विरेन्द्र जी ने स्कर्ट से हाथ बाहर निकाला & उसे दिखाकर उसके रस से भीगी अपनी उंगली चाट ली.थोड़ी देर तक दोनो 1 दूसरे से सटे बैठे यूही फिल्म देखते रहे.विरेन्द्र जी उसके बालो को सहलाते हुए उसके अस्र को चूम रहे थे.उन्होने ने रीमा का हाथ उठाया & अपनी पंत मे बंद लंड पे रख दिया.रीमा पॅंट के उपर से ही लंड को मसल्ती रही.
विरेन्द्र जी ने जॅकेट पहन रखी थी,उन्होने उसे उतारा और सामने से ऐसे डाल दिया जैसे कोई कंबल ओढ़ता हो.रीमा ने ज़िप खोल लंड बाहर निकाल लिया & उस से खेलने लगी.विरेन्द्र जी उसकी बाँह के नीचे से हाथ घुसा कर उसकी शर्ट के उपर से ही उसकी चूची दबाने लगे.
रीमा के लंड हिलाने से विरेन्द्र जी झड़ने के करीब पहुँच गये थे,उन्होने आस-पास देखा,उनकी रो वाला जोड़ा 1 दूसरे मे गुम किस्सिंग मे लगा था,उन्होने जॅकेट सर्काई & रीमा का सर अपने लंड पे झुका दिया.लंड मुँह मे जाते ही उन्होने पानी छ्चोड़ दिया जिसे रीमा ने निगल लिया.उसके बाद पॅंट की ज़िप लगा दोनो ऐसे बैठ गये जैसे कुच्छ हुआ ही ना हो.पूरी फिल्म के दौरान रीमा उनके हाथो दो बार और झड़ी.
"ये क्या कर रहे हैं?",रीमा ने उनका हाथ पकड़ लिया.
"डरो मत.",विरेन्द्र जी ने उसकी स्कर्ट मे हाथ घुसा उसकी गीली पॅंटी को बाहर खींच लिया & उसे मोड़ के अपनी जेब मे डाल दिया.फिल्म ख़त्म हुई तो दोनो हॉल से बाहर निकल आए.रीमा आज तक घर से बाहर बिना पॅंटी के नही आई थी & उसे थोडा अजीब लग रहा था.
खिलोना compleet
Re: खिलोना
खिलोना पार्ट--10
दोनो कार पार्किंग मे आ गये थे.जब हवा रीमा की बिना पनटी की गीली चूत को छुति तो रीमा के बदन मे सिहरन दौड़ जाती.दोनो जैसे ही गाड़ी के अंदर बैठे वीरेन्द्रा जी ने उसे बाहों मे खीच कर चूमना शुरू कर दिया.
"पागल हो गये हैं क्या?!थोड़ी देर मे घर पहुँच जाएँगे फिर जो मर्ज़ी आए करिएगा."
"घर पहुँचने तक कौन सब्र करेगा!",विरेन्द्र जी ने उसकी कमर मे हाथ डाल कर अपने उपर खींच लिया.उसकी दाई जाँघ पकड़ उसे उन्होने अपनी गोद मे बैठा लिया.अब रीमा अपने दोनो घुटने विरेन्द्र जी के दोनो तरफ उनकी सीट पे टिकाए उनकी ओर चेहरा किए बैठे थी.
"क्या कर रहे हैं?घर चलिए ना!कोई देख लेगा!",पर वो मन ही मन जानती थी की कार के काले शीशो से किसी को कुच्छ भी नज़र नही आएगा.
जवाब मे खामोश विरेन्द्र जी ने उसकी स्कर्ट उसकी कमर तक उठा उसकी गंद को नंगा कर दिया & उसे मसल दिया.
"ऊव्वव..!,"रीमा चिहुनक के पीछे हुई तो उसकी गंद से दब के हॉर्न बज उठा.वो चौंक के आगे को हुई तो उसका सीना उसके ससुर के मुँह पे दब गया.विरेन्द्र जी ने हाथ उसकी गंद से हटा उसकी शर्ट के बटन खोल दिए & उसके ब्रा कप्स नीचे कर उसकी छातिया नुमाया कर दी.वो अपने होंठो मे उसका निपल लेने ही जा रहे थे की आँखो के कोने से उन्हे कोई गाड़ी की ओर आता दिखा.उन्होने सर घुमाया तो देखा पार्किंग अटेंडेंट शायद हॉर्न सुन कर वाहा आ रहा था,"अब तो जाने दीजिए,वो देख लेगा."
उन्होने रीमा का सर अपने बाए कंधे पे लगा दिया तो उसने शर्म & डर से उनकी गर्दन मे मुँह च्छूपा लिया.विरेन्द्र जी ने कार स्टार्ट कर अपनी बगल का शीशा 1 इंच नीचे सरकया & अपनी जेब से पार्किंग स्लिप निकल कर बाहर कर दी.जैसे ही अटेंडेंट ने स्लिप ली उन्होने शीशा वापस बंद किया & कार गियर मे डाल वाहा से निकल गये.
रीमा उनकी गर्दन से लगी उनके बालो को चूमती उनके कान तक आ गयी & वाहा जीभ फिराने लगी.विरेन्द्र जी का 1 हाथ स्टियरिंग संभाले था & दूसरा उसकी गंद.गंद मसल्ते हुए वो बीच-2 मे अपनी उंगलिया उसकी पहले से ही गीली चूत मे घुसेड उसे और मस्त कर देते.कार 1 लाल बत्ती पे रुकी तो उन्होने उसका सर अपनी गर्दन से उठाया & उसकी गर्दन चूमने लगे & उसकी नंगी छातिया दबाने लगे.अपनी बहू के जिस्म से खेलते वक़्त भी उनकी 1 नज़र ट्रॅफिक सिग्नल पे थी.
जब बत्ती हरी होने 4 सेकेंड बाकी थे उन्होने रीमा को वापस अपने कंधे पे झुका दिया & हाथ स्टियरिंग व्हील पे जमा दिए.थोड़ी देर बाद कार 1 सुनसान रास्ते के किनारे खड़ी थी.अंदर विरेन्द्र जी अपनी पॅंट की ज़िप खोल अपने तने लुंड को आज़ाद कर रहे थे.जैसे ही लंड बाहर आया उन्होने रीमा की कमर पकड़ उसे थोडा उपर उठाया तो रीमा को अपना सर,छत से टकराने से बचाने के लिए,मोड़ना पड़ा.रीमा को इतनी सी जगह मे तकलीफ़ तो हो रही थी पर अब वो इतनी मस्त हो चुकी थी कि उसका भी पूरा ध्यान इसी पे था की लंड जल्द से जल्द उसकी चूत मे उतर जाए.
"ऊवन्न्नह...!",उसकी कमर पकड़ विरेन्द्र जी उसकी चूत को नीचे अपने लंड पे बिठा रहे थे.रीमा आँखे बंद किए जन्नत का मज़ा ले रही थी.धीरे-2 विरेन्द्र जी ने उसकी गीली,कसी चूत मे अपना पूरा लंड घुसा दिया था.जैसे ही लंड उसकी चूत मे उतरा रीमा हौले-2 अपनी कमर हिला अपने ससुर को चोदने लगी.अपनी बाहो मे उनका सर थामे वो उनके चेहरे को चूम रही थी & वो उसकी जाँघो & गंद की फांको को सहला & मसल रहे थे.
"औउईई...."!,विरेन्द्र जी ने उसकी गंद की फांको को पकड़ फैलाया & नीचे से 1 धक्का मार लंड को थोड़ा & अंदर पेल दिया.रीमा ने मज़े मे अपना सर पीएच्छे झुका लिया तो विरेन्द्र जी का मुँह उसकी चूचियो से आ लगा.अपने बड़े-2 हाथो मे उन गोलैईयों को दबाते हुए जब उन्होने उसके निपल्स को चूसना शुरू किया तो रीमा मस्त हो ज़ोर-2 से आँहे भरने लगी.
हॉल मे उसके ससुर की हर्कतो ने तो उसे पहले से ही गरम कर दिया था & अब तो वो बस मस्ती मे सब कुच्छ भूल गयी थी.उसका तो अब 1 ही मक़सद था,ससुर के लंड का पूरा लुत्फ़ उठाते हुए झड़ना.वो झुक कर अपने ससुर का गाल चूमने लगी& उसकी कमर हिलाने की रफ़्तार बढ़ गयी.विरेन्द्र जी ने आखरी बार उसकी चूचियो को चूसा & फिर उसका चेहरा अपनी गर्दन मे च्छूपा दिया.
उन्होने कार स्टार्ट की & अपनी बहू से चुदवाते हुए घर की ओर बढ़ चले.रीमा तो पागल ही हो गयी थी.उसे कोई होश नही था की उसके ससुर ड्राइव कर रहे हैं,वो तो बस पागल हो उनके कभी उनके होंठ चूमती तो कभी गाल,मस्ती मे उसने उनका चेहरा अपने सीने मे दबाना चाहा तो बड़ी मुश्किल से उन्होने उसे ऐसा करने से रोक रास्ते पे आँखे लगाई.
दोनो कार पार्किंग मे आ गये थे.जब हवा रीमा की बिना पनटी की गीली चूत को छुति तो रीमा के बदन मे सिहरन दौड़ जाती.दोनो जैसे ही गाड़ी के अंदर बैठे वीरेन्द्रा जी ने उसे बाहों मे खीच कर चूमना शुरू कर दिया.
"पागल हो गये हैं क्या?!थोड़ी देर मे घर पहुँच जाएँगे फिर जो मर्ज़ी आए करिएगा."
"घर पहुँचने तक कौन सब्र करेगा!",विरेन्द्र जी ने उसकी कमर मे हाथ डाल कर अपने उपर खींच लिया.उसकी दाई जाँघ पकड़ उसे उन्होने अपनी गोद मे बैठा लिया.अब रीमा अपने दोनो घुटने विरेन्द्र जी के दोनो तरफ उनकी सीट पे टिकाए उनकी ओर चेहरा किए बैठे थी.
"क्या कर रहे हैं?घर चलिए ना!कोई देख लेगा!",पर वो मन ही मन जानती थी की कार के काले शीशो से किसी को कुच्छ भी नज़र नही आएगा.
जवाब मे खामोश विरेन्द्र जी ने उसकी स्कर्ट उसकी कमर तक उठा उसकी गंद को नंगा कर दिया & उसे मसल दिया.
"ऊव्वव..!,"रीमा चिहुनक के पीछे हुई तो उसकी गंद से दब के हॉर्न बज उठा.वो चौंक के आगे को हुई तो उसका सीना उसके ससुर के मुँह पे दब गया.विरेन्द्र जी ने हाथ उसकी गंद से हटा उसकी शर्ट के बटन खोल दिए & उसके ब्रा कप्स नीचे कर उसकी छातिया नुमाया कर दी.वो अपने होंठो मे उसका निपल लेने ही जा रहे थे की आँखो के कोने से उन्हे कोई गाड़ी की ओर आता दिखा.उन्होने सर घुमाया तो देखा पार्किंग अटेंडेंट शायद हॉर्न सुन कर वाहा आ रहा था,"अब तो जाने दीजिए,वो देख लेगा."
उन्होने रीमा का सर अपने बाए कंधे पे लगा दिया तो उसने शर्म & डर से उनकी गर्दन मे मुँह च्छूपा लिया.विरेन्द्र जी ने कार स्टार्ट कर अपनी बगल का शीशा 1 इंच नीचे सरकया & अपनी जेब से पार्किंग स्लिप निकल कर बाहर कर दी.जैसे ही अटेंडेंट ने स्लिप ली उन्होने शीशा वापस बंद किया & कार गियर मे डाल वाहा से निकल गये.
रीमा उनकी गर्दन से लगी उनके बालो को चूमती उनके कान तक आ गयी & वाहा जीभ फिराने लगी.विरेन्द्र जी का 1 हाथ स्टियरिंग संभाले था & दूसरा उसकी गंद.गंद मसल्ते हुए वो बीच-2 मे अपनी उंगलिया उसकी पहले से ही गीली चूत मे घुसेड उसे और मस्त कर देते.कार 1 लाल बत्ती पे रुकी तो उन्होने उसका सर अपनी गर्दन से उठाया & उसकी गर्दन चूमने लगे & उसकी नंगी छातिया दबाने लगे.अपनी बहू के जिस्म से खेलते वक़्त भी उनकी 1 नज़र ट्रॅफिक सिग्नल पे थी.
जब बत्ती हरी होने 4 सेकेंड बाकी थे उन्होने रीमा को वापस अपने कंधे पे झुका दिया & हाथ स्टियरिंग व्हील पे जमा दिए.थोड़ी देर बाद कार 1 सुनसान रास्ते के किनारे खड़ी थी.अंदर विरेन्द्र जी अपनी पॅंट की ज़िप खोल अपने तने लुंड को आज़ाद कर रहे थे.जैसे ही लंड बाहर आया उन्होने रीमा की कमर पकड़ उसे थोडा उपर उठाया तो रीमा को अपना सर,छत से टकराने से बचाने के लिए,मोड़ना पड़ा.रीमा को इतनी सी जगह मे तकलीफ़ तो हो रही थी पर अब वो इतनी मस्त हो चुकी थी कि उसका भी पूरा ध्यान इसी पे था की लंड जल्द से जल्द उसकी चूत मे उतर जाए.
"ऊवन्न्नह...!",उसकी कमर पकड़ विरेन्द्र जी उसकी चूत को नीचे अपने लंड पे बिठा रहे थे.रीमा आँखे बंद किए जन्नत का मज़ा ले रही थी.धीरे-2 विरेन्द्र जी ने उसकी गीली,कसी चूत मे अपना पूरा लंड घुसा दिया था.जैसे ही लंड उसकी चूत मे उतरा रीमा हौले-2 अपनी कमर हिला अपने ससुर को चोदने लगी.अपनी बाहो मे उनका सर थामे वो उनके चेहरे को चूम रही थी & वो उसकी जाँघो & गंद की फांको को सहला & मसल रहे थे.
"औउईई...."!,विरेन्द्र जी ने उसकी गंद की फांको को पकड़ फैलाया & नीचे से 1 धक्का मार लंड को थोड़ा & अंदर पेल दिया.रीमा ने मज़े मे अपना सर पीएच्छे झुका लिया तो विरेन्द्र जी का मुँह उसकी चूचियो से आ लगा.अपने बड़े-2 हाथो मे उन गोलैईयों को दबाते हुए जब उन्होने उसके निपल्स को चूसना शुरू किया तो रीमा मस्त हो ज़ोर-2 से आँहे भरने लगी.
हॉल मे उसके ससुर की हर्कतो ने तो उसे पहले से ही गरम कर दिया था & अब तो वो बस मस्ती मे सब कुच्छ भूल गयी थी.उसका तो अब 1 ही मक़सद था,ससुर के लंड का पूरा लुत्फ़ उठाते हुए झड़ना.वो झुक कर अपने ससुर का गाल चूमने लगी& उसकी कमर हिलाने की रफ़्तार बढ़ गयी.विरेन्द्र जी ने आखरी बार उसकी चूचियो को चूसा & फिर उसका चेहरा अपनी गर्दन मे च्छूपा दिया.
उन्होने कार स्टार्ट की & अपनी बहू से चुदवाते हुए घर की ओर बढ़ चले.रीमा तो पागल ही हो गयी थी.उसे कोई होश नही था की उसके ससुर ड्राइव कर रहे हैं,वो तो बस पागल हो उनके कभी उनके होंठ चूमती तो कभी गाल,मस्ती मे उसने उनका चेहरा अपने सीने मे दबाना चाहा तो बड़ी मुश्किल से उन्होने उसे ऐसा करने से रोक रास्ते पे आँखे लगाई.
Re: खिलोना
रीमा अब झड़ने के बहुत करीब थी & उसकी कमर तेज़ी से हिलने लगी थी & उसकी कसी चूत ने सिकुड-2 कर विरेन्द्र जी के लंड को भी बेकाबू कर दिया.कार सिविल लाइन्स मे दाखिल हो चुकी थी & जैसे ही घर के सामने रुकी,रीमा ने अपने ससुर को ज़ोर से अपनी बाहो मे भींच लिया & बेचैनी मे कमर हिलाने लगी.विरेन्द्र जी ने भी उसकी कमर को अपनी बाहो मे जाकड़ लिया & उसकी छातियो बीच अपना चेहरा घुसा अपनी जोश मे सिसकती हुई बहू के साथ झाड़ गये.
उन्होने उसे धीरे से अपनी गोद से उठाया & उसकी सीट पे बिठाया,अपनी पॅंट की ज़िप बंद की & कार से उतर कर गेट खोला & फिर वापस कार मे आ गये.कार घर के अंदर आ गयी तो वो फिर कार से उतरे & घूम कर आए & रीमा की साइड का दरवाज़ा खोला.अंदर रीमा सीट पे ऐसे पड़ी थी जैसे अभी-2 बेहोशी से जागी हो.वो अधखुली आँखो से अपने ससुर की ओर देख कर मुस्कुराइ तो उन्होने झुक कर उसे गोद मे उठा लिया.
थोड़ी ही देर बाद वो अपने ससुर के कमरे मे उन्ही के बिस्तर पे पड़ी थी.वो अपने कपड़े उतार उसकी बगल मे आए & उसे नंगी करने लगे.रीमा ने गर्दन घुमा कर देखा उसकी सास बेख़बर सो रही थी.वो अब पूरी नंगी थी & सुके ससुर उसके जिस्म से खेल रहे थे.उसने अपनी सास से नज़रे हटाई & अपने ससुर को बाहो मे भर उनकी गरम हर्कतो का मज़ा लेने लगी.
-------------------------------------------------------------------------------
सुबह रीमा की आँख खुली तो वो कल रात ही की तरह अपने ससुर के बिस्तर मे नंगी पड़ी थी पर आज वो वाहा नही थे.बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी,शायद वो नहा रहे थे.रात उसके ससुर ने उसे 2 बार जम के चोद कर उसका बुरा हाल कर दिया था,पर उसे मज़ा भी बहुत आया था.उसे ख़याल आया की कल शायद पहली बार वो चुदाई से इतना संतुष्ट हुई थी.
वो अंगड़ाई लेते हुए उठी,अपने कपड़े समेटे & अपने कमरे मे चली गयी.उस दिन सवेरे दफ़्तर जाने से पहले & दोपहर को खाने के वक़्त उसके ससुर को उसे चोदने को मौका नही मिला क्यूकी गणेश वाहा था.उन्हे बस उसे बाहों मे भर कुच्छ किस्सस से ही संतोष करना पड़ा.
रीमा ने मन ही मन गणेश का शुक्रिया अदा किया,आख़िर उसकी चूत को थोडा आराम भी तो चाहिए था.आज उसने रवि के समान का बक्सा खोला & उन्हे ठीक करने लगी.समान मे उसे 1 आल्बम मिला,ये शेखर की शादी का आल्बम था.उसने आल्बम पलट के देखा तो उसमे उसे मीना & उसके परिवार वालो की भी तस्वीरे दिखी.तभी ड्रॉयिंग रूम मे रखा फोन घनघना उठा.
रीमा को परसो की ब्लॅंक कॉल्स याद आ गयी.वो डरते हुए ड्रॉयिंग रूम मे पहुँची,"हे..हेलो."
उधर से कोई आवाज़ नही आई,बस रोड पे जाते ट्रॅफिक की हल्की आवाज़.
"हेलो,कुच्छ बोलते क्यू नही?"
अभी भी बस किसी की सांसो की आवाज़ & बस ट्रॅफिक का शोर.
"देखो ये फोन करना बंद करो वरना पोलीस मे कंप्लेंट कर दूँगी!",रीमा चीखी& तुरंत फोन काट दिया गया.शायद जो भी था वो डर गया...रीमा के माथे पे पसीने की बूंदे छल्छला आई थी.सारी के पल्लू से उसने उसे पोच्छा & वापस अपने कमरे मे आ गयी & रवि का समान ठीक करने लगी.अभी भी उसका आधा ध्यान फोन पे ही लगा हुआ था.
पर उस रोज़ वो बल्न्क कॉल दुबारा नही आई.रीमा ने चैन की साँस ली,ज़रूर कोई बदतमीज़ इंसान शरारत कर रहा होगा...तभी तो पोलीस की धमकी से डर गया..पर आख़िर था कौन वो?उसने सर झटक कर रवि के समान से खाली बक्सा लॉफ्ट मे डाल & स्टूल से उतार बिस्तर पे रखी उन चीज़ो को देखने लगी जो उसे काम की लगी थी.
उन्होने उसे धीरे से अपनी गोद से उठाया & उसकी सीट पे बिठाया,अपनी पॅंट की ज़िप बंद की & कार से उतर कर गेट खोला & फिर वापस कार मे आ गये.कार घर के अंदर आ गयी तो वो फिर कार से उतरे & घूम कर आए & रीमा की साइड का दरवाज़ा खोला.अंदर रीमा सीट पे ऐसे पड़ी थी जैसे अभी-2 बेहोशी से जागी हो.वो अधखुली आँखो से अपने ससुर की ओर देख कर मुस्कुराइ तो उन्होने झुक कर उसे गोद मे उठा लिया.
थोड़ी ही देर बाद वो अपने ससुर के कमरे मे उन्ही के बिस्तर पे पड़ी थी.वो अपने कपड़े उतार उसकी बगल मे आए & उसे नंगी करने लगे.रीमा ने गर्दन घुमा कर देखा उसकी सास बेख़बर सो रही थी.वो अब पूरी नंगी थी & सुके ससुर उसके जिस्म से खेल रहे थे.उसने अपनी सास से नज़रे हटाई & अपने ससुर को बाहो मे भर उनकी गरम हर्कतो का मज़ा लेने लगी.
-------------------------------------------------------------------------------
सुबह रीमा की आँख खुली तो वो कल रात ही की तरह अपने ससुर के बिस्तर मे नंगी पड़ी थी पर आज वो वाहा नही थे.बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी,शायद वो नहा रहे थे.रात उसके ससुर ने उसे 2 बार जम के चोद कर उसका बुरा हाल कर दिया था,पर उसे मज़ा भी बहुत आया था.उसे ख़याल आया की कल शायद पहली बार वो चुदाई से इतना संतुष्ट हुई थी.
वो अंगड़ाई लेते हुए उठी,अपने कपड़े समेटे & अपने कमरे मे चली गयी.उस दिन सवेरे दफ़्तर जाने से पहले & दोपहर को खाने के वक़्त उसके ससुर को उसे चोदने को मौका नही मिला क्यूकी गणेश वाहा था.उन्हे बस उसे बाहों मे भर कुच्छ किस्सस से ही संतोष करना पड़ा.
रीमा ने मन ही मन गणेश का शुक्रिया अदा किया,आख़िर उसकी चूत को थोडा आराम भी तो चाहिए था.आज उसने रवि के समान का बक्सा खोला & उन्हे ठीक करने लगी.समान मे उसे 1 आल्बम मिला,ये शेखर की शादी का आल्बम था.उसने आल्बम पलट के देखा तो उसमे उसे मीना & उसके परिवार वालो की भी तस्वीरे दिखी.तभी ड्रॉयिंग रूम मे रखा फोन घनघना उठा.
रीमा को परसो की ब्लॅंक कॉल्स याद आ गयी.वो डरते हुए ड्रॉयिंग रूम मे पहुँची,"हे..हेलो."
उधर से कोई आवाज़ नही आई,बस रोड पे जाते ट्रॅफिक की हल्की आवाज़.
"हेलो,कुच्छ बोलते क्यू नही?"
अभी भी बस किसी की सांसो की आवाज़ & बस ट्रॅफिक का शोर.
"देखो ये फोन करना बंद करो वरना पोलीस मे कंप्लेंट कर दूँगी!",रीमा चीखी& तुरंत फोन काट दिया गया.शायद जो भी था वो डर गया...रीमा के माथे पे पसीने की बूंदे छल्छला आई थी.सारी के पल्लू से उसने उसे पोच्छा & वापस अपने कमरे मे आ गयी & रवि का समान ठीक करने लगी.अभी भी उसका आधा ध्यान फोन पे ही लगा हुआ था.
पर उस रोज़ वो बल्न्क कॉल दुबारा नही आई.रीमा ने चैन की साँस ली,ज़रूर कोई बदतमीज़ इंसान शरारत कर रहा होगा...तभी तो पोलीस की धमकी से डर गया..पर आख़िर था कौन वो?उसने सर झटक कर रवि के समान से खाली बक्सा लॉफ्ट मे डाल & स्टूल से उतार बिस्तर पे रखी उन चीज़ो को देखने लगी जो उसे काम की लगी थी.