खिलोना compleet

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raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:40

रीमा सोचने लगी कि आख़िर ये हैवान उसकी नाज़ुक,कसी चूत मे जाएगा कैसे.उसे डर लगा कि आज तो उसकी चूत ज़रूर फॅट जाएगी.उसका हलक सुख गया & उसने थूक गटका.विरेन्द्र जी शायद उसकी घबराहट भाँप गये थे.उन्होने बड़े प्यार से उसके गालो & बालो को सहलाया & फिर उसकी टाँगे उठा अपने कंधो पे लगा ली.

अब वो घुटनो पे बैठे उसके पैर चूम रहे थे.रीमा अपना डर भूल फिर से मस्त होने लगी.विरेन्द्र जी ने देखा की उनकी बहू फिर से मज़े मे आने लगी है तो उन्होने उसकी बाई टांग को तो कंधे पे ही रहने दिया पर दाई को उतार अपनी कमर पे लपेट लिया.फिर अपना लंड लिया & उसकी चूत पे लगा दिया.जहा 1 तरफ रीमा को डर लग रहा था वही दूसरी तरफ उसके दिल मे ख्वाहिश भी थी कि वो अपने ससुर का ये लंबा,मोटा लंड पूरा का पूरा अपनी चूत मे ले.

विरेन्द्र जी ने हल्के से लंड को उसकी गीली चूत मे धकेला तो लंड का सूपड़ा आधा अंदर चला गया.रीमा ने 1 हाथ से तकिया पकड़ लिया & दूसरा उनके पेट पे लगा दिया जैसे उन्हे रोक रही हो.विरेन्द्र जी उसकी दाई जाँघ & बाई टाँग थामे लंड अंदर पेलने लगे.

"ऊवन्न...न्नह...",जैसे ही पूरा सूपड़ा अंदर गया,रीमा अपना बदन उपर उठाते हुए करही.थोड़ी देर तक विरेन्द्र जीशांत पड़े उसकी चूचियो को दबाते & उसकी टांगे सहलाते रहे.फिर उन्होने 1 हल्का धक्का दिया तो लंड 1 इंच और अंदर चला गया.रीमा को अभी उतनी तकलीफ़ नही हुई थी.

पर जैसे ही विरेन्द्र जी ने थोड़े धक्के दिए & 2 तिहाई लंड अंदर गया कि उसकी चीख निकल गयी & विरेन्द्र जी की आह ,उन्होने नही सोचा था कि उनकी विधवा बहू किचूत इतनी कसी होगी,उन्हे लग रहा था जैसे किसी बहुत नाज़ुक हाथ ने उनके लंड को बड़ी मज़बूत गिरफ़्त मे लिया हो.रीमा तो बेचैन थी,इस से ज़्यादा आगे उसकी चूत मे कभी कोई लंड नही गया था & उसे दर्द होने लगा था.

"आहह...पिताजी...दर्द हो रहा है.इसे निकाल लीजिए ना!"

"अभी सब ठीक हो जाएगा,बहू.मुझपे भरोसा रखो.",विरेन्द्र जी उसके चेहरे को प्यार से सहलाने लगे.थोड़ी देर बाद बिना लंड को और अंदर घुसाए वो रीमा को बहुत धीरे-2 चोदने लगे.शुरू मे तो रीमा को तकलीफ़ हुई पर कुच्छ मिनिट के बाद उसे मज़ा आने लगा.वो आहें भरती हुई कमर हिलाने लगी.

विरेन्द्र जी ने अब उसकी दाई टाँग को भी अपने कंधे पे ले लिया & उसके पैरो की उंगलिया चूमने लगे.वो 1-1 उंगली को मुँह मे भर के चूसने लगे.रीमा को उसके पति या उसके जेठ ने कभी ऐसे प्यार नही किया था.उसे बहुत अच्छा लग रहा था,पैरो मे जैसे गुदगुदी हो रही थी.

दोनो पैरो को बारी-2 से चूमने के बाद विरेन्द्र जी ने उसकी कंधो पे रखी टांगे पकड़ी & 1 ज़ोर का धक्का दिया.

"ऊओ...उउउक्चह...!",रीमा चीखी,विरेन्द्र जी ने सोचा था कि लंड पूरा अंदर चला जाएगा पर वो तो बस आधा इंच ही और गया था,"...और मत घुसाइए पिताजी,प्लीज़.......आआआअ...ईईईईययययी....ययइईई...!",रीमा की गुज़ारिश को अनसुना करते हुए विरेन्द्र जी ने ज़ोर के 2-3 धक्के लगा लंड को जड़ तक उसकी चूत मे उतार दिया था.

रीमा दर्द से छत्पताने लगी तो विरेन्द्र जी उसके होंठो पे झुक आए.ऐसा करने मे उसकी कंधो पे लगी टाँगे मूड गयी & उसकी जांघे उसकी चूचियो पे दब गयी,गंद भी बिस्तर से उठी हुई थी & लंड जितना अंदर जा सकता था उतनी गहराई मे उतरा हुआ था.


raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:41

रीमा को अपनी चूत बहुत फैली हुई महसूस हो रही थी & लग रहा था जैसे लंड उसकी कोख को छु रहा है.दर्द से उसका बुरा हाल था & उसके ससुर उसके चेहरे पे प्यार कर उसे दिलासा दे रहे थे,"बस थोड़ी देर और रीमा.फिर दर्द नही होगा.",उन्होने उसके होंठ चूम लिए & बालो मे प्यार से उंगलिया फिराई.

थोड़ी देर तक दोनो ऐसे ही पड़े रहे.रीमा को अब चूत मे उतना दर्द महसूस नही हो रहा था.ससुर ने जब उसे चूमा तो उसने भी उनका जवाब दिया.विरेन्द्र जी समझ गये कि उनकी बहू अब तैय्यार है.उन्होने उसके होटो को छ्चोड़ा & अपने शरीर का वज़न अपने हाथो पे लिया & अपनी बहू की चुदाई शुरू कर दी.पहले उन्होने तेज़-2 धक्के लगाए जिसमे लंड को बस 1-2 इंच निकालते & वापस अंदर घुसेड़ते.रीमा को धीरे-2 मज़ा आने लगा.वो अपने ससुर के चेहरे & बालो को सहलाती आहें भरने लगी.

तभी विरेन्द्र जी ने अपना पूरा लंड बाहर खींच लिया,रीमा ने बेचैन होकर उन्हे देखा तो उन्होने 1 ही झटके मे पूरा लंड जड़ तक उसकी चूत मे पेल दिया,"ययय्याअ...अहह.....!"

वो अब वैसे ही उसकी चुदाई करने लगे.लंड पूरा बाहर निकलता & फिर उसकी चूत की दीवारो को रगड़ता पूरा अंदर उसकी कोख पे चोट करता.रीमा को आज चुदाई मे 1 अलग ही मज़ा आ रहा था,उसकी चूचिया उसी की जाँघो से दबी थी & उसकी गंद हवा मे उठी थी,उसकी चूत पूरी तरह से भरी हुई थी & उसके ससुर के लंड ने आज वाहा की अंजनी गहरआीओं की भी थाह पा ली थी.कमरे मे उसकी मस्त आहों & दोनो बदनो के टकराने से होने वाली ठप-ठप का शोर भर गया था.

उसे उनपे बहुत प्यार आ रहा था,उसने उनके कंधे से अपनी टांगे उतारी &उन्हे अपनी बाहो मे भर लिया.विरेन्द्र जी उसके सीने पे आ गिरे & उसकी छातियो को 1-1 कर चूमने,चूसने लगे.रीमा ने उन्हे बाँहो मे भर लिया,उसकी चूत मे फिर से सैलाब आने वाला था.नीचे से कमर हिला के अपने ससुर के धक्को की ताल से ताल मिलाती हुई रीमा ने अपनी टांगे अपने ससुर की कमर पे लपेट दी & उनकी पीठ पे अपने नाख़ून गढ़ा दिए.

उसकी इस हरकत से विरेन्द्र जी की कराह निकल गयी & जवाब मे उन्होने उसके निपल पे हल्के से काट लिया,"..आउच.."रीमा ने 1 हाथ से उनके सर को पकड़ा & उनके बालो को चूमने लगी.उसके अंदर का सैलाब अब बाँध तोड़ने वाला था,वो अपने ससुर से चिपेट गयी & उसकी टांगे भी उनकी कमर पे और कस गयी.विरेन्द्र जी समझ गये कि रीमा झड़ने वाली है.उन्होने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी.उनके झांतो भरे अंदो हर धक्के के अंत मे उनकी बहू की गंद से टकराते हुए उसे गुदगुदी का एहसास करा रहे थे.

रीमा ने अपनी कोख पे उनके लंड की 2-3 चोटे & और बर्दाश्त की और उसके अंदर उस सैलाब ने बाँध तोड़ दिया,उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ना शुरू कर दिया & वो अपने ससुर के बदन से चिपकी बिस्तर से उठाते हुए उनके कानो मे पागलो की तरह जीभ फिराती हुई सिसकते हुए झाड़ गयी.ठीक उसी वक़्त विरेन्द्र जी ने भी अपने उपर से काबू हटाया & 2-3 ज़ोर के गहरे झटको के साथ अपनी बहू की चूत को अपने गाढ़े पानी से भर दिया.

थोड़ी देर तक दोनो वैसे ही पड़े अपनी साँसे संभालते रहे.फिर वीरेंद्र जी ने बड़े प्यार से अपनी बहू के होटो को चूम लिया.वासना का तूफान थम गया था & अब रीमा फिर से होश मे आ गयी थी.उसके ससुर ने उसके होंठ छ्चोड़े तो उसने शरमे से चेहरा घुमा लिया & उसकी नज़र कमरे के दूसरी ओर सो रही अपनी सास पे पड़ी.

रीमा तो शर्म से पानी-2 हो गयी.उसने सपने मे भी नही सोचा था कि वो 1 दिन अपनी सास के उसी कमरे मे होते हुए अपने ससुर से चूड़ेगी.विरेंड्रा जी का लंड सिकुड चुका था पर उनका सिकुदा लंड भी उनके बिटो के खड़े लंड के बराबर था & रीमा को कहीं से भी ये महसूस नही हो रहा था कि उसकी चूत के अंदर 1 झाड़ा हुआ लंड पड़ा है.उन्होने अपना लंड बाहर खींचा तो रीमा को लगा जैसे उसके अंदर कुच्छ खाली सा हो गया है.

raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:41

विरेन्द्र जी अपनी बहू के बगल मे लेट गये.रीमा उनसे नज़रे नही मिला पा रही थी.उन्होने उसे पशोपेश मे पड़ा देख करवट ली & अपनी कोहनी के बल अढ़लेते हो उसका चेहरा पानी ओर घुमाया,"मैं तुम्हारी मन की हालत समझ रहा हू,रीमा."

उन्होने प्यार से उसके चेहरे पे हाथ फेरा,"हम सब तक़दीर के हाथ के खिलोने हैं, रीमा.अगर सुमित्रा ठीक होती तो शायद आज हम दोनो 1 दूसरे की बाहों मे सुकून नही ढूँढ रहे होते.",वो उसके थोड़ा और करीब आ गये & उसके चेहरे को हाथ मे भर लिया,"तुमने कोई ग़लती नही की है.हम दोनो को सुकून चाहिए था,प्यार चाहिए था जो आज हमने पा लिया है."

उन्होने उसे अपने सीने से लगा लिया.रीमा ने उनके सीने मे मुँह च्छूपौंके बालो से खेलने लगी,"फिर भी मुझे अजीब लग रहा है.मा जी भी इसी कमरे मे हैं & हम दोनो.."

"तुमने सुना था ना आज सवेरे डॉक्टर ने क्या कहा.तुम्हे लगता है उसे कुच्छ पता भी चलता है.",उन्होने उसके चेहरे को अपने सीने से उठाया & उसे उसकी सास की ओर घुमा दिया,"खुद ही देखो & समझो.वो बेख़बर सो रही है.तुम बेकार मे ही इतना सोच रही हो."

उन्होने फिर से उसका चेहरा अपनी ओर घुमा लिया,"मैं तुम्हारे जिस्म के लालच मे ऐसी बातें नही करा रहा,रीमा.अब तो जब तक ज़िंदा रहूँगा तुम्हे खुद से अलग नही करूँगा.",सुनते ही रीमा ने 1 बार फिर उनके सीने मे सर छुपा लिया & अपनी बाहें उनके गिर्द लपेट दी.

कल जेठ ने उस से ऐसा ही वादा किया था.उसे यकीन हो गया कि दोनो बाप-बेटे अब उसके दीवाने हो चुके हैं.अब बस उनसे रवि के बारे मे पुच्छना था पर सीधे रवि के मुद्दे पे पहुँचना ठीक नही था.

विरेन्द्र जी पीठ के बाल लेट गये तो वो उनके सीने पे ठुड्डी रख उनके सीने के बालो मे हाथ फिरते उन्हे देखने लगी,वो भी 1 हाथ से उसकी पीठ सहला रहे थे & दूसरे से उसका चेहरा.


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