मौसी का गुलाम compleet

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raj..
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Re: मौसी का गुलाम

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 07:57

मौसी ने मुझे समझाया "अरे ये सिर्फ़ लड़कियों को ही भोगती है, चुदवाती कभी नहीं, इसलिए साली हरामी ऐसे टाइट है" अब तक ललिता अपने हाथ बेंच पर टेक कर उनके सहारे उचक उचक कर मुझे जोरों से चोदने लगी थी उसके छोटे पर कड़े और पुष्ट स्तन टेनिस बोल्ल जैसे उछल रहे थे उसके काले निपल वासना से छोटे जामुनों जैसे कड़े हो गये थे

शन्नो मौसी ने झुककर अपना एक निपल मेरे मुँह में दे दिया और चूसने को कहा खुद वह ललिता के सिर को अपनी हथेलियों में पकडकर उसकी आँखों में देखती हुई उसके होंठ चूमने लगी

ललिता ने मुझे बहुत देर चोदा साली मुझे बिना झडाये चोदने में माहिर थी आख़िर खुद झड गयी और मौसी के मुँह में अपनी जीभ डालकर चुसवाने लगी उसकी झडती चुनमूनियाँ मेरे लंड को गाय के थन जैसा दुह रही थी

मस्ती उतरने पर मौसी को कर वह खुशी खुशी मेरा लंड अपनी चुनमूनियाँ से निकालकर खडी हो गयी मेरा फनफनाया लंड बाहर आते समय पुक्क की आवाज़ आई मौसी ने अपना दूसरा निपल मुझे चूसने को दिया और ललिता को इशारे से पास बुलाया

वह साली अपनी मालकिन के मन की बात जानती थी पास आकर पैर फैलाकर मौसी के सामने खड़ा हो गयी और मौसी ने उसकी झडी चुनमूनियाँ को चाट चाट कर सॉफ कर दिया चुनमूनियाँ चाटने के बाद मौसी झुकी और मेरा लंड चाटकर और चूसकर अपनी प्यारी नौकरानी के गुप्ताँग का रस मेरे लंड से पूरा सॉफ कर दिया

अब मौसी मुझे चोदने को तैयार हुई मेरे लॅम्ड को अपनी चुनमूनियाँ में खोंस कर वह मेरे पेट पर बैठी और ललिता से बोली "ललिता रानी, अब मैं ज़रा अपने प्यारे बेटे को चोद लूँ, पहले तू मेरी चूची चूस, फिर तू भी इसके मुँह में अपनी छूट दे दे और चुसवा ले, देखें तेरा मसालेदार देसी रस इसे कैसा लगता है"

मेरा लौडा मौसी की गीली चुनमूनियाँ में आराम से समा गया और वह मुझे चोदने लगी उसके मोटे मोटे मम्मे और उनके बीच का मंगलसूत्र बड़े लुभावने तरीके से उछल रहे थे ललिता ने अपनी मालकिन के कहने पर उसके मम्मे मसलते हुए निपल चूसना शुरू कर दिए कुछ देर स्तन पान करवा कर मौसी ने उसे मेरे मुँह पर चढ जाने का आदेश दिया "इसे ज़रा अपना देसी माल तो चखा, आख़िर इसे भी तो पता चले कि इसकी मौसी क्यों अपनी नौकरानी की चूत की दीवानी है"


raj..
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Re: मौसी का गुलाम

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 07:58

ललिता आकर मेरे मुँह पर अपनी चुनमूनियाँ रख कर तैयार हो गयी अब तक मैं उसकी चुनमूनियाँ चूसने को बड़ा लालायित हो चुका था ललिता की झांते मौसी से छोटी और घूंघराली थीं काले पेट पर काली झांतें बड़ी प्यारी लग रही थीं उस साँवली चुनमूनियाँ में लाल लाल छेद और उसमें से टपकता सफेद रस देखकर मेरे मुँह में पानी भर आया

मेरी आँखों में झलक रही भूख को देखकर ललिता हँसकर मेरे मुँह में चुनमूनियाँ देकर बैठ गयी और मैं उस पूरी चुनमूनियाँ को मुँह में लेकर चूसने लगा उसका रस मौसी से बहुत अलग था, मानों एक अँग्रेज़ी शराब थी और दूसरी देसी ठर्ऱा भले ही उस उम्र में मैंने कभी शराब नहीं पी थी पर फिर भी यह मैं कह सकता हूँ ललिता का क्लिट भी एक छोटे कंकड़ जैसा कड़ा था और उसे मैं जब भी जीभ से चाटता तो साली उछल कर चीख देती

मौसी अब तक पीछे से ललिता के दोनों स्तन हाथों में लेकर धीरे धीरे मसल रही थी ललिता ने आख़िर मस्ती में मेरे मुँह को चोदते हुए अपना सिर घुमाया और गुहारने लगी "दीदी, ज़रा ज़ोर ज़ोर से मसलो मेरी चूचियों को, बहुत सताते हैं यह साले मम्मे मुझे कुचल डालो दीदी, सालों को पिलपिला कर दो"

मौसी ने भी ऐसे चुचियाँ मसली कि सुख और यातना की मिली जुली मार से ललिता सिसक सिसक कर तडपने लगी और अपना मुँह खोल कर अपनी जीभ मौसी को दिखाने लगी मौसी ने उस लाल जीभ को मुँह में पकड़ा और चूसने लगी, साथ ही दाँतों में दबाकर धीरे धीरे चबाने लगी मुझे अब दोनों मिलकर ऐसे ज़ोर से चोद रही थीं कि जैसे घुडसवारी कर रही हों बेंच भी चर्ऱ मर्ऱ चर्ऱ मर्ऱ करती हुई हिलने लगी

मैं झडने को मरा जा रहा था पर मेरी चुदैल एक्स्पर्ट मौसी के सामने मेरी क्या चलती मुझे बिना झडाये दोनों ने खूब मज़ा किया ललिता ने झड झड कर करीब कटोरी भर चिपचिपा देसी ठर्ऱा तो मुझे ज़रूर पिलाया होगा आख़िर मन भर कर झड कर दोनों रुकीं और उठ कर खडी हो गयीं

मौसी ने पहले मेरे लंड को ललिता से चटवाया "साली, चाट ले लंड को, मेरा रस उसपर लगा है, बेकार नहीं जाना चाहिए" फिर उसने ललिता से अपनी चुनमूनियाँ चुसवाई "इतना रस निकाला है मेरी चूत से इस लडके के लंड ने, तू ही पी ले मेरी रानी" ललिता अब झड झड कर बिलकुल ठंडी हो गयी थी और अपनी मालकिन की हर आग्या का पालन कर रही थी

मौसी ने अब मेरे बंधन खोले और कहा कि मैं सच में बड़ा प्यारा मुन्ना हूँ और मैंने उन दोनों को बहुत सुख दिया है इनाम के तौर पर मौसी ने मुझसे कहा "चल मेरे राजा बेटा, अब तुझसे ललिता की गान्ड मरवाती हूँ तुझे भी मज़ा आ जाएगा इस नालायक की टाइट गान्ड मारकर"

ललिता घबरा गयी और मुकरने लगी मैंने पहले ही देखा था कि उसका गुदा सच में काफ़ी सकरी था और उंगली डालने पर भी दर्द होता था वह अब धीरे धीरे सरकती हुई हमसे दूर जा रही थी और भागने का रास्ता ढुन्ढ रही थी मौसी समझ गयी और झपट से कस कर दबोच लिया "भागती कहाँ है रानी, काम बाद मे कर लेना गान्ड तो मरा ले, फिर चली जाना"

गिडगिडाती ललिता को धकेल कर मौसी बिस्तर पर ले गयी और उसे ओन्धे मुँह पटककर उसके हाथ पकडकर खुद उसके सिर पर बैठ गयी कि वह भाग ना सके ललिता की गान्ड में मेरा लंड ठूँसने की कल्पना ही मौसी को इतना उत्तेजित कर रही थी कि वह अपनी चुनमूनियाँ में खुद ही उंगली करने लगी और मुझसे ललिता पर चढ जाने को कहा

क्रमशः……………………


raj..
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Re: मौसी का गुलाम

Unread post by raj.. » 28 Oct 2014 08:44

मौसी का गुलाम---19

गतान्क से आगे………………………….

मैंने मौसी से पूछा कि गुदा चिकना करने के लिए क्या लगाऊ मौसी अब काफ़ी सेडिस्टिक मूड में थी बोली "नहीं राजा, साली की सूखी ही मारो, रोने दो दर्द से, बाद में देखना कैसे मस्त गान्ड मरवाएगी मादरचोद, फालतू में नखरा करती है"

मैंने एक क्षण भी इंतजार नहीं किया और ललिता के ओन्धे बदन पर चढ कर अपना बुरी तरह से सूजा सुपाडा उसकी भूरी ज़रा सी गुदा में पेलने लगा ललिता छटपटा उठी रोते हुए अपनी मौसी के नीचे दबे मुँह से अस्पष्ट आवाज़ में बोली "दीदी, मेरा छेद सचमुच बहुत सकरा है, दुखेगा, मत चोदो इसे, इसमें तो मैं कभी उंगली भी नहीं करती, तुम्हारे पैर पड़ती हूँ दीदी, मेरी गान्ड मत मारो और कुछ भी करवालो मुझसे मारना ही है तो कम से कम गान्ड के छेद को चिकना तो कर लो"

साथ ही अपनी गुदा को सिकोड कर वह मेरे लंड को बाहर ही रोकने की कोशिश करने लगी मैंने अपने हाथों से उसके चुतड अलग किए और सुपाडा अंदर उतार ही दिया असल में मेरा लंड अब इतना कड़ा हो चुका था कि लोहे के राड जैसा मैं उसे कहीं भी घुसा सकता था मेरी मार को ललिता की गान्ड ना सह सकी और जवाब दे गयी उसकी गुदा खुल गयी और सट्ट से मेरा आधा लंड अंदर चला गया

ललिता ऐसे तडपी जैसे कोई उसका गला दबा रहा हो उसने चीखने की भी कोशिश की पर मौसी ने उसका मुँह दबोच कर उसे चुप कर दिया मैंने फिर ज़ोर से अपना लौडा पेला और एक ही बार में जड तक लंड ललिता की गान्ड में उतार दिया मौसी भी मस्त होकर बोली "शाब्बास मेरे शेर, ऐसी मारी जाती है गान्ड, साली को अब ऐसे चोदो कि उसकी गान्ड फट जाए

मैं ललिता की गान्ड मारने लगा ललिता का गुदा उसकी चुनमूनियाँ से बहुत ज़्यादा टाइट था बल्कि मौसाजी की मर्दानी गान्ड से भी ज़्यादा टाइट था लंड को ऐसे ज़ोर से पकड़ा था कि सरकता ही नहीं था चिकनाई भी नहीं थी इसलिए घर्षण भी हो रहा था उस सूखी मखमली टाइट गरमागरम म्यान को चोदने में इतना आनंद आया कि क्या कहूँ


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