"रिया और विनोद एक दूसरे से चिपक कर डॅन्स कर रहे थे. "तुम
बहोत ही सुन्दर हो" विनोद ने रिया को अपने से और चिपकाते हुए कहा.
"हन्णन्न् तुम भी कुछ कम हॅंडसम नही हो." रिया ने अपने आपको उसकी
बाहों मे देते हुए कहा.
रिया तो आज कुछ मस्ती करने के मूड मे थी.. उसने अपने बदन के
सामने की हिस्से को विनोद के बदन से रगड़ते हुए डॅन्स करने लगी.
विनोद ने उसे अपनी बाहों मे भींचते हुए अपने होंठ उउस्के होठों पर
रख दिए... रिया ने भी उसका साथ दिया और उसके होठों को चूमने
लगी. विनोद ने अपनी जीब उसके मुँह मे डाल दी जिसे रिया मस्ती मे
चूसने लगी. एक तो शराब का नशा उपर से ऐसा रोमॅंटिक महॉल...
थोड़ी ही देर मे रिया की चूत गीली हो गयी.
विनोद रिया को बाहों मे लिए डॅन्स फ्लोर के एकदम कोने मे लेकर आ
गया जहाँ रोशनी थोड़ी कम थी और हॉल मे बैठे लोगों की नज़रों
से बचा भी जा सकता था. विनोद उसके पूरे बदन को अपने से
चिपकाए धीरे सहला रहा था साथ ही उसके नाज़ुक हिस्सों को भींच
भी रहा था.
रिया गर्माती जा रही थी... "विनोद मुझे खुशी है कि आज तुम
मुझे मिल गये." रिया ने उसके कान मे धीरे से कहा.
"तुम तो मेरी वो खूबसूरत जान हो जिसे में ढूंड रहा था," विनोद
ने उसे अपने से ओर सताते हुए कहा, "और हमे तो मिलना ही था.. ये
हमारा मुंक़ादर जो है."
विनोद की बातें सुन रिया का दिल पिघल गया और एक बार तो उसे लगने
लगा की शायद राज वो इंसान नही है पर शायद इतनी जल्दी फ़ैसले
पर नही आना चाहिए.. दुनिया बहोत बड़ी है.. क्या पता नसीब मे
क्या लिखा है.
"हमे यहाँ से कोई नही देख सकता... क्या में तुम्हारे साथ कुछ
शैतानी कर सकता हूँ.?" विनोद ने पूछा.
वैसे तो रिया शैतानियों की आदि थी.. बिना पूछे तो कई बार कई
लोगों ने उसके साथ शैतानी की थी लेकिन ये पहला शक्श था जो
शैतानी करने की इज्जाजत माँग रहा था.
"में तो कब से इस बात का इंतेज़ार कर रही थी कि तुम कोई शैतानी
करो," रिया ने उसके होठों को चूमते हुए कहा.
दोनो संगीत की धीमी धुन पर धीरे धीरे नाच रहे थे. विनोद
ने रिया के शर्ट के आगे के दो बटन को खोल दिया जिससे हाथ आराम
से अंदर जा सके. रिया ने अंदर कोई ब्रा नही पहनी हुई थी.
विनोद ने अपना हाथ उसकी शर्ट मे डाला और उसकी कठोर चुचि को
मुट्ठी मे भर भींचने लगा. रिया उसके कान के नज़दीक धीमे से
सिसक पड़ी.
"थोड़ा ज़ोर से भींचो ना... मुझे अछा लगता है." कहकर रिया ने
उसकी कानो की लौ को दाँतों से काट लिया.
"मुझे बरसों से तुम्हारी जैसी ही लड़की की तलाश थी." कहकर विनोद
ने उसके निपल को पकड़ा और सहलाने लगा. रिया ने महसूस की विनोद का
लंड पॅंट के अंदर तनता जा रहा है.. और वो अपने तने लंड को
रिया की जांघों पर रगड़ रहा था......
रिया के दिल की धड़कने तेज होने लगी.
रिया अपने दाएँ हाथ उसके छोड़े कंधों और छाती पर फिराने लगी...
फिर हाथ को नीचे ले जाकर उसने पॅंट के उपर से उसके खड़े लंड को
पकड़ लिया. विनोद का लंड उसकी हथेली मे और मोटा और लंबा हो रहा
था... विनोद ने अपनी टांग तो रिया की टाँगो के बीच मे रखा और
घुटने को उसकी चूत को घिसने लगा........ रिया अपनी चूत को उसके
घूटने के उपर रगड़ते हुए नाच रही थी.
दो भाई दो बहन compleet
Re: दो भाई दो बहन
रिया से अब बर्दाश्त नही हो रहा था.. उसने अपनी जीब विनोद के मुँह
मे डाल उसकी जीब और होठों को चूसने लगी... विनोद ने भी अपना
हाथ उसकी शर्ट से बाहर निकाल लिया. विनोद ने अपना हाथ नीचे
लेजाकार उसकी स्कर्ट के अंदर डाल उसकी चूत को मुठ्ठी मे भर लिया
और भींचने लगा. रिया उन्माद मे अपनी चूत को उसके हाथों पर
दबाने लगी.
"ऑश विन्ंनोड अब बर्दाश्त नही होता प्लीज़ मुझे छोड़ूओ चूड़ो
मुझे अभी और इसी वक्त." रिया उसके कान मे फुसफुसा.
कुछ सेकेंड मे गाना ख़त्म हुआ और दोनो को वहाँ से हटने का मौका
मिल गया. विनोद उसका हाथ पकड़े हुए उसे हॉल के बाहर पॅसेज मे ले
आया. विनोद ने कम रोशनी के गलियारे मे उसे दीवार के सहारे खड़ा
किया और चूमने लगा. रिया इतनी उत्तेजित थी कि किस समय उसे कुछ
होश नही था.. उसे बिल्कुल भी होश नही था कि कहाँ क्या हो रहा
था... उसे तो इस समय बस विनोद का लंड चाहिए था अपनी उबल्ति
चूत मे.
दोनो एक दूसरे को बेतहाश चूम रहे थे और विनोद ने ने उसकी शर्ट
के रहे सहे बटन खोलने लगा... उसकी शर्ट का एक बटन टूट कर
नीचे ज़मीन पर गिर गया.... उसकी चुचियाँ नंगी होते ही विनोद
ने उसकी दोनो चुचियों को पकड़ लिया और जोरों से मसल्ने लगा.
वहीं रिया ने उसकी पॅंट की ज़िप नीचे की और उसके खड़े लंड को अपने
हाथों से पकड़ लिया. वो जोरों से उसके लंड को मसल्ने लगी. रिया की
चूत मे आग लगी हुई थी.
"अब प्ल्स तडपाओ मत..... चोदो मुझे कस के चोदो...ना"
विनोद नीचे झुका और उसकी स्कर्ट को थोड़ा उपर उठा उसकी पॅंटी को
नीचे खिसका दिया.... फिर उसकी टाँगो से निकाल कर उसने उस पॅंटी को
अपनी जेब मे रख लिया. पॅंटी निकलते ही रिया ने अपनी टाँगे पूरी
तरह फैला दी.
"तुम्हे विश्वास है कि तुम इस लंड को झेल लोगि?" विनोद ने अपने मोटे
लंबे लंड को दीखाते हुए कहा.
"तुम चिंता मत करो.... में इस लंड की आखरी बूँद तक निचोड़
लूँगी." रिया ने उसके लंड को मसल्ते हुए कहा.
विनोद ने उसे घूमा दिया और दीवार के सहारे झुक दिया... फिर अपने
लंड को पकड़ पीछे से उसकी चूत के मुँह पर रख एक ज़ोर का धक्का
मारा. विनोद ने उसके चूतदों को पकड़ अपने लंड को थोड़ा बाहर
खींचा और और ज़ोर का धक्का लगाते हुए अपना लंड और अंदर घुसा
दिया.
"ऑश हां...." रिया चिल्ला उठी. उसकी आवाज़ हॉल मे बजते संगीत
मे दब कर रह गयी और रिया को जोरों से सिसकने की पूरी आज़ादी मिल
गयी, "श हाां और ज़ोर से अंदर घुसा दूओ ओह हाआँ छोड़ो
मुझे ऑश." रिया अब जोरों से सिसक रही थी.
विनोद ने उसे और थोड़ा झुकाया और अब जोरों से अपने लंड को उसकी
चूत के अंदर बाहर करने लगा. वो ज़ोर ज़ोर के धक्के मार रहा था
और उसकी चूत हर धक्के पर उसके लंड को अपनी मांसपेशियों मे
जाकड़ लेती.... विनोद को रिया की चूत काफ़ी कसी हुई महसूस हो रही
थी... वो ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा.
"ऑश हाआँ और ज़ोर से ऑश छोड़ो मुझे और ज़ोर से... हाआँ ऐसे
ही." रिया अब और जोरों से चिल्ला कर उसे उकसा रही थी.
"क्यों मज़ा आ रहा है ना जान कि और ज़ोर से चाहिए....?" विनोद
उसकी चूत को जोरों से चोदते हुए बोला.
रिया ने आध खुली आँखों से विनोद को देखा जो उसके चूतदों को
पकड़ ज़ोर ज़ोर के धक्के मार रहा था. रिया की चूत उबाल पर
थी...उसने अपने कूल्हे पीछे किया और विनोद के लंड को और अंदर तक
लेते हुए पानी छोड़ दिया.
रिया के बदन को अकड़ता देख विनोद स्मझ गया कि वो झाड़ चुकी
है... लेकिन विनोद तो आज ऐसी चुदाई के मूड मे था कि रिया उसे
जिंदगी भर याद रखे.... वो और ज़ोर ज़ोर के धक्के मारने लगा....
साथ ही वो उसकी चूत के बाहरी हिस्से को अपनी हथेली मे ले मसल
भी रहा था..... करीब 10 मिनिट तक इसी तरह धक्के मारने के बाद
उसके लंड ने भी रिया की चूत को अपने पानी से भर दिया.
मे डाल उसकी जीब और होठों को चूसने लगी... विनोद ने भी अपना
हाथ उसकी शर्ट से बाहर निकाल लिया. विनोद ने अपना हाथ नीचे
लेजाकार उसकी स्कर्ट के अंदर डाल उसकी चूत को मुठ्ठी मे भर लिया
और भींचने लगा. रिया उन्माद मे अपनी चूत को उसके हाथों पर
दबाने लगी.
"ऑश विन्ंनोड अब बर्दाश्त नही होता प्लीज़ मुझे छोड़ूओ चूड़ो
मुझे अभी और इसी वक्त." रिया उसके कान मे फुसफुसा.
कुछ सेकेंड मे गाना ख़त्म हुआ और दोनो को वहाँ से हटने का मौका
मिल गया. विनोद उसका हाथ पकड़े हुए उसे हॉल के बाहर पॅसेज मे ले
आया. विनोद ने कम रोशनी के गलियारे मे उसे दीवार के सहारे खड़ा
किया और चूमने लगा. रिया इतनी उत्तेजित थी कि किस समय उसे कुछ
होश नही था.. उसे बिल्कुल भी होश नही था कि कहाँ क्या हो रहा
था... उसे तो इस समय बस विनोद का लंड चाहिए था अपनी उबल्ति
चूत मे.
दोनो एक दूसरे को बेतहाश चूम रहे थे और विनोद ने ने उसकी शर्ट
के रहे सहे बटन खोलने लगा... उसकी शर्ट का एक बटन टूट कर
नीचे ज़मीन पर गिर गया.... उसकी चुचियाँ नंगी होते ही विनोद
ने उसकी दोनो चुचियों को पकड़ लिया और जोरों से मसल्ने लगा.
वहीं रिया ने उसकी पॅंट की ज़िप नीचे की और उसके खड़े लंड को अपने
हाथों से पकड़ लिया. वो जोरों से उसके लंड को मसल्ने लगी. रिया की
चूत मे आग लगी हुई थी.
"अब प्ल्स तडपाओ मत..... चोदो मुझे कस के चोदो...ना"
विनोद नीचे झुका और उसकी स्कर्ट को थोड़ा उपर उठा उसकी पॅंटी को
नीचे खिसका दिया.... फिर उसकी टाँगो से निकाल कर उसने उस पॅंटी को
अपनी जेब मे रख लिया. पॅंटी निकलते ही रिया ने अपनी टाँगे पूरी
तरह फैला दी.
"तुम्हे विश्वास है कि तुम इस लंड को झेल लोगि?" विनोद ने अपने मोटे
लंबे लंड को दीखाते हुए कहा.
"तुम चिंता मत करो.... में इस लंड की आखरी बूँद तक निचोड़
लूँगी." रिया ने उसके लंड को मसल्ते हुए कहा.
विनोद ने उसे घूमा दिया और दीवार के सहारे झुक दिया... फिर अपने
लंड को पकड़ पीछे से उसकी चूत के मुँह पर रख एक ज़ोर का धक्का
मारा. विनोद ने उसके चूतदों को पकड़ अपने लंड को थोड़ा बाहर
खींचा और और ज़ोर का धक्का लगाते हुए अपना लंड और अंदर घुसा
दिया.
"ऑश हां...." रिया चिल्ला उठी. उसकी आवाज़ हॉल मे बजते संगीत
मे दब कर रह गयी और रिया को जोरों से सिसकने की पूरी आज़ादी मिल
गयी, "श हाां और ज़ोर से अंदर घुसा दूओ ओह हाआँ छोड़ो
मुझे ऑश." रिया अब जोरों से सिसक रही थी.
विनोद ने उसे और थोड़ा झुकाया और अब जोरों से अपने लंड को उसकी
चूत के अंदर बाहर करने लगा. वो ज़ोर ज़ोर के धक्के मार रहा था
और उसकी चूत हर धक्के पर उसके लंड को अपनी मांसपेशियों मे
जाकड़ लेती.... विनोद को रिया की चूत काफ़ी कसी हुई महसूस हो रही
थी... वो ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा.
"ऑश हाआँ और ज़ोर से ऑश छोड़ो मुझे और ज़ोर से... हाआँ ऐसे
ही." रिया अब और जोरों से चिल्ला कर उसे उकसा रही थी.
"क्यों मज़ा आ रहा है ना जान कि और ज़ोर से चाहिए....?" विनोद
उसकी चूत को जोरों से चोदते हुए बोला.
रिया ने आध खुली आँखों से विनोद को देखा जो उसके चूतदों को
पकड़ ज़ोर ज़ोर के धक्के मार रहा था. रिया की चूत उबाल पर
थी...उसने अपने कूल्हे पीछे किया और विनोद के लंड को और अंदर तक
लेते हुए पानी छोड़ दिया.
रिया के बदन को अकड़ता देख विनोद स्मझ गया कि वो झाड़ चुकी
है... लेकिन विनोद तो आज ऐसी चुदाई के मूड मे था कि रिया उसे
जिंदगी भर याद रखे.... वो और ज़ोर ज़ोर के धक्के मारने लगा....
साथ ही वो उसकी चूत के बाहरी हिस्से को अपनी हथेली मे ले मसल
भी रहा था..... करीब 10 मिनिट तक इसी तरह धक्के मारने के बाद
उसके लंड ने भी रिया की चूत को अपने पानी से भर दिया.
Re: दो भाई दो बहन
विनोद ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और वॉश रूम की ओर
बढ़ गया.... रिया भी लॅडीस टाय्लेट की ओर चली गयी. थोड़ी देर
बाद फ्रेश होने के बाद वो अंदर हॉल मे वापस उसी टेबल पर आ गयी
जहाँ विनोद का दोस्त आशीष और उसकी महिला साथ बैठे थे... रिया
की ड्रिंक अभी भी उसी तरह टेबल पर पड़ी थी.. उसने अपनी ड्रिंक
उठाई और पीने लगी.
दो तीन ड्रिंक और पीने के बाद रिया को लगा कि वो खुद गाड़ी चला
कर घर तक नही पहुँच पाएगी... थोड़ा नशा हो गया था उसे.
रिया को थोड़ा झूमते देख विनोद उसके कान मे धीमे से बोला, "रिया
मेरे साथ चलो तुम्हे जिंदगी का असली मज़ा दिखाउँगा.."
"पर में ज़्यादा देर तक नही रुक पाउन्गि." रिया ने कहा.
"हमारे साथ चलो और अगर तुम्हे मज़ा नही आए तो में तुम्हे घर
तक छोड़ दूँगा." विनोद ने उसकी हालत को समझते हुए कहा.
विनोद ने अपना दायां हाथ रिया के कंधों पर रखा और उसे सहारा दे
कर बाहर तक ले आया... आशीष अपनी महिला साथ को वहीं वहीं
छोड़ उनके पीछे पीछे आ गया.... रिया को लगा कि वो अपने पैरों
पर खड़ी नही रह पाएगी.. बड़ी मुश्किल से वो विनोद का सहारा लिए
उसकी गाड़ी तक पहुँची.
विनोद ने उसे सहारा देकर ड्राइवर की पीछे वाली सीट पर बिठा
दिया... पर जब आशीष उसके बगल मे बैठा तो वो चौंक पड़ी...
उसे इस बात की उम्मीद नही थी.. वो समझ रही थी कि विनोद उसके
बगल मे बैठेगा. उसने रिव्यू मीरोर मे देखा जहाँ विनोद मंद मंद
मुस्कुरा रहा था. पर इन हालत मे वो कुछ कर भी नही सकती थी...
उसने भी तय कर लिया कि देखें आगे क्या होता है... अगर मज़ा आया
तो रुकेगी वरना वो घर चली जाएगी.
आशीष ने बगल मे बैठते ही उसे अपनी और खींचा और अपने होंठ
उसके होठों पर रख उन्हे चूसने लगा... फिर अपनी जीभ से उसके
मुँह को खोल उसने अपनी जीब उसके मुँह मे दे दी... नशे की हालत
मे रिया कुछ तो थोड़ी गरम कुछ शराब का नशा.. उसने भी उसके
जीब से अपनी जीब मिला उसे चूसने लगी.
रिया के बदन मे फिर से गर्मी भरने लगी और उसके निपल मे थोड़ी
सी कपन हुई और तन कर खड़े हो गये. आशीष ने अपना हाथ उसकी
खुली शर्ट के अंदर डाला और उसकी चुचियों को मसल्ने लगा. रिया
की चुचियों को म्सल्ते मसल्ते आशीष का लंड भी खड़ा हो गया
था.
थोड़ी देर रिया की चुचियों को मसालने के बाद आशीष ने अपने पॅंट
की ज़िप खोली और अपने लंड को बाहर निकाल लिया..रिया ने उसके लंड
पर निगाह डाली.. उसका लंड विनोद के लंड से कुछ छोटा था.
आशीष ने उसकी गर्दन को पकड़ा और अपने लंड पर झुका दिया... रिया
अपनी सीट से खिसक कर सीटो के बीच नीचे बैठ गयी और उसके
लंड को अपने मुँह मे ले लिया. वो उसके लंड को अपनी जीब से भींचते
हुए उसे अपने गले तक लेकर चूसने लगी. आशीष अपने हाथ को उसके
सिर पर रख अपने लंड पर दबा रहा था.
"ऑश हाआँ ऐसे ही चूसो श तुम्हारा गरम मुँह मेरे लंड पर
बहोट ही अच्छा लग रहा है" आशीष अपने हाथ का दबाव बढ़ाते हुए
सिसका.
रिया उस अजनबी के लंड पर अपना मुँह उपर नीचे कर चूसने लगी.
उसके लंड को मुठ्ठी से मसल्ते हुए साथ ही उसकी गोलैईयों को सहला
रही थी. आशीष का लंड मे उबाल आने लगा और उसके मुँह से "ओह्ह्ह्ह
अयाया" की आवाज़ें निकल रही थी.
"आशीष इससे कहना कि तुम्हारा लंड का पान मेरी गाड़ी की नई सीट पर
ना गिरने पाए... इससे कहना कि ये सारा पानी पी जाए.. में बाद मे
चेक करने वाला हूँ." विनोद गाड़ी चलाते हुए लगभग चिल्लाते हुए
बोला.
"तुमने सुना ना विनोद ने क्या कहा, तुम सब पानी पी जाओगी ना रिया..
है ना?" आशीष ने रिया से पूछा.
रिया ने अपनी गर्दन हां मे हिला दी.
"ऑश हान ज़ोर ज़ोर से चूसो ओःः हाँ और ज़ोर से ऑश मेरा छूटने
ही वाला है.." आशीष सिसक पड़ा.
बढ़ गया.... रिया भी लॅडीस टाय्लेट की ओर चली गयी. थोड़ी देर
बाद फ्रेश होने के बाद वो अंदर हॉल मे वापस उसी टेबल पर आ गयी
जहाँ विनोद का दोस्त आशीष और उसकी महिला साथ बैठे थे... रिया
की ड्रिंक अभी भी उसी तरह टेबल पर पड़ी थी.. उसने अपनी ड्रिंक
उठाई और पीने लगी.
दो तीन ड्रिंक और पीने के बाद रिया को लगा कि वो खुद गाड़ी चला
कर घर तक नही पहुँच पाएगी... थोड़ा नशा हो गया था उसे.
रिया को थोड़ा झूमते देख विनोद उसके कान मे धीमे से बोला, "रिया
मेरे साथ चलो तुम्हे जिंदगी का असली मज़ा दिखाउँगा.."
"पर में ज़्यादा देर तक नही रुक पाउन्गि." रिया ने कहा.
"हमारे साथ चलो और अगर तुम्हे मज़ा नही आए तो में तुम्हे घर
तक छोड़ दूँगा." विनोद ने उसकी हालत को समझते हुए कहा.
विनोद ने अपना दायां हाथ रिया के कंधों पर रखा और उसे सहारा दे
कर बाहर तक ले आया... आशीष अपनी महिला साथ को वहीं वहीं
छोड़ उनके पीछे पीछे आ गया.... रिया को लगा कि वो अपने पैरों
पर खड़ी नही रह पाएगी.. बड़ी मुश्किल से वो विनोद का सहारा लिए
उसकी गाड़ी तक पहुँची.
विनोद ने उसे सहारा देकर ड्राइवर की पीछे वाली सीट पर बिठा
दिया... पर जब आशीष उसके बगल मे बैठा तो वो चौंक पड़ी...
उसे इस बात की उम्मीद नही थी.. वो समझ रही थी कि विनोद उसके
बगल मे बैठेगा. उसने रिव्यू मीरोर मे देखा जहाँ विनोद मंद मंद
मुस्कुरा रहा था. पर इन हालत मे वो कुछ कर भी नही सकती थी...
उसने भी तय कर लिया कि देखें आगे क्या होता है... अगर मज़ा आया
तो रुकेगी वरना वो घर चली जाएगी.
आशीष ने बगल मे बैठते ही उसे अपनी और खींचा और अपने होंठ
उसके होठों पर रख उन्हे चूसने लगा... फिर अपनी जीभ से उसके
मुँह को खोल उसने अपनी जीब उसके मुँह मे दे दी... नशे की हालत
मे रिया कुछ तो थोड़ी गरम कुछ शराब का नशा.. उसने भी उसके
जीब से अपनी जीब मिला उसे चूसने लगी.
रिया के बदन मे फिर से गर्मी भरने लगी और उसके निपल मे थोड़ी
सी कपन हुई और तन कर खड़े हो गये. आशीष ने अपना हाथ उसकी
खुली शर्ट के अंदर डाला और उसकी चुचियों को मसल्ने लगा. रिया
की चुचियों को म्सल्ते मसल्ते आशीष का लंड भी खड़ा हो गया
था.
थोड़ी देर रिया की चुचियों को मसालने के बाद आशीष ने अपने पॅंट
की ज़िप खोली और अपने लंड को बाहर निकाल लिया..रिया ने उसके लंड
पर निगाह डाली.. उसका लंड विनोद के लंड से कुछ छोटा था.
आशीष ने उसकी गर्दन को पकड़ा और अपने लंड पर झुका दिया... रिया
अपनी सीट से खिसक कर सीटो के बीच नीचे बैठ गयी और उसके
लंड को अपने मुँह मे ले लिया. वो उसके लंड को अपनी जीब से भींचते
हुए उसे अपने गले तक लेकर चूसने लगी. आशीष अपने हाथ को उसके
सिर पर रख अपने लंड पर दबा रहा था.
"ऑश हाआँ ऐसे ही चूसो श तुम्हारा गरम मुँह मेरे लंड पर
बहोट ही अच्छा लग रहा है" आशीष अपने हाथ का दबाव बढ़ाते हुए
सिसका.
रिया उस अजनबी के लंड पर अपना मुँह उपर नीचे कर चूसने लगी.
उसके लंड को मुठ्ठी से मसल्ते हुए साथ ही उसकी गोलैईयों को सहला
रही थी. आशीष का लंड मे उबाल आने लगा और उसके मुँह से "ओह्ह्ह्ह
अयाया" की आवाज़ें निकल रही थी.
"आशीष इससे कहना कि तुम्हारा लंड का पान मेरी गाड़ी की नई सीट पर
ना गिरने पाए... इससे कहना कि ये सारा पानी पी जाए.. में बाद मे
चेक करने वाला हूँ." विनोद गाड़ी चलाते हुए लगभग चिल्लाते हुए
बोला.
"तुमने सुना ना विनोद ने क्या कहा, तुम सब पानी पी जाओगी ना रिया..
है ना?" आशीष ने रिया से पूछा.
रिया ने अपनी गर्दन हां मे हिला दी.
"ऑश हान ज़ोर ज़ोर से चूसो ओःः हाँ और ज़ोर से ऑश मेरा छूटने
ही वाला है.." आशीष सिसक पड़ा.