मैं और मेरी बहू compleet

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raj..
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Unread post by raj.. » 04 Nov 2014 00:50

"आगे क्या हुआ?" रश्मि ने अपनी चूत को खुजलाते हुए पूछा.

"मेने देखा कि उसके चेहरे पर उत्तेजना के भाव थे और उसका शरीर अकड़ने लगा था. जब उसकी चूत ने पानी छोड़ा तो वो इतनी ज़ोर से सिसकी, "ओह रिट्ट्टा असली लंड से छुउूउड़वाने मे इतन्णना माज़ा आता है मुझे नही मालूम था. ओह अयाया मेयरययेया तो छोओओओट गया."

"क्या तुम्हारा दुबारा पानी नही छूटा?" मेने पूछा.

"मुझे कई बार लगा कि मेरा पानी छूटने वाला है, पर हो सकता है कि आज मेरे लंड ने इतनी बार पानी छोड़ा है कि नही छूटा." रवि ने जवाब दिया.

"फिर क्या हुआ?" रश्मि एक बार फिर बोल पड़ी.

"मेरा लंड अभी भी खड़ा था, रीता ने एक बार फिर मुझ पर चढ़ कर चुदाई की. मेरा पानी अभी भी नही छूटा था. रीता मेरे लंड को अपने मुँह मे ले जोरों से चूसने लगी. जब मेरा छूटने का समय आया तो मेने रीता से कहा भी कि मेरे छूटने वाला है पर वो चूस्ति गयी और मेरे लंड ने उसके मुँह मे पानी छोड़ दिया." रवि गहरी सांस लेते हुए बोला. "फिर हमने अपने कपड़े ठीक किए और अपने अपने कमरे मे आ सो गये."

"ये तो कमाल हो गया. तो तुमने दोनो समलैंगिक लड़कियों को पूरा चुड़दकड़ बना ही दिया. में शर्त लगा सकती हूँ कि भविश्य मे वो नकली लंड की तरफ देखेंगी भी नही." रश्मि हंसते हुए बोली.

मेने तीनो से कहा, "खाने का समय हो रहा हो क्यों ना कपड़े बदल कर थोड़ी देर मे खाने के लिए रेस्टोरेंट मे चला जाए."

हम चारों कमरे मे आ अपने कपड़े बदले और नीचे रेस्टोरेंट मे आ गये. वहाँ हमारी मुलाकात प्रिया राजेश कंचन और बॉब्बी से हुई. हम सब साथ साथ खाना खाने लगे.

खाना खाना के बाद हम सब यानी आठ लोग साथ साथ घूमने निकल गये. हम सभी को काफ़ी मज़ा आया और आपस हम खुल भी गये थे.

घूमते घूमते जब हम थक गये थे तो एक गार्डेन रेस्टोरेंट मे चाइ नाश्ते के लिए बैठ गये. हम सब जब अपनी अपनी कुर्सियों पर बैठ गये थे तो मेने देखा कि प्रिया और कंचन की निगाहें रवि के खड़े लंड पर ही गढ़ी हुई थी.

रश्मि ने उन दोनो को रवि के लंड को घुरते देख लिया था. उसने अपना हाथ बढ़ा कर पॅंट की ज़िप खोलते हुए रवि के लंड को बाहर निकाल लिया और दोनो लड़कियों से बोली, "सही मे मस्त लंड है ना."

प्रिया और कंचन रश्मि की हरकत देख शर्मा गयी, प्रिया बोली, "मुझे नही मालूम था कि तुम हमे घूरते देख रही हो. सॉरी मुझे इस तरह नही घूर्ना चाहिए था."

रश्मि ने कंचन की तरफ देखा जिसने कोई जवाब नही दिया था, "कंचन क्या तुम इसे अपने हाथों मे पकड़ना चाहोगी?"

तभी रवि ने रश्मि के हाथ को झटक दिया और डाँटते हुए बोला, "रश्मि तुम भी हद करती हो. पहले इनकी झिझक तो ख़त्म होने दो. इन्हे हमारे साथ अड्जस्ट तो होने दो?"

प्रिया और राजेश ने फिर हमे बताया कि वो लोग एक स्विंगिंग क्लब के मेंबर है. वो लोग अक्सर नई जोड़ों के साथ रिज़ॉर्ट या किसी हिल स्टेशन पर जाते रहते है. ये यात्रा उनकी थोड़ी अलग है कारण कि कंचन और बॉब्बी पहली बार स्विंगिंग कर रहे है.

रश्मि अपने आपको रोक ना पाई और पूछा, "तो अब तक तुम चारों के बीच कैसा चल रहा है?"

प्रिया ने जवाब दिया, "अभी तक तो सब ठीक चल रहा है. में और बॉब्बी पार्ट्नर बने हुए है और कंचन राजेश के साथ. अब ये लोग आगे भी नई प्रयोग करने के लिए तय्यार है."

"अब तक तुम लोगों ने आपस मे क्या क्या किया? मेरा मतलब है कि सीधी सादी चुदाई की है या, लड़की लड़की, थोड़ी चूसा, गांद मारना या समहुक चुदाई." रश्मि ने आगे पूछते हुए कहा.

तभी राज बीच मे बोल पड़ा, "रश्मि अपने मतलब से मतलब रखो. तुम्हे ये पूछने का कोई हक़ नही है."

"नही इसे पूछने दो कोई बात नही." प्रिया ने कहा, "अभी तक तो सीधी चुदाई चल रही है सिर्फ़ थोड़ी बहोत चूसैई के साथ. रश्मि तुम्हे क्या पसंद है?"

प्रिया का प्रश्न सुनकर हम सभी चौंक पड़े और समझ गये की आगे क्या होने वाला है. रश्मि मुस्कुरई और कहने लगी, "प्रिया चुदाई मे ऐसी कोई चीज़ नही है जो पसंद ना हो. में चूस्ति भी खूब हूँ और चूसवाने में भी मज़ा आता है. मुझे दो तीन, हर छेद मे एक साथ लंड लेने मे मज़ा आता है, मुझे दूसरी औरत के साथ भी उतना ही आनंद आता है. और बता दू तुम्हे की जब रवि अपना मूसल लंड मेरी गंद मे पेलता है तो मुझे जन्नत का मज़ा आ जाता है."

हम सब प्रिया के चेहरे की ओर देखने लगे शायद रश्मि की बात सुनकर उसके चेहरे पर कोई प्रतिक्रिया आए, पर उसने खुद को संभाले रखा और सिर्फ़ मुस्कुरा दी.

"रश्मि तुम और राज हमारे क्लब के अच्छे मेंबर बन सकते हो. हमारे यहाँ कई जोड़े है जो तुम्हारी तरह चुदाई का पूरा मज़ा उठना जानते है, वो सब कुछ वो करेंगे जो तुम करने के लिए कहोगे." प्रिया आत्मविश्वास भरी आवाज़ मे बोली.

तभी बॉब्बी बोल पड़ा, "अगर तुम चारों आज हमारे साथ हमारे कमरे मे स्विंगिंग करो तो कैसा रहेगा."

"में तय्यार हूँ आने के लिए." रश्मि खुश होती हुई बोली.

"ये तो आश्चर्य की बात है." रवि रश्मि को चिढ़ाने के अंदाज़ मे बोला.

मेने राजेश और बूबी की ओर देखते हुए कहा, "मुझे लगता है हम सभी को मज़ा आएगा."

मेने देखा की राजेश और बॉब्बी की निगाहें रश्मि के शरीर को छेड़ रही थी. वो दोनो शायद मन ही मन रश्मि के शरीर के साथ करने की सोच रहे थे जो उन्हे उनकी बीवियाँ करने को नही देती.

"कंचन तुमने अपनी राई नही बताई, क्या तुम अदला बदली के लिए तय्यार हो?" रवि कंचन के शरीर को उपर से नीचे घूरते हुए बोला.

"में तय्यार तो हूँ पर गंद मे लंड नही लूँगी." कंचन अपनी बात पर ज़ोर देते हुए बोली.

तभी प्रिया ने कहा, "जब हम अदला बदली करेंगे तो कोई भी इंसान अपने साथी की मर्ज़ी के खिलाफ कुछ नही करेगा. क्या सबको मंज़ूर है."

सभी ने प्रिया की बात को मान लिया. इसका बाद ये तय हुआ कि सभी लोग उनके कमरे मे खाना खाने के बाद मिलेंगे. पूरी शाम हम बातें करते रहे साथ ही ड्रिंक्स का भी आनंद लेते रहे. हर इंसान के दिलो दिमाग़ मे रात की पार्टी का ही ख़याल चल रहा था.

पार्टी अदला बदली की

रात का खाना हम सभी ने मिलकर खाया. खाने के साथ सभी दो दो ड्रिंक्स भी ले ली थी. फिर सभी अपने अपने कमरे मे कपड़े बदलने चले गये.

मैं, राज, रश्मि और रवि कपड़े बदलकर हमारे नए दोस्तों के सूयीट मे पहुँचे. उन चारों ने हमारा स्वागत किया. हमने देखा कि वो चारों नंगे थे. हमने भी अपने कपड़े उतारे और एक कोने मे रख दिए.

प्रिया ने सभी लिए ड्रिंक्स बनाई और सबको पकड़ा दी, "आप सब शुरुआत कैसे करना चाहेंगे. मेरी चूत तो रवि का लंड लेने के लिए उत्तावली हो रही है."

हम सभी ने अपने साथी चुन लिए और ये तय किया की पहले सीधी साधी चुदाई करेंगे और समय के साथ ही आगे की सोचेंगे. मैं राजेश के साथ थी, रश्मि बॉब्बी के साथ और कंचन राज के साथ.

कमरे मे दो ही बिस्तर थे, इसलिए दो जोड़े बिस्तर पर चढ़ गये और दो ज़मीन पर. में राजेश के साथ एक बिस्तर पर थी और वो मेरे उपर लेट कर 69 अवस्था मे आ गया.

"चुदाई से पहले थोड़ा खेलने मे मज़ा आता है." कहकर उसने मेरी चूत को अपने मुँह मे भर चूसने लगा.

मेने भी उसका साथ देते हुए उसका 8' इंची लंड को अपने मुँह मे ले लिया. हम थोड़ी देर तक एक दूसरे के अंगों से खेलते रहे. जब चुदाई का समय हुआ तो वो मेरे शरीर पर घूम सा गया और अपना लंड मेरी चूत मे डाल अंदर बाहर करने लगा.

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Unread post by raj.. » 04 Nov 2014 00:51

शुरुआत मे वो धीमे और छोटे धक्के मार रहा था. पर जैसे ही वो तेज़ी पकड़ने लगा मेरे मुँह से तेज सिसकारियाँ फूटने लगी. उसका हर धक्का पहले धक्के से तेज और ज़ोर का होता था.

राजेश का लंड जब मेरी चूत की दीवारों की धज्जियाँ उड़ाते हुए मेरी बच्चे दानी पर ठोकर मारता तो में ज़ोर से सिसक पड़ती. वो एक जंगली जानवर की तरह मुझे चोदे जा रहा था और मेरी सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थी.

में उसके हर धक्के के साथ अपने समय के करीब आ रही थी और जोरों से चिल्लाने लगी, "राआाजएसस्स्स्सश चूऊऊदो मुझे हााआअँ और जूऊरों से राआजेश ओह और जूओर से राआजेश मेरा छूटने वाला है." मैं उसे अपने से और जोरों से चिपकाते हुए बड़बड़ा रही थी.

"हाां प्रीईटी चूओद दूओ अपनाा पानी. नहल्ल्ल दो मेरे लुन्न्ञन्द को आअपँे प्ाअनी से. मेरीईए लुंद्ड़द्ड के लिईईए झाड़ जाओ." कहकर वो और जोरों से धक्के पे धक्के मार रहा था.

राजेश जितनी ताक़त से मुझे चोद सकता था चोदे जा रहा था और मेरी चूत पानी पे पानी छोड़े जा रही थी. उत्तेजना मे मेरा शरीर काँप रहा था. मेने अपनी टाँगे उसकी कमर मे लपेट रखी थी और अपने हाथों के नाख़ून उसकी पीठ पर गढ़ा रही थी.

जब मेरी चूत ने सारा पानी छोड़ दिया तो राजेश ने मुझे पलटा कर घोड़ी बना दिया और पीछे से मेरी छूट मे लंड पेल दिया. इस अवस्था मे बाकी के तीन जोड़ों को भी देख सकती थी. एक जोड़ा मेरे बगल की बिस्तर पर था और दो बाकी ज़मीन पे. मैं अपनी उत्तेजना मे इतनी खोई हुई थी कि में इन सब को एक बार के लिए भूल सी गयी थी.

मेने दूसरे बिस्तर पर देखा प्रिया अपनी टाँगे फैलाए थी और रवि उसकी टाँगो के बीच हो उसे चोद रहा था.

प्रिया इतनी जोरों से सिसक रही थी, "ओह रवीीईईईई तुम्हारा लुंदड़ तो मेरी चूऊओट को गहराइयोंन्णणन् तक जाअ रहा है. ओह कितना मज़्ज़ा एयेए रहाा है हाआँ चूओड़ो मुझे और ज़ोर से. मेराअ छूटने वाला हाीइ तुम रुकना नाहहीी बस चूऊदे जाऊओ ओह." और शायद एक बार फिर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.

रवि अपने आप पर कंट्रोल करते हुए प्रिया को चोदे जा रहा था. मैं जानती थी कि रवि को प्रिया की गंद मारनी है, पर मुझे शक़ था कि शायद ही प्रिया उसे अपना लंड गंद मे घुसाने देगी.

मेने नीचे ज़मीन पर देखा, राज कंचन की चूत मे पीछे से लंड डाले हुए है और साथ ही अपने एक हाथ की उंगली भी चूत मे डाल रखी है. दूसरे हाथ से वो उसकी छोटी चुचियों का मसल रहा था. कंचन ने अपनी आँख बंद कर रखी थी और चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी.

दूसरी और बॉब्बी रश्मि को उपर चढ़ा उसे चोद रहा था. रश्मि के शरीर को देख के लगता था कि उसका भी पानी छूटने वाला था. मैं जानती थी रश्मि इतनी चुड़क्कड़ है कि अगर और कोई वक़्त होता तो वो अकेले ही इन चार मर्दों को झेल लेटी पर आज उसे इन मर्दों को तीन औरतों के बीच बाँटना पड़ रहा है. बॉब्बी ने ज़ोर के धक्के लगाते हुए अपना पानी उसकी चूत मे छोड़ दिया. रश्मि उसे देख मुस्कुराने लगी.

अचानक रश्मि ने बॉब्बी से पूछा, "बॉब्बी क्या तुम अपना लंड मेरी गंद मे घुसाना चाहोगे?"

बॉब्बी हैरत भरी नज़रों से रश्मि को देख रहा था. रश्मि ने उसे उकसाते हुए कहा, "क्या सोच रहे हो? तुम खुद मेरी गांद मारना चाहते हो है ना. ज़रा सोचो जब तुम्हारा लंड मेरी गंद मे पिचकारी छोड़ेगा तो तुम्हे कितना मज़ा आएगा और जब में अपनी गंद को सिकोड तुम्हारे लंड की एक एक बूँद चूस लूँगी तब कैसा लगेगा."

पर बॉब्बी के चेहरे से लग रहा था कि फिलहाल उसमे ताक़त नही थी रश्मि की गंद मारने की. वो उसके बगल मे लेट सुस्ता रहा था. उसकी हालत देख रश्मि मुस्कुरई और उसके मुरझाए लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी.

पर शायद इतना ही बॉब्बी के लिए बहोत था, "नही रश्मि अभी रहने दो रूको थोड़ी देर."

रश्मि उससे अलग हट अपने पति राज और कंचन के पास आ गयी. उसने राज की उंगलियाँ उसकी चूत से बाहर निकाल दी और अपने आप को इस अवस्था मे कर लिया कि वो उसकी चूत चूस सके.

"कंचन अगर में तुम्हारी चूत चूसू तो तुम्हे कोई ऐतराज़ तो नही?" रश्मि ने हंसते हुए कहा.

रश्मि अब कंचन की चूत चूस रही थी. वहीं राज उसकी दोनो चुचियों को मसल्ते हुए अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था. थोड़ी ही देर मे राज ने अपना वीर्य उसकी चूत मे छोड़ दिया. वो तब तक धक्के मारता रहा जब तक की उसका लंड मुरझा कर मुलायम ना हो गया.

राज ने अपना लंड कंचन की चूत से बाहर निकाला और अपनी पत्नी के खुले मुँह मे दे दिया. थोड़ी देर अपने पति का लंड चूसने के बाद रश्मि ने फिर कंचन की चूत चूसनी शुरू कर दी. कंचन एक बार फिर गरमा गयी और उसने रश्मि का सिर पकड़ अपनी चूत पे दबा दिया. थोड़ी ही देर मे उसकी चूत ने एक बार फिर रश्मि के मुँह मे पानी छोड़ दिया.

तभी रवि की चिल्लाने की आवाज़ आई, "ओह प्रिया मेराा चूओटने वाला है. हाआँ और मेरे लंड को अपनी चूओत मे ले लो. में तुम्हारी चूत आज अपने रस से भर दूँगा."

"नही अपना पानी मेरी चूओत मे मत छोड़ना, मेरा उपर मेरे शरीर पर छोड़ना, में तुम्हारे वीर्य की पिचकारी अपने शरीर पर महसूस करना चाहती हूँ." प्रिया उसे रोकते हुए चिल्लाई.

रवि ने अपना मोटा और लंबा लंड प्रिया की चूत से बाहर निकाल लिया और उसपर झुकते हुए अपने लंड का निशाना उसके चेहरे की ओर कर दिया. फिर लंड को ज़ोर से मुठियाने लगा, तभी एक ज़ोर की पिचकारी उसके लंड से निकाल प्रिया के चेहरे पर गिरी.

प्रिया उस वीर्य को अपनी हथेली से अपने चेहरे पर रगड़ ही रही थी कि दूसरी पिचकारी उसकी चुचियों पर और तीसरी उसके पेट पर गिरी. रवि ने अपने वीर्य से उसे पूरी तरह नहला दिया था. रवि ने पूरा पानी निचोड़ने के बाद एक बार फिर उसकी चूत मे अपना लंड घुसा उसे चोदने लगा.

"ऑश देखो मेरा शरीर पूरा वीर्य से नहा गया है. क्या मज़े का वीर्य स्नान किया है मेने." प्रिया ज़ोर से चिल्लाई और पूरे शरीर पर रवि का वीर्य मसल्ने लगी.

इस नज़ारे ने राजेस को काफ़ी उत्तेजित कर दिया था. उसने मेरे कूल्हे पकड़ दो चार कस के धक्के मारे और अपना पानी मेरी चूत मे छोड़ दिया. में जोरो से अपनी चूत को रगड़ अपना पानी भी छोड़ दिया. हम दोनो निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़े. पूरे कमरे मे चुदाई का महॉल छाया हुआ था.

हम सब सुस्ताने लगे और अपनी अपनी उखड़ी सांसो पर काबू पाने की चेस्टा कर रहे थे. थोड़ी देर बाद हम सब फिर अपने अपने जोड़े बनाने लगे.

"इस बार में कंचन को चोदुन्गा." रवि ने कहा.

हम सब रवि और कंचन की ओर देखने लगे.

"ना बाबा ना, मेरी चूत तो इसके लंड से फॅट ही जाएगी, में नही चुदवाति इससे." कंचन थोडा हंसते हुए बोली.

"अरे डरती क्यों हो कंचन, क्या प्रिया की चूत फॅट गयी है. देखो में धीरे धीरे करूँगा प्रॉमिस." रवि कंचन की चुचियाँ छेड़ते हुए बोला.

आख़िर कंचन मान गयी. में इस बार बॉब्बी के साथ थी, रश्मि राजेश के साथ और प्रिया राज के साथ.

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Re: मैं और मेरी बहू

Unread post by raj.. » 04 Nov 2014 00:51

रवि ने कंचन को अपनी गोद मे उठाया और बिस्तर पे लेजाकार लिटा दिया. हम सब ने बिस्तर के चारों और एक घेरा सा बना लिया और कंचन और रवि की चुदाई देखने लगे. हम देखना चाहते थे कि रवि का मूसल जैसा लंड कंचन की नाज़ुक और मुलायम और छोटी चूत मे कैसे घुसता है

रवि कंचन की टाँगो के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. वो अपने लंड से छूटे पानी से उसकी चूत को चारों और से गीला कर रहा था. कंचन की चूत हल्की रोशनी मे पानी से गीली हुई एक दम जगमगा रही थी.

रवि के लंड की रागड़ाई से कंचन भी गरमा गयी, उसने अपनी उंगलियों से अपनी चूत का मुँह फैलाया, "रवि अब डाल दो मेरी चूत मे पर ज़रा धीरे धीरे डालना प्लीज़."

रवि ने अपने लंड का सूपदे उसकी चूत पर लगाया और अंदर घुसा दिया. फिर थोड़ा सा बाहर खींच हल्का धक्का लगाया तो उसका आधा इंच लंड अंदर घुस गया. यही क्रिया दोहराते हुए उनसे अपना लंड आख़िर पूरा उसकी चूत मे घुसा दिया.

रवि ने अपने शरीर का वजन कंचन के शरीर पर नही डाला था. वो चाहता था कि कंचन उसके लंड की आदि हो जाए तो ज़ोर के धक्के लगाए. रवि के लंड ने कंचन की चूत को अंदर से इतना चौड़ा कर दिया था कि एक बार तो कंचन का शरीर कांप उठा. रवि अब धीरे धीरे उसकी चूत मे लंड अंदर बाहर कर रहा था. हम सब बड़ी गौर से इन दोनो की चुदाई देख रहे थे.

थोड़ी ही देर मे कंचन को भी मज़ा आने लगा, वो जोरों से सिसकने लगी, "ओह हााआअँ रवीिइ तुम्हारा लुंद्ड़द्ड मे सहियीई कांमाअल का है. देखूूओ कैसे मेरी चूऊओट की धज्जियाँ उड़ा रहा है. हाआँ चूऊड़ो मुझे और जूऊरों से हाां चूवड़ते जाओ मेरे रजाअ."

रवि ने अब अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी. वो ज़ोर ज़ोर की ठप लगा कंचन को चोद रहा था. कंचन भी अपने कूल्हे उछाल उसका साथ दे रही थी. दोनो की चुदाई इतनी भयंकर थी कि पता नही कंचन कितनी बार झड़ी होगी. थोड़ी ही देर मे रवि ने अपना वीर्य उसकी चूत मे छोड़ दिया.

थोड़ी ही देर मे रवि थक कर कंचन के शरीर पर गिर पड़ा और और करवट बदलते हुए कंचन को अपने उपर कर लिया. उसका लंड अब भी उसकी चूत मे घुसा हुआ था. जब उसका लंड मुरझाया तो अपने आप ही उसकी चूत से बाहर निकल गया. कंचन जब उसके शरीर से उठने की कोशिश की तो रवि का वीर्य उसकी चूत से टॅप टॅप गिरने लगा ऐसा लगा की कंचन ही झाड़ रही है.

"हे भगवान इसका लंड है या मूसल, मेरी चूत का तो बजा बजा दिया इसने." कंचन उसके बगल मे गिरते हुए बोली.

हम सब रवि और कंचन की चुदाई देख इतना गरमा गये की सब अपने साथ के साथ चुदाई मे व्यस्त हो गये. बॉब्बी मुझे कुतिया बना पीछे से चोदना चाहता जिसका मेने कोई विरोध नही किया और उसने पीछे अपना लंड मेरी चूत मे डाल दिया.

राज प्रिया, राजेश और रश्मि ज़मीन पर जम गये. राज अपना लंड प्रिया की चुचियों मे फँसा उसकी चुचियों को चोदना चाहता था.

"अगर तुम मेरी चुचियों मे अपना लंड फँसा चोदोगे तो मेरी चूत की प्यास कौन बुझाएगा?" प्रिया ने राज से पूछा.

"उसकी तुम चिंता मत करो, में तुम्हारी चूत का ख़याल रखूँगी." रश्मि ने कहा.

"किसी हाल मे भी नही." प्रिया ने कहा.

"क्यों नही, आज तक किसी ने मुझसे शिकायत नही की है. तुम कंचन से पूछ सकती हो कि जब मेने उसकी चूत चूसी थी तो उसे मज़ा आया था कि नही" रश्मि ने कहा.

प्रिया ने कंचन की तरफ देखा तो पाया कि वो हां मे अपनी गर्दन हिला रही थी.

"वो क्या है ना रश्मि, मेने आज तक किसी औरत के साथ सेक्स नही किया है इसलिए मना कर रही थी." प्रिया ने कहा.

"तुम ज़्यादा मत सोचो अपनी चुचियाँ मेरे पति के हवाले कर दो और चूत मेरे. फिर देखो तुम्हे दोहरा माज़ा आता है की नही." रश्मि उसकी चुचियों पर हाथ फेरते हुए बोली.

प्रिया पीठ के बल बिस्तर पर लेट गयी और राज प्रिया के पेट पर बैठ गया. फिर उसने अपना लंड उसकी चुचियों के बीच डाल दिया और उसकी चुचियों को अपने लंड के गिर्द दबा दिया.

रश्मि प्रिया की टाँगो के बीच घुटनो के बाल बैठ गयी और उसकी चूत से खेलने लगी.

राजेश रश्मि के पीछे आ गया और उसके कुल्हों पर हाथ फिराने लगा, "अपने किस छेद मे लंड लेना पसंद करोगी रश्मि?" राजेश ने पूछा.

"पहले अपना लंड मेरी चूत मे डालकर चोदो. जब तुम्हारा लंड पूरी तरह गीला हो जाए तो उसे मेरी गंद मे डाल देना." रश्मि ने उसे बताया.

राज अब कंचन की चुचियों को चोद रहा था और रश्मि उसकी चूत को चूस रही थी. राजेश रश्मि के कूल्हे मसल्ते हुए उसकी चूत मे अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था.

रश्मि की चूत शायद पहले से ही काफ़ी गीली हो चुकी थी इसलिए राजेश ने कब अपना लंड उसकी चूत से निकाल उसकी गंद मे डाल दिया था किसी को पता ही नही चला.

"रश्मि डार्लिंग, तुम्हारी गांद बड़ी शानदार है, अगर तुम अपनी गंद मेरे लंड को इसी तरह भींचती रही तो में अपने आपको ज़्यादा देर तक नही रोक सकूँगा." राजेश ज़ोर के धक्के लगाते हुए बोला.

पर राजेश को समझ मे आ गया कि हालत उसके वश मे नही बल्कि पूरी तरह से रश्मि के वश मे थे. वो अपने गंद की मांसपेशियों से उसके लंड को जकड़े हुए थी और वही प्रिया का शरीर रश्मि की जीभ के इशारों पर मचल रहा था.

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