सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

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The Romantic
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Re: सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

Unread post by The Romantic » 06 Nov 2014 21:52


मुहल्लेदारी से रिश्तेदारी तक
भाग -3
चचा भतीजा

मोना के कराहने की आवाज सुनते ही चाचा रुक गये और बिना लण्ड हिलाये झुककर मोना के बायें बेल पर लगे गुलाबी रंगत के अनार दाने को मुँह में दबाकर चूसने लगे। मोना की पीठ पर हाथ फ़ेरते हुए चाचा लगातार मोना के बेलों पर लगे अनार दानों को मुँह में दबाकर बारी बारी से चूस रहे थे और धीरे धीरे उसका दर्द कम हो्ता जा रहा था और अब उसे फ़िर से मजा आने लगा था। अब वो खुद ही अपने चूतड़ थिरकाने लग़ी। अनुभवी चाचा ने अब उसे धीरे धीरे अपने सुपाड़े से ही चोदना शुरू किया।
मोना की मम्मी अपनी चूची को अपने हाथ से तरुन के मुँह में दे के चुसवा रही थी.. उनका दूसरा हाथ तरुन के कच्छे से उनका लण्ड निकाल उसको सहला रहा था... अचानक मोना की मम्मी ने उसका लण्ड पकड़ा और उसको अपनी और खींचने लगी......
तरुन ने ध्यान से देखा.. मोना की मम्मी की चूत फूल सी गयी थी... उनकी चूत का मुहाने रह रह कर खुल रहा था और बंद हो रहा था.. तरुन अपना लण्ड हाथ में पकड़ कर मोना की मम्मी की जांघों के बीच बैठ गया.. उसे उसका लण्ड मोना की मम्मी की चूत पर टिका दिया. मोना की मम्मी की चूत लण्ड के पीछे पूरी छिप गयी थी...
"लो संभालो.. चाची!" कहते हुए तरुन ने धक्का मार।
उईईईईईईईईईईईईईईईमाँ
मोना की मम्मी छॅटपटा उठी.. तरुन ने अपना लण्ड बाहर निकाला और वापस धकेल दिया.. मोना की मम्मी एक बार फिर कसमसाई... फिर तो घपाघप धक्के लगने लगे.. कुछ देर बाद मोना की मम्मी के नितंब थिरकने लगे। तरुन जैसे ही नीचे की और धक्का लगाता मोना की मम्मी नितंबों को ऊपर उठा लेती... अब तो ऐसा लग रहा था जैसे तरुन कम धक्के लगा रहा है और मोना की मम्मी ज़्यादा...
सुपाड़े से चुदने में उसे मजा आ रहा था और मैं सोच रही थी कि जब सुपाड़े से चुदने में इतना मजा आ रहा है तो पूरे लण्ड से चुदने में कितना मजा आयेगा। धीरे धीरे मेरा दर्द बिलकुल खतम हो गया मोना की बुर मुलायम हो के इतनी रसीली हो गई कि सुपाड़ा उसे बुर में कम लगने लगा और थोड़ी ही देर बाद उसने चाचा से कहा-
“हाय चाचा अब बचा हुआ भी डाल न ।”
चाचा ने मुँह से निप्पल बिना छोड़े धक्का मारा.. और आधा लण्ड बुर मे चला गया मोना के मुँह से सिसकारी निकल गई।
“इ्स्स्स्स्सइम्म्म्म”
पर उसने दाँत पर दाँत जमाकर धीरे धीरे बचा हुआ लण्ड भी चूत में ले लिया। और बोली-
लो चाचा मैंने पूरा अन्दर ले लिया।
चाचा –
“शाबाश बेटा! तू तो अपनी माँ से भी जबर्दस्त चुदक्कड़ बनेगी।”
बोली-
तो चोदो चाचा जैसे तरुन माँ को चोद रहा है।
और फ़िर चाचा अपने दोनों हाथों से मोना की चूचियाँ दबाते हुए और निप्पल चूसते हुए दनादन चोदने लगे।
ऐसे ही धक्के लगते लगते करीब 15 मिनिट हो गये थे.. अचानक तरुन ने अपना लण्ड मोना की मम्मी की चूत से निकाल लिया। उसने देखा मोना की मम्मी की चूत का मुहाने लगभग 3 गुना खुल गया था.. और रस चूत से बह रहा था...
तरुन तेज़ी से हमारे पास आकर बोला,
" चूत बदल चाचा..."
तरुन के मोना के पास आते ही चाचा मोना की मम्मी के चूतड़ों के पीछे जाकर बोले,
" घोड़ी बन जा!"
मोना की मम्मी उठी और पलट कर घुटनों के बल बैठ कर अपने भारी चूतड़ों को ऊपर उठा लिया... तरुन की जगह अब चाचा ने ले ली थी.. घुटनो के बल पिछे सीधे खड़े होकर उन्होने मोना की मम्मी की चूत में अपनी लण्ड डाल दिया... और मोना की मम्मी की कमर को पकड़ कर आगे पिछे होने लगे....
इधर मोना के पास आकर तरुन अपने लण्ड को हिला रहा था.... तरुन ने मोना की मम्मी के चूत रस से गीला अपना हलव्वी लण्ड मोना की नई नवेली बुर से चूत बनी में ठांस दिया। चचा भतीजों ने दोनो माँ बेटी की धुआंदार चुदाई की । तरुन का लण्ड चाचा के लण्ड से बड़ा होने के कारण मोना को थोड़ी देर तकलीफ़ तो हुई पर एक ही रात में मोना की बुर से खाई खेली चूत बन गई।
अपनी धुआंदार चुदाई से दोनो चूतों की प्यास बुझाने और बुरी तरह झड़ने के बाद चचा भतीजों के चूतों से नीचे उतरते ही दोनों माँ बेटी निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़ी.. बिस्तर की चादर खींच कर अपने बदन और चेहरे को ढक लिया...वो दोनो कपड़े पहन वहाँ से निकल गये....
कुछ दिनो तक ये सिलसिला चला फ़िर बल्लू चाचा की शादी हो गयी ऊपर से मोना के बापू को कुछ शक हो गया तो उन्होंने निगरानी बढ़ा दी। दोनों ने मोना की मम्मी के यहाँ आना जाना बन्द कर दिया क्योंकि पकड़े जाने क खतरा बढ़ गया था पर मोना से तरुन का सम्बन्ध गाहे बगाहे चोरी छिपे जारी रहा । अचानक बल्लू ने महसूस किया कि चचा भतीजे का मिलना जुलना भी कम होता जा रहा है पूछने पर तरुन ने बताया –
“मेरे एक रिश्ते के मामा चन्दू मेरे से कुछ साल बड़े हैं पास ही रहते हैं । आपके अपने बाल बच्चों और डिस्पेन्सरी में व्यस्त रहने की वजह से खाली रहने पर मैं उनके यहाँ वख्त काटने आने जाने लगा और हम दोनो की दोस्ती बढ़ गई, क्योंकि चन्दू मामा चालू बदमाश लड़कियाँ पहचानने में उस्ताद हैं । अब हमदोनों ऐसी लड़कियाँ फ़ँसा साथ साथ मजे करते हैं ।
आगे की मामा भान्जे की दास्तान जो तरुन ने बल्लू को सुनायी उपन्न्यास के अगले हिस्से “मामा भान्जा” में पढ़िये
मामा भान्जा
इसी बीच चन्दू मामा की भी शादी हो गयी शादी के तीसरे दिन अचानक चन्दू मामा आये और बोले –
“यार तरुन तुम आज रात को मेरे घर आना। ”
मैंने पूछा-
“क्या कोई खास बात है?”
उसने उत्तर दिया –“कोई खास नही लेकिन आना जरूर।”
खैर मैंने बात मान ली और उसके पास चला गया उस दिन चन्दू मामा और उनकी बीवी के अलावा घर में कोई नही था चन्दू मामा बोला-
“तरुन यार आज तुम मेरी बीवी को एक बार मेरे सामने चोद दे क्योंकि मैं चाहता हूँ कि तू उसे नियमित रूप से आकर चोदा कर ।”
मैंने कहा- “अरे यह तुम क्या कह रहे हो।”
उसने जबाब दिया- “देख भई मैं तो चोदता ही हूँ लेकिन उसे ज्यादा मज़ा नही आता क्योंकि मेरा लण्ड ज्यादा बड़ा नहीं है औसत है। वह बिचारी कसमसाकर रह जाती है तुम्हारा लण्ड पाकर वह मस्त हो जाएगी। यार अगर उसने मुझे लात मार कर निकाल दिया तो मेरी बेज्जती हो जाएगी न, बिल्लू।” मैं बोला- अगर मामी बिदक गयीं तो कौन सम्हालेगा।” उसने जबाब दिया-
“नही भई वह चुदवाने के लिए तैयार है मैंने उसे सब बता दिया है।”
तब मैं मान गया और कहा-
“अच्छा ठीक है।”
उस रात को मैं और चन्दू मामा उनके कमरे में रजाई ओढ़ के बैठे टी वी पर एक उत्तेजक फ़िल्म देख रहे थे कि मामी आयी और वो भी उसी बिस्तर में हम दोनो के बीच रजाई ओढ़ के बैठ गयी मैने देखा कि रजाई में घुसने मामी की साड़ी और पेटीकोट ऊपर को सिमट गये उनकी संग़मरमरी मांसल जांघे खुल गईं थीं और और रजाई की हलचल से लग रहा था कि चन्दू मामा रजाई के अन्दर उन्हें सहलाने लगे थे। ये सोच सोच के मेरा लण्ड खड़ा हो रजाई को तम्बू का आकार दे रहा था । जिसे देख चन्दू मामा ने मामी से कहा-
“मैने तुमसे तरुन के लम्बे मोटे लण्ड का जिक्र किया था पर तुम्हें विश्वास नहीं हुआ था आज खुद देख के मेरी बात की पुष्टि कर लो।”
मामी ने कहा- “अच्छा ।”
और रजाई उलट दी मैने देखा कि रजाई के अन्दर मामी की साड़ी और पेटीकोट चूतड़ों से भी ऊपर तक सिमटे हुए थे उन्होने कच्छी नही पहन रखी थी । उनके संग़मरमरी बड़े बड़े भारी गुदाज चूतड़ और केले के तने जैसी गोरी मांसल जांघों के बीच पावरोटी सी चूत भी दिख रही थी जिसपर चन्दू मामा हाथ फ़िरा रहा था । तभी मामी ने मेरी लुंगी हटाई और मेरा लण्ड देख वह हक्की बक्की रह गयी और उसे हाथ से पकड़ बोली-
“अरे क्या लण्ड इतना बड़ा हलव्वी भी होता है ।”
ऐसा कहकर वो मेरा लण्ड सहलाने लगी। मैं शर्मा रहा था ये देख चन्दू मामा ने मामी का ब्लाउज खोल उनके बेल के आकार के उरोज आजाद कर दिये मुझे दिखा दिखाकर सहलाते हुए कहा-
“ लड़का झेंप रहा है इसकी झिझक दूर करने के लिए चल हम इसके सामने ही चुदाई करते हैं।”
मामी एक हाथ से मेरा लण्ड पकड़ दूसरे से सहलाते हुए प्यार से बोली-
“ये ही ठीक रहेगा इससे मेरी चूत का मुँह भी थोड़ा खुल जायेगा फ़िर मैं आसानी से इस घोड़े के जैसे लण्ड से चुदवा पाऊँगी वरना तो ये मामी की फ़ाड़ ही देगा।”
मामी लेट गयी और मेरा सर पकड़कर मेरा मुँह अपनी बेल के आकार की एक चूची पर लगा दिया उधर चन्दू मामा दूसरी चूची चूसते हुए मामी को चोद रहा था अब मैं भी खुल के सामने आगया और मामी की बगल में लेटकर उनके मामा की चुदाई से हिल रहे बदन से खेलते हुए, चूची चूसने लगा । मुझे उनकी चूंचियों चूसने में बहुत मजा आ रहा था मामा जैसे ही चोद के हटे मामी अपने हथों से मामा के रस से भीगी अपनी चूत के दोनों मोटे मोटे होठ फ़ैलाकर बोली- आ जा तरुनबेटा अब ये घोड़ी तेरे घोड़े के लिये तैयार है। अब देखना ये है कि दोनों मामा भांजे आज इस घोड़ी को कितना दौड़ाते हैं। ये सुनना था कि मैंने मामी पर सवारी गाँठ ली और अपना घोड़े के जैसे लण्ड का सुपाड़ा उनकी पावरोटी सी चूत के दोनों मोटे मोटे होठों के बीच रखा और एक ही धक्के मे पूरा लण्ड ठाँस दिया और धकापेल चोदते हुए उनकी चूत की धज्जियाँ उड़ाने लगा । मारे मजे के मामी अपने मुँह से तरह तरह की आवाजें निकालते हुए किलकारियाँ भर रही थी- "उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़"उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ओह नहियीईईईईईईईईईईईईईईईई अहहोह ओउुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुउउ गाययययययययययययीीईई"
मैं और चन्दू मामा एक ही औरत को साथ साथ चोदने के माहिर थे उस रात हमदोनों ने मिलकर छ: बार जमकर मामी को चोदा । मैं खुश था की पहलीबार एक जानदार औरत को चोदा है मामी इसलिए खुश थी की उसे एक तगड़ा लण्ड मिला और अपने हसबैंड के सामने पराये मर्द से चुदवाने का सिलसिला शुरू हो गया चन्दू मामा इसलिए खुश था की उसकी बीवी को चुदाई से बड़ी संतुष्टि मिली फ़िर तो मामी जबतब मुझे बुलवा लेती और फ़िर मैं और चन्दू मामा जमकर मामी की चूत का बाजा बजाते।
पूरी कहानी सुनकर बल्लू ने कहा – यार तरुन अकेले अकेले मजे कर रहे हो मुझसे भी मिलवाओ ऐसे मजेदार लोगों से।”
तभी अचानक एक दिन खबर मिली कि मोना के बापू का देहान्त हो गया तो मैंने बल्लू चाचा से सम्पर्क किया और दोनों साथ साथ अफ़सोस प्रकट करने मोना के घर जा पहुंचे। मोना अब पूरी जवान हो चुकी थी बड़ी बड़ी ऑंखें गोल गोल गाल हँसती तो गाल में गड्ढे बन जाते ,गुदाज़ बाहें उभरे हुए चूतड और बड़ी बड़ी चूचियाँ, चूचियों की बनावट बड़ी मनमोहक थी उसे देख कर ही किसी का भी लण्ड खड़ा हो सकता है। मोना की मम्मी अभी भी बेहद हसीन और उनका बदन बेहद खूबसूरत और गुदाज था । वो रोते हुए बल्लू चाचा से और मोना मुझसे लिपट गयी । मैने देखा कि चाचा सान्त्वना देने के बहाने से उनका मांसल बदन सहला बल्कि टटोल रहे थे इधर मैं भी मोना के साथ लगभग यही कर रहा था। मेरी और चाचा कि नजरें मिलीं और हम उनका ख्याल रखने के बहाने से उस रात वहीं रुक गये। उस रात मैं और मोना बिना बिना उसके बापू के डर के खूब खुल के खेले । उधर बल्लू चाचा ने मोना की मम्मी को चोद चोद के उनका दुखी मन और चूत शान्त की। दूसरे दिन मैं और बल्लू चाचा वापस चले । हम चाचा के घर पहुँचे तो चाचा ने मुझे अन्दर ले जाकर अपनी बैठक में बैठाया। तभी चाची (बल्लू चाचा कि पत्नी) चाय ले आयी । चाचा ने कहा,
“बल्लू मैंने मोना की मम्मी की देखभाल का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया है ।”
चाची, “ये तो बड़ी अच्छी बात है।”
मेरा मन हुआ कि कह दूँ कि चाची ये देखभाल के बहाने अपने लण्ड के लिए एक और चूत का इन्तजाम कर रहे हैं पर मैं वख्त की नजाकत जान के चुप रहा।
चाचा ने आगे कहा,
“मैं चाहता हूं कि तू मोना से शादी कर के इस नेक काम में मेरी मदद करे। अगर तुझे मंजूर हो तो मैं तेरे पिता जी से बात करूँ।”
वख्त की नजाकत के हिसाब से न तो मैं ना करने की स्थिति में था और वैसे भी ये सौदा बुरा नहीं था मोना के साथ साथ चाची की चूत मिलने की भी उम्मीद थी सो मैने हाँ कर दी।
कुछ दिन बाद मेरी शादी मोना से हो गयी से हो गयी । दोनो एक दूसरे से जाने समझे थे। सुहागरात में हमने खूब जमकर चुदाई की खूब मज़ा लिया। उसने भी बेशरम होकर चुदवाने में कोई कसर नही उठा रखी। हम दोनों बहुत खुश थे।
आज एक नई बात पता चली कि मेरी सास मोना की मम्मी नहीं थीं बल्कि चाची थीं चाची ने ही उसे पाला था मेरी सास(चचिया सास) और मेरी बीवी दोनों चाची बेटी की तरह नही बल्कि दो सहेलियों की तरह रहती थी हलाकि मोना कहती उन्हें मम्मी ही थी । एक दिन जब मैं ससुराल गया तो मेरी सास ने खूब खातिरदारी और मेरा बड़ा ख्याल रखा । एक दिन अचानक मैं उनके कमरे में घुसने वाला था जहाँ मेरी बीवी और सास आपस में बातें कर रही थी कि मैंने सुना कि सास कह रही थी-
“मोना अच्छा ये बता तरुन का लण्ड तो अब और भी बड़ा हो गया होगा कितना बड़ा हुआ ?”
मैं कान लगा कर सुनने लगा।
मोना - अरे मम्मी बड़ा मोटा तगड़ा हो गया है खूब मज़ा आता है मुझे चुदवाने में।
सास:- क्या तुम्हारे बल्लू चाचा के लण्ड की तरह है ?
मोना :- नही मम्मी बल्लू चाचा के लण्ड से ज्यादा लंबा और मोटा है
मम्मी:- वाह और चुदाई कितनी देर तक करता है?
मोना :- अरे बड़ी देर तक चोदता रहता है मुझे हर बार चुदाई का पूरा मज़ा देता है
मम्मी :- हाय अगर तुम बुरा न माने तो तो क्या मैं भी चुदवा लूँ
मोना :- अरे बुरा मानने की क्या बात है मम्मी घर का लण्ड है तुम्हारा तो बचपन का देखा सम्झा है जब चाहो चुदवा लो।”
उस रात को मेरे खलबली मची थी मैंने मोना से पूछा कि असली बात क्या है उसने साफ साफ सारी कहानी बता दी
मोना :- देख तू तो जानता है कि मेरी चाची जिन्हें मैं मम्मी कहती हूँ के पति के गुज़र जाने के बाद बल्लू चाचा ने मेरे परिवार को संभाला मेरी चाची यानि कि मम्मी धीरे धीरे उनके नजदीक होती गयीं एक दिन मम्मी ने मुझे भी आवाज़ दी मैं भी गयी तू तो जानता है कि मेरी तो बुर की सील भी तेरे कहने पर तेरे सामने ही उन्हींने तोड़ी थी। मैंने चाचा का लण्ड पकड़ कर कहा- “बल्लू चाचा भोसड़ी के मुझे अपने मोटे लण्ड पर बैठाकर मेरी बुर गरम भी तो करो।”
बल्लू चाचा ने मुझे अपनी गोद में बैठा इस तरह बैठाया कि बुर की दोनों फ़ाकों के बीच की दरार पर लण्ड साँप की तरह लम्बाई में लेटा था। और मैं इस तरह उनकी गोद में बैठकर चूत पर लण्ड रगड़ के गरम करने लगी। थोड़ी ही देरे में लण्ड की रगड़ खा खा कर मेरी बुर गरम हो गयी । तबसे मैं भी चुदवाने लगी।
अब मम्मी को तुम्हारा भी लण्ड चाहिए, मम्मी तुमसे चुदवाना चाहती है बोलो चोदोगे न ?
मैंने कहा –“जरूर।”
फ़िर मैंने चन्दू मामा वाली मामी को चोदने की बात साफ साफ बता दी कि मैं भी चन्दूमामा वाली मामी को चोदता रहा हूँ। मेरी बीवी बहुत खुश हो गयी और मुझसे लिपट गयी बोली –
“ये तो बहुत अच्छा है ऐसा करते हैं कि तुम मेरी मम्मी को चोदना और मैं तेरे चन्दू मामा से चुदवा लूँगी जिसकी तुम बीवी चोदते हो बस हम दोनों बराबर। ठीक है न।”
क्रमश:…………………

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Re: सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

Unread post by The Romantic » 06 Nov 2014 21:53


मुहल्लेदारी से रिश्तेदारी तक
भाग -4
चाचा से मामा तक

सो उस रात को मैने चन्दू मामा को भी बुलवा लिया था । मैं, मेरी सास, मेरी बीवी और चन्दू मामा चारो मेरे कमरे में बैठे । मेरी सास और मेरी बीवी ने सिर्फ़ बड़े गले के ब्लाउज पेटीकोट पहन रखे थे । उनके बड़े गले के ब्लाउजों में से उनकी बड़ी बड़ी चूचियाँ आधी से ज्यादा दिख रही थीं । मेरी बीवी बोली-
“मम्मी अपने दामाद को नंगा करो न मैं चन्दू मामा को नंगा करती हूं।”
मेरी सास झुककर मेरा नेकर उतारने लगीं, झुकने से उनके बड़े गले के ब्लाउज में से उनकी चूचियाँ फ़टी पड़ रही थीं । मैं उनको देखने लगा सास की चूचियाँ तो मेरी बीवी से भी ज्यादा बड़ी थी जिसे देख मेरा लण्ड टन्ना रहा था। सास ने जैसे ही मेरी नेकर नीचे खींचा मेरा लण्ड उछल कर उनकी आखों के सामने आ गया । सास तो लण्ड देख कर दंग रह गयी उसे हाथ में थाम कर सहलाते हुए बोलीं-
“अरे ये है मर्द का लण्ड आज ये मेरी चूत को फाड़ देगा।”
मैंने उनके बड़े गले के ब्लाउज में हाथ डाल के उनकी बड़ी बड़ी चूचियाँ टटोलते हुए कहा-
“आपकी तो इससे पुरानी पहचान है चाची जो कुछ है आपकी नजर है।”
मोना चन्दू मामा को नंगा करते हुए बोली – पसन्द आया मुझे पूरा विश्वास है कि ये लण्ड साला चाहे जितना बड़ा हो तुम्हारी चूत इसका भरता बना ही देगी ।”
मेरी सास ने अपने दोनों हाथों से अपना पेटीकोट ऊपर उठाया । पहले उनकी पिण्डलियाँ फिर मोटी मोटी चिकनी गोरी गुलाबी जांघें बड़े बड़े गुलाबी भारी चूतड़ दिखे और फिर पावरोटी सी फूली दूधिया मलाई सी सफेद शेव की हुई चूत देखकर मैं दंग रह गया अपना पूरा पेटीकोट ऊपर समेट कर मेरी की नंगी गोद में बड़े बड़े गुलाबी भारी चूतड़ों को रखकर बैठते हुए बोली- तरुन बेटा तेरा लण्ड देख के मैं इतनी जोर से चौंकी कि मेरी चूत सकपकाकर ठन्डी हो गई है इसे लण्ड से सटाकर गरम कर ।” मैने उनकी चूत की दोनों फ़ाकों के बीच की दरार पे अपना ट्न्नाया गरमागरम लण्ड लिटा कर उनकी चूत को लण्ड से सेकने लगा। मैंने उनका चुट्पुटिया वाला ब्लाउज खीच कर खोल दिया उनके बड़े बड़े तरबूज जैसे गुलाबी स्तन कबूतरों की तरह फ़डफ़ड़ा़कर बाहर आ गये। मैंने दोनों हाथों से उनके विशाल स्तन थाम कर दबाते हुए कभी उनके निप्पलों को चूसता तो कभी कभी अपने अंगूठो और अंगुलियो के बीच मसलता । ।
जैसे ही मोना ने चन्दू मामा का नेकर नीचे खींचा उनके उछलते कूदते लण्ड को देख कर बोली- “वाह मामा तुम्हारा लण्ड तो पोकेट साइज़ लण्ड है अगर जल्दी मे चुदवाना हो तो तुम बड़े काम के आदमी हो ।”
फ़िर उसका लण्ड चूत पर रगड़ते हुए बोली-
“मेरे पति ने तेरी बीबी चोदी थी आज तुम उसकी बीबी चोद के अपना बदला पूरा करो ।” फ़िर तो हम मामा भान्ज़े ने बारी बारी से दोनों माँ बेटी (या चाची भतीजी) को जमके चोदा बदल बदल के चोदा। दूसरे दिन मोना ने कहा- “मम्मी बल्लू चाचा और आंटी और उनकी बेटी बेला को भी बुलवा लो आज मैं अपने पति से आंटी उनकी बेटी बेला को जम के चुदवाऊँगी और हम दोनों बल्लू चाचा से उसके सामने चुदवायेंगें वे दोनों जैसे ही आए, मोना हमारा परिचय करवाने के बाद बल्लू चाचा से बोली-
“बल्लू चाचा,भोंसड़ी के तुमने मम्मी और मेरी चूत खूब बजाई है बदले में, आज मेरा पति तुम्हारी बीबी(आंटी) और बेटी बेला की चूतों को बजा बजा के उनका भोंसड़ा बना देगा।”
इसके बाद मोना मुझसे बोली-
“आज मैं और मम्मी बल्लू चाचा से चुदवाकर तुम्हें दिखायेंगे कि उन्होंने कैसे इतने साल हमारी चूतों के मजे लिये हैं ताकि तुम उससे सबक लो और बदले में उनकी बीबी(आंटी) और बेटी (बेला) को चोद चोद के उनकी चूतों की धज्जियाँ उड़ा दो । उनका भोंसड़ा बना दो ।”
हमेशा की तरह मोना और मेरी सास ने सिर्फ़ बड़े गले के ब्लाउज पेटीकोट पहन रखे थे । उन्होंने आंटी और बेटी बेला की साड़ी खींच कर उन्हें भी अपने स्तर का कर लिया । मोना, मेरी सास, आंटी और उनकी बेटी बेला सभी ने बड़े गले के ब्लाउज पहने थे और उन बड़े गले के ब्लाउजों में से उनकी बड़ी बड़ी चूचियाँ आधी से ज्यादा दिख रही थीं । फ़िर मोना और मेरी सास ने बल्लू चाचा को नंगा किया उनका लण्ड थाम कर सहलाते हुए मुझसे बोली-
देख रहे हो यही है वो लण्ड जो इतने साल तक मेरी और मम्मी की चूत बजाता रहा। अब बल्लू चाचा तुम्हें दिखायेंगे कि उन्होंने कैसे मजे किये ।”
मैने देखा कि बल्लू चाचा के एक तरफ़ मोना और दूसरी तरफ़ मेरी सास उनका मोटा लण्ड थाम कर बैठी हैं और बड़े प्यार से सहला रही हैं और वे दोनो के ब्लाउज में हाथ डाल एक एक चूची थाम के सहला रहे हैं।”
आंटी और उनकी बेटी बेला ने मुझे नंगा करके मेरा लण्ड थाम लिया बोली-
“अरी मोना तू तो बड़ी नसीब वाली है की तुझे इतना बड़ा लण्ड मिला है ।”
मोना ने कहा- “तो आज तू नसीब वाली हो जा आंटी! फ़ड़वा ले अपना भोंसड़ा, आज तक तो तेरा पति मेरी फ़ाड़ता रहा आज तू अपनी बजवा मेरे पति से ।”
इस बात पर मैंने आंटी और बेला गले में हाथ डाल ऊपर से उनके ब्लाउजों में हाथ डाल दोनों की चूचियाँ टटोलते हुए आंटी से पूछा-
“चाची जब बल्लू चाचा मेरी बीवी व मेरी सास को चोदता था तो तुम क्या करती थी ।”
उसने जबाब दिया-
“मैं भी अड़ोसियों पड़ोसियों से चुदवाती रहती थी। हाय मुझे क्या पता था कि तेरा लण्ड इतना जबर्दस्त है वरना मैं तुझे कभी ना छोड़ती तू तो रोज ही हमारे यहाँ आता था। इस मुए बल्लू ने भी ये भेद कभी ना बताया।”
तभी दरवाजे की घण्टी बजी मैंने जल्दी से अपना नेकर पहना और मोना ने पेटीकोट ब्लाउज के ऊपर ही शाल डाल ली हम दोनों दरवाजे पर गये और दरवाजे की झिरी से देखा तो चन्दू मामा और मामी थे हमने बेधड़क दरवाजा खोल दिया। अन्दर आते ही मामी मेरे ऊपर झपटीं-
“हाय मेरे मूसलचन्द ।” और मामी मुझसे लिपट गयी।
और मोना मामा से-
“हाय मामा लालीपाप ।” कहते हुए लिपट गयी।
चन्दूमामा मोना को चूमते हुए बोले-
“हाँ बेटा मैने सोचा तुम्हारी मामी को भी सब परिवार से मिलवा दूँ।
मेरे कमरे में पहुँचते पहुँचते मामी ने मेरा और मोना ने मामा का लण्ड निकाल कर अपने हाथों में दबोच लिया था । मामा को देख बेला भी उनसे “लालीपाप” कहकर लिपट गयी। कमरे का नजारा भी लगभग वैसा ही था । बल्लू चाचा के एक तरफ़ मेरी सास और तरफ़ दूसरी आंटी बैठी उनका मोटा लण्ड थाम कर सहला रही हैं और बल्लू चाचा दोनो के गले में हाथ डाल ऊपर से ब्लाउज में हाथ घुसेड़ उनकी चूचियाँ टटोल सहला रहे हैं।
ये देख मामा हँस कर बोले-
“वाह चचा ऐश हो रही है ।”
बल्लू चाचा की नजर मामा मामी पर पड़ी तो मामा से लिपटी मोना बेला की तरफ़ इशारा करके वो बोले- तुम कौन सा कम ऐश कर रहे हो लौन्डियों मे गुलफ़ाम बने हो ।”
फ़िर मामी की तरफ़ इशारा करके वो बोले-
“ये क्या तुम्हारी बेगम हैं?”
मामी बल्लू चाचा का लण्ड पकड़कर बोली- “हाँ हूँ तेरी लार टपक रही है क्या? सबर कर? साला दो दो को बगल मे दबाये है फ़िर भी बल्लू चाचा की तीसरी पे नजर है देखो तो साले का कैसे टन्ना के खड़ा है ।”
ये सुन सब हँस पड़े। फ़िर मेरी सास और आंटी सब के सामने अपने पेटीकोट ब्लाउज उतार कर नंगी हो गयी । फ़िर उन्होंने मामी के कपड़े नोच डाले । फ़िर मामी ने मोना और बेला के भी पेटीकोट ब्लाउज नोच डाले, पाँचों ऐसी लग रही थीं जैसे एक से बढ़ कर एक चूचियों की नुमाइश लगी हो । कहना मुश्किल था कि किसकी ज्यादा बड़ी या शान्दार है उन्हें देखकर हम तीनो के लण्ड मस्त हो रहे थे फ़िर मेरी सास और आंटी ने मेरा लण्ड पकड़ा और बोली-
“साला सबसे तगड़ा लगता है ।”
उधर मामी ने बल्लू चाचा के लण्ड पर कब्जा कर ही रखा था और कह रही थी-
“चन्दू कह रहा था कि आंटी ने कल अपनी चूत से उसके लण्ड की बहुत खातिर की आज देखें आंटी के पति का लण्ड चन्दू की पत्नी की चूत की क्या सेवा करता है ।”
और मेरी बीवी मोना और बेला मामा के लण्ड से खेल रही थीं तीनों लण्ड एक साथ देख कर मेरी बीवी मोना बोली –
“हाय आज तो लगता है कि लण्ड की दावत है देखो साले कैसे एक दूसरे की चूत खाने को तैयार है। तब तक मेरी सास ने तीनो लण्ड नापे और बोली-
“अरे भोसड़ी के तीनो साले 6" से ऊपर है और मोटाई में 4" से कम नही है ।”
(दरअसल मामा का 6"का था बाकी हमारे दोनो के 7"से ऊपर थे)
मामी ने बल्लू चाचा के लण्ड पर हाथ फेरते हुए कहा-
“हाय तब तो आज तो अपनी चूतों की लाटरी खुल गयी यार ।”
इधर मेरी सास और आंटी मेरे , मोना और बेला मामा के लण्ड पर हाथ फेर रही थी। पहले राउण्ड में हम तीनो मिलकर अपनी मर्ज़ी के हिसाब से पाँचों औरतों को चोद कर मज़े ले रहे थे मैं कभी मेरी सास को चोदता कभी आंटी को, मामा कभी बेला को चोदता कभी मेरी बीवी मोना को, और बल्लू चाचा कभी मेरी सास को चोदता कभी मामी को । मेरी सास ने देखा बेला और मोना मामा का पीछा ही नहीं छोड़ रही हैं और दूसरी तरफ़ बल्लू चाचा उनमें(मेरी सास) और मामी में ही अदल बदल कर रहे हैं और मैं उनमें(मेरी सास) और आंटी में ही अदल बदल कर रहे हैं, तो मेरी सास बोली-
“अब दूसरी पारी में हर लण्ड को एक नई और एक पुरानी चूत चोदनी पड़ेगी साले दोनों दोनों गधे जैसे लण्ड वाले मेरे, मेरी देवरानी और मामी के पीछे पड़ गये हैं साले मेरे देवर और दामाद के गधे जैसे लण्डों से फ़ड़वा फ़ड़वा के हमारी (उनकी, आंटी की और मामी की) चूतें थकान से भोंसड़ा हो रही हैं। अरे हमारा भी मन करता है कि मामाके प्यारे से लण्ड के साथ थोड़ी राहत की साँस लें ।”
मामी बोली,-
“ मुझे कोई फ़रक नहीं पड़ता तुम दोनों चन्दू के साथ आराम करो मेरे तो अभी खेलने खाने के दिन हैं मैं तुम्हारे देवर और अपने भान्जे को झेलने में लड़कियों की मदद करूगीं।
मेरी सास और आंटी ने मामा को अपनी तरफ़ खीच ले गई। बल्लू चाचा और मेरे हिस्से मे आयी मामी मोना और बेला । बल्लू चाचा ने मोना और मामी को और मैंने बेला और मामी को चोदा ।
धीरे धीरे बल्लू की लड़की बेला चन्दू मामा और मामी से बहुत हिलमिल गई वो अक्सर चन्दू मामा के घर जाने लगी यहाँ तक कि उनके साथ दूसरे गाँव मेला देखने भी गई। फ़िर वो अक्सर चन्दू मामा और मामी के साथ उस गाँव जाने लगी। एक रात जब तरुन और बेला साथ साथ मस्ती कर रहे थे तब तरुन के पूछने पर उसने उस गाँव का किस्सा बताया।
क्रमश:…………………


The Romantic
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Re: सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

Unread post by The Romantic » 06 Nov 2014 21:55


मुहल्लेदारी से रिश्तेदारी तक
भाग -5
बेला देखने गई मेला

उसने तरुन से बताया एक बार चन्दू मामा हमारे घर आये और मुझे अपने साथ ले गये. चन्दू मामा का लड़का राजू किसी काम से बाहर गया था उसकी बीबी टीना भाभी से मेरी बहुत पट्ती थी क्योंकि वो भी मेरी तरह बहुत सेक्सी और हर समय चुदासी रहती थी, अब चन्दू मामा अक्सर थके थके रहते हैं कभी कभी ही चुदाई के मूड में आते हैं जिसदिन मैं उन्के साथ गई उसदिन तो एक बार उन्होने मुझे चोदा पर हर दिन मैं और टीना भाभी एक ही कमरे में सोते थे और रात में देर तक चुदाई सम्बन्धी बातें किया करते थे। फिर वहाँ से मैं बेला, मेरी मामीजी, चन्दू मामा और भाभी टीना और नौकर रामू सब लोग मेले के लिए चल पड़े. सनडे को हम सब मेला देखने निकल पड़े. हमारा प्रोग्राम 8 दिन का था.. सोनपुर मेले में पहुँच कर देखा कि वहाँ रहने की जगह नही मिल रही थी. बहुत अधिक भीड़ थी. चन्दू मामा को याद आया कि उनके ही गाँव के रहने वाले एक दोस्त के दोस्त विश्वनाथजी ने यहाँ पर घर बना लिया है सो सोचा की चलो उनके यहाँ चल कर देखा जाए. हम चन्दू मामा के दोस्त यानी की विश्वनाथजी के यहाँ चले गये. विश्वनाथजी मजबूत कदकाठी के पहलवान जैसे व्यक्ति थे। उन्होने तुरंत हमारे रहने की व्यवस्था अपने घर के ऊपर के एक कमरे में कर दी. इस समय विश्वनाथजी के अलावा घर पर कोई नही था. सब लोग गाँव में अपने घर गये हुए थे. उन्होने अपना किचन भी खोल दिया,जिसमे खाने- पीने के बर्तनो की सुविधा थी. वहाँ पहुँच कर सब लोगों ने खाना बनाया और और विश्वनाथजी को भी बुला कर खिलाया. खाना खाने के बाद हम लोग आराम करने गये.
जब हम सब बैठे बातें कर रहे थे तो मैने देखा कि विश्वनाथजी की निगाहें बार-बार भाभी पर जा टिकती थी. और जब भी भाभी की नज़र विश्वनाथजी की नज़र से टकराती तो भाभी शर्मा जाती थी और अपनी नज़रें नीची कर लेती थी. दोपहर करीब 2 बजे हम लोग मेला देखने निकले. जब हम लोग मेले में पहुँचे तो देखा कि काफ़ी भीड़ थी और बहुत धक्का-मुक्की हो रही थी. चन्दू मामा बोले कि आपस में एक दूसरे का हाथ पकड़ कर चलो वरना कोई इधर-उधर हो गया तो बड़ी मुश्किल होगी. मैने भाभी का हाथ पकड़ा, चन्दू मामा-मामी और रामू साथ थे.
मेले की भीड़ मे पहुँचे ही थे कि अचानक पीछे से मेरे चूतड़ों में कुछ कड़ा सा गड़ा और किसी ने सटकर कमर पर होले से हाथ रख दिये मैं एकदम बिदक पड़ी, कि उसी वक़्त सामने से धक्का आया और उसने मेरे उभरी हुई चूचियाँ सहला दी. भीड़ और धक्कामुक्की बढ़ती जा रही थी मुझे औरत होने की गुदगुदी का अहसास होने लगा था. वो भीड़ मे मेरे पीछे-पीछे चल रहा था, कुछ आगे बढ़ने पर अचानक पीछे से धक्का आया मेरा बदन फ़िर से सनसना गया शायद वही फ़िर पीछे से मेरी दोनो चूचियाँ पकड़ कर कान में फुसफुसाया - 'हाय मेरी जान' । मेरे चूतड़ों को तो उसने जैसे बाप का माल समझ कर दबोच रखा था. कभी-कभी मेरे चूतड़ों में उसका लण्ड गड़ने लगता था, फ़िर उसने मेरी नाभी के नीचे बन्धे पेटीकोट के नारे में से हाथ डाल मेरी चूत को अपने हाथ के पूरे पंजे से दबा लिया और मेरी चूत सहलाने लगा. उसने मेरी जाँघों को भी सहलाया. हम कुछ और आगे बढ़े तो अबकी धक्का-मुक्की में भाभी का हाथ छूट गया और भाभी आगे और में पीछे रह गयी. भीड़ काफ़ी थी और मैं भाभी की तरफ गौर करके देखने लगी. वो पीछे वाला आदमी भाभी के पेटीकोट में हाथ डाल कर भाभी की चूत सहला रहा था. भाभी मज़े से चूत सहलवाते हुए आगे बढ़ रही थी. भीड़ में किसे फ़ुर्सत थी कि नीचे देखे कि कौन क्या कर रहा है. मुझे लगा कि भाभी भी मस्ती में आ रही है. क्योकि वो अपने पीछे वाले आदमी से कुछ भी नही कह रही थी. जब मैं उनके बराबर में आई और उनका हाथ पकड़ कर चलने लगी तो उनके मुँह से आह सी निकल कर मेरे कानों में गूँजी. में कोई बच्ची तो थी नही, सब समझ रही थी. मेरा तन भी छेड़-छाड़ पाने से गुदगुदा रहा था. तभी मेरे चूतड़ों में उसका लण्ड गड़ा. ज़रा कुछ आगे बढ़े तो उसने मेरे दोनो बगलों में हाथ डाल कर मेरी बड़ी बड़ी चूचियों को इस तरह पकड़ कर खींचा कि देखने वाला समझे कि मुझे भीड़-भाड़ से बचाया है. शाम का वक़्त हो रहा था और भीड़ बढ़ती ही जा रही थी. इस छुआ छेड़ीं से हम दोनों बुरी तरह उत्तेजित हो चुदासी हो रहीं थीं तभी पीछे से वो रेला सा आया जिसमे चन्दू मामा मामी और रामू पीछे रह गये और हम लोग आगे बढ़ते चले गये. कुछ देर बाद जब पीछे मूड कर देखा तो चन्दू मामा मामी और रामू का कहीं पता ही नही था. अब हम लोग घबरा गये कि चन्दू मामा मामी कहाँ गये. हम लोग उन्हे ढूँढ रहे थे कि वो लोग कहाँ रह गये और आपस में बात कर रहे थे कि तभी दो आदमी जो काफ़ी देर से हमे घूर रहे थे और हमारी बातें सुन रहे थे वो हमारे पास आए और बोले तुम दोनो यहाँ खड़ी हो और तुम्हारे सास ससुर तुम्हें वहाँ खोज रहे हैं.
भाभी ने पूछा , कहाँ है वो? तो उन्होने कहा कि चलो हमारे साथ हम तुम्हे उनसे मिलवा देते है. {भाभी का थोड़ा घूँघट था. उसी घूँघट के अंदाज़े पर उन्होने कहा था जो क़ि सच बैठा} हम उन दोनो के आगे चलने लगे. साथ चलते-चलते उन्होने भी हमें नही छोड़ा बल्कि भीड़ होने का फायदा उठा कर कभी कोई मेरे चूचियों पर हाथ फिरा देता तो कभी दूसरा भाभी की कमर सहलाते हुए हाथ नीचे तक ले जाकर उनके चूतड़ों को छू लेता था. एक दो बार जब उस दूसरे वाले आदमी ने भाभी की चूचियों को ज़ोर से भींच दिया तो ना चाहते हुए भी चुदासी भाभी के मुँह से आह सी निकल गयी और फिर तुरंत ही संभलकर मेरी तरफ देखते हुए बोली कि इस मेले में तो जान की आफ़त हो गयी है , भीड़ इतनी ज़्यादह हो गयी है कि चलना भी मुश्किल हो गया है.
मुझे सब समझ में आ रहा था कि साली को मज़ा तो बहुत आ रहा है पर मुझे दिखाने के लिए सती सावित्री बन रही है. पर अपने को क्या गम, में भी तो मज़े ले ही रही थी और यह बात शायद भाभी ने भी नोटिस कर ली थी तभी तो वो ज़रा ज़्यादा बेफिकर हो कर मज़े लूट रही थी. वो कहते है ना कि हमाम में सभी नंगे होते हैं. मैने भी नाटक से एक बड़ी ही बेबसी भरी मुस्कान भाभी तरफ उछाल दी.इस तरह हम कब मेला छोड़कर आगे निकल गये पता ही नही चला. काफ़ी आगे जाने के बाद भाभी बोली ' बेला हम कहाँ आ गये, मेला तो काफ़ी पीछे रह गया. यह सुनसान सी जगह आती जा रही है, तेरे चन्दू मामा मामी कहाँ है?'
तभी वो आदमी बोला कि वो लोग हमारे घर है, तुम्हारा नाम बेला है ना, और वो तुम्हारे चन्दू मामा मामी है, वो हमे कह रहे थे कि बेला और बहू कहाँ रह गये. हमने कहा कि तुम लोग घर पर बैठो हम उन्हें ढूँढ कर लाते हैं. तुम हमको नही जानती हो पर हम तुम्हे जानते हैं. यह बात करते हुए हम लोग और आगे बढ़ गये थे.
वहाँ पर एक कार खड़ी थी. वो लोग बोले कि चलो इसमे बैठ जाओ, हम तुम्हे तुम्हारे चन्दू मामा मामी के पास ले चलते हैं. और अब मुझे यह बात समझ में आई कि ये दोनो आदमी वही हैं जो भीड़ मे मेरी और भाभी के चूतड़ और चूचियाँ दबा रहे थे. मैने सोचा फ़ँस तो गये ही हैं पर आखिरी सूरत में साले ज्यादा से ज्यादा क्या करेंगे चोद ही तो लेंगे, पर हमने जाने से इनकार करने का नाटक किया तो उन्होने कहा कि- “ घबराओ नही देखो हम तुम्हे तुम्हारे चन्दू मामा-मामी के पास ही ले चल रहे है और देखो उन्होंने ही हमे सब कुछ बता कर तुम्हारी खबर लेने के लिए हमे भेजा है अब घबराओ मत और जल्दी से कार में बैठ जाओ ताकि मामा- मामी से जल्दी मिल सको।”
मैंने भाभी की तरफ़ देखा भाभी ने सबकी आँख बचा कर मेरी तरफ़ शरारात से मुस्कुराकर आँख दबाई, मैं समझ गई कि आखिरी सूरत में भाभी को भी मेरी तरह मजा लूटने में कोई एतराज नहीं है । बेबसी का नाटक करते हुए हम लोग गाड़ी में बैठ गये । उन लोगों ने गाड़ी में भाभी को आगे की सीट पर बैठाया फ़िर दूसरा मेरे साथ पीछे की सीट पर बैठा कार थोड़ी ही दूर चली होगी कि उस आदमी का दायाँ हाथ मेरी गरदन के पीछे से दूसरी तरफ़ के कन्धे से आगे निकल मेरे बड़े गले के ब्लाउज में से झाँकती गोरी गुलाबी बड़ी बड़ी चूचियों में घुस उन्हें सहलाने दबाने लगा, और बायां हाथ मेरी कमर में आगे से मेरा पेट सहलाने और नाभी में उंगली डालने लगा । फ़िर उसका हाथ सरककर मेरी नाभी के नीचे बन्धे पेटीकोट के नारे में से मेरी चूत पर जा पहुंचा। उसने मेरी चूत को अपने हाथ के पूरे पंजे से दबोच लिया और सहलाने लगा । मैंने नखरा करते हुए उन्हे हटाने का नाटक करते हुए कहा ' हटो ये क्या बदतमीज़ी है.' तो एक ने कहा 'यह बदतमीज़ी नही है मेरी जान, हम वही कर रहे हैं जो मेले में कर रहे थे और तुम मजे ले रहीं थी तुम्हे तुम्हारे चन्दू मामा से मिलाने ले जा रहे हैं तो इसी खुशी में पहले हमारे चन्दू मामाओ से मिलो फिर अपने चन्दू मामा से. जब मैने आगे की तरफ देखा तो पाया कि भाभी का ब्लाउज और ब्रा खुली है दोनो टाँगे फैली हुई साड़ी और पेटिकोट कमर तक उठा हुआ है और वो आदमी कभी भाभी की दोनो चूचियाँ पकड़ता है कभी उनकी चूत को अपने हाथ के पूरे पंजे से दबोचता, सहलाता और उंगली डालता है भाभी झूठ मूठ की ना नुकुर व उसकी पकड़ से निकलने की कोशिश करने का अभिनय कर रही हैं ।
उसने कहा –
“ देखो मेरी जान, हम तुम्हे चोदने के लिए लाए हैं और चोदे बिना छोड़ेंगे नही, तुम दोनो राज़ी से चुदवा लोगी तो तुम्हे भी मज़ा आएगा और हमे भी, फिर तुम्हे तुम्हारे घर पहुँचा देंगे. जितना नखरा करोगी उतनी देरी से घर पहुँचोगी।”
और मेरी भाभी से कहा कि' “ये तो साफ़ दिख रहा है कि मजा तुम दोनो को भी आ रहा है फ़िर तुम तो शादी शुदा हो, चुदाई का मज़ा लेती ही रही हो, इसे भी समझाओ कि इतना मज़ा किसी और चीज़ में नही है, इसलिए चुपचाप खुद भी मज़ा करो और हमे भी करने दो ।”
इतना सुन कर मैं मन ही मन हँसी कि ये साला, ये नहीं जानता कि हम दोनों तो पहले से ही चुदासी हो रही हैं । अब हमने नखरे करने बन्द कर दिये और चुपचाप मज़ा लेने लगे । भाभी को शांत होते देख कर वो जो भाभी की मोटी मोटी जाघें पकड़े बैठा था वो भाभी की चूत दबोचते हुए बीच बीच में कस-कस कर भाभी की बड़ी बड़ी चूचियाँ सहलाने लगा. भाभी सी-सी करने लगी । इधर मेरी भी चूत और चूचियों, दोनो पर ही एक साथ आक्रमण हो रहा था और मैं भी सीसिया रही थी. वो मेरी चूचियों को भोंपु की तरह दबाते हुए बारी बारी से दोनों घूंड़ियों(निपलों) को होठों में दबा के चूसने में लगा था मेरे मुँह से सीसियाते हुए निकला “ स्स्स्स्सी आह्ह्ह ये तुम क्या कर रहे हो?”
क्यों मज़ा नही आ रहा है क्या मेरी जान?
मैंने एकदम से कसमसा कर हाथ पावं सिकोड़े तो दूसरा वाला मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए मेरी चूतड़ों की दरार में उंगली फिराते हुए चूत तक ले जा रहा था.
“चीज़े तो बड़ी उम्दा है यार।”
भाभी की मोटी मोटी जाघें दबोच कर मौज लेते हुए वो बोला. “एकदम कसा मस्त देहाती माल है ।”
मैं थोड़ा सा हिली तो मेरे वाले ने मेरी चूचियों को कस कर दबाते हुए मेरे होंटो पर अपने होंट रख कर ज़ोर से चुंबन लिया फिर मेरे गालों को मूँह में भर कर इतनी ज़ोर से चूसा कि मैं बूरी तरह से गन्गना उठी. ऐसा लग रहा था कि हम दोनो की मस्त जवानी देख कर दोनो बुरी तरहा से पगला गये थे. मेरा वाला मेरे चूतड़ और चूत दबोचे बैठा था, और मेरी चूचियों और गालों का सत्यानाश कर रहा था और मैं वैसे झूठ नही बोलूँगी क्योंकि मज़ा तो मुझे भी आ रहा था पर उस वक़्त डर भी लग रहा था. मैं दोहरे दबाव में अधमरी थी. एक तरफ़ शरारात की सनसनी और दूसरी तरफ इनके चंगुल में फँसने का भय,वो मेरी गदराई चूचियों को दबाते हुए मस्त आँखो से मेरे चेहरे को निहार रहा था ।
मैने भाभी की तरफ देखा, भाभी की साड़ी और पेटिकोट कमर तक उठा हुआ था और आगे वाले ने भाभी की दायीं मोटी गदराई जाँघ अपनी जाँघ के नीचे दबा रखी थी । भाभी दोनो हाथों से उसका हलव्वी लण्ड पकड़ के सहला रही थी. उन दोनो के खड़े मोटे-मोटे फ़ौलादी लण्डों को देख कर मैं डर गयी कि जाने ये लण्ड हमारी चूतों का क्या हाल करेंगे । तभी आगे वाले आदमी ने जो कि कार चला रहा था, एक हाथ से भाभी के गाल पर चुटकी भरी फ़िर उनकी जाँघों के बीच चूत के ऊपर उगी भूरी-भूरी झांटे सहलाते और चूत मे उंगली करते हुए भाभी से पूछा'
रानी मज़ा आ रहा है ना?
और मैने देखा कि भाभी मज़ा लेते हुए नखरे के साथ बोली
'ऊँ हूँ '
तब उसने कहा ' नखड़ा ना कर, मज़ा तो आ रहा है, है ना, प्यार से चुदवा लोगी तो कसम भगवान की पूरा मज़ा लेकर ऐसे ही साफ़ सुथरी तुम्हे तुम्हारे घर पहुँचा देंगे. तुम्हारे घर किसी को पता भी नही लगेगा कि तुम कहाँ से आ रही हो. और नखड़ा करोगी तो वक़्त भी खराब होगा और तुम्हारी हालत भी और घर भी देर से पहुँचोगी. वैसे भी तुम खुद समझदार हो जो मज़ा राज़ी-खुशी में है वो ज़बरदस्ती में कहाँ.
भाभी (झुंझुलाहट के साथ) – अरे तो क्या मैं लिख के दूँ, भाषण देने के बजाय जल्दी से करता क्यों नहीं ।”
भाभी की ऐसी बात सुन कर कार एक सुनसान जगह पर रोक ली और उन लोगों ने हमे कार से उतारा और कार से एक बड़ा सा कंबल निकाल कर थोड़ी समतल सी जगह पर बिछाया और मुझे और भाभी को उस पर लिटा दिया. अब पीछे वाला आदमी मेरे करीब आया और उसने पहले मेरा ब्लाउज उतारा, ब्रा में से फ़टी पड़ रही मेरी बड़े बड़े बेलों जैसी चूचियाँ देख उसने मेरी ब्रा लगभग नोचते हुए खीच कर उतार डाली अब वो मेरी फ़ड़क कर आजाद हो गई चूचियों पर झपटा और उनपर मुँह मारने लगा। मैं गनगना कर सीस्या रही थी. फिर उसने बाकी के सभी कपड़े उतार कर मुझे पूरी तरह से नंगा किया मेरी चूत में कीड़े रेंगने लगे थे. मेरे साथ वाला आदमी का जोश बढ़ता जा रहा था, और पागलों के समान मेरे शरीर को चूम चाट रहा था । मेरी खाई खेली चूत भी चुदाई की उम्मीद से में मस्ती में भर रही थी. वो काफ़ी देर तक मेरी चूत को निहारता रहा । वो मेरी चूत को कुँवारी चूत यानि बुर समझ रहा था फ़िर उसने मेरी पाव-रोटी जैसी फूली हुई चूत पर हाथ फेरा और मस्ती में भर झुक कर मेरी चूत को चूमने लगा, और चूमते-चूमते मेरी चूत के टीट {पुत्तियाँ} को चाटने लगा.अब मेरी बर्दाश्त के बाहर हो रहा था और मैं ज़ोर से सित्कार कर रही थी. वो जितना ही अपनी जीभ मेरी मस्त चूत पर चला रहा था उतना ही उसका जोश और मेरा मज़ा बढ़ता जा रहा था. मेरी चूत में जीभ घुसेड कर वो उसे चक्कर घिन्नी की तरह घुमा रहा था, अब मैं भी अपने चूतड़ ऊपर उचकाने लगी थी. मैंने भाभी की तरफ़ देखा वो आगे वाले आदमी की गोद में बिलकुल नंगी उसके सीने से अपनी पीठ लगाकर बैठी उसका लम्बा फ़ौलादी लण्ड अपनी चूत पर रगड़ रही थीं और वो उनकी चूचियाँ सहला रहा था.
मुझे एक अजीब तरह की गुदगुदी हो रही थी फिर वो कपड़े खोल कर नंगा हो गया. उसका भी लण्ड आगे वाले की तरह खूब लंबा और मोटा फ़ौलादी था जोकि एकदम टाइट होकर साँप की भाँति फुंफ़कार रहा था जिसे देख मेरी चुदक्कड़ चूत उसे(लण्ड को) निगल जाने को बेकरार हो उठी.
क्रमश:…………………

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