Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip
Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip
उन्होंने बोला- यार ये क्या.. मैं तुमसे प्यार करती हूँ.. ऐसा
नहीं कर सकती.. मेरा सब कुछ तुम्हारा ही है।
मैंने भी बोला- वो सब ठीक है.. पर मेरी इच्छा है कि मैं भी
अपनी गर्ल-फ्रेण्ड को पहली डेट पर अपने पैसों पर ले जाऊँ।
मेरे मुँह से गर्ल-फ्रेण्ड शब्द अपने लिए सुन कर उसकी आँखों में
खुशी के आंसू आ गए.. जिसे मैंने भांप लिया और बोला- देखो
अब रोने न लगना.. नहीं तो चेहरा अच्छा न लगेगा और मेकअप
भी ख़राब हो जाएगा।
मेरी इस प्रतिक्रिया पर उसने मेरे गालों पर एक चुम्मी जड़ दी
और मेरा हाथ जो कि गेयर पर था उसके ऊपर अपना हाथ रख
कर मुझसे प्यार भरी बातें करने लगी।
बातों ही बातों में कब उसने अपना हाथ उठा कर मेरी जांघ पर
रख कर सहलाना चालू कर दिया.. मुझे पता ही न चला।
ये सब कुछ मेरे साथ इतने रोमांटिक तरीके से मेरे साथ पहली
बार हो रहा था।
मुझे तब होश आया जब उनके हाथ ने मेरी जींस के ऊपर से ही मेरे
लौड़े पर दाब देना चालू किया।
यार क्या एहसास था.. बस यही लग रहा था कि ये समय यहीं
रूक जाए..
खैर.. हम तब तक लैंडमार्क के पास पहुँच गए तो मैंने उन्हें ठीक से
बैठने के लिए बोला और होटल के एंट्री-गेट पर उन्हें उतार कर
गाड़ी पार्किंग में लगाने चला गया।
वहाँ मुझे मेरे पापा के दोस्त अपनी फैमिली के साथ मिले तो
मैं तो उनको देख कर डर ही गया था.. पर ‘थैंक गॉड’ कि वो
वहाँ से जा रहे थे।
किसी की बर्थ-डे पार्टी में आए थे.. उन्होंने मुझसे बात की,
तो मैंने बोला- अरे मैं यहाँ बाजार में आया था बाहर पार्किंग
फुल थी तो मेरे दोस्त ने बोला अन्दर ही पार्क कर दो.. उसकी
ये नई कार है।
इसलिए तो वो बोले- ठीक किया.. अच्छा मैं चलता हूँ।
वो इतना कह कर जब चले गए.. तब जाकर जान में जान आई।
खैर.. मैं आप लोगों को बता दूँ कि इस होटल के बगल में कानपुर
की एक बड़ा बाजार है.. जहाँ हर तरह के फैशन एशेशरीज
मिलती हैं और शाम को भीड़ के कारण गाड़ी पार्किंग की
समस्या यहाँ आम बात है और गलत जगह गाड़ी पार्क करने पर
पुलिस उठा ले जाती है।
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।
फिर जब मैं एंट्री-गेट पर पहुँचा तो माया बोली- क्यों क्या
हुआ.. बड़ा समय लगा दिया तुमने?
तो मैंने उसे पूरा वाकिया बता दिया.. जो उधर हुआ था।
तो माया बोली- चलो बढ़िया हुआ.. यहीं मिल गए.. अब हम
चलते हैं।
फिर हम लोग अन्दर गए और लिफ्ट से फ़ूड कोर्ट वाली फ्लोर
पर पहुँच गए। वहाँ पर हम लोगों ने एक कपल सीट ली.. वैसे तो
वीकेंड पर सीट मिलना कठिन रहता है.. पर उस दिन कोई
ख़ास भीड़ नहीं थी।
फिर वेटर आया और मेनू देकर चला गया तो मैंने माया से बोला-
जो तुम्हें पसंद हो.. वो मंगवा लो। आज तुम्हारे मन का ही
खाऊँगा।
तो माया ने वेटर को बुलाया और उसे आर्डर दिया और
स्टार्टर में पनीर टिक्का मंगवाया।
नहीं कर सकती.. मेरा सब कुछ तुम्हारा ही है।
मैंने भी बोला- वो सब ठीक है.. पर मेरी इच्छा है कि मैं भी
अपनी गर्ल-फ्रेण्ड को पहली डेट पर अपने पैसों पर ले जाऊँ।
मेरे मुँह से गर्ल-फ्रेण्ड शब्द अपने लिए सुन कर उसकी आँखों में
खुशी के आंसू आ गए.. जिसे मैंने भांप लिया और बोला- देखो
अब रोने न लगना.. नहीं तो चेहरा अच्छा न लगेगा और मेकअप
भी ख़राब हो जाएगा।
मेरी इस प्रतिक्रिया पर उसने मेरे गालों पर एक चुम्मी जड़ दी
और मेरा हाथ जो कि गेयर पर था उसके ऊपर अपना हाथ रख
कर मुझसे प्यार भरी बातें करने लगी।
बातों ही बातों में कब उसने अपना हाथ उठा कर मेरी जांघ पर
रख कर सहलाना चालू कर दिया.. मुझे पता ही न चला।
ये सब कुछ मेरे साथ इतने रोमांटिक तरीके से मेरे साथ पहली
बार हो रहा था।
मुझे तब होश आया जब उनके हाथ ने मेरी जींस के ऊपर से ही मेरे
लौड़े पर दाब देना चालू किया।
यार क्या एहसास था.. बस यही लग रहा था कि ये समय यहीं
रूक जाए..
खैर.. हम तब तक लैंडमार्क के पास पहुँच गए तो मैंने उन्हें ठीक से
बैठने के लिए बोला और होटल के एंट्री-गेट पर उन्हें उतार कर
गाड़ी पार्किंग में लगाने चला गया।
वहाँ मुझे मेरे पापा के दोस्त अपनी फैमिली के साथ मिले तो
मैं तो उनको देख कर डर ही गया था.. पर ‘थैंक गॉड’ कि वो
वहाँ से जा रहे थे।
किसी की बर्थ-डे पार्टी में आए थे.. उन्होंने मुझसे बात की,
तो मैंने बोला- अरे मैं यहाँ बाजार में आया था बाहर पार्किंग
फुल थी तो मेरे दोस्त ने बोला अन्दर ही पार्क कर दो.. उसकी
ये नई कार है।
इसलिए तो वो बोले- ठीक किया.. अच्छा मैं चलता हूँ।
वो इतना कह कर जब चले गए.. तब जाकर जान में जान आई।
खैर.. मैं आप लोगों को बता दूँ कि इस होटल के बगल में कानपुर
की एक बड़ा बाजार है.. जहाँ हर तरह के फैशन एशेशरीज
मिलती हैं और शाम को भीड़ के कारण गाड़ी पार्किंग की
समस्या यहाँ आम बात है और गलत जगह गाड़ी पार्क करने पर
पुलिस उठा ले जाती है।
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।
फिर जब मैं एंट्री-गेट पर पहुँचा तो माया बोली- क्यों क्या
हुआ.. बड़ा समय लगा दिया तुमने?
तो मैंने उसे पूरा वाकिया बता दिया.. जो उधर हुआ था।
तो माया बोली- चलो बढ़िया हुआ.. यहीं मिल गए.. अब हम
चलते हैं।
फिर हम लोग अन्दर गए और लिफ्ट से फ़ूड कोर्ट वाली फ्लोर
पर पहुँच गए। वहाँ पर हम लोगों ने एक कपल सीट ली.. वैसे तो
वीकेंड पर सीट मिलना कठिन रहता है.. पर उस दिन कोई
ख़ास भीड़ नहीं थी।
फिर वेटर आया और मेनू देकर चला गया तो मैंने माया से बोला-
जो तुम्हें पसंद हो.. वो मंगवा लो। आज तुम्हारे मन का ही
खाऊँगा।
तो माया ने वेटर को बुलाया और उसे आर्डर दिया और
स्टार्टर में पनीर टिक्का मंगवाया।
Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip
आज ये मेरी जिंदगी का पहला दिन था.. जब मैं किसी को
इस तरह डिनर पर ले गया था.. वो भी इतनी हसीन लड़की
को.. क्योंकि वो औरत लग ही नहीं रही थी।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था..
हम लोग एक-दूसरे के हाथों को सहलाते हुए एक-दूसरे से बात कर
रहे थे कि तभी वेटर पनीर टिक्का और कोल्ड ड्रिंक देकर चला
गया..
जिसे हम लोगों ने खाया और एक-दूसरे को अपने हाथों से भी
खिलाया।
तब तक हमारा खाना भी आ चुका था, फिर हम लोगों ने
खाना खाया और मैं फिनिश करके वाशरूम चला गया।
इसी बीच माया ने मुझे सरप्राइज़ देने के लिए और मेरे इस दिन
को यादगार बनाने के लिए वेटर को बुलाया और उसे शैम्पेन
और कुछ स्नैक्स का आर्डर दिया और साथ ही यह भी बोला
कि जैसे ही मैं अन्दर आऊँ.. वैसे ही ‘ये शाम मस्तानी.. मदहोश
किए जाए..’ वाला गाना बजा देना।
इधर अब मुझे क्या पता कि माया ने मेरे लिए क्या कर रखा है..
तो मैं जैसे ही अन्दर पहुँचा तो गाना चालू हो गया और
रेस्टोरेंट की रोशनी बिल्कुल मद्धिम हो गई.. जो कि काफी
रोमांटिक माहौल सा बना रही थी।
मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना ही न रहा और मैंने जाते ही
माया को ‘आई लव यू वेरी मच’ बोलकर चूम लिया।
जिससे वहाँ मौजूद सभी लोग क्लैपिंग करने लगे… उनको ये लग
रहा था कि हम अपनी एनिवर्सरी सेलिब्रेट करने आए हैं.. और
लगता भी क्यों नहीं.. आज माया कमसिन जो लग रही थी।
उसने अपना फिगर काफी व्यवस्थित कर रखा था और साथ
ही पार्लर वगैरह हर महीने जाती थी जिसकी वजह से उसे
देखकर उसकी उम्र का पता लगाना काफी कठिन था।
वो बहुत ही आकर्षक शरीर की महिला थी.. फिर मैंने और
उसने ‘चीयर्स’ के साथ शैम्पेन का एक-एक पैग पिया.. इसके पहले
न ही कभी मैंने वाइन पी थी और न ही उसने..
खैर.. एक गिलास से कोई फर्क तो न पड़ा.. पर एक अजीब सा
करेंट दोनों के शरीर में दौड़ गया।
खाना अदि खाने के बाद माया ने बिल पे किया जो कि
करीब 4200 के आस-पास था और 100 रूपए माया ने वेटर को
टिप भी दी।
फिर हम दोनों लिफ्ट से नीचे आए और मैं उसे वहीं एंट्री-गेट पर
छोड़ कर कार लेने चला गया.. पर जब कार लेकर वापस आया
तो माया वहाँ नहीं थी।
मेरे दिमाग में तरह-तरह के सवाल आ रहे थे क्योंकि माया का
सर शैम्पेन की वजह से भारी होने लगा था।
मैं बहुत ही घबरा गया कि अब मैं क्या जवाब दूँगा अगर कहीं
कुछ हो गया सोचते-सोचते मेरे शरीर में पसीने की बूँदें घबराहट
के कारण बहने लगीं।
मैंने चारों ओर नज़र दौड़ाई.. पर मुझे माया नजर नहीं आई।
मैंने उसका फ़ोन मिलाया जो कि नहीं उठा.. तीन-चार बार
मिलाने के बाद भी जब फोन नहीं उठा.. तो मैं बहुत परेशान
हो गया और सोचने लगा कि अब क्या करूँ.. कहाँ देखूँ..?
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था.. मैं सोच में पड़ गया.. कहीं
माया को नशा तो नहीं चढ़ गया.. कहीं उसका कोई फायदा
न उठा ले.. तमाम तरह के विचार मन को सताने लगे।
फिर मैंने गाड़ी की चाभी गेटमेन को गाड़ी पार्क करने के
लिए दी.. और अन्दर चला गया।
वहाँ एक रिसेप्शनिस्ट बैठी हुई थी तो मैंने उससे घबराते हुए
पूछा- अभी क्या कोई लेडी अन्दर आई है?
तो वो मेरी घबराहट को देखकर हँसते हुए बोली- अरे सर आप
थोड़ा रिलैक्स हो जाइए.. लगता है मैडम से आप कुछ ज्यादा
ही प्यार करते हैं।
यह कहते हुए उसने अपनी सीट पर रखे पानी के गिलास को मुझे
दिया।
पानी पीकर मैं भी थोड़ा नार्मल हुआ और उससे पूछा- वैसे वो
है कहाँ?
तो वो बोली- मेम ने लगता है पहली बार पी थी.. जिसकी
वजह से उनको उलटी और चक्कर आ रहे थे.. तो वो वाशरूम में हैं…
तो मैं भी उसकी हालत को समझते हुए वाशरूम जाने लगा
ताकि उसकी कुछ मदद कर सकूँ.. पर मैं जैसे ही उधर की ओर
बढ़ा तो उस लड़की ने बोला- सर वो कॉमन वाशरूम नहीं है आप
लेडीज़ वाशरूम में नहीं जा सकते।
तो मैंने चिंता जताते हुए उससे पूछा- जब उसकी ऐसी हालत है
तो उसे मदद की जरूरत होगी।
बोली- आपको फ़िक्र करने की कोई जरुरत नहीं है.. मैडम के
साथ लेडीज सर्वेंट भी उनकी हेल्प के लिए गई है। तब जाकर मुझे
कुछ राहत की सांस मिली.. तब तक माया वहाँ आ चुकी थी।
उसको देखते ही रिसेप्सनिस्ट लड़की ने बोला- मेम आप बहुत
लकी हो जो आपको इतना चाहने वाला कोई मिला।
इस तरह डिनर पर ले गया था.. वो भी इतनी हसीन लड़की
को.. क्योंकि वो औरत लग ही नहीं रही थी।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था..
हम लोग एक-दूसरे के हाथों को सहलाते हुए एक-दूसरे से बात कर
रहे थे कि तभी वेटर पनीर टिक्का और कोल्ड ड्रिंक देकर चला
गया..
जिसे हम लोगों ने खाया और एक-दूसरे को अपने हाथों से भी
खिलाया।
तब तक हमारा खाना भी आ चुका था, फिर हम लोगों ने
खाना खाया और मैं फिनिश करके वाशरूम चला गया।
इसी बीच माया ने मुझे सरप्राइज़ देने के लिए और मेरे इस दिन
को यादगार बनाने के लिए वेटर को बुलाया और उसे शैम्पेन
और कुछ स्नैक्स का आर्डर दिया और साथ ही यह भी बोला
कि जैसे ही मैं अन्दर आऊँ.. वैसे ही ‘ये शाम मस्तानी.. मदहोश
किए जाए..’ वाला गाना बजा देना।
इधर अब मुझे क्या पता कि माया ने मेरे लिए क्या कर रखा है..
तो मैं जैसे ही अन्दर पहुँचा तो गाना चालू हो गया और
रेस्टोरेंट की रोशनी बिल्कुल मद्धिम हो गई.. जो कि काफी
रोमांटिक माहौल सा बना रही थी।
मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना ही न रहा और मैंने जाते ही
माया को ‘आई लव यू वेरी मच’ बोलकर चूम लिया।
जिससे वहाँ मौजूद सभी लोग क्लैपिंग करने लगे… उनको ये लग
रहा था कि हम अपनी एनिवर्सरी सेलिब्रेट करने आए हैं.. और
लगता भी क्यों नहीं.. आज माया कमसिन जो लग रही थी।
उसने अपना फिगर काफी व्यवस्थित कर रखा था और साथ
ही पार्लर वगैरह हर महीने जाती थी जिसकी वजह से उसे
देखकर उसकी उम्र का पता लगाना काफी कठिन था।
वो बहुत ही आकर्षक शरीर की महिला थी.. फिर मैंने और
उसने ‘चीयर्स’ के साथ शैम्पेन का एक-एक पैग पिया.. इसके पहले
न ही कभी मैंने वाइन पी थी और न ही उसने..
खैर.. एक गिलास से कोई फर्क तो न पड़ा.. पर एक अजीब सा
करेंट दोनों के शरीर में दौड़ गया।
खाना अदि खाने के बाद माया ने बिल पे किया जो कि
करीब 4200 के आस-पास था और 100 रूपए माया ने वेटर को
टिप भी दी।
फिर हम दोनों लिफ्ट से नीचे आए और मैं उसे वहीं एंट्री-गेट पर
छोड़ कर कार लेने चला गया.. पर जब कार लेकर वापस आया
तो माया वहाँ नहीं थी।
मेरे दिमाग में तरह-तरह के सवाल आ रहे थे क्योंकि माया का
सर शैम्पेन की वजह से भारी होने लगा था।
मैं बहुत ही घबरा गया कि अब मैं क्या जवाब दूँगा अगर कहीं
कुछ हो गया सोचते-सोचते मेरे शरीर में पसीने की बूँदें घबराहट
के कारण बहने लगीं।
मैंने चारों ओर नज़र दौड़ाई.. पर मुझे माया नजर नहीं आई।
मैंने उसका फ़ोन मिलाया जो कि नहीं उठा.. तीन-चार बार
मिलाने के बाद भी जब फोन नहीं उठा.. तो मैं बहुत परेशान
हो गया और सोचने लगा कि अब क्या करूँ.. कहाँ देखूँ..?
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था.. मैं सोच में पड़ गया.. कहीं
माया को नशा तो नहीं चढ़ गया.. कहीं उसका कोई फायदा
न उठा ले.. तमाम तरह के विचार मन को सताने लगे।
फिर मैंने गाड़ी की चाभी गेटमेन को गाड़ी पार्क करने के
लिए दी.. और अन्दर चला गया।
वहाँ एक रिसेप्शनिस्ट बैठी हुई थी तो मैंने उससे घबराते हुए
पूछा- अभी क्या कोई लेडी अन्दर आई है?
तो वो मेरी घबराहट को देखकर हँसते हुए बोली- अरे सर आप
थोड़ा रिलैक्स हो जाइए.. लगता है मैडम से आप कुछ ज्यादा
ही प्यार करते हैं।
यह कहते हुए उसने अपनी सीट पर रखे पानी के गिलास को मुझे
दिया।
पानी पीकर मैं भी थोड़ा नार्मल हुआ और उससे पूछा- वैसे वो
है कहाँ?
तो वो बोली- मेम ने लगता है पहली बार पी थी.. जिसकी
वजह से उनको उलटी और चक्कर आ रहे थे.. तो वो वाशरूम में हैं…
तो मैं भी उसकी हालत को समझते हुए वाशरूम जाने लगा
ताकि उसकी कुछ मदद कर सकूँ.. पर मैं जैसे ही उधर की ओर
बढ़ा तो उस लड़की ने बोला- सर वो कॉमन वाशरूम नहीं है आप
लेडीज़ वाशरूम में नहीं जा सकते।
तो मैंने चिंता जताते हुए उससे पूछा- जब उसकी ऐसी हालत है
तो उसे मदद की जरूरत होगी।
बोली- आपको फ़िक्र करने की कोई जरुरत नहीं है.. मैडम के
साथ लेडीज सर्वेंट भी उनकी हेल्प के लिए गई है। तब जाकर मुझे
कुछ राहत की सांस मिली.. तब तक माया वहाँ आ चुकी थी।
उसको देखते ही रिसेप्सनिस्ट लड़की ने बोला- मेम आप बहुत
लकी हो जो आपको इतना चाहने वाला कोई मिला।
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अब उसे क्या पता कि दाल में कितना नमक है..
खैर.. वो माया को बोली- आपके अचानक अन्दर आ जाने पर
सर बहुत परेशान से हो गए थे.. उनकी हालत तो देखने वाली
थी.. लगता है आपको कुछ ज्यादा ही प्यार करते हैं।
तो माया मुस्कुरा कर मेरे पास आई और मेरे हाथ पकड़ कर
बोली- तुम इतनी जल्दी क्यों परेशान हो जाते हो? तो मैंने
बोला- तुम बिना बताए अचानक यहाँ आ गईं और मुझे नहीं
दिखीं.. तो मेरा परेशान होना तो लाजिमी है।
उसने मुझसे ‘सॉरी’ बोलते हुए कहा- यार मेरी कंडीशन ही ऐसी
हो गई थी कि मैं क्या करती?
मेरी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ?
फिर मैंने बोला- चलो कोई बात नहीं.. अब तुम ठीक हो न?
तो उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया.. फिर हम दोनों बाहर आए और
गेटमैन से गाड़ी मंगवाई और घर की ओर चल दिए।
रास्ते में मैंने उससे पूछा- माया जब तुम शैम्पेन बर्दास्त नहीं कर
सकती थीं तो पीने की क्या जरुरत थी?
तो वो बोली- मैं तो बस तुम्हें वो सब देने के लिए ऐसा कर रही
थी.. जो आजकल की लड़कियाँ करती हैं।
मैंने भी उसके इस प्यार का जवाब माया ‘आई लव यू.. वेरी मच’
बोलकर दिया।
जिस पर माया के चेहरे की ख़ुशी दुगनी हो गई और आँखों में
एक अजीब सी चमक साफ़ दिखने लगी।
शायद वो अपने तन-मन से मुझे बहुत चाहने लगी थी.. उसने भी
अपना एक हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और बोली- राहुल सच
में.. तुम भी मुझसे प्यार तो करते हो न..
मैंने भी ‘हाँ’ में जवाब दिया.. तो बोली- राहुल मैं तुम्हें वो
सारी खुशियाँ दूँगी जिसके तुम हकदार हो.. तुम जैसा चाहोगे
मैं वैसा ही करुँगी.. पर मेरे लिए अपने दिल में हमेशा यूँ ही जगह
बनाए रखना.. वरना मेरा क्या होगा।
यह कहते हुए वो अपने हाथों को मेरी जाँघों में फिराने लगी।
जिससे मेरा जोश बढ़ने लगा.. मुझे उसका इस तरह से छूना बहुत
ही आनन्ददायक लग रहा था।
मैं भी उसके स्पर्श का मज़ा लेते हुए उससे रोमांटिक बातें करने
लगा और घर जाने के लिए मैंने लम्बा वाला रास्ता पकड़
लिया ताकि इस रोमांटिक समय को और ज्यादा देर तक
एन्जॉय किया जा सके।
मेरे लम्बे रास्ते की ओर गाड़ी घुमाते ही माया मुस्कुराकर
मुझसे बोली- क्या बात है.. तुमने लम्बा रास्ता क्यों पकड़
लिया?
तो मैंने उसे बताया- तुम्हारे साथ इस पल को और लम्बा
बनाना चाहता था.. बस इसीलिए।
फिर माया मेरी ओर थोड़ा खिसक आई और मेरे लौड़े को जींस
के ऊपर से ही रगड़ने मसलने लगी। उसकी इस हरकत से मेरे कल्लू
नवाब को एक पल बीतते ही होश आ गया और वो अन्दर ही
अन्दर अकड़ने लगा.. मानो जिद कर रहा हो कि बस अब मुझे
आज़ाद कर दो।
माया ने जब मेरे लण्ड का कड़कपन अपनी हथेलियों में महसूस
किया.. तो उसने मेरी जींस की ज़िप खोल दी और अन्दर
हाथ घुसेड़ कर लण्ड को मुट्ठी में भरते हुए निकालने लगी.. पर
इतनी आसानी से वो कहाँ निकलने वाला था।
इस वक़्त वो अपने पूरे होश ओ हवाश में खड़ा हो चुका था। वो
उस वक़्त इतना सख्त हो चुका था कि मेरी वी-शेप की चड्डी
में नहीं मुड़ पा रहा था।
माया ने कई बार उसे दबा कर एक बगल से निकालने का प्रयास
किया.. पर जब वो न निकाल पाई तो कहने लगी- राहुल क्या
बात है.. आज यह मेरा छोटा राहुल लगता है मुझसे नाराज हो
गया है.. देखो कितनी देर से मैं इसे देखने के लिए तड़प रही हूँ.. पर
यह है कि निकल ही नहीं रहा है।
तो मैंने भी मज़ाक में बोल दिया- अरे ये तुम्हारा राहुल है न..
वो इसे निकाल देगा.. पर तुम्हें इसे मनाना खुद ही पड़ेगा।
तो वो मुस्कुराते हुए बोली- अरे फिर देर कैसी.. एक बार
निकाल दो.. फिर देखो.. इसे मैं कैसे प्यार से मनाती हूँ।
तो मैंने भी गाड़ी एक बगल में ली और जींस का बटन खोल कर
नीचे सरका दी और अपनी चड्डी को साइड से पकड़ कर अपने
सरियानुमा लौड़े को हवा में लहरा दिया।
वो एकदम ऐसा अकड़ा हुआ किसी झंडे की तरह खड़ा था
जिसे माया देखकर अपनी मुस्कान न रोक सकी।
वो मेरे लौड़े को हाथ में लेकर उसे प्यार से सहलाने लगी और
बोली- अरे वाह.. तू तो हर समय तैयार रहता है.. मुझसे नाराज
हो गया था क्या?
जो मेरे निकालने पर नहीं निकल रहा था।
मैं फिर से गाड़ी चलाने लगा.. पर अब रफ़्तार धीमी थी..
ताकि कोई दिक्कत न हो।
उधर माया लगातार मेरे लौड़े को प्यार किए जा रही थी जो
कि मेरे अन्दर की कामुकता को बढ़ने के लिए काफी था।
मैंने बोला- ये आज ऐसे नहीं मानेगा..
वो- फिर कैसे?
मैंने बोला- अरे इसे प्यार करो.. चूमो-चाटो.. तब शायद कोई
बात बन जाए।
मैंने भी माया का दायां चूचा दबा दिया.. जिसके लिए वो
तैयार न थी।
मेरे इस हमले से उसके मुँह से एक दर्द भरी ‘आह्ह्ह्ह्ह्’ निकल गई और
उसने भी जवाब में मेरे लौड़े को कस कर दबा दिया.. जिससे मेरे
भी मुख से एक ‘आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ निकल गई।
फिर उसने अपने होंठों से मेरे गाल पर चुम्बन किया और मेरे लौड़े
के टोपे पर अपने होंठों को टिका कर उसे चूसने लगी।
उसकी इतनी मादक चुसाई से मेरे शरीर में कम्पन होने लगा..
खैर.. वो माया को बोली- आपके अचानक अन्दर आ जाने पर
सर बहुत परेशान से हो गए थे.. उनकी हालत तो देखने वाली
थी.. लगता है आपको कुछ ज्यादा ही प्यार करते हैं।
तो माया मुस्कुरा कर मेरे पास आई और मेरे हाथ पकड़ कर
बोली- तुम इतनी जल्दी क्यों परेशान हो जाते हो? तो मैंने
बोला- तुम बिना बताए अचानक यहाँ आ गईं और मुझे नहीं
दिखीं.. तो मेरा परेशान होना तो लाजिमी है।
उसने मुझसे ‘सॉरी’ बोलते हुए कहा- यार मेरी कंडीशन ही ऐसी
हो गई थी कि मैं क्या करती?
मेरी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ?
फिर मैंने बोला- चलो कोई बात नहीं.. अब तुम ठीक हो न?
तो उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया.. फिर हम दोनों बाहर आए और
गेटमैन से गाड़ी मंगवाई और घर की ओर चल दिए।
रास्ते में मैंने उससे पूछा- माया जब तुम शैम्पेन बर्दास्त नहीं कर
सकती थीं तो पीने की क्या जरुरत थी?
तो वो बोली- मैं तो बस तुम्हें वो सब देने के लिए ऐसा कर रही
थी.. जो आजकल की लड़कियाँ करती हैं।
मैंने भी उसके इस प्यार का जवाब माया ‘आई लव यू.. वेरी मच’
बोलकर दिया।
जिस पर माया के चेहरे की ख़ुशी दुगनी हो गई और आँखों में
एक अजीब सी चमक साफ़ दिखने लगी।
शायद वो अपने तन-मन से मुझे बहुत चाहने लगी थी.. उसने भी
अपना एक हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और बोली- राहुल सच
में.. तुम भी मुझसे प्यार तो करते हो न..
मैंने भी ‘हाँ’ में जवाब दिया.. तो बोली- राहुल मैं तुम्हें वो
सारी खुशियाँ दूँगी जिसके तुम हकदार हो.. तुम जैसा चाहोगे
मैं वैसा ही करुँगी.. पर मेरे लिए अपने दिल में हमेशा यूँ ही जगह
बनाए रखना.. वरना मेरा क्या होगा।
यह कहते हुए वो अपने हाथों को मेरी जाँघों में फिराने लगी।
जिससे मेरा जोश बढ़ने लगा.. मुझे उसका इस तरह से छूना बहुत
ही आनन्ददायक लग रहा था।
मैं भी उसके स्पर्श का मज़ा लेते हुए उससे रोमांटिक बातें करने
लगा और घर जाने के लिए मैंने लम्बा वाला रास्ता पकड़
लिया ताकि इस रोमांटिक समय को और ज्यादा देर तक
एन्जॉय किया जा सके।
मेरे लम्बे रास्ते की ओर गाड़ी घुमाते ही माया मुस्कुराकर
मुझसे बोली- क्या बात है.. तुमने लम्बा रास्ता क्यों पकड़
लिया?
तो मैंने उसे बताया- तुम्हारे साथ इस पल को और लम्बा
बनाना चाहता था.. बस इसीलिए।
फिर माया मेरी ओर थोड़ा खिसक आई और मेरे लौड़े को जींस
के ऊपर से ही रगड़ने मसलने लगी। उसकी इस हरकत से मेरे कल्लू
नवाब को एक पल बीतते ही होश आ गया और वो अन्दर ही
अन्दर अकड़ने लगा.. मानो जिद कर रहा हो कि बस अब मुझे
आज़ाद कर दो।
माया ने जब मेरे लण्ड का कड़कपन अपनी हथेलियों में महसूस
किया.. तो उसने मेरी जींस की ज़िप खोल दी और अन्दर
हाथ घुसेड़ कर लण्ड को मुट्ठी में भरते हुए निकालने लगी.. पर
इतनी आसानी से वो कहाँ निकलने वाला था।
इस वक़्त वो अपने पूरे होश ओ हवाश में खड़ा हो चुका था। वो
उस वक़्त इतना सख्त हो चुका था कि मेरी वी-शेप की चड्डी
में नहीं मुड़ पा रहा था।
माया ने कई बार उसे दबा कर एक बगल से निकालने का प्रयास
किया.. पर जब वो न निकाल पाई तो कहने लगी- राहुल क्या
बात है.. आज यह मेरा छोटा राहुल लगता है मुझसे नाराज हो
गया है.. देखो कितनी देर से मैं इसे देखने के लिए तड़प रही हूँ.. पर
यह है कि निकल ही नहीं रहा है।
तो मैंने भी मज़ाक में बोल दिया- अरे ये तुम्हारा राहुल है न..
वो इसे निकाल देगा.. पर तुम्हें इसे मनाना खुद ही पड़ेगा।
तो वो मुस्कुराते हुए बोली- अरे फिर देर कैसी.. एक बार
निकाल दो.. फिर देखो.. इसे मैं कैसे प्यार से मनाती हूँ।
तो मैंने भी गाड़ी एक बगल में ली और जींस का बटन खोल कर
नीचे सरका दी और अपनी चड्डी को साइड से पकड़ कर अपने
सरियानुमा लौड़े को हवा में लहरा दिया।
वो एकदम ऐसा अकड़ा हुआ किसी झंडे की तरह खड़ा था
जिसे माया देखकर अपनी मुस्कान न रोक सकी।
वो मेरे लौड़े को हाथ में लेकर उसे प्यार से सहलाने लगी और
बोली- अरे वाह.. तू तो हर समय तैयार रहता है.. मुझसे नाराज
हो गया था क्या?
जो मेरे निकालने पर नहीं निकल रहा था।
मैं फिर से गाड़ी चलाने लगा.. पर अब रफ़्तार धीमी थी..
ताकि कोई दिक्कत न हो।
उधर माया लगातार मेरे लौड़े को प्यार किए जा रही थी जो
कि मेरे अन्दर की कामुकता को बढ़ने के लिए काफी था।
मैंने बोला- ये आज ऐसे नहीं मानेगा..
वो- फिर कैसे?
मैंने बोला- अरे इसे प्यार करो.. चूमो-चाटो.. तब शायद कोई
बात बन जाए।
मैंने भी माया का दायां चूचा दबा दिया.. जिसके लिए वो
तैयार न थी।
मेरे इस हमले से उसके मुँह से एक दर्द भरी ‘आह्ह्ह्ह्ह्’ निकल गई और
उसने भी जवाब में मेरे लौड़े को कस कर दबा दिया.. जिससे मेरे
भी मुख से एक ‘आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ निकल गई।
फिर उसने अपने होंठों से मेरे गाल पर चुम्बन किया और मेरे लौड़े
के टोपे पर अपने होंठों को टिका कर उसे चूसने लगी।
उसकी इतनी मादक चुसाई से मेरे शरीर में कम्पन होने लगा..