कुँवारियों का शिकार--9
गतान्क से आगे..............
मैने भी प्रिया की बढ़ती बेचैनी को देखकर उसके मम्मे अपने हाथों में लेकर मसलना शुरू कर दिया और अपना मुँह भी इस्तेमाल करते हुए एक को मुँह में लेकर उसके निपल को प्यार से दाँतों में दबाने लगा. प्रिया भी मस्ती के चरम की ओर अग्रसर होने लगी. दोनो की उत्तेजना ने मिलकर मेरी उत्तेजना पर जैसे आग में घी का काम किया और मुझे भी अपने पूरे शरीर में करेंट जैसी लहरें दौड़ती महसूस हुईं. मैने प्रिया को ज़ोर से अपने साथ चिपका लिया और उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी. हमारी जीब आपस में मीठी लड़ाई लड़ने लगीं. फिर निशा ने एक ज़ोर की हुंकार भरते हुए अपना पानी छोड़ दिया और उसका शरीर पूरी तरह से ऐंठ गया. उसकी चूत ने एक बार फिर मेरे लंड पर अपना कसाव बढ़ाया और मैं भी ज़ोर-ज़ोर के 8-10 धक्के लगाकर झरना शुरू हो गया और मैने अपना लंड पूरा उसकी चूत में धकेल दिया और अपनी सारी गर्मी निशा की चूत में उंड़ेल दी. मेरे लंड ने 6-7 झटके खाए जिसके फलस्वरूप निशा ने एक बार फिर मस्ती में चरम को प्राप्त किया, हालाँकि यह केवल एक छ्होटा सा ही परंतु बहुत तगड़ा आनंद था. हम दोनो की देखा-देखी प्रिया का भी पानी छ्छूट गया और वो भी निढाल होकर एक तरफ को लुढ़क गयी. उसके लुढ़कते ही मैं भी निशा के ऊपेर गिरकर उस से लिपट गया.
निशा ने अपने गीले मुँह से मुझ पर छ्होटे-छोटे चुंबनों की बौच्हार करदी और मुझसे एक लता की तरह लिपट गयी और बहुत ही प्यार से बोली के थॅंक यू. मैने उससे मीठी झिरकी दी और कहा के देखो दोस्तों में ‘थॅंक यू’ और ‘सॉरी’ नही होते तो उसने मेरी बात काट दी और बोली जो भी हो पर आज जो प्राप्ति मुझे हुई है उसके आगे यह थॅंक यू भी बहुत छ्होटा है पर मेरे पास और कोई शब्द नही है अपना आभार व्यक्त करने के लिए इसलिए इतना ही कह सकी हूँ. मैने मुस्कुराते हुए कहा के चलो ठीक है आज के बाद यह शब्द इस्तेमाल नही करना. वो बोली ओके और अपने मम्मे मेरी छाती में दबाते हुए मुझे ज़ोर से भींच लिया.
मैने प्रिया की ओर देखा तो पाया के वो अब तक संयत हो चुकी थी और मुस्कुराते हुए हमारी बातों का आनंद ले रही थी. मैने उससे कहा के प्रिया जानती हो ना अब क्या करना है. वो समझदार लड़की फुर्ती से उठकर बाथरूम से गरम पानी और छ्होटा टवल लेकर आई और जैसे मैने उसकी चूत की सिकाई की थी वैसे ही उसने निशा की चूत की सिकाई करनी शुरू करदी. निशा चुप रहकर उसको देखती रही और थोड़ी देर बाद बोली यह क्या जादू है मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मेरी सारी अकड़न और जकड़न दूर होती जा रही है और बहुत अच्छा लग रहा है. प्रिया ने उसको बताया के कैसे वो पहली बार उठने की कोशिश में गिरने को हो गयी थी और मैने उसे ठीक किया था. निशा ने प्यार भारी नज़रों से मेरी ओर देखा और मुस्कुरा दी. फिर प्रिया उसको बाथरूम में ले गयी और उसकी चूत को वैसा ही हॉट वॉटर ट्रीटमेंट दिया जैसा मैने उसको दिया था. कुच्छ ही देर में अपने बदन पोंचछकर दोनो बाहर आ गयीं. साथ ही मैं बाथरूम में गया और एक टवल गीला करके अपना बदन भी पोंछ कर बाहर आ गया. मैने देखा के दोनो, इस बात से बेख़बर के वो बिल्कुल नंगी हैं, बातें करने में व्यस्त थीं और उनके नंगे बदन चमक रहे थे. मेरे दिल ने मस्ती का एक गहरा गोता खाया और मैने आगे बढ़ कर दोनों को अपनी बाहों में जाकड़ लिया और कहा के जल्दी से कपड़े पहन लो नही तो मैं दोबारा शुरू हो जवँगा और रात यहीं बितानी पड़ेगी. दोनो ने खिलखिलाते हुए मुझे भी जाकड़ लिया और मेरा एक-एक गाल चूम लिया और एक साथ बोलीं नहीं और भाग कर कपबोर्ड में से अपने कपड़े निकालकर 2 मिनट में ही तैयार हो गयीं. अब वो बिल्कुल मासूम लड़कियाँ नज़र आ रही तीन.
इतनी देर में मैं भी अपने कपड़े पहन चुका था और फिर हम चलने को तैयार थे. मैने उन्हें रोका और एक मसल रिलाक्सॅंट गोली निशा को दी और कहा के वो इसको खा ले तो उसका रहा-सहा दर्द भी जाता रहेगा. निशा ने वो गोली पानी से ले ली. फिर मैने दोनो को एक-एक गोली और दी और कहा की यह कल सुबह नाश्ते के बाद खा लेना और प्रिया से कहा के वो तो जानती है के यह क्या है और निशा को भी समझा दे इसके बारे मे. प्रिया ने कहा के वो अभी रास्ते में समझा देगी.
फिर हम बाहर की ओर अग्रसर हुए. दोनो पिछली सीट पर दुबक गयीं और मैं कार लेकर चल पड़ा. गाते पर अपनी औपचारिक बातें राम सिंग से करने के बाद मैं निकला और वापिस उन दोनो को छोड़ने चल दिया.
दोनो को वापस अंसल प्लाज़ा छ्चोड़ने के बाद मैं वहाँ से चला ही था के पता नही क्यों मेरे दिमाग़ में एक ख्याल आया के कल और परसों छुट्टी है तो पूरा आराम करना चाहिए और जो काम मैने कल करना है वो भी आज ही निपटा दूं अभी टाइम भी है और मैं निकला हुआ भी हूँ. यह एक छ्होटा सा उबाउ काम था जो की फार्म हाउस की सीक्ट्व की रेकॉर्डिंग्स चेक करने का था. चेकिंग तो सरसरी ही होती थी मैन काम था के रेकॉर्डिंग को डेलीट करके हार्ड डिस्क को खाली करना होता था ताकि आगे की रेकॉर्डिंग हो सके. पूरे फार्म हाउस में क्लोज़ सर्क्यूट टीवी कॅमरास लगे हैं और मोशन सेन्सर भी लगे हैं और कोई भी हुलचूल होने पर रेकॉर्डिंग शुरू हो जाती है. यह कोई एक घंटे का ही काम था इसलिए मैने कार वापिस फार्म हाउस की ओर घुमा दी और फिर से वहाँ पहुँच गया. गेट पर राम सिंग ने हैरानी से पूछा तो मैने कहा के बस थोड़ा सा काम और याद आ गया था जो वैसे तो मैं शनि या इतवार को आके करता हूँ पर अभी आधे रास्ते से वापिस आ गया हूँ के अभी ख़तम कर दूँगा और दो दिन आराम करूँगा, पहले याद नही आया नही तो कर के ही निकलता. राम सिंग ने कहा के हां साहिब वो तो बिल्कुल ठीक है.
कुँवारियों का शिकार compleet
Re: कुँवारियों का शिकार
मैं अंदर आया और आदतन मेन डोर लॉक किया और अपने बेडरूम के दरवाज़े के साथ वाले दरवाज़े की ओर बढ़ गया. मैने दरवाज़े की चाबी लगाई और उसका हॅंडल घुमा कर उसको खोलने की कोशिश की. मैं चौंक गया क्योंकि दरवाज़ा नही खुला. यह एक लॅच लॉक था और अगर अंदर से लॅच लगा भी हो तो बाहर से चाबी लगाने पर खुल जाना चाहिए था. इसका एक ही मतलब था के दरवाज़े की अंदर से कुण्डी लगी हुई थी जो के मैने कभी भी नही लगाई थी. कोई अंदर ही था और उसने इसे डबल लॉक किया हुआ था.
मैं सोचने लगा के अंदर कौन हो सकता है. यह एक छ्होटा सा कमरा था. दरअसल यह पहले मेरे बेडरूम के साथ अटॅच्ड बाथरूम से जुड़ा हुआ ड्रेसिंग रूम था और मैने इसे ड्रेसिंग रूम की जगह सीक्ट्व का कंट्रोल रूम बना दिया था और इसमे 2 कंप्यूटर मॉनिटर और कंप्यूटर रखा हुआ था. सारे कबोर्ड्स निकाल कर एक स्टील आल्मिराह रखी हुई थी जिसके अंदर एक कॉंबिनेशन लॉक वाली सेफ थी और आल्मिराह में कंप्यूटर संबंधी सॉफ्टवेर Cड्स और डVड्स के रेक थे. और सेफ में मेरी प्राइवेट वाली डVड्स थी जो मैं समय-समय पर बर्न करके यहाँ स्टोर कर देता था. यही तो मेरी सेफ्टी प्रॉविषन थी और इनके बिना तो मैं कभी भी फस सकता था. आप समझ ही गये होंगे के मैं किन डVड्स की बात कर रहा हूँ. जी हां यह वही डVड्स थीं जिनमे मैने अभी कुछ दिन पहले ही प्रिया की तीनो मुलाक़ातों की रेकॉर्डिंग्स बर्न करके एक नयी डVड शामिल की थी.
मैं बड़ी सावधानी के साथ अपने बेडरूम की ओर गये और उसका दरवाज़ा खोल कर अंदर गया. फिर बाथरूम में दाखिल हुआ और वहाँ से इस कमरे के दूसरे दरवाज़े को खोलने का प्रयास किया. यह दरवाज़ा खुल गया और मैने उसको थोड़ा सा खोल कर उस कमरे के अंदर झाँका. मेरी आँखें वहाँ का नज़ारा देख कर पथरा गयीं.
कंप्यूटर टेबल के सामने चेर पर एक बहुत ही सुंदर लड़की बैठी हुई थी और उसकी पीठ मेरी ओर थी इसलिए वो मुझे नही देख सकती थी. वैसे भी वो इतनी व्यस्त थी के उसका ध्यान भी मेरी ओर नही जा सकता था. लड़की की उमर का सही अंदाज़ा लगाना तो मुश्किल था पर जो कुछ मैं देख पा रहा था उसके मुताबिक वो कोई छ्होटी उमर की लड़की नहीं थी. उसने एक बर्म्यूडा टाइप हाफ पॅंट के ऊपेर एक टाइट टी-शर्ट पहनी हुई थी और वो टी-शर्ट भी पूरी उसकी बगलों तक ऊपेर उठी हुई थी. ब्रा ना होने के कारण उसके उन्नत उरोज पूरी तरह नंगे थे पर मुझे तो पीछे से केवल उसके बायें मम्मे की साइड से थोड़ी सी झलक ही दिख रही थी. उसकी बर्म्यूडा के बटन खुले हुए थे और साइड से उसकी पिंक कलर की पॅंटी की झलक दिख रही थी. उसका एक हाथ अपने दायें मम्मे पर था और दूसरा उसकी पॅंटी के अंदर था और ध्यान पूरी तरह से कंप्यूटर स्क्रीन पर लगा हुआ था. वहाँ ज़रूर कुच्छ ऐसा था जिसे वो पूरी तन्मयता से देख रही थी और शायद इसीलिए उसको मेरे वहाँ होने का पता नही चला. नही तो मैने बहुत बार पाया है की इस मामले में औरतज़ात की छ्टी हिस यानी की 6थ सेन्स बहुत तेज़ होती है और वो बिना देखे भी यह जान जाती हैं के कोई उन्हें देख या घूर रहा है.
मैं तेज़ पर दबे कदमों से उसके पास पहुँचा और पीछे से हाथ डालकर उसके दोनों मम्मे पकड़ लिए और बड़े प्यार से सेक्सी आवाज़ में बोला के अपने हाथ से ज़्यादा मज़ा दूसरे के हाथ से आता है, आओ मैं तुम्हारी मदद कर देता हूँ. वो चौंक कर एकदम जड़ हो गयी और साथ ही मैं भी, क्योंकि सामने कंप्यूटर स्क्रीन पर जो द्रिश्य चल रहा था उसमे मैं, प्रिया और निशा आपस में गूँथे हुए थे. यह अभी कुच्छ देर पहले की रेकॉर्डिंग थी जिसको वो लड़की देखने में व्यस्त थी और देख कर उत्तेजित भी हो उठी थी. वो थर-थर काँपने लगी और उसने मुझे देखने की नाकाम कोशिश भी की. पर मैने उसकी एक ना चलने दी और उसको अपने साथ चिपकाते हुए उठा लिया और अपने बेडरूम में ला कर बेड पर पटक दिया. अब उसकी नज़र मुझ पर पड़ी. मुझसे नज़र मिलते ही उसकी आँखें फटने को हो गयीं और उसने अपने आप को ढीला छोड़ दिया. मैं मन ही मन मुस्कुराए बिना ना रह सका के वाह री मेरी किस्मेत, एक के बाद एक पके हुए आम मेरी झोली में आ रहे हैं.
पर मैने अपने पर काबू पाते हुए अपने चेहरे के भावों में कोई नर्मी नही आने दी और बहुत साख स्वर में उसको पूछा के वो कौन है. वोकाँपते हुए बोली के जी मैं अरषि हूँ. मैने और कड़क होकर पूछा के कौन अरषि? वो थोड़ा और सहम गयी और बोली के जी राम सिंग मेरे पिता हैं. मैं चौंक गया और उसको पूछा के क्या सच में ही वो राम सिंग की बेटी है. उसने कहा के हां जी मैं राम सिंग की बेटी ही हूँ जी. मुझे याद आया के राम सिंग की एक बेटी है जिसके कॉलेज की अड्मिशन के लिए मैने उसे कुच्छ पैसे भी दिए थे. पर यह लड़की तो बहुत छ्होटी लग रही थी. केवल 4 फीट 10 इंच हाइट थी उसकी और देखने में वो 7थ या 8थ की स्टूडेंट लग रही थी. हां उसके मम्मे ज़रूर पूरी तरह विकसित थे. छ्होटे पर सख़्त और गोल और अनुपात से थोड़े बड़े निपल जो यह दर्शाते थे कि ये इतनी छ्होटी भी नही है. मैने उसको पूछा के तुम पढ़ाई कर रही हो? उसने कहा के जी 2न्ड एअर बी.स्क. कंप्यूटर साइन्स में कर रही हूँ और आपने ही तो मेरी अड्मिशन के लिए बाबा को पैसे दिए थे.
मैं सोचने लगा के अंदर कौन हो सकता है. यह एक छ्होटा सा कमरा था. दरअसल यह पहले मेरे बेडरूम के साथ अटॅच्ड बाथरूम से जुड़ा हुआ ड्रेसिंग रूम था और मैने इसे ड्रेसिंग रूम की जगह सीक्ट्व का कंट्रोल रूम बना दिया था और इसमे 2 कंप्यूटर मॉनिटर और कंप्यूटर रखा हुआ था. सारे कबोर्ड्स निकाल कर एक स्टील आल्मिराह रखी हुई थी जिसके अंदर एक कॉंबिनेशन लॉक वाली सेफ थी और आल्मिराह में कंप्यूटर संबंधी सॉफ्टवेर Cड्स और डVड्स के रेक थे. और सेफ में मेरी प्राइवेट वाली डVड्स थी जो मैं समय-समय पर बर्न करके यहाँ स्टोर कर देता था. यही तो मेरी सेफ्टी प्रॉविषन थी और इनके बिना तो मैं कभी भी फस सकता था. आप समझ ही गये होंगे के मैं किन डVड्स की बात कर रहा हूँ. जी हां यह वही डVड्स थीं जिनमे मैने अभी कुछ दिन पहले ही प्रिया की तीनो मुलाक़ातों की रेकॉर्डिंग्स बर्न करके एक नयी डVड शामिल की थी.
मैं बड़ी सावधानी के साथ अपने बेडरूम की ओर गये और उसका दरवाज़ा खोल कर अंदर गया. फिर बाथरूम में दाखिल हुआ और वहाँ से इस कमरे के दूसरे दरवाज़े को खोलने का प्रयास किया. यह दरवाज़ा खुल गया और मैने उसको थोड़ा सा खोल कर उस कमरे के अंदर झाँका. मेरी आँखें वहाँ का नज़ारा देख कर पथरा गयीं.
कंप्यूटर टेबल के सामने चेर पर एक बहुत ही सुंदर लड़की बैठी हुई थी और उसकी पीठ मेरी ओर थी इसलिए वो मुझे नही देख सकती थी. वैसे भी वो इतनी व्यस्त थी के उसका ध्यान भी मेरी ओर नही जा सकता था. लड़की की उमर का सही अंदाज़ा लगाना तो मुश्किल था पर जो कुछ मैं देख पा रहा था उसके मुताबिक वो कोई छ्होटी उमर की लड़की नहीं थी. उसने एक बर्म्यूडा टाइप हाफ पॅंट के ऊपेर एक टाइट टी-शर्ट पहनी हुई थी और वो टी-शर्ट भी पूरी उसकी बगलों तक ऊपेर उठी हुई थी. ब्रा ना होने के कारण उसके उन्नत उरोज पूरी तरह नंगे थे पर मुझे तो पीछे से केवल उसके बायें मम्मे की साइड से थोड़ी सी झलक ही दिख रही थी. उसकी बर्म्यूडा के बटन खुले हुए थे और साइड से उसकी पिंक कलर की पॅंटी की झलक दिख रही थी. उसका एक हाथ अपने दायें मम्मे पर था और दूसरा उसकी पॅंटी के अंदर था और ध्यान पूरी तरह से कंप्यूटर स्क्रीन पर लगा हुआ था. वहाँ ज़रूर कुच्छ ऐसा था जिसे वो पूरी तन्मयता से देख रही थी और शायद इसीलिए उसको मेरे वहाँ होने का पता नही चला. नही तो मैने बहुत बार पाया है की इस मामले में औरतज़ात की छ्टी हिस यानी की 6थ सेन्स बहुत तेज़ होती है और वो बिना देखे भी यह जान जाती हैं के कोई उन्हें देख या घूर रहा है.
मैं तेज़ पर दबे कदमों से उसके पास पहुँचा और पीछे से हाथ डालकर उसके दोनों मम्मे पकड़ लिए और बड़े प्यार से सेक्सी आवाज़ में बोला के अपने हाथ से ज़्यादा मज़ा दूसरे के हाथ से आता है, आओ मैं तुम्हारी मदद कर देता हूँ. वो चौंक कर एकदम जड़ हो गयी और साथ ही मैं भी, क्योंकि सामने कंप्यूटर स्क्रीन पर जो द्रिश्य चल रहा था उसमे मैं, प्रिया और निशा आपस में गूँथे हुए थे. यह अभी कुच्छ देर पहले की रेकॉर्डिंग थी जिसको वो लड़की देखने में व्यस्त थी और देख कर उत्तेजित भी हो उठी थी. वो थर-थर काँपने लगी और उसने मुझे देखने की नाकाम कोशिश भी की. पर मैने उसकी एक ना चलने दी और उसको अपने साथ चिपकाते हुए उठा लिया और अपने बेडरूम में ला कर बेड पर पटक दिया. अब उसकी नज़र मुझ पर पड़ी. मुझसे नज़र मिलते ही उसकी आँखें फटने को हो गयीं और उसने अपने आप को ढीला छोड़ दिया. मैं मन ही मन मुस्कुराए बिना ना रह सका के वाह री मेरी किस्मेत, एक के बाद एक पके हुए आम मेरी झोली में आ रहे हैं.
पर मैने अपने पर काबू पाते हुए अपने चेहरे के भावों में कोई नर्मी नही आने दी और बहुत साख स्वर में उसको पूछा के वो कौन है. वोकाँपते हुए बोली के जी मैं अरषि हूँ. मैने और कड़क होकर पूछा के कौन अरषि? वो थोड़ा और सहम गयी और बोली के जी राम सिंग मेरे पिता हैं. मैं चौंक गया और उसको पूछा के क्या सच में ही वो राम सिंग की बेटी है. उसने कहा के हां जी मैं राम सिंग की बेटी ही हूँ जी. मुझे याद आया के राम सिंग की एक बेटी है जिसके कॉलेज की अड्मिशन के लिए मैने उसे कुच्छ पैसे भी दिए थे. पर यह लड़की तो बहुत छ्होटी लग रही थी. केवल 4 फीट 10 इंच हाइट थी उसकी और देखने में वो 7थ या 8थ की स्टूडेंट लग रही थी. हां उसके मम्मे ज़रूर पूरी तरह विकसित थे. छ्होटे पर सख़्त और गोल और अनुपात से थोड़े बड़े निपल जो यह दर्शाते थे कि ये इतनी छ्होटी भी नही है. मैने उसको पूछा के तुम पढ़ाई कर रही हो? उसने कहा के जी 2न्ड एअर बी.स्क. कंप्यूटर साइन्स में कर रही हूँ और आपने ही तो मेरी अड्मिशन के लिए बाबा को पैसे दिए थे.
Re: कुँवारियों का शिकार
इतनी बातें करते वो काफ़ी हद तक संयत हो चुकी थी. मैं उसके पास बेड पर बैठ गया और उसके मम्मे को प्यार से सहलाते हुए उसको बोला के यह सब कब से चल रहा है. अब उसे अपनी नग्नता का एहसास हुआ और वो शर्म से लाल हो गयी. उसका रंग इतना गोरा था के ये लाली उसके चेहरे को एक दम सेब के समान लाल कर गयी. एक और बात और वो यह के शर्म से उसके कान तक लाल हो गये थे और यह देखकर मेरे तो मारे उत्तेजना के होश खराब हो गये. उसने अपनी आँखे बंद कर लीं और गहरी साँसें लेने लगी. मैने उसके मम्मे को पकड़ के हिलाया और पूछा के बोलो अरषि यह सब क्या है और तुम कंप्यूटर तक कैसे पहुँचीं?
इतना तो मैं समझ ही गया था के कंप्यूटर उसके लिए कोई नयी वस्तु नही है. उसने भी कंप्यूटर के बारे में ही बताना शुरू किया. जी मैं कंप्यूटर के बारे में तो जानती ही हूँ. इस पर मैं कभी कभी अपनी असाइनमेंट्स तैयार करती हूँ तो मुझे यह भी पता है के यहाँ पर सीक्ट्व कॅमरा और मोशन सेन्सर्स लगे हुए हैं और उनकी रेकॉर्डिंग भी यहीं होती है. मैने काफ़ी दिन पहले आपको एक लड़की के साथ यहाँ से निकलते और कार में बैठकर जाते देखा था और वो लड़की च्छूप कर कार में बैठी थी. मैने सोचा के वो कार में छुपकर क्यों बाहर निकली है? फिर मैने सोचा के चलो सीक्ट्व की रेकॉर्डिंग में देखती हूँ के आप दोनो यहाँ क्या करने आए थे. फिर वो बताती चली गयी के उसने मेरी और प्रिया की पहली रेकॉर्डिंग देखी. मैं अंदर से तो डर गया के यह लड़की बहुत कुच्छ जान गयी है पर मैने ऐसा कुच्छ भी उस पर ज़ाहिर नही होने दिया और पूछा के देख कर तुमको कैसा लगा. मेरा हाथ उसके मस्त करने वाले मम्मे से अभी भी खेल रहा था. इस कारण से और रेकॉर्डिंग्स की याद से अरषि भी अंदर से आंदोलित हो रही थी. वो बोली के वो नही जानती के जो कुच्छ भी उसको उस दिन लगा वो क्या था पर इतना ही कह सकती है की उस पर एक अजीब सा नशा सा च्छा गया था और उसके हाथ अपने आप उसके शरीर के साथ खेलने लगे थे और कुच्छ देर बाद उसकी पॅंटी बहुत गीली हो गयी थी और उसको लगा के उसके अंदर से कुछ निकला था. मैने उससे पूछा के आगे बोलो.
उसने बताया के वो इसके बाद नज़र रखने लगी के मैं कब किसी लड़की के साथ आता हूँ और फिर उसने मेरी और प्रिया की दूसरी रेकॉर्डिंग भी देखी और फिर वही सब कुच्छ उसके साथ हुआ. और आज हमारे जाने के बाद वो फिर रेकॉर्डिंग देख रही थी के पकड़ी गयी.
मैं समझ गया के मुझे कुच्छ ऐसा करना होगा के यह लड़की आगे कुच्छ गड़बड़ ना कर सके. और वो यह था के इसको भी अपने घेरे में ले लिया जाए तो इसका मुँह भी बंद रहेगा और अपनी एक और लड़की बढ़ जाएगी मस्ती करने को. मैने उसके मम्मे को सहलाते हुए उस को पूछा के मैं जो कर रहा हूँ वो उसको कैसा लग रहा है? वो कुच्छ बोली तो नही पर उसके चेहरे पर आनंद के भाव देख कर मैने उसे प्रेस नही किया जवाब देने के लिए पर इतना ज़रूर पूछा के क्या वो चाहती है के मैं उसके साथ आगे वो सब करूँ जो मैने अपनी दोस्त के साथ किया था. उसने सर हिला कर हां में इशारा किया तो मैं खुश हो गया.
फिर भी मैने पक्का करने के लिए उससे कहा के क्या वो मेरी दोस्त बनेगी. उसने कहा के हां. मैने कहा के दोस्ती में सब कुच्छ चलता है और इन बातों को किसी को बताना नही होगा. उसने मेरी ओर देखा और बोली की जी मैं जानती हूँ और मैने किसी को कुच्छ नही बताया है और ना ही कभी किसी को बताऊंगी. फिर मैने उसको कहा के देखो अब हम दोस्त बन गये हैं तो कोई शरम नही होनी चाहिए हमारे बीच में. मैं सिर्फ़ तुम्हें चोदने के लिए ही तुम्हारा दोस्त नही बना हूँ. अब तुम्हारी हर इच्छा और ज़रूरत का ख़याल मैं रखूँगा और तुम अपनी कोई भी बात मुझसे नही छुपओगि. दोस्तो इस तरह मेरी झोली मे उपर वाले ने एक कुँवारी कन्या को डाल दिया दोस्तो इस कन्या की चुदाई अगले पार्ट मे
क्रमशः..........
इतना तो मैं समझ ही गया था के कंप्यूटर उसके लिए कोई नयी वस्तु नही है. उसने भी कंप्यूटर के बारे में ही बताना शुरू किया. जी मैं कंप्यूटर के बारे में तो जानती ही हूँ. इस पर मैं कभी कभी अपनी असाइनमेंट्स तैयार करती हूँ तो मुझे यह भी पता है के यहाँ पर सीक्ट्व कॅमरा और मोशन सेन्सर्स लगे हुए हैं और उनकी रेकॉर्डिंग भी यहीं होती है. मैने काफ़ी दिन पहले आपको एक लड़की के साथ यहाँ से निकलते और कार में बैठकर जाते देखा था और वो लड़की च्छूप कर कार में बैठी थी. मैने सोचा के वो कार में छुपकर क्यों बाहर निकली है? फिर मैने सोचा के चलो सीक्ट्व की रेकॉर्डिंग में देखती हूँ के आप दोनो यहाँ क्या करने आए थे. फिर वो बताती चली गयी के उसने मेरी और प्रिया की पहली रेकॉर्डिंग देखी. मैं अंदर से तो डर गया के यह लड़की बहुत कुच्छ जान गयी है पर मैने ऐसा कुच्छ भी उस पर ज़ाहिर नही होने दिया और पूछा के देख कर तुमको कैसा लगा. मेरा हाथ उसके मस्त करने वाले मम्मे से अभी भी खेल रहा था. इस कारण से और रेकॉर्डिंग्स की याद से अरषि भी अंदर से आंदोलित हो रही थी. वो बोली के वो नही जानती के जो कुच्छ भी उसको उस दिन लगा वो क्या था पर इतना ही कह सकती है की उस पर एक अजीब सा नशा सा च्छा गया था और उसके हाथ अपने आप उसके शरीर के साथ खेलने लगे थे और कुच्छ देर बाद उसकी पॅंटी बहुत गीली हो गयी थी और उसको लगा के उसके अंदर से कुछ निकला था. मैने उससे पूछा के आगे बोलो.
उसने बताया के वो इसके बाद नज़र रखने लगी के मैं कब किसी लड़की के साथ आता हूँ और फिर उसने मेरी और प्रिया की दूसरी रेकॉर्डिंग भी देखी और फिर वही सब कुच्छ उसके साथ हुआ. और आज हमारे जाने के बाद वो फिर रेकॉर्डिंग देख रही थी के पकड़ी गयी.
मैं समझ गया के मुझे कुच्छ ऐसा करना होगा के यह लड़की आगे कुच्छ गड़बड़ ना कर सके. और वो यह था के इसको भी अपने घेरे में ले लिया जाए तो इसका मुँह भी बंद रहेगा और अपनी एक और लड़की बढ़ जाएगी मस्ती करने को. मैने उसके मम्मे को सहलाते हुए उस को पूछा के मैं जो कर रहा हूँ वो उसको कैसा लग रहा है? वो कुच्छ बोली तो नही पर उसके चेहरे पर आनंद के भाव देख कर मैने उसे प्रेस नही किया जवाब देने के लिए पर इतना ज़रूर पूछा के क्या वो चाहती है के मैं उसके साथ आगे वो सब करूँ जो मैने अपनी दोस्त के साथ किया था. उसने सर हिला कर हां में इशारा किया तो मैं खुश हो गया.
फिर भी मैने पक्का करने के लिए उससे कहा के क्या वो मेरी दोस्त बनेगी. उसने कहा के हां. मैने कहा के दोस्ती में सब कुच्छ चलता है और इन बातों को किसी को बताना नही होगा. उसने मेरी ओर देखा और बोली की जी मैं जानती हूँ और मैने किसी को कुच्छ नही बताया है और ना ही कभी किसी को बताऊंगी. फिर मैने उसको कहा के देखो अब हम दोस्त बन गये हैं तो कोई शरम नही होनी चाहिए हमारे बीच में. मैं सिर्फ़ तुम्हें चोदने के लिए ही तुम्हारा दोस्त नही बना हूँ. अब तुम्हारी हर इच्छा और ज़रूरत का ख़याल मैं रखूँगा और तुम अपनी कोई भी बात मुझसे नही छुपओगि. दोस्तो इस तरह मेरी झोली मे उपर वाले ने एक कुँवारी कन्या को डाल दिया दोस्तो इस कन्या की चुदाई अगले पार्ट मे
क्रमशः..........