससुर से भी मैं कैसे रहम की भीख माँग सकूँगी….वो तो खुद देखेंगे मेरी बर्बादी का नज़ारा….. मेरे पास आत्म हत्या के सिवा कोई रास्ता नही बचेगा…..प्लीज़ मुझे छ्चोड़ दो…. मुझे खराब मत करो. किसी दिन मैं खुद तुम्हारे अड्डे पर आ जाउन्गी फिर तुम्हारी जो मर्ज़ी कर लेना….मगर आअज नही….यहाआँ नहियिइ…..”



“तू घबरा मत मेरी रानी तुझे कुच्छ नही होगा……तेरे वो नमार्द पति की इतनी हिम्मत नही है कि मेरे खिलाफ तुझे परेशान करे. घबरा मत जाने से पहले उसका भी इलाज कर दूँगा.” ये कह कर उसने अपने लंड को मेरी योनि के उपर रख कर आगे की ओर धक्का दे दिया. उसका लिंग सर सरता हुआ मेरी योनि की ओर घुस गया.



मैने बेबसी से अपने जबड़े भींच लिए. उसने मेरे बालों को अपनी मुट्ठी मे भर रखा था और मुझे पीछे से धक्के देने लगा. मैं लगभग रो ही रही थी मगर उसकी सेहत पर कोई असर नही पड़ रहा था. उसके हाथ मेरे बगलों से होते हुए मेरे उरजों को थाम रखे थे. और उन्हे अपनी मुट्ठी मे लाकर दमले बुरी तरह मसल रहा था. लगभग पंद्रह मिनिट तक मुझे पीछे से चोदने के बाद उसके लिंग ने मेरी योनि मे अपने वीर्य की बौछार कर दी. मैं दीवार पर फिसलते हुए धाम से फर्श पर गिर पड़ी.



ऑफ कितनी जलालट महसूस हो रही थी. लग रहा था कि ज़मीन फट जाए और मैं उसमे समा जाउ. मगर ऐसा कुच्छ भी नही हुआ. मैं ज़मीन पर पड़े पड़े गहरी साँसे लेती रही. उसने कुच्छ देर बाद मुझे खींच कर उठाया और वापस शवर के नीचे डाल दिया. मैं शवर के नीचे पड़ी रही पानी की ठंडी बूँदें मेरे तन मन की आग को ठंडा कर रही थी.



कुच्छ देर बाद उसने शवर बंद कर टवल से मेरे गीले बदन को सूखाया.



“प्लीज़ मुझे अब जाने दो. तुमने अपने मन की तो कर ही ली. अब मुझे छ्चोड़ दो. मैं इस हालत मे बातरूम से नही निकल सकती. मुझे इस जलालट से च्छुतकारा दे दो. मुझे मार ही डालो.” मैं वहीं ज़मीन पर उकड़ू हो कर बैठ गयी और अपने चेहरे को घुटनो पर रख कर सुबकने लगी.



उसने मुझे वापस मेरी बाँह खींच कर उठाया.



“ साली अपनी नौटंकी बंद कर नही तो ऐसी हालत कर दूँगा कि ना तो तू जी पाएगी और ना ही मर सकेगी.” उसने मुझे उठा कर बाथरूम का दरवाजा खोल दिया.



“ प्लीज़ कम से कम मुझे कुच्छ कपड़े तो पहनने दो.”



“नही तू ऐसी ही अच्छि लग रही है. साली अभी तो मैं और मेरे साथी तेरे घरवालों के सामने तेरे इस गर्म सुलगती जवानी से अपनी भूख मिटाएँगे. तू क्या सोचती है हम तुझे कपड़े पहना कर चोदेन्गे.”



“मेरे पति, मेरे सास ससुर के सामने इस हालत मे मुझे और मत घूमाओ. कुच्छ तो शर्म बची रहने दो.”



“तेरा पति? हाहाहा वो सला छक्का……वो क्या कहेगा तुझे उसे कुच्छ कहने लायक छ्चोड़ेंगे तब ना. तू तो बस देखती जा. साले को आज के बाद इस दिन की याद भी नही आएगी…” कह कर वो मुझे खींचते हुए बाहर ले आया.



मैने देखा की हम जब बाथरूम मे थे तो उसके बाकी साथी उस कमरे का सारा समान समेट कर वहाँ ज़मीन पर चटाई बिच्छा दिए थे. उस चटाई के इर्द गिर्द तीन कुर्सियों पर हाथ पैर बँधे मेरे हज़्बेंड और मेरे सास ससुर बैठे थे. सासू जी लगातार रोए जा रही थी. ससुर जी की हालत बहुत सोचनीय थी. उनकी आँखें उलट गयी थी. और रतन कुर्सी पर बैठा तुकर तुकर हमे देख रहा था. उसकी हालत से लग रहा था कि उसका नशा अब उतर चुक्का था. तीनो के मुँह मे कपड़े ठूँसे हुए थे. इसलिए किसी तरह की आवाज़ अब उनके मुँह से नही निकल रही थी. लेकिन उनकी दशा उनकी बेबसी का इज़हार कर रही थी. दोस्तो कहानी अभी बाकी है आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः............


raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 14 Oct 2014 07:52


रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -22
गतान्क से आगे...
दमले मुझे उसी हालत मे खींचते हुए लाकर सब के बीच चटाई पर थेल दिया. बाकी सारे लोग चटाई पर गिरते देख मुझे पर टूट पड़े. मैने उठने की कोशिश की तो कई हाथों ने मुझे थाम लिया. मैं वापस चटाई पर गिर पड़ी. कई जोड़ी हाथ मेरे बदन पर फिरने लगे. मैने अपनी दोनो जंघें सख्ती से एक दूसरे से लिपटा रखी थी. अपने नाज़ुक हाथों से मैं अपनी नग्नता छिपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी. मगर इतने सारे मर्दों के बीच एक नाज़ुक सी औरत कितना बचाव कर सकती है.



मैं बस च्चटपटा सकती थी मगर इतने सारे मर्दों से अकेले मुकाबला नही ले सकती थी. उसके बाद तो पता ही नही चला कब शाम से रात हो गयी और रात से सुबह. मुझे चोद चोद कर मार ही डाला था उन गुण्डों ने. कभी एक एक करके कभी दो तो कभी तीन एक साथ मेरे बदन से खेलते रहे. मेरे बदन को तोड़ मरोड़ कर रख दिया. मेरी योनि तो सूज कर लाल हो गयी थी. पूरा बदन उनके लिंग से निकले वीर्य से लटपथ था. मेरे पूरे बदन पर अनगिनत दाँतों के निशान बने हुए थे. एक एक आदमी ने मुझे अनगिनत बार चोदा. मुझे तो लग रहा था कि मैं उनकी ज़्यादतियों से आज मर ही जाउन्गी. मर ही जाती तो ठीक था. मगर मौत भी इतनी आसानी से कब आती है.



मैं उनकी ज़्यादतियों को झेलते झेलते कब बहोशी की आगोश मे चली गयी पता ही नही चला.



सुबह जब होश मे आई तो सूरज निकल चुक्का था. सारे गुंडे भाग चुके थे. मैं लूटी पिटी फर्श पर पड़ी थी. पूरा बदन इस तरह दुख रहा था मानो बदन मे सैकड़ों सूइयां चूभोइ जा रही हों. मैं फफक कर रो पड़ी. मगर उस वक़्त मेरे आँसू पोंछने वाला कोई नही था.



कुच्छ देर बाद मैने अपने आँखों को पोंच्छ कर कमरे मे इधर उधर अपनी नज़रें दौड़ाई. मेरे पति अपनी कुर्सी पर निढाल पड़े थे उनके चेहरे मे दुनिया भर का दर्द सिमटा हुया था. हो भी क्यों नही अपनी बीवी को अपने सामने इतनी बुरी तरह लूटे जाते देख कर भी कुच्छ नही कर सके. उनकी आँखें दर्द और थकान से लाल हो रही थी.



पास मे मेरे ससुर पड़े थे उनके बदन मे कोई हरकत नही थी. उनकी आँखें पथरा गयी थी. उनका मुँह खुला हुआ था. मैं तो उनकी हालत देख कर घबरा गयी थी. सासू जी पास की कुर्सी पर गहरी नींद मे डूबी हुई थी. मैं किसी तरह उठी. ऐसा करते वक़्त दो बार तो लड़खड़ा कर गिर गयी.



मैने सबसे पहले अपनी नग्नता को छिपाने के लिए जैसे तैसे एक गाउन अपने बदन पर डाला फिर जाकर अपने पति के बंधन खोले. रतन लगभग झपट्ता हुआ अपने पिताजी के पास पहुँचा और उनके बंधन खोल दिए लेकिन वो कुर्सी से लुढ़क पड़े. उनकी साँसे टूट चुकी थी. मैने मम्मी के बंधन खोल दिए. हमने हिला दूला कर ससुर जी को उठाने की कोशिश की मगर उनका सदमे मे देहांत हो चुक्का था. घर मे रोना पीटना मच गया. सासू जी पच्छाद खा कर गिरी तो फिर नही उठी. अपने पति के साथ वो भी हमे छ्चोड़ गयी.


Post Reply