गाँव का राजा

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: गाँव का राजा

Unread post by 007 » 09 Nov 2014 14:07

गाँव का राजा पार्ट -7 लेकर हाजिर हूँ दोस्तो कहानी कैसी है ये तो आप ही बताएँगे
आठ बजने पर बिस्तर छोड़ा और भाग कर बाथरूम में गई कमोड पर जब बैठी और चूत से पेशाब की धारा निकलने लगी तो रात की बात फिर से याद आ गई और चेहरा शर्म और मज़े की लाली से भर गया. अपनी चुदी चूत को देखते हुए उनके चेहरे पर मुस्कान खेल गई कि कैसे रात में राजू के मुँह पर उन्होने अपनी चूत को रगड़ा था और कैसे लौडे को तडपा तडपा कर अपनी चूत की चटनी चटाई थी. नहा धो कर फ्रेश हो कर निकलते निकलते 9 बज गये, जल्दी से राजू को उठाने उसके कमरे में गई तो देखा लौंडा बेसूध होकर सो रहा है. थोड़ा सा पानी उसके चेहरे पर डाल दिया. राजू एक दम से हर्बाड़ा उठ ता हुआ बोला "पेस्सशाब….मत…..". आँखे खोली तो सामने मामी खड़ी थी. वो समझ गई कि राजू शायद रात की बातो को सपने में देख रहा था और पानी गिरने पर उसे लगा शायद मामी ने उसके मुँह मैं पिशाबफिर से कर दिया. राजू आँखे फाडे उर्मिला देवी को देख रहा था.


"अब उठ भी जाओ ….9 बज गये अभी रात के ख्वाबो में डूबे हो के"…..फिर उसके शॉर्ट्स के उपर से लंड पर एक थपकी मारती हुई बोली "चल जल्दी से फ्रेश हो जा"

उर्मिला देवी किचन में नाश्ता तैयार कर रही थी. बाथरूम से राजू अभी भी नही निकला था.


"आरे जल्दी कर…..नाश्ता तैय्यार है…….इतनी देर क्यों लगा रहा है बेटा…"

ये मामी भी अजीब है. अभी बेटा और रात में क्या मस्त छिनाल बनी हुई थी. पर जो भी हो बड़ा मज़ा आया था. नाश्ते के बाद एक बार चुदाई करूँगा तब कही जाउन्गा. ऐसा सोच कर राजू बाथरूम से बाहर आया तो देखा मामी डाइनिंग टेबल पर बैठ चुकी थी. राजू भी जल्दी से बैठ गया नाश्ता करने लगा. कुच्छ देर बाद उसे लगा जैसे उसके शॉर्ट्स पर ठीक लंड के उपर कुच्छ हरकत हुई. उसने मामी की ओर देखा, उर्मिला देवी हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी. नीचे देखा तो मामी अपने पैरो के तलवे से उसके लंड को छेड रही थी. राजू भी हँस पड़ा और उसने मामी के कोमल पैर अपने हाथो से पकड़ कर उनके तलवे ठीक अपने लंड के उपर रख दोनो जाँघो के बीच जाकड लिया. दोनो मामी भानजे हँस पड़े. राजू ने जल्दी जल्दी ब्रेड के टुकड़ो को मुँह में ठुसा और हाथो से मामी के तलवे को सहलाते हुए धीरे धीरे उनकी साड़ी को घुटनो तक उपर कर दिया. राजू का लंड फनफना गया था. उर्मिला देवी लंड को तलवे से हल्के हल्के दबा रही. राजू ने अपने आप को कुर्सी पर अड्जस्ट कर अपने हाथो को लंबा कर साड़ी के अंदर और आगे की तरफ घुसा कर जाँघो को छुते हुए सहलाने की कोशिश की. उर्मिला देवी ने हस्ते हुए कहा "उईइ क्या कर रहा….कहा हाथ ले जा रहा है……"


"कोशिश कर रहा हू कम से कम उसको छु लू जिसको कल रात आपने बहुत तडपाया था छुने के लिए…."

"अच्छा बहुत बोल रहा है…..रात में तो मामी..मामी कर रहा था"

" कल रात में तो आप एकदम अलग तरह से बिहेव कर रही थी"

"शैतान तेरे कहने का क्या मतलब कल रात तेरी मामी नही थी तब"

"नही मामी तो आप मेरी सदा रहोगी तब भी अब भी मगर…."

"तो रात वाली मामी अच्छी थी या अभी वाली मामी…"

"मुझे तो दोनो अच्छी लगती है…पर अभी ज़रा रात वाली मामी की याद आ रही है" कहते हुए राजू कुर्सी सेनीचे खिसक गया और जब तक उर्मिला देवी "रुक क्या कर रहा है" कहते हुए रोक पाती वो डिनाइनिंग टेबल के नीचे घुस चुका था और उर्मिला देवी के तलवो और पिंदलियो कोचाटने लगा था. उर्मिला देवी के मुँह सिसकारी निकल गई वो भी सुबह से गरम हो चुकी थी.

"ओये……क्या कर रहा है….नाश्ता तो कर लेने दे….."

"पुच्च पुच्च….ओह तुम नाश्ता करो मामी……मुझे अपना नाश्ता कर लेने दो"

"उफ़फ्फ़……मुझे बाज़ार जाना है अभीईइ छोड़ दे…..बाद मीएइन्न……." उर्मिला देवी की आवाज़ उनके गले में ही रह गई. राजू अब तक साड़ी को जाँघो से उपर तक उठा कर उनके बीच घुस चुक्का था. मामी ने आज लाल रंग की पॅंटी पहन रखी थी. नहाने कारण उक्नकि स्किन चमकीली और मक्खन के जैसी गोरी लग रही थी और भीनी भीनी सुगंध आ रही थी. राजू गदराई गोरी जाँघो पर पप्पी लेता हुआ आगे बढ़ा और पॅंटी उपर एक जोरदार चुम्मि ली. उर्मिला देवी ने मुँह से "आउच….इसस्स क्या कर रहा है" निकला.


"ममीईइ…मुझे भी टुशण जाना है……पर अभी तो तुम्हारा फ्रूट जूस पी कर हीईइ…." कहते हुए राजू ने पूरी चूत को पॅंटी के उपर से अपने मुँह भर कर ज़ोर से चूसा.


"इसस्सस्स…….एक ही दिन में ही उस्ताद…बन गया हॅयियी….चूत का पानी फ्रूट जूस लगता हाईईईईईईईई……..उफफफ्फ़ पॅंटी मत उतर्ररर……" मगर राजू कहा मान ने वाला था. उसके दिल का डर तो कल रात में ही भाग गया था. जब वो उर्मिला देवी के बैठे रहने के कारण पॅंटी उतारने में असफल रहा तो उसने दोनो जाँघो को फैला कर चूत को ढकने वाली पट्टी के किनारे को पकड़ कर खींचा और चूत नंगी कर उस पर अपना मुँह लगा दिया.

007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: गाँव का राजा

Unread post by 007 » 09 Nov 2014 14:08

झांतो से आती भीनी-भीनी खुसबु को अपनी सांसोमैं भरता हुआ जीभ निकाल चूत के भग्नासे को भूखे भेड़िए की तरह काटने लगा. फिर तो उर्मिला देवी ने भी हथियार डाल दिए और सुबह-सुबह ब्रेकफास्ट में चूत चुसाइ का मज़ा लेने लगी. उनके मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगी. कब उन्होने कुर्सी पर से अपनी गांद उठाई, कब पॅंटी निकाली और कब उनकी जंघे फैल गई इसका उन्हे पता भी ना चला. उन्हे तो बस इतना पता था उनकी फैली हुई चूत के मोटे मोटे होंठो के बीच राजू की जीभ घुस कर उनके चूत की चुदाई कर रही थी और उनके दूनो हाथ उसके सिर के बालो में घूम रहे थे और उसके सिर को जितना हो सके अपनी चूत पर दबा रहे थे. थोरी देर की चुसाइ चटाई में ही उर्मिला देवी पस्त होकर झार गई और आँख मुन्दे वही कुर्सी पर बैठी रही. राजू भी चूत के पानी को पी अपने होंठो पर जीभ फेरता जब डाइनिंग टेबल के नीचे से बाहर निकला तब उर्मिला देवी उसको देख मुस्कुरा दी और खुद ही अपना हाथ बढ़ा उसके शॉर्ट्स को सरका कर घुटनो तक कर दिया.

"सुबह सुबह तूने….ये क्या कर दिया …" कहते हुए उसके लंड पर मूठ लगाने लगी.

"ओह मामी मूठ मत लगाओ ना….चलो बेडरूम में डालूँगा."

"नही कपड़े खराब हो जाएँगे…चूस कर निकाल….." और गप से लंड के सुपरे को अपने गुलाबी होंठो के बीच दबोच लिया. होंठो को आगे पिछे करते हुए लंड को चूसने लगी. राजू मामी के सिर को अपने हाथो से पकड़ हल्के हल्के कमर को आगे पिछे करने लगा. तभी उसके दिमाग़ में आया की क्यों ना पिछे से लंड डाला जाए कपड़े भी खराब नही होंगे.

"मामी पिछे से डालु….कपड़े खराब नही होंगे.."

लंड पर से अपने होंठो को हटा उसके लंड को मुठियाते हुए बोली "नही बहुत टाइम लग जाएगा…रात में पिछे से डालना" राजू ने उर्मिला देवी के कंधो को पकड़ कर उठाते हुए कहा "प्लीज़ मामी……उठो ना चलो उठो….."

"अर्रे नही बाबा…….मुझे मार्केट भी जाना है…..ऐसे ही देर हो गई है…."

"ज़यादा देर नही लगेगी बस दो मिनिट…."

"अर्रे नही तू छोड़ दे मेरा काम तो वैसे भी हो….."

"क्या मामी……..थोड़ा तो रहम करो…..हर समय क्यों तड़पाती हो…"

"तू मानेगा नही….."

"ना, बस दो मिनिट दे दो……."

"ठीक है दो मिनिट में नही निकला तो खुद अपने हाथ से करना…..मैं ना रुकने वाली"

उर्मिला देवी उठ कर डाइनिंग टेबल के सहारे अपने चूतरो को उभार कर घोड़ी बन गई. राजू पिछे आया और जल्दी से उसने मामी की सारी को उठा कर कमर पर कर दिया. पॅंटी तो पहले ही खुल चुकी थी. उर्मिला देवी की मक्खन मलाई सी चमचमाती गोरी गांद राजू की आँखो के सामने आ गई. उसके होश फाख्ता हो गये. ऐसे खूबसूरत चूतर तो सायद उन अँग्रेजानो की भी नही थे जिनको उसने अँग्रेज़ी फ़िल्मो में देखा था. उर्मिला देवी अपने चूतरो को हिलाते हुए बोली "क्या कर रहा है जल्दी कर देर हो रही है….". चूतर हिलने पर थल थाला गये. एक दम गुदाज और मांसल चूतर और उनके बीच खाई. राजू का लंड फुफ्कार उठा.

"मामी…..आपने रात में अपना ये तो दिखाया ही नही……अफ कितना सुंदर है मामी….

"जो भी देखना है रात में देखना पहली रात में क्या तुझ से गांद भी………तुझे जो करना है जल्दी कार्ररर……


ओह सीईई मामी मैं हमेशा सोचता था आप का पिच्छवाड़ा कैसा होगा. जब आप चलती थी और आपके दोनो चूतर जब हिलते थे तो दिल करता था कि उनमे अपने मुँह को घुसा कर रगड़ दू……..उफफफफ्फ़"

"ओह हूऊऊऊ……..जल्दी कर ना"….कह कर चूतरो को फिर से हिलाया.

"चूतर पर एक चुम्मा ले लू….."


"ओह हो एक दम कमीना है तू…….जो भी करना है जल्दी कर नही तो मैं जा रही हू…"

राजू तेज़ी के साथ नीचे झुका और पुच पुच करते हुए चूतरो को चूमने लगा. दोनो मांसल चूतरो को अपनी मुट्ठी में ले कर मसल्ते हुए चूमते हुए चाटने लगा. उर्मिला देवी का बदन भी सिहर उठा. बिना कुच्छ बोले उन्होने अपनी टाँगे और फैला दी. राजू ने दोनो चूतरो को फैला दिया और उसके बीच की खाई में भूरे रंग की मामी की गोल सिकुड़ी हुई गांद का छेद नज़र आ गया. दोनो चूतरो के बीच की खाई में जैसे ही राजू ने हल्के से अपनी जीभ चलाई. उर्मिला देवी के पैर कांप उठे. उसने कभी सोचा भी नही था की उसका ये भांजा इतनी जल्दी तरक्की करेगा. राजू ने देखा की चूतरो के बीच जीभ फ़िराने से गांद का छेद अपने आप हल्के हल्के फैलने और सिकुड़ने लगा और मामी के पैर हल्के-हल्के थर-थारा रहे थे.

"ओह मामी आपकी गांद कितनी…….उफफफफफफ्फ़ कैसी खुसबु है…प्यूच"

007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: गाँव का राजा

Unread post by 007 » 09 Nov 2014 14:09


इस बार उसने जीभ को पूरी खाई में उपर से नीचे तक चलाया और गांद के सिकुदे हुए छेद के पास ला कर जीभ को रोक दिया और कुरेदने लगा. उर्मिला देवी के पूरे बदन में सनसनी दौड़ गई. उसने कभी सपने में भी नही सोचा था की घर में बैठे बिठाए उसकी गांद चाटने वाला मिल जाएगा. मारे उत्तेजना के उसके मुँह से आवाज़ नही निकल रही थी. गु गु की आवाज़ करते हुए अपने एक हाथ को पिछे ले जा कर अपना चूतरो को खींच कर फैलाया. राजू समझ गया था कि मामी को मज़ा आ रहा है और अब समय की कोई चिंता नही. उसने गांद के छेद के ठीक पास में दोनो तरफ अपने दोनो अंगूठे लगाए और छेद को चौड़ा कर जीभ नुकीली कर पेल दी. गांद की छेद में जीभ चलाते हुए चूतरो पर हल्के हल्के दाँत भी गढ़ा देता था. गांद की गुदगुदी ने मामी को एकद्ूम बेहाल कर दिया था. उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी "ओह राजू क्या कर रहा है…..बेटा…..उफफफफफफफ्फ़……मुझे तो लगता था तुझे कुच्छ भी नही…..पगले सस्स्स्स्सीईए उफफफफफफ्फ़ गान्ड चाटता रह हाईईईईईईई…….मेरी तो समझ में नहियीईई………". समझ में तो राजू की भी कुच्छ नही आ रहा था मगर गांद पर चुम्मिया काट ते हुए बोला

"पुच्च पुच्च…मामी सीईए….मेरा दिल तो आपके हर अंग को चूमने और चाटने को करता है…..आप इतनी खूबसूरत हो…मुझे नही पता गांद चाटी जाती है या नहीइ…हो सकता है नही चाती जाती होगी मगर…..मैं नही रुक सकता…..मैं तो इसको चुमूंगा और चाट कर खा जाउन्गा जैसे आपकी चूत….."

"सीईई…..एक दिन में ही तू कहा से कहा पहुच गया…..उफफफ्फ़ तुझे अपनी मामी की गांद इतनी पसंद है तो चाट….चूम……उफफफफफ्फ़ सीईई राजू बेटा……बात मत कर…मैं सब समझती हू…….तू जो भी करना चाहता है करता रह…..कुत्तीई…गांद में ऐसे ही जीभ पेल कर चातत्तटटटटटतत्त."

राजू समझ गया कि रात वाली छिनाल मामी फिर से वापस आ गई है. वो एक पल को रुक गया अपनी जीभ को आराम देने के लिए मगर उर्मिला देवी को देरी बर्दाश्त नही हुई. पीछे पलट कर राजू के सिर को दबाती हुई बोली "अफ रुक मत…….जल्दी जल्दी चाट.." मगर राजू भी उसको तड़पाना चाहता था. उर्मिला देवी पिछे घूमी और राजू को उसके टी-शर्ट के कॉलर से पकड़ कर खींचती हुई डाइनिंग टेबल पर पटक दिया. उसके नथुने फूल रहे थे, चेहरा लाल हो गया था. राजू को गर्दन के पास से पकड़ उसके होंठो को अपने होंठो से सटा खूब ज़ोर से चुम्मा लिया. इतनी ज़ोर से जैसे उसके होंठो को काट खाना चाहती हो और फिर उसकी गाल पर दाँत गढ़ा कर काट लिया. राजू ने भी मामी के गालो को अपने दांतो से काट लिया. "अफ कामीने निशान पर जाएगा…..रुकता क्यों है….जल्दी कर नही तो बहुत गाली सुनेगा….और रात के जैसा चोद दूँगी" राजू उठ कर बैठता हुआ बोला "जितनी गालियाँ देनी है दे दो…." और चूतर पर कस कर दाँत गढ़ा कर काट लिया.


"उफफफफ्फ़….हरामी गाली सुन ने में मज़ा आता है तुझे…….."

राजू कुच्छ नही बोला, गांद की चुम्मियाँ लेता रहा "…आ ह पुछ पुच्छ." उर्मिला देवी समझ गई की इस कम उमर में ही छोकरा रसिया बन गया है.

चूत के भज्नाशे को अपनी उंगली रगड़ कर दो उंगलियों को कच से चूत में पेल दिया चूत एक दम पासीज कर पानी छोड़ रही थी. चूत के पानी को उंगलियों में ले कर पिछे मुड़ कर राजू के मुँह के पास ले गई जो की गांद चाटने में मसगूल था और अपनी गांद और उसके मुँह के बीच उंगली घुसा कर पानी को रगड़ दिया. कुच्छ पानी गांद पर लगा कुच्छ राजू के मुँह पर.

"देख कितना पानी छ्चोड़ रही है चूत अब जल्दी कार्रर्र्र्ररर …."

पानी छोड़ती चूत का इलाज़ राजू ने अपना मुँह चूत पर लगा कर किया. चूत में जीभ पेल कर चारो तरफ घूमाते हुए चाटने लगा.

"ये क्या कर रहा है सुअर्रर…….खाली चाट ता ही रहेगा क्या… मदर्चोद.उफ़फ्फ़ चाट गांद चूत सब चाट लीईए……..भोसड़ी के……..लंड तो तेरा सुख गया है नाआअ…..हरामी….गांद खा के पेट भर और चूत का पानी पीईए ……..ऐसे ही फिर से झार गई तो हाथ में लंड ले के घुम्नाआ……"

अब राजू से भी नही रहा जा रहा था जल्दी से उठ कर लंड को चूत के पनियाए छेद पर लगा ढ़ाचक से घुसेड दिया. उर्मिला देवी का बॅलेन्स बिगड़ गया और टेबल पर ही गिर पड़ी, चिल्लाते हुए बोली "हराम्जादे बोल नही सकता था क्या……..तेरी मा की चूत में घोड़े का लंड……गांदमरे…..आराम सीईई"

पर राजू ने संभालने का मौका नही दिया. ढ़ाचा ढ़च लंड पेलता रहा. पानी से सारॉबार चूत ने कोई रुकावट नही पैदा की. दोनो चूतरो के मोटे मोटे माँस को पकड़े हुए गाप-गप लंड डाल कर उर्मिला देवी को अपने धक्को की रफ़्तार से पूरा हिला दिया था उसने. उर्मिला देवी मज़े से सिसकारिया लेते हुए चूत में गांद उचका उचका कर लंड लील रही थी. फ़च फच की आवाज़ एक बार फिर गूँज उठी थी. जाँघ से जाँघ और चूतर टकराने से पटक-पटक की आवाज़ भी निकल रही. दोनो के पैर उत्तेजना के मारे कांप रहे थे.

"पेलता रह….और ज़ोर से माआआअरर…बेटा मार…..फाड़ दे चूत….मामी को बहुत मज़ा दे रहा हाईईईई……..ओह चोद……देख री मेरी ननद तूने कैसा लाल पैदा किया है……तेरे भाई का काम कर रहा है…आईईईईईईईई..फ़ाआआआद दियाआआआअ सल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लीई ने"

"ओह मामी आअज्जजज्ज आपकी चूत….सीईईईईईईईई…मन कर रहा इसी में लंड डाले….ओह…..सीईईई मेरे मामा की लुगाई…….सीईइ बस ऐसे ही हमेशा मेरा लंड लेती….."

"हाई चोद…..बहुत मज़ा……सेईईईईईई गांड्चतु….. तू ने तो मेरी जवानी पर जादू कर दिया..."

"हाई मामी ऐसे ही गांद हिला-हिला के लॉडा लो……..सीईईईईई, जादू तो तुमने किया हाईईईई....अहसान किया है…..इतनी हसीन चूत मेरे लंड के हवाले करके…..पक पाक….लो मामी…ऐसे ही गांद नचा-नचा के मेरा लंड अपनी चूत में दबोचो…….सीईईईईईई"

"....रंडी की औलाद ....अपनी मा को चोद रहा है कि मामी को....ज़ोर लगा के चोद ना भोसड़ी के……..देख..देख तेरा लंड गया तेरी मा की चूत में... डाल साला…पेल साले ....पेल अपनी मा की चूत में.....रंडी बना दे मुझे....चोद अपनी मामी की चूत....रंडी की औलाद..... साला .....मादर्चोद".... .फ़च.... फ़च....फ़च... और एक झटके के साथ उर्मिला देवी का बदन अकड़ गया.."ओह ओह सीईए गई मैं गई करती हुई डाइनिंग टेबल पर सिर रख दिया.

झरती हुई चूत ने जैसे ही राजू के लंड को दबोचा उसके लंड ने भी पिचकारी छोड़ दी फॅक फॅक करता हुआ लंड का पानी चूत के पसीने से मिल गया. दोनो पसीने से तर बतर हो चुके थे. राजू उर्मिला देवी की पीठ पर निढाल हो कर पड़ गया था. दोनो गहरी गहरी साँसे ले रहे थे. जबरदस्त चुदाई के कारण दोनो के पैर काप रहे थे. एक दूसरे का भार संभालने में असमर्थ. धीरे से राजू मामी की पीठ पर से उतर गया और उर्मिला देवी ने अपनी साड़ी नीचे की और साड़ी के पल्लू से पसीना पोछती हुई सीधी खड़ी हो गई. वो अभी भी हाँफ रही थी. राजू पास में परे टवल से लंड पोछ रहा था. राजू के गालो को चुटकी में भर मसलते हुए बोली


"कामीने…..अब संतुष्टि मिल गई…..पूरा टाइम खराब कर दिया और कपड़े भी…"

"पर मामी मज़ा भी तो आया…सुबह सुबह कभी मामा के साथ ऐसे मज़ा लिया…" मामी को बाँहो में भर लिपट ते हुए राजू बोला. उर्मिला देवी ने उसको परे धकेला "चल हट ज़यादा लाड़ मत दिखा तेरे मामा अच्छे आदमी है. मैं पहले आराम करूँगी फिर मार्केट जाउन्गी और खबरदार जो मेरे कमरे में आया तो, तुझे टुशण जाना होगा तो चले जाना.."



Post Reply