मेरी बेकाबू जवानी compleet
Re: मेरी बेकाबू जवानी
कुछ देर एक दूसरे को चूमने के बाद हम वाहा से आगे बढ़े और अपनी गाड़ी मे जाके बैठ गये. पति जी ने गाड़ी को सुरू किया और हम घर की ओर बढ़ ने लगे. गाड़ी मे हम दोनो नंगे ही थे. जैसे ही घर आया पति जी ने गाड़ी को पार्किंग एरिया मे रखा और नंगे ही बाहर निकल के मुझे गाड़ी से नंगा ही निकल ने का इशारा किया. मैं काफ़ी हिच कीचाहट महसूस कर रही थी, लेकिन पति जी ने मेरी एक ना सुनते हुए मेरे बालो मे हाथ डाल के मुझे बाहर खीच लिया. मैं अपने ही घर की पार्किंग मे नंगी घूम रही थी. पति जी ने मुझे गाड़ी के सहारे खड़ा किया और लंड को चूत मे डाल के चोदने लगे. उनका गुस्सा साफ नज़र आ रहा था, क्यूंकी वो मेरे पूरे जिस्म को जहा जगह मिली वाहा से नोच के दबाने लगे. उन्होने मेरे बालो, कमर, गर्दन और होठ का खुमबर बना दिया. आधे घंटे के बाद वो रुक गये और उपर चल ने का इशारा किया.
काफ़ी देर से चुद ने से मेरे पैरो और चूत मे बहुत दर्द हो रहा था और मैं ठीक से चल नही पा रही थी. ये देख पति जी ने मुझे अपनी गोद मे उठा लिया और उपर जाके बेडरूम मे सुला दिया. सुबह 6 बजे मुझे उठाया और में घर जाके फ्रेश होके कॉलेज जाने के लिए घर से निकल गयी. नीचे अपनी ससुराल मे जाते ही पति जी ने मुझे अपनी गोद मे उठा लिया और किचन मे ले जाके डिननिग टेबल पर बिठा दिया. उन्होने मेरे होंठो को चूमा और फिर मुझे टेबल पे लिटा दिया. मेरी टाँगो को फेलाते हुए और मेरे स्कर्ट के अंदर उन्होने अपना मुँह मेरी जाँघो के पास ले जाके उसे चूमने लगे, मेरी चड्डी को निकाल के फेक दिया और मेरी चूत मे अपनी जीभ घुमाने लगे. मेने तुरंत ही पानी छोड़ दिया और पति जी ने वो सारा पानी पी लिया. फिर मुझे टेबल के उपर बिठा के मुझे कहा “ जया आज से तुम चड्डी मत पहनना, क्यूंकी तुम्हारी चूत को ताजी हवा की ज़रूरत है”. मेने पति जी से नाश्ता लिया और उन्हे एक लंबी सी किस देके कॉलेज के लिए चल गयी.
मैं कॉलेज मे ठीक तरह से पढ़ नही पाई, क्यूंकी मेरी चूत मे बहुत जलन हो रही थी, इसलिए मेने प्रिन्सिपल से जाके घर जाने की छुट्टी ले ली और तुरंत पति जी के पास चल पड़ी. घर मे जाते ही मेने देखा की पति जी आसन वाले रूम मे है. जैसे ही मे अंदर गयी पति जी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया और मेरे होंठो को चूमने ने लगे. पति जी एक हाथ मेरी चूत के पास ले गये और एक उंगली को मेरी चूत मे डाल दिया और उसे अंदर बाहर करने लगे. मैं भी इस वक़्त बहुत जोश मे थी और पति जी ने मुझे अपना लंड मेरे हाथो मे दे दिया और अपने एक हाथ से मेरे हाथ को पकड़ के लंड को आगे पीछे करने लगे. मैं मन ही मन सोच रही थी शायद यही मेरी असली ट्यूशन है पति जी के पास जिस्म की प्यास को बुझाने की. हम दोनो काफ़ी रोमांचित हो चुके थे और खड़े खड़े थक गये थे.
मुझे अपनी बाँहो मे उठा के पति जी अपने बेडरूम लेके गये और मेने हर रोज की तरह कविता जी से आशीर्वाद ले लिया. पति जी खुद बेड पे लेट गये और मुझे उनके उपर बैठ ने का इशारा किया. मैं पति जी के पेट पे जाके बैठ गयी और झुक के पति जी के होंठो को चूमने लगी. पति जी ने अपने हाथो को मेरे बालो मे डाल के मेरे बालो को चेहरे से हटाया और मेरे गालो को अपने कड़क हाथो से दबा दिया. फिर मुझे कमर मे हाथ डाल के, थोडा सा उठा के उनके लंड के उपर बैठा दिया. मे अपने पैरो को और अपनी कमर को थोड़ा सा आजू बाजू करके पति जी के लंड को अपनी चूत के पास रखा. मेरे अंदर इतनी हिम्मत नही थी कि मैं लंड को खुद अपनी चूत मे डालु. इसलिए पति जी ने मेरी चूत को खोलके अपने लंड के आगे वाले भाग के उपर मेरी चूत को रख दिया. मेने चूत, कमर और पैरो के बल ज़ोर लगा के लंड को मेरी चूत के अंदर जाने के लिए रास्ता बनाने की कोशिश की, मैं इसमे थोड़ा सा कामयाब हुई और मेरे मूह से एक हल्की सी सिसकारी निकल गयी. पति जी ये देख खुश हुए और उन्होने अपने कड़क हाथो को मेरी कमर पे रख के उसे लंड के उपर दबाया और धीरे धीरे मेरी कमर को उपर नीचे करके लंड को मेरी नाज़ुक सी चूत मे पूरा पूरा का डाल दिया.
लंड को अंदर तक डाल ने से पति जी के मुँह पे एक ख़ुसी सी च्छा गयी. पति जी मुझे बाजुओ से पकड़ के अपने मूह की ओर झुकाते हुए मेरे होंठो चूमने लगे. मेने अपने हाथ पति जी के सिर मे डाल दिए और उनके बालो से खेलने लगी. उधर पति जी की ओर झुकने से पति जी ने लंड चूत से बाहर ना निकल जाए इसलिए अपने पैरो को घुटनो से मोड़ दिया. पति जी के ऐसा करते ही उनकी जंघे मेरी गन्ड पे लगने लगी और लंड ने चूत मे थोड़ा और अंदर तक जगह बना ली. इधर होंठो पे किस चल रही थी और नीचे मेरी चूत मे लंड अंदर बाहर हो रहा था. मुझे बहुत ज़्यादा अच्छा लग रहा था, क्यूंकी मुझे कमर को उपर नीचे नही करना था और मेरे होंठो पे चल रहे पति जी के चुंबन से मुझे प्यास भी कम लग रही थी, क्यूंकी मे पति जी के थूक को पी लेती थी. यही पोने घंटे तक, बीच बीच मे रुक कर पति जी ने मेरा और उनका पानी निकाल दिया.
फिर करीब 5 बजे हम दोनो नींद से जागे और इस बार मे ही खुद पति जी के उपर चढ़ गयी और लंड को अपनी चूत के मूह के पास ले जाके रख दिया और पति जी ने बिना देरी करते हुए लंड और चूत का संगम कर दिया और हम दोनो ने चुदाई सुरू की. पहले की तरह इस बार भी पति जी ने मुझे किस करने के लिए अपने उपर झुका दिया. एक मोड़ पे पति जी ने लंड को धक्का देना बंद कर दिया और किस को रोक दिया. मैं कुछ समझ नही पाई, इसलिए पति जी ने कहा “ जया अब अपनी गान्ड को आगे पीछे करो और देखो के तुम्हे कितना मज़ा आता है”. मेने वैसे ही किया और मुझे सच मे मज़ा आने लगा. मैं ने रोमांचित होके पति जी के बालो को नोच दिया और उनके होंठो को काट भी दिया और गान्ड को तेज़ी से आगे पीछे करने लगी. हम दोनो ने साथ मे पानी छोड़ दिया. हम एक दूजे के जिस्म को लपेट के सोए हुए थे और पति जी मेरे स्तन पे अपनी छाती का दबाव दे रहे थे और उन्होने मुझसे पूछा “ जया रानी सच बताना मज़ा आ रहा है ना, तुम मेरा ऐसे ही साथ दे ती रहना, कविता के जाने के बाद मेरी ज़िंदगी मे बहुत समय के बाद ख़ुसी आई है, मैं इसे खोना नही चाहता, अगर तुम्हे कोई भी तकलीफ़ हो तो मुझे तुरंत बताना”. मेने पति जी से कहा “ पति जी वैसे तो कोई तकलीफ़ नही है, लेकिन आज भी लंड चूत मे जाता है तो मुझे बहुत दर्द होता है, आपने तो कहा था कि सिर्फ़ एक बार ही दर्द होगा आगे जाके मज़ा ही मज़ा है”. इस पर पति जी ने कहा “ ऐसा है तो हम किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाएँगे और तुम चिंता मत करना कि कोई हमे पहचान लेगा, मुझे बहुत सारे डॉक्टर जानते है मैं उनसे इस बारे मे बात करूँगा, ठीक है मेरी गुड़िया रानी”. और एक हल्की सी किस करके हम अलग हुए और मैं अपने घर जाके खाना ख़ाके और होमवर्क करके सो गयी, आज की रात और कलके दिन की नयी सुबह पति जी के साथ गुजारने ने के लिए.
क्रमशः........
Re: मेरी बेकाबू जवानी
Meri Bekaabu jawaani--11
gataank se aage......
Date: 25-Jun-96 Thik rat ke 12 baje the, me bathroom me jake fresh hoke sidhe apne pati ji ke pass chali gayi. Pati ji ne mujhe darvaje pe receive kiya aur sidha mujhe master bedroom me le ke gaye. Mene bedroom me jate hi Kavita ji se aashirvad liya aur apne pati ji ko har tarike se khus rakh ne ki prathna ki. Pati ji ne mujhe piche se pakad liya aur mere balo ko aage karke pith pe chumne lage. Unke hath mere stan pe the aur pati ji use bahut joro se daba rahe the. Me gir na javu is liye mene pati ji ke hatho ko pakad liya aur unhe apne stan pe se dur karne lagi. Tabhi pati ji ne ek jakte me hi mujhe balo se pakad ke bed pe dhhaka de diya aur daud ke mere upar let ke meri chut me apna lund dal diya aur mujhe aadhe ghante tak chod te rahe, men eek bar apna pani nikal diya tha.
Kuch der ke bad pati ji ne mujhe bed se khada kiya aur gor se pure jism ko upar se niche tak dekha. Unhone kabat me se mere liye ek lal rang ka shirt aur ek safed rang ka payjama nikala. Mene use bina bra aur chhadi ke pehan liya. Pati ji ne apne hatho ko meri kamar pe rakha aur ek halki si kiss di aur kaha “ Jayaa rani aaj hum apni nayi gadi me ghumne jayenge, me tunmhe surprise dena chahta tha is liye tum se aaj pure din thik tarah se pes nahi aaya. Ye gadi mene sirf tumhare liye li hai”. Mene bahut khus hoke pati ji ko gale laga liya aur unke hontho ko chum liya aur kaha “ Me bahut khus hu ke such me mujhe is duniya me sab se jyada pyar karte hai, na jane me kis tarah se aapka sukriya karu”. Pati ne kaha “ chalo gadi ke pass chalet hai”. Hum dono niche parking me gadi ke pass gaye. Mene dekha ek lambi si gadi khadi hai. Pati ji ne driver ke baju vali seat ka darvaja khola aur mujhe andar baith ne ka ishara kiya aur vo driver ki seat par baith gaye aur gadi chal padi.
Gadi me halka sa instrument song baj raha tha. Pati je ne gadi chalate hue ek hath mere right stan par rakh ke use dabane lage aur me man hi man halka sa has rahi thi. Ek mod pe pati ji ne gadi ko rok diya. Pati ji gadi me se utar ke meri seat ke bajuale darvaje ko khol ke mujhe bahar nikala. Mene charo taraf dekha ek ye bada jungle jaisa lag ratha. Pati ji ne gadi ki diki me se ek chaddar nikali aur mujhe use ke upar lita diya.
Mere pairo ke pass aake unhone mujhe cumna suru kar diya aur dhire dhire karke upar tak aake mere kapade nikal diye. Aaaj phir se meri zindagi ka ye naya anubhav tha ke me khule asaman aur khuli zamin par nangi leti hu aur mere samne mere pati ji pure nange hokar mujhe dekh rahe the. Phir pati ji ne meri chut aur unke lund sangam kar diya aur hum dono ki chudayi suru ho gayi. Khule aasman me hone ki bajah se thndi hava chalne se mere pure jism me ek thandi lahar daud rahi thi. Mene aaj pehli bar mehsus kiya ki thandi hava ke karan mere jism ke andar kuch hone laga aur mene pati ji ko jor se pakad liya. Is par pati ji ne kaha “ Jayaa rani aaj tumhe bahut maza aayega kyunki aaj se tumhari jism ki pyass khulni suru ho gayi hai, me kai dino se tumhe chod raha hu lekin aaj jo tumne mujhe dil se pakada ise sabit hota hai ki tum hari jism ki pyass ki suruaat ho gayi hai, is bat par me aaj tumhe puri rat sone nahi dunga aur khub chodunga”. Mere upar lete hue pati ji ne mujhe aadhe ghante tak choda. Phir mujhe apni upar bitha ke meri kamar ko pakad ke mujhe upar niche kar ke mujhe chod ne lage.
Thori der karne ke bad pati ji ne mujhe kaha “ Jayaa ab tum khud hi upar niche hona aur mere lund ko apni chut me bahar na nikale iska khayal rakhna”. Mene unki bat ko mante hue apne pairo ke sahare kamar ke upar ke bhag ko upar niche karne lagi. Mujhe pata nahi ke nasa sa chha raha tha, mere bal mere kandhe se hoke mere stan aur sir ke aas pass hil rahe the. Pati ji ne apne dono hatho se mere dono stan ko pakad liya aur unhe halke halke se dabane lage. Kai bar to unhone mere stank e nipple ko apne hatho se masal diya, mere badan me ek jatka sa laga aur meri kamar ne ek jatke me pati ji ke lund ko aur andar kar diya. Aisa hi chal raha tha ki pati ji ne mere stan ko bahut jor se dabane lage aur me bhi ise sahan na karte hue apni kamar ko aur teji se upar niche karne lagi. Meri chut ne do par pani nikal diya tha uski bajaha se pati ji kalund bhi gila ho gaya aur vo ab aur andar tak jane laga.
Mene apni aankhe halki si khuli rakhi thi aur mane dekha ki pati ji mujhe bahut gaharai vali nazaro se dekh rahe the, me unse sidhe aankhe nahi mila pa rahi thi. Ek ghante tak kabhi pati ji meri kamar ko pakad ke upar niche karte to kabhi me khud apni kamar ko upar niche karti thi. Pati ji ko aisa lag raha tha ki unka lund ab pani chod dega to unhone mujhe apne jism se niche utara aur mujhe chaddar pe lita diya. Vo mere sir ke pass aake baith gaye aue aunhone mere balo ko mere sir ke piche karte hue use chaddar ke upar fela diya aur khud mere sir ke piche vale bhag me jake baith gaye. Thori der ke bad mere balo ke upar ek garam pani girne ka aehsas huva. Phir pati ji ne mere balo ko ek sath pakad ke use me champi karne lage aur kaha “ Jayaa aaj mene tumhare balo me apne pani se champi ki hai, dekhna ab tumhare bal aur lambe ho jayenge”.
Pati ji ne mujhe khada kiya aur hum dono ek dusre ki baho me bahe dal ke jungle me gumne lage. Chalte chalte pati ji kai bar mere stank o daba dete the aur me unki kamar me hath dal ke unhe jor se pakad leti thi. Thori der chalne ke bad mene ek ped dekha joki bahut bada tha, pati ji ne mujhe uske niche le gaye. Pati ji ne mere hontho ko chumna suru kiya. Pahle halke se kiss karne ke bad unhone meri kamar me hath dal ke mujhe unki aur khicha aur sath hi me mere hontho ko bhi jor se chumne lage. Mere ek left pair ko pati ji ne hath se apni kamar ke piche le jake rakh diya. Mene mehsus kiya ki pati ji ka lund sidha meri chut ke pass hi hai.
Pati ji ne apne hatho se meri chut ko khola aur apna mota lund use me dal diya, khade khade chodne se lund bhi meri chut me sidha hi gusa aur ye pehli bar tha jab lund ne meri chut me ab tak ka andar jane ka record tod diya. Me kafi sah rahi thi aur pati ji ke balo ko noch rahi thi. Is par pati ji ne apne lund ko teji se andar bahar kar ne lage. Kuch der aise hi chlane ke bad pati ji ne meri dusre pair ko bhi apni kamar ke piche jake rakh diya. Ab me pati ji ki kamar ke sahare chud rahi thi, halaki meri pith ped se judi huyi thi isliye pati ji ne mujhe ped ke sahare aur teji se choda. Mere sath sath pati ji neb hi pani chod diya.
Kuch der ek dusre ko chumne ke bad hum vaha se aage badhe aur apni gadi me jake baith gaye. Pati ji ne gadi ko suru kiya aur hum ghar ki aur badh ne lage. Gadi me hum dono nange hi the. Jaise hi gahr aaya pati ji ne gadi ko parking area me rakha aur nange hi bahar nikal ke mujhe gadi se nanga hi nikal ne ka ishara kiya. Me kafi hich kichahat kar rahi thi, lekin pati ji ne meri ek na sunte hue mere balo me hathdal ke mujhe bahar khich liya. Me apne hi ghar ke parking me nangi gum rahi thi. Pati ji ne mujhe gadi ke sahare khada kiya aur lund ko chut me dal ke chodne lage. Unka gussa saf najar aa raha tha, kyunki vo mere pure jism ko jaha jagah mili vaha se noch ke dabane lage. Unhone mere balo, kamar, gardan aur hoth ka khumbar bana diya. Aadhe ghante ke bad vo ruk gaye aur upar chla ne ka ishara kiya.
Kafi der se chud ne se mere pairo aur chut me bahut dard ho raha tha aur me thik se chal nahi paa rahi thi. Ye dekh pati ji ne mujhe apni god me utha kiya aur upar jake bedroom me sula diya. Subah 6 baje mujhe uthaya aur mene ghar jake fresh hoke collge jane ke liye ghar se nikal gayi. Niche apne sasural me jate hi pati ji ne mujhe apni god me utha liya aur kitchen me le jake dinnig table par bitha diya. Unhone mere hontho ko chuma aur phir mujhe table pe lita diya. Mere tango ko felate hue aur mere skirt ke andar unhone apna hum meri jangho ke pass le jake use chumne lage, meri chaddi ko nikal ke fek diya aur meri chut me apni jibh gumane lage. Mene turant hi pani chod diya aur pati ji ne vo sara pani pi liya. Phir mujhe table ke upar bitha ke mujhe kaha “ Jayaa aaj se tum chhadi mat pahanna, kyunki tumhari chut ko taji hava ki jarurt hai”. Mene pati ji se nasta liya aur unhe ek lambi si kiss deke college ke liye chal gayi.
Mene college me thik tarah se padh nahi payi, kyunki meri chut me bahut jalan ho rhai thi, isliye mene principal se jake ghar jane ki chutti le li aur turant pati ji ke pass chal padi. Ghar me jate hi mene dekha ki pati ji aasan vale room me hai. Jaise hi me andar gayi pati ji ne mujhe apne sine se laga liya aur mere hontho ko chumne ne lage. Pati ji ne ek hath meri chut ke pass le gaye aur ek ungli ko meri chut me dal diya aur use andar bahar karne lage. Me bhi is waqt bahut jos me thi aur pati ji ne mujhe apna lund mere hatho me de diya aur apne ek hath se mere hath ko pakad ke lund ko aage piche karne lage. Me man hi man soch rahi thi sayad yahi meri asli tuition hai pati ji ke pass Jism ki pyass ko bujane ki. Hum dono kafi romanchit ho chuke the aur khade khade thak gaye the.
Mujhe apni baho me utha ke pati ji ne apne bedroom leke gaye aur mene har roj ki tarah Kavita ji se aashirvad le liya. Pati ji khud bed pe let gaye aur mujhe unki upar baith ne ka ishara kiya. Me pati ji ke pet pe jake baith gayi aur juk ke pati ji ke hontho ko chumne lagi. Pati ji ne apne hatho ko mere balo me dal ke mere balo ko chehre se hataya aur mere galo ko apne kadak hatho se daba diya. Phir mujhe kamar me hath dal ke, thoda sa utha ke unke lund ke upar baitha diya. Me apne pairo ko aur apni kamar ko thoda sa aaju baju karke pati ji ke lund ko apni chut ke pass rakha. Mere andar inti himmat nahi thi ki me lund ko khud apni chut me dalu. Isliye pati ji ne meri chut ko kholke apne lund kea aage vale bhag ke upar meri chut ko rakh diya. Mene chut, kamar aur pairo ke bal jor laga ke lund ko meri chut ke andar jane ke liye rasta banana ki koshish ki, me isme thoda sa kamyab huyi aur mere muh se ek halki si siskari nikal gayi. Pati ji ye dekh khus hue aur unhone apne kadak hatho ko meri kamar pe rakh ke use lund ke upar dabaya aur dhire dhire meri kamar ko upar niche karke lund ko meri najuk sic hut me pura pura ka dal diya.
Lund ko andar tak dal ne se pati ji ke much pe ek khusi si chha gayi. Pati ji ne mujhe bajuo se pakad ke apne muh ki aur jukate hue mere hontho chumne lage. Mene apne hath pati ji ke sir me dal diye aur unke balo se khelne lagi. Udhar pati ji ki aur jukne se pati ji ne lund chut se bahar na nikal jaye isliye apne pairo ko ghutno se mod diya. Pati ji ne aisa karte hi unki jange meri gan pe lagne lagi aur lund ne chut me thoda aur andar tak jagah bana li. Idhar hontho pe kiss chla rahi thi aur niche meri chut me lund andar bahar ho raha tha. Mujhe bahut jyada achha lag raha tha, kyunki mujhe kamar ko upar niche nahi krna tha aur mere hontho pe chal rahe pati ji ke chumban se mujhe pyass bhi kam lag rahi thi, kyunki me pati ji ke thuk ko pi leti thi. Yahi pone ghante tak, bich bich me ruk kar pati ji ne mera aur unka pani nikal diya.
Phir karib 5 baje hum dono nind se jage aur is bar me hi khud pati ji ke upar chadh gayi aur lund ko apni chut ke muh ke pass le jake rakh diya aur pati ji ne bina deri karte hue lund aur chut ka sangam kar diya aur hum don one chudai suru ki. Pahle ki tarah is bar bhi pati ji ne mujhe kiss karne ke liye apne upar juka diya. Ek mod pe pati ji lund ko dhakka dena band kar diya aur kiss ko rok diya. Me kuch samajh nahi payi, isliye pati ji ne kaha “ Jayaa ab apni gan ko aage piche karo aur dekho ke tumhe kitna maja aata hai”. Mene vaise hi kiya aur mujhe sach me maja aane laga. Me ne romanchit hike pati ji ke balo ko noch diya aur unke hontho ko kat bhi diya aur gan ko teji se aage piche karne lagi. Hum dono ne sath me pani chod diya. Hum ek duje ke jism ko lapat ke soye hue the aur pati ji mere stan pe apni chaatee dabav de rahe the aue mujse pucha “ Jayaa rani sach batana maja aa raha haina, tum mujhe aise hi sath de ti rahana, Kavita ke jane ke bad meri zindagi me bahut samay ke bad khusi aayi huyi hai, me ise khona nahi chahta, agar tumhe koi bhi taklif ho to mujhe turant batana”. Mene pati ji se kaha “ Pati ji vaise to koi taklif nahi hai, lekin jan bhi lund chut me jata hai to mujhe bahut dard hota hai, aapne to kaha tha ki sirf ek bar bhi dard hoga aage jake maja hi maja hi”. Is par pati ji ne kaha “ Aisa hai to hum kisi ache doctor ko dikhayenge aur tum chinta mat karna ki koi hame pehchan lega, mujhe bahut sare doctor jante hai me unse is bare me bat karunga, thik hai meri gudiya rani”. Aur ek halki si kiss karke hum alag hue aur me apne ghar jake khana khake aur homework karke so gayi, aaj ki rat aur kalke din ki nayi subah pati ji ke sath gujarne ne ke liye.
kramashah........
Re: मेरी बेकाबू जवानी
raj sharma stories
मेरी बेकाबू जवानी--12
गतान्क से आगे......
डेट: 25-जून-96. ठीक रात के 12 बजे मे पति जी के घर के बाहर खड़ी थी और पति जी दरवाजे के पास किसी से फोन पर बात करते सुनाई दिए. मैं उनकी बात सुनने लिए थोड़ी देर वही खड़ी रही. मेने सुना कि वो फोन पर कह रहे थे “ अरे सुनो आज की रात के लिए एक डबल बेड वाला कमरा बुक करना और दो इंसानो के लिए खाने पीने का भी इंतेजाम करना, ठीक है तो हम करीब 1 बजे वाहा पे आ जाएँगे, अच्छा तो मैं फोन रखता हू”. मैं उनकी बाते कान लगा के सुन रही थी और पति जी ने कब दरवाजा खोला और मुझे पीछे से पकड़ लिया और मुझे पता ही नही चला. जब पति जी ने मुझे पीछे से पकड़ लिया तब मैं एक दम से डर गयी और पति जी को ज़ोर से पकड़ लिया. पति जी मुझे बाँहो मे उठाके बेडरूम मे ले गये और मेने कविता जी से आशीर्वाद ले लिया और बेड पे जाके लेट गयी. मेने देखा के पति जी बेडरूम से बाहर चले गये और करीब 5 मिनट के बाद बेडरूम मे आए. वो जब बेडरूम मे आए तो उनके हाथ मे एक जूस का ग्लास था. पति जी बेड पे मेरी बाजू मे आके बैठ के, एक हाथ को मेरी गर्दन मे डाल के मुझे उनके मूह की ओर खीच के मेरे होंठो को चूम लिया और जूस के ग्लास को मेरे होंठो के पास रख के उसे पीने का इशारा किया. मैं सारा जूस पी गयी.
पति जी ने मुझे बेड पे लिटा दिया और खुद मेरे उपर लेट के मेरे बालो को सहलाते हुए मेरे होंठो को चूमने लगे. मैं मदहोश हो रही थी, मेरे जिस्म के अंदर एक ठंडी हवा की लहर दौड़ रही थी और उसे गरम करने के लिए में पति जी के जिस्म को अपने जिस्म के साथ रगड़ ने लगी और पति जी के होंठो को चूमने लगी. कभी कभी मे पति जी के होंठो को ज़ोर से काट लेती थी, क्यूंकी मुझ से जिस्म की आग ठंडी नही हो रही थी. उस वक़्त पति जी को ऐएहसास हो गया था कि मैं काफ़ी नशे मे हू, इसलिए उन्होने मुझे अपने से दूर किया और खुद बेड के किनारे जाके खड़े हो गये और मैं बेड पे नंगी लेटी रही. वो मुझे वाहा से घूर के देख रहे थे और उनकी आँखो मे एक अजीब सा खिचाव था कि मैं उसे रोक नही पाई और उनके पास जाने के लिए बेड से उतरने लगी. बेड से उतर ने के लिए मेने एक पैर को बाहर किया कि तभी पति जी ने कहा “ जया बेड से उतर के नही बलके अपने घुटनो के बल बेड पे चल के मेरे पास आओ”. मैं उनकी बात का अनादर नही कर सकती थी इसलिए में अपने घुटनो के बल होके धीरे धीरे पति जी के पास जाने लगी. पति जी ने कहा “ जया आज तुम सच मे एक जंगली बिल्ली की तरह लग रही हो, तुम्हारे जिस्म की अंदरकी आग बाहर भी दिख रही है, और तुम्हारी आँखे भी बहुत नासीली और कामुकता से भरी है, लगता है आज तुम को कुछ अलग तरीके का प्यार करना पड़ेगा”.
मैं धीरे धीरे करके पति जी के पहोच गयी और जाके उनके पेट की नाभि को चूम लिया और धीरे धीरे करके उनकी छाती और गर्दन को चूम के उनके होंठो को चूमने लगी और अपने दोनो हाथो को उनके बालो मे डाल के उन्हे अपनी ओर खीच ने लगी, लेकिन पति जी मुझे अपने से और दूर करते हुए कविता जी के फोटो के पास चले गये. मैं भी उनकी पालतू कुतिया की तरह उनके पीछे पीछे पति जी के पास जाके उन्हे अपने जिस्म से लगा के उनकी छाती मे मूह छुपा के उनके निपल को चूमने लगी. वो दोनो हाथो को मेरे सिर के बालो मे डाल के उसे धीरे धीरे घुमाने लगे . मानो के मैं एक नन्ही बच्ची हू इस तरह वो मुझे प्यार जाता रहे थे. मैने उनके इस प्यार भरे व्याहार को और पाने के लिए और ज़ोर से उनके जिस्म को अपने जिस्म के साथ दबा दिया और मेने उनके निपल को भी काट दिया.
पति जी ने कविता जी के फोटो की ओर देखते हुए कहा “ देख कविता आज ये नन्ही सी बच्ची ने मेरे पूरे जिस्म को शांत कर दिया और मुझे कोई शिकायत का मौका भी नही देती, वाकई मे तुमने मेरे लिए भगवान से बड़े दिल से प्रार्थना क़ी के मुझे बिल्कुल तुम्हारी जैसी ही पत्नी मिले. हालाँकि मेने तुम्हारे भगवान के पास जाने के बाद बहुत सी लड़कियो से सेक्स किया है, लेकिन वो सब मुझे संतुष्ट करने मे असफल रही थी. आज बरसो बाद तुम्हारे कहने पर भगवान ने मेरी सुन ली और मेरे लिए एक नादान, अल्हड़, कमसिन और जिस्म की प्यास से तरस ती, नन्ही सी जान को मेरी पत्नी के रूप मे मेरे सामने पेश किया. कविता तुम्हे याद होगा कि मेने जब मिस्टर पटेल को ये घर किराए पे देने के लिए तुम्हे पूछा था तो तुमने मुझे एक संकेत दिया था कि जल्द ही मुझे एक नादान, अपने से बडो का आदर करने वाली और शायद मेरी पत्नी बनने वाली लड़की मिलेगी. मेने जब मिस्टर पटेल के घर के लोगो के बारे मे जाना तो मेने सोचा के उनकी फॅमिली मे तो बस जया ही है जो मेरी पत्नी बन सकती थी, क्यूंकी नाज़ तो पहले से ही शादी सुदा थी. तो मेने तुम्हे जया के बारे मे पूछा भी था तो तुमने कहा था कि “ राज अब तुम्हारी ज़िंदगी बदल ने वाली है और जया ही तुम्हारी पत्नी बनेगी और वो ही तुम्हारी ज़िंदगी मे मेरी जगह ले पाएगी”.
मेरे चेहरे को अपने दोनो हाथो मे लेते हुए पति जी ने कहा “ जया मेने जब तुम्हे देखा था तो मेने कविता को साफ मना कर दिया था मैं इस नन्ही सी जान के साथ जिस्म की प्यास नही बुझा पाउन्गा, लेकिन कविता ने कहा “ राज इस लड़की को मेने ही भेजा है और तुम इसके साथ कुछ भी करो ये तुम्हे कभी भी असंतुष्ट नही करेगी और तुम्हारी जिस्म की प्यास को अपने जीवन का कर्तव्य बना के रखेगी”. इस लिए मेने पहली ही बार मे तुम्हारे नाज़ुक होंठो को चूमा था, क्यूंकी मैं जानता था कि गाव की लड़की को जिस्म की प्यास के बारे मे अधिक जान कारी नही होती है और मैं धीरे धीरे करके तुम्हे अपने और करीब ले आया और आज देखो के तुम मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी होके अपने जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए मेरे साथ लिपट के खड़ी हो. जया मैं जानता हू के इतनी छोटी उमर मे लंड को चूत मे लेना बहुत कठिन है, कविता भी जब मेरी पत्नी बनी थी वो 18 साल की थी और मेने सुहागरात मे ही उसे एक नादान कली से फूल बना दिया था और वो जब भगवान के पास चली गयी तो मैं बिल्कुल अधूरा रह गया”. इतना कहते ही पति जी की आँखो मे से आँसू भर गये. मेने उनके चेहरे को अपने हाथो मे लेके उनकी आँखो के पास अपने नाज़ुक होंठो को लेके उनके आँसू को पी लिया और पति जी को अपनी छाती मे दोनो स्तन के बिच मे रख के उनके बालो मे हाथो को डाल के ज़ोर से दबा दिया. मेरी आँखो मे भी आँसू आगये थे और मेने हल्के से कहा “ पति जी अब आप कोई चिंता मत करना, मैं आ चुकी हू आपकी ज़िंदगी मे, आपके हर दुख को सुख मे तब्दील कर ने के लिए”.
मेरे आँसू को पति जी के बालो मे गिरते हुए देख मेने पति जी से कहा “ मैं आपसे एक विनती करती हू के आप कविता जी के फोटो को इस कमरे मे से निकाल के बाहर हॉल मे रख दे, क्यूंकी जब भी आप उनकी तस्वीर को देख ते है तो आप बड़े भावुक हो जाते है और मुझसे ये देखा नही जाता. मे बस यही चाहती हू कि जिस तरह आप मुझे हर वक़्त खुस रख ते है तो आप भी हर वक़्त खुस रहा करे”. इस पर पति जी ने तुरंत ही खड़े होके मुझे देख ने लगे और मैं डर के मारे अपनी नज़र को नीचे झुकाए खड़ी रही. पति जी ने कविता जी के फोटो के पास जाके उसे दीवाल पे से निकाल के अलमारी मे रख दिया. मे बहुत खुस हो गयी और अलमारी के पास ही पति जी को पीछे से पकड़ के उनकी पीठ को चूमने लगी. पति जी ने मुझे पीछे से आगे करते हुए मेरे होंठो को चूमा और अपने दोनो हाथो को मेरे स्तन पे ले जाके उसे के जोश से दबाने लगे. हम दोनो एक दूसरे के जिस्म पे बहुत ही तेज़ी से हाथो को घुमाते हुए होंठो को काट ने और चूमने लगे.
पति जी ने मुझे कमर से उठा के बेड पे लिटा दिया और मेरी चूत मे अपना लंड डाल के मुझे चोदने लगे. इस बार कुछ समय के बाद मुझे भी मज़ा आने लगा और मेने भी मज़ा लेने के लिए अपने पैरो को पति जी के कमर की उपर ओर पति जी की गन्ड के पास रख दिया. लंड जब भी मेरी चूत के अंदर जाता मैं अपने पैरो को ज़ोर से पति जी की गन्ड के उपर दबा ती थी और लंड के बाहर आते ही मे उन्हे ढीला छोड़ देती थी. मेरे ऐसा करने से पति जी काफ़ी खुस हुए और वो लंड को तेज़ी से अंदर बाहर करने लगे. मेरी चूत ने एक बार पानी छोड़ दिया और उसने पति जी के लंड को भीगा दिया. लंड मेरी चूत के पानी से भीगते ही और अंदर तक जाने लगा और हम दोनो को काफ़ी मज़ा आने लगा और हम दोनो काफ़ी लंबे वक़्त तक एक दूसरे को चोद ते रहे. और हम दोनो एक दूसरे की बाँहो मे नंगे ही सो गये.
मेरी बेकाबू जवानी--12
गतान्क से आगे......
डेट: 25-जून-96. ठीक रात के 12 बजे मे पति जी के घर के बाहर खड़ी थी और पति जी दरवाजे के पास किसी से फोन पर बात करते सुनाई दिए. मैं उनकी बात सुनने लिए थोड़ी देर वही खड़ी रही. मेने सुना कि वो फोन पर कह रहे थे “ अरे सुनो आज की रात के लिए एक डबल बेड वाला कमरा बुक करना और दो इंसानो के लिए खाने पीने का भी इंतेजाम करना, ठीक है तो हम करीब 1 बजे वाहा पे आ जाएँगे, अच्छा तो मैं फोन रखता हू”. मैं उनकी बाते कान लगा के सुन रही थी और पति जी ने कब दरवाजा खोला और मुझे पीछे से पकड़ लिया और मुझे पता ही नही चला. जब पति जी ने मुझे पीछे से पकड़ लिया तब मैं एक दम से डर गयी और पति जी को ज़ोर से पकड़ लिया. पति जी मुझे बाँहो मे उठाके बेडरूम मे ले गये और मेने कविता जी से आशीर्वाद ले लिया और बेड पे जाके लेट गयी. मेने देखा के पति जी बेडरूम से बाहर चले गये और करीब 5 मिनट के बाद बेडरूम मे आए. वो जब बेडरूम मे आए तो उनके हाथ मे एक जूस का ग्लास था. पति जी बेड पे मेरी बाजू मे आके बैठ के, एक हाथ को मेरी गर्दन मे डाल के मुझे उनके मूह की ओर खीच के मेरे होंठो को चूम लिया और जूस के ग्लास को मेरे होंठो के पास रख के उसे पीने का इशारा किया. मैं सारा जूस पी गयी.
पति जी ने मुझे बेड पे लिटा दिया और खुद मेरे उपर लेट के मेरे बालो को सहलाते हुए मेरे होंठो को चूमने लगे. मैं मदहोश हो रही थी, मेरे जिस्म के अंदर एक ठंडी हवा की लहर दौड़ रही थी और उसे गरम करने के लिए में पति जी के जिस्म को अपने जिस्म के साथ रगड़ ने लगी और पति जी के होंठो को चूमने लगी. कभी कभी मे पति जी के होंठो को ज़ोर से काट लेती थी, क्यूंकी मुझ से जिस्म की आग ठंडी नही हो रही थी. उस वक़्त पति जी को ऐएहसास हो गया था कि मैं काफ़ी नशे मे हू, इसलिए उन्होने मुझे अपने से दूर किया और खुद बेड के किनारे जाके खड़े हो गये और मैं बेड पे नंगी लेटी रही. वो मुझे वाहा से घूर के देख रहे थे और उनकी आँखो मे एक अजीब सा खिचाव था कि मैं उसे रोक नही पाई और उनके पास जाने के लिए बेड से उतरने लगी. बेड से उतर ने के लिए मेने एक पैर को बाहर किया कि तभी पति जी ने कहा “ जया बेड से उतर के नही बलके अपने घुटनो के बल बेड पे चल के मेरे पास आओ”. मैं उनकी बात का अनादर नही कर सकती थी इसलिए में अपने घुटनो के बल होके धीरे धीरे पति जी के पास जाने लगी. पति जी ने कहा “ जया आज तुम सच मे एक जंगली बिल्ली की तरह लग रही हो, तुम्हारे जिस्म की अंदरकी आग बाहर भी दिख रही है, और तुम्हारी आँखे भी बहुत नासीली और कामुकता से भरी है, लगता है आज तुम को कुछ अलग तरीके का प्यार करना पड़ेगा”.
मैं धीरे धीरे करके पति जी के पहोच गयी और जाके उनके पेट की नाभि को चूम लिया और धीरे धीरे करके उनकी छाती और गर्दन को चूम के उनके होंठो को चूमने लगी और अपने दोनो हाथो को उनके बालो मे डाल के उन्हे अपनी ओर खीच ने लगी, लेकिन पति जी मुझे अपने से और दूर करते हुए कविता जी के फोटो के पास चले गये. मैं भी उनकी पालतू कुतिया की तरह उनके पीछे पीछे पति जी के पास जाके उन्हे अपने जिस्म से लगा के उनकी छाती मे मूह छुपा के उनके निपल को चूमने लगी. वो दोनो हाथो को मेरे सिर के बालो मे डाल के उसे धीरे धीरे घुमाने लगे . मानो के मैं एक नन्ही बच्ची हू इस तरह वो मुझे प्यार जाता रहे थे. मैने उनके इस प्यार भरे व्याहार को और पाने के लिए और ज़ोर से उनके जिस्म को अपने जिस्म के साथ दबा दिया और मेने उनके निपल को भी काट दिया.
पति जी ने कविता जी के फोटो की ओर देखते हुए कहा “ देख कविता आज ये नन्ही सी बच्ची ने मेरे पूरे जिस्म को शांत कर दिया और मुझे कोई शिकायत का मौका भी नही देती, वाकई मे तुमने मेरे लिए भगवान से बड़े दिल से प्रार्थना क़ी के मुझे बिल्कुल तुम्हारी जैसी ही पत्नी मिले. हालाँकि मेने तुम्हारे भगवान के पास जाने के बाद बहुत सी लड़कियो से सेक्स किया है, लेकिन वो सब मुझे संतुष्ट करने मे असफल रही थी. आज बरसो बाद तुम्हारे कहने पर भगवान ने मेरी सुन ली और मेरे लिए एक नादान, अल्हड़, कमसिन और जिस्म की प्यास से तरस ती, नन्ही सी जान को मेरी पत्नी के रूप मे मेरे सामने पेश किया. कविता तुम्हे याद होगा कि मेने जब मिस्टर पटेल को ये घर किराए पे देने के लिए तुम्हे पूछा था तो तुमने मुझे एक संकेत दिया था कि जल्द ही मुझे एक नादान, अपने से बडो का आदर करने वाली और शायद मेरी पत्नी बनने वाली लड़की मिलेगी. मेने जब मिस्टर पटेल के घर के लोगो के बारे मे जाना तो मेने सोचा के उनकी फॅमिली मे तो बस जया ही है जो मेरी पत्नी बन सकती थी, क्यूंकी नाज़ तो पहले से ही शादी सुदा थी. तो मेने तुम्हे जया के बारे मे पूछा भी था तो तुमने कहा था कि “ राज अब तुम्हारी ज़िंदगी बदल ने वाली है और जया ही तुम्हारी पत्नी बनेगी और वो ही तुम्हारी ज़िंदगी मे मेरी जगह ले पाएगी”.
मेरे चेहरे को अपने दोनो हाथो मे लेते हुए पति जी ने कहा “ जया मेने जब तुम्हे देखा था तो मेने कविता को साफ मना कर दिया था मैं इस नन्ही सी जान के साथ जिस्म की प्यास नही बुझा पाउन्गा, लेकिन कविता ने कहा “ राज इस लड़की को मेने ही भेजा है और तुम इसके साथ कुछ भी करो ये तुम्हे कभी भी असंतुष्ट नही करेगी और तुम्हारी जिस्म की प्यास को अपने जीवन का कर्तव्य बना के रखेगी”. इस लिए मेने पहली ही बार मे तुम्हारे नाज़ुक होंठो को चूमा था, क्यूंकी मैं जानता था कि गाव की लड़की को जिस्म की प्यास के बारे मे अधिक जान कारी नही होती है और मैं धीरे धीरे करके तुम्हे अपने और करीब ले आया और आज देखो के तुम मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी होके अपने जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए मेरे साथ लिपट के खड़ी हो. जया मैं जानता हू के इतनी छोटी उमर मे लंड को चूत मे लेना बहुत कठिन है, कविता भी जब मेरी पत्नी बनी थी वो 18 साल की थी और मेने सुहागरात मे ही उसे एक नादान कली से फूल बना दिया था और वो जब भगवान के पास चली गयी तो मैं बिल्कुल अधूरा रह गया”. इतना कहते ही पति जी की आँखो मे से आँसू भर गये. मेने उनके चेहरे को अपने हाथो मे लेके उनकी आँखो के पास अपने नाज़ुक होंठो को लेके उनके आँसू को पी लिया और पति जी को अपनी छाती मे दोनो स्तन के बिच मे रख के उनके बालो मे हाथो को डाल के ज़ोर से दबा दिया. मेरी आँखो मे भी आँसू आगये थे और मेने हल्के से कहा “ पति जी अब आप कोई चिंता मत करना, मैं आ चुकी हू आपकी ज़िंदगी मे, आपके हर दुख को सुख मे तब्दील कर ने के लिए”.
मेरे आँसू को पति जी के बालो मे गिरते हुए देख मेने पति जी से कहा “ मैं आपसे एक विनती करती हू के आप कविता जी के फोटो को इस कमरे मे से निकाल के बाहर हॉल मे रख दे, क्यूंकी जब भी आप उनकी तस्वीर को देख ते है तो आप बड़े भावुक हो जाते है और मुझसे ये देखा नही जाता. मे बस यही चाहती हू कि जिस तरह आप मुझे हर वक़्त खुस रख ते है तो आप भी हर वक़्त खुस रहा करे”. इस पर पति जी ने तुरंत ही खड़े होके मुझे देख ने लगे और मैं डर के मारे अपनी नज़र को नीचे झुकाए खड़ी रही. पति जी ने कविता जी के फोटो के पास जाके उसे दीवाल पे से निकाल के अलमारी मे रख दिया. मे बहुत खुस हो गयी और अलमारी के पास ही पति जी को पीछे से पकड़ के उनकी पीठ को चूमने लगी. पति जी ने मुझे पीछे से आगे करते हुए मेरे होंठो को चूमा और अपने दोनो हाथो को मेरे स्तन पे ले जाके उसे के जोश से दबाने लगे. हम दोनो एक दूसरे के जिस्म पे बहुत ही तेज़ी से हाथो को घुमाते हुए होंठो को काट ने और चूमने लगे.
पति जी ने मुझे कमर से उठा के बेड पे लिटा दिया और मेरी चूत मे अपना लंड डाल के मुझे चोदने लगे. इस बार कुछ समय के बाद मुझे भी मज़ा आने लगा और मेने भी मज़ा लेने के लिए अपने पैरो को पति जी के कमर की उपर ओर पति जी की गन्ड के पास रख दिया. लंड जब भी मेरी चूत के अंदर जाता मैं अपने पैरो को ज़ोर से पति जी की गन्ड के उपर दबा ती थी और लंड के बाहर आते ही मे उन्हे ढीला छोड़ देती थी. मेरे ऐसा करने से पति जी काफ़ी खुस हुए और वो लंड को तेज़ी से अंदर बाहर करने लगे. मेरी चूत ने एक बार पानी छोड़ दिया और उसने पति जी के लंड को भीगा दिया. लंड मेरी चूत के पानी से भीगते ही और अंदर तक जाने लगा और हम दोनो को काफ़ी मज़ा आने लगा और हम दोनो काफ़ी लंबे वक़्त तक एक दूसरे को चोद ते रहे. और हम दोनो एक दूसरे की बाँहो मे नंगे ही सो गये.