पंडित & शीला compleet

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The Romantic
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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 13:38

पंडित & शीला पार्ट--31

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गतांक से आगे ......................

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पंडित को जैसे उसकी बात पर विश्वास ही नहीं हो रहा था ..जिसे देखकर गिरधर ने झट से अपना मोबाइल निकाला और उन्हें माधवी की चुदाई का MMS दिखाने लगा ..


पंडित ने देखा की मूवी बनाते हुए अँधेरा काफी था, फिर भी गोर से देखने पर उन्हें पता चल गया की ये माधवी ही है जो दिवार के सहारे खड़ी होकर चुद रही है ..एक लम्बे और मोटे से लंड से ..उसके चेहरे का क्लोसअप देखकर पंडित जी को भी पता चल गया की वो पूरा मजा ले रही थी ..


गिरधर : "देखा पंडित जी ...कैसे रंडी की तरह मुंह बना कर चुदवा रही है ..साली पहले तो मना कर रही थी ..पर मुल्ला जी का लंड अन्दर जाते ही इसके तेवर ही बदल गए ..उसके बाद तो कुतिया ने एक शब्द भी नहीं निकाला मुंह से ..देखो कैसे अपनी चूत को अपने हाथों से फेला कर उसका लंड अन्दर डलवा रही है भेन की लोड़ी ...''


अपनी बीबी का विडियो देखकर वो फिर से उत्तेजित होने लगा और उसके मुंह से गालियाँ निकलने लगी ..


पंडित जी का भी तानपुरा अपने अकार में आकर मधुर संगीत बजाने लगा ..तभी पंडित जी की नजर माधवी को चोद रहे मुल्ला जी पर पड़ी ..और उनकी आँखे आश्चर्य से फेल कर चोडी हो गयी ..


पंडित : "अरे ....ये ...ये मुल्लाजी ..तुम्हे पता है ये कौन है ..''


गिरधर : "नहीं पंडित जी ..मुझे नहीं पता ..कह रहे थे की उनकी बीबी के मरने के बाद वो अक्सर अपनी प्यास रंडियों को चोदकर ही बुझाते हैं ..काफी समय से आ रहे हैं वो तो इस बाजार में ..माधवी को चोदकर वो बहुत खुश हुए थे ..और मुंह मांगे पैसे भी दिए थे ..मैंने तो बस उसे सबक सिखाने के रंडी बनाकर चुदवा डाला ..पर ये सब करने में और इतने पैसे मिलने से मजा भी बहुत आया ..और मुल्ला जी ने तो जाते हुए ये भी कहा की कभी भी दोबारा इसे चुदवाने की इच्छा हो तो उन्हें फोन कर दू ..उन्होंने अपना नंबर भी दिया है मुझे ..''


पंडित समझ गया की इरफ़ान अक्सर वहां जाया करता है ..और इत्तेफाक से गिरधर और माधवी उसे मिल गए और गिरधर ने माधवी का सौदा कर दिया ..गिरधर को तो पता नहीं था इरफ़ान के बारे में पर उसे इस तरह से सरेआम सड़क के बीचो बीच चुदाई करते देखकर, पंडित जी ने उसे पहचान लिया था ..


और उनके मन में एक योजना बननी भी शुरू हो गयी ..नूरी को उसके बाप इरफ़ान से चुदवाने के लिए ..


पर इसके लिए गिरधर की मदद की आवश्यकता थी ..


पंडित : "सुनो गिरधर ...तुम्हे मेरे लिए एक काम करना होगा ..''


गिरधर : "आप कहकर तो देखिये पंडित जी ..मैं आपके लिए तो कुछ भी कर सकता हु ..''


गिरधर ने उसे अपनी योजना समझाई ..जिसे सुनकर गिरधर भी हेरान रह गया ..

गिरधर को सारी बातें समझाने के बाद पंडित जी ने गिरधर से पूछा : "घर जाने के बाद माधवी ने कुछ शिकायत नहीं की तुमसे ..की क्यों उसे ऐसे सरेआम रंडी की तरह से चुदवा दिया ''


गिरधर (अपनी खींसे निपोरते हुए ) : "पंडित जी ...आप भी तो माधवी की चुदाई कर चुके है, उसे पहचाना नहीं अभी तक आपने ..साली की चूत में इतनी गर्मी है की घर जाकर मैंने खुले में चुदाई कर साली की तब जाकर बुझी उसके भौन्स्ड़े की आग ..''


पंडित उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया ..


गिरधर से रहा नहीं गया और उसने आगे बोलना शुरू किया : "अरे कल तो मेरा सबसे अच्छा दिन था पंडित जी ..पता है, जब मैं माधवी की चुदाई कर रहा था तो रितु अपने कमरे की खिड़की से सब देख रही थी ..और उसने तो अपने कपडे भी उतार डाले थे ..और हमारी चुदाई देखकर अपनी चूत मसल रही थी साली रंडी की औलाद ...''


अब पंडित जी के दोबारा से चोंकने की बारी थी ..


पंडित जी : "यानी ...तुमने देखा रितु को वो सब करते हुए ...और तुमने कुछ कहा नहीं ..''


गिरधर : "कहा न ..माधवी को अन्दर भेजने के बाद मैंने उसे वहीँ खिड़की में ही रंगे हाथों पकड़ लिया था ..और मजे भी लिए ..''


इतना कहकर उसने रितु के साथ का किस्सा भी नमक मिर्च लगा कर सुना दिया ..


पंडित : "हम्म ...यानी अब रितु की चुदाई भी जल्द होने वाली है ..''


गिरधर : "हाँ पंडित जी ..बस मुझे डर है तो माधवी का ..कहीं वो कोई पंगा ना कर दे ..लेकिन कोई न कोई जुगाड़ तो करना ही पड़ेगा ..आप ही कोई रास्ता सुझाइए ..''


गिरधर ने पंडित जी के सामने अपने हाथ जोड़ दिए ..


पंडित : "वो भी जुगाड़ कर लेंगे ...पर अभी तो ये मुल्ला जी वाला काम करवा दो तुम पहले मेरा ...और जब तक रितु की नहीं मिल पा रही तुम्हारे लिए मैं कोई और इंतजाम भी करवा दूंगा ..''


गिरधर के मुंह से लार टपकने लगी ..वो बोला : "मुझे आप की बात पर पूरा भरोसा है पंडित जी ..''


और एक बार फिर से पंडित जी ने उसे अपनी योजना समझाई और उसे जाने के लिए बोल दिया ..गिरधर के जाने के बाद पंडित जी ने खाना खाया और लेट गए ..


पर सोना तो पंडित जी की किस्मत ही नहीं था ..और न ही उनके लंड की किस्मत में ..


उनके लेटते ही दरवाजा खड़क गया उनके घर का ..


पंडित जी ने दरवाजा खोला और उनके सामने रितु खड़ी थी ..


मुस्कुराती हुई ..लहराती हुई ..पीले रंग के सूट में ..

उसका फूल सा खिला चेहरा देखकर पंडित जी की सारी थकान फुर्र्र से उड़ गयी ..उसके ऊपर पीले रंग का सूट काफी जच रहा था .


पंडित जी की आँखों में देखती हुई वो अन्दर आ गयी ..और पंडित जी ने भी दरवाजा बंद कर दिया और रितु के पीछे जाकर उसे अपनी बाजुओं से पकड़कर उसके सपाट पेट के ऊपर अपने हाथ रख दिए ..और अपना सर उसके कंधे पर .


पंडित जी : "उम्म्म्म ...आज बहुत महक रही हो ..''


पंडित जी ने उसके बालों को अपने चेहरे से रगड़ते हुए कहा .


वो कुछ बोली नहीं , बस मंद -2 मुस्कुराती रही . पंडित जी के चिपक जाने से उसकी सांस लेने की गति थोडा बड़ गयी थी ..इसलिए उसके ऊपर नीचे होते हुए मुम्मे पंडित जी को साफ़ दिखाई दे रहे थे .


पंडित : "क्या हुआ ...आज इतनी चुप क्यों हो ..''


रितु कुछ देर तक सोचती रही और फिर धीरे से बोली : "वो ...वो ..कल रात ...मैं ...मैंने ..''


वो घबरा रही थी ..और पंडित जी समझ गए की वो वही बात बताना चाहती है जो अभी -2 गिरधर बता कर गया है ..


पंडित : "मुझे पता है ..जो तुम कहना चाहती हो ..''


पंडित जी की बात सुनकर वो एकदम से चोंक गयी और पलटकर उनकी तरफ मुंह कर लिया और उनकी आँखों में देखकर बोली : "आप ...को कैसे ....''


पर पंडित जी की मुस्कराहट देखकर वो समझ गयी की पंडित जी ने अपने ''ज्ञान'' से वो सब जान लिया है ..


उसने नजरें झुका ली ..और अपने गुलाबी और फड़कते हुए होंठों से बोली : "आप नहीं जानते पंडित जी ..कल मैंने क्या फील लिया ..कल का दिन मेरी जिन्दगी का सबसे अच्छा दिन था ..आपको तो मैंने अपना शरीर और कोमार्य सौंप दिया है ..और आपकी वजह से ही मुझे शारीरिक सुख क्या होता है, ये पता चला ..पर कल रात जो हुआ ..वो एहसास कुछ अलग ही था ..मैंने आज तक ऐसा कभी भी महसूस नहीं किया ..आप तो सब जानते ही है ..जब ... जब पापा ने मुझे छुवा था न ...तो ...तो ..''


उसकी साँसे भारी होने लगी ...उसके मुंह से हवा निकलने की तेज आवाजें आने लगी ..


पंडित : "कहाँ छुआ था तुम्हारे पापा ने ..बोलो ''


रितु ने हिरन जैसी आँखे उठा कर पंडित जी को देखा ...उसकी आँखों में गुलाबी डोरे तेर रहे थे ..चेहरे पर अजीब सा गुलाबीपन आ चूका था ..उसने कांपते हाथों से पंडित जी के हाथ को पकड़ा और ऊपर उठा कर सीधा अपनी छाती पर रख दिया ...


''यहाँ ....यहाँ छुआ था उन्होंने ..ऐसा लगा था की मेरी जान ही निकल रही है ..अपनी उँगलियों में दबाकर जब उन्होंने मेरे निप्पलस को जोर से दबाया था तो ...तो ..''


वो थोड़ी देर के लिए रुकी ..एक दो गहरी साँसे ली और बोली "तो ऐसा लगा की मेरे दानों से निकल कर मेरी जान उनके पास जा रही है ..''


पंडित के हाथों में उसके निप्पल किसी शूल की तरह से चुभ रहे थे ..पंडित ने भी मौके का फायेदा उठा कर उन्हें दबा डाला ..


वो सिस्कार उठी ..और फिर रितु ने पंडित जी का हाथ थोडा नीचे सरकाकर अपनी नाभि पर रख दिया ..पंडित जी ने वहां भी अपनी कलाकारी दिखाई और अपनी ऊँगली उसकी नाभि में डाल कर घुमा डाली ..


''उम्म्म्म्म्म्म्म ......''


रितु की शराबी आँखे बंद सी होने लगी ..और फिर रितु ने थोडा दबाव डालकर पंडित जी को अपनी योनि के द्वार तक पहुंचा दिया ..और वहां पहुंचकर उनके हाथ को और जोर से अपनी सीनी-भीनी सी चूत पर रखकर दबा दिया ..


रितु की चूत को दबाने से उसके अन्दर से ऐसे पानी निकला जैसे पंडित जी ने कोई पानी से भीगा स्पोंज दबा दिया हो ..उसकी चूत से रिस रहा रस पंडित जी को अपनी हथेली पर भी महसूस हुआ ..थोडा बहुत निकलकर बाहर भी गिर गया ..उसकी पीली सलवार का आगे वाला हिस्सा गिला होकर पारदर्शी सा हो गया ..और उसके अन्दर उसकी सफ़ेद पेंटी साफ़ नजर आने लगी ..


''ओह्ह्ह्ह ....पंडित जी ....आपको मैं क्या बताऊँ ...पापा ने जब अपनी ऊँगली मेरे अन्दर डाली तो मैं वहीँ बेहोश सी होने लगी थी ..और उसके बाद जब उन्होंने मुझे वहां चूमा था ...तो ... तो ...''


वो बदहवास सी हो गयी ...उसे शायद वही मंजर फिर से याद आ गया जब गिरधर ने उसकी चूत को दशहरी आम की तरह से चूस कर उसका सारा रस पी लिया था ..


आवेश में आकर रितु ने पंडित जी के सर को किसी खिलोने की तरह से पकड़ा और धम्म से अपने होंठों से चिपका कर उन्हें चूसने लगी ..इतनी तेज उसने पकड़ा था की एक बार तो पंडित जी को लगा की वो उनका रेप कर रही है ..


''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह रितु ....उम्म्म्म्म्म ....थोडा धीरे ........''


पंडित जी ने किसी मुर्गे की तरह से छटपटाते हुए कहा ..


पर रितु को तो अब पंडित जी अपने पापा की तरह दिखाई दे रहे थे ..और वो भी बिना किसी खिड़की के अवरोध के ..


उसने झुककर पंडित जी की सफाचट छाती पर अपनी थूक से गीली जीभ रखी और उसे जोरों से चूसने और चाटने लगी ..

दुसरे हाथ से उसने झट से उनकी धोती को खोल कर नीचे गिरा दिया , अन्दर उन्होंने कुछ भी नहीं पहना हुआ था ..लगातार चुदाई की वजह से दिन ब दिन पंडित जी का लंड मोटा और सुन्दर होता जा रहा था ..उनके लंड की नसें साफ़ दिखाई दे रही थी ..पंडित जी ने रितु के सूट को पकड़कर ऊपर खींच लिया और उसने खुद अपनी ब्रा उतार कर पंडित जी के चरणों में अर्पित कर दी ..


रितु अब पंडित जी के लंड के सामने नतमस्तक होकर बैठी थी ..और उसकी सुन्दरता की अपने पापा के लंड से तुलना कर रही थी ..


दोनों का लगभग एक सामान ही था ..पंडित जी थोडा आगे ही थे इस मामले में ..पर पापा का लंड तो पापा का ही होता है ..कोई भी लड़की अपने पापा के लंड को छोटा थोड़े ही मानेगी ..


अब वो तो था नहीं उसके सामने, इसलिए उसने आँखे बंद की और उसी को गिरधर का लोड़ा समझ कर उसपर अपनी गीली जीभ रगड़ने लगी ..

''उम्म्म्म्म्म ....पापा .....ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....''


रितु हलके से सिसकारी मारकर पंडित के लंड को अपने मुंह में ले गयी और उसे बुरी तरह से चूसने लगी ...

वो कल रात की सारी कसर जैसे अब पूरी कर लेना चाहती हो ..


पंडित को भी आज कुछ अलग ही मजा आ रहा था ..वो सोच रहा था की बेटियों को अपने पापा से कितना प्यार होता है ..वहां नूरी अपने अब्बा से मरवाने के लिए मरी जा रही है और यहाँ रितु का भी यही हाल है ..दोनों को अपने बाप से चुदवाना है ..


पर पंडित जी को इससे कोई परेशानी नहीं थी ..वो तो पहले ही दोनों का रस चख चुके थे ..अब वो अपने बाप से चुदे या यार से ..उन्हें क्या.


पर उन्हें ज्यादा मजा मिल रहा है ये ही बहुत था उनके लिये.


अब तक पंडित जी का शेर पुरे जोश में आ चुका था ..इसलिए रितु को उसे अपने मुंह में रखकर चूसने में मुश्किल हो रही थी . पर उसने भी हार नहीं मानी , अपना पूरा मुंह उसने खोल कर पंडित जी के महाराज को अन्दर विराजमान करवा लिया और उसकी सेवा पानी अपनी जीभ और लार से करने लगी .


पंडित जी ने उसके सर के बाल एक हाथ से पकडे और दुसरे हाथ से उसकी गर्दन के आगे वाला हिस्सा पकड़कर दबा दिया ..और लगे चोदने उसके मुंह को ..


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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 13:41

पंडित & शीला पार्ट--32

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गतांक से आगे ......................

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पंडित जी ने जिस प्रकार से उसके गले को पकड़ा हुआ था उन्हें अपने लंड का एहसास रितु के गले के अन्दर से साफ़ महसूस हो रहा था ..वो उसकी डीप थ्रोट यानी गले के अन्दर तक की चुदाई कर रहे थे ..जिसमे उन्हें बड़ा मजा आ रहा था ..और शायद रितु को भी .


पंडित को जब लगने लगा की रितु को उनका लम्बा लंड चूसने में तकलीफ हो रही है तो उन्होंने अपने चतुर दिमाग का इस्तेमाल किया और रितु से बोले


"ले ...बेटी ...अह्ह्ह ...रितु ....चूस अपने बाप का लंड ...जोर से ...अन्दर तक ...चूस ...भेन चोद ...''


उन्होंने गिरधर के अंदाज में गालियाँ देकर रितु को जैसे ही बेटी कहकर संबोधित किया उसमे जैसे एक नयी जान आ गयी ..फिर तो उसने अपनी और अपने गले की परवाह किये बिना पंडित जी के लंड को अपने मुंह में लेकर जैसे पूजने लगी ..उसकी सेवा करने लगी ..


और उसके मुंह से अजीब सी आवाजें भी निकलने लगी ..


''अह्ह्ह्ह ....पापा ......उम्म्म्म्म .....चोदो मुझे ....मेरे मुंह को ....अह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म्म .......''


उसकी हरकतों में आये बदलाव को पंडित जी का लंड साफ़ महसूस कर पा रहा था .


अब पंडित जी से भी सब्र नहीं हुआ ..उन्होंने उसको खड़ा किया और उसके होंठों को अपने होंठों में दबाकर जोरों से चूसने लगे ..आज जैसी किस्स तो उन्होंने खुद भी किसी से नहीं की थी ..इतना जंगलीपन ..इतनी बर्बरता ..इतने रफ्फ तरीके से उन्होंने रितु के चेहरे को पकड़कर चुसा था की उसके होंठों के किनारे से खून की एक बूँद उभर आई ...जिसे पंडित जी ने अपनी जीभ से साफ़ कर दिया ..और फिर से उसके होंठों को पीने लगे ..


और रितु तो बस आँखे बंद किये अपने ''पापा'' की ''निर्दयता'' का मजा ले रही थी ..


पंडित जी ने एक कोने में रखी हुई लकड़ी की टेबल पर रितु को पेट के बल लिटा दिया और उसकी गांड को फेला कर उसे चोडा कर दिया ..और अपने अंगूठे पर ढेर साड़ी थूक लगा कर उन्होंने उसके पीछे वाले छेद को गीला कर दिया ..

अपनी गांड पर गीलापन पाकर वो सिहर सी उठी ..उसे पता चल गया की आज पंडित जी उसकी गांड का उदघाटन करने के मूड में हैं ..


और हो भी क्यों न , पंडित जी समझ चुके थे की अब रितु का गिरधर के चुंगल में फंसना लगभग तय है ..क्योंकि आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई है ..इसलिए वो उसकी गांड मारने वाले पहले व्यक्ति बनना चाहते थे ..क्योंकि गिरधर तो वैसे ही गांड का दीवाना है, उसका बस चले तो वो चूत से पहले गांड मार ले रितु की ..इसलिए पंडित जी पहले से ही वहां अपने नाम का ठप्पा लगा देना चाहते थे .


रितु भी बस दम साधे उनके अगले एक्शन का इन्तजार कर रही थी ..और जैसे ही पंडित जी ने उसके पीछे वाले छेद पर अपने लंड को लगाया उसके किसी उदबिलाव की तरह से अपना सर ऊपर की तरफ उठा लिया और जोर से चीख पड़ी ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी .....ये कहाँ डाल रहे हो ..उम्म्म्म्म्म ''


उस साली को मजा भी आ रहा था और फिर भी किसी अबोध की तरह उनसे सवाल भी कर रही थी ..मानो उसे पता ही नहीं हो की यहाँ से भी होता है ..


पर तब तक पंडित जी के दो धक्को ने आधे से ज्यादा काम कर दिया था ..और उसकी भरी हुई गांड और भी ज्यादा भर कर दोनों तरफ मोर पंख जैसे फेल गयी .


अब रितु को भी दर्द होने लगा ..पहली बार जो था उसकी गांड में ..


''ओह्ह्ह पंडित जी ....धीरे करो .न ....अह्ह्ह्ह्ह्ह .....''


वो छटपटाने लगी ..पंडित जी ने उसके दोनों हाथ पकड़कर पीठ से बाँध दिए ...और उसके बालों को पकड़कर पीछे की तरफ खींचा और उसे घोड़ी बना दिया ..और फिर एक जोरदार शॉट मारकर उसके अस्तबल में अपना पूरा घोडा उतार दिया ..


वो घोड़ी जैसे हिनहिना उठी .


''अग्ग्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म्म्म्म ........मर्र्र गयी ......अह्ह्ह्ह्ह्ह ....''


और उसके बाद तो पंडित जी ने उसके रेस कोर्स में अपने घोड़े को ऐसा दोड़ाया ..ऐसा दोड़ाया की एक पल के लिए तो रितु को भी यही लगने लगा की पंडित जी उसकी गांड नहीं मार रहे बल्कि अपने घोड़े को दौड़ा रहे हैं रेस में ..

पंडित जी का हर झटका उसे स्वर्ग का मजा दे रहा था ..वो जिस तरह से पेट के बल लेटी हुई थी ..उसकी चूत वाले हिस्से पर टेबल का कपडा रगड़ खा रहा था ..रगड़ क्या खा रहा था जैसे उसकी चूत को खा रहा था ..पंडित जी के हर झटके से वो सूती कपडा उसकी चूत की दरार में घुसता जा रहा था ..उसके होंठों पर अजीब किस्म की मुस्कान फेल रही थी ..दोनों छेदों में मिल रहे मजे को वो बयान भी नहीं कर पा रही थी ..बस चिल्ला कर और हंस कर मजे लेने में लगी हुई थी ..


बस उसके मुंह से टूटे फूटे शब्द निकल रहे थे ...जो थे ..


''ओह्ह पापा .....उम्म्म पापा ...जोर से पापा ...हां न… पापा ..''


और जल्द ही पंडित के लंड ने अपनी बार पहली सिंचाई कर दी रितु की बंजर गांड में ..जिसे महसूस करके उसका रोम रोम पुलकित हो उठा ..गांड के अन्दर गीलेपन के एहसास ने उसे ऐसा मजा दिया जैसा उसे अब तक नहीं आया था ..


और उसी गीलेपन के एहसास के साथ उसकी चूत से रगड़ खा रहे कपडे ने भी उसकी चूत को रगड़ -2 कर उसके ओर्गास्म तक पंहुचा दिया ..और वो दोनों तरफ से भीगी हुई सी हांफती हुई ..झड़ने लगी ..


''उम्म्म्म्म्म्म्म्म .......अह्ह्ह्ह्ह्ह ...मजा आ गया .......पंडित जी ..''


आखिर में जाकर रितु ने चुदाई का श्रेय आखिरकार पंडित जी को दे ही दिया ..


पंडित जी ने भी अपना मुसल बाहर खींचा और उसकी धुलाई करने के लिए बाथरूम में चले गए ..


रितु भी खड़ी हो गयी ...उसकी चूत में फंस कर टेबल का कपडा उसके साथ ही खिंच का बाहर आ गया और उसके पैरों के बीच लटक कर झूलने लगा ..


उसकी गांड से रिस रिसकर पंडित जी का प्रसाद बाहर निकल रहा था ..और उसकी चूत से निकल रहा गर्म पानी उस कपडे को गीला कर रहा था ..


उसने भी अपनी चूत और गांड पूरी तरह से साफ़ की और कपडे पहन कर वापिस अपने घर की तरफ चल दी ..


आज का नया ''अध्याय'' पंडित जी ने उसे बखूभी सिखाया था ..

दूसरी तरफ गिरधर ने पंडित जी के घर से निकलते ही इरफ़ान भाई को फ़ोन लगाया .


इरफ़ान : "हेल्लो ...कौन बोल रहा है ..''


गिरधर : "साहब ...मैं बोल रहा हु ..गिरधर ..वो मिले थे न हम कल रात को ...जी बी रोड के बाहर ''


इरफ़ान समझ गया की ये वही दल्ला है जिसके आइटम की उसने बीच रोड पर बजायी थी .


इरफ़ान : "अरे मियां ..तुम हो ..मैं सोच ही रहा था की शाम को तुम्हे फ़ोन करू ..पर तुमने खुद ही कर दिया ..बोलो क्या खबर है ..''


गिरधर : "साहब ...खबर तो बड़ी अच्छी है ..एक नया माल आया है मार्किट में ..सिर्फ दो चार दिनों के लिए ही है वो यहाँ ..और है भी मु****न लड़की ..आपको पसंद आएगी ..''


मु****न लड़की के बारे में सुनते ही इरफ़ान की तोप खड़ी हो गयी ..उसने लपलपाती जुबान से पूछा : "उम्र क्या होगी उसकी ...??''



गिरधर ने चटकारा लेते हुए बताया : "होगी करीब 24 के आस पास ''


जैसा पंडित जी ने उसे बताया था ..


और ये सुनते ही इरफ़ान ने एक लम्बी और ठंडी सांस ली और उसका हाथ सीधा जाकर अपने लंड को सहलाने लगा और उसने मन ही मन सोचा 'उम्म्म्म्म बिलकुल नूरी की उम्र की है ये तो ..'


गिरधर : "अरे साहब ...क्या हुआ ...क्या सोचने लगे ''


इरफ़ान : ''उम्म्म्म ...कुछ नहीं ...बोलो कब और कहाँ ...''


अब इसके बारे में तो पंडित जी ने उसे बताया ही नहीं था ..


उसने कुछ देर सोचा और फिर बोला : "वो भी बता दूंगा साहब ...लड़की खानदानी है ..बस थोड़े मजे और थोड़े पैसो के लिए ये कर रही है ..मैंने सोचा की पहले आप से पूछ लू और बुकिंग ले लू , फिर उसके साथ सीन फिक्स करके बता दूंगा ...''


इरफ़ान : "ठीक है ..तुम पैसों की फ़िक्र मत करो ..बस जल्दी से इससे मिलने का इंतजाम करवाओ ..''


खानदानी और वो भी जवान लड़की ...मजा आ जाएगा ..इरफ़ान के मन में तो लड्डू फूटने लगे ..


गिरधर : "ठीक है साहब ..मैं आपको दोबारा फ़ोन करता हु ..''


उसने फ़ोन रखा और झट से पंडित जी से आगे का प्रोग्राम पूछने के लिए फ़ोन लगाया ..पर उन्होंने उठाया ही नहीं ..उठाते भी कैसे, वो उसकी लड़की जो चोद रहे थे .


रितु की गांड मारने के बाद जब पंडित जी वापिस अपने पलंग पर आकर लेटे तो उन्होंने गिरधर की मिस काल देखि ..और उसे फ़ोन किया , तब तक रितु वापिस अपने घर की तरफ निकल चुकी थी .


पंडित : "हाँ गिरधर बोलो ..''


गिरधर : "पंडित जी ..मैंने आपके कहे अनुसार उसे फ़ोन कर दिया है ..और वो तो जवान लड़की के बारे में सुनकर पागल सा हुए जा रहा है ..और पूछ रहा था की कब और कहाँ मिल सकती है ..बस इसी के लिए फ़ोन कर रहा था मैं , वो तो आपने बताया ही नहीं ..''


पंडित जी भी सोच में पड़ गए ..उन्होंने भी इसके बारे में नहीं सोचा था ..अपने कमरे में वो ला नहीं सकते थे ..गिरधर के घर पर भी मुमकिन नहीं था ..और उस दिन जैसे सड़क के बीचो बीच भी असंभव था ..


पंडित जी की तरफ से कोई जवाब ना आते देख गिरधर ही बोल पडा : "पंडित जी ..अगर आप बुरा ना माने तो मेरे पास एक जगह है ..''


पंडित : "कोन सी ...जल्दी बताओ ..''


वो यहाँ से थोड़ी दूर है ..वहां एक खंडहर है ..जिसमे कोई आता जाता नहीं है ..शायद कोई पुराना किला है .


पंडित समझ गया की वो किस जगह की बात कर रहा है ..वो लगभग उनकी कालोनी से बिलकुल बाहर की तरफ था ..और वहां आबादी भी काफी कम थी , बिलकुल सुनसानियत में बना हुआ था वो पुराना किला ..


पर खंडहर में चुदाई कैसे संभव होगी ..पंडित जी सोचने लगे ..


गिरधर : "मैं अक्सर उस इलाके में जब सब्जी बेचने जाता हु तो सुस्ताने के लिए वहीँ पर सोने चला जाता हु , कोई नहीं आता जाता वहां ..''


पंडित को उसका सुझाव सही लगा ..ऐसी जगह पर ही चुदाई करवाना सही रहेगा ..ना तो कोई होगा वहां और ना ही कोई पहचान पायेगा बाप बेटी को चुदते हुए देखकर .


पंडित : "ठीक है ..गिरधर ..वही जगह फाइनल करते हैं ..तुम बोल दो इरफ़ान को ..और आज शाम का समय ले लो उससे , मैं लड़की को बोल दूंगा ..''


पंडित जी को पूरा विशवास था की नूरी इस बात के लिए कभी मना नहीं करेगी इसलिए उससे बिना पूछे उन्होंने प्रोग्राम पक्का कर दिया था .


गिरधर : "ठीक है पंडित जी ...पर एक गुजारिश है पंडित जी आपसे ..''


पंडित : "हाँ ..बोलो ..''


गिरधर (खींसे निपोरते हुए ) : "वो ...वो ..लड़की से मजा ..मुझे भी मिलेगा क्या ...''


पंडित जी हंस दिए ..और सोचने लगे 'ये गिरधर भी कितना बड़ा ठरकी है ..साला हर किसी को चोदने के लिए उतावला रहता है ..'


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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 13:42

पंडित & शीला पार्ट--33

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गतांक से आगे ......................

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पंडित : "ठीक है ..उसका इंतजाम भी कर दूंगा ..''


पंडित जी का आश्वासन पाकर गिरधर ख़ुशी से पागल हो गया ..


उसने पंडित जी का फ़ोन काटकर जल्दी से इरफ़ान को फ़ोन लगाया और उसे शाम को 5 बजे का टाइम दे दिया और जगह भी बता दी ..वो भी मान गया .खंडहर में चुदाई के ख़याल से ही उसकी तोप से गोले निकलने को आतुर होने लगे ..


पर उसे कुछ इस तरह निकलना पड़ेगा ..ताकि नूरी को कोई शक न हो सके ..


लगभग चार के आस पास उसने नूरी को ऊपर से बुलाया और उससे कहा की दूकान का सामान लेने के लिए सदर बाजार जाना है ..


नूरी को भला क्या प्रॉब्लम होनी थी ..इरफ़ान ने कहा की वो दूकान संभाल ले , इतना कहकर वो बाहर निकल गया ..


नूरी का फ़ोन ऊपर ही रह गया , उसके नीचे उतरने के साथ ही पंडित जी ने उसे फोन मिलाया पर घंटी बजती रही ..उसने फ़ोन नहीं उठाया ..उठती भी कैसे, वो तो नीचे थी दूकान पर .




जब 4 - 5 बार फ़ोन करने पर भी उसने नहीं उठाया तो पंडित जी समझ गए की या तो वो सो रही है या फिर फ़ोन उसके आस पास नहीं है ..उधर टाइम भी होने वाला था , इसलिए उसे बताना जरुरी था, ये सोचकर वो खुद उसके घर की तरफ चल दिए ..


नूरी को दूकान पर बैठे हुए अभी पांच मिनट ही हुए थे की उनकी दूकान प् पुराना ग्राहक सुलेमान वहां आ पहुंचा , दरअसल उसने इरफ़ान भाई को बाहर जाते हुए देख लिया था , और दोपहर का समय होने की वजह से वहां भीड़ भी नहीं थी ..उसकी गन्दी नजरें कब से नूरी के ऊपर थी, और वो भी उसकी बातों का मजा लती रहती थी ..पर बात कभी उसके आगे नहीं बड़ी थी , आज सुलेमान ने सोच लिया था की अपना लक नूरी पर आजमा कर रहेगा ..


वो सीधा दूकान पर जा पहुंचा


सुलेमान : "क्या बात है नूरी ...रोज इसी तरह दूकान पर आकर बैठोगी तो मैं सारा दिन कुछ न कुछ लेता ही रहूंगा ..''


नूरी भी थोड़े चंचल मूड में थी ..


नूरी : "तो मना किसने किया है सुलेमान ..तो बोलता जा और मैं निकालती जाती हु ..बोल क्या चाहिए ''


उसका दोअर्थी मतलब समझकर एक बार तो सुलेमान को लगा की वो नूरी को खुलेआम बोल दे ..पर उसकी हिम्मत नहीं हुई .


उसने नूरी की छाती की तरफ देखते हुए कहा : "दो दूध की थेलियाँ दे दे ..''


नूरी भी उसकी बात के पीछे छुपा अर्थ समझ गयी और बोली : "कोन सी लेगा ..अमूल की या मदर डेयरी की ..''


मदर डेयरी बोलते हुए उसने अपनी नजरे झुका कर अपनी छातियों की तरफ इशारा किया ..


अब तो सुलेमान भी समझ गया की नूरी भी वही चाहती है जो वो चाहता है ..


उसने थोडा और चाशनी भरे स्वर में उससे पुछा : "फर्क क्या है दोनों में ..मुझे तो एक जैसे ही लगते हैं ..''


नूरी ने भी सोचा की मौका अच्छा है ..उसके अब्बा भी घर पर नहीं है ..और सुलेमान उसे अच्छा भी लगता है ..और उसपर लाइन भी मारता है .तो क्यों ना आज इसके साथ ही मजा लिया जाए ..


उसने नशीली आवाज में उससे धीरे से कहा : "अन्दर आओ ..तुम्हे दिखाती हु की क्या फर्क है ..''


सुलेमान को तो अपनी किस्मत पर विशवास ही नहीं हुआ ..


वो झट से साईड का फट्टा उठा कर अन्दर चल दिया ..नूरी के पीछे - 2 .


अन्दर जाते ही नूरी ने फ्रिज में से अमूल के दूध की एक थेली निकाली और उसके किनारे को अपने मुंह से छील कर उसमे छेद कर दिया ..और ठन्डे दूध का एक लंबा घूँट पी लिया ..और जान बूझकर उसने थोडा दूध बाहर भी निकाल दिया जो उसके गले से होता हुआ उसकी ब्रेस्ट को भिगोता चला गया ..


सुलेमान की गिद्ध जैसी नजरें पहले से ही उसकी ब्रेस्ट को घूर रही थी ..दूध से गीला होने की वजह से वो और स्वादिष्ट नजर आने लगी ..


उसने अपने होंठों पर जीभ फेरी ..जैसे वो सारा दूध पी लेना चाहता हो ..


नूरी ने वो दूध की थेली उसकी तरफ कर दी ..और बोली : "लो पीकर देखो ..और चेक करो इसका टेस्ट ..''


उसने थेली को झपटा और अपने मुंह से लगा कर सार दूध एक ही बार में पी गया ..

अब नूरी दोबारा से फ्रिज के अन्दर झुकी और कुछ ढूँढने के बाद बोली : "ओहो ...मदर डेयरी का दूध तो ख़त्म हो चुका है ..अब तुम कैसे चेक करोगे की किसका टेस्ट बेहतर है ..''


उसने बुरा सा मुंह बनाया ...और इस अंदाज से बोली जैसे सुलेमान को कोई इनविटेशन दे रही हो ..


और सुलेमान भी पक्का चोदु था ..वो समझ गया ..और थोडा आगे आया और नूरी की कमर पर हाथ रखकर अपनी तरफ खींच लिया ..


नूरी : "ये ...ये क्या कर रहे हो ..''


सुलेमान : "थेली वाला दूध नहीं है तो क्या हुआ ..ये भी तो मदर डेयरी का ही सेम्पल है तुम्हारे पास ..''


उसने नजरें झुका कर उसकी छातियों की तरफ इशारा किया ..


नूरी : "तो ..तो ..तुम इसमें से टेस्ट करोगे ..''


वो दोनों जैसे कोई खेल खेलने में लगे हुए थे ..


वो खुद भी यही चाह रही थी ..पर फिर भी खेल की रोचकता को बनाए रखने के लिए ऐसे सवाल कर रही थी और अनजान बनने का नाटक भी .



सुलेमान : "हाँ .....तभी तो बता सकूँगा की कोनसा दूध सही है ..''


इतना कहकर उसने अपना सर नीचे किया और अपनी जीभ निकाल कर उसकी गर्दन पर रख दी ..जहाँ दूध की बूंदे अभी तक जमी हुई थी ..


नूरी के मुंह से एक लम्बी सी सिसकारी निकल गयी ...और उसने सुलेमान के सर को पकड़कर अपनी छाती पर जोरों से दबा दिया ..

सुलेमान की जीभ नीचे फिसलती हुई उसके उभारों तक जा पहुंची ..उसने सूट पहना हुआ था, जिसका गला काफी गहरा था , इसी वजह से वो उसके मोटे मुम्मों का आधे से ज्यादा भाग अपनी जीभ से चूस पा रहा था ..


वो ये सब कर रहे थे, इसी बीच पंडित जी दूकान पर आ पहुंचे ..


वहां कोई नहीं था ..उन्होंने टाईम देखा ,पांच बजने में आधा घंटा था , मतलब इरफ़ान भी तो शायद निकल चुके होंगे ..यानी दूकान इस वक़्त नूरी के भरोसे थी ..पर वो है कहाँ , वो ये सोच ही रहे थे की उन्हें दूकान के अन्दर से नूरी की सिसकारी की आवाज आई ..


पंडित जी समझ गए की नूरी जरुर कुछ गड़बड़ कर रही है ..

वो धीरे से अन्दर दाखिल हो गए ..और पीछे वाले कमरे में जाकर आते की बोरी के पीछे छुप गए ..और वहां से जो उन्होंने देखा उसे देखकर उनका शक पक्का हो गया ..


सुलेमान ने नूरी को बुरी तरह से पकड़ा हुआ था और उसकी गर्दन को अपनी जीभ से चाट रहा था ..

पंडित ने एक पल के लिए तो सोचा की नूरी को अपनी उपस्थिति का एहसास कराये पर कुछ सोचकर वो खुद रुक गए .. क्योंकि उनके दिमाग में अचानक एक बात आ गयी थी ..इसलिए वो वेट करने लगे ,और उन दोनों का खेल देखने में लग गए .


सुलेमान ने धीरे - २ नूरी के सूट की कमीज को ऊपर की तरफ खींचकर निकालना शुरू कर दिया ..


वो मचल रही थी ..और मचलते हुए बोली : "ये क्या कर रहे हो तुम ...''


सुलेमान : "तुमने भी तो दूध पीने के लिए थेली को फाड़ा था ..मैं तो थेली को उतार रहा हु ..''


इतना कहते हुए उसने उसकी शर्ट को उतार फेंका ..


उसके बाद का नजारा देखकर तो सुलेमान की कुत्ते जैसी जीभ ऐसे बाहर आ गयी जैसे उसने गोश्त का भण्डार देख लिया हो ..और था भी वो नजारा ऐसा ही ..ब्लेक ब्रा के अन्दर उसके मोटे मुम्मे किसी लबाबदार डिश जैसे लग रहे थे ..जिन्हें वो अपनी जीभ और दांतों से चबा जाना चाहता था ..


उसने अपनी जीभ को उसके उभारों पर फिर से फेराया ..सुलेमान की जीभ की गर्मी और उसकी लार की ठंडक अपने जिस्म पर पाकर वो कांप सी गयी ..


अगले ही पल उसके मोटे हाथों ने उसकी ब्रा के कप नीचे खिसका दिए ..और उसके मजेदार , लज्जतदार , रसीले और मोटे मुम्मे उछल कर बाहर निकल आये ..जिनपर किशमिश जैसे काले रंग के दाने लगे हुए थे ..


सुलेमान ने अपना मुंह पूरा खोल और एक मुम्मे का गोश्त अपने मुंह में ठूस कर उसे जोर से चूसने लगा ..


उसकी ब्रा अभी तक वहीँ की वहीँ थी ..और सुलेमान ने सिर्फ उसकी ब्रेस्ट को बाहर निकाला था , ऐसा एहसास उसने आज तक नहीं पाया था ..वो फिर से सुलेमान के सर को अपनी छाती से दबा कर उसे बच्चों की तरह प्यार करते हुए उसे अपना दूध पिलाने लगी ..


थोड़ी देर चूसने के बाद उसने दूसरी तरफ का भी दूध पीया ..और थोडा चूसने के बाद उसने सर ऊपर उठाया और धीरे से बोला


''इस मदर डेयरी के दूध का मुकाबला कोई नहीं कर सकता ...''


उसकी बात सुनकर नूरी मुस्कुरा दी ..और उसका सर पकड़कर उसके होंठों को जोर जोर से चूसने लगी ..

नूरी ने उसका सर पकड़कर वापिस अपने निप्पल पर लगा दिया ..जैसे कह रही हो ..'बातें कम कर ..काम पर ध्यान दे तू .'


उसने दुसरे हाथ से उसकी ब्रा के स्ट्रेप को खींचकर नीचे गिरा दिया ..और उसकी ब्रा उसके पेट पर जाकर अटक गयी ..


अब उसकी दोनों छातियाँ सुलेमान के सामने थी , जैसे थाली में दो खरबूजे सजा दिए हो ,खाने के लिए .

सुलेमान भी दिल खोल कर सिर्फ उन्हें खा ही नहीं रहा था, बल्कि दबा रहा था, निचोड़ रहा था , पी रहा था , जैसे सच में उसमे से दूध की धार निकलेगी और उसकी प्यास बुझा देगी ..

पर दूध की धार निकलने में तो अभी नौ महीने का समय था ..अभी -२ तो पंडित जी ने बीज बोया था उसके अन्दर ..दूध निकलने में टाईम तो लगेगा ही न ..


तभी नूरी के हाथ फिसल कर सुलेमान के लंड के ऊपर चला गया ..उसने उसे जोर से पकड़ कर दबा दिया ..उसकी सलवार के नाड़े को खोलकर उसने झट से नीचे गिरा दिया ..और अंडरवीयर के अन्दर हाथ डालकर उसके रेजिमेंट के सिपाही को अपने सामने तलब कर लिया ..


''वाव ....क्या लंड है तेरा सुलेमान । ''


नूरी ने जैसे ही उसे देखा वो अपनी आँखे फेला कर बोली


वो बिलकुल काले रंग का था ..पर मोटा काफी था , एक खीरे जितना मोटा ..और उतना ही लम्बा ..

नूरी ने अपना दूसरा हाथ अपनी चूत के ऊपर रखा और उसकी चूत के मुंह से निकल रहे पानी को उसने अपनी पेंटी से ही मसल कर साफ़ कर दिया .


वो धीरे से जमीन पर बैठ गयी ..और उसने सुलेमान के लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया ..

सुलेमान ने जब देखा की नूरी के गुलाबी होंठ उसके काले लंड को निगल रहे हैं तो उसकी आँखे बंद सी होती चली गयी ..उसने अपना चेहरा ऊपर कर लिया और अपने लंड की चुस्वायी का मजा लेने लगा .


इसी बीच पंडित जी की नजरें उनके साथ - 2 घडी पर भी थी ..दस मिनट हो चुके थे उन्हें यहाँ आये हुए ..वो ज्यादा लेट नहीं होना चाहते थे ..पर उन्हें सही समय का भी इन्तजार था ..

नूरी ने अपने हिलते हुए मुम्मो को उसके घुटनों पर रगड़ते हुए जोर जोर से लंड को पीना शुरू कर दिया ..सुलेमान की हालत खराब होती जा रही थी ..उसके लंड का पानी कभी भी निकल सकता था ..वो सोच रहा था की ऐसे ही वो उसके लंड को पीती रही तो वो उसकी चूत नहीं मार पायेगा जबकि नूरी कुछ और ही सोच रही थी , वो जानती थी की एक बार झड जाने के बाद आदमी को दोबारा झड़ने में टाईम लगता है , इसलिए वो पहले उसके लंड के दूध से अपनी प्यास बुझाना चाहती थी और उसके बाद उससे अपनी चूत चट्वानी थी उसको ..और अंत में फिर से उसके लंड से अपनी चूत की चुदाई करवानी थी ..ये प्रोग्राम था उसके दिमाग में ..


पर वो बेचारी क्या जानती थी की पंडित जी भी वहीँ छुपकर खड़े हैं और उसके सोचे हुए प्लान पर पानी फेरने वाले हैं ..


अगले दो मिनट के अन्दर ही नूरी ने अपने मुंह का कमाल दिखाकर सुलेमान के खीरे का सारा जूस पी लिया ..कुछ नीचे जमीन पर गिर, कुछ उसके मुम्मों पर ..पर ज्यादातर उसके मुंह के अन्दर ही गया ..

नूरी ने अपनी ब्रेस्ट और मुंह के किनारे पर लगा हुआ सुलेमान का माल अपने हाथ की उँगलियों से हथेली में समेटा और अपनी लम्बी जीभ निकाल कर उसे कुतिया की तरह चाटना शुरू कर दिया ..

अब बारी थी नूरी की ..उसकी चूत की ..जो इतनी देर से बह रही थी की उसकी पेंटी और सलवार पूरी गीली हो चुकी थी ..


उसने अपनी सलवार का नाड़ा खोलकर नीचे गिरा दिया ..


मेचिंग ब्लेक कलर की पेंटी देखकर सुलेमान के मुंह से फिर से लार टपकने लगी ..


उसने उसकी पेंटी को खींचकर नीचे गिरा दिया ..


बस इसी पल का इन्तजार था पंडित जी को ..


जैसे ही उसकी नंगी चूत का नजारा पंडित जी ने देखा वो चुपके से बाहर की तरफ निकल गए ..


और जैसे ही नूरी को जमीन पर लिटा कर सुलेमान ने अपनी जीभ उसकी चूत पर रखी .. बाहर से पंडित जी की आवाज आई ..


''अरे इरफ़ान भाई ...कहाँ हो ...''


सुलेमान की तो जैसे झांटो में आग लग गयी ..वो इतनी देर से दुआ मांग रहा था की आधे घंटे तक कोई भी ना आये दूकान पर ..ताकि वो सब काम आसानी से निपटा सके ..

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