मौसी ने मेरी चुदासी बुझाने की बिलकुल कोशिश नहीं की और मुझे कहने लगी कि दोपहर तक सब्र करूँ मैं उसकी घनी ज़ुल्फों में पीछे से मुँह छुपाकर बोला "मौसी, दोपहर को तो ललिता आ जाएगी, फिर क्या करेंगे?"
वह शैतानी से बोली कि ललिता आएगी इसीलिए तो रुकना है मैं कुछ कुछ समझा और बड़ी मुश्किल से मैंने अपनी उत्तेजना दबाई खाना खाकर मौसी ने पानी पिया और फिर मेरी प्यास बुझाने को मुझे बाथरूम में ले गयी, जहाँ उसने मन लगाकर मेरे मुँह में मूता बाहर आकर एक दूसरे के शरीर से खेलते हुए हम फिर ललिता का इंतजार करने लगे
घंटी बाजी और मौसी ने बड़ी अधीरता से दरवाजा खोला ललिता पान चबाती हुई अंदर आई उसने एक नीली साड़ी और चोली पहन रखी थी साड़ी उसने घुटनों के उपर बाँध रखी थी जैसे अक्सर काम करते समय नौकरानियाँ करती हैं; इससे उसकी चिकनी गठी पिंडलियाँ सॉफ दिख रही थीं
मौसी ने दरवाजा लगाकर अंदर से सिटकनी लगाई और फिर वापस आकर सोफे पर बैठते हुई अधीर होकर पूछा "ललिता, पान लाई है ना? भूली तो नहीं? ला जल्दी मुझे दे"
शन्नो ने हँसकर सिर दुलाकर हाँ कहा और पान चबाती रही उसके होंठ पान के रस से लाल हो गये थे और पान की सौंधी खुशबू पूरे कमरे में फैल गयी थी मेरी ओर उसने देखा और फिर मौसी की ओर देखकर आँखों आँखों में कुछ पूछा मौसी मुस्करा दी और ललिता समझ गयी कि मेरे वहाँ होने की वह परवाह ना करे, ऐसा मौसी कह रही है
मुझे अब तक उसके हाथ में कुछ भी नहीं दिख रहा था इसलिए मैं यह सोच रहा था कि उसने मौसी का पान कहाँ रखा है मुझे लगा कि पुडिया शायद उसने अपनी साड़ी में खोस रखी होगी पर अगले ही पल मुझे समझ में आ गया कि वह रसिया नौकरानी अपनी मालकिन के लिए पान कैसे लाई है
ललिता चल कर मौसी के पास आई और अपनी बाँहें मौसी के गले में डालकर उसने अपने लाल लाल होंठ मौसी के होंठों पर रख दिए मौसी ने भी उसकी कमर में बाँहें डालकर उसे पास खींच लिया और दोनों एक गहरे चुंबन में बँध गयीं मौसी ने अपना मुँह खोला और चूमने चूमने में ही ललिता ने अपने मुँह का चबाया हुआ पान और रस मौसी के मुँह में दे दिया
मौसी ने उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और एक दूसरे का मुँह चूसती हुई वे आपस में लिपट कर बेतहाशा चूमा चाटी करने लगीं आख़िर जब उनका चुंबन बंद हुआ तो मैंने देखा कि मौसी के होंठ भी अब लाल हो गये थे दोनों औरतें एक दूसरे की आँखों में बड़ी वासना से झाँक रही थीं
मौसी का गुलाम compleet
Re: मौसी का गुलाम
"क्यों दीदी, पान कैसा है?" ललिता ने लडिया कर पूछा मौसी ने पान चबाते हुए ललिता का सिर अपने हाथों में पकडकर कहा "तेरे मुँह का स्वाद भरा है तो मस्त ही होगा मेरी चुदैल बाई"
अब दोनों औरतें वासना से फनफनाकर एक दूसरे से लिपटकर चुम्मा चाटी करती हुई एक दूसरे के कपड़े उतारने लगीं ललिता पहले नंगी हो गयी क्योंकि उसने सिर्फ़ साड़ी चोली पहनी थी मौसी को नंगा होने में कुछ समय लग गया क्योंकि वह साड़ी, ब्लओज़, पेटीकोट, ब्रेसियार और पैंटी, सारे वस्त्र पहने हुए थी ललिता अब तैश में थी और मौसी के कपड़े खींचती हुई थोड़ी चिढ कर बोल पडी "क्या दीदी, तरसाती क्यों हो? पहले ही कपड़े निकालकर तैयार रहना था हमेशा की तरह"
"लेट आने की और मुझे इतने दिन तडपाने की सज़ा दे रही हूँ तुझे हरामज़ादी" मौसी ने भी खुलकर गाली दी मादरजात नंगी होकर दोनों औरतें अब एक दूसरे को चिपटकर सोफे पर गिरकर बेतहाशा एक दूसरे को चूमते हुए एक दूसरे के बदन को वासना से नोंचने लगीं बड़ा मादक सीन था, मौसी की गोरी चिकनी भरी हुई मांसल काया और ललिता का काला सांवला गठा हुआ छरहरा देसी बदन आपस में लिपटे हुए गजब ढा रहे थे
"ललिता, पहले मेरी चुनमूनियाँ चूस, सुबह से गीली है, चल जल्दी कर, चुनमूनियाँ का पानी पी ले फटाफट" कहते हुए मौसी ने ललिता को अपने सामने ज़मीन पर अपनी फैली टाँगों के बीच बिठा लिया ललिता ने झपटकर मौसी की चुनमूनियाँ में सिर छुपा लिया और चूसने लगी उसका सिर मौसी की जांघों में उपर नीचे होने लगा वह मौसी की पूरी चुनमूनियाँ उपर से नीचे तक चाट रही थी
मौसी ने उसका सिर अपनी झांतों में दबा लिया और उसे पकडकर अपने नितंब आगे पीछे करते हुए धक्के लगाने लगी "साली हरामी, ठीक से चूस, जीभ घुसेड अंदर तक, और ज़रा मेरे बटन को गुदगुदा उसपर जीभ रगड"
दो ही मिनिट में शन्नो मौसी ऐसी झडी कि एक चीख के साथ सोफे में ढेर हो गई"हाइईईईईईईईईईई रीईईईईईईईईईईई झड गयी रेईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई &, मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी रे कितने दिन के बाद तेरी जीभ से चुदवाने का मज़ा आया ललिता रानी, साली चुदैल, अब तूने चूस ली तो देख क्या करती हूँ!" ललिता ने स्वाद ले लेकर मौसी की चुनमूनियाँ से पूरा रस चाट चाट कर सॉफ कर दिया
क्रमशः……………………
अब दोनों औरतें वासना से फनफनाकर एक दूसरे से लिपटकर चुम्मा चाटी करती हुई एक दूसरे के कपड़े उतारने लगीं ललिता पहले नंगी हो गयी क्योंकि उसने सिर्फ़ साड़ी चोली पहनी थी मौसी को नंगा होने में कुछ समय लग गया क्योंकि वह साड़ी, ब्लओज़, पेटीकोट, ब्रेसियार और पैंटी, सारे वस्त्र पहने हुए थी ललिता अब तैश में थी और मौसी के कपड़े खींचती हुई थोड़ी चिढ कर बोल पडी "क्या दीदी, तरसाती क्यों हो? पहले ही कपड़े निकालकर तैयार रहना था हमेशा की तरह"
"लेट आने की और मुझे इतने दिन तडपाने की सज़ा दे रही हूँ तुझे हरामज़ादी" मौसी ने भी खुलकर गाली दी मादरजात नंगी होकर दोनों औरतें अब एक दूसरे को चिपटकर सोफे पर गिरकर बेतहाशा एक दूसरे को चूमते हुए एक दूसरे के बदन को वासना से नोंचने लगीं बड़ा मादक सीन था, मौसी की गोरी चिकनी भरी हुई मांसल काया और ललिता का काला सांवला गठा हुआ छरहरा देसी बदन आपस में लिपटे हुए गजब ढा रहे थे
"ललिता, पहले मेरी चुनमूनियाँ चूस, सुबह से गीली है, चल जल्दी कर, चुनमूनियाँ का पानी पी ले फटाफट" कहते हुए मौसी ने ललिता को अपने सामने ज़मीन पर अपनी फैली टाँगों के बीच बिठा लिया ललिता ने झपटकर मौसी की चुनमूनियाँ में सिर छुपा लिया और चूसने लगी उसका सिर मौसी की जांघों में उपर नीचे होने लगा वह मौसी की पूरी चुनमूनियाँ उपर से नीचे तक चाट रही थी
मौसी ने उसका सिर अपनी झांतों में दबा लिया और उसे पकडकर अपने नितंब आगे पीछे करते हुए धक्के लगाने लगी "साली हरामी, ठीक से चूस, जीभ घुसेड अंदर तक, और ज़रा मेरे बटन को गुदगुदा उसपर जीभ रगड"
दो ही मिनिट में शन्नो मौसी ऐसी झडी कि एक चीख के साथ सोफे में ढेर हो गई"हाइईईईईईईईईईई रीईईईईईईईईईईई झड गयी रेईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई &, मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी रे कितने दिन के बाद तेरी जीभ से चुदवाने का मज़ा आया ललिता रानी, साली चुदैल, अब तूने चूस ली तो देख क्या करती हूँ!" ललिता ने स्वाद ले लेकर मौसी की चुनमूनियाँ से पूरा रस चाट चाट कर सॉफ कर दिया
क्रमशः……………………
Re: मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---17
गतान्क से आगे………………………….
अब मौसी की बारी थी अपनी नौकरानी का देसी रस पीने की पर उसने मेरी ओर निगाह डाली तो देखा कि मैं लंड हाथ में लेकर मुठ्ठ मार रहा हूँ असल में दो औरतों की इस नंगी कामक्रीडा ने और ख़ास कर गंदे गंदे शब्दों में एक दूसरे को गाली देते हुए भोगने के इस नये तरीके को देखकर मैं पागल सा हो गया था सोच भी नहीं सकता था कि मेरी मौसी ऐसे शब्दों का प्रयोग खुल कर अपनी नौकरानी के साथ संभोग करते हुए करेगी
मौसी मुझे हस्तमैथुन करते हुए देखकर चिल्लाई "अरे ललिता, यह बदमाश लडका तो मुठ्ठ मार रहा है ऐसा नहीं चलेगा राजा, चल ललिता इसे बाँध देते हैं और गरम होने दे इस नालायक को, फिर मज़ा लेंगे" और फिर हँसते हुए दोनों ने मिलकर मेरी मुश्कें बाँध कर मुझे एक नीची बेंच पर लिटा दिया मैं गिडगिडाता रहा गया पर मेरी उन्होंने एक ना सुनी
"इसका लंड तन्ना कर अपने लिए तैयार रहेगा अब दीदी पर कुछ भी कहो, बड़ा लंबा हाथ मारा है दीदी आपने इतना चिकना और ज़रा सा छोकरा पटा लिया! और वह भी सग़ी बहन का लडका!" ललिता हँसते हुए मेरी गाँठें कसते हुए बोली
मौसी फिर ललिता का हाथ पकडकर उसकी आँखों में देखती हुई बोली "चल मेरी चुदैल रानी, अब मुझे तेरी रसीली चूत चूसने दे मुठ्ठ मार कर तो नहीं आई साली?" ललिता मौसी को प्रेम से चूमती हुई बोली "माँ कसम दीदी, एक हफ्ते से नहीं झडी, तुम्हारे लिए बचा कर रखा है अपनी चुनमूनियाँ का यह देसी माल हमें मालूम है आप कितना इसे पसंद करती हो"
ललिता ने बड़े प्यार से शन्नो मौसी को सोफे पर लिटाया फिर बहुत प्रेम से उसने मौसी का मुँह चूमा मौसी ने अपने कोमल गुलाबी होंठ खोले और जल्द ही वे अपनी जीभें लडाती हुए एक दूसरे के मुँह को भूखों की तरह चूसने लगी चुम्मा लेते हुए ललिता लगातार मौसी की चुचियाँ दबा रही थी और उसकी चुनमूनियाँ में उंगली कर रही थी
आख़िर झल्लाकर मौसी ने ज़ोर से ललिता के चुतडो पर एक चपत लगाई "चल, खेल मत, चुनमूनियाँ चुसवा अपनी" अपनी मालकिन की इस अधीरता पर खिलखिलाते हुए आख़िर ललिता उठ कर मौसी के सिर के दोनों ओर घुटने टेककर बैठ गई अपनी टपकती चुनमूनियाँ को मौसी के मुँह पर जमा कर उसने आगे झुककर सोफे का हैँडरेस्ट पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से मौसी के मुँह को चोदने लगी
मौसी चटखारे ले लेकर अपनी प्यारी नौकरानी की रसीली काली चुनमूनियाँ चूस रही थी अपने हाथ उसने ललिता के चुतडो के इर्द गिर्द डाले और उसे और पास अपने मुँह पर खींच लिया
गतान्क से आगे………………………….
अब मौसी की बारी थी अपनी नौकरानी का देसी रस पीने की पर उसने मेरी ओर निगाह डाली तो देखा कि मैं लंड हाथ में लेकर मुठ्ठ मार रहा हूँ असल में दो औरतों की इस नंगी कामक्रीडा ने और ख़ास कर गंदे गंदे शब्दों में एक दूसरे को गाली देते हुए भोगने के इस नये तरीके को देखकर मैं पागल सा हो गया था सोच भी नहीं सकता था कि मेरी मौसी ऐसे शब्दों का प्रयोग खुल कर अपनी नौकरानी के साथ संभोग करते हुए करेगी
मौसी मुझे हस्तमैथुन करते हुए देखकर चिल्लाई "अरे ललिता, यह बदमाश लडका तो मुठ्ठ मार रहा है ऐसा नहीं चलेगा राजा, चल ललिता इसे बाँध देते हैं और गरम होने दे इस नालायक को, फिर मज़ा लेंगे" और फिर हँसते हुए दोनों ने मिलकर मेरी मुश्कें बाँध कर मुझे एक नीची बेंच पर लिटा दिया मैं गिडगिडाता रहा गया पर मेरी उन्होंने एक ना सुनी
"इसका लंड तन्ना कर अपने लिए तैयार रहेगा अब दीदी पर कुछ भी कहो, बड़ा लंबा हाथ मारा है दीदी आपने इतना चिकना और ज़रा सा छोकरा पटा लिया! और वह भी सग़ी बहन का लडका!" ललिता हँसते हुए मेरी गाँठें कसते हुए बोली
मौसी फिर ललिता का हाथ पकडकर उसकी आँखों में देखती हुई बोली "चल मेरी चुदैल रानी, अब मुझे तेरी रसीली चूत चूसने दे मुठ्ठ मार कर तो नहीं आई साली?" ललिता मौसी को प्रेम से चूमती हुई बोली "माँ कसम दीदी, एक हफ्ते से नहीं झडी, तुम्हारे लिए बचा कर रखा है अपनी चुनमूनियाँ का यह देसी माल हमें मालूम है आप कितना इसे पसंद करती हो"
ललिता ने बड़े प्यार से शन्नो मौसी को सोफे पर लिटाया फिर बहुत प्रेम से उसने मौसी का मुँह चूमा मौसी ने अपने कोमल गुलाबी होंठ खोले और जल्द ही वे अपनी जीभें लडाती हुए एक दूसरे के मुँह को भूखों की तरह चूसने लगी चुम्मा लेते हुए ललिता लगातार मौसी की चुचियाँ दबा रही थी और उसकी चुनमूनियाँ में उंगली कर रही थी
आख़िर झल्लाकर मौसी ने ज़ोर से ललिता के चुतडो पर एक चपत लगाई "चल, खेल मत, चुनमूनियाँ चुसवा अपनी" अपनी मालकिन की इस अधीरता पर खिलखिलाते हुए आख़िर ललिता उठ कर मौसी के सिर के दोनों ओर घुटने टेककर बैठ गई अपनी टपकती चुनमूनियाँ को मौसी के मुँह पर जमा कर उसने आगे झुककर सोफे का हैँडरेस्ट पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से मौसी के मुँह को चोदने लगी
मौसी चटखारे ले लेकर अपनी प्यारी नौकरानी की रसीली काली चुनमूनियाँ चूस रही थी अपने हाथ उसने ललिता के चुतडो के इर्द गिर्द डाले और उसे और पास अपने मुँह पर खींच लिया