मेरी आशिकी - Hindi Love romance long story

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sexy
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Re: मेरी आशिकी - Hindi sex long story

Unread post by sexy » 30 Sep 2015 09:02

इन्स्पेक्टर, अंजली, और विवेकभी चुपचाप उनके पिछे चलने लगे. वह ऍन्कर उनके पिछे जाएकी ना जाए इस दुविधामें स्टेजपरही रुका रहा, क्योंकी अबतक हॉलमें उपस्थित लोगोंमे खुसुरफुसुर और गडबडी शुरु हो गई थी. हकिकतमें क्या हुवा यह जाननेकी जैसे उन लोगोंकी उत्सुकता बढ रही थी. लेकिन जितने वे लोग अनभिज्ञ थे उतनाही वह ऍन्करभी अनभिज्ञ था. लेकिन क्या हुवा यह जाननेसे बडी जिम्मेदारी अब उस एन्करके कंधेपर आन पडी थी – किसीभी तरह उन लोगोंको शांत करके वहां उस हॉलसे सही सलामत बाहर निकालनेकी.

कंपनीके उस आदमीने कंपनीके मॅनेजींग डायरेक्टरके कानमें कुछ खुसफुसाकर प्रोग्रॅमका सारा मुडही बदल दिया था. डायससे निचे उतरकर कंपनीके मॅनेजिंग डायरेक्टर भाटीयाची सिधे अपने कॅबिनके तरफ जाने लगे. भाटीयाजींको वह फासला मानो बहोत दूर लग रहा था. डायसकी सिढीयां उतरकर और उनके ऑफीसकी सिढीयां चढते हूए पहलीबार उन्हे थकावट महसूस हो रही थी. उनके पिछे इन्स्पेक्टर कंवलजित और सबसे पिछे असमंजसमें चल रहे अंजली और विवेक थे. सबलोग जब भाटीयाजींके कॅबिनमें घुस गए, तब वहां पहलेसेही कुछ लोगोंने कॉम्प्यूटरके इर्दगिर्द भिड की थी. भाटीयाजीभी उस भिडमें शामिल हो गए और कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ आश्चर्यसे देखने लगे. अंजली और विवेकने जब उस भिडमें घुसकर उस मॉनिटरकी तरफ देखा. तब कहां उनको सारे मसलेका अवलोकन हुवा. उनके मनमें चल रही सारी शंकाए एक पलमें नष्ट होकर वह जगह अब चिंता और डरने ली थी. मॉनिटरपर एक ब्लींक हो रहा मेसेज दिख रहा था – All the server data and computer Data has been deleted. To recover enter the password’ और मॉनिटरपर उलटी गिनती दिखा रही टाईम बॉम्बके घडी जैसी एक घडी दिख रही थी. – 5hrs… 10mins… 26secs

“” ओ माय गॉड… ” भाटीयाजींके आश्चर्यासे खुले रहे मुंहसे निकल गया.

उनका पुरा बदन पसिना पसिना हो गया था और चेहरेपरभी पसिनेकी बुंदे दिख रही थी. सब डाटा अगर डिलीट हूवा तो होनेवाले नुकसानके कल्पनाभरसेही वे घबरा गए थे.

” सर यही नही तो कंपनीके सारे कांम्प्यूटरपर यह मेसेज आया है … ” कंपनीका एक आदमी बोला. और फिर सब लोगोंको डॆव्हलपमेंट सेंटरकी तरफ ले जाते हूए बोला, ” सर जरा इधरभी देखिए ..”

उसके पिछे सारे लोग कुछ ना बोलते हूए जा रहे थे, मानो समशानमें जा रहे हो.

डेव्हलपमेंट सेंटर यानी एक बडा हॉल था और वहां छोटे छोटे क्यूबिकल्स बनाकर हर डेव्हलपरकी तरफ ध्यान दिया जा सके और सबको प्रायव्हसीभी मिले इसका खास ध्यान रखा गया था. वहां सब कॉम्प्यूटरके मॉनिटर्स शुरु थे और सब मॉनिटरपर एकही मेसेज था – All the server data and computer Data has been deleted. To recover enter the password’

और यहांभी सब कॉम्प्यूटर्सपर उलटी गिनती चल रही थी.

5hrs… 3 mins… 2 secs

” सचमुछ गुनाहगार जाते हूए अपनी आखरी चाल चल गया है ” विवेकने कहा.

” इट्स अ टीपीकल एक्सांपल ऑफ ईटेररीझम” अंजलीने कहा.

” हमारे तो कंपनीका अस्तित्वही खतरेमें आया है ” भाटीयाजी अपने चेहरेसे पसिना पोंछते हूए बोले.

” आप चिंता मत किजिए … पासवर्ड गुनाहगारसे कैसे उगलना है यह हमारा काम है ” इन्स्पेक्टरने कहा.

तभी दो पुलिस हथकडी पहने हूए अतूलको वहां लेकर आ गए. इन्स्पेक्टरने पुरा मसला समझमें आतेही उसे वापस यहां लानेके लिए अपने साथीयोंको पहलेही वायरलेसपर बताया था. अतूल धीमे मस्ती भरी चालसे मंद मंद मुस्कुराते हूए इन्स्पेक्टरकी तरफ चलने लगा.

” पासवर्ड क्या है ?…” इन्स्पेक्टरने उसे कडे स्वरमें पुछा.

इन्स्पेक्टरने ‘साम दाम दंड भेद’ से पहले ‘दंड’ का इस्तेमाल करनेकी ठान ली थी ऐसा दिख रहा था.

” जल्दी क्या है … पहले मेरी हथकडीतो खोलो … अभी और 5 घंटे बाकी है ” अतूल हसते हूए शांत स्वरमें बोला.

इन्स्पेक्टर गुस्सेसे उसे मारनेके लिए उसकी तरफ बढे वैसे अतूल चेहरेपर कुछभी डर ना दिखाते हूए वैसेही खडा रहते हूए, उनकी आखोंमें आखे डालकर बोला, ‘ अं हं… इस्न्पेक्टर यह गल्ती कभी ना करना … ऐसी गलती करोगे तो मै पासवर्ड तो दुंगा लेकिन वह पासवर्ड देनेके बाद … तुम्हारेपास जो 5 घंटे बाकि है वहभी नही रहेंगे….. पुरा डाटा वह पासवर्ड देनेके बाद तुरंत नष्ट हो जाएगा …”

इन्स्पेक्टरने उसपर उठाया हुवा हाथ पिछे लिया. उन्हे अहसास हो गया था की उसके बोलनेमें तथ्य था.

” खोलो मेरी हथकडी ” अतूलने फिरसे कहा.

इन्स्पेक्टरने उसे लेकर आए पुलिसको इशारा किया. उन्हे इशारा मिलतेही उन्होने चूपचाप उसकी हथकडी खोली. अतूलने अपनी खुली हूई कलाइयां एक के बाद एक दुसरे हाथमें लेकर घुमाई और वह अपने दोनो हाथ पिछे ले जाते हूए जम्हाई भरते हूए, उसे मिली हूई रिहाईका आनंद व्यक्त करते हूए बोला,

” हां अब देखो… कैसे खुला खुला लग रहा है ”

” पासवर्ड क्या है ?” फिरसे इन्स्पेक्टरका कडा स्वर गुंजा.इन्स्पेक्टर, अंजली, और विवेकभी चुपचाप उनके पिछे चलने लगे. वह ऍन्कर उनके पिछे जाएकी ना जाए इस दुविधामें स्टेजपरही रुका रहा, क्योंकी अबतक हॉलमें उपस्थित लोगोंमे खुसुरफुसुर और गडबडी शुरु हो गई थी. हकिकतमें क्या हुवा यह जाननेकी जैसे उन लोगोंकी उत्सुकता बढ रही थी. लेकिन जितने वे लोग अनभिज्ञ थे उतनाही वह ऍन्करभी अनभिज्ञ था. लेकिन क्या हुवा यह जाननेसे बडी जिम्मेदारी अब उस एन्करके कंधेपर आन पडी थी – किसीभी तरह उन लोगोंको शांत करके वहां उस हॉलसे सही सलामत बाहर निकालनेकी.

कंपनीके उस आदमीने कंपनीके मॅनेजींग डायरेक्टरके कानमें कुछ खुसफुसाकर प्रोग्रॅमका सारा मुडही बदल दिया था. डायससे निचे उतरकर कंपनीके मॅनेजिंग डायरेक्टर भाटीयाची सिधे अपने कॅबिनके तरफ जाने लगे. भाटीयाजींको वह फासला मानो बहोत दूर लग रहा था. डायसकी सिढीयां उतरकर और उनके ऑफीसकी सिढीयां चढते हूए पहलीबार उन्हे थकावट महसूस हो रही थी. उनके पिछे इन्स्पेक्टर कंवलजित और सबसे पिछे असमंजसमें चल रहे अंजली और विवेक थे. सबलोग जब भाटीयाजींके कॅबिनमें घुस गए, तब वहां पहलेसेही कुछ लोगोंने कॉम्प्यूटरके इर्दगिर्द भिड की थी. भाटीयाजीभी उस भिडमें शामिल हो गए और कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ आश्चर्यसे देखने लगे. अंजली और विवेकने जब उस भिडमें घुसकर उस मॉनिटरकी तरफ देखा. तब कहां उनको सारे मसलेका अवलोकन हुवा. उनके मनमें चल रही सारी शंकाए एक पलमें नष्ट होकर वह जगह अब चिंता और डरने ली थी. मॉनिटरपर एक ब्लींक हो रहा मेसेज दिख रहा था – All the server data and computer Data has been deleted. To recover enter the password’ और मॉनिटरपर उलटी गिनती दिखा रही टाईम बॉम्बके घडी जैसी एक घडी दिख रही थी. – 5hrs… 10mins… 26secs

“” ओ माय गॉड… ” भाटीयाजींके आश्चर्यासे खुले रहे मुंहसे निकल गया.

उनका पुरा बदन पसिना पसिना हो गया था और चेहरेपरभी पसिनेकी बुंदे दिख रही थी. सब डाटा अगर डिलीट हूवा तो होनेवाले नुकसानके कल्पनाभरसेही वे घबरा गए थे.

” सर यही नही तो कंपनीके सारे कांम्प्यूटरपर यह मेसेज आया है … ” कंपनीका एक आदमी बोला. और फिर सब लोगोंको डॆव्हलपमेंट सेंटरकी तरफ ले जाते हूए बोला, ” सर जरा इधरभी देखिए ..”

उसके पिछे सारे लोग कुछ ना बोलते हूए जा रहे थे, मानो समशानमें जा रहे हो.

डेव्हलपमेंट सेंटर यानी एक बडा हॉल था और वहां छोटे छोटे क्यूबिकल्स बनाकर हर डेव्हलपरकी तरफ ध्यान दिया जा सके और सबको प्रायव्हसीभी मिले इसका खास ध्यान रखा गया था. वहां सब कॉम्प्यूटरके मॉनिटर्स शुरु थे और सब मॉनिटरपर एकही मेसेज था – All the server data and computer Data has been deleted. To recover enter the password’

और यहांभी सब कॉम्प्यूटर्सपर उलटी गिनती चल रही थी.

5hrs… 3 mins… 2 secs

” सचमुछ गुनाहगार जाते हूए अपनी आखरी चाल चल गया है ” विवेकने कहा.

” इट्स अ टीपीकल एक्सांपल ऑफ ईटेररीझम” अंजलीने कहा.

” हमारे तो कंपनीका अस्तित्वही खतरेमें आया है ” भाटीयाजी अपने चेहरेसे पसिना पोंछते हूए बोले.

” आप चिंता मत किजिए … पासवर्ड गुनाहगारसे कैसे उगलना है यह हमारा काम है ” इन्स्पेक्टरने कहा.

तभी दो पुलिस हथकडी पहने हूए अतूलको वहां लेकर आ गए. इन्स्पेक्टरने पुरा मसला समझमें आतेही उसे वापस यहां लानेके लिए अपने साथीयोंको पहलेही वायरलेसपर बताया था. अतूल धीमे मस्ती भरी चालसे मंद मंद मुस्कुराते हूए इन्स्पेक्टरकी तरफ चलने लगा.

” पासवर्ड क्या है ?…” इन्स्पेक्टरने उसे कडे स्वरमें पुछा.

इन्स्पेक्टरने ‘साम दाम दंड भेद’ से पहले ‘दंड’ का इस्तेमाल करनेकी ठान ली थी ऐसा दिख रहा था.

” जल्दी क्या है … पहले मेरी हथकडीतो खोलो … अभी और 5 घंटे बाकी है ” अतूल हसते हूए शांत स्वरमें बोला.

इन्स्पेक्टर गुस्सेसे उसे मारनेके लिए उसकी तरफ बढे वैसे अतूल चेहरेपर कुछभी डर ना दिखाते हूए वैसेही खडा रहते हूए, उनकी आखोंमें आखे डालकर बोला, ‘ अं हं… इस्न्पेक्टर यह गल्ती कभी ना करना … ऐसी गलती करोगे तो मै पासवर्ड तो दुंगा लेकिन वह पासवर्ड देनेके बाद … तुम्हारेपास जो 5 घंटे बाकि है वहभी नही रहेंगे….. पुरा डाटा वह पासवर्ड देनेके बाद तुरंत नष्ट हो जाएगा …”

इन्स्पेक्टरने उसपर उठाया हुवा हाथ पिछे लिया. उन्हे अहसास हो गया था की उसके बोलनेमें तथ्य था.

” खोलो मेरी हथकडी ” अतूलने फिरसे कहा.

इन्स्पेक्टरने उसे लेकर आए पुलिसको इशारा किया. उन्हे इशारा मिलतेही उन्होने चूपचाप उसकी हथकडी खोली. अतूलने अपनी खुली हूई कलाइयां एक के बाद एक दुसरे हाथमें लेकर घुमाई और वह अपने दोनो हाथ पिछे ले जाते हूए जम्हाई भरते हूए, उसे मिली हूई रिहाईका आनंद व्यक्त करते हूए बोला,

” हां अब देखो… कैसे खुला खुला लग रहा है ”

” पासवर्ड क्या है ?” फिरसे इन्स्पेक्टरका कडा स्वर गुंजा.

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Re: मेरी आशिकी - Hindi sex long story

Unread post by sexy » 30 Sep 2015 09:02

इन्स्पेक्टर तुम्हे लगता है, की मै इतने आसानीसे और इतने जल्दी तुम्हे पासवर्ड बताऊंगा ?” अतूल इन्स्पेक्टरकी आंखोसे आंखे मिलाते हूए बोला.

” फिर तुम्हे और क्या चाहिए ?” इन्स्पेक्टरने अपना स्वर अबभी कडा रखते हूए पुछा.

” बस कुछ नही … सिर्फ मेरे पुरे रिहाईका इंतजाम .. ” अतूलने कहा.

” मतलब ?” इतनी देर से चुप था विवेक पहली बार बोला.

” अरे हां … अच्छा हुवा तु बोला … तुझे मेरे साथ आना पडेगा … मुझे यहांसे दूर … जहां ये लोग फिरसे पहूंच नही पाए ऐसी जगह मुझे पहुचानेकी जिम्मेदारी अब तुम्हारी … और फिर वहांसे मै इन्हे मोबाईलसे वह पासवर्ड बताऊंगा … ” अतूलने कहा.

” हमें क्या मुरख समझ रखा है ?” इन्स्पेक्टर फिरसे गुर्राया.

” इन्स्पेक्टर यह वक्त अब कौन मुरख है या बननेवाला है यह तय करनेका नही है … संक्षिप्तमें कहा जाए तो … यू डोन्ट हॅव चॉईस… तुम्हे मेरे कहे अनुसार करनेके अलावा कोई चारा नही है ” अतूलने कहा.

इन्स्पेक्टरने एक बार विवेककी तरफ तो दुसरी बार अतूलकी तरफ देखा.

” ठिक है ” विवेकने दृढतासे कहा.

इतनी बडी कंपनीका अस्तित्व और भविष्य खतरेमें आया था, इसलिए इन्स्पेक्टरको अतूलका सबकुछ सुननेके अलावा कोई रास्ता नही था. और उससे कितना नुकसान हो सकता है यह भाटीयाजींके पसिनेसे लथपथ चेहरेपर साफ दिख रहा था. वैसे देखा जाए तो भाटीयाजी बहुत हिम्मतवाले या यू कहा जाए की मोटी चमडीवाले आदमी थे. और उनके चेहरेपर और पुरे बदनमें पसिना आए मतलब कंपनीका अस्तित्व बुरी तरफ दाव पर लगा था यह स्पष्ट था.

अतूलने बताए अनुसार विवेकभी उसके साथ उसे उस जगहसे दूर छोडनेके लिए तैयार हुवा था. इसलिए उसके साथ कौन जाएगा यह एक बडी गुथ्थी सुलझ गई थी. क्योंकी उसके साथ अकेला जाना खतरेसे खाली नही था, यहांतककी खुदकी जान जानेकाभी खतरा था और वह किसे अपनेसाथ कोई हथीयार ले जाने देगा इतना मुर्ख नही था. लेकिन विवेकको उसके साथ अकेले भेजनेके लिए अंजलीका दिल नही मान रहा था. वह वैसे कुछ बोली नही लेकिन उसके चेहरेसे सबकुछ झलक रहा था. एक तरफ भाटीयाजींकी कंपनी उसकी वजहसेही खतरेमें आ गई थी और उसनेही विवेकको भेजेनेके लिए इन्कार करना उसे ठिक नही लग रहा था. अतुलको जाल डालकर फांसनेके काममें भाटीयाजींका बहुमोल योगदान था. और उन्होने उस बातके खतरेका अहसास होते हूए भी उसे पुरा सहयोग दिया था. और अब उनकी कंपनी खतरेमें आनेके बाद मुंह मोड लेना उसे जच नही रहा था.

विवेकनें उसकी दुविधा जानते हूए उसे अपनी बाहोमें लेते हूए थपथपाकर कहा.

” डोन्ट वरी हनी… आय वुल बी फाईन”

अंजली कुछभी बोली नही, लेकिन आखीर अपने दिलपर पत्थर रखकर वह उसे जाने देनेके लिए तैयार हो गई.

एक तरहसे इन्स्पेक्टर कंवलजितनेही उसे धिरज बंधाकर तैयार किया था.

भाटीयाजी, अंजली, विवेक और इन्स्पेक्टर कंवलजित स्टेजसे उतरकर वहांसे निकल जानेके बाद हॉलमें इकठ्ठा हूए लोगोंको शांतीसे बाहर निकालनेका काम ऍन्करने कुछ पुलिसकी मदत लेते हूए खुब निभाया था. अब कंपनीके कंपाऊंडके अंदर पुलिस, कंपनीके लोग, विवेक, अंजली और वह गुनाहगार के अतिरिक्त कोई नही था. कुछ लोगोंको इस पुरे मसलेकी खबर शायद लगी थी, क्योकी वे पुलिसकी डरकी वजहसे कंपाऊंडके बाहर जाकर इधर उधर छिपते हूए उधरही देख रहे थे. और वेभी लोग बहुत कम थे. इसलिए अब गुनाहगारको संभालनेमें या उसकी मांगे सुन लेनेमें इन्स्पेक्टर कंवलजितको जादा तकलिफ नही हो रही थी. अगर लोग अबभी कंपाऊंडके अंदर या हॉलमें होते तो शायद इस गुनाहगारको संभालनेसे उन लोगोंको संभालना जादा तकलिफदेह होता था.

आखिर अतूलको उसके कहे अनुसार कही बहुत दुर ले जाकर छोडनेके लिए पुलिस राजी हो गई. सब लोग कंपनीके बिल्डींगके बाहर खुले मैदानमे इकठ्ठा हुए थे. मैदानमें पुलिसकी और बाकी बहुतसारी गाडीयां खडी थी. अतूलने वहां खडी पाच छे गाडीयोंके पास जाकर गौरसे देखा और उनमेंसे एक गाडीके छतपर थपथपाते हूए पुछा,

” यह गाडी किसकी है ?”.

वह कंपनीके एक ऑफिसरकी गाडी थी. वह ऑफिसर डरते हूएही सामने आते हूए बोला, ” मेरी है ”

” चाबी दो ” अतूलने फरमान छोडा.

भाटीयाजींने उस ऑफीसरकी तरफ देखते हूए आंखोसेही उसे वैसा करनेके लिए कहा. उस ऑफीसरने चुपचाप अपने पॅन्टकी जेबसे चाबी निकालकर अतूलके हवाले कर दी.

” हम इस गाडीसे जाएंगे ” अतूलने एलान किया.

विवेकने एक कडा कटाक्ष अतूलकी तरफ डालते हूए कहा, ” पहले तुम्हारा मोबाईल इधर दो ”

अतूलने कुछ क्षण सोचा और अपना मोबाईल निकालकर विवेकके पास देते हूए बोला, ” गुड मुव्ह”

विवेकने वह मोबाईल लेकर इन्स्पेक्टरके पास दिया.

” अब तुम्हारा मोबाईल इधर लाओ ” अतूलने कहा.

विवेकने अपना मोबाईल निकालकर अतूलके पास दिया. अतूलने गाडीकी डीक्की खोली और वह मोबाईल डिक्कीमें डाल दिया. लेकिन उसे क्या लगा क्या मालूम, उसने वह मोबाईल फिरसे डीक्कीसे बाहर निकाला और उसे ऑफ कर फिरसे डिक्कीमें डालते हूए डिक्की बंद की.

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Re: मेरी आशिकी - Hindi sex long story

Unread post by sexy » 30 Sep 2015 09:02

” गुड मुव्ह” अब विवेककी बारी थी.

अतूल उसकी तरफ देखकर मक्कारकी तरह मुस्कुराते हूए बोला, ” हां अब सब ठिक है ”

” हू विल ड्राईव्ह द व्हेईकल?” विवेकने गाडीके पास जाते हूए पुछा.

” ऑफ कोर्स मी” अतूलने कहा और गाडीके ड्राईव्हींग सिटकी तरफ जाने लगा.

लेकिन अचानक अतूल बिचमेंही रुकते हूए बोला , ”वेट’

विवेकभी रुक गया. अतूल मुस्कुराते हूए विवेकके पास गया और उसकी उपरसे निचेतक पुरी तलाशी लेने लगा. शायद वह उसके पास कोई हथीयार है क्या यह देख रहा था.

” हां अब ठिक है ” अतूल ड्रायव्हींग सिटकी तरफ जाने लगा वैसे विवेकने कहा,

” वेट… दॅट अप्लाईज टू यू टू”

विवेकनेभी अतूलके पास जाकर उसकी पुरी तलाशी ली.

” हां अब ठिक है ” विवेकने कहा और गाडीकी तरफ जाने लगा वैसे अतूल इन्स्पेक्टरकी तरफ देखते हूए बोला,

” नही अभीभी सब ठिक नही है … ”

इन्सपेक्टर कुछ ना बोलते हूए अतूलकी तरफ देखने लगा.

” इन्स्पेक्टर अगर मुझे किसीभी क्षण खयालमें आगया की हमारा पिछा हो रहा है … या हमारी जानकारी कही भेजी जा रही है … तो ध्यानमें रखो … मै पासवर्ड तो दुंगा … लेकिन वह गलत पासवर्ड होगा … जो दिए बराबर तुम्हारे कंपनीका सारा डाटा तुरंत नष्ट हो जाएगा … समझे ?” अतूलने कडे स्वरमें ताकिद दी.

” डोन्ट वरी यू विल नॉटबी … फालोड… प्रोव्हायडेड यू गिव्ह अस द करेक्ट पासवर्ड…” इन्स्पेक्टरने कहा.

” दट्स लाईक अ गुड बॉय” अतूल गाडीके ड्रायव्हीग सिटपर बैठते हूए बोला.

अतूलने गाडी शुरु करके विवेककी तरफ कडी नजरसे देखा. विवेक उसकी बगलवाले सिटपर चुपचाप आकर बैठ गया और अंजलीकी तरफ देखते हूए उसने गाडीका दरवाजा खिंच लिया.

अतूलने गाडी रेस की और कंपनीके कंपाऊंडके बाहर ले जाकर तेजीसे रास्तेपर दौडाई.

अतूल अब विवेकके एकदम सामने खडा होकर उसकी आखोंमें आखे डालकर देखते हूए बोला,

” तुम्हे पासवर्डही चाहिए ना ?”

” हां … और बहभी डाटा डिलीट होनेके पहले ” विवेक फिरसे चिढकर ताना मारते हूए बोला.

” अरे हां … वह डाटा डिलीट होनेके बाद पासवर्डकी क्या जरुरत ?” अतूल अपने आपसेही जोरसे हंस दिया.

और एकदम अपनी हंसी रोककर बोला, ” लेकिन पहले तुम्हारे पासका हथीयार मेरे हवाले कर दो ”

विवेकने उसकी तरफ चौंककर देखते हूए पुछा, ” हथीयार ?… मेरे पास कोई हथीयार नही .. तुमनेही तो निकलते वक्त मेरी तलाशी ली थी. ”

” मि. विवेक … मुझे क्या इतना बेवकुफ समझते हो ?… ” अतूल मोबाईल लगाते हूए बोला. विवेक कुछ नही बोला.

अतूलका मोबाईल लगा था और उधरसे इन्स्पेक्टर मोबाईलपर थे. ” अतूल पासवर्ड क्या है ?” उन्होने फोन लगतेही पुछा.

” इन्स्पेक्टर थोडा धीरज रखो … पहले इधरका एक काम निपट लूं और फिर तुम्हे पासवर्ड बताता हूं ” अतूल फोनपर बोला और उसने चलता हुवा मोबाईलही गाडीके बोनेटपर रख दिया.

” मैने सुना है की आजकल तुम्हारी पी एच डी चल रही है ” अतूलने विवेकसे पुछा.

फिरभी विवेक कुछ नही बोला.

” मुझे एक बात नही समझमें आती, इतनी अमीर लडकीको फांसनेके बाद तुम्हे पिएचडीकी क्या जरुरत है ?” अतूलने आगे पुछा.

विवेक कुछभी बोलनेके लिए तैयार नही था, सच कहे तो वह बोलनेके मन:स्थितीमें नही था.

” तुम्हारे पी एच डी का सब्जेक्ट क्या है ?” अतूलने एकदम गंभिर होते हूए पुछा.

विवेक उसके इस असम्बध्द सवालको कुछ जवाब देना नही चाहता था.

” तुम्हारे पी एच डी का सब्जेक्ट क्या है ?” अतूलने अब कडे स्वरमें पुछा.

विवेकने पहले उसकी आखोंमे देखा. वह इस सवालके बारेमें सिरीयस दिख रहा था.

” अनकन्व्हेन्शनल वेपन्स” विवेकने कंधे उचकाकर जवाब दिया.

” अनकन्व्हेन्शनल वेपन्स … हूं … तुम्हारे जुते बताओ.. निचेसे ” अतूलने मांग की.

विवेकको उसके सवालका उद्देश अब पता चल चुका था. उसे अबभी उसके पास कोई हथीयार होनेकी आशंका थी. विवेकने अपना दाया जुता वैसेही पैरमें रखते हूए उलटा कर बताया. अतूलने गौरसे देखा. वहां कुछ होनेके निशान तो नही दिख रहे थे.

” अब बाया बताओ ” अतूलने फिरसे आदेश दिया.

विवेकने थोडी हिचकिचाहट जताई तो वह चिल्लाया, ” कम ऑन क्वीक”.

विवेकने बाया जुताभी उलटा कर बताया. अतूलने गौरसे देखा. वहांभी कुछ नही था. लेकिन अब अतूल सोचमें पड गया. उसे विवेकके पास कुछ हथीयार होनेका पुरा विश्वास था.

” रुको … हात उपर करो …” अतूल उसके पास जाते हूए बोला.

विवेकने दोनो हाथ उपर किए. और अतूल उसके जेबसे एक एक सामान निकालकर बोनेटपर रखने लगा. पहले पॅन्टके जेबसे और फिर शर्टके जेबसे सब सामान निकालकर अतूलने गाडीके बोनेटपर रख दिया.

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