बुझाए ना बुझे ये प्यास compleet

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rajaarkey
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Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास

Unread post by rajaarkey » 22 Dec 2014 13:31



महक अब रेग्युलर तौर पर हस्तमैथुन करने लगी थी.. और उसकी
चूत पानी भी छोड़ती थी... लेकिन कहाँ एक मोटा ताज़ा लंड और कहाँ
नाज़ुक मुलायम छोटी सी उंगलियाँ... उसे वो सुख प्राप्त नही होता था
जो उसने राज के लंड से महसूस किया था. उसे याद आती रहती थी वो
गंदी बातें जो राज ने उसके साथ के थी.. वो राज के साथ और उसके
लंड के लिए मारी जा रही थी.. पागल हो रही थी..

आख़िर एक दिन उसके पति ने ऑफीस से फोन कर कहा की वो उसका
सूटकेस पॅक कर दे क्यों की वो आज की रात टूर पर सहर के बाहर
जा रहा है. महक दिन भर उसका समान पॅक करती रही और सपने
देखती रही कब राज आएगा और उसकी ज़रूरतों को पूरा करेगा.

उसका पति शाम को घर आया और तुरंत ही एरपोर्ट के लिए रवाना हो
गया. उसने महक को बताया की इस बार हो सकता है की वो लंबे समय
के लिए टूर पर रहेगा. कहने को तो महक उसके ज़्यादा लंबे समय
तक बाहर रहेने के लिए नाराज़गी दीखी लेकिन दीमग मे सिर्फ़ राज
बसा हुआ था. उसने अपने पति को चूम कर विदा किया, और शायद वो
अभी तक टॅक्सी मे भी नही बैठा होगा की महक ने राज को उसके सेल
फोन पर मेसेज कर दिया उसका पति बाहर जा रहा है और वो रात
को आ सकता है.

फोन रखने के बाद वो तुरंत बाथरूम मे घुस गयी और तय्यार होने
लग गयी.... आज की रात अपने जवान प्रेमी की बाहों मे गुज़रने के
लिए.... उसके साथ सेक्स का हर वो खेल खेलने के लिए जो उसने आज तक
नही खेले थे. वो तय्यार होकर अपने प्रेमी का इंतेज़ार करने लगी.

आने वाले दो घंटे तक महक उसके फोन का इंतेज़ार करती रही. वो
हर आधे घंटे पर उसके वाय्स मैल पर मेसेज छोड़ती लेकिन राज का
फोन नही आया. आख़िर उसे विश्वास हो गया की राज आज की रात नही
आएगा. बदहवास सी वो अपने कमरे मे गयी और कपड़े बदल कर उसने
नाइट गाउन पहन लिया. वो हॉल मे आई और सोफे पर बैठ कर टीवी
देखने लगी. करीब 11.30 कब उसे नींद आ गयी उसे पता नही लेकिन
12.30 के करीब उसके दरवाज़े पर दस्तक हुई तो उसकी नींद टूटी. वो
दौड़ती हुई दरवाज़े की तरफ भागी की शायद राज हो.

ऐसा नही था की राज को महक के कॉल या मेसेज नही मिले थे,
लेकिन उसे महक को तड़पने मे मज़ा आ रहट था. वो जानता था की
जीतन वो तडपेगी उतनी ही वो उसके काबू मे रहेगी.. आख़िर उसने उसे
फोन करने का निस्चे कर लिया. रात के 12.00 बजे थे जब उसने
महक को फोन मिलाया...... ..

राज जब महक के घर के बाहर पहुँचा तो उसने खिड़की से देखा की
महक सोफे पर लेती हुई थी और टीवी चल रहा था... और जब उसने
घंटी बजाई और जिस तरह से महक उठी और उसके चेहरे पर चमक
आई वो समझ गया की ये छीनाल अब सारी ज़िंदगी उसकी हो के रहेगी
महक ने दरवाज़ा खोला और उसे घर मे खींचते हुए दरवाज़ा बंद
कर लिया जिससे कोई पड़ोसी इस आधी रात को किसी मेहमान को उसके घर
मे आते ना देख ले.

"कितना इंतेज़ार कराया तुमने..... में तो सोची थी की तुम आओगे ही
नही." महक ने कहा.

दोनो अभी भी दरवाज़े पर ही खड़े थे.... लेकिन महक ना बिना
इंतेज़ार किए.... अपने घुटनो पर हुई और उसकी पॅंट के बटन खोलने
लगी.... फिर उसने उसकी पॅंट को नीचे खिसका दी और साथ मे उसके
अंडरवेर को भि.....ऽउर फिर सामने था उसका मन पसंद खिलोना
जिससे आज वो जी भर कर खेलना चाहती थी.... अपने मन की हर मुराद
पूरी करना चाहती थी... उसका लंड तन कर खड़ा हो रहा था.....

rajaarkey
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Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास

Unread post by rajaarkey » 22 Dec 2014 13:32


महक थोडी देर तक उसके लंड को देखती रही... जो उसके दिल की हर
धड़कन के साथ लंबा और मोटा हो रहा था..... जब वो पूरी तरह
तन कर खड़ा हो गया तो उसने उसे पकड़ लिया और अपने चेहरे पर
घिसने लगी..... फिर अपने मुँह को पूरा खोल उसने राज के लंड को
पूरा अंदर अपने गले तक ले लिया...... फिर अपने मुँह को उपर नीचे
कर उसके लंड को चूसने लगी...

महक ने एक हाथ से उसके लंड को नीचे गोलियों से पकडा और दूसरे
हाथ से उसकी गॅंड सहलाते हुए उसका लंड चूसने लगी. किसी भूकि
बाकची की तरह वो उसके लंड को चूस रही थी.

"मुझे लगता है की तुम मेरे लंड के लिए बहोत ज़्यादा भूकि हो?"
राज ने उसे चिढ़ाते हुए कहा.

महक ने उसके लंड को एक पल के लिए अपने मुँह से बाहर निकाला और
कहा, "हां बहोत ज़्यादा.'

राज देखने लगा की किस तरह एक 45 साल की औरत जो उसके दोस्त की मा
थी.... किसी छीनाल रंडी की तरह उसके लंड को गले तक लेकर चूस
रहित ही.... उसका मन तो किया की उसके सिर को पकड़ उसके मुँह को
चोदना शुरू कर दे... लेकिन वो चूस ही इतनी आक्ची तरह से रही
थी की उसे धक्के मारने की ज़रूरत ही महसूस नही हुई... वो दीवार
के सहारे खड़े हुए मज़े लेने लगा.

"तुम्हारा पति तुम्हारी चूत का ख़याल नही रखता है, है ना म्र्स
सहगल...? राज ने पूछा.

महक जानती थी की राज इस प्रशनि का उत्तर जानता है सिर्फ़ उसे
चिढ़ने के लिए ही पूछ रहा है इसलिए उसने कोई जवाब नही दिया.

"हाआं चूसो ऐसे ही चूसो तुम बहोट अछा लंड चूस्टी ःओओ... श
हां चूसो."

राज की बातें उसकी चूत मे लगी आग को और भड़का रही थी. उसने
अपना हाथ नीचे किया और अपने गाउन को उठा अपनी चूत पर रख
दिया. अपनी दो उंगलियों को अंदर दल वो अपनी चूत को उंगली से चोदने
लगी..... उसकी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी..... वो चाहती
थी की राज आज की रात को याद रखे और भविष्या मे कभी उसे
इंतेज़ार ना कराए..... वो ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को अपने मुँह के अंदर
बाहर करने लगी.

महक ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को चूस रहित थी और साथ ही अपनी चूत
मे उंगल कर रही थी...... लंड चूस्टे चूस्टे उसे याद आया की
राज ने कहा था की वो उसके मुँह मे नही झदेगा.... उसने उसके लंड
को अपने मुँह से निकाला और राज से बोली..." में चाहती हूँ की इस बार
तुम मेरे मुँह मे अपना पानी छ्चोड़ो."

"कितनी बड़ी रंडी हो तुम? राज ना कहा, "अब तुम चाहती हो में अपने
लंड का पानी तुम्हारे मुँह मे छोड़ूं?"

"हां में तुम्हारे इस लंड अमृत का रस चखना चाहती हूँ," महक
उसके लंड को मसल्ते हुए बोली.

महक की बात सुनकर उत्तेजना मे उसका लंड उछाल पड़ा. राज ने उसके
बालों को पकडा और उसके मुँह को सीधा कर एक ही जाहतके मे अपना लंड
उसके मुँह मे घुसा दिया.... "ठीक है मेरी छीनाल रंडी अब मेी
तुम्हारे मुँह मे पानी छोड़ूँगा और तुम इस सारा का सारा पी जाना."

राज जितनी उससे गंदी बातें करता माहेक को उतना ही अक्चा लग रहा
था और उसकी चाहत और बढ़ने लगती... वो जोरों से अपनी चूत मे
उंगल अंदर बाहर कर रही थी... उसके मुँह से एक ज़ोर की आ निकाली
और उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया....


rajaarkey
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Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास

Unread post by rajaarkey » 22 Dec 2014 13:35

बुझाए ना बुझे ये प्यास--13

जैसे ही राज ने देखा की महक झाड़ चुकी है उसके लंड ने उबाल
खाना शुरू किया और वो तेज़ी से अपने लंड को उसके मुँह के अंदर
बाहर करने लगा....

राज ने उसके सिर को और पास मे खींच अपने लंड को उसके गले मे
डाल दियाया और एक ज़ोर की पिचकारी उसके गले मे छ्चोड़ दी. महक ने
उसके वीर्या को पीना चाहा लेकिन गले मे लंड फँसा होने के कारण वो
ऐसा कर ना सकी उसने अपने मुँह को थोड़ा पीछे किया और सांस लेते
हुए उसके वीर्या को पी गयी...... तभी उसके लंड ने फिर पिचकारी
छोड़ी... और फिर... वो गतक गतक कर उसके वीर्या को पीने लगी.
महक को आदत ना होने की वजह से थोड़ा वीर्या उसके होठों के कीनरे
से बाहर को बहने लगा... उसने अपनी जीब फिरते हुए सारा वीर्या चाट
लिया.

राज जब थोड़ा सा संभाला तो उसने महक को कंधों से पकड़ उसके
पैरों पर खड़ा कर दिया... वो उसे देख मुस्कुरा दी..... वीर्या अभी
भी उसके होठों से बह रहा था.. उसने अपनी उंगली मे उस वीर्या को
लिया और अपनी जीब निकाल चाटने लगी...

तभी राज ने उसके नाइट गाउन को निकाल दिया और उसे लाकर सोफे पर
बिता दिया. फिर वो उसकी टांगो के बीच बैठ गया और उसकी टांगो को
फैलते हुए अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया. उसने महक का हाथ
पकड़ उसे थोड़ा आगे को खींचा जिससे महक के सिर्फ़ कूल्हे सोफे पर
टीके थे... और वो उसकी चूत को अपने मुँह मे भर चूसने लगा.

महक की समझ मे नही आ रहा था की वो क्या करे कैसे करे....
आज से पहले किसी ने उसकी चूत को नही चूसा था... वो अपनी टाँगे
फैलाए राज को देखती रही जो उसकी चूत को मुँह भर चूस रहा
था.. तभी उसे राज की जीब का एहसास अपनी चूत पर हुआ... एक अजीब
सनसनी मच गयी उसकी चूत मे....

एक नई और अजीब उत्तेजना उसके बदन मे भरने लगी... जब राज ने
अपनी जीब उसकी चूत मे अंदर तक डाली तो वो जैसे पागल सी हो
गयी.. उसने राज के सिर को पकड़ अपनी चूत पर जोरों से दबा दिया....

महक से सहन नही हो रहा था.. उसकी चुचियाँ कठोर हो चुकी थी
और निपल तन कर खड़े हो चुके थे... उसेन अपनी दोनो चुचियों को
हाथों मे ले मसल्ने लगी... निपल को उंगली और अंगूठे मे पकड़
काटने लगी.... तभी राज ने अपनी जीब के साथ अपनी दो उंगलियाँ
उसकी चूत मे घूसा दी और उंगलियों को अंदर बाहर करने लगा. उसकी
साँसे तेज हो गयी और उसकी चूत ने दुबारा उबाल खाना शुरू कर
दिया...

थोडी ही देर मे राज का लंड फिर तन कर खड़ा हो गया था.. वो अपनी
जगह से खड़ा हुआ और अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रख
दिया...

"तुम चाहती हो की में तुम्हे चोदु?" उसने पूछा.

"हां" उसने जवाब दिया.

"तुम एक छीनाल रंडी हो.. हो ना?" उसने फिर पूछा.

महक को समझ मे नही आया की वो क्या जवाब दे. उसे ये सब बात
सुनने मे अक्चा लग रा था... लेकिन वो अपने मुँह से कैसे कबूल
करे की हां वो एक छीनाल एक रंडी बन चुकी है.. आख़िर वो एक
शादी शुदा औरत थी.. एक जवान बाकछे की मा थी... पर उसे पता
था की अगर वो जवाब नही देगी तो राज उसे नही चोदेगा और चला
जाएगा... वो उसके लंड के लिए तड़प रही थी...

"हां" उसने शरमाते हुए जवाब दिया.

"किसकी छीनाल रंडी हो तुम बताओ मुझे?" उसने फिर पूछा.

"में तुम्हारी छीनाल रंडी हूँ..' उसने धीरे से जवाब दिया.

"फिर मेरी छीनाल रंडी इस वक्त क्या चाहती है..?" उसने पूछा.

ये गंदी बातें एक बार फिर उसे उत्तेजित करने लगी.. वो लाज शरम
सब छ्चोड़ बोली... "में चाहती हूँ की तुम अपनी इस छीनाल रंडी को
अपने मोटे लंड से चोदो." कहकर उसने उसके खड़े लंड को पकड़
लिया.

राज ने उसके हाथ को बीच मे से हटाया और एक ज़ोर का धक्का मार अपने
लंड को अंदर तक घुसा दिया.

'ऑश हां" वो चिल्ला पड़ी.

राज ने अपने लंड को बाहर निकाला और उसकी टांगो को उठा अपने कंधों
पर रख दी और फिर ज़ोर से अपने लंड को उसकी चूत मे घुसा दिया...
और वो ज़ोर ज़ोर के धक्के मार उसे चोदने लगा.

"ऑश हा हाआं ऐसे ःईईईई ओह हां." महक सिसकने लगी.

राज ने देख उसके हर धक्के के साथ उसकी चुचिया उछाल रही थी...
महक ने अपनी चुचियों को पकडा और जोरों से मसल्ने लगि..तभि
उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया.

थोडी ही देर मे राज का विरे भी उबाल खाने लगा... उसने अपने लंड
को बाहर निकाला और अपनी दोनो टाँगे महक के अगल बगल रख अपने
लंड को जोरों से मसल्ने लगा... दो तीन झटकों मे ही उसक लंड
पिचकारी दर पिचकारी छ्चोड़ महक के बदन को नहलाने लगा.

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