हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 09:56

अगर लड़की को गर्म करना है तो उसको प्यार से सहलाओ ना कि जोर जोर से दबाओ।

मैं धीरे धीरे कमीज़ के ऊपर से ही उसकी चूची के ऊपर हाथ घुमाने लगा, उसकी निप्प्ल थोड़ी कड़क हो गई थी और वह दाने के तरह उभर आ गई थी, ब्रा के बावजूद मैं उसकी निप्पल को महसूस कर रहा था।

मैं उसकी निप्पल के ऊपर उंगली घुमा रहा था।

और देखते ही उसने किस करने की स्पीड बढ़ा दी।

मैंने उसको बोला- चलो, बेडरूम में चलते हैं।

और उसको उठा कर बेडरूम में ले गया और मैं बेडरूम में जाते ही चौंक गया, वहाँ देखा तो उसने पूरा बेड सजा रखा था, भीनी भीनी गुलाब की खुशबू आ रही थी और थोड़ी गुलाब की पंखुड़ियों को उसने बेड पर बिछा रखा था।

मैंने पूछा- यह क्या है?

तो उसने बोला- मेरे लिए तो आज का दिन ही सुहागरात है।

मैं यह सोच कर थोड़ा सहम गया, मैंने सोचा कि मैं यह नहीं कर सकता, यह किसी लड़की के लिए बहुत बड़ी बात है।

मैंने उसको सेक्स करने से मना कर दिया, मैं उसको हर्ट करना नहीं चाहता था।

उसने बोला- यह सब तुम मेरी मर्जी से कर रहे हो।

और मैं संभल गया, मैंने बोला- ठीक है।

फिर वह मुझसे लिपट गई। मैंने उसको बेड पर लिटाया और फिर से उसे चूमने लगा, उसकी चूची को फिर से सहलाने लगा, ऊपर से उसके निप्पल को धीरे धीरे उंगली से घुमाता

तो उसको बहुत जोश आ रहा था, वह आँखे बंद करके उसका मज़ा ले रही थी।

धीरे धीरे मैंने उसके कमीज़ का हुक पीछे से खोल दिया, उसकी पीठ को सहलाने लगा, उसकी नंगी पीठ मेरा स्पर्श पाकर काफी गर्म हो चुकी थी।

मैंने उसकी कमीज़ के नीचे से हाथ डाला और उसकी नाभि पर उंगली घुमाने लगा, कमर पर हाथ घुमाने लगा।

धीरे धीरे मेरा हाथ और ऊपर गया और कमीज़ के अन्दर से उसके ब्रा पर हाथ ले गया। वह कसमसाई और मैंने ब्रा की बगल से उसकी चूची को छुआ। फिर मैंने उसकी निप्पल को ब्रा के ऊपर से छुआ और धीरे से उसकी कमीज़ उतार दी और धीरे से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया।
हुक खोलते ही उसके छोटे मम्मे मेरे सामने थे जिनके ऊपर छोटा सा गुलाबी निप्पल ! मैंने उसके निप्पल को मुह में लिया और उसको प्यार से चूसने लगा।

वह गर्म हो चुकी थी और उसने जोर से मेरा सर पकड़ कर पूरी चूची मेरे मुँह में डाल दी।

मुझे पता चल गया कि वह एक बार झड़ गई है।

मैं करीब 15 मिनट तक उसकी चूची के साथ खेलता रहा और फिर उसकी सलवार खोल दी और सिर्फ पैंटी में उसके पूरे बदन को चूमने लगा।

मैं बहुत उत्तेजित हो गया था और मेरे लण्ड पानी छोड़ रहा था, मैंने उसको बोला- अब तुम मेरे साथ खेलो।

उसने मना कर दिया और बोली- नहीं, पहले तुम करो।

आखिर वह मान गई।

मैं जल्दी से उठा और बाथरूम में जाकर अपने लण्ड को थोड़ा साबुन लगा कर साफ़ कर लिया।

फिर मैं बेड पर आ गया और टीशर्ट निकाल दी तो वह मेरे पूरे बदन को चूमने लगी।

मैंने पूछा- यह तुम्हें किसने सिखाया?

तो उसने उसकी सहेली पूनम का नाम दिया जिसके घर पर हम लोग थे।

मैंने बोला- और क्या-क्या सिखाया है?

तो वह बोली- देखते जाओ।

और मैं आँखें बंद करके मज़ा लेने लगा।

उसने मेरे निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगी।

मैं बहुत गर्म हो रहा था। फिर उसने एक हाथ मेरी पैंट में डाल दिया, मेरे लण्ड को सहलाने लगी।

कुछ देर में मेरी पैंट को मेरे जिस्म से अलग किया। उसने नीचे से मेरे पूरे जिस्म को चाटना शुरू किया और मेरे लण्ड पर आकर रुक गई।

मैंने पूछा- क्या हुआ?

उसने कहा- बस!

मैंने कहा- और कुछ तेरी सहेली ने नहीं सिखाया?

उसने बोला- बस इतना ही होता है।

फिर मैंने बोला- ठीक है तो इसको मुँह में नहीं लेना है?

उसने बोला- इसको कोई लेता है क्या?

मैंने बोला- एक मिनट रुक!

और मैंने उसको लेटा दिया, फिर ऊपर से उसकी पैंटी पर हाथ घुमाने लगा, उत्तेजना के मारे उसकी चूत फूल गई थी। मैंने बगल से उसकी पैंटी के अन्दर उंगली डाली। पूरी चूत गीली थी। मैंने उसकी पैंटी उतार दी, देखा तो सामने एकदम कसी हुई गुलाबी चूत!

मेरे होश उड़ गए और एक बार तो ऐसा लगा कि शायद मैं झड़ जाऊँगा।

मैंने दूसरा कुछ सोचना चालू किया ताकि मैं झड़ न जाऊँ।

मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा, उसका रस बाहर आ रहा था।

मैंने उसके दाने को छुआ, उसकी चूत की दरार पर उंगली घुमाई और देरी न करते हुए उसके चूत पर जीभ फेरना चालू किया।

वह उन्माद के सातवें आसमान पर थी।

raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 09:57

मैंने अपने पैर उसके सामने कर दिए ताकि उसका मुँह मेरे लण्ड पर आ जाये। मैं धीरे धीरे उसकी चूत पर जीभ फेरने लगा और उंगली को अन्दर-बाहर करने लगा।

उसने देर न करते हुए मेरे लण्ड को अण्डरवीयर से निकाला और उसके सामने मेरा 7 इंच लम्बा, 4 इंच मोटा लण्ड था।

उसने मेरे लण्ड के ऊपर की चमड़ी को नीचे करते हुए मेरा सुपारा मुँह में ले लिया।

उसके मुँह में जाते ही मेरा लण्ड हिचकोले खाने लगा और मेरा रस बाहर आने की कोशिश कर रहा था।

वह धीरे धीरे मेरे लण्ड को चूस रही थी और मेरे गोलों के साथ खेल रही थी।

मैंने एक उंगली उसकी गांड पर फेरनी शुरू की वह बोली- राहुल, ऐसा मत करो! मैं झड़ जाऊँगी।

उसने जैसे ही मेरा सुपारा फिर से अपने मुंह लिया, मैं झड़ गया। वो हैरान हो गई, बोली- यह क्या हुआ?

मैंने कहा- लड़के ऐसे ही झड़ते हैं।

और मेरा लण्ड धीरे धीरे बैठने लगा। मैं बाथरूम चला गया और बोला- अब 10 मिनट लगेंगे फिर से इसको खड़ा होने में!

वह थोड़ी निराश हो गई तो मैंने उसको समझाया- लड़कों के साथ ऐसा होता है।

स्वीटी की नाराज़गी मुझे कुछ अच्छी नहीं लगी, मैंने उसको बोला- अगर तुझे ज्यादा लगता है तो इसको मुँह में ले और खड़ा कर दे।

वो बहुत गर्म हो चुकी थी, वो तैयार हो गई, अपने घुटने पर आ गई, फिर मेरा लण्ड मुँह में ले लिया।

उसके मुंह में लेते ही मेरा लण्ड ताव में आने लगा, वो उसको लॉलीपोप की तरह चूस रही थी।

मेरा लण्ड अब पूरा खड़ा हो चुका था, मैंने उसको बिस्तर पर आने को कहा।

मैंने उसको टांगों को उठा कर उसके नीचे दो तकिये लगा दिए और उसका सर बेड से सटा दिया ताकि वो हिल न पाए। मैंने धीरे से उसकी चूत को उठाया और लण्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

वो बोली- राहुल, जल्दी डाल दे, रहा नहीं जा रहा है।

मैं धीरे धीरे लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा और एकदम धीरे से लण्ड को चूत के मुह पर रख हल्का सा झटका दिया और वो दर्द से कराह उठी।

मैंने बोला- थोड़ा दर्द सहना पड़ेगा।

वो बोली- ठीक है !

और फिर और एक ज़टका दिया और थोडा लण्ड उसकी चूत के अन्दर गया। और वोह चिल्लाई- .. रा..आ..हु..ल.. मैं मर्र गई..इ।

शायद उसका योनिपटल टूटा होगा। मैंने प्यार से उसके सर पर हाथ फ़िराया और हल्के से चूम लिया।

अब मैं लण्ड को और अन्दर डालने लगा और धीरे धीरे स्पीड बढ़ाने लगा। वो दर्द की वजह से ज्यादा साथ नहीं दे रही थी पर मुझे पता था कि थोड़ी देर के बाद वो ठीक हो जाएगी। और फिर उसकी तरफ से उह्ह्ह अह्ह्ह की मीठी आवाज आने लगी, कहने लगी- राहुल.... बहुतत.. मजा.. आ.. रहा.. है .. और जोर से करो...

मैं अपनी स्पीड बढ़ाने लगा और वो आह अह्ह चिल्लाने लगी।

और फिर उसने दोनों हाथ मेरी पीठ पर लगा दिए और अपने नाखून मेरी पीठ पर चुभा दिए...

मुझे पता चल गया वो झड़ गई है.. उसके पैर कांपने लगे और मुझसे अलग होने की कोशिश करने लगी..

मैंने कहा- मेरा अभी बाकी है..

मैंने कंडोम पहन लिया और उसको पीछे से जाकर चूत में लण्ड डाल दिया।

और 20-22 झटके के बाद हम दोनों एक साथ जड़ गए... मैंने उसको अपनी बाँहों में भर लिया और उसके माथे को चूमने लगा..

उसकी आँखें बयां कर रही थी कि वो बहुत तृप्त हो गई है।

मैंने उसकी प्यार से चुम्मी ली और फिर हम दोनों अपने कपड़े खोजने लगे..

और उसने पूछा... राहुल मेरी पैंटी कहाँ है???

............सेक्स के बाद हर लड़की अपने साथी से पहला सवाल यही करती है।

raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 13:26

सहेली की सज़ा
यह कहानी मैं अपनी सहेली मल्लिका के बारे लिख रही हूँ। जब यह घटना हुई तब मुझे पता नहीं था कि मल्लिका को यौनसुख इतना प्रिय है! मैं आपको बताती हूँ कि मुझे मल्लिका की इतनी अधिक कामवासना का पता कैसे चला।

मेरा नाम माधवी है। मैं 33 वर्ष की विवाहित स्त्री हूँ। मेरे पति कुणाल पैंतीस वर्ष के हैं। मुझे एक बार काम से दिल्ली से लखनऊ जाना था पर मुझे टिकट नहीं मिल पाया। मैं बहुत परेशान थी। मैंने अपनी सहेली मल्लिका को बताया तो वो बोली कि उसके पति को भी लखनऊ जाना है और वो कार से जा रहे हैं। तू चाहे तो उनके साथ चली जा!

मैंने अपने पति से पूछा तो वो भी तैयार हो गए। उन्होंने कहा कि सुनील तुम्हारी सहेली के पति हैं। कोई गैर थोड़े ही है, तुम चली जाओ।

मैं और सुनील कार से निकल गए। सुनील शरीफ इंसान थे, रास्ते में हम लोग बातें करते हुए जा रहे थे पर सुनील ने मुझे कभी भी छूने की कोशिश नहीं की, बातचीत का दायरा भी सभ्य था।

लंच करने के बाद कार ने परेशान करना शुरू कर दिया और शाम को करीब 5 बजे जब हम बरेली पहुँचे तो कार एकदम बंद हो गई। मकैनिक को दिखाया तो उसने ठीक करने में 4 घंटे का समय लगा दिया।

सुनील ने कहा – भाभी, अब रात के दस बजे चलना ठीक नहीं होगा! अगर तुम कहो तो हम आज रात यहीं होटल में रुक कर सुबह होते ही निकल पड़ेंगे?

सुनील शरीफ थे। परिस्थितियों को देखते हुए मैं सुनील की बात मान गई। हम लोगों ने एक होटल में कमरा लिया। होटल वाले को हमने अपना परिचय पति-पत्नी का दिया नहीं तो वो होटल नहीं मिलता।

मैं बहुत थक गई थी। कमरे में जाकर तुरंत नहाने चली गई और नाइटी पहन कर बिस्तर पर लेट कर आराम करने लगी।

सुनील ने मुझसे पूछ कर ड्रिंक्स मंगवा लिए। वो थके हुए थे और मल्लिका ने मुझे बताया था कि वो रोज रात को ड्रिंक लेते हैं। सुनील ड्रिंक ले रहे थे तभी मुझे नींद आ गई। नींद में मुझे एक बहुत प्यारा सा सपना दिखा! सपने में मैंने देखा कि मेरे पति मेरे बदन को सहला रहे है।

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मैं अपने घर पर ही हूं और मेरे पति मुझे प्यार कर रहे हैं। धीरे-धीरे उन्होंने मुझे निर्वस्त्र कर दिया। उनके हाथ पहले मेरे पेट पर और फिर मेरी चूचियों पर आ गए। वो अब मेरे चुचूक सहला रहे थे। मैं गर्म होने लगी थी। उन्होंने मेरे चुचूक अपने मुँह में लेकर खूब चूसे। उनके हाथ मेरे पूरे शरीर पर घूम थे। कुछ देर बाद उनकी उँगलियाँ मेरी चूत पर पहुँच गई। मेरी चूत रस छोड़ रही थी। ऐसा उत्तेजक सपना मैं बहुत दिनों के बाद देख रही थी।

उन्होने मेरे उपर आ कर मेरी टाँगें फैला दीं और अपना तना हुआ लण्ड धीरे-धीरे मेरी चूत में घुसाना शुरू किया। मैं पूरी तरह पनिया चुकी थी और बेसब्री से चुदने का इंतज़ार कर रही थी। अभी लंड आधा ही घुसा था कि सपना टूट गया। मेरी आखें थोड़ी सी खुली तो मुझे लगा कि मेरे पति मेरे ऊपर हैं और उनका आधा लण्ड मेरी चूत में घुसा हुआ है। ... तभी मुझे याद आया कि मैं तो होटल में थी, और वोह भी सुनील के साथ। अब मैंने अपनी आँखें थोड़ी और खोली। हे भगवान! ये क्या? मैं सपने में जिसे अपना पति समझ रही थी वो सुनील था, और यह सब मेरी जानकारी के बिना हकीकत में हो रहा था, सपने में नहीं!!

उसने मेरी गहरी नींद का फायदा उठा लिया था। मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूँ? अगर मैं चिल्लाऊंगी तो आस पास के कमरों वाले आ जायेंगे। वे माजरा जान कर होटल वाले को बुलायेंगे। और होटल वाला पूछेगा कि तुम अपने पति की शिकायत क्यों कर रही हो? आखिर उनका हक है ये तो (रजिस्टर में तो सुनील ने पति-पत्नी ही लिखवाया था)। फिर मैं क्या जवाब दूंगी। लंड आधा तो पहले घुस ही चूका था। मैं कुछ कह या कर पाती उससे पहले वो अंदर घुस गया।

मैंने सोचा कि अब कुछ शिकायत करने से क्या मिलना है। जब इतना हो चुका है तो बाकी भी चुपचाप करवा लो! बाद में बात करेंगे।

मैंने अपनी आखें थोड़ी सी खुली रखी और चुपचाप पड़ी रही। सुनील अब अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल चुका था। मैंने अपनी टांगें थोड़ी फैला दीं ताकि उसे चोदने में आसानी रहे।

उसका लंड बहुत कड़क था। वो खूब तगड़े धक्कों से मुझे चोद रहा था। उसने मेरे मम्मों को भी खूब मसला।

सच कहूँ तो वो मुझे मेरे पति से ज्यादा मजा दे रहा था। बस इस बात का अफ़सोस था कि यह सब मेरी सहमति के बिना हो रहा था। और यह भी नहीं था कि सुनील मेरे साथ बलात्कार कर रहा था। मैं चाहती तो उसे रोक सकती थी पर लंड अंदर घुसने के बाद। असमंजस के बावजूद मैं इस चुदाई का मज़ा ले रही थी। अब मैं समझ चुकी थी कि पर-पुरुष का मजा अलग ही होता है।

सुनिल पूरा दम लगा कर मुझे चोद रहा था। वो ये भी भूल गया था कि मैं नींद से जाग सकती हूं। पन्द्रह मिनट की धमाकेदार चुदाई के बाद उसके लंड से पानी की बौछार निकली तो मेरी चूत तृप्त हो गई। काम होने के बाद जैसे ही सुनील ने अपना लण्ड मेरी चूत से बाहर खींचा, मैंने नींद खुलने का नाटक किया - यह क्या है, ... मैं नंगी कैसे हूं? ... हाय राम, क्या तुमने मेरे साथ बलात्कार किया है!

सुनील मेरे सामने हाथ जोड़ कर बोला – मुझे माफ कर दो, भाभी। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। अगर तुमने किसी को बताया तो मैं बर्बाद हो जाऊँगा।
मैंने कहा – लेकिन मैं तो बर्बाद हो चुकी हूं। तुमने मेरे नींद में होने का फायदा उठा कर मेरी इज्ज़त लूट ली!

वह बोला – भाभी, शराब के नशे में मुझे होश नहीं रहा। तुम्हारी खूबसूरती के लालच में आ कर मैं सही–गलत का फर्क भूल बैठा। तुम मुझे माफ कर दो तो मैं फिर कभी ऐसा नहीं करूंगा।

मैं ये नहीं दिखा सकती थी कि उसके साथ-साथ मैंने भी चुदाई का पूरा मज़ा लिया था। मैंने गुस्सा दिखाते हुए उसकी बीवी मल्लिका को फ़ोन लगाया और उसे सारा किस्सा बताया।

मेरी बात सुन कर वो बहुत नाराज़ हुई और बोली- सुनील को प्रायश्चित करना पड़ेगा नहीं तो मैं उसे तलाक दे दूंगी।

यह कह कर उसने फ़ोन काट दिया।

थोड़ी देर बाद मेरे पति कुणाल का फ़ोन आया। उसने कहा कि मल्लिका ने उसे अभी बुलाया है। मैं क्या बोलती। मैं सोच रही थी कि मल्लिका से सच जान कर उस पर क्या बीतेगी?

वापस पहुँचने पर मल्लिका ने मुझे बताया कि उस रात उसने मेरे पति को क्यों बुलाया था।

कुनाल को पूरी बात बता कर मल्लिका ने उस से कहा - सुनील को इसकी सज़ा भुगतनी पड़ेगी। हम उसे ऐसे ही नहीं छोड़ सकते।

कुनाल ने पूछा – लेकिन उसे सज़ा कैसे मिलेगी?
मल्लिका ने कहा - अगर तुम मेरे साथ वही करो जो सुनील ने तुम्हारी पत्नी के साथ किया है तो उसे उसके किये की सज़ा मिल जायेगी और हमारा बदला भी पूरा हो जाएगा।

इसके बाद वे दोनों मिल कर पूरी रात सुनील को सज़ा देते रहे।

कुणाल ने मुझे दिलासा दिया कि इसमें मेरी कोई गलती नहीं थी क्योंकि जो हुआ उस वक्त मैं तो नींद में थी। और अब तो उन्हें सुनील से भी कोई शिकायत नहीं है। पर शायद मल्लिका का बदला अभी पूरा नहीं हुआ है। वो अक्सर हमारे घर आ जाती है, मेरे पति से चुदने। और सच तो यह है कि उसे अपने पति से चुदते देख कर मुझे भी संतोष होता है कि सुनील अब तक अपने किये की सज़ा भुगत रहा है।

Post Reply