रश्मि एक सेक्स मशीन compleet
Re: रश्मि एक सेक्स मशीन
गली मोहल्ले के लोग इकट्ठे हो गये. मगर उस मवाली के खिलाफ कंप्लेन करने की किसी की हिम्मत नही हुई. किसी ने फोन करके पोलीस को बुला लिया था. मगर उनके आते ही भीड़ इधर उधर खिसक ली. रतन ने पोलीस वालो को चीखते चिल्लाते हुए दमले के खिलाफ फिर दर्ज करवाई. पोलीस वालों ने जल्दी ही आक्षन लेने का सांत्वना दे कर अपना काम निबटाया.
मगर कुच्छ नही हुआ. और जो कुच्छ भी हुआ वो हमारी जिंदगी को और तोड़ता चला गया. मोहल्ले मे मेरा निकलना मुश्किल हो गया था. दो दिन तक तो सब हमारे लिए अपनी संवेदना जाहिर करते रहे मगर कुच्छ ही दिनो मे लोग उस घटना को भूलने लगे.
दमले साला आज भी खुला घूम रहा था. मैं किसी काम से बाहर निकलती तो मोहल्ले की महिलाएँ मुँह छिपा कर हँसती और दबी ज़ुबान उस घटना का ज़िक्र चटखारे ले ले कर करती. दमले या दिनेश का कोई गुरगा मिल जाता तो मुझे देख कर भद्दी भद्दी गालियाँ देता.
जब हफ्ते भर तक पोलीस ने कुच्छ नही किया तो रतन दोबारा पोलीस स्टेशन जा कर उन्हे दमले के अगेन्स्ट आक्षन लेने के लिए कह आया. साथ धमकी भी दे आया की अगर उन्हों ने कुच्छ नही किया तो अख़बार वालों को और सामाजिक संगठन मे उनके खिलाफ शिकायत करेंगे. पोलीस ने दो ही दिन मे कुच्छ करने का वादा किया.
दो दिन मे उन्हों ने अपनी ज़ुबान के मुताबिक किया भी सही मगर जो हुआ उसकी हमे उम्मीद नही थी.
दो दिन बाद एक पोलीस वाले ने घर आकर मुझे पोलीस स्टेशन चलने को कहा. थानेदार मेरा बयान लेना चाहता था. मेरी ज़ुबानी जो कुच्छ हुआ वो सब जानना चाहता था. रतन साथ जाने के लिए उठा तो उस पोलीस वाले ने मना कर दिया. उसने कहा की सिर्फ़ और सिर्फ़ मुझे लेकर जाना है.
मुझे पोलीस स्टेशन ले जाकर एक कमरे की ओर जाने का इशारा किया. मैं दरवाजे पर पड़ा परदा हटा कर अंदर गयी. अंदर एक 40-45 साल का काफ़ी हॅटा कॅटा थानेदार बैठा था. उसके चेहरे से ही चालाकी टपक रही थी.
“आओ…आओ…” उसने मुझे अपने सामने की कुर्सी पर बैठने का इशारा किया और पूछा “क्या नाम है तुम्हारा?”
“ज्ज..जी र..रजनी…” मैने डरते डरते कहा.
“ह्म्म्म…..तुम्हारी क्या दुश्मनी है दमले और दमले के गॅंग के साथ?” उन्हों ने आगे पूछा.
“ज्ज्ज…जी..जी वो मुझे परेशान करता है. मुझे छेड़ता है…” मैं पूरा खुल कर उनके सामने कह नही पा रही थी.
“बस छेड़ता है. पूरी मुंबई मे रोजाना हज़ारों च्छेड़च्छाद की घटनाए होती हैं. साली हम पोलीस वाले क्या तेरे पर्सनल बॉडीगार्ड है जो चौबीस घंटे तेरी रखवाली करें.”
“नही आप समझ नही रहे हैं….उन्हों ने होली के दिन मेरे साथ रेप किया.” मैने अपनी नज़रें नीचे झुकाते हुए कहा.
Re: रश्मि एक सेक्स मशीन
“ह्म्म्म्म” एक हुकार भरते हुए उसने मेरे बदन को उपर से नीचे तक निहारा. मेरे सीने के उभार पर आकर उनकी नज़रे मानो चिपक. मैं उसकी भूखी नज़रें भाँप कर सिकुड गयी. अपनी जगह से दो कदम पीछे हट गयी.
“ आबे पांडु……..चल बगल वाला कमरा खोल और इस औरत को वहाँ बिठा. मैं आता हूँ. ये सबके सामने आपबीती ठीक से नही बता पाएगी. साले तुम लोगों को बिल्कुल अकल नही है. हराम खोरों रेप केस की तफ़तीश इस तरह खुले आम कभी होती है. ये क्या तमाशे वाली चीज़ है. क्या नाम बताया तूने अपना….” उसने अपनी मूच्छों पर उंगलियाँ फेरते हुए पूछा.
“ जी रजनी…..रजनी…”
“हाँ तो रजनी तुम इस के साथ बगल वाले कमरे मे जाओ मैं अभी आता हूँ. वहाँ तू अपनी शिकायत बेहिचक सुना सकती है. मुझे उस हरामी गुंडे के खिलाफ एरटाइट केस चाहिए. साले को पेड़ से लटका कर इतने डंडे मारूँगा की सात जन्मों तक दोबारा किसी औरत को छेड़ने की जुर्रत नही करेगा.”
मैं उसकी बातों मे आ गयी. मुझे लगा की वो थानेदार मुझे इंसाफ़ दिलवा कर रहेगा. मैं बेझिझक उस सिपाही के साथ बगल मे बने एक कमरे मे चली गयी. वो कमरा शायद कोई रेस्ट रूम था. उसमे एर कंडीशनर चल रहा था और दीवार के साथ एक चोव्कि लगी थी जिस पर आरामदेह बिस्तर लगा था. पास एक टेबल कुर्सी रखी थी. मैं उस कुर्सी पर जाकर बैठ गयी.
वो सिपाही मुझे वहाँ छ्चोड़ कर कमरे से बाहर निकल गया. मैने वहाँ बैठे बैठे मैने पूरे कमरे को देखा. कुच्छ देर इंतेज़ार करने के बाद वहाँ के संदिग्ध महॉल मे मेरा जी घबराने लगा.
कुच्छ देर बाद वो थानेदार कमरे मे घुसा. कमरे मे घुसते ही उसने अपने पीछे दरवाजा बंद कर सन्कल लगा दिया. उसकी इस हरकत से मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा.
“एयेए…आपने दरवाजा क्यों बंद किया?” मैने डरते हुए पूछा.
“ये सब तुम्हारी हिफ़ाज़त के लिए है रजनी.” मैने देखा की उसके चाल मे लड़खड़ाहट थी. जब वो पास आया तो उसके मुँह से मैने शराब की बू महसूस की. मैं घबरा कर पीछे हट ती हुई दीवार से सॅट गयी. क्रमशः............
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रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -23
गतान्क से आगे...
“यहाँ अक्सर अख़बार वाले आते रहते हैं. किसी को पता चल गया तो तुम्हारी फोटो खींच लेगा और कल के अख़बार मे पूरी मुंबई जान जाएगी कि तेरे साथ क्या क्या हुआ है. तेरा घर से निकलना मुश्किल हो जाएगा. इसी लिए तो इस बंद कमरे मे तेरा बयान लिखूंगा और फिर दर्ज करूँगा. तू देखना उस हरामी का उस मोहल्ले की ओर देखना मुश्किल करा दूँगा. तेरे पैरों पर पड़ कर माफी माँगेगा.” कहता हुआ वो धाम से उस बिस्तर पर बैठ गया. उसने कुर्सी को अपने सामने खींच ली.
“आओ मेरे पास यहाँ आकर बैठो.” उसने मुझे कुर्सी पर बैठने का इशारा किया. मैं झिझकति हुई अपने जगह पर खड़ी रही तो उसने अपना हाथ बढ़ा कर मेरी कलाई पकड़ ली और मुझे खींच कर कुर्सी पर बिठा लिया. मैं सहमति, सिकुद्ती उसके सामने कुर्सी पर बैठ गयी.
उसने जेब से एक डाइयरी निकाली और उसमे कुच्छ लिखने का उपक्रम करता हुआ मुझसे पूछ्ताछ करने लगा.
“हां अब मैं जो पूछ्ता जाउ सब सच सच बताना.” मैने सहमति मे सिर हिलाया.
“जिस तरह किसी डॉक्टर से अपना मर्ज नही छिपाते उसी तरह मुझे तुम जितना विस्तार से बताओगी उतना ही अच्च्छा केस बनेगा उसे फँसाने के लिए. बिना झिझक बिना किसी संकोच के सब कुच्छ खुल कर बताना. विस्वास करना इस घटना के बारे मे मेरे अलावा किसी को भी पता नही चल पाएगा.”
मैं चुपचाप कुर्सी पर बैठे बैठे अपने पैर के अंगूठे से ज़मीन को कुरेदती रही.
“ हां…अब शुरू कर. नाम….रजनी. पति का नाम?”
“ जी रतन” मैने सब कुच्छ बताने का फ़ैसला कर लिया था. मगर उसका इरादा तो कुच्छ और ही था.
“ उस हरम्जदे दमले ने तेरे साथ क्या छेड़ खानी की?”
“ जी…..जी उसने मेरे साथ…..र…रेप किया.” मैं सकुचते हुए बोली.
“देखो मेडम हम फिर शुद्ध हिन्दी मे लिखते हैं रेप नही चलेगा. हिन्दी मे बोलो”
“उस…उसने…मेरे साथ…बलात्कार किया.” मैने जवाब दिया.
“बलात्कार? यानी उसने तुझे ज़बरदस्ती चोदा? चोदा भी था या सिर्फ़ छेड़ छाड़ की थी?” उसने मुस्कुराते हुए पूछा. उसके इस तरह खुल्लंखुल्ला पूछने से मैं शर्म से लाल हो गयी. मुझे अपने आप पर गुस्सा आने लगा कि मैं रपट लिखवाने आइ ही क्यों. मैं चुपचाप बैठी रही
“ तेरे मुँह मे ज़ुबान नही है क्या. जवाब क्यों नही देती.”
“जी…जी…”
“क्या जी जी लगा रखी है. बताती क्यों नही?” उसने कदक्ति आवाज़ मे वापस पूछा.
“ जी….उसने मेरे साथ…..” मैं समझ नही पा रही थी की किसी अपरिचित के सामने इतने गंदे लफ्ज़ अपनी ज़ुबान पर लाउ “ वही सब किया जो औरत अपने पति के साथ करती है.”
“ धात तेरे की….अरे उसको क्या कहते हैं? कभी अपने पति से कहते नही सुना क्या?”