चुनमूनियाँ चूसते हुए सहसा मौसी ने अपनी एक उंगली ललिता की गान्ड में घुसेड दी और दूसरे से उसके चुतड दबाने लगी ललिता दर्द से चिहुक उठी "उई माँ मररर्र्र्र्र्र्र्र्ररर गैिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई, गान्ड में उंगली मत करो दीदी, दुखता हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई, मैं हमेशा तुम को बोलती हूँ पर आप बार बार उंगली करती हो" पर मौसी को मज़ा आ रहा था वह उंगली करती रही थोड़ी देर के लिए मुँह ललिता की चुनमूनियाँ से निकालकर बोली "तेरी गान्ड बहुत सकरी है ललिता रानी, मरवाएगी तो बहुत दुखेगा तुझे कभी मरवा ले, मज़ा भी आएगा!"
ललिता मौसी के मुँह को सपासाप चोदती हुई "इसी लिए तो नहीं मरावाती कभी दीदी, मुझे तो बस चूत चुसवाने में मज़ा आता है और वह भी आप से" मौसी के मुँह को उछल उछल कर चोदते हुए बीच बीच में ललिता सिर घुमा कर मेरी ओर देखती और मेरे तने हुए लंड को देखकर हँसकर आँख मारकर चुपचाप अपने होंठों से आवाज़ ना किए बोलती "अब तेरी बारी है राजा चूसेगा?" मैं तो यह सब देखकर पागल हुआ जा रहा था लंड ऐसा खड़ा हो गया था कि जैसे लोहे का डंडा हो
मन भरकर ललिता की चुनमूनियाँ चूसकर और उसे कई बार झडाकर आख़िर मौसी की प्यास कुछ बुझी ललिता को अपनी बाँहों में खींच कर उसे चूमते हुए मौसी बोली "मज़ा आ गया साली तेरी चुनमूनियाँ चूस कर, आज तो तेरी चुनमूनियाँ का पानी बहुत गाढा था, शहद जैसा" मेरी ओर देखकर हँसते हुए वे आपस में कुछ बातें करती हुई खिलखिलाकर हँसने लगीं
"दीदी, तुम बड़ी चुदैल हरामी निकलीं, अपने सगे भांजे को ही चोद डाला वह भी इतने छोटे बच्चे को? और ना जाने क्या क्या कराया होगा बेचारे से" ललिता के चुतड मसलते हुए मौसी ने जवाब दिया "तो क्या हुआ री रंडी, अगर मेरा बेटा होता तो भी मैं ऐसा ही करती, और कब का उसे चोद चुकी होती ऐसा मस्त कुँवारा माल कोई छोडता है!"
मौसी का गुलाम compleet
Re: मौसी का गुलाम
कुछ देर बाद वे उठ खडी हुईं शन्नो मौसी ने एक मदभरी अंगड़ाई ली और उससे उसके उरोज तन कर और खड़े हो गये साथ ही पसीने से लथपथ उसकी कांखें मुझे सॉफ दिखीं मेरी जीभ अपने आप अपने प्यासे होंठों पर फिरने लगी मेरी नज़र भाँपकर मुस्कराकर ललिता को हाथ से पकडकर खींचते हुए मौसी मेरे पास आई झुककर मेरा चुंबन लिया और फिर मेरे लंड को मुठ्ठी में पकडकर बोली "लगता है मेरा पसीना चाटने का मूड है तेरा राज बेटे? है ना? शाब्बास, ये ले, चाट"
और अपनी कांखें उसने मेरे मुँह पर लगा दीं उन पसीने से भीगे बालों को मैं चूसने लगा मेरे देखते देखते मौसी का दूसरा हाथ उठाकर ललिता ने उसमें मुँह छुपा लिया मेरे चेहरे के आश्चर्य पर मौसी हँसने लगी "मेरी नौकरानी को भी यह अच्छा लगता है खूब कांखें चाटती है मेरी अब तेरे साथ मिल बाँट कर चखना पड़ेगा उसे"
हम दोनों से अपनी कांखें सॉफ करवाने के बाद मौसी ने मुझसे कहा कि मैं ज़रूर भूखा हुँगा और इसलिए उसकी चुनमूनियाँ के रस से अच्छा क्या होगा मेरी भूख मिटाने को? जिस बेंच पर मैं बँधा था, मौसी उसके दोनों ओर अपने पैर फैला कर खडी हो गई मुझे जीभ बाहर निकालने को कहकर उसने जीभ अपने भगोष्ठो में ली और नीचे मेरे मुँह पर अपनी चुनमूनियाँ जमा कर बैठ गयी और उसे चोदने लगी
उसकी झांतों में मेरा मुँह छुप गया और मौसी का पूरा वजन मेरे मुँह पर आ गया मेरा दम घुटने लगा पर यह बड़ी मीटी घुटन थी मैं जीभ से मौसी की चुनमूनियाँ चोदते हुए उसे चूसता रहा चिपचिपा रस मेरे मुँह में बह निकला और मैं मन लगाकर अपनी मौसी के उस अमृत को पीने लगा
तभी मुझे महसूस हुआ कि मेरे लंड को दो खुरदरे हाथों ने पकड़ा और साथ ही एक गीले गरम मुँह ने मेरा सुपाडा चूसना शुरू कर दिया सॉफ था कि ललिता रानी अपनी मालकिन के भांजे के लंड पर मेहरबान हो गई थी
मौसी ने मेरे मुँह को चोदना जारी रखकर सिर घुमा कर उससे कहा "ललिता, चूस ले, माल है, पर झडाना नहीं! इस बच्चे को अगर झड़ाया तो मार मार कर भुर्ता बना दूँगी तेरा" ललिता हँस पडी और बिना ध्यान दिए चूसती रही हाँ मौसी की बात से सावधान को कर उसका चूसना ज़रा धीमा हो गया जब मैं तडपता तो साली मुँह हटा लेती और जब मैं संभलता तो फिर चूसने लगती
जल्द ही मौसी ने झड कर अपना रस मुझे पिलाया और फिर चुनमूनियाँ और जांघें पूरी मुझसे चटवाकर सॉफ करवा कर उठ बैठी बेंच पर से उतर कर ललिता के बाल खींच कर उससे मेरे लंड को छुडाया और उसे प्यार से बोली "चल रान्ड, अब तुझे इस चिकने लंड से चुदवाती हूँ"
क्रमशः……………………
और अपनी कांखें उसने मेरे मुँह पर लगा दीं उन पसीने से भीगे बालों को मैं चूसने लगा मेरे देखते देखते मौसी का दूसरा हाथ उठाकर ललिता ने उसमें मुँह छुपा लिया मेरे चेहरे के आश्चर्य पर मौसी हँसने लगी "मेरी नौकरानी को भी यह अच्छा लगता है खूब कांखें चाटती है मेरी अब तेरे साथ मिल बाँट कर चखना पड़ेगा उसे"
हम दोनों से अपनी कांखें सॉफ करवाने के बाद मौसी ने मुझसे कहा कि मैं ज़रूर भूखा हुँगा और इसलिए उसकी चुनमूनियाँ के रस से अच्छा क्या होगा मेरी भूख मिटाने को? जिस बेंच पर मैं बँधा था, मौसी उसके दोनों ओर अपने पैर फैला कर खडी हो गई मुझे जीभ बाहर निकालने को कहकर उसने जीभ अपने भगोष्ठो में ली और नीचे मेरे मुँह पर अपनी चुनमूनियाँ जमा कर बैठ गयी और उसे चोदने लगी
उसकी झांतों में मेरा मुँह छुप गया और मौसी का पूरा वजन मेरे मुँह पर आ गया मेरा दम घुटने लगा पर यह बड़ी मीटी घुटन थी मैं जीभ से मौसी की चुनमूनियाँ चोदते हुए उसे चूसता रहा चिपचिपा रस मेरे मुँह में बह निकला और मैं मन लगाकर अपनी मौसी के उस अमृत को पीने लगा
तभी मुझे महसूस हुआ कि मेरे लंड को दो खुरदरे हाथों ने पकड़ा और साथ ही एक गीले गरम मुँह ने मेरा सुपाडा चूसना शुरू कर दिया सॉफ था कि ललिता रानी अपनी मालकिन के भांजे के लंड पर मेहरबान हो गई थी
मौसी ने मेरे मुँह को चोदना जारी रखकर सिर घुमा कर उससे कहा "ललिता, चूस ले, माल है, पर झडाना नहीं! इस बच्चे को अगर झड़ाया तो मार मार कर भुर्ता बना दूँगी तेरा" ललिता हँस पडी और बिना ध्यान दिए चूसती रही हाँ मौसी की बात से सावधान को कर उसका चूसना ज़रा धीमा हो गया जब मैं तडपता तो साली मुँह हटा लेती और जब मैं संभलता तो फिर चूसने लगती
जल्द ही मौसी ने झड कर अपना रस मुझे पिलाया और फिर चुनमूनियाँ और जांघें पूरी मुझसे चटवाकर सॉफ करवा कर उठ बैठी बेंच पर से उतर कर ललिता के बाल खींच कर उससे मेरे लंड को छुडाया और उसे प्यार से बोली "चल रान्ड, अब तुझे इस चिकने लंड से चुदवाती हूँ"
क्रमशः……………………
Re: मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---18
गतान्क से आगे………………………….
ललिता अधीरता से मेरे लंड के उपर पैर फैला कर खडी हो गयी, मौसी ने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और दूसरे हाथ से ललिता की चुनमूनियाँ खोलकर उसमें मेरा सुपाडा फंसा दिया फिर ललिता को नीचे बैठने को कहा ललिता की चुनमूनियाँ बड़ी टाइट थी और जैसे मेरा लंड उसमे धीरे धीरे घुसा, मैं सुख से सिसक उठा मुझे लगा नहीं था कि इस उम्र में भी उस नौकरानी की चुनमूनियाँ ऐसी सकरी होगी
ललिता को भी बड़ा मज़ा आया और सिसकारियाँ भरते हुए वह धीरे धीरे मेरे लौडे को अंदर लेती हुई मेरे पेट पर बैठने लगी "हाय दीदी क्या मस्त लौडा है, बच्चा है पर फिर भी क्या कस कर खड़ा है, बहुत दिन हुए लंड को अपनी चूत में ले के बड़ा मज़ा आ रहा है दीदी"
मौसी ने पूछा "मुझे मालूम है कि तूने अपने मर्द को छोड़ दिया है तो साली तू रात में आजकल क्या करती है, और किसी से चुदवाती नहीं क्या? तेरे जैसी चुदैल को तो बहुत लौडे मिल जाएँगे गाँव में"
शन्नो शैतानी से बोली "वह मेरे और मेरी बेटी के बीच की बात है, नहीं बताउन्गि, शरम आती है पर कभी कभी एक छोटा गाजर या ककडी घुसेड लेती हूँ, मेरी बेटी को बाद में खाने में मज़ा आता है " सुनकर मैं चकरा गया माँ बेटी के इन कारनामों को सुनकर मैं और उत्तेजित हो गया लगा ललिता आगे भी बताएगी पर उस बदमाश ने चुप्पी साध ली और हँसती रही
आधा लंड अब तक ललिता की चुनमूनियाँ में घुस चुका था मौसी ने जल्द उसे घुसेडने के लिए ललिता के कंधों पर हाथ रखकर उसे ज़ोर से नीचे दबा दिया फच्च से पूरा लंड अंदर चला गया और उसकी झांतें मेरे पेट पर आ टिकीं
मेरा लंड अंदर लेकर ललिता का मुँह असहनीय आनंद से खुला था और वह ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी एक मिनिट वह अपनी चुनमूनियाँ में फँसे लंड का मज़ा लेती हुई बैठी रही और फिर धीरे धीरे मुझे चोदने लगी उसकी गरमा गरम गीली चुनमूनियाँ इतनी कस के मेरे लंड को पकड़े थी कि मैं चहक उठा "मौसी, ललिता की चूत क्या टाइट फिट होती है मेरे लंड पर, जैसे कोई छोटी बच्ची की हो"
गतान्क से आगे………………………….
ललिता अधीरता से मेरे लंड के उपर पैर फैला कर खडी हो गयी, मौसी ने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और दूसरे हाथ से ललिता की चुनमूनियाँ खोलकर उसमें मेरा सुपाडा फंसा दिया फिर ललिता को नीचे बैठने को कहा ललिता की चुनमूनियाँ बड़ी टाइट थी और जैसे मेरा लंड उसमे धीरे धीरे घुसा, मैं सुख से सिसक उठा मुझे लगा नहीं था कि इस उम्र में भी उस नौकरानी की चुनमूनियाँ ऐसी सकरी होगी
ललिता को भी बड़ा मज़ा आया और सिसकारियाँ भरते हुए वह धीरे धीरे मेरे लौडे को अंदर लेती हुई मेरे पेट पर बैठने लगी "हाय दीदी क्या मस्त लौडा है, बच्चा है पर फिर भी क्या कस कर खड़ा है, बहुत दिन हुए लंड को अपनी चूत में ले के बड़ा मज़ा आ रहा है दीदी"
मौसी ने पूछा "मुझे मालूम है कि तूने अपने मर्द को छोड़ दिया है तो साली तू रात में आजकल क्या करती है, और किसी से चुदवाती नहीं क्या? तेरे जैसी चुदैल को तो बहुत लौडे मिल जाएँगे गाँव में"
शन्नो शैतानी से बोली "वह मेरे और मेरी बेटी के बीच की बात है, नहीं बताउन्गि, शरम आती है पर कभी कभी एक छोटा गाजर या ककडी घुसेड लेती हूँ, मेरी बेटी को बाद में खाने में मज़ा आता है " सुनकर मैं चकरा गया माँ बेटी के इन कारनामों को सुनकर मैं और उत्तेजित हो गया लगा ललिता आगे भी बताएगी पर उस बदमाश ने चुप्पी साध ली और हँसती रही
आधा लंड अब तक ललिता की चुनमूनियाँ में घुस चुका था मौसी ने जल्द उसे घुसेडने के लिए ललिता के कंधों पर हाथ रखकर उसे ज़ोर से नीचे दबा दिया फच्च से पूरा लंड अंदर चला गया और उसकी झांतें मेरे पेट पर आ टिकीं
मेरा लंड अंदर लेकर ललिता का मुँह असहनीय आनंद से खुला था और वह ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी एक मिनिट वह अपनी चुनमूनियाँ में फँसे लंड का मज़ा लेती हुई बैठी रही और फिर धीरे धीरे मुझे चोदने लगी उसकी गरमा गरम गीली चुनमूनियाँ इतनी कस के मेरे लंड को पकड़े थी कि मैं चहक उठा "मौसी, ललिता की चूत क्या टाइट फिट होती है मेरे लंड पर, जैसे कोई छोटी बच्ची की हो"