अब वो फिर से मालिश करने लगा। लंड का सुपाड़ा ऐसे ही गाँड के छेद में ही टिका हुआ था। उसने थोड़ा सा और तेल खुली हुई गाँड में टपकाया और लंड के सुपाड़े को अंदर-बाहर करने लगा। अब उसका लंड और मेरी गाँड, बहुत ही चिकने हो चुके थे और सुपाड़ा आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। एस-के अब मेरे ऊपर फिर से झुक कर करीब लेट गया और मेरे कंधों को ऐसे पकड़ लिया कि उसके दोनों हाथ मेरी दोनों चूचियों के बीच में थे, जिससे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। उसने धीरे-धीरे अपनी गाँड उठा-उठा कर लंड के सुपाड़े को मेरी गाँड के अंदर-बाहर अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। दोनों के जिस्म चिकने होने से फिसल रहे थे। तकिया मेरी गाँड के नीचे होने से गाँड ऊपर उठ गयी थी और लंड को अंदर आने की दावत दे रही थी। एस-के ने सुपाड़ा अंदर-बाहर करते-करते एक जम के झटका दिया तो लंड तकरीबन आधा गाँड के अंदर घुस गया और मेरे मुँह से एक चींख निकल गयी “हाय.... मैं मर गयीईईईईईई..... निकाल लो इसे आआआआहहहह।“ वो थोड़ी देर ऐसे ही आधा लंड अंदर घुसेड़ कर मेरे ऊपर लेटा रहा। मेरी गाँड एस-के के लंड से कुछ एडजस्ट हुई तो फिर एस-के थोड़ा सा ऊपर उठ गया और फिर से अपने लंड पे, जो आधा मेरी गाँड के अंदर घुसा हुआ था, उसके डंडे पे तेल उढ़ेलने लगा और लंड को अंदर बाहर करने लगा। तेल उढ़ेलने से लंड का डंडा और स्लिपरी हो चुका था और गाँड का सुराख भी स्लिपरी हो गया था।
एस-के ने कहा, “किरन अब तुम थोड़ा सा ऊपर उठ कर अपने नीचे से तकिया निकल लो..... अब उसकी ज़रूरत नहीं है...... ऐसे ही नीचे रहेगा तो तुम्हें और दर्द होगा।“ मैं थोड़ा सा उठी और एस-के ने मेरे नीचे से तकिया निकाल लिया। एस-के ने कहा, “किरन अब तुम अपनी गाँड को थोड़ा सा ऊपर उठा लो” तो मैंने अपने चूतड़ों को थोड़ा ऊपर उठा लिया। अब मैं बेड पे उलटी लेटी थी और मेरी गाँड थोड़ी सी ऊपर उठी हुई थी और एस-के का मूसल लंड गाँड में आधा अंदर घुसा हुआ था। एस-के ने फिर से अपने हाथ मेरे जिस्म के नीचे से डाल के कंधों को पकड़ लिया और उसके हाथ मेरी चूचियों से लगने लगे। दोनों हाथ दोनों चूचियों के बीच में थे। दोनों थोड़ी देर तक ऐसे ही चिपके हुए लेटे रहे। अब मेरी गाँड उसके लंड से पूरी तरह एडजस्ट हो चुकी थी और मेरी गाँड अपने आप ही थोड़ी सी उठ गयी और गाँड के सुराख के मसल थोड़े रिलैक्स हुए तो एस-के ने समझ लिया कि अब मैं अच्छी तरह से गाँड मरवाने के लिये रेडी हूँ। उसने अपने लंड को आधा ही अंदर-बाहर अंदर-बाहर करके मेरी गाँड मारनी शुरू कर दी। अब मुझे भी अच्छा लगने लगा और मैं मज़े लेने लगी। लंड और गाँड दोनों बहुत ही चिकने और स्लिपरी हो चुके थे। मेरी साँसें अब ठीक से चलने लगी थी। एस-के ऐसे ही गाँड के अंदर आधा लंड घुसा के धक्के मारता रहा और फिर मेरे कंधों को ज़ोर से पकड़ कर इतनी ज़ोर से झटका मारा कि मैं चिल्ला पड़ी, “ऊऊऊईईईई अल्लाहहह....आआआआ मर गयी...ईईईईईई ऊऊऊऊऊऊऊ निकाल लो!!” पर अब उसका लंड पूरा जड़ तक मेरी गाँड में घुस चुका था और मुझे उसका लंड गाँड फाड़ कर पेट में से घुस कर मुँह से बाहर तक निकलता हुआ महसूस होने लगा। दर्द से मेरी आँखें बाहर निकल गयी और साँसें रुक गयीं और मेरे सामने अंधेरा छाने लगा। शायद मैं फिर से बेहोश हो गयी थी।
एस-के मेरी गाँड में अपना रॉकेट जैसा लंड घुसेड़ कर थोड़ी देर ऐसे ही मेरे ऊपर लेटा रहा। कुछ ही देर के बाद मेरी गाँड अब पूरी तरह से रेडी हो गयी थी और अब गाँड में लंड अच्छा लग रहा था तो एस-के ने पीछे बेड से पैर टिकाकर उछल-उछल के मेरी गाँड मारनी शुरू कर दी। कभी आधा लंड बाहर तक खींच लेता तो कभी सुपाड़े तक बाहर निकाल कर ज़ोर का झटका मारता तो मेरी जान ही निकल जाती और अंदर की साँस अंदर और बाहर की बाहर रह जाती। थोड़ी देर तक तो तकलीफ होती रही लेकिन थोड़ी ही देर में मुझे गाँड मरवाने में बहुत ही मज़ा आने लगा और मैं अपनी गाँड से लंड को पीछे से धक्के मारने लगी। तेल लगा होने से फच-फचक-फचक की आवाज़ें आ रही थी और एस-के का मूसल जैसा लंड मेरी गाँड में घुसा हुआ था। वो ज़ोर-ज़ोर से खचाखच मेरी गाँड मार रहा था और मैं मज़े से मरवा रही थी। मैं अपनी गाँड पीछे धकेल कर उसका मोटा लंड अपनी गाँड में ले रही थी। बहुत मज़ा आने लगा था और उसी वक्त मेरा जिस्म काँपने लगा और मेरी चूत में से जूस निकलने लगा। मेरा ऑर्गेज़म चलता रहा और मैं बे-दम हो कर बेड पे गिर गयी। एस-के अपनी गाँड उठा-उठा कर लंड को पूरा सुपाड़े तक बाहर निकाल-निकाल के मेरी गाँड मार रहा था। उसकी स्पीड बढ़ गयी और वो दीवानों की तरह से मेरी गाँड के अंदर अपना मूसल लंड घुसेड़ रहा था और तेज़ी से मेरी गाँड मार रहा था। फिर उसने एक बहुत ही ज़ोरदार झटका मारा तो मेरे मुँह से फिर से चींख निकल गयी “आंआंआंआंआं मर गयी....ईईईई” और फिर फौरन ही उसके लंड से मलाई की पिचकारियाँ मेरी फटी हुई गाँड में निकल कर गिरने लगी। पहली पिचकारी के साथ ही मेरी चूत से जूस निकलने लगा और मैं भी झड़ने लगी। एस-के के लंड में से मलाई निकलती गयी और मुझे लगने लगा जैसे उसकी मलाई से मेरी गाँड और मेरा पेट दोनों भर जायेंगे। अभी उसका लंड मेरी गाँड के अंदर ही घुसा हुआ था और वो मेरे जिस्म पे गिर गया। हम दोनों गहरी गहरी साँसें ले रहे थे। थोड़ी ही देर के बाद जब हमारी साँसें ठीक हुई तो एस-के मेरे ऊपर से मेरी साईड में लुढ़क गया और उसका लंड मेरी गाँड में से निकलते ही मेरी गाँड में से उसकी मनि बाहर निकलने लगी और मेरी चूत की दरार में से होता हुई नीचे बेड शीट पर गिरने लगी।
किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic
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मैं भी अब सीधी हो कर लेट गयी और करवट लेकर एस-के को प्यार करने लगी। दोनों करवट से लेटे थे, एक दूसरे की तरफ़ मुँह करके। फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपट के गहरी नींद सो गये। सुबह उठी थो चूत और गाँड में मीठा-मीठा दर्द हो रहा था। हम दोनों ने साथ ही शॉवर लिया और दोनों एक दूसरे को साबुन लगा कर नहलाने लगे। एस-के ने मेरी चूत और गाँड में साबुन लगाया और मैंने एस-के के लंड पे साबुन लगायी और धोने लगी। एस-के के लंड पे हाथ लगते ही उसका लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया और मेरे नंगे जिस्म को और मेरी चिकनी मक्खन जैसी चूत को सेलयूट करने लगा जैसे हाथी अपनी सूँड से सेलयूट करता है। मैंने हँस कर कहा, “वॉव एस-के.... ये तो फिर से अकड़ने लगा.....” तो उसने कहा, “किरन तुम्हारी मक्खन जैसी चिकनी और प्यारी चूत शायद मेरे लंड को पसंद आ गयी है और फिर से ये उस में घुसना चाहता है।“ मैं हँसने लगी और बोली कि “एस-के, मैं तुम्हारे लिये और तुम्हारे इतने शानदार लंड के लिये हमेशा ही रेडी हूँ।“ फिर शॉवर के अंदर ही एस-के ने मुझे अपनी गोदी में उठा लिया और दीवार से टिका कर मेरी चूत में लंड एक ही झटके में पेल दिया और चोदने लगा। मेरी बैक, दीवार से टिकी हुई थी और पैर एस-के की बैक पे लिपटे हुए थे और मैं अपने हाथ एस-के की गर्दन में डाल कर उसके जिस्म से झूल रही थी और उसका लंड मेरी चूत में तूफान मचा रहा था। वो गचागच चोद रहा था और उसका लंड चूत के अंदर ऐसे जा रहा था जैसे हथोड़े से दीवार में सुराख कर रहा हो। मुझे लग रहा था कि मेरी चूत और गाँड फाड़ कर उसका लंड दीवार में घुस जायेगा। उसके एक-एक झटके से मेरी चूचियाँ डाँस करने लगी। एस-के के हाथ मेरे चूतड़ों पे थे और मेरी बैक दीवार से टिकी थी। वो इसी तरह चोदता रहा और मैं दो बार झड़ चुकी थी। अब मुझे लगा कि एस-के भी झड़ने वाला है तो मैंने उसको कस कर पकड़ लिया। एस-के के झटके बहुत ही तेज़ हो गये और मेरी ज़बरदस्त चुदाई होने लगी और फिर उसने एक इतनी ज़ोर से झटका मारा कि मेरी चींख निकल गयी, “ऊऊऊऊईईईईईई ईईईईईईई”, और मेरा मुँह खुला का खुला रह गया और मैंने महसूस किया कि एस-के का लंड मेरी चूत में फूल रहा है और उसके लंड से गरम-गरम मलाई की पिचकारियाँ निकल रही हैं और मैं फिर से झड़ने लगी। चुदाई होने के बाद उसने मुझे नीचे उतारा और हम ने फिर से शॉवर लिया।
बाथरूम से बाहर निकल कर मैंने फिर से हाई-हील के सैंडल पहने और फिर जब कपड़े पहनने लगी तो एस-के ने कहा, “नहीं किरन..... मैं और तुम जितनी देर घर में अकेले रहेंगे, तुम और मैं कोई कपड़ा नहीं पहनेंगे और हम दोनों नंगे ही रहेंगे.... तुम सिर्फ ये सैक्सी सैंडल पहने रहो.....” तो मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “ओक एस-के..... मैं तो तुम्हारी गुलाम हो गयी हूँ..... तुम जैसा कहोगे, मैं वैसा ही करुँगी।“ फिर मैंने सिर्फ सैंडल पहने, नंगी ही किचन में गयी और ब्रेकफास्ट बनाया और हम दोनों ने नंगे ही डायनिंग टेबल पे बिठ कर खाया। वो शनिवार का दिन था तो एस-के ने ऑफिस फोन कर दिया कि वो किसी और जगह काम से जा रहा है और ऑफिस नहीं अयेगा और फिर अपनी सेक्रेटरी को कुछ इंस्ट्रक्शन दे दिये और सारा काम समझा दिया। शनिवार और इतवार को मेरी जम कर चुदाई हुई। अब मैं अशफाक को भूल चुकी थी और मुझे अशफाक की याद भी नहीं आ रही थी। मैं तो ये सोच रही थी कि एस-के ही मेरा शौहर है और मैं उसकी बीवी ।
मंडे को एस-के को ऑफिस जाना था तो मैंने फिर उससे लिपट कर कहा कि “मैं कैसे रहुँगी तुम्हारे बिना” तो एस-के मुझे से लिपट गया और किस करने लगा और कहा कि “मैं कहीं नहीं जा रहा हूँ.... शाम को फिर आ जाऊँगा और मैंने तुम से प्रामिस भी तो किया हुआ है कि मैं अशफाक के आने तक तुम्हारे साथ ही रहुँगा और फिर आज अपनी वाइफ को एक वीक के लिये उसके मायके जाने के लिये कह दुँगा और बता दुँगा कि मैं किसी काम से मुंबई जा रहा हूँ और एक वीक के बाद आऊँगा।“ एस-के ने कहा, “किरन.... कहीं अशफाक को हमारे रिलेसन के बारे में पता चल गया तो मुश्किल हो जायेगी।“ मैंने कहा, “एस-के तुम अशफाक की फिक्र ना करो..... आई एम श्योर कि अगर उसको मालूम भी हो गया तो वो कुछ नहीं कहेगा क्योंकि उसको खुद ही पता है कि वो मुझे मुतमाइन नहीं कर पा रहा है और उसके लौड़े में अब दम नहीं है और ये कि वो मुझे जब भी चोदने की कोशिश करता है और मुझे गरम करके मेरी चूत के ऊपर ही अपना माल गिरा देता है तो उसकी नज़रें खुद ही नीचे हो जाती हैं और उसको पता है कि मैं उससे मुतमाइन नहीं हूँ..... इसलिये तुम उसकी बिल्कुल भी फिक्र ना करो और वो तुम्हारा अच्छा दोस्त भी है और हमेशा तुम्हारी तारीफ ही किया करता है कि तुम बहुत अच्छे इंसान हो और हमेशा दूसरों की मदद करते रहते हो।“ एस-के हँसने लगा और कहा कि, “हाँ मैं तुम्हारी मदद ही तो कर रहा हूँ”, और फिर हम दोनों मिल के हँसने लगे।
बाथरूम से बाहर निकल कर मैंने फिर से हाई-हील के सैंडल पहने और फिर जब कपड़े पहनने लगी तो एस-के ने कहा, “नहीं किरन..... मैं और तुम जितनी देर घर में अकेले रहेंगे, तुम और मैं कोई कपड़ा नहीं पहनेंगे और हम दोनों नंगे ही रहेंगे.... तुम सिर्फ ये सैक्सी सैंडल पहने रहो.....” तो मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “ओक एस-के..... मैं तो तुम्हारी गुलाम हो गयी हूँ..... तुम जैसा कहोगे, मैं वैसा ही करुँगी।“ फिर मैंने सिर्फ सैंडल पहने, नंगी ही किचन में गयी और ब्रेकफास्ट बनाया और हम दोनों ने नंगे ही डायनिंग टेबल पे बिठ कर खाया। वो शनिवार का दिन था तो एस-के ने ऑफिस फोन कर दिया कि वो किसी और जगह काम से जा रहा है और ऑफिस नहीं अयेगा और फिर अपनी सेक्रेटरी को कुछ इंस्ट्रक्शन दे दिये और सारा काम समझा दिया। शनिवार और इतवार को मेरी जम कर चुदाई हुई। अब मैं अशफाक को भूल चुकी थी और मुझे अशफाक की याद भी नहीं आ रही थी। मैं तो ये सोच रही थी कि एस-के ही मेरा शौहर है और मैं उसकी बीवी ।
मंडे को एस-के को ऑफिस जाना था तो मैंने फिर उससे लिपट कर कहा कि “मैं कैसे रहुँगी तुम्हारे बिना” तो एस-के मुझे से लिपट गया और किस करने लगा और कहा कि “मैं कहीं नहीं जा रहा हूँ.... शाम को फिर आ जाऊँगा और मैंने तुम से प्रामिस भी तो किया हुआ है कि मैं अशफाक के आने तक तुम्हारे साथ ही रहुँगा और फिर आज अपनी वाइफ को एक वीक के लिये उसके मायके जाने के लिये कह दुँगा और बता दुँगा कि मैं किसी काम से मुंबई जा रहा हूँ और एक वीक के बाद आऊँगा।“ एस-के ने कहा, “किरन.... कहीं अशफाक को हमारे रिलेसन के बारे में पता चल गया तो मुश्किल हो जायेगी।“ मैंने कहा, “एस-के तुम अशफाक की फिक्र ना करो..... आई एम श्योर कि अगर उसको मालूम भी हो गया तो वो कुछ नहीं कहेगा क्योंकि उसको खुद ही पता है कि वो मुझे मुतमाइन नहीं कर पा रहा है और उसके लौड़े में अब दम नहीं है और ये कि वो मुझे जब भी चोदने की कोशिश करता है और मुझे गरम करके मेरी चूत के ऊपर ही अपना माल गिरा देता है तो उसकी नज़रें खुद ही नीचे हो जाती हैं और उसको पता है कि मैं उससे मुतमाइन नहीं हूँ..... इसलिये तुम उसकी बिल्कुल भी फिक्र ना करो और वो तुम्हारा अच्छा दोस्त भी है और हमेशा तुम्हारी तारीफ ही किया करता है कि तुम बहुत अच्छे इंसान हो और हमेशा दूसरों की मदद करते रहते हो।“ एस-के हँसने लगा और कहा कि, “हाँ मैं तुम्हारी मदद ही तो कर रहा हूँ”, और फिर हम दोनों मिल के हँसने लगे।
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Re: किरन की कहानी लेखिका: किरन अहमद hindi long sex erotic
इसी तरह से पूरा एक वीक, एस-के मेरे साथ ही रहा। हम दिन-रात अलग-अलग स्टाईल में चुदाई करते रहे और मस्ती में टाईम गुजरता रहा। उस पूरे वीक में मैं सिर्फ हाई-हील के सैंडल ही पहने, बिल्कुल नंगी रही। एक वीक के बाद अशफाक वापस आ गये तो उन्होंने पूछा कि मेरा काम कैसे चल रहा है तो मैंने कह कि, “हाँ ठीक ही चल रहा है.... एस-के यहाँ ही आ कर मुझे सब कुछ सिखा देते हैं।“ अशफाक ने आँख मार कर कहा कि “कुछ हमें भी तो बताओ कि अब तक क्या क्या सिखा दिया है हमारी प्यारी सी किरन जान को....” तो मेरे मुँह पे खुद-ब-खुद शरम आ गयी और अशफाक मुझे गौर से देखने लगा और कहा कि, “किरन! एस-के मेरा सबसे प्यारा दोस्त है.... देखना कि उसको कोई तकलीफ ना हो और जब वो घर पे ही आता है काम सिखाने के लिये तो उसका पूरा खयाल भी रखा करो।“ मैंने मुस्कुरा कर सर हिला दिया और कहा कि “ठीक है, मैं एस-के के पूरा खयाल रखुँगी, तुम फिक्र ना करो।“ ऐसी ही दो मतलब की बातें हुई जिससे मुझे एक आयडिया तो हो गया कि अगर एस-के मुझे चोद भी दे तो अशफाक कोई फ़ील नहीं करेगा और मुझे ख़याल आया के शायद अशफाक चाहता भी यही हो के एस-के मुझे चोदे और मुझे मुतमाइन करे। खैर ये मेरा और एस-के कि चुदाई का सिलसिला चलता रहा। अब तो जैसे एस-के ही मेरा शौहर था। वो ही मुझे चोदता था और मैं उसके चोदने से बिल्कुल मुतमाइन थी।
एक टाईम हमने एस-के को डिनर पे बुलाया। हम तीनों ने खाना खाया। डिनर के बाद सोफ़े पे बैठे व्हिस्की पी रहे थे तो अशफाक ने एस-के से कहा कि “एस-के! किरन तुम्हारी बहुत तारीफ करती है कि तुम उसको काम अच्छी तरह से समझा रहे हो और उसकी पूरी मदद कर रहे हो।“ मैंने देखा कि एस-के के चेहरे पे एक रंग आ के चला गया। उसने समझा कि शायद अशफाक को उसके और मेरे रिश्ते का किसी तरह से पता चल गया पर एस-के ने कुछ कहा नहीं तो मैंने ही कहा कि “हाँ अशफाक! एस-के बहुत ही अच्छी तरह से मुझे काम समझा रहे हैं, तुम फिक्र ना करो और मैं उनका पूरा खयाल भी रख रही हूँ जैसा तुम ने कहा था।“ मैंने देखा कि अशफाक के चेहरे पे इतमिनान दिखने लगा और फिर एस-के ने भी कहा कि “यार अशफाक! किरन एक बहुत ही अच्छी लड़की है उसने काम बहुत ही जल्दी सीख लिया और अच्छी तरह से कर भी रही है और हाँ वो मेरा अच्छी तरह से खयाल भी रखती है।“ फिर अशफाक ने कहा, “देखो किरन! एस-के कि खिदमत में किसी किस्म की कमी ना रह जाये”, तो फिर मैंने कहा कि “हाँ, तुम फिक्र ना करो मैं सब देख लूँगी।“ अशफाक की बातों से ऐसे अंदाज़ा होता था कि हमारे बारे में वो कुछ समझ गया था या हमें आपस में चुदाई का सुझाव दे रहा था। हमारी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। खैर हमने सोचा कि अगर अब अशफाक को पता भी चल जाये तो कोई बात नहीं...... जब ऐसी कोई बात आयेगी तो देखा जायेगा।
व्हिस्की पीते-पीते हम ऐसे ही बैठे बातें कर रहे थे तो एस-के ने कहा कि कुछ महीनों बाद उसको दो हफतों के लिये न्यू-यॉर्क जाना पड़ रहा है। एस-के ने मज़ाक में कहा कि “यार अशफाक! अगर तुम इजाज़त दो तो मैं किरन को भी न्यू-यॉर्क की सैर करा लाऊँ” तो अशफाक ने कहा, “अरे इसमें पूछने की क्या बात है.... ये तो बड़ी अच्छी बात है.... ले जाओ..... वो यहाँ अकेले में बोर होती रहती है और मेरा कोई ठिकाना भी तो नहीं है.... कभी भी मुझे बिज़नेस के सिलसिले में बिना प्रोग्राम के ही कहीं भी चले जाना पड़ता है” तो एस-के ने कहा, “नहीं यार! मैं तो मज़ाक कर रहा था तुम तो सीरियस हो गये।“ अशफाक ने कहा, “अरे नहीं यार! मैं सच में संजीदा हूँ.... अगर तुम्हें कोई प्रॉबलम ना हो.... आई मीन कि कोई बिज़नेस की प्रॉबलम.....” तो एस-के ने कहा, “नहीं यार! मुझे किया प्रॉबलम हो सकती है।“ अशफाक ने कहा, “तो फिर क्या प्रॉबलम है ले जाओ किरन को अपने साथ यार..... मैं कह रहा हूँ ना।“ अशफाक और एस-के ऐसे ही बातें कर रहे थे और मैं कभी अशफाक की सूरत देखती तो कभी एस-के की और समझने की कोशिश कर रही थी कि कहीं ये दोनों वाकय संजीदा हैं या दोनों ही मज़ाक कर रहे हैं।
एक टाईम हमने एस-के को डिनर पे बुलाया। हम तीनों ने खाना खाया। डिनर के बाद सोफ़े पे बैठे व्हिस्की पी रहे थे तो अशफाक ने एस-के से कहा कि “एस-के! किरन तुम्हारी बहुत तारीफ करती है कि तुम उसको काम अच्छी तरह से समझा रहे हो और उसकी पूरी मदद कर रहे हो।“ मैंने देखा कि एस-के के चेहरे पे एक रंग आ के चला गया। उसने समझा कि शायद अशफाक को उसके और मेरे रिश्ते का किसी तरह से पता चल गया पर एस-के ने कुछ कहा नहीं तो मैंने ही कहा कि “हाँ अशफाक! एस-के बहुत ही अच्छी तरह से मुझे काम समझा रहे हैं, तुम फिक्र ना करो और मैं उनका पूरा खयाल भी रख रही हूँ जैसा तुम ने कहा था।“ मैंने देखा कि अशफाक के चेहरे पे इतमिनान दिखने लगा और फिर एस-के ने भी कहा कि “यार अशफाक! किरन एक बहुत ही अच्छी लड़की है उसने काम बहुत ही जल्दी सीख लिया और अच्छी तरह से कर भी रही है और हाँ वो मेरा अच्छी तरह से खयाल भी रखती है।“ फिर अशफाक ने कहा, “देखो किरन! एस-के कि खिदमत में किसी किस्म की कमी ना रह जाये”, तो फिर मैंने कहा कि “हाँ, तुम फिक्र ना करो मैं सब देख लूँगी।“ अशफाक की बातों से ऐसे अंदाज़ा होता था कि हमारे बारे में वो कुछ समझ गया था या हमें आपस में चुदाई का सुझाव दे रहा था। हमारी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। खैर हमने सोचा कि अगर अब अशफाक को पता भी चल जाये तो कोई बात नहीं...... जब ऐसी कोई बात आयेगी तो देखा जायेगा।
व्हिस्की पीते-पीते हम ऐसे ही बैठे बातें कर रहे थे तो एस-के ने कहा कि कुछ महीनों बाद उसको दो हफतों के लिये न्यू-यॉर्क जाना पड़ रहा है। एस-के ने मज़ाक में कहा कि “यार अशफाक! अगर तुम इजाज़त दो तो मैं किरन को भी न्यू-यॉर्क की सैर करा लाऊँ” तो अशफाक ने कहा, “अरे इसमें पूछने की क्या बात है.... ये तो बड़ी अच्छी बात है.... ले जाओ..... वो यहाँ अकेले में बोर होती रहती है और मेरा कोई ठिकाना भी तो नहीं है.... कभी भी मुझे बिज़नेस के सिलसिले में बिना प्रोग्राम के ही कहीं भी चले जाना पड़ता है” तो एस-के ने कहा, “नहीं यार! मैं तो मज़ाक कर रहा था तुम तो सीरियस हो गये।“ अशफाक ने कहा, “अरे नहीं यार! मैं सच में संजीदा हूँ.... अगर तुम्हें कोई प्रॉबलम ना हो.... आई मीन कि कोई बिज़नेस की प्रॉबलम.....” तो एस-के ने कहा, “नहीं यार! मुझे किया प्रॉबलम हो सकती है।“ अशफाक ने कहा, “तो फिर क्या प्रॉबलम है ले जाओ किरन को अपने साथ यार..... मैं कह रहा हूँ ना।“ अशफाक और एस-के ऐसे ही बातें कर रहे थे और मैं कभी अशफाक की सूरत देखती तो कभी एस-के की और समझने की कोशिश कर रही थी कि कहीं ये दोनों वाकय संजीदा हैं या दोनों ही मज़ाक कर रहे हैं।
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