Hindi sexi stori मैं हूँ हसीना गजब की compleet

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rajaarkey
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Re: Hindi sexi stori मैं हूँ हसीना गजब की

Unread post by rajaarkey » 12 Nov 2014 13:05

मैं हूँ हसीना गजब की--पार्ट--9



गतान्क से आगे........................

उनके हाथ मेरे दोनो बूब्स को बुरी तरह मसल रहे थे. आईने मे
हमारा ये पोज़ बड़ा ही सेक्सी लग रहा था. उन्होने मेरे दोनो निपल्स
अपनी उंगलियों से पकड़ कर आईने की तरेफ खींचा. मेरे दोनो निपल्स
खींचाव के कारण लंबे लंबे हो गये थे. उनके मसल्ने के कारण
दोनो
बूब्स की रंगत सफेद से गुलाबी हो गयी थी. उनकी गर्म साँसे मैं
अपनी गर्देन पर इधर से उधर फिरते हुए महसूस कर रही थी. उनके
होंठ मेरी गर्देन के पीछे जहाँ से मेरे बॉल शुरू हो रहे हैं
वहाँ जा कर चिपक गये. फिर उन्हों ने मेरी गर्देन पर हल्के से
दाँत गड़ाए. उनके होंठ मेरी गर्देन पर घूमते हुए मेरे बाएँ कान तक
आए. वो मेरे लेफ्ट कान के उपर अपने होंठ
फिराने लगे. कान औरत का एक जबरदस्त एग्ज़ाइट्मेंट पॉइंट होता है.
मई उनकी हरकतों से उत्तेजित हो गयी. मैने अपने हाथों से अपनी
योनिको सख्ती से दाब रखा था. मेरे मुँह से उत्तेजना मे टूटे हुए शब्द
निकल रहे थे. मैने अपने होंठ को दन्तो मे दबा रखा था फिर भी
पता नही किस कोने से मेरे मुँह
से "आआआअहह… .म्‍म्म्ममममम… ..ऊऊऊओ" की आवाज़ें निकल रही थी.
फिर उसने कान पर अपनी जीभ फिराते हुए कान के निचले हिस्से को अपने
मुँह मे भर लिया और. हल्के हल्के से उसे दाँत से काटने लगे. मैने
उनके सिर को अपने हाथों से थाम रखा था. हुमारे बदन एक दूसरे से
सटे हुए संगीत की धुन पर इस तरह से थिरक रहे थे मानो दो
नही एक ही जिस्म हो. उन्हों ने मुझे अपनी ओर घुमाया और मेरे बूब्स
परअपने होंठ रख कर मेरे निपल्स को चूसने लगे. इसी तरह की
हरकतों की ख्वाहिश तो जब से मैने उन्हे पहली बार देखा तब से
मेरे मन मे थी. मुझे उनके साथ पॅरिस आने का निमंत्रण स्वीकार
करतेसमय ही पता था कि इस तौर मे हम दोनो के बीच किस तरह का
रिश्ताजन्म लेने वाला है. मैं उसके लिए शुरू से ही उतावली थी.मैने भी
उनको अपनी ओर से पूरा आनंद प्रदान करना चाहती थी. मैं भी उनकी
चूचियो पर झुक कर उनके छ्होटे छ्होटे निपल्स को अपने दाँतों से
कुरेदने लगी. मैने अपनी जीभ से उनके निपल्स को सहलाना शुरू
किया.
उत्तेजना से उनके निपल्स भी खड़े हो गये. मैं उनके
बालों से भरे सीने को सहला रही थी. मैने अपने दन्तो को उनके
सीने मे गाड़ा कर जगह जगह अपने दाँतों के निशान छ्चोड़ दिए.
मैने कुच्छ देर तक उनके निपल्स से खेलने के बाद अपने होंठ नीचे
की ओर ले जाते हुए उनकी नाभि मे अपनी जीभ घुसा दी. उसनकी नाभि को
अपनी जीभ से चाटने लगी. वो मेरे खुले बालों मे अपनी उंगलियाँ फिरा
रहे थे. फिर मैं घुटनो के बल उनके सामने बैठ गयी और उनके लिंग
को अपने हाथों मे लेकर निहारने लगी. मैने मुस्कुरा कर उनकी ओर
देखा. फिर मैने उसके लिंग के उपर से चाँदी को नीचे की ओर
खींचा.
उनके लिंग का गोल
मटोल टोपा बाहर निकल आया. मैने उसके टिप पर अपने होंठ लगा दिए.
एक छ्होटा सा किस लेकर अपने चेहरे के सामने उनके लिंग को सहलाने
लगी. उनके लिंग को अपने मुँह मे लेने की इच्च्छा तो हो रही थी लेकिन
मैं उनके द्वारा रिक्वेस्ट करने का इंतेज़ार कर रही थी. मैं उनके
सामनेये नही शो करना चाहती थी कि मैं पहले से ही कितना खेली खाई
हुई हूँ. "इसे मुँह मे लेकर प्यार करो. " "एम्म्म नही ये गंदा
है. "
मैने लिंग को अपने से दूर करने का अभिनय किया, "छि इससे तो
पेशाब भी किया जाता है. इसे मुँह मे कैसे लूँ? " " तूने अभी तक
पंकज के लिंग को मुँह मे नही लिया क्या? " " नही वो ऐसी गंदी
हरकतें नही करते हैं. " "ये गंदा नही होता है एक बार तो लेकर
देख. ठीक उसी तरह जैसे चोकोबार आइस्क्रीम को मुँह मे लेकर
चाटतीहो." मैने झिझकते हुए अपनी जीभ निकाल कर उनके लिंग के टोपे पर
फिराने लगी. मेरे
बाल खुले होने के कारण उनको देखने मे परेशानी हो रही थी.
इसलिए उन्हों ने मेरे बालों को पकड़ कर जुड़े के रूप मे बाँध दिया.
फिर मेरे चेहरे को पकड़ कर अपने लिंग को मेरी ओर ठेलने लगे. मैने
उनकी हरकत के समर्थन मे अपना मुँह खोल दिया. उनका लिंग आधा
अंदरजा कर मेरे गले के द्वार मे फँस गया.

"बुसस्स और नही जाएगा." मैने कहना चाहा मगर मुँह से
बस, "उम्म्म्मम
उम्म्म्म" जैसी आवाज़ निकली. इसलिए मैने उनके लिंग को अपने मुँह मे
लिएलिए ही उन्हे इशारा किया. वो अपने लिंग को अब आगे पीछे करने लगे.
मैं उनके लिंग को अपने मुँह से चोद रही थी. साथ साथ उनके लिंग
पर अपनी जीभ भी फिरा रही थी. "पूरा ले. मज़ा नही आ रहा है.
पूरा अंदर जाए बिना मज़ा नही आएगा." उन्हों ने अपने लिंग को बाहर
खींचा. "इतना बड़ा लंड पूरा कैसे जाएगा. मेरा मुँह मेरी योनि
जैसा तो है नही की कितना भी लंबा और मोटा हो सब अंदर ले लेगा."
मैने कहा. उन्हों ने मुझे उठाया और बिस्तर पर ले जाकर लिटा दिया.
मैं पीठ के बल लेट गयी. अब उन्हों ने मेरे बदन को कंधों से
पकड़ कर बिस्तर से बाहर की तरफ खींचा. अब मेरा सिर बिस्तर से
नीचे लटकने लगा था. "हाँ ये ठीक है अब अपने सिर को बिस्तर से
नीचे लटकाते हुए अपने मुँह को खोल." मैने वैसा ही किया. इस
पोज़िशन मे मेरा मुँह और गले का च्छेद एक सीध मे हो गये थे.
ससुरजी अब मेरे मुँह मे अपने लिंग को डालते हुए मुझसे बोले, "एक ज़ोर
की साँस खींच अंदर." मैने वैसा ही किया. वो अपने लिंग को अंदर

थेल्ते चले गये. उनका मोटा लंड सरसरता हुया गले के अंदर
घुसताचला गया. पहले तो उबकाई जैसी आई. लेकिन उनका लिंग फँसा होने के
कारण कुच्छ नही हुआ. उनका लिंग अब पूरा अंदर घुस चुका था. उनके
लंड के नीचे लटकते दोनो गेंद अब मेरे नाक को दाब रहे थे. एक
सेकेंड इस अवस्था मे रख कर उन्हों ने वापस अपने लंड को बाहर
खींचा उनका लिंग जैसे ही गले को खाली किया मैने आवने फेनफ्डो मे
जमी हवाखाली की और वापस साँस लेकर उनके अगले धक्के का इंतेज़ार
करने लगी. उन्हों ने झुक कर मेरे दोनो स्तनो को अपनी मुट्ठी मे भर
लिया और उन्हे मसल्ते हुए वापस अपने लिंग को जड़ तक मेरे मुँह मे
थेल दिया. फिर एक के बाद एक धक्के मारने लगे. मैं अपनी सांसो को
उनके धाक्को के साथ अड्जस्ट कर ली थी. हर धक्के के साथ मेरे
स्तनो को वो बुरी तरह मसल्ते जा रहे थे. साथ साथ मेरे निपल्स
को भी उमेथ देते. जैसे ही वो मेरे निपल्स को पकड़ कर खींचते
मेरा पूरा बदन धनुष की तरह उपर की ओर उठ जाता. काफ़ी देर तक
यूँ ही मुख मे लेने के बाद उन्हों ने अपना लिंग बाहर निकाल लिया. और
ज़यादा देर चूसने से हो सकता है मुँह मे ही निकल जाता. उनका लिंग
मेरी थूक से गीला हो गया था और चमक रहा था.
उनके उठते ही मैं भी उठ बैठी. उन्हों ने मुझे बिस्तर से उतार कर
वापस अपनी आगोश मे ले लिया. मैने उनके सिर को अपने हाथों से थाम
कर उनकी होंठों पर अपने होंठ सख्ती से दाब दिए. मेरी जीभ उनके
मुँह मे घुस कर उनकी जीभ से खेलने लगी. मैने अपने पंजे उनके
पैरों के उपर रख कर अपनी एडी को उपर किया जिससे मेरा कद उनके
कदके कुच्छ हद तक बराबर हो जाए. फिर मैने अपने दोनो स्तनो को
हाथोंसे उठा कर उनके सीने पर इस तरह रखा कि उनके निपल्स को मेरे
निपल्स छूने लगे. उनके निपल्स भी मेरी हरकत से एक दम कड़े हो
गये थे. मेरे निपल्स तो पहले से ही उत्तेजना मे तन चुके थे.

मैनेअपने निपल्स से उनके निपल्स को शहलाना शुरू किया. उन्हों ने मेरे
नितंबों को सख्ती से पकड़ कर अपने लिंग पर खींचा. "म्‍म्म्मम
सीमीईीईईईईई म्‍म्म्मम. तुम बहुत सेक्सी हो. अब अफ़सोस हो रहा है कि

तुम्हे
इतने दीनो तक मैने च्छुआ क्यों नही. ओफफफफफफफफफफो तुम तो मुझ पागल
कर डालगी. आआआअहह हाआअँ आइसे हीईीईईईईई " वो अपने लिंग को
मेरी योनि के उपर रगड़ रहे थे. कुच्छ देर तक हम एक दूसरे के
बदन को रगड़ने के बाद उन्हों ने मुझे बिस्तर के पास ले जाकर मेरे
एक पैर को उठा कर बिस्तर के ऊपर रख दिया. अब घुटनो के बल
बैठने की उनकी बारी थी. वो मेरी टाँगों के पास बैठ कर मेरे
रेशमी झांतों पर अपनी जीभ फिराने लगे. मुझे अपनी योनि पर हल्के
रेशमी बॉल रखना बहुत अच्च्छा लगता है इसलिए अक्सर मेरी योनि
छ्होटे छ्होटे रेशमी बालों से घिरी रहती थी. शायद उन्हे भी वहाँ
बाल देखना पसंद था इसलिए राज जी अपने दाँतों से मेरी सिल्की
झांतों को पकड़ कर उन्हे हल्के हल्के से खींच रहे थे. फिर उनकी
जीभ मेरे टाँगों के जोड़ पर घूमने लगी. उनकी जीभ मेरे घुटने
परसे धीरे धीरे आगे बढ़ती हुई मेरे टाँगों के जोड़ तक पहुँची.
उन्हों ने अपनी जीभ से मेरी चूत को उपर से चाटना शुरू किया. वो
अपने हाथों से मेरी चूत की फांकों को अलग करके मेरी चूत के
भीतरअपनी जीभ डालना चाहते थे. " नही. ऐसे नही. " कहकर मैने उनके
हाथों को अपने बदन से हटा दिया और मैं खुद एक हाथ की उंगलियों
सेअपनी चूत को खोल कर दूसरे हाथ से उनके सिर को थाम कर अपनी योनि
से सटा दिया. "लो अब चॅटो इसे. " उनकी जीभ किसी छ्होटे लिंग की
तरह मेरे योनि के अंदर बाहर होने लगी. मैं बहुत उत्तेजित हो गयी
थी. मैं उनके बालों को अपनी मुट्ठी मे पकड़ कर उन्हे खींच रही
थी
मानो उन्हे उखाड़ ही देना चाहती हौं. दूसरे हाथों की उंगलियों से
मैने अपनी योनि को फैला रखा था और साथ साथ एक उंगली से अपनी
क्लीत्टोरिस को सहला रही थी. मैने सामने आईने मे देखा तो हम दोनो
कीअवस्था को देख कर और अपने उपर कंट्रोल नही कर पायी और मेरे
बदन से लावा बह निकाला. मैने सख्ती से दूसरे हाथो की मुट्ठी मे
उनके बालों को पकड़े हुए उनके सिर को अपनी योनि मे दाब रखा था.
उनकी जीभ मेरी योनि से बहते हुए अमृत धारा को अपने अंदर समा
लेने मे व्यस्त हो गयी. काफ़ी देर तक इसी तरह चूसने के बाद जब
मेरी बर्दस्त से बाहर हो गया तो मैने उनके सिर को अपनी चूत से
खींच कर अलग किया. उनके सिर के कई बाल टूट कर मेरी मुट्ठी मे
आगये थे. उनके होंठ और ठुड्डी मेरे वीर्य से चमक रहे थे. "ऊवू
राअज" अब मैं अपने संबोधन मे चेंज लाते हुए उन्हे उपर अपनी ओर
खींची.वो खड़े हो कर मुझ से लिपट गये. और मेरे होंठों पर
अपने होंठ रख कर मेरे होंठों को अपने मुँह मे खींच लिया और
उन्हे बुरी तरह चूसने लगे. मैं नही जानती थी कि उधर भी इतनी
ज़्यादा आग लगी हुई है. उन्हों ने अपनी जीभ मेरे मुँह मे डाल दी.
मुँह मे अजीब सा टेस्ट समा गया. मैने जिंदगी मे पहली बार अपने
वीर्य का स्वाद चखा. मैने उनके चेहरे पर लगे अपने वीर्य को
चाटकर सॉफ किया.

rajaarkey
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Re: Hindi sexi stori मैं हूँ हसीना गजब की

Unread post by rajaarkey » 12 Nov 2014 13:06


उन्हों ने थिरकते हुए बिस्तर के साइड मे अपने साथ लाए फ्रेंच वाइन
की बॉटल उठा ली. उसके कॉर्क को खोल कर उन्हों ने उसमे से एक घूँट
लगाया. फिर मुझे अपने से अलग कर अपने सामने खड़ा कर दिया. फिर उस
बॉटल से मेरे एक ब्रेस्ट पर धीरे धीरे वाइन डालने लगे. उन्होने
अपने होंठ मेरी निपल के उपर रख दिए. रेड वाइन मेरे बूब्स से
फिसलती हुई मेरे निपल के उपर से होती हुई उनके मुँह मे जा रही
थी. बहुत ही एग्ज़ोटिक सीन था वो. फिर उन्हों ने बॉटल को उपर कर
मेरे सिर पर वाइन उधलने लगे. साथ साथ मेरे चेहरे से मेरे कानो
से मेरे बालों से टपकते हुए वाइन को पीते जा रहे थे. मैं वाइन मे
नहा रही थी और उनकी जीभ मेरे पूरे बदन पर दौड़ रही थी. मैं
उनकी हरकतों से पागल हुई जा रही थी. इस तरह से मुझे आज तक
किसीने प्यार नही किया था. इतना तो साफ़ दिख रहा था कि मेरे ससुरजी
सेक्स के मामले मे तो सबसे अनोखे खिलाड़ी थे. जब बॉटल आधी से
ज़्यादाखाली हो गयी तो उन्हों ने बॉटल को साइड टेबल पर रख कर मेरे
पूरे बदन को चाटने लगे. मेरा पूरा बदन वाइन और उनकी लार से
चिप चिपा हो गया था. उन्हों ने एक झटके मे मुझे अपनी बाहों मे
उठा लिया और अपनी बाहों मे उठाए हुए बाथरूम मे ले गये. इस उम्र
मे भी इतनी ताक़त थी की मुझको उठाकर बाथरूम लेजाते वक़्त एक बार
भी उनकी साँस नही फूली. बाथरूम मे बात टब मे दोनो घुस गये

और
एक दूसरे को मसल मसल कर नहलाने लगे. साथ साथ एक दूसरे को
छेड़ते जा रहे थे. सेक्स के इतने रूप मैने सिर्फ़ कल्पना मे ही सोचा
था. आज ससुर जी ने मेरे पूरे वजूद पर अपना अधिकार जमा दिया.
वहीं पर बाथ टब मे बैठे बैठे उन्हों ने मुझे टब का सहारा
लेकर घुटने के बल झुकाया और पीछे की तरफ से मेरी योनि और
मेरे गुदा पर अपनी जीभ फिराने
लगे. "ऊऊऊओह…….ऱाआअज…….जाआअँ……..यी क्य्ाआ कर रहीई
हूऊ. चिईीईईईईईईई नहियीईईईईईईई वहाआन जीईईभ सीई
माआतचटूऊऊ. नाआहियीई……..हाआअँ आआऔउर अंडाअर और अंडाअर."
मैंउत्तेजना मे ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी. ससुर जी मेरे गुदा द्वार को अपनी
उंगलियों से फैला कर उसके अंदर भी एक बार जीभ डाल दिए. मेरी
योनि मे आग लगी हुई थी. मैं उत्तेजना मे अपने ही हाथों से अपने
स्तनो को बुरी तरह मसल रही थी.

"बस बस और नही….अब मेरी प्यास बुझा दो. मेरी चूत जल रही है
इसेअपने लंड से ठंडा कर दो. अब मुझे अपने लंड से चोद दो.अब और
बर्दस्त नही कर सकती. ये आअप्ने क्या कर डाला मेरे पूरे बदन मे
आग जल रही है. प्लीईईसससे अओर नहियीई". मैं तड़प रही थी.
उन्हों ने वापस टब से बाहर निकाल कर मुझे अपनी बाहों मे उठाया और
गीले बदन मे ही कमरे मे वापस आए.

उन्हों ने मुझे उसी अवस्था मे बिस्तर पेर लिटा दिया. वो मुझे लिटा
करउठने को हुए तो मैने झट से उनके गर्देन मे अपनी बाहें डाल दी.
जिससे वो मुझसे दूर नही जा सकें. अब इंच भर की दूरी भी
बर्दास्तसे बाहर हो रही थी. उन्हों ने मुस्कुराते हुए मेरी बाँहों को अपनी
गर्देन से अलग किया और अपने लिंग पर बॉटल मे बची हुई वाइन से
कुच्छ बूँद रेड वाइन डाल कर मुझसे कहा

" अब इसे चूसो." मैने वैसा ही किया. मुझे वाइन से भीगा उनका
लिंगबहुत ही टेस्टी लगा. मैं वापस उनके लिंग को मुँह मे लेकर चूसने
लगी. उन्हों ने अब उस बॉटल से बची हुई वाइन धीरे धीरे अपने
लिंगपर उधेलनी शुरू की. मैं उनके लिंग, उनके अंडकोषों पर गिरते वाइन
कोपीरही थी. कुच्छ देर बाद उन्हों ने मुझे लिटा दिया और मेरी टाँगे
अपनेकंधों पर रख दिया. फिर उन्हों ने मेरे कमर के नीचे एक तकिया
लगा कर मेरी योनि के उपर से मेरी झांतों को हटा कर योनि की
फांकोंको अलग किया. मैं उनके लिंग के प्रवेश का इंतेज़ार करने लगी. उनके
लिंग को मैं अपनी योनि के उपर सटे हुए महसूस कर रही थी. मैने
आँखें बंद कर अपने आप को इस दुनिया से काट लिया था. मैं दुनिया
केसारे रिश्तों को सारी मर्यादाओं को भूल कर बस अपने ससुर जी का,
अपने बॉस का, अपने हुह राज शर्मा, अपने राजू के लंड को अपनी चूत मे घुसते
हुए महसूस करना चाहती थी. अब वो सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे प्रेमी थे.
उनसे बस एक ही रिश्ता था जो रिश्ता किसी मर्द और औरत के बीच
जिस्मों के मिलन से बनता है. मैं उनके लिंग से अपनी योनि की दीवारों
को रगड़ना चाहती थी. सब कुच्छ एक स्वर्गिक अनुभूति दे रहा था.
उन्हों ने मेरी चूत की फांकों को अलग कर के अपने लिंग को मेरे
प्रवेशद्वार पर रखा. "अब बता मेरी जान कितनी प्यास है तेरे अंदर मे?
मेरे लंड को कितना चाहती है?" राज जी ने मुझे अपने लिंग को
योनि के द्वार से रगड़ते हुए पूचछा. "अयाया क्या करते हो....म्‍म्म्मम
अनदर घुसा दो इसे." मैने अपने सूखे होंठों पर जीभ फेरी. "मैं
तो तुम्हारा ससुर हूँ.....क्या ये उचित है?" "ऊऊओह राअज राआज
मेरे जाआअन मेराआ इम्तेहाअन मत लूऊ. म्‍म्म्मम दाल्दू इसे अपने
ल्डकेकी बीवी की चूत फाड़ दो अपने लंड से.....कब से प्यासी हूओ....ऊ
कितने दिनूओ से ईए आअग जल रहीइ थाइयीयियी. मैं तो शुरू से
तुम्हरीइ बनना चह्तीइ थी. ऊऊऊओह तुम कितने पत्थर दिल
हूऊऊओ...किठनाआ तर्सयाआअ मुझीए आअज भिओ तरसा रहे हो."
मैने उनके लिंग को अपने हाथों से पकड़ कर अपनी योनि की ओर ठेला
मगर उन्हों ने मेरी कोशिश को नाकाम कर दिया. मेरी योनि का मुँह
लिंगके आभास से लाल हो कर खुल गया था जिससे उनके लिंग को किसी तरह
की परेशानी ना हो. मेरी योनि से काम रस झाग के रूप मे निकल कर
मेरे दोनो नितंबों के बीच से बहता हुआ बिस्तर की ओर जा रहा था.
मेरी योनि का मुँह पानी से उफान रहा था और उस पत्थर को मुझे
छेड़ने से फ़ुर्सत नही थी. "अंदर कर दूँ...?" "हाआँ ऊवू
हाआन" "मेरे लंड पर किसी तरह का कोई कॉंडम नही है. मेरा
वीर्यअपनी कोख मे लेने की इच्च्छा है क्या?" "हाआन ऊहह माआ हाआँ
मेरियोनि को भाअर दो अपने वीर्य सीई. डाअल दो अपनाअ बीज़ मेरि
कोख मईए." मैं तड़प रही थी. पूरा बदन पसीने से तरबतर हो
रहा था. मेरी आँखें उत्तेजना से उलट गयी थी और मेरे होंठ खुल
गये थे. सूखे होंठों पर अपनी जीभ चला कर गीला कर रही
थी. "फिर तुम्हारे कोख मे मेरा बच्चा आ जाएगा." "हाआँ हाआँ मुझे
बनाडो प्रेगञेन्ट. अब बस करूऊऊ. मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ और
मत सतऊओ. मत तड़पाव मुझे." मैने अपने दोनो पैर बिस्तर पर
जितनाहो सकता था फैला लिए,"देख तुम्हारे बेटे की दुल्हन तुम्हारे सामने
अपनी चूत खोल कर लेती तुमसे गिड़गिदा रही है कि उसके योनि को फाड़
डालो. रगड़ दो उसके नाज़ुक बदन को. मसल डालो मेरे इन स्तनो को जिन
पर मुझे नाज़ है. ये साब आपके स्पर्श आपके प्यार के लिए तड़प
रहेहैं." मैं बहकने लगी थी. अब वो मेरी मिन्नतो पर पसीज गये और
अपनी उंगलियों से मेरी क्लाइटॉरिस को मसल्ते हुए अपने लिंग को अंदर
करने लगे. मैं अपने हाथों से उनकी छाती को मसल रही थी.
उनकेलिंग को अपने चूत की दीवारों को रगड़ते हुए अंदर प्रवेश करते
महसूस कर रही थी. "हाआअँ मेरीई राआअज इस आनानद काअ मुझे
जन्मूऊ से इंतएजाआर थाअ. तुउँ इतनईए नासमझ कयूओं हूओ.
मेरीए दिल को समझनईए मे इतनीी देर क्यूँ कर दीईइ."उन्हों ने
वापस मेरी टाँगों को अपने कंधों पर रख दिया. उनके दोनो हाथ अब
मेरे दोनो बूब्स पर थे. दोनो हाथ मेरी चूचियो को ज़ोर ज़ोर से
मसल

रहे थे. मेरे निपल्स को उंगलियों से मसल रहे थे. मेरी छूट बुरी
तरह से गीली हो रही थी इसलिए उनके लिंग को प्रवेश करने मे
ज़्यादा
परेशानी नही हुई. उनका लिंग पूरी तरह मेरी योनि मे समा गया
था.फिर उन्हों ने धीरे धीरे अपने लिंग को पूरी तरह से बाहर खींच
कर वापस एक धक्के मे अंदर कर दिया. अब उन्हों ने मेरी टाँगें अपने
कंधे से उतार दी और मेरे ऊपर लेट गये. मुझे अपनी बाँहों मे भर
कर मेरे होंठों को चूमने लगे. सिर्फ़ उनकी कमर उपर नीचे हो
रहीथी. मेरे पैर दोनो ओर फैले ही थे. कुच्छ ही देर मे मैं उत्तेजित
होकर उनके हर धक्के का अपनी कमर को उनकी तरफ उठा कर और
उच्छलकर स्वागत करने लगी. मैं भी नीचे की ओर से पूरे जोश मे धक्के
लगा रही थी. एर कंडीशनर की ठंडक मे भी हम दोनो पसीने
पसीने हो रहे थे. कमरे मे सिर्फ़ एर कंडीशनर की हमिंग के
अलावा हुमारी "उउउहह" "ऊऊहह" की आवाज़ गूँज रही थी. साथ मे हर
धक्के पर फूच फूच की आवाज़ आती थी. हुमारे होंठ एक दूसरे से सिले
हुए थे. हुमारे जीभ एक दूसरे के मुँह मे घूम रही थी. मैने
अपने पावं उठा कर उनकी कमर को चारों ओर से जाकड़ लिया. काफ़ी देर
तक इसी तरह चोदने के बाद वो उठे और मुझे बिस्तर के किनारे
खींच कर अढ़लेते अवस्था मे लिटा कर मेरी रांगो के बीच खड़े

होकर मुझे चोदने लगे. उनके हर धक्के के साथ पूरा बिस्तर हिलने
लगता था. मेरी योनि से दो बार पानी की बोछर हो चुकी थी. कुच्छ
देर तक और चोदने के बाद उन्हों ने अपने लिंग को पूरे जड़ तक्मेरी
योनि के अंदर डाल कर मेरे दोनो स्तनो को अपनी मुट्ठी मे भर कर
इतनी बुरी तरह मसला कि मेरी तो जान ही निकल गयी. "ले ले मेरा
बीज मेरा वीर्य अपने पेट मे भर ले. ले ले मेरे बच्चे को अपने पेट
मे. अब नौ महीने बाद मुझसे शिकायत नही करना." उन्हों ने मेरे
होंठों के पास बड़बदते हुए मेरी योनि मे अपना वीर्य डाल
दिया. मैं उनके नितंबों मे अपने नाख़ून गाड़ा कर अपनी योनि को जितना
हो सकता उपर उठा दिया और मेरा भी रस उनके लंड को भिगोने निकल
पड़ा. दोनो खल्लास होकर एक दूसरे के बगल मे लेट गये. कुच्छ देर
तक यूँ ही लंबी लंबी साँसे लेते रहे. फिर वो करवट लेकर अपना एक
पैर मेरे बदन के उपर चढ़ा दिया और मेरे स्तनो से खेलते हुए
बोले,

"ऊओफफफ्फ़ स्मृति तुम भी गजब की चीज़ हो. मुझे पूरी तरह थका
दिया मुझे."

rajaarkey
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Re: Hindi sexi stori मैं हूँ हसीना गजब की

Unread post by rajaarkey » 12 Nov 2014 13:06



"अच्च्छा?"

"इसी तरह अगर अक्सर चलता रहा तो बहुत जल्दी ही मुझे दवाई लेनी
पड़ेगी ताक़त की."

" मज़ाक मत करो अगर दवाई की किसी को ज़रूरत है तो मुझे. जिससे
कहीं प्रेग्नेंट ना हो जाउ."

हम दोनो वापस एक दूसरे से लिपट गये और उस दिन सारी रात एक
दूसरे से खेलते हुए गुजर गयी. उन्हों ने उस दिन मुझे रात मे कई
बार अलग अलग तरीके से चोदा.

सुबह और उठने की इच्च्छा नही हो रही थी. पूरा बदन टूट रहा
था. आज हॅमिल्टन और शशा भी हमारे साथ मिल गये. हॅमिल्टन
मौकाखोज रहा था मुझ संग संभोग का. लेकिन अब मैं राज जी के ही
रंगों मे रंग चुकी थी. मेरा रोम रोम अब इस नये साथ को तरस
रहाथा. उस दिन भी वैसी ही चुहल बाजी चलती रही. मैने स्विम्मिंग
पूलपर अपनी सबसे छ्होटी बिकनी पहनी थी. मेरा आशिक़ तो उसे देखते ही
अपने होश खो बैठा. हॅमिल्टन के होंठ फदक उठे थे. हॅमिल्टन ने
पूल के अंदर ही मेरे बदन को मसला. शाम को हम डॅन्स फ्लोर पर
गये डॅन्स फ्लोर पर कुच्छ देर हॅमिल्टन के साथ रहने के बाद
राज जी ने मुझे अपने पास खींच लिया. शशा भी उनके बदन
सेचिपकी हुई थी. दोनो को अपनी दोनो बाजुओं मे क़ैद करके वो थिरक
रहेथे. हॅमिल्टन टेबल पर बैठा हम तीनो को देखते हुए मुस्कुराता
हुया अपने कॉकटेल को सीप कर रहा था. हम दोनो ने राज जी की
हालत सॅंडविच जैसी कर दी थी. मैं उनके सामने सटी हुई थी तो
शशा उनकी पीठ से चिपकी हुई थी. हम दोनो ने उनके बदन से शर्ट
नोच कर फेंक दी थी. उन्हों ने भी हम दोनो को टॉपलेस कर दिया था.
हम अपने स्तनो को अपने सख़्त निपल्स को उनके बदन पर रगड़ रहे
थे. कुच्छ देर बाद हॅमिल्टन भी स्टेज पर आ गया उसके साथ कोई
औरलड़की थी. इसे देख कर शशा हम से अलग होकर हॅमिल्टन के पास
चली गयी. जैसे ही हम दोनो अकेले हुए.राज जी ने अपने तपते
होंठ मेरे होंठों पर रख कर एक गहरा चुंबबन लिया. "आज तो तुम
स्विम्मिंग पूल पर गजब ढा रही थी." "अच्च्छा? मिस्टर. राज एक
स्टडऐसा कह रहा है. जिसपर यहाँ कई लड़कियों की आँखें गढ़ी हुई
हैं.
जनाब जवानी मे तो आपका घर से निकलना मुश्किल रहता
होगा?" "शैतान मेरी खिंचाई कर रही है." राज जी ने मुझे अपनी
बाहों मे लिए लिए स्टेज के साइड मे चले गये' "चलो यहा बहुत
भीड़ है. स्विम्मिंग पूल पर शेलेट हैं अभी पूल खाली
होगा." "लेकिन पहले बिकनी तो ले लें." "उसकी क्या ज़रूरत" मैने उनकी
तरफ देखा," आज मूनलाइट मे न्यूड स्विम्मिंग करेंगे. बस तुम और
मैं." उनकी प्लॅनिंग सुनते ही उत्तेजना मे मेरा रोम रोम थिरक उठा.

मैने कुच्छ कहा नही बस चुपचाप राज जी के साथ हो ली. हम
लोगों से बचते हुए कमरे से बाहर आ गये. स्विम्मिंग पूल का नज़ारा
बहुत ही दिल्कूश था. हल्की रोशनी मे पानी का रंग नीला लग रहा
था. तब शाम को 9 बज रहे थे इसलिए स्विम्मिंग पूल पर कोई

नही
था और शायद इसीलिए रोशनी कम कर दी गयी थी. उपर पूनम का
चाँद ठंडी रोशनी बिखेर रहा था. हम दोनो वहाँ पूल के निकट
पहुँच कर कुच्छ देर टके क दूसरे को निहारते रहे फिर हम दोनो ने
एक दूसरे के कपड़े उतारने शुरू किए. मैने आस पर ड्रेस कोड इन्नर
गारमेंट्स नही पहन रखा था. इसलिय जैसे ही वो मेरी स्कर्ट को
खींचने लगे मैने उन्हे रोका. "प्लीज़. इसे नही. किसीने देख
लिया तो?" "यहा कोई नही आएगा. और किसे परवाह है? देखा नही हॉल
मे सब नंगे घूम रहे थे." हम दोनो बिल्कुल निवस्त्र हो गये.
सबसेपहले राज जी ने पूल मे प्रवेश किया फिर मुझे हाथ पकड़ कर
अंदर खींच लिया. मैं खिल खिला कर हंस पड़ी. मैने अपनी अंजूरी
मे पानी भर कर उनके चेहरे पर फेंका. तो वो मुझे पकड़ने के लिए
मेरे पीछे तैरने लगे. हम दोनो काफ़ी देर तक चुहल बाजी करते
रहे. एक दूसरे के बदन से खेलते रहे. हम दोनो कस्के एक दूसरे से
लिपट जाते और एक दूसरे का बदन को चूमने लगते. राज जी ने
मेरे बदन का कोई हिस्सा नही छ्चोड़ा जहाँ उनके होंठों का स्पर्श ना
हुआ हो. मैने स्विम्मिंग पूल के किनारे को पकड़ कर अपने आप को स्थिर

किया. राज जी पीछे से मेरे बदन से लिपट कर मेरे गीले
स्तनोको मसल रहे थे. मैं अपनी गर्दन को पीछे घुमा कर उनके होंठों
को अपने दन्तो से काट रही थी. उनका लिंग मेरे दोनो नितंबों के
बीचसटा हुआ था. मैने अपने एक हाथ से उनके लिंग को थाम कर देखा लिंग
पूरी तरह तना हुआ था. " आज जाओ जान पानी भी मेरे बदन की आग
को बुझा नही पा रहा है. जब तक तुम मेरे बदन को शांत नही
करोगे मैं ऐसे ही फूंकति रहूंगी " मैने उनके बालों को अपनी मुट्ठी
मे भर कर अपनी तरफ मोड़ा और उन्हों ने मुझे अपनी बाहों मे भर
लिया. उस जगह पर पानी कम था. वो पानी पर खड़े होकर मुझे उठा
कर स्विम्मिंग पूल के उपर बिठा दिया. मेरी टाँगें पूल के किनारों
परझूल रही थी. वो अपने दोनो हाथों से मेरी टाँगों को फैला कर मेरी
टाँगों के बीच आ गये. मैने अपनी टाँगें उठा कर उनके कंधों पर
रख दी.इससे मेरी योनि उपर होकर उनके चेहरे के सामने हो गयी.
उन्होंने मेरी योनि पर अपने होंठ टीका दिए और अपनी जीभ को योनि के
ऊपरफिराने लगे. "अयाया म्‍म्म्मा...उउउउउउउउम्म्म एमेम" मैने उनके सिर को अपने
एकहाथ से पकड़ा और दूसरे हाथ को ज़मीन पर रखते हुए. उनके सिर को
अपनी योनि पर दबा दिया. वो अपनी जीभ को मेरी योनि के अंदर डाल
करउसे आगे पीछे करने लगे. मैने उत्तेजना मे अपने दोनो हाथों से
राज जी को पकड़ लिया और अपनी कमर को उसके मुँह की तरफ उठाने
लगी. उन्हो ने मेरे दोनो नितंबों पर अपनी उंगलिया गढ़ा दी और मेरे
क्लिट को अपने दाँतों के बीच दबा कर हल्के हल्के से कुतरने लगे.
वोइस हालत मे पीछे हटे तो मैं उनको पकड़े पकड़े ही वापस स्विम्मिंग
पूल मे उतर गयी. मैने अपनी टाँगों को कैंची की तरह उनके बदन
को चारों ओर से जाकड़ लिया था. फिर उनके सिर को थामे हुए अपने
टाँगों को हल्का सा लूज करते हुए उनके बदन पर फिसलती हुई
नीचेकी ओर खिसकी. जैसे ही अपने बदन पर उनके लिंग का स्पर्श महसूस
किया तो अपने हाथों से उनके लिंग को अपनी योनि पर सेट करके वापस
अपनेबदन को कुच्छ नीचे गिराया. उनका लिंग मेरी योनि के दरवाजे को
खोलता हुआ अंदर घुसता चला गया. उनको ने मेरी पीठ को स्विम्मिंग
केकिनारे से सटा दिया मैने अपने हाथों से पीछे की ओर स्विम्मिंग पूल
का सहारा लेकर अपने बदन को सहारा दिया. वैसे मुझे सहरे की
ज़्यादाज़रूरत नही थी क्योंकि मेरी टाँगों ने उनके बदन को इस तरह जाकड़
रखा था कि वो मेरी इच्च्छा के बिना हिल भी नही पा रहे थे.
उन्होनेज़ोर ज़ोर से धक्के देना शुरू
किया. "अया.....अयाया. ......राज. ....राआाज. .......हाआअन्न. ....
हाा
अनन्न.....और जूऊर सीए......एम्म्म. ....म्‍म्माअजाआ आआ
गय्ाआअ.... ..ऊऊऊफ़फ्फ़. ....जूऊओरो सीईए.....म्‍म्म्मम. ....."
मैनेअपनी बाहों का हार उनके गले मे डाल दिया और उनके होंठों से अपने
होंठ चिपका दिए. मैं उनके होंठों को काट खा रही थी. "ले ले
लेले अंदर लेले अंदर पूरा....आआअहह क्य्ाआ चीज़
हाईईइ...... .म्‍म्म्ममम.. ..." कहते हुए उन्हों ने मुझे सख्ती से अपनी
बाहों मे जाकड़ लिया और अपने रास की धार मेरी योनि मे बहाना शुरू
किया. मैने इस मामले मे भी उनसे हार नही मानी. मेरा भी वीर्य
उनकेरस से मिलने निकल पड़ा. हम दोनो अपने जिस्म को दूसरे के जिस्म मे
समा गये

क्रमशः........................

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