तड़पति जवानी
Re: तड़पति जवानी
तड़पति जवानी-पार्ट-7
गतान्क से आगे.........
जब रोमांच का वो दौर थमा तो मेरा हाथ मेरे योनि रस मे पूरा का पूरा सन चुका था. मैं जल्दी से पानी से अपना हाथ ऑर अपनी योनि को सॉफ करने लगी तभी बाहर से आती हुई आवाज़ ने मुझे बुरी तरह से चोव्क्ने पर मजबूर कर दिया..
भाभी जी ये उंगली से करने की जगह नही है.. कब तक उंगली से काम चलाओगी ? मेरा लंड तैयार है एक दम खड़ा हुआ है बस एक बार आप कहो तो सही… हहहे
मेरी तो साँसे ही अटक गयी उसकी आवाज़ ऑर फिर भयानक हँसी सुन कर. समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू क्या नही.. ये तो बाहर ही खड़ा हुआ है ऑर ये मुझे देख रहा था... हे भगवान.... क्या करू... मैने जल्दी से खड़े हो कर अपने कपड़े उठाए ऑर उन्हे पहनना शुरू कर दिया...
मेरी डर के मारे हालत खराब हो रही थी. क्या करू ? बाहर कैसे जाउन्गि अब ? कही ये फिर से मुझे ना पकड़ ले. हे भगवान क्या करू अब ? उस वक़्त तो जैसे मेरे दिमाग़ ने काम करना बिल्कुल बंद ही कर दिया था.
मैने डरती हुई आवाज़ मे कपड़े पहन कर उस से कहा कि तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?
भाभी जी नींद ही नही आने दे रही हो आप ? ऑर आप अपनी उंगलियो को क्यू बेकार मे तकलीफ़ दे रही हो ? भला उंगली से ही कभी चूत की प्यास बुझी है ? चूत की प्यास बुझती है लंड से. ओर मुझे अच्छे से पता है मनीष भैया के लंड की तुम्हे बोहोत याद आ रही है..हहहे……. पर आप चिंता ना करो उनकी कमी को पूरा करने के लिए मैं हू ना.
बंद करो अपनी बकवास ओर चुप-छाप अपने कमरे मे चले जाओ. ये सब फालतू की बात मुझसे करने की कोई ज़रूरत नही है.. समझे की नही. मैने उसे गुस्से से चिल्लाते हुए कहा.
भाभी जी… बेकार का काम तो आप कर रही हो उंगली कर के.. अरे जब आप के पास आप के ही घर मे लंबा ऑर मोटा लंड है तो उसे ईस्तमाल ना करके आप ही बेकार काम कर रही हो.. हहहे…
बंद करो देहाती अपनी बकवास ओर चुप-चाप यहा से चले जाओ. मैने फिर से उसे गुस्से मे डाँट’ते हुए कहा.
अब उसके जाने की उसके कदमो की आवाज़ सुनाई देने लग गयी. उसे सुन कर मेरी जान मे जान मे आई. मैने हल्के से बाथरूम का दरवाजा खोल कर देखा तो वहाँ कोई नही दिखाई दिया. मैं अपने गीले कपड़े वही छ्चोड़ कर जल्दी से वहाँ से निकल कर अपने कमरे मे आ गयी.
कमरे मे आते ही मैने कमरे को अंदर से कुण्डी लगा कर बंद कर लिया. ऑर बेड पर लेट गयी. नहा लेने से अब कुछ हल्का हल्का अच्छा लग रहा था. पर मेरा दिमाग़ इस बात को लेकर काफ़ी गुस्से मे था कि वो हर वक़्त मुझ पर नज़र रखे हुए है. ऑर तो ऑर उसकी हिम्मत इतनी बढ़ गयी है कि बाथरूम के अंदर मुझे नंगा देख रहा था.
क्या सोच रहा होगा मेरे बारे मे.? कही उसने बाथरूम मे मेरी फोटो तो नही ले ली ? उसका कोई भरोसा नही है. कुछ भी कर सकता है. अगर उसने वो सब अपने मोबाइल मे फीड कर लिया होगा तो ? गाँव मे जाकर सब को दिखाएगा.. सोच कर ही डर के मारे मेरी हालत खराब हो गयी. अब मैं क्या करू ?
तभी दरवाजे की बेल बज गयी…
मैं अपने ख़यालो की दुनिया से बाहर आ गयी. मैने जल्दी से तोलिया हटा कर अपने कपड़े पहनना शुरू कर दिया. इस सब को याद कर के मैं बुरी तरह से गीली हो गयी थी पर इस वक़्त कोई दरवाजे पर आ गया था.
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इस लिए मैने जल्दी से अपने बाकी कपड़े पहने ऑर दरवाजे पर जा कर देखने लगी कॉन आया है.? दरवाजा खोल कर देखा तो सामने रूपा खड़ी हुई थी. रूपा को देख कर मुझे टाइम का एहसास हुआ कि मैं अपने ख़यालो मे इतना खो गयी थी कि कब शाम हो गयी पता ही नही चला.
रूपा के अंदर आते ही मैने दरवाजा बंद कर लिया. करने के लिए कोई काम तो ख़ास था नही बस दो-तीन झूठे बर्तन थे साफ करने के लिए. जिन्हे उसने जल्दी से साफ भी कर दिया. ऑर हल्की फुल्की झाड़ू पोंचा भी कर दिया.
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रूपा जब ज़मीन पर झाड़ू लगा रही थी तब मेरी नज़र उसके उभारो पर गयी. उसके दोनो उरोज आज भी उस दिन की तरह एक दम सख़्त हो रहे थे. रूपा को देख कर मुझे उसकी रात वाली सूरत याद आने लग गयी जब वो अपने चेहरे पर अलग-अलग तरह के भाव ला रही थी. जैसे जैसे अमित उसमे धक्के लगता उसके मुँह से सिसकारिया निकालने लग जाती. उसने सिसकारिया लेते हुए अपने दोनो होंठो को एक दूसरे के साथ कस कर जाकड़ लिया था ताकि मुँह से ज़्यादा तेज आवाज़ ना निकल सके.. हर धक्के के साथ उसके चेहरे के भाव बदल से जाते थे.
पर जब भी अमित मेरे बारे मे उस से पूछता था उसके चेहरे के भाव एक दम अलग ही हो जाते थे. जैसे की वो मेरे बारे मे सुन कर बोहोत जल भुन सी गयी हो. एक अजीब सी फिकर एक अजीब सी चिंता उसके चेहरे पर घर कर लेती थी.
मेरा ध्यान अब भी उसकी छाती पर ही था उसने हाफ़ कट बाजू वाला ब्लाउस पहना हुआ था. ऑर ब्लाउस मे से उसके क्लीवेज सॉफ नज़र आ रहे थे. उसके दोनो उरोज ऐसा लग रहा था जैसे ब्लाउस कूद कर अभी बाहर आ जाएगे. उसका रंग थोड़ा दबा हुआ था ब्लॅक तो नही कहा जा सकता पर हल्का सांवला ज़रूर था.
झाड़ू लगाते हुए पता नही कब उसने मुझे अपनी छाती घूरते हुए देख लिया मुझे पता ही नही चला..
ऐसे क्या देख रही हो मेम्साब ? आप से ज़्यादा सुंदर नही है..हहहे
उसकी बात सुन कर मैं बुरी तरह से चोव्न्क गयी. क्या क्या क्या देख रही हू कुछ भी तो नही. ऑर क्या मुझसे ज़्यादा सुंदर नही है.? मैने लगभग बुरी तरह से हॅड-बदाते हुए कहा.
अरे मेम्साब वही जो अभी आप देख रही थी कहते हुए उसने अपना एक हाथ अपने उरोज पर रख दिया.
मेरी दोनो आँखे शरम से नीचे हो गयी. क्या बकवास कर रही हो ? ऐसा कुछ नही है मैं तो वो बस तुम्हारे ब्लाउस की डिज़ाइन देख रही थी.
मेंसाब् मिश्रा मेम्साब आप के बारे मे पूछ रही थी.? कह रही थी कि जब उनके घर जाना तो उनसे कह देना कि मुझसे बात कर ले. उसने बात को वही घुमा कर ख़तम करते हुए कहा.
कब पूछ रही थी मिसेज़. मिश्रा मेरे बारे मे ? मैने उस से थोड़ा गंभीर होते हुए पूछा
जी अभी थोड़ी देर पहले ही जब मैं उनके यहाँ काम करने गयी थी यहा आने से पहले तब ही कहा था कि आप से बोल दू कि मिश्राइन जी से बात कर लो.
ठीक है मैं बात कर लुगी उनसे. मैने बात को ज़्यादा आगे ना बढ़ाते हुए उसे गंभीर होते हुए जवाब दे दिया.
थोड़ी ही देर मे वो अपना काम ख़तम करके चली गयी. ओर मैने दरवाजा बंद कर लिया. उसके जाने के बाद ही मैने म्र्स. मिश्रा को फ़ोन लगाया.
मिसेज़. मिश्रा हमारे पड़ोस मे ही रहती है. उनकी शादी अभी कुछ महीने पहले ही हुई थी. मिसेज़. मिश्रा के पति किसी MणC मे काम करते है, ऑर किसी ऑफीसर पोस्ट पर है. 2-4 पार्टी मे हम दोनो की एक साथ मुलाकात हुई थी ओर मेरी उस से काफ़ी अच्छी दोस्ती भी हो गयी थी. फ़ोन की दो तीन घंटी बजने के बाद ही फ़ोन उठा लिया गया.
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मैं- हेलो…. मिसेज़. मिश्रा
मिसेज़. मिश्रा - हेलो….. जी हां आप कॉन ?
मैं- मिसेज़. मिश्रा जी मैं निशा…. आप ने अभी रूपा से बोला था आप से बात करने के लिए ?
मिसेज़. मिश्रा – हां यार निशा मैने ही बोला था ऑर क्या कर रही हो ?
मैं- कुछ ख़ास नही कर रही थी. तुम बताओ कैसे याद किया ?
मिसेज़. मिश्रा- निशा यार अगर तुम फ्री हो तो क्या तुम मेरे साथ चल सकती हो ?
मैं- कोई ख़ास काम है ?
मिसेज़. मिश्रा- हां मुझे थोड़ा चेक-अप करवाना था. ऑर कलश के पास भी जाने के लिए टाइम नही है उन्होने बोला कि किसी ऑर के साथ चली जाओ. तुम तो जानती ही हो मेरी मेरे घर पर किसी से ज़्यादा बनती नही है इस लिए मैं उन मे से किसी को भी अपने साथ नही ले जाना चाहती हू. अगर तुम्हारे पास टाइम हो तो क्या तुम मेरे साथ चल सकती हो ?
मैने थोड़ी देर सोचा कि मेरे पास भी कोई काम नही है ऑर यहा पर बैठे बैठे मेरे दिमाग़ मे भी इस समय बेकार ऑर फालतू की बाते घूम रही थी. इस लिए मैने सोचा कि मिसेज़. मिश्रा के साथ थोड़ा घूम कर आउन्गि तो मन ठीक हो जाएगा ऑर ये सब बेकार की बाते मेरे दिमाग़ से निकल जाएगी.
मैं- ठीक है मैं थोड़ी देर मैं तैयार हो कर अभी तुम्हारे पास आती हू. कह कर मैने फ़ोन काट दिया.
थोड़ी ही देर मैं मिसेज़. मिश्रा के घर मे आ गयी थी वो तो जैसे एक दम तैयार हो कर मेरा ही इंतजार कर रही थी.
अरे निशा आओ…. कुछ लोगि ठंडा/गरम ? उसने मुझे देख कर अंदर बुलाते हुए कहा
नही कुछ नही….. मैने मना कर दिया
चलो ठीक है चलते है बस मैं ज़रा अपना पर्स ले लू.. कह कर वो अंदर से अपना पर्स लेने चली गयी ओर थोड़ी ही देर मे अपना पर्स ले कर वापस आ गयी.
कार मैं बैठ कर हम दोनो ही चले जा रहे थे. ऑर ड्राइवर गाड़ी चला रहा था.
ऑर सुनाए मिसेज़. मिश्रा जी क्या हाल चाल है ? कैसी चल रही है आप की लाइफ ? मैने ही गाड़ी मे बात की शुरूवात करते हुए कहा
क्या यार निशा मैं तुम्हे निशा करके बुला रही हू ऑर तुम मुझे मिसेज़. मिश्रा कह कर बुलाए जा रही है अरे यार मेरा नाम वन्या है मुझे वन्या कह कर बुला ना हम दोनो सेम एज के ही है. उसने मुझे टोकते हुए कहा.
ओके.. तो वन्या कैसी चल रही है तेरी लाइफ ? तेरे पति की जॉब कैसी चल रही है ? क्या मज़े चल रहे है तुम्हारे ? मैने भी अब एक दम यारी दोस्ती वाली लॅंग्वेज यूज़ कर के उस से बात कर रही थी.
मेरा तो सब बढ़िया है तुम सूनाओ क्या चल रहा है.?
मैं भी बढ़िया ही हू. वैसे डॉक्टर. के पास क्यू जा रही हो ? कोई दिक्कत वाली बात तो नही है ?
अरे नही ऐसे ही रुटीन चेक-अप के लिए जा रही हू. मन थोड़ा खराब रहता है.
रुटीन चेक-अप…. मैने चुटकी भरे अंदाज मे कहा. तो नये मेहमान के आने की तैयारी शुरू की जा रही है. ? हहहे……. वैसे कितने महीने हो गये है ?
अभी ऐसा कुछ नही है जैसा तुम सोच रही हो. उसने भी मुस्कुराते हुए जवाब दिया.
अरे जब ऐसा कुछ नही है तो फिर किस बात का रुटीन चेक-अप के लिए जा रही हो ?
बात करते हुए मैने उसके चेहरे पर एक उदासी सी छा गयी थी. पता नही क्या चल रहा था उसके दिमाग़ मे. जब मुझसे रहा नही गया तो मैने उस से पूछ ही लिया क्या बात है तुम बोहोत परेशान सी लग रही हो.? हम बोहोत धीमे धीमे बात कर रहे थे ताकि हमारी बाते ड्राइवर को ना सुनाई दे.
अब क्या बताऊ यार निशा तुझे तो पता ही है हमारी शादी को लगभग 8 महीने से उपर हो गये है. ऑर अब इनका इंटरेस्ट ना जाने क्यू मुझमे कम होता जा रहा है. शुरू शुरू मे तो हम दोनो के बीच मे बोहोत सेक्स होता था हमारी हर रात दीवाली होती थी हर रात हम दोनो के बीच मे सेक्स होता था पर कुछ महीनो से जब से इनका प्रमोशन हुआ है तब से इन्होने तो जैसे मेरी तरफ देखना ही बंद कर दिया है. हर रात होने वाला सेक्स अब वीक्ली हो गया है. ऑर उस मे भी ये सिर्फ़ फॉरमॅलिटी सी ही पूरी करते है.
बिस्तर पर आते है मेरे उपर चढ़ते है ओर अपना काम ख़तम करके सो जाते है बिना इस बात की परवाह किए कि मेरा क्या होता होगा.? मेरी प्यास बुझी कि नही बुझी इस बात से अब इन्हे कोई मतलब नही रह गया है. बिस्तर पर मेरे साथ एक दम ऐसा रिक्ट करते है जैसे किसी रंडी के पास जा कर उसके साथ करते है. इनकी हवस तो पूरी हो जाती है पर मैं एक दम प्यासी रह जाती हू. मुझे अपनी प्यास बुझाने के लिए अपने पति के होने के बाद भी अपनी उंगली का सहारा लेना पड़ता है.
क्रमशः................