पूरे रास्ते ललिता सोचती रही कि कैसे उसको मयंक ने ब्वकूफ़ बनाया और उसको ज़रा
सा भी पता नही चला..... उसे उस चौकीदार से चुद्वाने में भी कुच्छ ग़लत
नही लग रहा था क्यूंकी अंत में वो मयंक को सबक दिलाने में मदद कर रहा था... मगर जिस तरह से उस गोलू चौकीदार ने उसे चोदा वैसे शायद ही उसे कोई चोद पाएगा..."
शाम को जब ललिता सोकी उठी तब उसने चेतन को सोफे पे देखा जोकि परेशान हाथ
में फोन लिए बैठा था.. ललिता उसके पास जाके बैठी और पूछा "क्या बात है??"
चेतन बोला "कुच्छ नहीं"
ललिता बोली "बता ना मुझे"
चेतन ने आस पास अपनी मम्मी को ना पाते हुए बोला "एक बात है मगर आप मम्मी
को नहीं बताओगे" ललिता ने प्रॉमिस कहा... फिर चेतन बोला "चंदर है ना उसने अपने
घर की चाबी मयंक को दी थी.. वो जो आया था ना घर पे एक दिन रहने के लिए उसको..
हां तो चंदर तो स्कूल में था और वो घर पे अब नज़ाने कैसे उसकी मा घर
पहुचि और उसने मयंक को ज़मीन पर बिना कपड़े के देखा.. अब उसकी मा को
लग रहा है कि वो कोई लड़की वगेरा लाया था वहाँ पे और उसकी वजह बड़ी दिक्कत हो गई है यार"
ये सुनके ललिता मन ही मन मुस्कुरा दी.. उसे नहीं पता था कि बात यहाँ तक पहुच जाएगी मगर अब उसे लगा कि उसका बदला पूरा हो गया और वो मन ही मन उस
चौकीदार की वफ़ादारी को भी सलाम करने लगी..
रात को ललिता अपने बिस्तर पड़ी किस्मत के खेल पर हंस रही थी कि कहाँ चंदर से वो पहली बार
चुद्ना चाहती थी और वो हसरत उसकी मयंक ने पूरी करी और जब मयंक उसको चोद्ना चाहता था तब
चंदर के चौकीदार ने उसको चोद दिया... दोनो बारी उसकी चाहत कुच्छ और थी मगर उसका उल्टा हुआ और उस
उल्तेपन ने भी उसको काफ़ी मज़ा दिया.... जिस तरह से मयंक और गोलू ने उसे चोदा था शायद ही
चंदर वैसे कुच्छ कर पाता... उन दोनो में हिम्मत और अकल थी इसलिए वो ललिता को चोद पाए...
और इन दो चीज़ो की तो ललिता दीवानी भी थी.... सोचते सोचते ललिता का हाथ अपने टॉप के अंदर चले गया
और वो अपनी चुचियाँ से खेलने लगी.... हल्की हल्की आवाज़ें उसके कमरे में आने लगी...
उसका ध्यान तब टूटा जब उसके मोबाइल की लाइट जली... ललिता ने हाथ बढ़ा मोबाइल उठाया तो मैसेज आया
हुआ था जिसपे लिखा था "साली तुझे तो मैं मुँह दिखाने लायक नही छोड़ूँगा"
ललिता समझ गयी थी कि ये मयंक ने ही भेजा होगा मगर उसपे इस धमकी का ज़रा सा भी असर नही हुआ
और वो आँखें बंद करके ख्वाबो की दुनिया में चली गयी....
क्रमशः……………………….
जिस्म की प्यास compleet
Re: जिस्म की प्यास
जिस्म की प्यास--15
गतान्क से आगे……………………………………
रात के कुच्छ 2 बजे शन्नो की आँख खुली तो उसे भयंकर प्यास लगी... बिस्तर से उठ कर जब उसने दरवाज़ा
खोला तो टीवी की रोशनी आ रही थी.... शन्नो को लगा कि चेतन या फिर ललिता ही टीवी देख रहे होंगे तो वो
किचन में सीधा चली गयी पानी पीने के लिए... फ्रिड्ज की तरफ से जब उसकी नज़र टीवी पे पड़ी तो उधर एक
इंग्लीश मूवी आ रही थी.... शन्नो ने फिर फ्रिड्ज खोलके पानी निकाला और एक ग्लास में डालके पीने लगी...
जब अगले सेकेंड उसकी नज़र टीवी पे पड़ी तो उधर एक 30-35 साल की गोरी थी जो दो हिन्दुस्तानी लंड चूस रही थी...
इतनी हिम्मत कैसे हुई चेतन की जो खुले आम यहाँ ऐसी मूवी देख रहा है ये सवाल शन्नो ने अपने आप से पूछा....
वो औरत वो बड़े लंड ऐसे चूस रही थी कि मानो लॉली पोप हो.... शन्नो ड्रॉयिंग रूम रूम में गुस्से
में गयी तो देखा चेतन सोफे पे सोया पड़ा है..... शन्नो की फर्श पे नज़र पड़ी तो उधर रज़ाई नीचे
गिरी पड़ी थी तो वो उसे उठाने जब चेतन की ओर बढ़ी तो वो घबरा गयी.... चेतन का लंड उसकी आँखो
के सामने तना हुआ खड़ा था... अपने बेटे का लंड अपनी आखों सामने देख कर शन्नो को समझ नही
आया कि वो क्या करें और वो रज़ाई वही छोड़के वहाँ से भाग गयी.... बिस्तर पे लेटे लेटे वो
चेतन के लंड को याद करने लगी... नज़ाने कितने समय के बाद उसने लंड की शकल देखी होगी और वो भी
अपनी ही बेटे का.... शन्नो को अपनी चूत की नमी भी महसूस हो गयी क्यूंकी उसकी पैंटी गीली होने लगी थी...
उसे अपने आप पे यकीन नहीथा कि वो वो कितना नीचे गिर गयी है अपने ही बेटे के लौदे को देख कर उसकी ये
हालत हो गयी थी.....
अगली सुबह ललिता की आँख सबसे पहले खुल गयी... उसे बहुत ज़ोरो से पेशाब आ रही थी... वो बिस्तर से उठी
और अपने टाय्लेट में गयी.... टाय्लेट की सीट पे बैठे उसे याद आया जब पहली बारी मयंक ने उसे चोदा था
तब उसके अगले दिन उसके बदन में काफ़ी दर्द हुआ था मगर आज उसको ऐसा कुच्छ नही लग रहा था...
पेशाब करने के बाद जब हाथ धोके बाहर निकली तो घर की घंटी बजने लगी... जब दूसरी बारी घंटी बजी और
शन्नो अपने कमरे से नही निकली तो ललिता खुद दरवाज़ा खोलने चली गयी....
उसने दरवाज़े को खोला तो सामने दूधवाला खड़ा था.... ललिता ने उसे रुकने को कहा और किचन में
पतीला लेने चली गयी... आज दूधवाले ने पहली बारी शन्नो के अलावा किसी और को दूध लेते हुए देखा...
हालाकी जब भी वो शन्नो को दूध देता था तो वो शन्नो को देख कर यही सोचता था कि साली के पास पहले
से ही इतना दूध है तब भी मुझसे ख़रीदती है.... मगर शन्नो की बेटी भी उसकी तरह ही मोटे मम्मे वाली ही थी.... ललिता ने पतीला दूधवाले को दिया और जब उसने उसकी शकल को गौर से देखा तो उसको उस चौकीदार
की ही याद आ आगाई... इसकी तोंद भी उतनी ही बाहर थी और चेहरा लगभग वैसे ही था...
ललिता के चेहरे एक शरम वाली मुस्कुराहट छा गयी... पतीला पकड़ते वक़्त दूधवाले ने भी बड़ी
चालाकी से ललिता की उंगलिओ को छुआ जिस चालाकी की समझ ललिता को अच्छे से थी मगर उसने कुच्छ नही कहा....
गतान्क से आगे……………………………………
रात के कुच्छ 2 बजे शन्नो की आँख खुली तो उसे भयंकर प्यास लगी... बिस्तर से उठ कर जब उसने दरवाज़ा
खोला तो टीवी की रोशनी आ रही थी.... शन्नो को लगा कि चेतन या फिर ललिता ही टीवी देख रहे होंगे तो वो
किचन में सीधा चली गयी पानी पीने के लिए... फ्रिड्ज की तरफ से जब उसकी नज़र टीवी पे पड़ी तो उधर एक
इंग्लीश मूवी आ रही थी.... शन्नो ने फिर फ्रिड्ज खोलके पानी निकाला और एक ग्लास में डालके पीने लगी...
जब अगले सेकेंड उसकी नज़र टीवी पे पड़ी तो उधर एक 30-35 साल की गोरी थी जो दो हिन्दुस्तानी लंड चूस रही थी...
इतनी हिम्मत कैसे हुई चेतन की जो खुले आम यहाँ ऐसी मूवी देख रहा है ये सवाल शन्नो ने अपने आप से पूछा....
वो औरत वो बड़े लंड ऐसे चूस रही थी कि मानो लॉली पोप हो.... शन्नो ड्रॉयिंग रूम रूम में गुस्से
में गयी तो देखा चेतन सोफे पे सोया पड़ा है..... शन्नो की फर्श पे नज़र पड़ी तो उधर रज़ाई नीचे
गिरी पड़ी थी तो वो उसे उठाने जब चेतन की ओर बढ़ी तो वो घबरा गयी.... चेतन का लंड उसकी आँखो
के सामने तना हुआ खड़ा था... अपने बेटे का लंड अपनी आखों सामने देख कर शन्नो को समझ नही
आया कि वो क्या करें और वो रज़ाई वही छोड़के वहाँ से भाग गयी.... बिस्तर पे लेटे लेटे वो
चेतन के लंड को याद करने लगी... नज़ाने कितने समय के बाद उसने लंड की शकल देखी होगी और वो भी
अपनी ही बेटे का.... शन्नो को अपनी चूत की नमी भी महसूस हो गयी क्यूंकी उसकी पैंटी गीली होने लगी थी...
उसे अपने आप पे यकीन नहीथा कि वो वो कितना नीचे गिर गयी है अपने ही बेटे के लौदे को देख कर उसकी ये
हालत हो गयी थी.....
अगली सुबह ललिता की आँख सबसे पहले खुल गयी... उसे बहुत ज़ोरो से पेशाब आ रही थी... वो बिस्तर से उठी
और अपने टाय्लेट में गयी.... टाय्लेट की सीट पे बैठे उसे याद आया जब पहली बारी मयंक ने उसे चोदा था
तब उसके अगले दिन उसके बदन में काफ़ी दर्द हुआ था मगर आज उसको ऐसा कुच्छ नही लग रहा था...
पेशाब करने के बाद जब हाथ धोके बाहर निकली तो घर की घंटी बजने लगी... जब दूसरी बारी घंटी बजी और
शन्नो अपने कमरे से नही निकली तो ललिता खुद दरवाज़ा खोलने चली गयी....
उसने दरवाज़े को खोला तो सामने दूधवाला खड़ा था.... ललिता ने उसे रुकने को कहा और किचन में
पतीला लेने चली गयी... आज दूधवाले ने पहली बारी शन्नो के अलावा किसी और को दूध लेते हुए देखा...
हालाकी जब भी वो शन्नो को दूध देता था तो वो शन्नो को देख कर यही सोचता था कि साली के पास पहले
से ही इतना दूध है तब भी मुझसे ख़रीदती है.... मगर शन्नो की बेटी भी उसकी तरह ही मोटे मम्मे वाली ही थी.... ललिता ने पतीला दूधवाले को दिया और जब उसने उसकी शकल को गौर से देखा तो उसको उस चौकीदार
की ही याद आ आगाई... इसकी तोंद भी उतनी ही बाहर थी और चेहरा लगभग वैसे ही था...
ललिता के चेहरे एक शरम वाली मुस्कुराहट छा गयी... पतीला पकड़ते वक़्त दूधवाले ने भी बड़ी
चालाकी से ललिता की उंगलिओ को छुआ जिस चालाकी की समझ ललिता को अच्छे से थी मगर उसने कुच्छ नही कहा....
Re: जिस्म की प्यास
फिर कुच्छ घंटे बाद दोनो बच्चे पढ़ने के लिए चले गये और घर पे रह गयी शन्नो....
नज़ाने शन्नो को एक अजीब सी परेशानी थी... पूरी रात भर वो चेतन के बारे में सोचती रही...
उसे लग रहा था कि वो अच्छी मा साबित नही हो पाई जो उसका बेटा इन रस्तो पे चल रहा है....
वो मानती थी कि लड़को की ये करने की उमर होती है मगर खुलेआम करना काफ़ी ग़लत बात थी...
अगर उसकी जगह ललिता अपने भाई को ऐसे देख लेती तो उसपे क्या बीतती....
उसने पूरी तरह ठान ली थी कि अपने बच्चो को सही राह पे लाने से पहले उसे अपने आपको ठीक करना पड़ेगा....
उसने फ़ैसला किया था कि आज के बाद वो हॉलो मॅन से बात भी नहीं करेगी और वो लंड को दूर जाके फेंक देगी....
वो इन्न सब बातो को वो राज़ ही रखना चाह रही थी और उसके बारे में भूल जाना चाहती थी.....
जैसी वो अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगी फोन की घंटी बजना शुरू हो गयी...
पहली बरी शन्नो ने उसको उठाया नही... दूसरी बारी उसने अपने आपको काबू में रखके कॉल कट कर
दिया मगर तीसरी बारी वो टूट गयी और हॉलो मॅन ने अपनी अजीब सी आवाज़ में कहा
"हेलो मॅम... आज अकेले अकेले शुरू हो गयी थी क्या"
जिन बातो से ललिता को चिढ़ मचती थी अब उनको सुनकर ही वो हवस में डूब रही थी....
मगर उसने हिम्मत दिखाते हुए कहा " मैं मानती हूँ कि तुम्हे बढ़ावा देने में मेरा भी हाथ है
मगर अब मैं इस सिलसिले को ख़तम करना चाहती हूँ"
हॉलो मॅन बोला " और उस तोफ़े का क्या जो मैने तुम्हे बड़े प्यार से दिया है??"
शन्नो बोली " तुम चाहो तो मैं तुम्हे तुम्हे वो वापस देदून्गि"
ह्म बोला " मैं किसी के इस्तेमाल करी चीज़ वापस नही लेता
शन्नो बोली "मैने उसको इस्तेमाल नही करा है.... देखो मेरे पति आने वाले है वापस 2-3 दिनो में प्लीज़
मुझे आज के बाद कॉल नही करना" (शन्नो ने झूठ बोला था)
शन्नो की बीनती को अनसुना करके एचएम बोला "बस एक बारी उस लंड को इस्तेमाल कर्लो... मस्ती छ्हा जाएगी"
शन्नो बोली "मुझे नही करना है ना"
एचएम बोला "मैं तुम्हे मस्ती में झूलता हुआ सुनना चाहता हूँ तुम्हारी नशे में डूबी हुई सिसकियाँ महसूस
करना चाहता हूँ... "
शन्नो ने उसे कुच्छ नहीं कहा... एचएम फिर बोला " मैं आपको कॉल करना बंद कर्दुन्गा अगर मेरी ये इच्छा पूरी कर दो..."
शन्नो दुविधा में पड़ गयी थी... एचएम फिर से बोला "मैं वादा करता हूँ"
शन्नो चाहती थी कि यही एक मौका है उसके पास जब इससे छुटकारा पा सकती थी.... शन्नो सोफे से उठी और
फोन लेके अपने कमरे में गयी.... हॉलो मॅन को अलमारी खुलने की आवाज़ सुनाई दी जिससे उसकी दिल की धड़कने
तेज़ होने लग गयी....
हॉलो मॅन बोला " निकाल लिया लंड को"
शन्नो ने "ह्म्म" कहा
हॉलो मॅन बोला " अब इसको ऑन करो मगर मिनट पॉवेर पर... (जिससे वो आहिस्ते से चले" .... हॉलोमॅन को आवाज़ आने लगी लंड के शुरू होने की... शन्नो के सामने लंड धीरे धीरे हिलने लग गया....
नज़ाने शन्नो को एक अजीब सी परेशानी थी... पूरी रात भर वो चेतन के बारे में सोचती रही...
उसे लग रहा था कि वो अच्छी मा साबित नही हो पाई जो उसका बेटा इन रस्तो पे चल रहा है....
वो मानती थी कि लड़को की ये करने की उमर होती है मगर खुलेआम करना काफ़ी ग़लत बात थी...
अगर उसकी जगह ललिता अपने भाई को ऐसे देख लेती तो उसपे क्या बीतती....
उसने पूरी तरह ठान ली थी कि अपने बच्चो को सही राह पे लाने से पहले उसे अपने आपको ठीक करना पड़ेगा....
उसने फ़ैसला किया था कि आज के बाद वो हॉलो मॅन से बात भी नहीं करेगी और वो लंड को दूर जाके फेंक देगी....
वो इन्न सब बातो को वो राज़ ही रखना चाह रही थी और उसके बारे में भूल जाना चाहती थी.....
जैसी वो अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगी फोन की घंटी बजना शुरू हो गयी...
पहली बरी शन्नो ने उसको उठाया नही... दूसरी बारी उसने अपने आपको काबू में रखके कॉल कट कर
दिया मगर तीसरी बारी वो टूट गयी और हॉलो मॅन ने अपनी अजीब सी आवाज़ में कहा
"हेलो मॅम... आज अकेले अकेले शुरू हो गयी थी क्या"
जिन बातो से ललिता को चिढ़ मचती थी अब उनको सुनकर ही वो हवस में डूब रही थी....
मगर उसने हिम्मत दिखाते हुए कहा " मैं मानती हूँ कि तुम्हे बढ़ावा देने में मेरा भी हाथ है
मगर अब मैं इस सिलसिले को ख़तम करना चाहती हूँ"
हॉलो मॅन बोला " और उस तोफ़े का क्या जो मैने तुम्हे बड़े प्यार से दिया है??"
शन्नो बोली " तुम चाहो तो मैं तुम्हे तुम्हे वो वापस देदून्गि"
ह्म बोला " मैं किसी के इस्तेमाल करी चीज़ वापस नही लेता
शन्नो बोली "मैने उसको इस्तेमाल नही करा है.... देखो मेरे पति आने वाले है वापस 2-3 दिनो में प्लीज़
मुझे आज के बाद कॉल नही करना" (शन्नो ने झूठ बोला था)
शन्नो की बीनती को अनसुना करके एचएम बोला "बस एक बारी उस लंड को इस्तेमाल कर्लो... मस्ती छ्हा जाएगी"
शन्नो बोली "मुझे नही करना है ना"
एचएम बोला "मैं तुम्हे मस्ती में झूलता हुआ सुनना चाहता हूँ तुम्हारी नशे में डूबी हुई सिसकियाँ महसूस
करना चाहता हूँ... "
शन्नो ने उसे कुच्छ नहीं कहा... एचएम फिर बोला " मैं आपको कॉल करना बंद कर्दुन्गा अगर मेरी ये इच्छा पूरी कर दो..."
शन्नो दुविधा में पड़ गयी थी... एचएम फिर से बोला "मैं वादा करता हूँ"
शन्नो चाहती थी कि यही एक मौका है उसके पास जब इससे छुटकारा पा सकती थी.... शन्नो सोफे से उठी और
फोन लेके अपने कमरे में गयी.... हॉलो मॅन को अलमारी खुलने की आवाज़ सुनाई दी जिससे उसकी दिल की धड़कने
तेज़ होने लग गयी....
हॉलो मॅन बोला " निकाल लिया लंड को"
शन्नो ने "ह्म्म" कहा
हॉलो मॅन बोला " अब इसको ऑन करो मगर मिनट पॉवेर पर... (जिससे वो आहिस्ते से चले" .... हॉलोमॅन को आवाज़ आने लगी लंड के शुरू होने की... शन्नो के सामने लंड धीरे धीरे हिलने लग गया....