दो भाई दो बहन compleet

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raj..
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Re: दो भाई दो बहन

Unread post by raj.. » 19 Dec 2014 14:22

19

गतान्क से आगे.......

रिया को पता था कि राज को उसकी चुचियों बहोत पसंद है इसलिए

उसने झुकते हुए अपनी एक चुचि उसके मुँह मे दे दी. अब राज एक हाथ

से उसकी चुचियों को दबाते हुए उसकी दूसरी चुचि को किसी बच्चे की

तरह चूसने लगा.

"आज जो कुछ करना है वो में करूँगी, बस तुम आराम से लेट कर

मज़े लो." रिया ने कहा.

वो राज के चेहरे को अपनी चुचियों के बीच घूमने लगी, और राज

उसके बदन से उठती उन्माद की और प्जुम की खुश्बू मे खोने लगा.

रिया अपनी चुचि को उसके मुँह के आगे करती तो वो अपनी जीब निकाल

उसे चाटता और जब अपना मुँह खोल उसके निपल को अंदर लेने की

कोशिश करता तो वो अपनी चुचि को पीछे हटा उसे चीढ़ा देती.

राज को इस खेल मे मज़ा आ रहा था, उसे आच्छा लग रहा था कि रिया

वो सब ही कर रही थी जो उसे पसंद था. वो एक हाथ से उसकी चुचि

को दबाते हुए उसकी कमर को सहलाने लगा.

रिया थोड़ा उठी और उसके मुँह पर झुकते हुए अपनी दोनो चुचियों को

पकड़ दोनो निपल एक साथ उसके मुँह मे डाल दिए. राज भी उसके निपल

को चुलबुलाने लगा. राज का लंड पूरी तना हुआ था.

रिया उसकी छाती से उतर उसकी कमर के पास बैठ गयी फिर उसकी

शॉर्ट्स को खोल उसने उसकी शॉर्ट्स और अंडरवायर दोनो साथ साथ उतार

दी. फिर अपनी शॉर्ट्स भी उतार वो नंगी हो गयी. फिर उसके खड़े

लंड को पकड़ मसल्ने लगी.

"तुम्हारा लंड तो बहुत मोटा और लंबा है." रिया सेक्सी आवाज़ मे

धीरे से बोली, 'मुझे तुम्हारे गरम वीर्य का स्वाद बहुत अच्छा लगता

है.. में तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूँ........ ऑश कितना अच्छा

लग रहा है ऊऊओ."

रिया उसपर झुकी हुई उसके लंड को चूस रही थी. राज उसके कुल्हों

पर फेर रहा था. राज ने कभी इस तरह गंदी बातें नही की थी

और आज रिया की ये गंदी बातों ने उसकी उत्तेजना को चरम सीमा पर

पहुँच दिया था. इस वक़्त वो जितना रिया को चोद्ना चाहता था उतनी

चाहत उसे कभी किसी के लिए नही हुई थी.

रिया अब उसके लंड को जोरों से चूस रह थी. साथ ही अपनी मूठ मे

पकड़ मसल्ति भी जा रही थी. वो कभी अपनी जीब को सूपदे पर

फिराती और कभी उसके लंड को मुठ्ठी मे पकड़ उपर से नीचे तक अपनी

जीब फिराते हुए चाटती.

"उम्म्म तुम्हारे लंड का स्वाद कितना अच्छा लग रहा है..." उसने अपनी

गंदी बातें चालू रखी.." क्या तुम अपने इस घोड़े जैसे लंड से

मुझे चोदने को तैयार हो..? म्‍म्म्मम तुम्हे यही पसंद है

नाअ?....... आय तुम अपना पानी मेरे मुँह मे छोड़ना चाहते हो? तुम्हे

क्या पसंद है बस मुझे बता दो... आज की रात मैं पूरी तरह से

तुम्हारी हूँ."

राज रिया के अचानक बदले हुए व्यवहार से चौंक पड़ा था लेकिन वो

खुश था और उसे मज़ा आ रहा था. उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि

जैसे पूरे शरीर का रक्त आकर उसके लंड की नसों मे जमा हो गया

हो.

वैसे तो वो कभी गंदी बातें करता नही था लेकिन आज रिया का

साथ देते हुए उसने कहा, 'हाआँ में तुम्हारी चूत मारना चाहता

हूँ."

"हाआँ मेरे राजा तुम्हारे लंड को मेरी चूत मिलेगी... आअज में

तुम्हारी हूँ.... ऑश "

रिया राज पर चढ़ गयी और थोडा उँचा उठ उसके खड़े लंड को अपनी

चूत पर लगाते हुए उस पर बैठती चली गयी.

"श लगता है तुम्हारा लंड तो आज मेरी चूत को फाड़ कर रख

देगाअ ऑश." रिया उछल उछल कर धक्के लगा उसके लंड को अपनी

चूत मे लेने लगी.

राज को भी आज रिया की चूत काफ़ी कसी हुई लग रही थी. उसने अपने

दोनो हाथ रिया की कुल्हों के नीचे लगाए और नीचे से अपनी गंद

उठा कर धक्के मारने लगा.

"ऑश हाां राज तुम्हारा लंड तो बहुत मोटा है ऑश हाआँ मज़ाअ

आ गया" रिया सिसकते हुए धक्के लगाने लगी.

रिया उपर उठती और जब लंड का सिर्फ़ सूपड़ा अंदर रह जाता तो ज़ोर से

बैठ जाती और उसके लंड को पनी चूत के जड़ों तक ले लेती. राज

उन्माद सिसक रहा था. आज जैसा मज़ा उसे पहले कभी नही आया था.

वो अपने हाथो को अपनी चूत और लंड पर रखती और फिर अपनी

उंगलियों को बहते रस से भीगोति फिर उसे अपनी चुचियो और निपल

पर मसल देती. फिर झुक कर अपनी चुचि और निपल राज के मुँह मे

दे देती. राज भी कामविभोर हो उसकी चुचियों को चाटने लगता.

"उम्म्म तुम्हे अच्छा लग रहा है ना? तुम्हे मेरी चूत को चोदने मे

मज़ाआ आता है ना? रिया धक्के लगा बोल रही थी.

"हाआँ बहुत अच्छा लग रहा है."

"मेरी गंद मारना चाहोगे.... पहले कभी किसी मारी है....." रिया ने

पूछा.

"पता नही." राज ने जवाब दिया.

रिया ने खिलखिलाते हुए उसके लंड को अपनी चूत से निकाला और फिर

थोड़ा सा आगे को खिसकी और उसके लंड को अपनी गंद के छेद पर रख

लिया फिर धीरे धीरे उसके लंड पर बैठती चली गयी.

राज ने मेहूस किया कि जैसे उसका लंड किसी छोटी नली को चीरता हुआ

अंदर घुस रहा है..... ऑश कितनी कसी कसी गंद है इसकी......

ओह्ह्ह्ह मज़ा आ गया... उसने सोचा.

राज ने अपने आपको थोड़ा सीधा किया और उसके कुल्हों को पकड़ अपने

लंड को और उपर को उठा अपना लंड उसकी गंद मे घुसाने लगा. उपर

से रिया उसके लंड पर बैठ रही थी और नीचे से राज अपने लंड को

पेल रहा था.

रिया की गंद मे दर्द हो रहा था..... उससे सहन नही हो रहा था

और उसकी आँखों मे आँसू आ गये... अपने होठों को दांतो के बीच

दबा उसने अपनी करहों को रोका और अपना हाथ अपनी चूत पर रख

उससे बहते रस को अपनी उंगलियों मे ले राज के लंड पर मसालने लगी.

जब राज का लंड तोड़ा गीला हो गया तो वो अब उछाल उछाल कर उसके

लंड को अपनी गंद मे लेने लगी.

"अच्छा लग रहा है नाअ राज?" रिया ने पूछा.

'हाआँ बहोट अच्छा लग रहा है.. बहोट ही ज़्यादा कसी हुई तुम्हारी

गंद..." राज ने कहा.

राज के अकड़ते लंड से रिया समझ गयी की वो अब झड़ने वाला है,

रिया ने अपने आपको और उसके लंड पर दबा दिया और तभी राज ने अपने

कूल्हे घास पर से उठा अपने लंड को और अंदर तक धकेलते हुए अपना

वीर्य उसकी गंद मे छोड़ दिया. फिर रिया उसके उपर से उठकर उसके

बगल मे घास पर लेट गयी.

"पसंद आया राज?" रिया ने पूछा.

"हां बहोत मज़ा आया," राज ने जवाब दिया, "में हमेशा सोचा

करता था की गंद मे कैसा लगेगा, लेकिन आज पता चला की गंद

मारने मे ज़्यादा मज़ा है."

"जब तुम और तुम्हारी छोटी बेहन मेरे साथ रहने आ जाओगे तो हम और

भी बहोत कुछ कर सकते है." रिया ने कहा.

राज सोच मे पड़ गया कि क्या वो रिया के साथ इह हद तक आगे बढ़ कर

ठीक कर रहा है, क्या वो रोमा के साथ ग़लत कर रहा है.... उसकी

समझ मे नही आ रहा था.

इस अंधेरे मे भी रिया ने उसके मन के भाव पढ़ लिए...

"में चलती हूँ." रिया ने उससे कहा.

राज खड़ा हुआ और अपने कपड़े पहन तालाब की ओर चल पड़ा, उसके

दीमाग मे दौड़ रहा था कि वो रोमा से क्या बहाना बनाएगा कि उसे

इतनी देर क्यों लग गयी. उसने देखा कि रोमा तालाब के किनारे घास पर

बैठी थी.

"कहाँ थे तुम अब तक," रोमा ने उसे आते देखा तो पूछा, "और ये तुम

पसीने से क्यों भीगे हुए हो?

"वो क्या है कि मेने जॉब की अप्प्लिचतिओन्स दे थी ना तो उनका फोन

आया था वो इंटरव्यू के लिए टाइम निस्चित करना चाहते थे." राज ने

जवाब दिया.

रोमा उसके जवाब से सहमत नही हुई, "वो तो ठीक है लेकिन तुम इतना

पसीने मे कैसे भीग गये?"

उसकी समझ मे नही आया कि क्या जवाब दे. वो सच कह कर उसे दुखी

नही करना चाहता था.

"राज"

"वो क्या है ना रिया मेरे साथ छेड़खानी कर रही थी, उसने बियर का

कॅन लेकर मुझपर चिड़क रही थी, इसलिए उससे बचने के लिए में

भाग रहा था.

रोमा रिया और राज दोनो को पसंद करती थी इसलिए उसने तुरंत राज के

इस बहाने को मान लिया. उसे अपने भाई पर प्यार आ गया.

"यहाँ मेरे पास आओ." रोमा ने पानी बाहें फैलाते हुए कहा.

राज उसके नज़दीक आया और उसे अपनी बाहों मे भर लिया, "आज जो कुछ

भी हामरे साथ हुआ उस पर मुझे तो अभी विस्वास नही हो रहा,

तकदीर इतनी भी मेहरबान हो सकती है मुझे पता नही था.

"हां में समझ सकता हूँ.' राज ने उसे चूमते हुए कहा.

"राज चलो आज इस इस खुले आसमान के नीचे दोनो तालाब मे इकट्ठे

नंगे होकर स्नान करते है., सही मे बहोत मज़ा आएगा," रोमा ने

कहा, "और हमे कोई देख भी नही पाएगा."

"आज नही रोमा, आज वैसे भी बहोत कुछ हुआ हमारे साथ, फिर

कभी." राज ने उससे कहा.

raj..
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Re: दो भाई दो बहन

Unread post by raj.. » 19 Dec 2014 14:23

"राज आज की रात में तुम्हारी बाहों मे सोना चाहती हूँ, प्लीज़ आज

मेरे साथ सो जाओ." रोमा ने प्यार भर स्वर मे कहा.

कई ख्यालात थे जो राज के दीमाग मे मंडरा रहे थे..... क्या उसे

रोमा के साथ उसके रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहिए आख़िर वो उसकी

छोटी बेहन थी......

राज उससे कुछ कहता कि तभी कहीं पेड़ों के पीछे से रिया हाथ मे

बियर का कॅन लिए आई...

"में डिस्टर्ब तो नही कर रही ना?" उसने दोनो से पूछा.

राज खड़ा हो गया और अपने कुल्हों पर से मिट्टी झाड़ते हुए

बोला, "में वापस घर जा रहा हूँ."

रिया आकर राज की जगह पर रोमा के पास बैठ गयी.

"राज काफ़ी खुश लग रहा है ना, आख़िर हमारे सारे सपने पूरे नज़र

होते आ रहे है." रोमा ने आपनी आखों के आँसू छिपाते हुए कहा, जो

राज की बेरूख़ी ने एक बार फिर उसे दिए थे.

कुछ दिन बाद राज और रोमा ने कॉलेज मे प्रवेश ले लिया और शहर मे

अपना एक छोटा सा घर खरीद लिया और वही रह कर अपनी पढ़ाई

करने लगे फिर कुछ दिन बाद रिया को भी अपने पास बुला लिया

........................................

रोमा अपने भाई राज के शरीर पर से अलग हुई तो उसकी चूत से सफेद

रस बह कर उसकी जाँघो पर बहने लगा. अपने भाई के बगल मे लेटने

के बाद वो उसके कान मे फुसफुसा.

"दिन पर दिन तुम चुदाई कुछ अच्छी करने लग रहे हो."

"तुम्हे ये कमरा कुछ अजीब सा नही लग रहा है." राज ने उसे चूमते

हुए पूछा.

"ये तुम्हे इसलिए लग रहा है कि तुम पहली बार घर से बाहर रह

रहे हो. आख़िर हम घर से दूर है, अब हमारा खुद का घर है,

हमारे पास हमारी गाड़ी है......सब कुछ है हमारे पास." रोमा

हस्ते हुए बोली.

"और हमारे आने वाला सुन्दर भविश्य..." राज ने उसकी बात को पूरा

करते हुए कहा.

"हां एक सुदर और उज्वल भविश्य." रोमा ने उत्साह से कहा, और उठ

कर सीधे उसकी आँखों मे झाँकते हुए बोली, "दुनिया मे ऐसा कुछ

नही है जो हम दोनो साथ मिलकर नही कर सकते."

उसकी बेहन रोमा जहाँ एक पतंग की तरह आसमान मे उड़ने की कोशिश

कर रही थी वहीं राज को भविश्य मे आने वाले आँधकर की

परछाईयाँ नज़र आ रही थी.सोच ख़याल अपने तक ही सीमित रखी.

रोमा ने बेड के साइड टेबल पर पड़ी घड़ी की तरफ निगाह डाली और

गहरी साँस लेते हुए बोली, "काश हम पूरे दिन इसी तरह घ्रा पर

रह कर प्यार कर पाते."

"मुझे भी स्नान कर के काम पर जाना है." राज ने भी घड़ी पर

निगाह डालते हुए बोला.

जैसे ही राज चादर के नीचे से निकल कर खड़ा हुआ रोमा की निगाह

राज के ढीले पड़ते लंड पर पड़ी. राज की जाँघो के बीच के हिस्सा

एक दम सॉफ था. इस बार रोमा ने खुद उसकी झांते सॉफ की थी, और

राज ने उसकी.

तभी रोमा को बगल के कमरे घड़ी की अलार्म सुनाई दी... वो दौड़

नंगी ही कमरे से भागी और रिया के बिस्तर पर कूद पड़ी. रिया

हमेशा बिस्तर के कौने पर सोती थी जिससे कि काफ़ी सारा पलंग

खाली पड़ा रहता था. रिया ने उसे बाहों मे लिया और चूमने

लगी.... रिया ने मुस्कुराते हुए आअंख खोली.

"क्या बात है आज बहोत जोश मे हो?" रिया ने उसे बाहों मे भरते हुए

कहा.

रोमा ने उसे कुछ कहा सिर्फ़ उसकी चादर मे घुस गयी और अपने नंगे

बदन को रिया के नंगे बदन से रगड़ने लगी.

"लगता है कि अच्छा समय गुज़ार कर आ रही हो?" रिया ने उसके

समूचे बदन पर प्यार की खुसबु सूंघते हुए कहा.

"हां बहोत ज़्यादा, और वो प्यार भरे लम्हे तुम्हारे साथ बाँटना

चाहती हूँ." रोमा ने हंसते हुए कहा.

"बाँटना?"

रोमा ने रिया के नंगे बदन को अपनी बाहों की गिरफ़्त मे लिया और उसकी

चुचियों को पकड़ मसल्ने लगी. अपनी उग्लियों मे उसके निपल को ले

भींचने लगी. थोड़ी ही देर मे रिया के निपल तन कर खड़े हो

गये.

"प्लीज़ ऐसा मत करो ना गुदगुदी होती है ना?" रिया ने झूठा विरोध

दीखाते हुए कहा.

रोमा उस पर चढ़ि हुई उसकी चुचियों को मसल्ने लगी साथ ही अपनी

चूत को उसकी चूत से भी रगड़ रही थी.... प्यार का अमृत दोनो की

चूत से बहने लगा था.

"रोमा मुझे जल्दी ही जाना है." रिया ने कहा.

रोमा रिया की बात सुनकर शैतानी मुस्कुराहट से हंस दी. रिया जानती

थी कि रोमा उसे छोड़ने वाली नही है इसलिए उसने अपने आपको उसके

हवाले कर दिया... रोमा के होंठ रिया के होठों को छुए और रिया ने

उसके होठों को मुँह मे लिया और चूसने लगी. रोमा ने अपनी जीब उसके

मुँह मे डाल दी और दोनो एक दूसरे को ज़ोर से भीचे चूमने लगे...

रिया की चुचियाँ और चूत दोनो मचल उठी.

"तुम बड़ी शैतान हो." रिया ने उसकी चुचियों को पकड़ते हुए कहा.

रोमा अब उसके होठों को चूमते हुए उसकी गर्दन पर चुंबन देने

लगी... और उसकी चुचियों को मसल्ते हुए उसकी चुचियों के चारों

और अपनी जीब फिराने लगी.

रिया की सिसकारिया बढ़ने लगी थी, "श रोमा क्या कर रही हो.... मार

ही डालगी क्या ओह."

रोमा अब उसकी चुचियों को मुँह मे ले चूसने लगी, साथ ही उसके

निपल को भींच लेती या फिर अपनी जीब से कुरेदने लगती. उसकी

चुचियों को चूसने और चूमने के बाद वो उसकी चुचियों को पकड़े

नीचे खिसकने लगी.. उसके पेट को चूमने लगी... उसकी नाभि मे

जीब घूमाने लगी....

रिया से सहन नही हो रहा था, उसने चादर को अपने बदन से अलग

किया और अपनी टाँगो को पूरी तरह फैला दिया. रोमा उसके पेट को

चूमते हुए और नीचे खिसकी और उसकी जाँघो के अन्द्रुनि हिस्से को

चूमने लगी..... उसकी चूत से बहते रस को अपनी जीब से चाटने

लगी...

उत्तेजना मे रिया की साँसे उखाड़ रही थी... "ऑश रोमम्म ऑश हाआँ

ऑश."

रोमा अब उसकी टाँगो की बीच उसकी चूत के करीब आ गयी और उसकी

चूत पर अपनी जीब फिराने लगी... रिया ने अपनी टाँगो को मोड़ा और

अपने कूल्हे उठा अपनी चूत को रोमा के मुँह के और करीब कर दिया.

रिया के इस अंदाज़ ने रोमा को और लालचा दिया.... उसने अपनी उंगलियों

से रिया की चूत की पँखो को थोड़ा फैलाया और अपनी जीब उसके अंदर

फिराने लगी.

रिया अपनी कमर उठा अपनी चूत को उसकी जीब पर रगड़ने लगी..

तभी रोमा ने अपनी बीच वाली उंगली को उसकी चूत मे डाल गोल गोल

घूमाने लगी. थोड़ी देर घूमाने के बाद वो अपनी उंगली को अंदर

बाहर कर रही थी और साथ ही अपनी जीब से उसकी चूत को चाट रही

थी.

'ऑश रोमा हाआँ चोदो मुझे अपनी जीएब से और उंगली से ऑश हाँ

और अंदर तक डालो ना पनी जीएब कूऊ ऑश हाां ."

रोमा और ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत को चूसने लगी... अपनी जीब को और

उंगली को वो अंदर तक डाल अंदर बाहर करने लगी... रिया का शरीर

अकड़ने लगा और उसने अपनी टाँगे रोमा की गर्दन मे फन्सा उसके सिर को

और अपनी चूत पर दबा लिया.

'ऑश हहाआँ चूसो और ज़ोर से चूसो ऑश में तो गयी......" रिया

सिसकी और उसकी चूत ने रोमा के मुँह को अपने रस से भर दिया.

रिया रोमा के बगल मे लेट अपनी उखड़ी सांसो पर काबू पा रही

थी.... वो तक चुकी थी और अभी तो दिन की शुरुआत हुई थी.

"ओह्ह रोमा क्या अच्छी शुरुआत कराई है तुमने मेरे दिन की... थॅंक

यू." रिया ने उसे चूमते हुए कहा.

"हां वो तो है." रोमा और राज के साथ हुई सुबह की चुदाई को याद

कर बोली."

"रोमा मे बस दो मिनिट मे तैयार होती हूँ फिर बाथरूम तुम्हारे

लिए है." कहकर रिया बाथरूम मे घुस गयी.

एक शाम रिया का मन कर रहा था कि वो घर से दूर कहीं पार्टी

मनाने चली जाए. जब वो घर पहुँची तो देखा कि रोमा और राज

किचन की टेबल पर किताबे खोले पढ़ाई ले लगे हुए थे.

"क्यों ना आज हम सब कहीं किसी अच्छे पब मे जाकर मस्ती करे?" रिया

ने कहा.

क्रमशः..................


raj..
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Re: दो भाई दो बहन

Unread post by raj.. » 20 Dec 2014 15:19

20

गतान्क से आगे.......

रिया की बात सुनकर राज तो उछल पड़ा लेकिन रोमा को देख चुप हो

गया. रोमा के चेहरे पर झल्लाहट सॉफ नज़र आ रही थी. उसने राज

को भी खुश होते देख लिया था.

"यार ये सवाल तो मेरी समझ मे ही नही आते और ना ही दीमाग मे

घुसते है....' रोमा ने अपनी कॉलेज की कीताबो को देखते हुए कहा.

"राज क्या तुम चलना चाहोगे?" रिया ने पूछा.

राज की जगह रोमा जवाब देते बोली, "देखो रिया राज ने मुझे प्रॉमिस

किया था कि वो मुझे कभी अकेला नही छोड़ेगा... इसलिए क्या ये

ठीक होगा कि वो मुझे इस तरह पढ़ाई करता छोड़ चला जाए."

"ऐसी कोई बात नही है... मुझे कोई दूसरा साथी मिल जाएगा जिसके

साथ मे थोड़ी मस्ती कर सकती हूँ.' रिया ने कहा.

"रिया आज की रात तुम भी घर पर ही रुक जाओ ना?" रोमा ने

कहा, "बहुत थॅकी हुई भी लग रही हो... अगर तुम और राज कुछ

करना चाहते हो तो यहाँ कर सकते हो में बुरा नही मानूँगी."

"नही ऐसी कोई बात नही है... बस आज में इस घर से दूर जाकर

एक दो ड्रिंक लेना चाहती हूँ..." कहते हुए रिया बाथरूम मे घुस

गयी.

रोमा ने अपनी झल्लाहट राज पर उतारते हुए कहा, "इस बारे मे सोचना

भी मत.. यहाँ आने से पहले तुमने मुझसे वादा किया था कि तुम रिया

और तुम्हारे रिश्ते को आगे नही बाधाओगे... पर तुम दोनो को आपस मे

देख मुझे विश्वास करना मुश्किल होता जा रहा है"

राज जानता था कि यहाँ आने से से पहले उसने रोमा को कई वादे किया

थे... लेकिन उन वादों को निभना उतना आसान नही था जितना की रोमा

समझती थी... पर इस विषय पर बहस करके भी तो फ़ायदा नही

था... इसलिए वो चुपचाप अपनी पढ़ाई मे लग गया.

* * * * * * * * *

रिया अपनी गाड़ी से अपने पहचान के पब पहुच गयी. जब उसने पब मे

कदम रखा तो देखा कि संगीत जोरों से बज रहा था... पब खचा

खच भरा पड़ा था और जोड़े अपनी मस्ती मे लगे एक रंगीन रात का

आनंद उठा रहे थे.

जब रिया ने पब के अंदर कदम रखा तो एक नौजवान की नज़र उस पर

पड़ी और वो समझ गया कि आज ये लड़की किसी की तलाश मे है.. उसने

उसी वक्त उसे अपना रात का साथी बनाने का फ़ैसला कर लिया. रिया ने

एक महीन कपड़े का सफेद ब्लाउस पहना हुआ था जिससे उसकी भारी

चुचियाँ झलक रही थी.. और नीचे उसने काले रंग का स्कर्ट

पहना हुआ था.

रिया बार काउंटर पर पहुँच द्रिक का ऑर्डर करने ही जा रही थी कि

उसने किसी के हाथ को अपने कंधे पर महसूस किया.. "क्या मेरे साथ

पीना पसंद करोगी?"

रिया ने मना नही किया और फिर ऐसी जगह पर शराब सस्ती भी

कहाँ थी... "हां क्यों नही में वोड्का विथ लेमन लूँगी." उसने

कहा.

रिया बार काउंटर का सहारा लेकर पब के चारों और नज़रें फिराने

लगी. बार काउंटर के चारों और करीब 15-20 टेबल कुर्सी लगी हुई

थी. और आख़िर मे डॅन्स फ्लोर बना हुआ था. और उसके पीछे कमरे

बने हुए थे जो शायद आराम करने के लिए बनाए गये थे या फिर

दिल बहलाने के लिए. रिया आज पहली बार इस पब मे आई थी.

अपनी कोहनी पर किसी के स्पर्श का अहसास हुआ तो उसने पलट कर

देखा... उस नौजवान ने उसे उसकी ड्रिंक पकडाई... पेग काफ़ी तगड़ा था

शायद उसने जान बूझ कर बनवाया था...उसने निस्चय कर लिया कि वो

ज़्यादा नही पिएगी जिससे की नशा हो जाए.

थोड़ी ही देर मे जोरों से संगीत शुरू हो गया और रिया... उस

नौजवान की बातें सुन नही पा रही थी.. उसने कोने की एक टेबल की

और इशारा किया... रिया ने देखा कि एक मर्द पहले से ही वहाँ बैठा

हुआ था और हाथ हिला कर इशारा कर रहा था. जैसे ही वो टेबल के

नज़देक पहुचि उस नौजवान ने बगल की टेबल को खींच कर अपनी

टेबल से मिला दिया जिससे कि चार लोग अब टेबल पर बैठ सकते थे.

डॅन्स फ्लोर पर सात आठ जोड़े नाच रहे थे... रिया उस नौजवान के

साथ डॅन्स फ्लोर से होती हुई टेबल की ओर बढ़ गयी.

टेबल पर पहुँच कर रिया उस नौजवान की महिला साथी के बगल मे

बैठ गयी.

"मुझे आशीष कहते है " कहते हैं." उस नौजवान ने अपना

परिचय कराया.

"मुझे रिया कहते है." रिया ने खुद का परिचय दिया.

टेबल पर पहुँच कर रिया के साथी ने पहली बार अपना परिचय

दिया, "मुझे विनोद कहते है."

ड्रिंक ख़त्म होने पर विनोद ने रिया से डॅन्स के लिए कहा तो वो टेबल

पर से उठ गयी. विनोद उसका हाथ पकड़ कर उसे डॅन्स फ्लोर पर ले

आया. बहुत ही हल्की धुन का गाना बज रहा था जिससे बातें करने

मे कोई परेशानी नही थी.

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