पंडित & शीला compleet

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The Romantic
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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 13:42

पंडित & शीला पार्ट--34

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गतांक से आगे ......................

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उसने तो समझा था की कोई ग्राहक है ..पर नूरी समझ गयी थी की वो पंडित जी हैं ..


उसने धीरे से सुलेमान से कहा ..''तुम यहीं रहना , मैं इन्हें निपटा कर अभी आती हु ..मेरी चूत की आग बुझाये बिना मैं तुझे कहीं नहीं जाने दूँगी ..''


उसकी बात सुनकर सुलेमान की सांस में सांस आई .


उसने जल्दी से अपने कपडे पहने और बाहर निकल आई ..


बाहर पंडित जी थे . वो जल्दी से उनके पास पहुंची और बोली : "पंडित जी ..अब्बा कहीं बाहर गए हैं ..बस आने ही वाले हैं, आप अभी जाइये ..अभी नहीं हो पायेगा ..''


वो समझ रही थी की ठरकी पंडित रोज की तरह उसकी चूत मारने के लिए आया है ..पर अभी उसका ध्यान सुलेमान की तरफ था, इसलिए वो पंडित जी को टरकाने के लिए ऐसा बोल रही थी ..क्योंकि वो जानती थी की पिछली बार भी कैसे पंडित जी की फट गयी थी जब बाहर उसके अब्बा आ गए थे और वो दोनों अन्दर चुदाई कर रहे थे ..इसलिए अब्बा का नाम बोलकर वो उन्हें डरा भी रही थी ताकि वो जल्दी से पतली गली से निकल जाए .


पर वो भोली - भाली ये नहीं जानती थी की ये सब माया पंडित जी की है, और पंडित जी ने भी यही समय इसलिए चुना था ताकि नूरी अपनी प्यासी चूत की तड़प थोडा और संभाल कर रखे ताकि इरफ़ान के साथ चुदाई में और भी ज्यादा मजा आये .

वो मुस्कुराये और नूरी से बोले : "मुझे बेवकूफ बनाने की कोई जरुरत नहीं है ..मुझे पता है की अन्दर कौन है ..और तुम क्या कर रही थी ..''


अब गांड फटने की बारी नूरी की थी ..उसने आँखे गोल करके पंडित जी के चेहरे को देखा जैसे विशवास कर लेना चाहती हो की वो जो बोल रहे हैं वो सच भी है या नहीं ..पर पंडित जी की आँखों में आत्मविश्वास देखकर उसने नजरे नीची कर ली .


नूरी : "वो ...दरअसल ...मैंने सोचा ..की ..''


पंडित : "तुमने सोचा की मौका अच्छा है ..अब्बा भी गए हुए हैं ..पंडित जी का लंड भी ले चुकी हु ..तो जाते - 2 सुलेमान के साथ भी मजे ले ही लूँ ..''


वो चुप हो गयी ..कुछ भी न बोल पायी .


पंडित : "मैंने ही इरफ़ान भाई को भेजा है ..तुमने ही तो बोला था अपने अब्बा से चुदने के लिए ..इसलिए मैंने सारा जुगाड़ किया है .''


इतना कहकर पंडित जी ने सारी कहानी एक ही सांस में नूरी को सूना दी ..

वो अपना मुंह फाड़े सुनती रही और मन ही मन खुश होती रही की आखिरकार उसकी बरसों की मुराद पूरी होने जा रही है ..अपने अब्बा से चुदने की ..

पंडित : "पर मुझे क्या पता था की तुम यहाँ दुसरे लंड से मजे ले रही हो ..अगर ये ज्यादा जरुरी है तो रहने दो ..पर बाद में मुझसे उम्मीद मत रखना ..''


नूरी तपाक से बोली : "अरे नहीं पंडित जी ..कैसी बाते करते हो आप ..जिस पल के लिए मैं इतने समय से वेट कर रही थी, उसे मैं ऐसे ही नहीं जाने देना चाहती ..''


उसके चेहरे की ख़ुशी बता रही थी की वो पंडित जी की योजना से पूरी तरह से सहमत है ..


पर पंडित जी ये सब खुले आम नहीं करवाना चाहते थे ..उन्होंने नूरी को जल्दी से तैयार होने की हिदायत दी ...और उसे क्या करना है और क्या पहनना है वो भी बता दिया ..


और समय की मांग को ध्यान में रखते हुए उसे जल्दी से जल्दी वहां पहुँचने को कहा ..और ये सब कहकर वो जल्दी से निकल गए .


उनके जाते ही नूरी भागकर अन्दर आई और जल्दी से सुलेमान को कपडे पहनकर वापिस जाने को कहा ..वो बोली की अब्बा का फ़ोन था .. वो बस आने ही वाले हैं , सुलेमान की तो जैसे माँ ही मर गयी नूरी की बात सुनकर , उसका चेहरा और लंड देखने लायक था ..


पर नूरी ने अगली बार जल्दी ही अधूरा काम निपटाने का वादा करते हुए उसे वापिस भेज दिया ..


और फिर उसने दूकान बंद की और भागकर ऊपर गयी , पंडित जी के कहे अनुसार उसने वैसे ही कपडे पहने और ताला लगाकर खंडहर की तरफ चल दी .


वहां दूसरी तरफ खंडहर के बाहर गिरधर खड़ा होकर इरफ़ान का वेट कर रहा था , इरफ़ान भाई जैसे ही उसे आते हुए दिखाई दिए वो उनकी तरफ दौड़ा चला आया ..


इरफ़ान : "हाँ भाई ..किधर है तेरा आइटम ...जब से तूने बताया है, मेरा तो लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा ..''

गिरधर : "अरे साहब ..हुस्न का दीदार करने के लिए थोडा इन्तजार और करना पड़ेगा बस ..आप अन्दर जाइये, वो बस आने ही वाली है, मैं उसे लेकर अन्दर आता हु ..''


इतना कहकर उसने अपने हाथ आगे फेला दिए , इरफ़ान समझ गया और उसने अपनी जेब से दस हजार रूपए निकालकर उसकी हथेली पर रख दिए ..बिन मांगे उसे मुंह मांगे रूपए मिल गए थे ..वो खुश हो गया और पैसे अपनी जेब में रख कर गिरधर ने इरफ़ान को खंडहर के अन्दर भेज दिया ..शाम का समय था, इसलिए जो इक्का दुक्का लोग भी वहां मौज मस्ती के लिए आये हुए थे, वो भी जा चुके थे ..


इरफ़ान के अन्दर जाने के कुछ देर के बाद ही उसे पंडित जी भी आते दिखाई दिए ..


पंडित जी ने आकर उसे बता दिया की सब कुछ योजना के अनुसार ही हो रहा है ..लगभग 10 मिनट के बाद ही रिक्शे पर नूरी आती दिखाई दी ..उसने बुरका पहना हुआ था ..पूरा शरीर ढका हुआ था , सिर्फ आँखों वाले हिस्से के जालीदार कपडे में से उसकी नशीली आँखे नजर आ रही थी .


वो जब उनके पास आकर खड़ी हुई तो गिरधर की नजरें बुर्के के ऊपर से ही उसे चोदने में लगी हुई थी ..फिटिंग वाले बुर्के में उसके शरीर के भराव और उभार साफ़ दिखाई दे रहे थे ..गिरधर ने अपनी जीभ सूखे होंठों पर फिराई ..शायद सोच रहा था की उसका नंबर भी तो लगने वाला है इस माल पर .


पंडित जी ने उसे फिर से जरुरी बाते समझाई और उसे गिरधर के साथ अन्दर भेज दिया ..


अन्दर इरफ़ान एक कोने में बने हुए चबूतरे पर बैठा हुआ था , जहाँ से पीछे की तरफ की खायी साफ़ दिखाई दे रही थी ..दूर -2 तक सिर्फ जंगल और पेड़ ही थे ..उसने एक पत्थर की बेंच को साफ़ सुथरा करके उसे चोदने के लिए सजा सा लिया था .


और उसे तो बस इन्तजार था उस लड़की के आने का ..वो सोचने लगा की कैसे वो इस बियाबान खंडहर में उसकी चुदाई करेगा कैसे उसकी गांड मारेगा ..और वो ये सब सोच ही रहा था की गिरधर के साथ उसे नूरी आती हुई दिखाई दी ..


बुर्के के पीछे छुपी हुई नूरी को वो भला कैसे पहचान पाता ..वो तो बस उसके भरे हुए शरीर को देखकर मंत्र्मुघ्ध सा हो गया ..और बड़ी ही बेशर्मी से उन दोनों के सामने ही अपने लंड को मसलने लगा ..


अपने अब्बा को देखकर नूरी की चूत से वैसे ही पसीना निकल रहा था ..ऊपर से उनका लंड मसलना देखकर वो तो जैसे बेकाबू सी हो गयी ..उसका मन तो कर रहा था की अभी अपना बुरका उतार फेंके और अपने अब्बा को दिखा दे की वो कौन है ..पर पंडित जी ने उसे इस बात के लिए मना किया था, इसलिए वो बस खड़ी रही .


इरफ़ान : "वह गिरधर ..तूने सच ही कहा था ..सच में भरा हुआ माल है ये तो ..इसे बुर्के में देखकर ही मेरा लंड ऐसे मचल रहा है , जब ये नंगी होकर चूत दिखाएगी तो क्या हाल होगा इसका ..''


अपने बाप के मुंह से लंड चूत की बाते सुनकर नूरी के होंठ भी फडफडा उठे ..पर वो सिर्फ सिसक कर रह गयी ..


गिरधर : "ये तो मैंने पहले ही कहा था साहब , अब बस आप एन्जॉय करो ..मैं चलता हु ..''


इतना कहकर वो बाहर निकल आया ..और पंडित जी के साथ मिलकर वापिस आकर एक कोने में छिप गया ..जहाँ से वो उनकी चुदाई को आराम से देख सकते थे .


अब असली खेल शुरू होने वाला था .

इरफ़ान को ये पता भी नहीं चल पाया की गिरधर वहीँ छुपकर बैठ गया है उनका खेल देखने के लिए , उसका तो पूरा ध्यान ''नूरी'' के ऊपर था ..


इरफ़ान : "तुम्हारा कसा हुआ बदन देखकर तो लग रहा है की तुमने चुदाई काफी करवाई है ..''


वो चुप रही ..


इरफ़ान आगे बड़ा और उसने उसके चेहरे से बुर्के को उतारना चाहा .. पर उसने मना कर
दिया ..


नूरी (आवाज बदल कर , जैसा पंडित जी ने कहा था ) : ''आप प्लीस मेरा चेहरा ना देखे...मैंने इसके बारे में पहले से ही बोल दिया था गिरधर को ..''


इरफ़ान : "पर उसने तो ऐसा कुछ नहीं बताया ..पर कोई बात नहीं ..मैं समझ सकता हु की तुम एक शरीफ घराने की लड़की हो ..पर चेहरे के अलावा तो कुछ छुपाने का इरादा नहीं है ना ..''


कहते हुए इरफ़ान ने नूरी के मुम्मों के ऊपर हाथ रखकर उन्हें जोर से दबा दिया ..


''ऊम्म्म्म्म्म्म .....नाआअ ....वो सब देख सकते हो .....अयीईई .....''


इरफ़ान ने उसकी घुन्डियाँ पकड़कर ऐसे निचोड़ दी मानो करोंदे का रस निकाल रहा हो ..


इरफ़ान ने नूरी को पत्थर की सीट पर बिठा दिया ..और खुद उसके सामने जाकर घुटने मोड़ कर बैठ गया ..


और उसकी टांगो के ऊपर का कपडा धीरे - 2 ऊपर करने लगा ..


जैसे -२ उसका बुरका ऊपर जा रहा था उसकी गोरी पिंडलियाँ नंगी होती जा रही थी ..जिन्हें देखकर इरफ़ान का बुरा हाल हो रहा था ..पंडित जी के कहे अनुसार उसने बुर्के के अन्दर सिर्फ ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी ..ब्लेक कलर की , जो उसके गोर रंग से कंट्रास करके काफी जच रही थी .


जैसे ही उसकी मोटी और गद्देदार जांघे इरफ़ान के सामने चमकी उसने अपनी बाहर निकल रही कुत्ते जैसी जीभ को नीचे किया और उसे ऐसे चाटने लगा जैसे चीज वाला सेंडविच ..अपने अब्बा के पहले स्पर्श से नूरी सिहर उठी ..उनकी खुरदुरी जीभ के एहसास को अपनी चिकनी जाँघों के ऊपर पाकर उसने आँखे बंद कर ली ..और उनके सर को अपने हाथों से दबा कर अपने ''अब्बा'' को और ऊपर आने का निमंत्रण दिया ..

इरफ़ान भी अपनी गीली जीभ को ऊपर की तरफ खिसकाता हुआ उसकी पेंटी तक जा पहुंचा ..अब तो उसका मन कर रहा था की बस उसकी कच्छी के चिथड़े उड़ा डाले ...पर वो बेचारी घर क्या पहन कर जायेगी ये सोचकर वो रुक गया ..और उसने नूरी को बुरका उतारने को कहा ..


वो खड़ी हुई और बड़ी अदा के साथ उसने अपने बुर्के के बटन खोलने शुरू किये ..और सारे बटन खोने के बाद उसे कोट की तरह उतार कर नीचे फेंक दिया ..


अब वो सिर्फ ब्रा, पेंटी और नकाब में थी ..सब कुछ ब्लेक कलर का था ..


नूरी के सीने की ऊंचाईया देखकर इरफ़ान की आँखे बाहर निकल आई ..इतनी सेक्सी लेस वाली ब्रा के अन्दर बंद कबूतरों को देखकर उसके हाथ फद्फड़ाने लगे उन्हें पकड़ने के लिए ..और उसकी पतली कमर के नीचे की फेलावट को देखकर उसके लंड महाराज का बुरा हाल हो गया , ना जाने कितनी मुश्किल से वो छोटी सी पेंटी उसकी चोडी और उभरी हुई गांड को कवर करने में कामयाब हो रही थी , ये तो नूरी ही जानती थी ..आगे की तरफ का गहरा धब्बा नूरी की चूत की हालत बयान कर रहा था ..


पंडित जी तो नार्मल थे पर गिरधर की हालत खराब होने लगी ..उसने भी ऐसा माल आज तक नहीं देखा था ..हर तरफ से भरा हुआ और कसाव वाला शरीर था उसका ..वो अपने लंड को अपनी पेंट के ऊपर से ही मसलने लगा ..पंडित उसकी हरकत देखकर मुस्कुरा दिए ..


उधर , इरफ़ान ने आगे बढकर नूरी की ब्रा के स्ट्रेप को एक ही झटके में नीचे गिरा दिया ..और अगले ही पल उसके खरबूजे जितने बड़े मुम्मे बाहर की तरफ निकल आये जिनके ऊपर के दानो को देखकर इरफ़ान के मुंह में पानी आ गया ..और उसने अपना सर नीचे करके उन्हें अपने मुंह में दबोच लिया और अपने दांतों और होंठों से उसकी सेवा करने लगा ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म्म्म .......''

नूरी का बदन कमान जैसे टेड़ा होकर पीछे की तरफ झुक गया ..इरफ़ान ने अपने दोनों हाथ उसकी गांड के ऊपर रख दिए और पेंटी के अन्दर डालकर उसकी नंगी गांड को थाम लिया .. और उन्हें गुब्बारों की तरह दबाने लगा ..


वो खड़ा हुआ कभी उसका दांया मुम्मा चूसता और कभी बांया ...और उसके हाथ की उँगलियाँ धीरे -2 उसकी गांड की सरहदों में दाखिल होकर वहां बनी हुई दोनों चोंकियों को कुरेदने में लगी थी ..एक हाथ की उँगलियाँ उसकी गांड के छेद को कुरेद रही थी और दुसरे हाथ की उँगलियाँ उसकी रसीली चूत को ..


इरफ़ान का मन तो कर रहा था की उसके रसीले होंठों को चूस ले पर उसने मना कर रखा था ..इसलिए वो झुका और उसकी चूत के सामने अपना मुंह लेकर बैठ गया ..और एक ही झटके में उसने उसकी गदरायी हुई गांड का लिबास उतार कर उसे नंगा कर दिया ..


अपने अब्बा की भूखी आँखों के सामने अपनी चूत को बेपर्दा पाकर नूरी की चूत भावुक हो उठी और उसमे से गर्म रस आंसुओं की तरह बहकर बाहर आने लगा ..जिसे उसके अब्बा ने एक पल भी गंवाए अपने मुंह से चाटकर साफ़ कर दिया ..


अब फिर से इरफ़ान ने नूरी को पत्थर की बेंच पर लिटा दिया और उसकी टांगों को खोलकर उसके अन्दर अपने मुंह से खुदाई करने लगा ..

जितनी खुदाई करता उतना ही पानी बाहर निकल आता , उसका चेहरा और होंठ बुरी तरह से उसके रस से नहा कर गीले हो गए ..


नूरी ने अपनी ब्रा के स्ट्रेप भी खोल दिए और अब वो पूरी नंगी थी ..अपने बाप के सामने .


और जैसे वो नंगी हो चुकी थी, वैसे ही वो अपने अब्बा को भी नंगा देखना चाहती थी ..पर उन्होंने अभी तक अपना एक भी कपडा नहीं उतारा था ..और ये इरफ़ान जान बूझकर कर रहा था ..वो उसकी चूत को चूसकर और उसके मुम्मे दबा कर उसे पूरी तरह से गर्म कर देना चाहता था ताकि बाद में वो खुद उसके कपडे उतारकर उसके लंड को किसी पागल कुतिया की तरह से चूसे और चाटे ..


और हुआ भी यही ...नूरी से जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो खड़ी हुई और इरफ़ान के सामने घुटनों के बल बैठ गयी ..और उसके पायजामे के नाड़े को खोलने लगी ..


वो आराम से खड़ा होकर उसे बेसब्री से ये सब करता हुआ देख रहा था ..नूरी ज्यादा बोल नहीं रही थी, क्योंकि उसे डर था की कहीं उसकी आवाज को उसके अब्बा पहचान ना ले ..
वो सिर्फ सिसकारी मारकर हाल-ऐ-चूत बयान कर रही थी ..


इरफ़ान ने ऊपर से अपना कुर्ता खुद ही उतार दिया और नीचे से जैसे ही उसका पायजामा नीचे सरका उसके अन्दर खड़ा हुआ जानवर आखिरी पिंजरा तोड़कर बाहर आने को मचलने लगा ..


और फिर नूरी ने धीरे-२ उसके कच्छे को भी नीचे उतार दिया ...और जैसे ही उसे अपने अब्बा के लंड का दीदार हुआ उसने अपने नकाब के ऊपर से ही उसे अपने छोटे भाई की तरह से चूम लिया ..


पर बीच में आ रहा कपडा उसे परेशान कर रहा था, उसने धीरे से अपने नकाब को सिर्फ होंठों तक ऊपर उठाया और अपने अब्बा के लंड को अपने मुंह ममे ले लिया ..और उसे जोर -२ से चूसने लगी ..


इरफ़ान को तो लगा जैसे उसका लंड किसी गर्म सुरंग में पहुँच गया है ..इतनी हीट निकल रही थी नूरी के मुंह से जैसे वो उसके लंड का सीख कबाब बना रही है अपने मुंह में ..

पर उसे मजा भी उतना ही आ रहा था ..इतनी जवान लड़की ने आज तक उसके लंड को नहीं चूसा था ..अपनी बेटी की उम्र की लड़की से अपना लंड चुसवाना किसे अच्छा नहीं लगेगा ..और जैसे ही इरफ़ान को अपनी बेटी का ख्याल आया वो और जोश से भर उठा ...वो सोचने लगा की ये लड़की बिलकुल उसकी बेटी नूरी की उम्र की है और शारीरिक रूप से भी वैसी ही लग रही है ..काश जो वो सोच रहा है वो सच होता ..कितना अच्छा होता ..


अब वो बेचारा क्या जानता था की ये सच हो चुका है ..जिसे वो चोदने की तैय्यारी कर रहा है वो उसकी अपनी बेटी नूरी ही है ..और उस लड़की को अपनी बेटी नूरी समझ कर वो उसके मुंह को चोदने लगा .


और जैसे ही इरफ़ान को लगने लगा की उसके लंड का पानी निकलने वाला है वो सिहर सा उठा ..और उसने नूरी के सर को पकड़कर उसे रोक दिया ..


''बस ......बस .....रुक जा नूरी ....''


अपनी बेटी के बारे में सोचते- २ उसके मुंह से नूरी निकल गया ..जिसे सुनकर एक पल के लिए तो नूरी के साथ - २ पंडित और गिरधर भी सकते में आ गए की कहीं इरफ़ान को पता तो नहीं चल गया ..


पर अगले ही पल इरफ़ान संभल गया और नूरी से बोला : "उम् माफ़ करना ...मेरे मुंह से नूरी निकल गया ...''


नूरी (बदली आवाज में ) : "ये नूरी कौन है ..अगर आप चाहो तो मैं नूरी बनकर ये सब कर सकती हु ..आपको भी ज्यादा मजा आयेगा ..''


वो तो मन ही मन खुश हो रही थी की उसके अब्बा भी उसके बारे में वैसे ही सोच रहे हैं जैसे वो सोच रही है ..बस उनके मन को अच्छी तरह से टटोल कर वो उनके सामने बेपर्दा होना चाहती थी ..


इरफ़ान थोड़ी देर के लिए सकुचा सा गया ..वो सोचने लगा की उस ''रंडी' को अपनी बेटी के बारे में बताये या नहीं ..


नूरी ने उसकी चिंता भांप ली ..और बोली : "लगता है ये तुम्हारी बेटी का नाम है ..है ना ..''


इरफ़ान (हेरान होते हुए ) : "तुम ...तुम्हे कैसे पता ...चला ..''


नूरी (हँसते हुए) : "अक्सर बेटी की उम्र की लड़की देखकर अपनी बेटी ही याद आ जाती है ..आपकी उम्र देखकर पता चल रहा है की आपकी बेटी की उम्र मेरी जितनी ही होगी ..और शायद आप मुझमे उसका अक्स देख रहे हैं ..''


इरफ़ान ने हाँ में सर हिला दिया ..

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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 13:43

पंडित & शीला पार्ट--35

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गतांक से आगे ......................

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नूरी : "आप शर्मिंदा मत होइये ...आप गलत नहीं सोच रहे हैं ..ज्यादातर बाप अपनी बेटियों के बारे में यही सोचते हैं ..और ज्यादातर लड़कियां भी अपने बाप के बारे में यही सोचती है ..''


इरफ़ान : "अच्छा ....सच में ?"


नूरी : "हाँ ...मैं भी सोचती हु अपने अब्बा के बारे में ...जैसे अभी भी मुझे यही लग रहा है की मैं अपने अब्बा का लंड चूस रही हु ..ये सब सोचते हुए करने में काफी मजा आता है ..अगर आप चाहो तो मैं आपको अब्बा कहकर ये सब कर सकती हु ...आपको भी अच्छा लगेगा और मुझे भी ..''


इरफ़ान उसके ऑफर को कैसे मना कर सकता था ..वो खुद भी तो यही चाहता था ..


उसने हामी भर दी ..


और इतना कहते ही नूरी ने एक लम्बी सांस भरी और अपने अब्बा के लोंडे को अपने मुंह में धकेल कर उसे और तेजी से चूसने लगी ..


''ओह्ह्ह्ह्ह .....अब्बू .......उम्म्म्म्म ........तुम्हारे लंड को देखकर मेरी चूत से पानी निकल रहा है .....''


और इस बार वो अपनी आवाज बदलनी भूल गयी ..


जिसे सुनकर एक पल के लिए तो इरफ़ान भी चोंक सा गया ..वो सोचने लगा , मेरी बेटी की एक्टिंग करते हुए इसकी आवाज भी उसके जैसे कैसे हो गयी ..पर उसने ज्यादा सोचना उचित नहीं समझा क्योंकि जिस तरह से वो उसके लंड को चूस रही थी इरफ़ान को दोबारा लगने लगा की उसकी पिचकारी छूट जायेगी ..


उसने फिर से अपनी ''बेटी'' को रोक दिया ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....नूरी ......मेरी बच्ची .....रुक जा ......और मत चूस ...अपने अब्बा का लंड ....अह्ह्ह्ह .....रुक जा ....''


और एक आज्ञाकारी बेटी की तरह से नूरी ने अपने ''अब्बा'' का लंड बाहर निकाल दिया ...


इतना गर्म सीन देखकर गिरधर ने साड़ी बेशर्मी की हदें पार करते हुए अपना लंड बाहर निकाल लिया और उसे पंडित जी के सामने ही मसलने लगा ..


नूरी ने जैसे ही इरफ़ान के लंड को बाहर निकाला वो जाकर फिर से उसी सीट पर लेट गयी ..और अपनी टाँगे उठा कर बोली : "आओ न अब्बू ...चोदो अपनी नूरी को ...घुसा दो मेरी चूत में अपना ये मोटा लंड ...मारो मेरी चूत और बुझा दो मेरी प्यास ...आओ न अब्बू ..''


अपनी ''बेटी'' का आग्रह वो कैसे ठुकरा सकता था .... वो खड़ा होकर उसकी टांगो के बीच पहुंचा और अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रख दिया ..और उसके नकाब के पीछे छिपी हुई आँखों में देखकर वो उसपर झुक गया ..और झुकने के साथ ही उसका पहाड़ी लंड किसी बर्फीले शूल की तरह उसकी गर्म चूत के अन्दर उतरता चला गया ..दोनों ही चीखे मारकर अपने एहसास का बयान करने लगे ..


''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अब्बा ......उम्म्म्म्म्म्म ......क्या लंड है आपका ....उम्म्म्म्म्म ....और अन्दर डालो ....अह्ह्ह्ह्ह .....जोर से ....चोदो ...अपनी नूरी ....को ....अब्बू .....आज अपनी बेटी की चूत फाड़ कर रख दो ....अह्ह्ह्ह्ह्ह .....जोर से ...और जोर से ....''


इरफ़ान भी बडबडाने लगा : "अह्ह्ह्ह ...ले साली .....ले अपने बाप का लंड ....अह्ह्ह्ह ....और अन्दर ले ....घुसवा ले पूरा ....अपनी फुद्दी मे. ....अह्ह्ह्ह ....''

और आवेश में आकर इरफ़ान ने एक ही पल में नीचे झुककर उसके चेहरे का नकाब ऊपर कर दिया ...और चेहरा देखने से पहले ही झुक कर उसके होंठों को अपने मुंह में लेकर जोर - २ से चूसने लगा और नीचे से उसकी चूत में भी जोरों के धक्के मारने लगा ..


और अगले ही पल जब उसने अपनी आँखे खोलकर नूरी के चेहरे को देखा तो उसकी हेरानी की कोई सीमा ही नहीं रही ...


नूरी भी समझ चुकी थी की अब बहुत देर हो चुकी है ..पर उसने अपने अब्बू को अपने ऊपर से उठने नहीं दिया ..


इरफ़ान : "नूरी ....तू ...और ..और यहाँ ..........''


वो उठने लगा पर नूरी ने उसकी गांड को अपनी टांगो से बाँध लिया था और नीचे से धक्के मारकर वो बाकी का काम निपटाने लगी ...


इरफ़ान भी अपने आखिरी पड़ाव पर था ...और हेरात की बात ये थी की अपनी बेटी को सामने पाकर उसके लंड की कसावट और भी ज्यादा हो गयी थी ...वो अपने लंड को बाहर भी निकालना चाहता था और अन्दर भी रखना चाहता था ...


नूरी ने आखिर अपनी मंजिल पा ही ली ...और अपने अब्बू को अपनी छाती पर दबोच कर उसने अपनी चूत को भी उनके लंड से बुरी तरह से जकड लिया ..ताकि वो कहीं जा ना पायें ...

और अपनी गिरफ्त से छोड़ने के बाद वो अपने अब्बू से बोली : "अब्बू ...वो मैं तुम्हे सब बाद में बता दूंगी ...पर अभी आप वो करो जिसके लिए यहाँ आये हो ..जल्दी ..''


इरफ़ान ने ''अनमने'' मन से उसकी बात मान ली और धक्के मारकर अपने लंड को उसकी टनल के अन्दर बाहर करने लगा ..


अब उसके सामने नूरी का मासूम सा चेहरा था ..वो अपनी बडी -२ आँखों से अपने अब्बू को छोड़ते हुए देख रही थी ..और मुस्कुरा भी रही थी ..उसके हिलते हुए मोटे मुम्मे देखकर इरफ़ान के लंड की पिचकारियाँ आखिरकार उसकी चूत के अन्दर निकलने लगी ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......,ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ .,.,.मैं आया ......ओह्ह्ह्ह्ह नूरी ......''

इतना कहकर वो पसीने से भीगी हुई ब्रेस्ट के ऊपर गिर पड़ा ..


थोड़ी देर के बाद वो उठा और अपने लंड को रुमाल से साफ़ करता हुआ अपने कपडे पहनने लगा ..


वो क्या बोले और क्या पूछे नूरी से वो समझ नहीं पा रहा था ..


नूरी ने ही आखिर कार बात शुरू की


नूरी : "अब्बू ,मुझे पता है की आप क्या सोच रहे हैं ..पर आप शायद नहीं जानते की मैं कितने सालों से यही चाहती थी जो आज हुआ है ...हाँ अब्बू,जब से मैंने जवानी की देहलीज पर कदम रखा है, मैंने हमेशा से ही आपके बारे में सोचा है ..और धीरे- २ मैं आपसे चुदने के बारे में सोचने लगी ..अपने शोहर से चुदते हुए भी मैंने हमेशा आपको ही सोचा है ..''


इरफ़ान हेरानी से अपनी बेटी का इकबालिया बयान सुन रहा था ..


नूरी : "मुझे जब बच्चा नहीं हो रहा था तो मैंने सोच लिया था की मैं आपसे चुद्वाकर प्रेग्नेंट हो जाउंगी ..पर पंडित जी के समझाने पर मैं मान गयी ..पर मुझसे रहा नहीं गया और आखिरकार उनके ही एक दोस्त की मदद से मैंने आपको यहाँ बुलाया और बाकी सब आपके सामने है ..''


इरफ़ान : "पर नूरी ...ये गलत है ...दुनिया की नजर में ये गलत है ..''


नूरी : "मुझे पता है अब्बू ...पर दुनिया को खुश रखने के लिए मैं अपनी हसरतों का गला नहीं घोंट सकती ..मैंने जो चाहां था वो कर लिया ..और जिस तरह से आपने मुझे आज चोदा है मुझे लग रहा है की मैं जल्द ही आपके बच्चे की माँ बन जाउंगी ..''


नूरी ने बड़ी चालाकी से पंडित जी की बात नहीं बताई और उनके बच्चे को भी इरफ़ान का नाम दे दिया ..


नूरी : "अब्बू ....अब ज्यादा मत सोचिये ...जो होना था वो हो चूका है ...अब बाकी की बातें घर चलकर करते हैं ..''


इतना कहकर वो नंगी उठकर आई और अपने अब्बू के गले से लिपट गयी ..


''और मुझे पता है की बातों से ज्यादा और भी कुछ करना है घर चलकर अभी तो ...''


और उसने ऊपर उचक कर अपने अब्बू को होंठों पर चूम लिया ..

नूरी ने भी अपने कपडे पहन लिए और वो थोड़ी देर के बाद अपने घर की तरफ निकल पड़े ..


उनके जाने के बाद पंडित और गिरधर भी अपने घर निकल लिए ..आज तो गिरधर नूरी की चूत नहीं मार पाया था पर पंडित जी ने उसे भरोसा दिलाया की जल्दी ही वो उसका इंतजाम करवा देंगे ..वो ख़ुशी -2 पंडित जी की बात मान गया ..वैसे भी दस हजार कमा कर वो आज बहुत खुश था .


घर पहुँच कर इरफ़ान और नूरी जल्दी से ऊपर अपने घर की तरफ चल दिए ..उनकी दूकान तो अब तक बंद थी और नूरी का 'नया' आशिक सुलेमान काफी देर से दूकान खुलने या नूरी के आने की प्रतीक्षा कर रहा था ..जिसे नूरी ने जल्दबाजी में नहीं देखा ..और वो सीधा ऊपर चली गयी अपने अब्बू के साथ ..


और ऊपर जाते ही उसने अपने बुर्के को फिर से एक बार निकाल कर ऐसे फेंका जैसे अब कभी उसकी जरुरत ही नहीं है ..और मादरजात नंगी होकर अपने अब्बू के सामने खड़ी हो गयी ..


पर इरफ़ान अभी तक सामाजिक बातों में उलझा हुआ था ..उसे मन ही मन ये सब गलत लग रहा था ..उसका मन (लंड ) तो वही चाहता था पर दिमाग उसकी इजाजत नहीं दे रहा था .


नूरी के नंगा होने के बावजूद वो ऐसे ही खड़ा रहा और अपनी उलझन को बताने के लिए उसने जैसे ही अपना मुंह खोला , नूरी ने उसके पास आकर उसके मुंह पर अपनी नाजुक उँगलियाँ रख दी ..

और बोली : "अब्बू ...मुझे पता है की तुम क्या सोच रहे हो ..पर मेरा विशवास करो, जो भी हमारे बीच हो रहा है वो किसी और को पता नहीं चलेगा ..और आपसे ऐसा प्यार पाकर मुझे कितनी ख़ुशी हो रही है ये मैं बता नहीं सकती ..आप भले ही पचास के आस पास है, पर आपके अन्दर अभी भी इतनी गर्मी है की किसी भी जवान लड़के से आसानी से कोई भी मुल्कबला जीत जाओ ..''


इतना कहकर उसने अपने अब्बू के लंड और उसके दोनों रिश्तेदारों (टट्टे)को अपने हाथ में पकड़कर धीरे - २ दबाना शुरू कर दिया ..


वो तो पहले से ही नूरी की मेहमान नवाजी से खुश थे उसके दोबारा हाथ लगाने से ऐसे अकड़कर खड़े हो गए जैसे उसके गुलाम हो ..

इरफ़ान की सोच उसके मुंह में ही दबकर रह गई ..उसकी आँखों में भी अपनी बेटी के लिए ''प्यार'' उमड़ पड़ा ..और उसने अपने हाथों से उसके चेहरे को ऐसे पकड़ा जैसे गुलाब का फूल और फिर होंठ नीचे करके वो उसके गुलकन्द का स्वाद चखने लगा ..


नूरी के मुंह से सिस्कारियों की लाइन सी लग गयी ..उसके अब्बू ने उसे स्वीकार जो कर लिया था, खुले मन से ..ये सोचते हुए उसकी चूत और होंठों से मीठे रस की लहर बाहर की तरफ निकलने लगी ..


जब से उसकी पत्नी की मृत्यु हुई थी, आज पहली बार इरफ़ान के घर में उत्तेजना से भरी हुई सिस्कारियां गूँज रही थी ..जिन्हें सुनकर शायद उसके घर की दीवारें भी झूमने लगी थी .


''ओह्ह्ह अब्बू ....आप नहीं जानते आप मुझे कितने अच्छे लगते हैं ...शुरू से ही ...मैं आपको ..देखकर ....उम्म्म ...पुच ....अपनी .....चूत में ....उम्म्म ....पुच ....उँगलियाँ डाला करती ....थी ...अह्ह्ह्ह्ह .....''


इरफ़ान ने अपना हाथ नीचे किया और अपनी तीन उँगलियाँ एक ही बार में उसकी चूत के अन्दर उतार दी ..नूरी की तो जैसे आत्मा तृप्त हो गयी ..वो मचलती हुई अपने अब्बा की उँगलियों के ऊपर ऊ ला ला वाला डांस करने लगी ..


इरफ़ान ने नूरी की दोनों ब्रेस्ट को अपने हाथों से पकड़ा और उन्हें बारी - २ से चूसने लगा ..इरफ़ान ने जैसे ही अपनी बेटी के अंगूरी दाने अपने दांतों के नीचे दबाये वो जोर से सिसक कर अपने अब्बू की गोद में चढ़ गयी ..और उनके मुंह को जोर से अपनी छाती में दबा कर अपना अंगूरी रस पिलाने लगी ..

भले ही इरफ़ान में मरदाना ताकत काफी थी पर उम्र के हिसाब से उसकी साँसे जैसे रुकने सी लगी थी ..नूरी ने अपने बूढ़े बाप की साँसे अपनी छाती से दबा कर रोक दी थी ..पर मौका ही कुछ ऐसा था की नूरी को जैसे कुछ पता ही नहीं चला ..इरफ़ान ने बड़ी मुश्किल से उसे नीचे उतारा , उसकी साँसे फूल रही थी ..


नूरी ने जल्दी से अपने अब्बू के कपडे उतारने शुरू किये ..और अगले एक मिनट में इरफ़ान भी अपनी बच्ची की तरह नंगा खड़ा था वहां ..


नूरी ने बड़े प्यार से उन्हें देखा और उनके लंड को ऐसे पकड़ा जैसे वो उनका हाथ हो और अन्दर बेडरूम की तरफ ले कर चल दी .


अन्दर लेजाकर उसने अब्बू को बेड पर लिटा दिया और उनके लंड को बड़े प्यार से अपने हाथों में लेकर अपने मुंह का रास्ता दिखाया ..और उसे आइसक्रीम की तरह चूसने लगी ..

इरफ़ान अपनी कोहनियों के बल बैठकर अपनी बेटी के प्यार को अपने लंड पर महसूस कर रहा था ..


नूरी अपनी मोटी -2 ब्रेस्ट को अपने अब्बू के घुटनों से रगड़ कर उन्हें और भी ज्यादा उत्तेजित कर रही थी .


इरफ़ान ने उठकर नूरी को बिस्तर पर उल्टा लिटा दिया और खुद उसके ऊपर चड़कर अपना लंड उसके मुंह में पेलकर उससे चूसवाने लगा ..

इरफ़ान के लंड के रस की पहली धार निकल कर नूरी के मुंह को ठंडक पहुंचा रही थी ..जो उसके होंठों के किनारों से बहकर बाहर की तरफ भी आ रही थी ..


The Romantic
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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 13:44

पंडित & शीला पार्ट--36

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गतांक से आगे ......................

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अब उससे सब्र करना मुश्किल हो गया ..उसने नूरी को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में लंड को लगाकर उसको तरसाने के लिए सिर्फ अपने लंड को टच करने लगा .

अपनी चूत के होंठों के ऊपर अपने अब्बू के लंड की गर्माहट पाकर वो बावली कुतिया की तरह जोर -२ से भोंकने लगी ...


''अह्ह्ह्ह्ह्ह अब्ब्बू .......उम्म्म्म्म .....डाल भी दो ना ....ऐसे मत तरसाओ ....अपनी नूरी को ...''


इरफ़ान ने भी मुस्कुराते हुए उसकी बात मान ली और एक जोरदार झटके के साथ उसकी चूत में लंड पेलकर उसकी घुड़सवारी करने लगा ..उसने लगाम के बदले उसके बालों को खींच लिया और पीछे से धक्के मारकर अपनी गति तेज कर दी ..


अपने आपको अपने अब्बू के सपुर्द करके आज नूरी बहुत खुश थी ..वो कुलांचे भरकर, लंड को अपनी फुद्दी में लेकर दोड़ने लगी ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह ......अब्बू .....उम्म्म्म्म्म .......हा न…. .... ...अह्ह्ह्ह ..ऐसे हि…। अह्ह्ह ...ओग्ग्ग ......मर्र्र्र्र .....गयी .....उम्म्म्म्म ......जोर .....से .....करो ....अब्ब्बू ......अब्बब्बब्बब ह्ह्ह्ह ऊऊऊऊ ........''


उसकी चूत ने जवाब दे दिया ...पर इरफ़ान का घोडा थमने का नाम नहीं ले रहा था ..


वो बेड पर लेट गया और नूरी को अपने ऊपर खींच कर फिर से उसकी चूत को अपने लंड से भर दिया ..और उसके मुम्मों के थपेड़े अपने चेहरे पर झेलता हुआ फिर से उसकी चुदायी करने लगा ..


नूरी के हर अंग को आज इरफ़ान ने हिला कर रख दिया था

और अब नूरी का एक और ओर्गास्म बन रहा था ..जिसे पाने के लिए उसने अपनी तरफ से और तेजी से कूदना और चिल्लाना चुसू कर दिया ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....अब्ब्बा .......अह्ह्ह्ह्ह ...मार ..डालोगे ...आज तो आप। ....अह्ह्ह्ह्ह .......उह्ह्ह्ह्न्न्न .......ऐसे ही ....चोदो ...अपनी नूरी को .....अह्ह्ह्ह ....''


और जल्द ही इरफ़ान भी अपनी बेटी के होंठों को अपने मुंह में चूसता हुआ उसकी चूत में अपने लंड के बीज निकालने लगा ..

दोनों एक साथ ही झड़ने लगे थे ..

वो ये सब कर तो रहे थे पर उन्हें अंदाजा भी नहीं था की सुलेमान वो सब देख रहा है ..जल्दबाजी में नूरी और इरफ़ान सीडियो से ऊपर जाने का दरवाजा बंद करना भूल गए थे ..


दरअसल काफी देर तक जब कोई नीचे नहीं उतरा तो अपने लंड की अकड़ के हाथों मजबूर होकर सुलेमान सीडियां चड़कर ऊपर आ गया ..उसने सोचा की अगर इरफ़ान ने पूछ भी लिया की ऊपर क्या करने आया है तो बोल देगा की दूकान से कुछ सामान लेना था पर वो बंद थी इसलिए ऊपर पूछने चला आया की कब तक खुलेगी ..


पर ऊपर आकर तो सुलेमान की आँखों के साथ - 2 जैसे किस्मत भी खुल गयी ..उसने सपने में भी सोचा नहीं था की नूरी अपने अब्बा के साथ चुदाई की तय्यारी कर रही होगी ..साथ ही साथ उसे अपनी किस्मत पर नाज भी हुआ क्योंकि अब वो उन दोनों का ऐसा राज जान चुका था जिसकी मदद से वो कुछ भी कर सकता था ..


वो सही वक़्त का इन्तजार करने लगा और वहीँ चुप कर बैठ गया . अपने मोबाइल कमरे से उसने बाप बेटी के सारे एपिसोड को रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया था ..


और जब ये सब कुछ हो चुका था तो वो बाहर निकल आया ..क्योंकि अब सही वक़्त आ चुका था ..

और उसके बाहर निकलते ही सबसे पहले इरफ़ान की नजर पड़ी उसपर ..उसे तो जैसे बिच्छू ने डंक मार लिया हो ..वो उछल गया और उसने जल्दी से नूरी की चूत से अपना लोड़ा बाहर खींचा और पास पड़ी हुई चादर को ऊपर खींचकर दोनों के जिस्मों को ढक लिया ..


इरफ़ान : "सु ...सु ..सुलेमान .....तू यहाँ क्या कर रहा है कमीने ...''


अपने आशिक का नाम सुनते ही नूरी ने भी पलट कर उसकी तरफ देखा ..पर ज्यादा हेरान नहीं हुई वो ..और ना ही उसने कोशिश की अपनी नंगी छातियों को छुपाने की ..


सुलेमान (हँसते हुए) : ''इरफ़ान मियां ...मैं यहाँ कैसे आया ..और कब आया ..ये मत पूछो अब ..आप तो मुझे ये बताओ की ये चल क्या रहा है ..तुम बाप बेटी के बीच ..''


उसने अपने लंड को मसलते हुए कहा ..


कोई और मौका होता तो इरफ़ान उसकी हलक में हाथ डालकर उसकी जुबान खींच लेता ..उसका रुतबा और व्यवहार था ही ऐसा पुरे मोहल्ले में की हर कोई उसकी इज्जत करता था ..और ये सुलेमान तो उसके सामने पला - बड़ा हुआ था , और अब ये कल का लोंडा उससे इस तरह से सवाल कर रहा है ..


पर वो कुछ ना बोल पाए आखिर गलती उनकी ही जो थी ..अपनी बेटी को चोदना कोई छोटी बात नहीं है जो कोई भी अनदेखा कर दे ..घर की चारदीवारी में जो होता है अगर वो मोहल्ले वालों को ऐसे पता चल गयी तो उसकी बरसों की इज्जत मिटटी में मिल जायेगी ..इरफ़ान ये सोचते -२ ही कांप उठा ..


इरफ़ान : "वो ..वो ..कुछ भी तो नहीं ...तुझसे मतलब ..और तेरी हिम्मत कैसे हुई हमारे घर में घुसने की ..''


इरफ़ान बेचारा उठ भी नहीं पा रहा था ..नंगा जो था वो चादर के नीचे .


सुलेमान : "अरे चचा ...इतने भोले तो नहीं है हम भी ..जो इतना भी ना समझे की आप कर क्या रहे थे नूरी की चूत में लंड डालकर ...''


नूरी उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी ...पर इरफ़ान का गुस्सा सातवे आसमान पर पहुँच गया ...


इरफ़ान : "कमीने ...तेरी हिम्मत कैसे हुई ये बोलने की ..निकल जा अभी के अभी मेरे घर से ..तेरी माँ की चूत ...साले ...गली के कीड़े ...निकल यहाँ से ..''


आवेश में आकर इरफ़ान नंगा ही खड़ा हो गया और सुलेमान को धक्का मारकर घर से बाहर निकालने लगा ..


सुलेमान : "मियां ....आप मुझे घर से निकाल तो रहे हो ..पर एक बात सोच लो ..मेरे घर से निकलते ही तुम्हारी जो बदनामी होगी पुरे मोहल्ले में ..वो आप बर्दाश्त नहीं कर पायेंगे ...''


इरफ़ान : "तू मुझे ब्लेकमेल कर रहा है ..तेरी बातों को सुनने वाला है कौन ...सब तेरे बारे में जानते हैं ..वो तेरी नहीं , मेरी बात सुनेगे और समझेंगे ...''


सुलेमान : "मुझे पता था ...इसलिए मैंने ये सब रिकॉर्ड कर लिया था ...''


इतना कहकर उसने जो मूवी बनायीं थी, वो प्ले करके दिखाने लगा ..जिसे देखकर इरफ़ान के पैरों तले से जमीन निकल गयी ..


वो बुरी तरह से फंस चुका था ..


आखिर में उसने होश से काम लेते हुए ,अपनी आवाज में थोड़ी नरमी लाते हुए ,
सुलेमान से कहा : "तू ....तुम ...चाहते क्या हो ....''


सुलेमान : "हाँ ...अब आये न रास्ते पर ...देखो चचा ....मैं भी तुम्हे ऐसे ब्लेकमेल करके कुछ नहीं करना चाहता था ...पर क्या करू ..अपनी आदत से मजबूर हु ..और रही बात चाहने की ..तो मैं तो बस ..वही चाहता हु ..जो अभी आप चाह कर हटे हो ..नूरी की चूत.''


अपनी बेटी का नाम उसके मुंह से दोबारा सुन कर वो फिर से गुस्से से भर उठा ...पर अगले ही पल उसे अपनी स्थिति का आभास हुआ ...वो खून का घूँट पी कर रह गया ..


अचानक इरफ़ान को अपने नंगेपन का एहसास हुआ ..उसने झट से अपना पायजामा उठाया और पहन लिया ..और उसने नूरी की तरफ देखा ..तो हेरान रह गया ..वो भी अपने शरीर से चादर को उतार चुकी थी ..और अपने अब्बू के लंड से निकले रस को अपनी चूत से निकाल कर अपनी उँगलियों से बड़ी ही बेशर्मी से मसल रही थी ..


उसने आज तक अपनी बेटी पर गली के आवारा लड़कों की गन्दी नजर नहीं पड़ने दी थी ..और आज नूरी सुलेमान के सामने इस तरह नंगी पड़ी हुई थी जैसे वो भी यही चाहती है ..


उसने नूरी की तरफ गुस्से से भरी हुई नजरों से देखा ...जैसे कह रहे हो 'बेशरम ..कपडे तो पहन ले ..'


पर नूरी तो मंद ही मंद मुस्कुराते हुए सुलेमान की तरफ देख रही थी ..उसके मन में तो फिल्मे बननी शुरू हो गयी थी जिसमे वो सुलेमान से चुद रही है और उसके अब्बू बेबस और लाचार से होकर सामने बैठे हुए देख रहे हैं ..ये सब सोचते हुए ही उसकी उँगलियों की लचक उसकी चूत में और ज्यादा हो गयी ..


इरफ़ान : "नूरी ...ये क्या बेहूदगी है ...कपडे पहनो ...जल्दी से ...''


नूरी : "अब्बू ...आप क्यों ज्यादा परेशान हो रहे हैं ...आप भी जानते हैं की ये जो बोल रहा है वो कर भी सकता है ..आप एक काम करो ..आप नीचे जाओ ..और दूकान संभालो ..मैं इसे संभालती हु ..''


अपनी फूल जैसी बेटी के मुंह से रंडियों जैसी बातें सुनकर इरफ़ान को ऐसा लगा की ब्लड प्रेशर से उसका दिमाग फट जाएगा ..पर जो भी था, होना तो आखिर में वही था, जो सुलेमान चाहता था ..उसे चाहे इस बात पर गुस्सा आ रहा था की उसकी बेटी को कोई गली का लड़का चोद रहा है ..पर नूरी ने संयम से काम लेते हुए वो डिसाइड भी कर लिया था ..इरफ़ान फिर से एक बार खून का घूँट पीकर रह गया ..

नूरी ने सुलेमान को कोने में रखे हुए सोफे की तरफ चलने का इशारा किया ...क्योंकि बेड पर उसकी चूत से निकले अब्बू के रस की वजह से काफी गीलापन आ चुका था ..और वहां जाकर वो लेट गयी ..

इरफ़ान ने थके हुए क़दमों से कोने में पड़ा हुआ अपना कुरता उठाया और बाहर की तरफ जाने लगा ..उसे जाता हुआ देखकर सुलेमान ने बिना उसकी परवाह किये अपने कपडे उतारना शुरू कर दिए ..


अपनी टी शर्ट और फिर जींस को एक ही झटके में उतारने के बाद उसके अंडरवीयर में बना हुआ उभार देखकर नूरी तो जैसे पागल ही हो गयी ...उसने सुलेमान को अपनी तरफ खींचा और अंडरवीयर के ऊपर से ही उसके लंड के ऊपर कट्टी मार ली ..


इरफ़ान की कमर थी उनकी तरफ, और वो धीरे -2 सीडियो की तरफ बढ़ रहा था ..सुलेमान की सिसकारी सुनकर उसने धीरे से अपना सर पीछे किया तो अपनी बेटी का ये रूप देखकर वो भी दंग रह गया ..नूरी को देखकर उसे लग ही नहीं रहा था की उसके साथ कोई गलत काम हो रहा है ..वो तो उसे एन्जॉय कर रही थी ..और वो ठिठक कर वहीँ दरवाजे के बाहर खड़ा हो गया ..और उसके रुकने का उन दोनों पर कोई प्रभाव नहीं था ..वो दोनों तो एक दुसरे में मस्त थे ..खासकर नूरी, जो अपने अब्बू के लिए अपने आप को 'कुर्बान' कर रही थी .


नूरी ने एक ही झटके में सुलेमान के सुलेमानी लंड को आज़ाद कर दिया और वो उसके चेहरे के सामने सलामी देने लगा ..


नूरी ने उसे प्यार से देखा उसे लिटा कर और बड़ी ही नजाकत से उसके लंड को अपने मुंह में लेकर ठंडक का एहसास दिया ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म्म्म ...नूरी .........स्स्स्स्स्स्स्स्स ....सा ली ......कुतिया .... ''

अभी थोड़ी देर पहले जिस सुलेमान को इरफ़ान गलियां दे रहा था वही अब उसकी बेटी के मुंह में लंड पेलकर उसे गालियाँ दे रहा था ..वक़्त भी इंसान को कैसे पलट कर वार करता है ..


पर जिस नूरी को उसने आज तक दुनिया की नजरों से बचाकर रखा था और आज खुद उसकी चुदाई भी कर चूका था ..उसे किसी और से इस तरह से चुदत देखकर ना जाने क्यों उसे कुछ हो रहा था ..पहले तो गुस्सा आ रहा था पर नूरी को इस तरह से सुलेमान का लंड चूसते देखकर उसके अन्दर लंड के अन्दर भी कुछ -२ होने लगा था ..


तभी सुलेमान की नजरें इरफ़ान पर पड़ गयी ...और वो हँसते हुए बोला : "अरे चचा ....देखना ही है तो आराम से अन्दर आकर देखो ...मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है ... हा हा ..''


नूरी ने भी चोर नजरों से अपने अब्बू को देखा , दोनों की नजरें एक पल के लिए चार हुई ..पर फिर एकदम से नूरी ने अपनी नजरें घुमा ली और फिर से सुलेमान के लंड को चूसने लगी ..जैसे कह रही हो 'ओहो अब्बू ...अब जाओ भी ..ऐसे ही देखते रहोगे क्या ..'


इरफ़ान थके हुए क़दमों से नीचे की तरफ चल दिया ..और दूकान खोलकर वहां बैठ गया ..



उसके जाते ही सुलेमान ने नूरी को ऊपर उठाया और उसके गुलाबी होंठों को जोर -२ से चूसता हुआ उसके अधरों का रस पीने लगा ..


नूरी : "अरे वाह मेरे चीते ...तूने तो आज कमाल कर दिया ...मेरे अब्बू के सामने ही मुझे पाने का जो तरीका अपनाया, वो वाकई काबिले तारीफ है ..और आज तेरी इसी बात से खुश होकर नूरी पूरी मस्ती में चुदेगी ....बोल क्या करू में तेरे लिए ..''


दोस्तों , अगर कोई नंगी लड़की सामने लेटकर ऐसा बोले की क्या करू तेरे लिए तो समझ लो आपसे बड़ा ही-मेन कोई नहीं है उसकी नजरों में ..


सुलेमान : "तू तो बस मुझे आज खुश कर दे ...अपनी चूत से भी ...और गांड से भी ..''


नूरी ने हँसते हुए उसके लंड को मसला और बोली : "साले ...मुंह तो चोद ही चूका है आज तू मेरा ...बाकी के दोनों छेद भी चोद डाल ... आज नूरी पूरी तरह से तेरी है ..जहाँ से चाहे मार ले ..''


इतना कहकर वो चादर की तरह बिछ गयी ..


सुलेमान को बड़ी प्यास लगी थी , इसलिए वो सीधा नूरी की चूत से निकल रहे झरने के नीचे पहुँच गया और वहां मुंह लगा कर अपनी प्यास बुझाने लगा ..

सुलेमान के दांये हाथ की तीन उँगलियाँ अन्दर से खोद कर उसकी चूत का अमृत बाहर निकाल रही थी और वो अपनी जीभ से उसे कुत्ते की तरह से पी रहा था ..

नूरी ने उसके सर के बालों को पकड़ा और झटके दे - देकर अपनी चूत पर उसके होंठों को मारने लगी ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह ,,........साले ........कुत्ते ......चाट .....मेरी चूत को अपनी जीभ से ......भेन चोद ....''

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