गर्ल'स स्कूल compleet
Re: गर्ल'स स्कूल
मुस्कान भी तैयार होकर मैदान में आ गयी... उसने राज की पॅंट खोली और उसको खींच कर घुटनो से नीचे कर दिया ओर...वोराज की टाँगों के नीचे कंबल पर अपने चूतड़ टीका कर बैठ गयी और राज के अंडरवेर में अपना हाथ डालकर उसका लंड नीचे निकाल लिया... लंड उपर उठने की कोशिश कर रहा था... पर ज़ोर से पकड़े हुए मुस्कान ने थोड़ा ऊँचा उठकर उसको अपने होंटो में ले लिया...लंड उसको गले से नीचे उतारना नही आता था... वह सूपदे को ही मुश्किल से मुँह में भर लिया... और उसका दूध पीने लगी.... राज की हालत बुरी होती जा रही थी... इश्स तरह का उसका भी पहला अनुभव था... और अपने दोनो हाथों में लड्डू और लंड मुस्कान के मुँह में... राज को अपनी किस्मत पर यकीन नही हो रहा था... दिव्या ने अदिति की चूत को चूस्ते चूस्ते ही अपना पैर सीधा किया और मुस्कान की चूत से लगा दिया... मुस्कान ने झट उसका अंगूत्हा अपनी चूत में सेट कर लिया और उठक बैठक लगाने लगी... दिव्या साथ ही साथ राज की जांघों पर हाथ फेर रही थी.... राज अदिति की छतियो पर से हटा और मुस्कान को नीचे लिटा दिया... उसने मुस्कान की टाँगो को उपर उठा कर खोल दिया... मुस्कान तो इश्स एक्शन के लिए कब की तरस रही थी... उसने झट से अपनी चूत को अपने एक हाथ की उंगलियों से खोल कर दिखाया... मानो कह रही हो... देखिए सर... कितनी प्यारी है... सच में ही उसकी चूत की बनावट गजब की थी...
राज ने अपना पॅंट को उतार फैंका और अदिति को मुस्कान के सिर की तरफ आने को कहा... अदित और दिव्या दोनो उधर आ गयी... राज के कहने पर अदिति ने उसकी दोनो टांगे पकड़ ली और दिव्या ने उसका मुँह बंद कर लिया... अपने मुलायम हॉथो से....
"देखना एक बार दर्द होगा... फिर मज़ा ही मज़ा है.. कहते ही राज ने अपना लंड चूत की दीवारों से लगाया और ज़ोर लगा दिया.. मुस्कान ने मारे दर्द के दिव्या की हथेली को काट खाया.. दिव्या दर्द से कराह उठी. उसने तुरंत ही मुस्कान के मुँह से अपना हाथ हटा लिया.. और उसकी छतियो को मसलनने लगी... अदिति अब तक उंगली अपनी चूत में डाल चुकी थी....
बहुत अधिक दर्द होने पर भी मुस्कान ने अपने आपको काबू में रखा; ये सोचकर की कहीं राज उसको छ्चोड़ कर अदिति को ना पकड़ लें... दर्द शांत होने पर अदिति और दिव्या ने मुस्कान को छ्चोड़ दियाँ और एक दूसरी की चूत में उंगली डाल कर तेज़ी से चलाने लगी.... राज के लंड के लिए खुद को तैयार करने लगी...
मुस्कान से ज़्यादा देर नही हुआअ.. वो 3-4 मिनिट में ही ढेर हो गयी... और लंड को बाहर निकालने की ज़िद करने लगी...
राज ने लंड बाहर निकाल लिया और अदिति को कुतिया बना लिया... राज उसके उपर चढ़ बैठा...अदिति की चूत गीली होकर टपक रही थी....
राज ने अदिति की गांद को अपनी जांघों के बीच दबा लिया... उसका सिर कंबल पर झुका हुआ था... राज के कहने पर दिव्या उसके मुँह के दोनो और अपनी टांगे फैलाई और लेट कर अदिति का मुँह अपनी चूत पर रख दिया... अदिति उसकी चूत को चाटने लगी.... मुस्कान अदिति के नीचे. घुसकर उसकी चूचियों को अपने मुँह में दबा लिया... राज ने सब सेट करके दिव्या को उसका मुँह अपनी चूत पर दबाने को कहा...
"उम्म्म्मममममममम!" जैसे ही राज के लंड ने अदिति की चूत को चीर कर रास्ता बनाया.. उसने हिलने और चीखने की लाख कोशिश की पर ना वा हिल सकी और ना ही चीख सकी... लंड धीरे धीरे झटके लेता हुआ उसकी चूत में पायबस्त हो गया... अदिति मॅन ही मॅन पचछता रही थी.. पर अब पछ्ताये हॉत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत... उसकी चीखें दिव्या की चूत में ही गुम होती गयी... तब तक जब तक की उसको मज़ा नही आने लगा और वो अपनी गांद से पीच्चे ढ़हाक्के लगाने लगी.. राज के इस्शारे पर दिव्या ने अदिति का मुँह आज़ाद कर दिया... अब चीखों की जगह उसके मुँह से कामुक सिसकारियाँ निकल रही थी.. मुस्कान से उसका मज़े लेना ना देखा गया.. वा बाहर निकली और बैठकर अपनी चूत में उंगली घुसाई.. गीली उंगली अदिति की कमर पर से लेजाकार उसकी गांद में घुसाने लगी... राज मुस्कान की कोशिश को समझ गया..
उसने अदिति को सीधा कर दिया.. मुस्कान की तरह ही उसकी टांगे उठाई और फिर से उसकी चूत में लंड से धक्के मारने लगा.. अब मुस्कान के लिए गांद में दर्द करना आसान था.. उसने अपनी उंगली नीचे से उसकी गांद में ठुस दी... पर इससने एक बार दर्द देकर अदिति के मज्र को और बढ़ा दिया... एक दो मिनिट के बाद ही वा भी चूत रस से नहा उठी.. राज को अभी दिव्या को भी निपटना था...
अदिति को छ्चोड़ करराज ने दिव्या को अपने नीचे दबा लिया... उसने बाकी दोनो को उठाकर दिव्या को भी पकड़ने को कहा... पर दोनों निढाल हो चुकी थी... नीचे लेटी हुई दिव्या की कमर के नीचे से हाथ निकल कर राज ने खुद ही उसको काबू में कर लिया... दूसरे हाथ से राज ने लंड को चूत के च्छेद पर सेट करके उस्स हाथ से दिव्या का मुँह दबा लिया... " बुसस्स एक बार..." अपनी बात को अधूरा ही छ्चोड़ते हुए राज ने जैसे ही अपने लंड का दबाव दिव्या की चूत पर बढ़ाया.. वह उन्न दोनो से ज़्यादा आसानी के साथ सर्र्ररर से चूत में उतरता चला गया... सिर्फ़ एक बार दिव्या की आँखें पथराई.. और वो नीचे से अपने चूतड़ उचकाने के लिए... राज समझ गया.. इसका मुँह बंद करना तो बेवकूफी है... उसने मुँह से हाथ हटाकर दिव्या की चूचियों पर रख दियाअ... और उन्हे मसल्ने लगा... दिव्या तो उन्न दोनो से भी ज़्यादा मज़े दे रही थी... हालाँकि वो अभी भी कुच्छ कुच्छ शर्मा रही थी पर उसके चूतदों की धर्कन राज के लंड के आगे पीछे होने की स्पीड से बिल्कुल मॅच कर रही थी... करीब 30 मिनिट से लगातार अलग अलग चूतो पर सवार सुनील का लंड बौखला गया था... ऐसा मज़ा तो उसको कभी मिला ही नही... आख़िरकार वा दिव्या की चूत से हार गया... और बाहर निकल कर दिव्या के पेट को अपने रस से मालामाल कर दियाअ... राज ने दिव्या के होन्ट मुँह में लेकर जैसे ही उसको ज़ोर से पकड़ा... वा भी आँखें बंद करते हुए राज से नाज़ुक बेल की भाँति लिपट गयी... आख़िरकार उसकी चूत ने भी कंबल पर अपने निशान छ्चोड़ दिए... राज का काम ख़तम होते देख वो दोनो भी उससे लिपट गयी....
कुच्छ देर ऐसे ही लेटी रहने के बाद उनको ठंड फिर से लगने लगी.. चारों ने अपने कपड़े पहने... कपड़े पहनते हुए.. तीनो राज को अपनी मादक नज़रों से धन्यवाद बोल रही थी... राज उनको अपने से चिपका कर बस की तरफ चल दियाअ... तीनो लड़कियाँ अलग अलग बस के पास गयी... राज बस से पहले ही कहीं बैठ गया.. कुच्छ देर बाद जाने के लिए... अब मुस्कान को अदिति से कोई जलन नही थी... वो हँसती हुई बस में चढ़ि तो कविता बड़े इतमीनान से पिच्छली सीट पर अपनी टाँगें फैलाए सो रही थी.....
उधर राज के जाने के बाद टफ की नज़रें सरिता को ढ़हूंढ रही थी...... करीब राज के जाने के 10 मिनिट बाद...
राज के जाने के बाद टफ प्यारी और सरिता में से किसी एक की ताक में बैठा था. पर प्यारी तो अंजलि के पास थी... मजबूरी मैं....! टफ अगर टीचर होता तो किसी भी लड़की के हाथों सरिता को बुला लेता... अचानक ही उसको एक आइडिया आया... वा अंजलि और प्यारी मेडम के पास ही जाकर खड़ा हो गया...
अंजलि ने उसको देखकर पूछा," राज जी कहाँ गये?" वा भी प्यारी को छ्चोड़ कर कब की 2 पल राज की बाहों में जाना चाहती थी....
"यहीं होंगे! शायद बस के दूसरी तरफ बैठहे हो" टफ को पता था राज किसी कबुतरि के साथ गया है... पर उसने जान बूझ कर झूठ बोला," वो भी आपको ही ढ़हूंढ रहे थे!"
टफ के मुँह से ये सुनकर अंजलि खुश हो गयी," हां मुझे भी उनसे बात करनी थी... मैं अभी आती हूँ..." कहकर वो चली गयी.
अंजलि के जाते ही टफ ने प्यारी के चूतदों पर चुटकी काट ली..," अपने ख़टमल के दुनक को भी नही पहचानती...."
प्यारी भी शाम से ही अपनी गांद की खुजली मिटाने की जुगत में थी...," ये साली प्रिन्सिपल मेरा पीचछा ही नही छ्चोड़ रही... कब का पानी टपक रहा है अंदर से, पता है तेरे को... कुच्छ हो नही सकता क्या?"
टफ ने नपे तुले शब्दों में कहा," अगर चुदवानी है तो उस्स तरफ अंधेरे में चली जाओ... मैं यहाँ सब सेट करके आता हूँ......
प्यारी देवी मुस्कुराइ और जाकर अंधेरे में खड़ी हो गयी.... जिस तरफ गौरी गयी थी...
उसके जाते ही टफ ने सरिता को ढ़हूंढा... और उसके सामने जाकर खड़ा हो गया... सरिता उसको अकेला देखते ही बस में जा चढ़ि... मरवाने के लिए...
टफ ने भी दायें बायें देखा और उसके पीच्चे बस में जा चढ़ा...," अरे बुलबुल! कहाँ उडद गयी थी... उसने जाते ही सरिता की दोनो चूचियों को पकड़ा और उनको मसालने लगा... सरिता ने दर्द के मारे अपनी एडियीया उठा ली....," क्या कर रहा है... जल्दी पीछे आअज़ा.. कर दे...
"टफ ने रहस्यमयी ंस्कान उसकी तरफ फैंकी," ऐसे नही करूँगा मेरी रानी... आज तेरे को बहुत बड़ा सर्प्राइज़ दूँगा.."
"क्या?" सरिता उत्सुक हो गयी..
टफ ने सिर खुजाते हुए कहा," तेरी मम्मी को चोदुन्गा पहले!"
"क्या?... " सरिता ने हैरानी से कहा," हाँ .. मुझे पता है वो ऐसी हैं.. पर किसी अंजान के साथ....!" नही ये नही हो सकता!"
टफ ने सरिता की जांघों में हाथ डालते हुए कहा," मैं उसकी गांद भी मार चुका हूँ... समझी... बोल तमाशा देखना है?
सरिता ने अविस्वास के साथ अपने मुँह पर हाथ रख लिया... पर तमाशा तो उसको देखना ही था... अपनी माँ को चुद्ते हुए देखने का तमाशा," हां! दिखाओ.. कहाँ है मम्मी?" सरिता ने उसके चूत को मसल रहे हाथ को हटाते हुए कहा...
"मैने उसको आगे भेज दिया है.. वो कुछ दूर जाकर खड़ी होगी.. मैं भी जा रहा हूँ.. मैं उसको पीछे नही देखने दूँगा... तुम बगैर आवाज़ किए पीछे पीछे आ जाना...."
कहकर बस से उतार कर उसी और चल दिया, जिस और उसने प्यारी को भेजा था... सरिता बस के दूसरी और से घूमकर आई और उससे दूरी बना कर चलने लगी.. अपनी मम्मी को चोद्ते हुए टफ को देखने की इच्च्छा बलवती होती गयी.....
टफ जल्द ही प्यारी के पास पहुँच गया.. उसने जाते ही प्यारी के कंधे पर अपनी बाह रख दी.. ताकि वो पीछे देखने ना पाए... ," बहुत देर लगा दी! कहाँ रह गया था?" प्यारी रोमांच से भारी हुई थी... ठंडी वादियों में चुड़ाने के रोमांच से...
टफ ने कोई जवाब नही दिया और उसको ऐसे ही दबाए आगे चलने लगा...
सरिता ने भी पीछे पीछे चलना शुरू कर दिया... चुपके चुपके...!
गौरी च्छुपति च्छूपति उस्स साए के पीछे जाती रही... साया कुच्छ दूर जाने के बाद ठिठका... उसको अहसास हुआ की उसके पीछे कोई है... जाने क्या सोचकर वो साया चलता रहा... गौरी उसके पीछे पीछे थी... वो काफ़ी दूर निकल आए.. रास्ते में राकेश ने एक की बजे दो को आते देखा... वो एक चट्टान की आड़ में खड़ा था ताकि कविता आए तो उसको धीरे से पुकार सके... पर जब उसने देखा की 2 आ रहे हैं तो उत्सुकतावास वो वहीं छिप गया और उनको अपनी बराबर से निकलते देख लिया... आअगे वाले को वो पहचान नही पाया पर पिछे वाली को देखते ही पहचान गया... उससने कंबल नही ओढ़ा हुआ था... राकेश गौरी को देखकर हैरान हो
गया.
जब वो बस से करीब आधा काइलामीटर नीचे की और आ गये तो अचानक वो साया पिछे भागा और उसने गौरी को दबोच लिया... गौरी कसमसाई... अचानक हुए इश्स हमले में वो हड़बड़ा कर कुच्छ कर नही पाई.. उसने कंबल ओढ़े उस्स शक्श की आँखों में झॅंका...
गौरी उस्स कंडक्टर के शिकंजे में अपने आपको पाकर बहुत डर गयी.. कंडक्टर भी उसको देखकर हैरान था... उसने राकेश को कविता की और इशारा करके जाते देखा था और वो इसीलिए राकेश के पीछे गया था की अगर वो दोनो कुच्छ करेंगे तो थोड़ा प्रसाद उसको भी ज़रूर मिलेगा.. रंगे हाहहों पकड़ लेने पर... पर उसको राकेश कहीं दिखाई ही नही दिया इतनी दूर आने पर.. तो वो गौरी को कविता समझ बैठा... सोच सोच कर ही उसके लंड की अकड़न बढ़ती जा रही थी... वो तय कर चुका था की पीछे आने वाली 'कविता' को वो चोद कर रहेगा... उसको विस्वास था की कविता जैसी मस्त लड़की जिसने बस में ही इतने मज़े दे दिए; वो मना क्या करेगी..
यही सोच सोच कर उसका शरीर वासना की आग में जल रहा था...
पर जब उसने कविता की जगह गौरी को देखा तो एक बार वो ठिठक गया... गौरी उसकी बाहों की क़ैद से निकलने के लिए छॅट्पाटा रही थी... कंडक्टर ने उसके चेहरे से हाथ हटा लिया...
गौरी को थोड़ी सी राहत मिली," तुम??? छ्चोड़ो मुझे..." वो डरी हुई थी... उसको अपनी जांघों पर कंडक्टर का लंड चुभता हुआ सा महसूस हो रहा थी....
उसको डर से काँपते देख कंडक्टर का हॉंसला बढ़ गया... उसने सोच लिया था... चाहे यहाँ से ही वापस भागना पड़े... इश्स हूर को चोदे बिना नही रहूँगा...," ज़्यादा चीक चीक करी तो जान से मार कर पहाड़ी से फाँक दूँगा साली... यहाँ क्या अपनी मा चुडाने आई थी मेरे पीछे... अपनी ही चूत तो मरवाने आई होगी..."
गौरी उस्स पल को कोस रही थी जब उसके दिमाग़ में राकेश और कविता का लाइव मॅच देखने की खुरापात उभरी... वो डर से काँप रही थी.. वो कंडक्टर से याचना करने लगी.. मरी सी आवाज़ में," प्लीज़ भैया मुझे छ्चोड़ दो... मैं तो कविता समझ कर आपके पीछे आई थी... मैं ऐसी लड़की नही हूँ... मुझे जाने दो प्लीज़.. मैं तुम्हारे पैर पड़ती हूँ...
"तू अपनी बकवास अपने पास ही रख... कविता को देखने आई थी... साली.. बहनचोड़.. मैं 6 फुट का तुझे कविता दिखता हूँ! अभी दिखाता हूँ तुझे अपना कविता" कंडक्टर ने अपना ताना हुआ लंड उसकी जांघों पर और ज़्यादा चुबा दिया... गौरी को वो लंड किसी पिस्टल से कम नही लग रहा था... जितना डर गन का गर्दन पर रखे जाने से लगता है... लगभग यही हाल उसकी चूत के पास जाँघ पर गाड़े हुए लंड को महसूस करके गौरी का हो रहा था...," नही! मैं मर जाउन्गि भैया! प्लीज़ मुझ पर रहम करो..."
कंडक्टर ने दूसरे रास्ते से उसको लाइन पर लाने की सोची," एक शर्त पर तुझे कुँवारी छ्चोड़ सकता हूँ.."
गौरी उसकी हर शर्त से माना करके उसके मुँह पर थूकना चाहती थी.. पर उसके पास और कोई चारा ही ना था...," क.. कैसी .. शर्त?"
गौरी उसकी बाहों में ही कसमसा रही थी.. उसकी चूचियाँ कंडक्टर की छति से लगी हुई थी.... राकेश चुपचाप खड़ा होकर आन वक़्त पर एंट्री मारने की सोच रहा था... वो यही चाहता था की किसी तरह कंडक्टर उसके कपड़े निकलवा दे एक बार... फिर वो खुद ही सब संभाल लेगा...
तुमको एक बार अपने सारे कपड़े निकालने होंगे...
कंडक्टर की शर्त सुनते ही गौरी सिहर गयी... उसके सामने कपड़े निकलना तो अपनी इज़्ज़त लुटाने जैसा ही था... माना वो थोड़ी सी ठारकि और सेक्सी टाइप की थी पर आज तक कभी उसने सोचा तक ना था की कोई यूँ उसके कपड़े निकालने को कह देगा.. वो तो हमेशा ही एक राजकुमारी की तरह सोचा करती थी... की कोई राजकुमार आएगा और उसको लेकर जाएगा... ये शर्त वो अपनी मर्ज़ी से कभी भी नही मान सकती थी," नही! मैं ऐसा नही कर सकती!" कंडक्टर के नरम पड़ जाने पर उसके जवाब में भी थोड़ी सी हिम्मत आ गयी थी..
"तो क्या कर सकती हो..? कपड़े सारे नही निकल सकती तो कम से कम कमीज़ ही निकल दो..." कंडक्टर गौरी का गड्राया जवान जिस्म देखकर पिघलता जा रहा था...
" नही प्लीज़.. मुझे जाने दो... अभी नही.. मनाली जाने के बाद.. पक्का!"
कंडक्टर को भी लग्रहा था की वो कुच्छ कर नही पाएगा... एक तो डर था... दूसरे रोड पर और तीसरा... गौरी के जिस्म की गर्मी से उसका रस निकलने के लिए तड़प रहा था...," ठीक है.. बस एक काम कर दो..."
"क्या?"
"तुम नीचे बैठ जाओ!" कंडक्टर ने अपना लंड सहलाते हुए कहा...
"क्यूँ?" गौरी ने इंग्लीश फिल्मों में गर्ल्स को लंड चूस्ते देखा था... उसका भी बहुत मॅन था ऐसा करने का.. पर अपने राजकुमार के साथ... और कंडक्टर में से तो उसको वैसे भी बदबू आ रही थी...
"अब मैने तुमको ना चोदने की बात मान ली है तो ये मत सोचो की मैं शरीफ हूँ... याद रखना अगर एक बार भी अब मैने तुम्हारे मुँह से और 'ना' या 'क्यूँ' सुना तो नीचे फैंक दूँगा साली को..." कंडक्टर फिर उफान गया...
गौरी सहम गयी... वो तो भूल ही गयी थी की वो एक गहरी खाई के पास बैठी है.. और ये कंडक्टर कुच्छ भी कर सकता है... वो कंडक्टर के चेहरे की और देखती हुई सी नीचे बैठ गयी.... कंडक्टर की पॅंट का उभार उसकी आँखों के सामने था...
Re: गर्ल'स स्कूल
कंडक्टर ने झट से अपनी पंत की ज़िप खोल दी... कच्च्चे में से साँप की तरह फुफ्कर्ता हुआ कला लंड गौरी की आँखों के सामने झहहूल गया.. गौरी दरकार पिच्चे गिर गयी..," बैठो!" कंडक्टर ने आदेश सा दिया...
गौरी मारती क्या ना करती वो फिर से बैठ गयी, पर उसने मुँह दूसरी और घुमा लिया...
यहाँ तक का सीन देखने के बाद अब राकेश को और देर करना ठीक नही लगा... वो गौरी की सील तोड़ना चाहता था... वा एक दम से झाड़ी के पीछे से निकल कर गुर्राया," क्या कर रहे हो?"
आवाज़ सुनते ही दोनो सुन्न रह गये... कंडक्टर का लंड एकद्ूम छ्होटा होकर एपने आप ही अपनी मांद में घुस गया.. उसने झट से अपनी ज़िप बंद करी..
गौरी को तो जैसे साप सूंघ गया.. उसकी गर्दन नीचे झुक गयी. उसने देखने तक की हिम्मत नही की आख़िर है कौन. उसने बैठहे बैठे ही अपनी नज़रें ज़मीन में गाड़ ली..
राकेश ने आते ही एक झापड़ कंडक्टर के मुँह पर दिया.. साले, बेहन चोद.. मैं सिखाता हूँ तुझे.. उसने पास पड़े लट्ठ को उठाया ही था की कंडक्टर भाग खड़ा हुआअ मैदान छ्चोड़ कर...
कुच्छ दूर जाकर वा रुक गया और आराम से चलने लगा.. उसको मालूम था की अब वो लड़का उसको चोदेगा.. इसीलिए डरने वाली कोई बात नही थी.. अचानक उसको सड़क से कुच्छ ही दूरी पर एक आदमी और एक औरत की हँसने की आवाज़ सुनी... उत्सुकतावास वा पगडंडी से दिखाई दे रहे रास्ते पर उतार गया.. कुच्छ नीचे उतरने पर आवाज़ें सपस्ट होने लगी..." साली उस्स दिन तेरी गांद का जो हाल किया था उसको भूल गयी... आज तेरी मा दादी बेटी सब एक साथ कर दूँगा... " टफ प्यारी देवी से कह रहा था.. "
"कर्दे ना मेरे राजा.. सारी रात निकल गयी.. उस्स बहनचोड़ अंजलि की गांद ना आती तो साथ में.. मैं तेरी गोद में ही बैठकर आती.." कहकर प्यारी ने टफ का लंड मुँह में ले लिया.....
कंडक्टर की तो जैसे उस्स दिन लॉटरी लगनी ही थी.... उसने देखा.. एक औरत उनको च्छुपकर देख रही है.. सब करते हुए... दबे पाँव उसने जाकर देखा.. ये तो कोई लड़की है..
कंडक्टर ने उस्स लड़की को ही अपना शिकार बनाने की सोची.. धीरे से पीछे जाकर उसने लड़की के मुँह को दबा लिया..पर उसका हाथ उसके मुँह की बजे उसके नाक के उपर रखा गया...," ऊईीईई माआ!" सरिता की अचानक की गयी इश्स हारकर से चीख निकल गयी.....
टफ और प्यारी दोनो चौंक पड़े... प्यारी ने अपनी बेटी की आवाज़ पहचान ली... टफ ये सोच रहा था की आख़िर सरिता ने चीख क्यूँ मारी.. सब समझाया तो था की कब आना है... कंडक्टर बेचारा यहाँ से भी भाग गया...
"आ जाओ सरिता!" टफ ने सरिता को पास बुला लिया... सरिता को जैसे पता नही क्या मिल गया हो.. ," मम्मी आप !"
प्यारी को कुच्छ कहते नही बन पा रहा था..," बेटी वो ये सला मुझे ज़बरदस्ती घसीट लाया..!"
"हां वो तो मुझे दिख ही रहा है...मम्मी!"
"देख सरिता! मैने तेरी इतनी बातें च्छुपाई हैं.... अब अगर तू...!"
"मैं कुच्छ नही बतावंगगी मम्मी.. बस मैं तो... "
"आजा तू भी आजा! जब आ गयी है तो...
"चलो अब कुच्छ नही होगा.. वो सला कौन था पता नही.. हूमें जल्दी से बस के पास चलना चाहिए! क्या पता किसको ले आए." टफ ने अपनी पॅंट उपर की और प्यारी को भी उठा दिया.. दोनो बुत बनी उसके पीछे चली गयी........
गौरी और राकेश अकेले रह गये. गौरी शर्मिंदा थी... वो कुच्छ बोल नही पा रही थी... जैसे ही राकेश ने उसका हाथ पकड़ा; गौरी सपास्टीकरण देते हुए बोली," वो ज़बरदस्ती कर रहा था...!"
राकेश उसको लपेटने की कोशिश कर रहा था," तुम यहाँ आई ही क्यूँ? अकेली!"
गौरी के पास कोई जवाब नही था... कैसे उसको ये बताती की वो तो कविता और उसको रंगे हतह पकड़ने आई थी... और पकड़ी गयी खुद वो.... वो चुप चाप खड़ी थी...
"आइ लव यू गौरी!" जैसे राकेश के पास कुच्छ भी कहने का पर्मिट था..," मैं तुमसे फ्रेंडशिप करना चाहता हूँ....
गौरी ने अपना हाथ उसकी और बढ़ा दिया," ओ.के. वी आर फ्रेंड्स"
गाँव के लड़के; लड़की से दोस्ती को उसकी गांद मारने का लाइसेन्स समझ लेते हैं... जैसे ही गौरी ने फ्रेंडशिप करने को 'हां' कहा... राकेश ने अपने होंट उसकी और बढ़ा दिए... गौरी अपना हाथ बीच में ले आई...," ये क्या है"
"अभी तो तुमने कहा था की हम दोस्त बन गये...." राकेश को बहुत जल्दी थी... उसने फिर से कोशिश की...
"तो?" गौरी ने पीछे हट-ते हुए कहा... "हाँ हम दोस्त बन गये पर...." गौरी के सुर्ख लाल होन्ट दूसरे होंटो के मिलने से आने वाली बाहर से अंजान थे....
राकेश ने बुरा मुँह बनाते हुए कहा," ये क्या दोस्ती हुई...."
गौरी को लगा इश्स तरह शायद ये ज़बरदस्ती पर भी आ सकता है," ठीक है, मनाली जाने के बाद देखते हैं... यहाँ सब ठीक नही लगेगा"
राकेश शांत हो गया," .... पर एक पप्पी तो लेने दो.."
"गालों की...ठीक है!" गौरी की मजबूरी थी..
"ठीक है!" राकेश गालों की पप्पी से ही सन्तुस्त होने को तैयार हो गया...
राकेश के होंट गौरी के ज्यों ज्यों पास आते गये... गौरी के बदन की महक से वा पागल सा होने लगा... ऐसी खुश्बू तो उसने आज तक भी कभी नही सूँघी.. गौरी की छतिया होने वाली बात के बारे में सोचने से उपर नीचे होने लगी.... उसकी मदभरी चूचियाँ तो दूर से ही किसी को पागल कर सकती थी.. फिर राकेश तो उसके पास खड़ा था.. इतनी पास की अगर एक फूल भी दोनों की छतियो के बीच रख दे तो नीचे ना गिरे...
तभी राकेश को लगा की गालों की पप्पी में क्या रखा है.. अगर इसका विस्वास जीत लिया तो कल परसों में सारी ही आ गिरेगी बाहों में.. उसने उसकी गालों के करीब आ चुके अपने होंट वापस खींच लिए," मैं तो मज़ाक कर रहा तहा.." चलो चलते हैं..."
गौरी ने इश्स तरह का व्यवहार करने पर उसको अचरज से देखा... निशा ने तो उसको उस्स लड़के के बारे में कुछ और ही बताया था... राकेश के पिछे चल रही गौरी ने अचानक उसका हाथ पकड़ लिया... राकेश एक दम से घूम गया... उसको लगा की अभी वो उसको कह देगी... की मेरे साथ कुच्छ भी कर लो.. पर उसकी सोच ग़लत थी. गौरी ने प्यार से देखते हुए राकेश को कहा," राकेश! किसी को कुच्छ मत बताना प्लीज़..
"नही बतावँगा.. तुम्हे मेरा नाम कैसे मालूम है?"
"बस ऐसे ही... वो अलग अलग हो गये और पहले गौरी फिर राकेश बस तक पहुँच गये... किसी बंदे/बंदी ने उन्न दोनो को ही आते देख लिया... वो सोच रहा था... ये दोनो अभी तक किधर थे..
बस के पास ही आग जली हुई थी और सब ठंड में उसके चारों और बैठह कर किसी तरह रात काट रहे थे....
तभी गाड़ी स्टार्ट होने की आवाज़ हुई... ड्राइवर ने नीचे आकर कहा," गाड़ी ठीक हो गयी है... जल्दी बैठो!" उसका लंड तो ठंडा हो ही चुका था... अब ठंड में रहने का क्या फायडा....!
सभी खुस होकर बस में बैठ गये... पर अब की बार कुच्छ सीटो की अदलाबदली हो गयी थी.......
बस में कुच्छ ज़्यादा ही बदलाव नज़र आ रहा था... राज अंजलि की नाराज़गी देखकर अंजलि के पास जाकर पसर गया... प्यारी को तो जैसे इश्स बात का इंतजार था... प्यारी टफ की सीट की और बढ़ी... पर सरिता ने ऑब्जेक्षन किया," ये मेरी सीट है मम्मी" मम्मी ने उसको घहूर कर देखा पर सरिता मान'ने को तैयार ही नही थी... दोनो के झगड़े का फायडा निशा ने उठा लिया... क्यों झगड़ा कर रहे हो आपस में, वो कहते हुए टफ के पास जा बैठी... इश्स पर दोनो मा बेटी जैसे निशा को खाने को दौड़ी... अंत में फ़ैसला ये हुआ की सरिता अपनी मम्मी की गोद में बैठेगी... सब उनकी हालत पर हंस रहे थे पर दोनो अधूरी ही आ गयी थी, इसीलिए किसी ने भी परवाह नही की...
इसी बीच निशा जब टफ के पास जा रही थी तो राकेश गौरी की बराबर में बैठ गया... गौरी कुच्छ ना बोल सकी...
कविता थॅकी हारी और मज़े लेने के मूड में नही थी. वो जाकर मुस्कान के पास बैठ गयी... निशा को मजबूरन कंडक्टर के पास बैठना पड़ा... गाड़ी फिर से टेढ़े मेधे रास्तों पर चलने लगी.....
टफ को भी प्यासा ही वापस आना पड़ा था... उसने सरिता के चूतदों के नीचे हाथ दे दिया... प्यारी की गोद में होने की वजह से सरिता की गांद को कपड़े के उपर से कुरेदते हुए बार बार प्यारी की चूत को हिला रहा था... दोनो मस्त थी...
अंजलि ने राज के पास बैठते ही अपना गुस्सा दिखना शुरू कर दिया.. वो राज से हटकर, खिड़की से सटकार बैठ गयी... राज ने अपना बयाँ हाथ अपनी दाईं बाजू के नीचे से निकाला और उसके पेट पर गुदगुदी करने लगा.. थोड़ी देर तक तो वो हाथ हटाने की कोशिश करती रही फिर हंसकर राज के साथ चिपक कर बैठ गयी.. सारा गुस्सा भूल कर...
कंडक्टर नये पटाखे को देखते ही मचल उठा... वो निशा को कविता समझ बैठहा और अपने हाथ से उसकी छति भींच दी.. निशा उठी और एक ज़ोर का तमाचा कंडक्टर को रशीद कर दिया... सबका ध्यान एकद्ूम से आगे की और गया," क्या हुआ निशा?" राज और अंजलि ने एक साथ पूचछा...
"कुच्छ नही सर!" बेचारी क्या बताती... उठकर आई और गुस्से से राकेश को कहा," मेरी सीट से उठ जाओ"
राकेश मौके की नज़ाकत समझ कर चुप चाप उठा और आगे चला गया....
चलते चलते करीब सुबह के 4:30 बजे गाड़ी होटेल के सामने रुकी.....
सभी नींद में डूबे हुए थे.... राज ने 13 कमरों की पेमेंट करी सभी को उनके कमरे दिखा दिए... एक कमरे में 4 लड़कियाँ थी... अंजलि और प्यारी का रूम अलग था... राज और टफ और राकेश का अलग..... राज ने जानबूझ कर राकेश को आळग कमरा दिलवा दिया... ड्राइवर और कंडक्टर के रूम की बराबर में... इश्स तरह कुल 15 कमरे बुक हो गये 3 दिन के लिए... सभी अपने अपने कमरों में जाकर सो गये!
सुबह उठ कर सब नाश्ते के बाद मनाली घूमने चले गये... पहले शाम तक मार्केट में घूमें और हिडिंबा का मंदिर देखा... करीब 4 बजे वो होटेल में लौटे और खाया पिया... सभी लड़किया जो पहली बार बाहर घूमने निकली थी... बड़ी ही खुस थी... एक बात की चर्चा हर जगह थी... राज और मुस्कान में कुच्छ हुआ है.. और टफ और सरिता में भी कुच्छ है... असली चक्राउः जो रचा जा रहा था उसका किसी को अहसास नही था...
टफ ने मौका देखकर राज से पूचछा," यार! तुझे मज़ा आ रहा है...!"
राज ने सामानया बन'ने की आक्टिंग करते हुए कहा," हां! आ रहा है! क्यूँ?
"क्यूँ झहूठह बोल रहा है यार!" मुझे सब पता है.. तेरा अंजलि मेडम के साथ कुच्छ सीन है..."
राज ने लुंबी साँस लेते हुए कहा," नही यार.. ... मतलब हां है... पर क्या हो सकता है.."
टफ ने लगभग उच्छलते हुए कहा," हो सकता है मेरे यार. तू आज रात अंजलि को अपने पास बुला ले!"
राज ने गौर से टफ को देखा," और प्यारी मेडम का क्या करेंगे!"
"अरे में प्यारी के लिए ही तो यहाँ आया हूँ... सोच ले मेरा भी काम हो जाएगा तेरा भी..."
राज बहुत खुश हुआ...," तूने तो कमाल कर दिया यार... अब आएगा टूर का मज़ा!"
कुच्छ देर बाद राज ने मौका देखकर गौरी को रोका," गौरी; लाइव मॅच देखना है क्या?"
गौरी लाइव मॅच देखने के लालच का नेतीजा रात को भुगत चुकी थी," कैसे?"
"तू चिंता ना कर! रात को मेरे कमरे में आ जाना 10 बजे के बाद..."
गौरी ने उत्सुकता से पूचछा," किसके साथ?"
"वही... तेरी मम्मी के साथ!" राज मुस्कुराया...
गौरी इतनी खुश हुई की वो उच्छल पड़ी.. ओक सर....मैं 10 बजे के बाद आ जाउन्गि...
उधर टफ ने भी सरिता को सब कुच्छ समझा दिया...
सरिता अपनी बात एक बहुत ही खास सहेली को बता दी... कामना... वो उसके साथ ही पढ़ती थी और बहुत ही गरम आइटम थी....
तो भाई लोगो इस पार्ट का भी यही एंड करना पड़ेगा क्योकि कहानी अभी बहुत बाकी है बाकी कहानी अगले पार्ट मैं तब तक के लिए विदा
लकिन दोस्तो कहानी पढ़ने के बाद एक कमेंट दे दिया करो मैं भी खुश हो जाउगा तो फिर देर मत कीजिए अपना कमेंट देने मैं
Re: गर्ल'स स्कूल
गर्ल्स स्कूल--15
करीब 9:30 बजे थे, टफ प्यारी मेडम के कमरे में गया," अंजलि जी, आपको राज भाई बुला रहे हैं..."
अंजलि को पता था.. राज क्यों बुला रहा है... वा शरमाती हुई सी उठी," वा नही आ सकते थे.. " कहकर कमरे से बाहर निकल गयी...
अंजलि के बाहर जाते ही टफ ने दरवाजा बंद कर दिया... प्यारी यह देखकर घबरा सी गयी," ये क्या कर रहे हो? वो अभी आ जाएगी..."
टफ ने प्यारी की बाँह पकड़ कर अपनी और खींच लिया," आंटी जी! कोई नही आएगा अब! समझो मैने रूम शिफ्ट कर लिया है... अब तीनो दिन ऐश होगी!"
"क्या सच में! वो राज के पास रहेगी?"
टफ ने प्यारी को पलट कर उसकी गांद पर अपने दाँत गाड़ा दिए...," और क्या तुम ही मज़े ले सकती हो...! अंजलि की चूत में खुजली नही हो सकती"
प्यारी अपनी गांद पर भरे गये टफ के जोरदार 'बुड़के' से तिलमिला सी गयी..," आाआईयईई अपनी मा की..... तुझे दर्द देने में मज़ा आता है क्या... ... मैं तो अंजलि से यूँही डरती थी... अगर मुझे पता होता की वो भी... तो मैं बस में ही ना खा लेती तेरा......"
टफ उसको गरम करने मैं लग गया... वो सरिता का वेट कर रहा था...
उधर जैसे ही अंजलि राज के कमरे में गयी.. वो दरवाजा बंद करना ही भूल गयी... कब से अपने नये यार से मज़े लेने को उसका बदन तैयार हो चुका था... वा भागती हुई सी बेड पर लेटी राज के उपर गिर पड़ी...," कितना तदपि हूँ में तुम्हारे लिए.... उसने राज के होंटो को अपनी जीभ से तर कर दिया और फिर उनको चूसने लगी... राज ने अपने हाथ उसकी गांद के मस्त उभारों पर चलाने शुरू कर दिए... अंजलि ने उपर चढ़े चढ़े ही अपनी टांगे मोड़ कर अपनी गांद को उभर लिया... ताकि राज और अंदर तक उसको छू सके.....
टफ के दरवाजे पर दस्तक हुई... प्यारी चौंक कर अपने आपको समेटने लगी... वो अपना कमीज़ और ब्रा निकल चुकी थी... उसकी मोटी मोटी कसी हुई चूचियाँ टफ के थूक से गीली हो रखी थी...," कौन है.. जल्दी हटो! मैं बाथरूम नें जाती हूँ!"
टफ ने खींच कर उसको बेड पर ही गिरा दिया.. यहीं लेटी रहो मेरी जान... तेरी ही औलाद है.. मैने बुलाया था.."
प्यारी शर्म से लाल हो गयी," तो क्या तू मुझे मेरी बेटी के सामने ही चोदेगा?" वो बेड पर ही बेशर्म होकर पड़ी रही..."
टफ दरवाजे की चितकनी खोलते ही प्यारी की और घूम गया," अरे नही.. तू तो आधी बात कह रही है... तेरी बेटी को भी चोदुन्गा तेरे सामने!" उसने प्यारी के चेहरे की और देखा... उसकी आँखें जाम गयी थी दरवाजे पर... टफ अचानक पिछे घूमा... दरवाजे पर कामना खड़ी थी... बला की सेक्सी लड़की...," सॉरी मेडम, मैं तो ये कहने आयो थी की सरिता दिखाई नही दे रही... कहीं आपके साथ तो नही!"
टफ एक बार तो हिचका, फिर उसको अंदर खींच कर दरवाजा बंद कर लिया...," हां! सभी आइटम यहीं पर मिलते हैं... कुछ चाहिए क्या?"
प्यारी देवी की हलाक में साँस अटक गयी... अब तो बात गाँव में फैल जाएगी," बेटी इधर आ किसी से कुछ कहना नही.. तू चाहे तो तू भी.... बहुत मज़े आते हैं... इश्स छ्होरे के साथ... "
कामना कुछ ना बोली, पर उसके गालों की लाली इश्स बात का सबूत थी की वो क्या चाहती है.. वो टफ के छ्चोड़ने पर भी वहीं खड़ी रही, नज़रें झुकाए!
उधर गौरी अपने कमरे से छुप कर बाहर निकली ही थी की जाने कब से उसकी ताक में बैठे राकेश ने उसका हाथ पकड़ लिया...," गौरी.. तुमने कहा था की मनाली जाने के बाद.. मेरा कमरा खाली है..." गौरी ने अपना हाथ झटका और तुनक्ते हुए जवाब दिया," तुमने क्या मुझे ," फॉर सेल' समझ रखा है... वो रंग बदल गयी....
राकेश पछता रहा था.. इससे अच्छा तो वो रात को ही उसको.... उसने तो ये सोचा था की उसको छ्चोड़ कर वो उसकी नज़र में हीरो बन जाएगा... पर.. वो उसको जाते देखता रहा... उसने देखा.. ये तो राज और टफ के कमरे में गयी है.... "वा वा... अब मैं बनावँगा इसको 'आइटम फॉर सेल..! बेहन की लौदी.." राकेश उसके अंदर घुसते ही कमरे की और गया.... लगभग बाकी सभी सो चुके थे... होटेल में सारे कमरे वो बुक कर चुके थे... चोवकिदार नीचे लेटा हुआ था... "नो रूम्स अवेलबल" का बोर्ड होटेल के बाहर लटक रहा था...
सरिता ने कामना को बता तो दिया था पर वा नही चाहती थी की उसकी मा और उसके मज़े में कोई बाधा पहुचाए.. कामना बात का पता चलते ही उससे चिपकी सी रहने लगी.. किसी भी तरह से वो उसका पीछा छ्चोड़ने का नाम नही ले रही थी... किसी तरह वो उससे बचकर राकेश के कमरे में भाग गयी थी और अब जाकर वहाँ से निकली थी... उसने देखा राकेश टफ के कमरे के आसपास मॅड्रा रहा है," भैया तुम्हे कोई बुला रहा है, तुम्हारे कमरे मैं...!"
"कौन!"
"जाकर खुद ही देख लो" सरिता ने शैतानी के साथ मुस्किरते हुए कहा.
राकेश को लगा ज़रूर कोई लड़की होगी.वा जल्दी से अपने कमरे की और गया.. उम्मीदें बांधें...
उसके जाते ही सरिता ने दरवाजा खटखटाया... कामना ने दरवाजा खोला.. उसको देखते ही सरिता भौचक्की रह गयी,... तत्तूमम्म?"
कामना कुच्छ ना बोली.. सरिता अंदर घुस कर बोली," ये क्या है?"
"चिंता मत करो प्रिय! सबको सबका हिस्सा मिलेगा... कूल डाउन बेबी!" टफ ने प्यारी को अपनी गोद में बिठा रखा था... प्यारी भी अब खुल कर हंस रही थी.. शरम को खूँटि पर टाँग कर..!
दरवाजा बंद हो गया..
जब गौरी कमरे में अचानक घुसी तो राज और अंजलि एक दूसरे को चूम रहे थे बुरी तरह... अंजलि एक दम चौंकी.. पर राज ने उसको अपने उपर से उठने ना दिया..," ये अंदर कैसे आई?"
"तुमने ही दरवाजा खुला छ्चोड़ दिया" राज उसके शरमाये हुऊए चेहरे को अपने हाथो में पकड़े बोला... गौरी दरवाजा बंद कर चुकी थी... अपनी जिंदगी का पहला लाइव मॅच देखने के लिए... शायद खेलने के लिए नही...
राकेश अपने कमरे की और गया.. पर कोई दिखाई ना दिया... कौन हो सकता है.. शायद दिव्या ना हो..!" वा एक एक कमरे को खुलवा कर दिव्या को ढ़हूँढने लगा... एक कमरे में उसको दिव्या मिल गयी... ," तुम्हे अंजलि मेडम बुला रही हैं.. दिव्या... !"
दिव्या उठकर उसके साथ बाहर निकल गयी.. एक कोने में जाते ही राकेश ने उसको पकड़ लिया," मैं ही बुला रहा था दिव्या! चल ना खेल खेलते हैं... मेरे कमरे में.."
"पर मेरे कमरे वाली मुझे ढोँढते हुए आ गयी तो... मैं अपनी एक और सहेली को बुला लूँ!" फिर कोई नही आएगा.. बाकी तो सो चुकी हैं.."
"वो तैयार हो जाएगी..?" राकेश खुस हो गया.. एक से भली दो!"
"हां! मैने उसको बताया था.. वो कह रही थी.. कास मैं भी खेल पाती..."
"ठीक है तुम उसको मेरे कमरे में ले आओ... जल्दी..." कहकर राकेश अपने कमरे मैं चला गया....!
सरिता के अंदर आने के बाद कामना ने दरवाजा बंद कर दिया था... चारों में वही ऐसी थी... जो शर्मा रही थी.. कामना तिरछि निगाहों से ही टफ और प्यारी का हरकतें देख रही थी.. अभी तक टफ ने अपना कुछ नही निकाला था. वो सरिता के आने की ही वेट कर रहा था... सरिता के आने के बाद वो प्यारी से अलग हो गया.. प्यारी दोनो हाथों से अपनी चूचियाँ ढकने की कोशिश कर रही थी.. पर इतनी बड़ी चूचियाँ दयाएं बायें से निकल कर उसके प्रयासों का मज़ाक बना रही थी...
सरिता ने कामना को देखा," तुझे भी फंस्वाना है क्या..? देख ले बहुत दर्द होगा!" उसने कामना को डराने की कोशिश की..
पर कामना दर्द पहले ही झेल चुकी थी अपने ता उ के लड़के से... अब तो बस मज़ा ही मज़ा लेती थी वो.. उसने टफ के 'लोवर' की और दखा... वहाँ 90* का एंगल बना हुआ था.. ," हां! तुम करोगी, तो मैं भी करूँगी..." उसने कहा और शर्मा गयी... टफ ने उसके मस्त शरीर को देखा... ऐसे उँचे नीचे रास्ते देखकर वो भगवान को धन्नयवाद देने लगा... ," हे भगवान! मेरे किए गये पापों की ऐसी मस्त सज़ा! हेल टू यू, डियर गॉड!" वा उठा और कामना को अपनी बाहों में उठा लिया... उसका एक हाथ कामना की जांघों के नीचे और दूसरा उसकी कमर के नीचे से उसकी छतियो को छू रहा था... कामना ने अपनी आँखें मूंद ली... टफ ने उसको और उपर उठाया और उसके होंठो पर 'थॅंक्स' रसीद कर दिया... अपने होंटो से... कामना ने सिसक कर टफ को मजबूती से पकड़ लिया...
सरिता को अपने हिस्से का प्यार कामना पर लूट-ते देख सहन नही हुआ.. वा टफ के सामने आई और उसको घहूरने लगी," अच्च्छा! अब ऐसे बदल जाओगे... रात को तो मेरी चूत फाड़ने का वादा कर रहे थे" उसको अपनी नंगी मम्मी से शरमाने की कोई वजह दिखाई नही दी...
टफ ने कामना को आराम से बेड के नरम गद्दे पर डाल दिया... उसकी आँखें अभी भी बंद थी..
सरिता उच्छल कर टफ की गोद में जा चढ़ि.. उसकी बाहें टफ के गले में थी और उसकी टांगे टफ के दोनों और से उसके पिच्छवाड़े पर कैंची मारे लिपटी हुई थी.. सरिता को अपनी गांद के बीचों बीच टफ के लंड की सपोर्ट मिल रही तही.. सरिता ने वासना के आवाग में टफ के दाँतों पर काट लिया.. टफ चिल्ला पड़ा," रुक तो जा.. शांति कर ले.. अभी पता चल जाएगा.. दर्द कहते किसको हैं....
प्यारी को लगा जैसे 2 हसीनाओं के बीच उसका बुढ़ापा टफ को लुभा नही पा रहा.. उसने कंप्टिशन में रहने के लिए अपनी सलवार और पनटी भी उतार फैंकी...," इधर तो नज़र डाल ले मेरे राजा...," मैं भी बूढ़ी नही हुई" वो अपनी चूत को फैला कर टफ को उसकी चूत की लाली दिखा रही थी...
टफ की समझ में ही नही आ रहा था.. की शुरू कहाँ से करूँ...," अरे एक ही तो लंड है. किस किस की चूत में डालूं एक साथ... थोड़ा वेट नही होता क्या. ?"
कामना की चूत मे टफ के मुँह से लंड और चूत सुनकर गुदगुदी सी होने लगी... चीटियाँ सी चलने लगी.. उसका हाथ अपने आप ही उन्न चीटियों को मसालने लगा... सलवार के उपर से ही...
"ठीक है बड़ी से शुरू करता हूँ...तुम दोनो अभी वेट करो... इसकी आग बूझकर ही तुम्हारा हाल पूछुन्गा........
टफ बेड पर जाकर प्यारी देवी की जांघों के बीच बैठ गया वैसे तो उस्स-से कभी कंट्रोल होता ही नही था... पर उन्न दोनो लड़कियों को जी भर कर गरम करने के इरादे से उसने सबर करने की सोच ली... वो लड़किया तो पहले ही जल बिन मछ्ली की भाँति तड़प रही थी...
कामना टफ और प्यारी के बीच में कूदना चाहती थी पर हिम्मत उसका साथ नही दे रही थी.. वो अनानद के अतिरके में सरिता से लिपट गयी ताकि उसकी तड़प रही चूचियों को कुछ देर के लिए शांत किया जा सके... दोनों की छातियाँ एक दूसरी से चिपकी हुई थी, सरिता ने अपना हाथ कामना की सलवार में डाल दिया, ताकि वो भी बदले में उसकी चूत को छू कर थोड़ी राहत पहुँचा सके!