Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

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The Romantic
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Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

Unread post by The Romantic » 24 Dec 2014 14:08

कहकर मां वहां से हट गई . दादाजी भी कमरे के अन्दर गये और फिर दोनो अपने अपने हाथों में रंग लेकर वापस वही पर आ गये . दादाजी ने पहले दोनो हाथों से मां की दोनो गालों पर खुब मसल मसल कर रंग लगाया और उसी समय मां भी उनके गालो और छती पर रंग रगडने लगी. दादाजी ने दुबारा हाथ मे रंग लिया और इस बार मां की गोल गोल बडी बडी चुचीओ पर रंग लगाते हुये चुचीओ को दबाने लगे. मां भी सिसकारती मांरती हूई दादा के शरीर पर रंग लगा रही थी. कुछ देर तक चुचीओ को मसलने के बाद दादाजी ने मां को अपनी बाहों मे कस लीया और चुमने लगे. मुझे लगा मां गुस्सा करेगी और दादा को डांटेगी लेकिन मैंने देखा क़ि मां भी दादा के पाव पर पाव चढा कर चुमने मे मदद कर रही है. चुम्मा लेते लेते दादा का हाथ मां की पीठ को सहला रहा था और हाथ धीरे धीरे मां कि सुडौल नितम्बो की ओर बढ रहा था . वे दोनो एक दुसरे को जम कर चुम रहे थे जैसे पति , पत्नि हो. अब दादा मां कि चुत्तरो को दोनो हाथो से खुब कस कस कर मसल रहे थे और यह देख कर मेर लौडा पैंट से बाहर आने को तडप रहा था. क़हां तो मै यह सोच कर नीचे आ रहा था कि मै मां की मस्त गुदाज बौडी का मजा लुंगा और कहां मुझसे पहले इस हरामी दादा ने रंडी का मजा लेना शुरु कर दिया. मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था. मन तो कर रहा था कि मै दोनो के सामने जाकर् खडा हो जाऊँ. लेकीन तभी मुझे दादा कि आवाज सुनाई पडी.

“ रानी, पिचकारी से रंग डालुं ?”

दादा ने मां को अपने से चिपका लिया था. मां का पिछबारा दादा से सटा था और मुझे मां का सामने का मांल दीख रहा था. दादा का एक हाथ चुची को मसल रहा था और दुसरा हाथ मां के पेरु को सहला रहा था.

“अब भी कुछ पुछने की जरुरत है क्या..”

मां का इतना कहना था कि दादा ने एक झट्के मे साया के नाडे को खोल डाला और हाथ से धकेल कर साया को नीचे जांघो से नीचे गिरा दिया. मै अवाक था मां के बूर को देखकर . मां ने पैरो से ठेल कर साया को अलग कर दिया और दादा का हाथ लेकर अपनी बूर पर सहलाने लगी. बूर पर बाल थे जो बूर को ढक रखा था. दादाजी की अंगुली बूर को कुरेद रही थी और मां अपनी हाथो से ब्लाउज का बटन खोल रही थी. दादा ने मां के हाथ को अलग हट्या और फटा फट सारे बटन को खोल दिया और ब्लाउज को बाहर नीकाल दिया. अब मां पूरी तरह से नंगी थी. मैने जैसा सोचा था चूची उससे भी बडी बडी और सुडौल थी. दादा आराम से नंगी जबानी का मजा ले रहे थे. मां ने 2-3 मिनट दादा को चुची और चूत मसलने दिया फिर वो अलग हुई और वही फ्ल्लोर पर मेरी तरफ पाव रखकर लेट् गई. मेरा मन कर रहा था और जाकर चूत मे लौडा पेल दू. तभी दादा ने अपना धोती और कुर्ता उतारा और मां के चेहरे के पास बैठ गये. मां ने लन्ड को हाथ मे लेकर मसला और कहा,

“पिचकारी तो दिखता अछ्छा है लेकिन देखे इसमे रंग कितना है...” लन्ड को दबाते हुये कहा,

“देर मत करो, वे आ जायेंगे तो फिर रंग नही डाल पाओगे.”

और फिर, दादा पाव के बीच बैठ कर लन्ड को चूत पर दबाया और तीसरे धक्के मे पुरा लौडा बूर के अन्दर चला गया. क़रीब 10 मिनट् तक मां को खुब जोर जोर से धक्का लगा कद चोदा. उस रन्डी को भी चुदाई का खुब मजा आ रहा था तभी तो साली जोर जोर से सिसकारी मांर मांर कर और चुत्तर उछाल उछाल कर दादा के लंड के धक्के का बराबर जबाब दे रही थी. उन दोनो की चुदाई देखकर मुझे विशवास हो गया था कि मां और दादाजी पहले भी कई बार चुदाई कर चुके है...

”क्या राजा, इस बहु का बूर कैसा है, मजा आया कि नही ?” मां ने कमर उछालते हुये पूछा.

“मेरी प्यारी बहू , बहुत प्यारी चूत है और चूची तो बस, इतनी मस्त चुची पहले कभी नही दबाई.”

दादाजी ने चुची को मसलते हुये पेलना जारी रख्हा और कहा,

“रानी, तुम नही जानती, तुम जबसे घर मे दुल्हन बन कर आई, मै हजारो बार तुम्हारे चूत और चुची का सोच सोच कर लंड को हिला हिला कर तुम्हारा नाम ले ले कर पानी गिराता हूं. “

दादा ने चोदना रोक कर मां कि चुची को मसला और रस से भरे ओंठों को कुछ देर तक चूसा. फिर चुदाई सुरू की और कहा,

“ मुझे नही मांलुम था कि एक बार बोलने पर ही तुम अपना चूत दे दोगी.., नही तो मै तुम्हे पहले ही सैकडो बार चोद चुका होता.”

मुझे बिस्वास नही हुआ कि मां दादा से पहली बार चूद रही है. दादा ने एक बार कहा और हरामजादी बिना कोई नखरा किये चुदाने के लिये नंगी हो गयी और दादा कह रहे है कि आज पहली बार ही मां को चोद रहे हैं. लेकिन तब मां ने जो कहा वो सुनकर मुझे बिसवास हो गया कि मां पहली बार ही दादा से मरवा रही है.

मां ने कहा, “ राजा, मै कोई रंडी नहीं हूं. आज होली है, तुमने मुझे रंग लगाना चाहा, मैने लगाने दिया, तुमने चुची और चूत मसला, मैने मना नहीं किया, तुम्ने मुझे चूमां और मैने भी तुमको चुमां और तुम चोदना चाह्ते थे, पिचकारी दालना चाहते थे तो मेरी चूत ने पिचकारी अन्दर ले लीया. तुम्हारी जगह कोइ और भी ये चाहता तो मै उस से भी चूदवाती. चाहे वो राजा हो या नौकर . होली के दिन मेरा मांल , मेरी चूत, मेरी जवानी सब के लिये खुली है........”


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Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

Unread post by The Romantic » 24 Dec 2014 14:09

मां ने दादा को अपनी बांहो और जांघो मे कस कर बांधा और फिर कहा,

मां ने दादा को अपनी बांहो और जांघो मे कस कर बांधा और फिर कहा,

“आज जितना चोदना है , चोद लो, फिर अगली होली का इंतजार करना पडेगा मेरी नंगी जवानी का दर्शन करने के लिये.”

मां की बात सुनकर मै आशचर्य था कि होली के दिन कोई भी उसे चोद सकता था..लेकिन यह जान कद मै भी खुश हो गया. कोई भी मे तो मै भी आता हूं. आज जैसे भी हो , मां को चोदुंगा ही. ये सोच कर मै खुश था और उधर दादाजी ने मां की चूत मे पिचकारी मांर दी. बुर से मलाई जैसा गाढा दादाजी का रस बाहर नीकल रहा था और दादाजी खुब प्यार से मां को चुम रहे थे.

क़ुछ देर बाद दोनो उठ गये .

“कैसी रही होली...” मां ने पुछा. “ आप पहले होली पर हमांरे साथ क्यो नही रहे. मैने 12 साल पहले होली के दिन सबके लिये अपना खजाना खोल दिया था. “

मां ने दादा के लौडा को सहलाया और कहा, “ अभी भी लौडे मे बहुत दम है, किसी कुमांरी छोकडी का भी चूत एक धक्के मे फाड सकता है.”

मां ने झुक कर लौडे को चुमां और फिर कहा, “अब आप बाहर जाईये और एक घंटे के बाद आईयेगा. मै नही चाहती कि विनोद या उसके बाप को पता चले कि मै आप से चुद्वाई हूं. “

मां वहीं नंगी खडी रही और दादाजी को कपडे पहनते देखती रही. धोती और कुर्ता पहनने के बाद दादा ने फिर मां को बांहो मे कसकर दबाया और गालो और होंठो को चुमां. कुछ चुम्मा चाटी के बाद मां ने दादा को अलग किया और कहा ,

“अभी बाहर जाओ, बाद मे मौका मिलेगा तो फिर से चोद लेना लेकिन आज ही, कल से मै आप्की वही पुरानी बहु रहुंगी.”

दादा ने चुची दबाते हुये मां को दुबारा चुमां और बाहर चले गये. मै सोचने लगा कि क्य करु.? मै छत पर चला गया और वहा से देखा दादा घर से दूर जा रहे थे और आस पास मेरे पिताजी का कोई नामो निशान नही था. मैने लौडा को पैंट के अन्दर किया और धीरे धीरे नीचे आया. मां बरामदे मे नही थी. मै बिना कोइ आवाज किये अपने कमरे मे चला गया और वहा से झांका. इधर उधर देखने के बाद मुझे लगा की मां किचन मे हैं. मैने हाथ मे रंग लिया और चुपके से किचन मे घुसा. मां को देखकर दिल बाग बाग हो गया. वो अभी भी नंग धरंग खडी थी. वो मेरी तरफ पीठ करके पुआ बेल रही थी. मां की सुदौल और भरी भरी मांसल चुत्तर को देख कर मेरा लौदा पैंट फाड कर बाहर निकलना चाहता था.

कोई मौका दिये बिना मैने दोनो हाथो को मां कि बांहो से नीचे आगे बढा कर उनकी गालो पर खुब जोर जोर से रंग लगाते हुये कहा,

“मां , होली है.” और फिर दोनो हाथो को एक साथ नीचे लाकर मां कि गुदाज और बडे बडे चुचिओ को मसलने लगा.

“ओह्ह....तु कब आया....दरवाजा तो बन्द है....छोड ना बेटा...क्या कर रहा है... मां के साथ ऐसे होली नही खेलते......ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह...इतना जोर जोर से मत मसल....अह्ह्ह्ह्ह...छोड दे .....अब हो गया...”

लेकिन मै ऐसा मौका कहां छोडने बाला था. मै मां की चुत्तडों को अपने पेरु से खुब दबा कर रख्हा और चूची को मसलता रहा...मां बार बार मुझे हटने के लिये बोल रही थी और बीच बीच मे सिसकारी भी मांर रही थी..खास कर जुब मै घूंडी को जोरो से मसलता था. मेरा लंड बहुत टाइट हो गया था. मै लंड को पैंट से बाहर नीकालना चाहता था. मै कस कर एक हाथ से चुची को दबाये रख्हा और दूसरा हाथ पीछे लाकर पैंट का बटन खोला और नीचे गीरा दिया. मेरा लौडा पूरा टन टना गया था. मैने एक हाथ से लंड को मां के चुत्तर के बीच दबाया और दूसरा हाथ बढा कर चूत को मसलने लगा.

“नही बेटा, बूर को मत छुओ...ये पाप है....”

लौडा को चुत्तर के बीच मे दबाये रख्खा और आगे से बूर मे बीच बाली अंगुली घुशेर दी. करीब 15-20 मिनट पहले दादा चोद कर गये थे और चूत गीली थी. मेरा मन गन –गना गया था, मां की नंगी जवानी को छु कर. मुझे लगा कि इसी तरह अगर मै मां को रगडता रहा तो बिना चोदे ही झड जाउंगा और फिर मां मुझे कभी चोदने नही देगी. यही सोच कर मैने चूत से अंगुली बाहर निकाली और पीछे से ही कमर से पकर कर मां को उथा लिया.

“ओह्ह...क्या मस्त मांल है....चल रंडी , अब तुझे जम कर चोदुंगा ...बहुत मजा आयेगा मेरी रानी तुझे चोदने मे. “

ये कहते हुये मै मां को दोनो हाथो से उठा कर बेड पर पटक दिया और उसकी दोनो पैरो को फैला कर मैने लौडा बूर के छेद पर रख्खा और खुब जोर से धक्का मांरा.

“आउच..जरा धीरे .....” मां ने हौले से कहा.

मैने जोर का धक्का लगाया और कहा ,

“ओह्ह्ह्ह....मां , तु नही जानती , आज मै कितना खुश हुं. ..” मै धक्का लगाता रहा और खुब प्यार से मां की रस से भरी ऑंठो को चूमां.

“मां, जब से मेरा लौडा खडा होना शुरु हुआ चार साल पहले तो तबसे बस सिर्फ तुम्हे ही चोदने का मन करता है. हजारों बार तेरी चूत और चुची का ध्यान कर मैने लौडा हिलाया है और पानी गिराया है..हर रात सपने मे तुम्हे चोदता हुं. ..ले रानी आज पूरा मजा मांरने दे...”

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Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

Unread post by The Romantic » 24 Dec 2014 14:10

मैने मां की चुचीओ को दोनो हाथो मे कस कर दबा कर रख्खा और दना दन चुदाई करने लगा. मां आंख़ बन्द कर चुदाई का मजा ले रही थी. वो कमर और चुत्तर हिला हिला कर लंड को चुदाई मे मदद दे रही थी.

“साली , आंख खोल और देख , तेरा बेटा कैसा चुदाई कर रहा है. ...रंडी, खोलना आंख....”

मां ने आंखे खोली. उसकी आंखो मे कोई ‘भाव’ नही था. ऐसा भी नही लग रहा था की वो मुझसे नाराज है...ना ही ये पता चल रहा था कि वो बेटे के लंड का मजा ले रही है..लेकिन मै पुरा मजा लेकर चोद रहा था...

“ साली, तु नही जानती....तेरे बूर के चक्कर मे मै रन्डीओ के पास जाने लगा और ऐसी ऐसी रंडी की तलाश करता था जो तुम्हारी जैसी लगती हो...लेकिन अब तक जितनी भी बुर चोदी सब की सब ढीली ढाली थी...लेकिन आज मस्त, कसी हुई बूर चोदने को मिली है...ले रंडी तु भी मजा ले...”

और उसके बाद बिना कोइ बात कीये मै मां को चोदता रहा और वो भी कमर उछाल उछाल कर चुदवाती रही. कुछ देर के बाद मां ने सिसकारी मांरनी शुरु की और मुझे उसकी सिस्कारी सुनकर और भी मजा आने लगा. मैने धक्के क स्पीड् और दम बढा दिया और खुब दम लगा कर चोदने लगा..

मां जोर जोर से सिसकारी मांरने लगी.

“रंडी, कुतिया जैसा क्यो चिल्ला रही है, कोई सुन लेगा तो....”

“तो सुनने दो....लोगो को पता तो चले कि एक कुतिया कैसे अपने बेटे से मरवाती है....मांर दे , फाड् दे इस बूर को....मांदरचोद , मां कि बूर इतनी ही प्यारी है तो हरामी पहले क्यो नही पटक कर चोद डाला...अगर तु हर पिछली होली मे यहा रहता और मुझे चोदने के लिये बोलता तो मै ऐसे ही बूर चीयार कर तेरा लौडा अन्दर ले लेती....चोद बेटा ..चोद ले....लेकीन देख तेरा बाप और दादा कभी भी आ सकते है... जल्दी से बूर मे पानी भर दे.”

“ ले मां, तु भी क्या याद रखेगी कि किसी रन्डी बाज ने तुझे चोदा था...ले कुतिया, बन्द कर ले मेरा लौडा अपनी बूर मे.” मै अब चुची को मसल मसल कर , कभी मां कि मस्त जांघो को सहला सहला कर धक्के पर धक्का लगाये जा रहा था..

“आह्ह्ह्ह्ह...बेटा, ओह्ह्ह्ह्ह..बेटा...अह्ह्ह्ह्ह....मांर राजा....चोद...चोद....”

और मां ने दोनो पाव उपर उठाया और मुझे जोर से अपनी ओर दबाया और मां पस्त हो गयी और हांफने लगी.

“बस बेटा, हो गया....निकाल ले....तुने खुश कर दिया.....”

“मां बोलती रही और मै कुछ देर और धक्का लगाता रहा और फिर मै भी झर गया. मैने दोनो हाथो से चुची को मसलते हुये बहुत देर तक मां की गालो और ओंठो को चुमता रहा. मां भी मेरे बदन को सहलाती रही और मेरी चुम्मा का पुरा जबाब दिया. फिर उसने मुझे अपने बदन से उतरा और कहा,

“बेटा, कपडे पहन ले...सब आने बाले होंगे.”

“फिर कब चोदने दोगी?” मैने चूत को मसलते हुये पुछा.. ”अगले साल, अगर होली पर घर मे मेरे साथ रहोगे !” मां ने हंस कर जवाब दिया. मैने चूत को जोर से मसलते हुये कहा, “ चुप रंडी, नखडा मत कर, मै तो रोज तुझे चोदुंगा.”

“ये रंडी चालू मांल नही है.... तु कालेज जा कर उन चालु रंडीओ को चोदना...” मां कहते कहते नंगी ही किचन मे चली गयी .

मैने पीछे से पकर कर चुत्तर को मसला और कहा,

“मां, तु बहुत मस्त मांल है...तुझे लोग बहुत रुपया देंगे , चल तुझे भी कोठे पर बैठा कर धंधा करवाउंगा. “ मैने मां की गांड में अंगुलि पेली और वो चिहुंक गयी .. मैने कहा, “रंडी बाद मे बनना, चल साली अभी तो कपडा पहन ले...”

“रूम से ला दे ...जो तेरा मन करे.” वो बोली और पुआ तलने लगी.

मै तुरत कमरे से एक साया और ब्लाउज लाकर मां को पहनाया .

“साडी नही पहनाओगे? “ मां ने मेरी गालो को चुमते हुये कहा...

“मां, तु बहुत मस्त मांल है...तुझे लोग बहुत रुपया देंगे , चल तुझे भी कोठे पर बैठा कर धंधा करवाउंगा. “ मैने मां की गांड में अंगुलि पेली और वो चिहुंक गयी .. मैने कहा, “रंडी बाद मे बनना, चल साली अभी तो कपडा पहन ले...”

“रूम से ला दे ...जो तेरा मन करे.” वो बोली और पुआ तलने लगी.

मै तुरत कमरे से एक साया और ब्लाउज लाकर मां को पहनाया .

“साडी नही पहनाओगे? “ मां ने मेरी गालो को चुमते हुये कहा...

“नही रानी, आज से घर मे तुम ऐसी ही रहोगी , बिना साडी के...” ”तेरे दादा के सामने भी ...!” उसने पुछा. “ ठीक है सिर्फ आज भर..कल से फिर साडी भी पहनुंगी.

मां खाना बनाती रही और मै उसके साथ मस्ती करता रहा. .

करीब आधे घंटे के बाद दरवाजे पर दस्तक हुई और मैने दरवाजा खोला. मेरे बाबुजी अकेले थे. मैने दरवाजा बंद किया.

“मां कहाँ है?” बाबुजी ने पुछा... ”पुआ तल रही है...” मैने जवाब दिया.

हम दोनो किचन में आये और मां ने हमें मुस्कुरा कर देखा और हमें 2-2 पुआ खाने को दिया. बाबुजी ने मां को बिना साडी के देखा . मां ने साडी और भी नीचे बांध लिया था. पीछे से चूत्तरों की उठान भी दिखने लगी थी. मां की चिकनी चिकनी कमर और उसके नीचे चूत्तरों की उठान मुझे दुबारा मादक बना रही थी. और मन कर रहा था कि बाबुजी के सामने ही मां को चोद डालूं. मै थोडा आगे बढा और फिर ठिठक गया. साली ने साया इतना नीचे बांध रख्खा था कि साया के उपर से काले –काले झांट की झलक भी दिखने लगी थी. मालती बहुत ही मदमस्त और चूदासी लग रही थी. साया के उपर से झांट देख कर मेरा लौडा टन –टनाने लगा था. मेरा मन मां के साथ और मस्ती मारने का करने लगा था.

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