अचानक मैं झर गई पर चाचा बिना रुके लगातार मुझे चोदे जा रहे थे. मेरे बेडरूम मे चुदाई की आवाज़ें आ रही थी, जब भी चाचा धक्का लगा कर लंड मेरे चूत के अंदर डालते थे तो उन का पेट मेरी गंद से टकराता था और जिस तेज़ी से उन का मोटा लंड मेरी गीली चूत के अंदर बाहर हो रहा था " फ़चा फ़च...... फ़चा फूच " की आवाज़ आ रही थी. बिना रुके लगातार चुदाई होने की वजह से मैं फिर से, दूसरी बार पहुँचने वाली थी. तेज़ी से चोद्ते हुए चाचा के मूह से आवाज़ निकली और मैं दोबारा झर गयी थी. चाचा भी झर गये थे और उन्होने मेरी गंद कस कर पकड़ी और अपना लंड मेरी चूत के अंदर दबा दिया. मैं समझ गयी थी कि चाचा का लंड अपना पानी कॉंडम मे निकाल रहा था. उन का लौंडा मेरी चूत मे उपर नीचे नाच नाच कर कॉंडम को अपने लंड रस से भरता रहा. थोड़ी देर हम वैसे ही चिपके हुए चुदाई मे अपने झरने का मज़ा लेते रहे और फिर चाचा ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया. मैने देखा कि कॉंडम आगे से उन के लंड रस से गुब्बारे की तरह फूला हुआ है. जब चाचा ने अपने लंड से कॉंडम उतारा तो मैने उन का लंड अपने मूह मे लिया और उस को चूस चूस कर, चाट चाट कर सॉफ करने लगी. मैने उनके लंड को पूरा सॉफ कर्दिया था और चाचा बाथरूम मे कॉंडम को फ्लश करने चले गये. मैने भी हॅंड टवल से अपनी गीली चूत सॉफ की. बाथरूम से वापस आकर उन्होने मुझे किस किया, मैने उन को सफ़र की सूभकामना दी और चाचा अपना सूट केस उठा कर नीचे की तरफ चल दिए. मेरे पापा उन को बस तक ड्रॉप करने गये थे और मेरी मा भी अपने बेडरूम मे सोने चली गयी थी. मेरी गीली चड्डी नीचे पड़ी मेरी चुदाई की कहानी कह रही थी और मैं वैसे ही बिस्तर पर लेट गई और चाचा से जोरदार फटाफट चुदाई की थकान की वजह से कब मेरी आँख लगी, पता ही नही चला.
एक वीक बाद रमेश ने मुझे बताया कि अंजू सामूहिक संभोग के लिए तय्यार तो हो गयी है पर हम को सही मौके का इंतेज़ार करना पड़ेगा. और वो सही मौका भी जल्दी ही आ गया.
अंजू को अपने परिवार के साथ एक शादी के फंक्षन मे जाना था पर वो बीमारी का बहाना बना कर नही गई और घर मे ही रुक गई. उस के सास ससुर और पति उस को पूरा आराम करने को कह कर चले गये. उन का प्रोग्राम शाम को वापस आने का था. अंजू ने फोन करके रमेश को बताया और रमेश ने मुझे फोन कर के कहा कि वो मुझे लेने आ रहा है.
अंजू के घर मे हम पीछले दरवाजे से गये ताकि किसी को पता ना चले. मैने देखा कि घर के सभी पर्दे लगे हुए थे. यानी चुदाई की, सामूहिक संभोग की पूरी तय्यारी थी. अंजू एक पतली और खूबसूरत औरत थी. उस की चुचियाँ मेरी चुचियों से थोड़ी छोटी थी और उस की गोल गोल गंद बहुत ही प्यारी थी, बहुत ही सेक्सी थी. वो हमारे आने का मतलब जानती थी इस लिए थोड़ा सा शर्मा रही थी, मुश्कारा रही थी पर अपना चेहरा नीचे कर के. जब वो किचन मे ठंडा लाने गयी तो मैं भी उस के पीछे पीछे चली गई. मैने उस को कस के पकड़ा और बोली " तुम बहुत ही प्यारी, बहुत सेक्सी हो अंजू. हम तीनो अच्छे दोस्त है और हम जो भी करेंगे, वो हम तीनो के बीच मे ही रहेगा."
अंजू - तुम भी बहुत सुंदर हो जूली. मुझे पता है कि तुम दोनो जल्दी ही शादी करने वाले हो.
मैं - हां, लेकिन मुझे तुम्हारे और रमेश के रिश्ते से ज़रा भी ऐतराज़ नही है. मुझे ख़ुसी है कि वो हम दोनो को खुस रखता है. क्या तुम एक खूबसूरत सामूहिक संभोग के लिए तय्यार हो?
अंजू - हां. पर मैने ऐसा पहले कभी नही किया है इस लिए थोड़ी शरम आ रही है.
मैं - हम तीनो के लिए ही ये पहली बार है. शरमाओ मत, बहुत मज़ा आएगा.
वो मुश्कराई और हम दोनो कोल्ड ड्रिंक्स ले कर अंजू के बेडरूम मे आए जहाँ रमेश हमारा इंतेज़ार कर रहा था.
मैं और अंजू एक सोफे पर पास पास बैठे थे और रमेश एक कुर्सी पर हमारे सामने बैठा था और हम कोल्ड ड्रिंक्स पीते पीते बातें कर रहे थे.
मैने अंजू के कंधे पर किसी दोस्त की तरह हाथ रखा और धीरे धीरे अपने हाथ को नीचे करते हुए उस की चुचि को पकड़ा. बहुत कड़क थी उस की चुचि. उस की निपल काफ़ी लंबी थी. मैने आँख का इशारा किया तो रमेश अपना ग्लास उठा कर कमरे से बाहर चला गया. हम ने भी अपना ड्रिंक ख़तम किया और ग्लासो को टेबल पर रखा. मैने अपने दोनो हाथों से अंजू को कस के पकड़ा और उस के होंठो का चुंबन लिया. वो भी चुंबन मे पूरा पूरा साथ दे रही थी. मैं अपने हाथ उस के सेक्सी बदन पर घुमा रही थी और उस की आँखें बंद होने लगी. मैने उस की सारी उतार दी, फिर उस का ब्लाउस उतारा और फिर उसका पेटिकोट भी उतार दिया. अब वो मेरे सामने केवल ब्रा और चड्डी मे थी. वो बहुत सुंदर, बहुत सेक्सी लग रही थी. मैने उस को आँखें खोलने को और ना शरमाने को कहा. उस ने अपनी आँखें खोली तो मैने देखा उस की आँखें गुलाबी गुलाबी हो रही थी. अब उस ने भी मेरे कपड़े उतारना सुरू किया और मेरे बदन पर प्यार से हाथ फिराने लगी और सब जगह चूमने लगी. जल्दी ही उस ने मुझे पूरा नंगा कर दिया तो मैने भी उस की ब्रा और चड्डी उतार दी. हम दोनो ही नंगी एक दूसरे से चिपटि हुई खड़ी थी. मेरी चुचियाँ उस की चुचियों के साथ मिल कर दब रही थी. मैने हाथ नीचे कर के उस की गंद पर रखा. उस की गंद भी मेरी गंद से ज़रा छोटी थी पर बहुत ही सेक्सी और कड़क थी. मैने अपनी बीच की उंगली उस की गंद के बीच की जगह मे डाली तो उस ने अपनी गंद से मेरी उंगली वहीं दबा ली. वो भी मेरी गंद को दबा रही थी. हम दोनो ने अपने आप को थोड़ा अड्जस्ट किया और अब हमारी चूत आपस मे गले मिल रही थी. दो मस्त चूत आपस मे रगड़ खाने लगी. हम किस कर रहे थे, एक दूसरे की चुचियों को दबा रहे थे, मसल रहे थे, गंद को दबा रहे थे और चूत को चूत से मसल रहे थे. हम दोनो की ही चूत ने अपना रस निकालना चालू कर दिया था और दोनो की ही चूत गीली हो गयी थी.
जुली को मिल गई मूली compleet
Re: जुली को मिल गई मूली
हम पलंग पर आए और एक दूसरे की तरफ मूह करके नंगे लेटे थे. उस की चुचियाँ काफ़ी कड़क थी. उस की चूत भी बहुत प्यारी थी जिस पर बारीक कटे हुए, ट्रिम किए हुए काले काले बाल थे. हम दोनो एक दूसरे मे इतनी डूब गयी थी की हम भूल गयी थी कि रमेश भी वहाँ है.
मैं जानती थी कि रमेश हम दोनो नंगी जवानियों को दरवाजे के बाहर से ज़रूर देख रहा होगा. कुछ ही देर मे रमेश अंदर आया और हमारे खेल मे शामिल हो गया. वो हम दो नंगी लड़कियों के बीच मे लेटा हुआ था और हम दोनो नंगी जवानियों ने मिल कर जल्दी ही उस को भी नंगा कर दिया. उस का मोटा तगड़ा लंबा और खड़ा हुआ लंड हमारे सामने था. अंजू उस का लंड अपने मूह मे ले कर चूस रही थी और मैं उस के लंड के नीचे की गोलियों से खेल रही थी, चूस रही थी. रमेश के दोनो हाथ हम दोनो की गीली चूत पर थे और उस की एक्सपर्ट उंगलियाँ हमारे चूत के दाने से खेल रही थी. हम तीनो के लिए ये हमारा सामूहिक संभोग का पहला मौका था और जितना भी हम चुदाई के बारे मे जानते थे, उस के अनुसार हम पूरा पूरा मज़ा ले रहे थे.
थोड़ी देर बाद रमेश मुझे चोद्ने लगा. मैं सीधी लेटी हुई थी और रमेश मुझे चोद रहा था. अंजू मेरे मूह पर अपनी चूत खोल कर बैठी थी और मैं उस की चूत चाट रही थी. थोड़ी देर बाद हम ने अपनी पोज़िशन बदली की. अब रमेश का लंड अंजू की चूत मे था और अंजू का एक हाथ मेरी चूत पर था. रमेश अंजू को चोद रहा था और अंजू मेरी चूत मे उंगली घुमा रही थी. मैं भी अंजू की चुचियाँ दबा रही थी. जैसा कि मैने बताया है, रमेश चोद्ने मे इतना मज़बूत है कि जल्दी से उस का पानी नही निकलता है. थोड़ी देर अंजू को चोद्ने के बाद वो हमारे बीच मे मेरी तरफ़ मूह कर के लेटा था और अपने लंड से मेरी चुचियों को चोद रहा था. अंजू पीछे से उस की गंद पर अपनी चुचियाँ रगड़ रही थी. हम तीनो को इस सामूहिक संभोग मे बड़ा मज़ा आ रहा था. अब हम दोनो चूत वालियों को जोरदार चुदाई की ज़रूरत थी.
अंजू अपने पैर खोल कर बेड पर लेट गई और मैं घोड़ी बनी हुई अपना मूह उस की चूत पर ले गई. मैं अंजू की चूत चूस रही थी, चाट रही थी और रमेश पीछे से मेरी चूत मे लंड घुसा कर मुझे चोद रहा था. अंजू की चूत चूसी जा रही थी और मैं घोड़ी बनी हुई पीछे से चुदि जा रही थी. मैं क्यों कि पहले से काफ़ी गरम थी इस लिए जल्दी ही मैं एक ज़ोर का झटका दे कर झर गई. रमेश के लंड को मैने अपनी चूत मे जाकड़ लिया. रमेश भी समझ चुका था कि मेरा हो गया है, इस लिए उस ने भी मुझे चोद्ना बंद कर्दिया था. मैं तो मज़े के मारे पागल सी हो गई.
फिर रमेश अंजू को घोड़ी बनाकर चोद्ने लगा और मैने अंजू के दोनो तरफ पैर कर के, रमेश की तरफ मूह कर के कुछ इस तरह खड़ी हो गई कि रमेश का मूह अंजू को चोद्ते हुए मेरी चूत तक पहुँचने लगा. अब रमेश अंजू को चोद्ते हुए मेरी चूत भी चाट रहा था. वो अंजू की चूत मे लंड घुसा कर चोद्ता रहा और मेरी चूत चाट ता रहा जब तक कि अंजू झर नही गई और रमेश ने भी अपने लंड का पानी अंजू की रसीली चूत मे भर दिया था.
हम तीनो बिस्तर पर नंगे लेटे हुए एक अनोखी चुदाई, पहली बार सामूहिक चुदाई का आनंद ले रहे थे. अकेले रमेश ने दो दो लड़कियों को साथ मे चोदा था.
अंजू अब पूरी तरह खुल चुकी थी और मैं तो उस समय हैरान रह गई जब उस ने मुझ से कहा कि वो अपनी चुचि से मेरी चूत को चोद्ना चाहती है. मैने तो ऐसा कभी सोचा भी नही था कि चुचि से भी चूत को चोदा जा सकता है. मैं सोच रही थी कि वो कैसे अपनी चुचि से मुझे चोदेगि, पर ये अनुभव भी मैं लेना चाहती थी. रमेश भी कुछ समझा नही और हम दोनो की तरफ देख रहा था.
अंजू मेरे फैले हुए पैरों के बीच मे लेट कर अपनी एक चुचि को मेरी चूत पर रखा. उस की कड़क चुचि मेरी गीली चूत पर बहुत मज़ा दे रही थी. उस ने अपनी चुचि को अपने हाथ मे पकड़ कर दबाया तो उस की लंबी निपल और भी कड़क, और भी बड़ी, और भी लंबी हो गई. फिर उस ने अपनी चुचि की कड़क लंबी निपल को मेरी चूत के बीच मे रख कर रगड़ना और घुमाना चालू कर्दिया. उस की कड़क और लंबी निपल मेरी चूत के दाने को रगड़ने लगी और मेरी चूत की चुदाई एक चुचि से होने लगी जिस के बारे मे मैने पहले कभी नही सोचा था. मेरी चूत से फिर से रस निकलना सुरू हो गया था. जब उस ने अपनी लंबी निपल को मेरी चूत के अंदर दबाया तो मुझे लगा कि कोई छोटा सा लंड मेरी चूत को चोद रहा है. कोई छोटा सा बच्चा अपने छोटे से लंड को मेरी चूत मे डाल कर मुझे चोद रहा है. ऐसा केवल इस लिए हो रहा था क्यों कि अंजू की चुचियों की निपल्स काफ़ी लंबी थी. और अब वो सचमुच अपनी चुचि की लंबी निपल को मेरी चूत मे अंदर बाहर करते हुए मुझे बाक़ायदा चोद रही थी. इस अनोखी, चुचि से चूत की चुदाई से मैं झटका खा कर बहुत ही ज़ोर से झर गई.
तब तक रमेश का लंड हमारी चुचि और चूत की चुदाई देख कर फिर से तन कर खड़ा हो चुका था.
आप लोगों का समय बचाने के लिए, डीटेल मे ना जा कर सिर्फ़ इतना बता दूं कि रमेश ने फिर एक बार हम दोनो को एक साथ जम कर चोदा और इस बार उस ने अपने लंड रस को मेरी चूत मे बरसाया.
सामूहिक संभोग का ये एक बहुत ही शानदार अनुभव था. अंजू बहुत ही प्यारी, बहुत ही सुंदर बहुत ही समझदार और बहुत ही सेक्सी है. उस को मेरे प्रेमी रमेश से वो मिल रहा है जो उस का पति उस को नही दे पाता.
मेरे बहुत चाहने पर भी हम, मैं, रमेश और अंजू दोबारा सामूहिक संभोग का मज़ा ना ले सके. कारण की वो पूरे परिवार के साथ रहती थी और मैं भी तो दूर रहती थी, इस लिए फिर से इस का मौका नही मिला. लेकिन रमेश, जो अंजू के पड़ोस मे ही रहता है, जब भी मौका मिलता, वो उस प्यासी औरत को ज़रूर सन्तुस्त करता. मुझे आशा है कि मैं जब भी मौका मिला, अंजू के साथ ज़रूर चुदाई करूँगी, भले ही वो सामूहिक संभोग ना हो, एक लेज़्बीयन ही हो, पर मैं करूँगी ज़रूर क्यों कि अंजू है ही इतनी प्यारी.
क्रमशः.....................................
मैं जानती थी कि रमेश हम दोनो नंगी जवानियों को दरवाजे के बाहर से ज़रूर देख रहा होगा. कुछ ही देर मे रमेश अंदर आया और हमारे खेल मे शामिल हो गया. वो हम दो नंगी लड़कियों के बीच मे लेटा हुआ था और हम दोनो नंगी जवानियों ने मिल कर जल्दी ही उस को भी नंगा कर दिया. उस का मोटा तगड़ा लंबा और खड़ा हुआ लंड हमारे सामने था. अंजू उस का लंड अपने मूह मे ले कर चूस रही थी और मैं उस के लंड के नीचे की गोलियों से खेल रही थी, चूस रही थी. रमेश के दोनो हाथ हम दोनो की गीली चूत पर थे और उस की एक्सपर्ट उंगलियाँ हमारे चूत के दाने से खेल रही थी. हम तीनो के लिए ये हमारा सामूहिक संभोग का पहला मौका था और जितना भी हम चुदाई के बारे मे जानते थे, उस के अनुसार हम पूरा पूरा मज़ा ले रहे थे.
थोड़ी देर बाद रमेश मुझे चोद्ने लगा. मैं सीधी लेटी हुई थी और रमेश मुझे चोद रहा था. अंजू मेरे मूह पर अपनी चूत खोल कर बैठी थी और मैं उस की चूत चाट रही थी. थोड़ी देर बाद हम ने अपनी पोज़िशन बदली की. अब रमेश का लंड अंजू की चूत मे था और अंजू का एक हाथ मेरी चूत पर था. रमेश अंजू को चोद रहा था और अंजू मेरी चूत मे उंगली घुमा रही थी. मैं भी अंजू की चुचियाँ दबा रही थी. जैसा कि मैने बताया है, रमेश चोद्ने मे इतना मज़बूत है कि जल्दी से उस का पानी नही निकलता है. थोड़ी देर अंजू को चोद्ने के बाद वो हमारे बीच मे मेरी तरफ़ मूह कर के लेटा था और अपने लंड से मेरी चुचियों को चोद रहा था. अंजू पीछे से उस की गंद पर अपनी चुचियाँ रगड़ रही थी. हम तीनो को इस सामूहिक संभोग मे बड़ा मज़ा आ रहा था. अब हम दोनो चूत वालियों को जोरदार चुदाई की ज़रूरत थी.
अंजू अपने पैर खोल कर बेड पर लेट गई और मैं घोड़ी बनी हुई अपना मूह उस की चूत पर ले गई. मैं अंजू की चूत चूस रही थी, चाट रही थी और रमेश पीछे से मेरी चूत मे लंड घुसा कर मुझे चोद रहा था. अंजू की चूत चूसी जा रही थी और मैं घोड़ी बनी हुई पीछे से चुदि जा रही थी. मैं क्यों कि पहले से काफ़ी गरम थी इस लिए जल्दी ही मैं एक ज़ोर का झटका दे कर झर गई. रमेश के लंड को मैने अपनी चूत मे जाकड़ लिया. रमेश भी समझ चुका था कि मेरा हो गया है, इस लिए उस ने भी मुझे चोद्ना बंद कर्दिया था. मैं तो मज़े के मारे पागल सी हो गई.
फिर रमेश अंजू को घोड़ी बनाकर चोद्ने लगा और मैने अंजू के दोनो तरफ पैर कर के, रमेश की तरफ मूह कर के कुछ इस तरह खड़ी हो गई कि रमेश का मूह अंजू को चोद्ते हुए मेरी चूत तक पहुँचने लगा. अब रमेश अंजू को चोद्ते हुए मेरी चूत भी चाट रहा था. वो अंजू की चूत मे लंड घुसा कर चोद्ता रहा और मेरी चूत चाट ता रहा जब तक कि अंजू झर नही गई और रमेश ने भी अपने लंड का पानी अंजू की रसीली चूत मे भर दिया था.
हम तीनो बिस्तर पर नंगे लेटे हुए एक अनोखी चुदाई, पहली बार सामूहिक चुदाई का आनंद ले रहे थे. अकेले रमेश ने दो दो लड़कियों को साथ मे चोदा था.
अंजू अब पूरी तरह खुल चुकी थी और मैं तो उस समय हैरान रह गई जब उस ने मुझ से कहा कि वो अपनी चुचि से मेरी चूत को चोद्ना चाहती है. मैने तो ऐसा कभी सोचा भी नही था कि चुचि से भी चूत को चोदा जा सकता है. मैं सोच रही थी कि वो कैसे अपनी चुचि से मुझे चोदेगि, पर ये अनुभव भी मैं लेना चाहती थी. रमेश भी कुछ समझा नही और हम दोनो की तरफ देख रहा था.
अंजू मेरे फैले हुए पैरों के बीच मे लेट कर अपनी एक चुचि को मेरी चूत पर रखा. उस की कड़क चुचि मेरी गीली चूत पर बहुत मज़ा दे रही थी. उस ने अपनी चुचि को अपने हाथ मे पकड़ कर दबाया तो उस की लंबी निपल और भी कड़क, और भी बड़ी, और भी लंबी हो गई. फिर उस ने अपनी चुचि की कड़क लंबी निपल को मेरी चूत के बीच मे रख कर रगड़ना और घुमाना चालू कर्दिया. उस की कड़क और लंबी निपल मेरी चूत के दाने को रगड़ने लगी और मेरी चूत की चुदाई एक चुचि से होने लगी जिस के बारे मे मैने पहले कभी नही सोचा था. मेरी चूत से फिर से रस निकलना सुरू हो गया था. जब उस ने अपनी लंबी निपल को मेरी चूत के अंदर दबाया तो मुझे लगा कि कोई छोटा सा लंड मेरी चूत को चोद रहा है. कोई छोटा सा बच्चा अपने छोटे से लंड को मेरी चूत मे डाल कर मुझे चोद रहा है. ऐसा केवल इस लिए हो रहा था क्यों कि अंजू की चुचियों की निपल्स काफ़ी लंबी थी. और अब वो सचमुच अपनी चुचि की लंबी निपल को मेरी चूत मे अंदर बाहर करते हुए मुझे बाक़ायदा चोद रही थी. इस अनोखी, चुचि से चूत की चुदाई से मैं झटका खा कर बहुत ही ज़ोर से झर गई.
तब तक रमेश का लंड हमारी चुचि और चूत की चुदाई देख कर फिर से तन कर खड़ा हो चुका था.
आप लोगों का समय बचाने के लिए, डीटेल मे ना जा कर सिर्फ़ इतना बता दूं कि रमेश ने फिर एक बार हम दोनो को एक साथ जम कर चोदा और इस बार उस ने अपने लंड रस को मेरी चूत मे बरसाया.
सामूहिक संभोग का ये एक बहुत ही शानदार अनुभव था. अंजू बहुत ही प्यारी, बहुत ही सुंदर बहुत ही समझदार और बहुत ही सेक्सी है. उस को मेरे प्रेमी रमेश से वो मिल रहा है जो उस का पति उस को नही दे पाता.
मेरे बहुत चाहने पर भी हम, मैं, रमेश और अंजू दोबारा सामूहिक संभोग का मज़ा ना ले सके. कारण की वो पूरे परिवार के साथ रहती थी और मैं भी तो दूर रहती थी, इस लिए फिर से इस का मौका नही मिला. लेकिन रमेश, जो अंजू के पड़ोस मे ही रहता है, जब भी मौका मिलता, वो उस प्यासी औरत को ज़रूर सन्तुस्त करता. मुझे आशा है कि मैं जब भी मौका मिला, अंजू के साथ ज़रूर चुदाई करूँगी, भले ही वो सामूहिक संभोग ना हो, एक लेज़्बीयन ही हो, पर मैं करूँगी ज़रूर क्यों कि अंजू है ही इतनी प्यारी.
क्रमशः.....................................
Re: जुली को मिल गई मूली
जुली को मिल गई मूली-12
गतान्क से आगे...........................................
ये मेरी जिंदगी का बहुत महत्वपूर्ण दिन था. मॅरेज कोर्ट मे हमारी अर्ज़ी देने के बाद, कोर्ट के आदेश के अनुसार मैं, मेरा प्रेमी रमेश, मेरे और रमेश के माता पिता, मेरे चाचा, कुछ नज़दीकी रिश्तेदार और दोस्त कोर्ट मे हाज़िर थे.
आज मेरी क़ानूनी शादी होने वाली थी अपने प्रेमी रमेश के साथ. मेरे माता पिता और रमेश के माता पिता ने गवाही के हस्ताक्षर किए और मैने और रमेश ने एक दूसरे को शादी की अंगूठी पहनाई, माला पहनाई और अब हम क़ानूनी रूप से पति पत्नी बन गये. अपने सपनो के राजा रमेश की पत्नी बन कर मैं कुछ अलग सा महसूस कर रही थी. मैने अपने माता पिता और सास ससुर के पैर च्छू कर आशीर्वाद लिया. उन के सम्मान मे मेरी आँखें झुकी हुई थी और मैं शर्मा रही थी. मैं हमेशा एक खुले विचार की लड़की रही हूँ और मैने ऐसा कभी नही सोचा था कि मुझे भी इतनी शर्म आएगी. मेरे सास ससुर बहुत खुस हुए जब मैने उनके पैर छुये. मैने उनकी और अपने माता पिता की आँखों मे अपने लिए बहुत प्यार देखा. इसके बाद हम सब नज़दीक के होटेल मे दोपहर का खाना खाने के लिए गये और वहाँ से घर आ गये.
यहाँ पर मैं ये बता दूं मैं अपने माता पिता के साथ अपने घर आई थी क्यों कि ये पहले ही निस्चित हो चुका था कि मैं अपने ससुराल मे अपनी हिंदू रीति रिवाज से शादी होने के बाद ही जाओंगी. पता नही क्यों, पर ये पक्का था कि मैं अपने आप मे कुछ परिवर्तन महसूस कर रही थी. अचानक मैं अपने आप को समझदार और ज़िम्मेदार महसूस करने लगी. साथ ही मैं अपने पति को भी दिमाग़ से नही निकाल पा रही थी और अपने मा बाप के बारे मे भी सोच रही थी जो हर शादीशुदा लड़की सोचती है. और हां, मेरे चाचा, मेरे पहले प्रेमी, मेरी पहली चुदाई करने वाले, भी मेरे दिमाग़ पर छाए हुए थे. अब ये पक्का था कि मुझे अपने माता पिता, अपने चाचा और अपना घर छ्चोड़ कर जाना था.
मैं अपने चाचा से आख़िरी बार अपने घर पर प्यार करना चाहती थी पर वो मेरी शादी के काम मे बहुत व्यस्त थे. क्रिस्चियन और हिंदू तरीके सेमेरी शादी 20 डिसेंबर को होना निस्चित हुई थी.
तारीख – 19 डिसेंबर 2009
सुबह से ही मैं अपनी मा के साथ खरीदारी करने मे व्यस्त थी. हम दोपहर के बाद घर वापस आए और हमने शाम की चाइ साथ साथ पी. मैने देखा कि मेरे चाचा भी घर लौटे और वे काफ़ी थके हुए लग रहे थे. हमारे साथ चाइ पीने के बाद वो अपने रूम मे आराम कने चले गये. अपने रूम मे जाने से पहले मैने देखा कि चाचा अपने रूम मे गहरी नींद मे सो रहे थे. मैं भी एक झपकी लेने के लिए अपने रूम मे आ गई. जब मेरी आँख खुली तो शाम के 7.00 बजे थे. अब मैं तरो ताज़ा महसूस कर रही थी और मैने चाचा को भी फ्रश मूड मे देखा.
हम सब रात का खाना साथ खा रहे थे तब मैने चाचा को आँखों ही आँखों मे इशारा किया जिसे वो समझ गये.
मैं चाचा से आख़िरी बार प्यार करने और उनसे आख़िरी बार चुद्वाने के पहले नहा रही थी. मैं जब बाथरूम से अपने सेक्सी बदन पर केवल एक टवल लपेट कर बाहर आई तो देखा कि चाचा मेरे बिस्तर पर बैठे मेरा इंतेज़ार कर रहे थे.
रात के करीब 11.30 बजे थे और मैं समझ चुकी थी कि चाचा ने मेरे रूम का दरवाजा उस चाबी से खोला जो सदा उनके पास रहती थी. उस चाबी का उन्होने आख़िरी बार इस्तेमाल करलिया था. मैने बाथरूम का दरवाजा अपनी तरफ से बंद कर लिया. मैने अपने बदन पर लिपटे टवल को नीचे गिर जाने दिया और अपनी आँखों मे आँसू लिए चाचा की तरफ दौड़ी. चाचा ने मुझे कस कर अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. उनकी आँखों मे भी आँसू थे.
हम दोनो काफ़ी देर तक इसी तरह एक दूसरे की बाहों मे चुप चाप खड़े रहे. मैं पूरी तरह नंगी थी और चाचा नाइट ड्रेस मे थे. फिर चाचा ने मेरा चेहरा अपने हाथों मे ले कर मेरे आँसू पोन्छे. मैने भी मेरे प्यारे चाचा के आँसू पोन्छे. अब हम थोड़ा मुश्कारा रहे थे.
आख़िर चाचा ने चुप्पी तोड़ी.
चाचा – ये हमारा आख़िरी मिलन है जूली. पर तुम हमेशा मेरे दिल रहोगी. तुम को पता है ये बात.
मैं – हां चाचा. आप मेरा पहला प्यार है और मैं आप को हमेशा याद रखूँगी.
चाचा – जूली ! मैं नही जानता कि मैने तुम्हारे साथ चुदाई करके सही किया या ग़लत, पर तुम जानती हो कि मैं तुम से प्यार करता हूँ.
मैं – चाचा ! ये बातें फिर से शुरू मत करो. मैं केवल इतना जानती हूँ कि जब मैं चुदाई के लिए बेचैन थी तो आप वो इंसान थे उस समय जिस ने मुझे सच्चा प्यार दिया और मुझे किसी ग़लत हाथों मे पड़ने से बचाया. मेरे लिए आप ने अपनी शादी नही की. जिंदगी के इस मोड़ पर मैं बिना किसी शिकायत के आप से सच्चा प्यार करती हूँ.
गतान्क से आगे...........................................
ये मेरी जिंदगी का बहुत महत्वपूर्ण दिन था. मॅरेज कोर्ट मे हमारी अर्ज़ी देने के बाद, कोर्ट के आदेश के अनुसार मैं, मेरा प्रेमी रमेश, मेरे और रमेश के माता पिता, मेरे चाचा, कुछ नज़दीकी रिश्तेदार और दोस्त कोर्ट मे हाज़िर थे.
आज मेरी क़ानूनी शादी होने वाली थी अपने प्रेमी रमेश के साथ. मेरे माता पिता और रमेश के माता पिता ने गवाही के हस्ताक्षर किए और मैने और रमेश ने एक दूसरे को शादी की अंगूठी पहनाई, माला पहनाई और अब हम क़ानूनी रूप से पति पत्नी बन गये. अपने सपनो के राजा रमेश की पत्नी बन कर मैं कुछ अलग सा महसूस कर रही थी. मैने अपने माता पिता और सास ससुर के पैर च्छू कर आशीर्वाद लिया. उन के सम्मान मे मेरी आँखें झुकी हुई थी और मैं शर्मा रही थी. मैं हमेशा एक खुले विचार की लड़की रही हूँ और मैने ऐसा कभी नही सोचा था कि मुझे भी इतनी शर्म आएगी. मेरे सास ससुर बहुत खुस हुए जब मैने उनके पैर छुये. मैने उनकी और अपने माता पिता की आँखों मे अपने लिए बहुत प्यार देखा. इसके बाद हम सब नज़दीक के होटेल मे दोपहर का खाना खाने के लिए गये और वहाँ से घर आ गये.
यहाँ पर मैं ये बता दूं मैं अपने माता पिता के साथ अपने घर आई थी क्यों कि ये पहले ही निस्चित हो चुका था कि मैं अपने ससुराल मे अपनी हिंदू रीति रिवाज से शादी होने के बाद ही जाओंगी. पता नही क्यों, पर ये पक्का था कि मैं अपने आप मे कुछ परिवर्तन महसूस कर रही थी. अचानक मैं अपने आप को समझदार और ज़िम्मेदार महसूस करने लगी. साथ ही मैं अपने पति को भी दिमाग़ से नही निकाल पा रही थी और अपने मा बाप के बारे मे भी सोच रही थी जो हर शादीशुदा लड़की सोचती है. और हां, मेरे चाचा, मेरे पहले प्रेमी, मेरी पहली चुदाई करने वाले, भी मेरे दिमाग़ पर छाए हुए थे. अब ये पक्का था कि मुझे अपने माता पिता, अपने चाचा और अपना घर छ्चोड़ कर जाना था.
मैं अपने चाचा से आख़िरी बार अपने घर पर प्यार करना चाहती थी पर वो मेरी शादी के काम मे बहुत व्यस्त थे. क्रिस्चियन और हिंदू तरीके सेमेरी शादी 20 डिसेंबर को होना निस्चित हुई थी.
तारीख – 19 डिसेंबर 2009
सुबह से ही मैं अपनी मा के साथ खरीदारी करने मे व्यस्त थी. हम दोपहर के बाद घर वापस आए और हमने शाम की चाइ साथ साथ पी. मैने देखा कि मेरे चाचा भी घर लौटे और वे काफ़ी थके हुए लग रहे थे. हमारे साथ चाइ पीने के बाद वो अपने रूम मे आराम कने चले गये. अपने रूम मे जाने से पहले मैने देखा कि चाचा अपने रूम मे गहरी नींद मे सो रहे थे. मैं भी एक झपकी लेने के लिए अपने रूम मे आ गई. जब मेरी आँख खुली तो शाम के 7.00 बजे थे. अब मैं तरो ताज़ा महसूस कर रही थी और मैने चाचा को भी फ्रश मूड मे देखा.
हम सब रात का खाना साथ खा रहे थे तब मैने चाचा को आँखों ही आँखों मे इशारा किया जिसे वो समझ गये.
मैं चाचा से आख़िरी बार प्यार करने और उनसे आख़िरी बार चुद्वाने के पहले नहा रही थी. मैं जब बाथरूम से अपने सेक्सी बदन पर केवल एक टवल लपेट कर बाहर आई तो देखा कि चाचा मेरे बिस्तर पर बैठे मेरा इंतेज़ार कर रहे थे.
रात के करीब 11.30 बजे थे और मैं समझ चुकी थी कि चाचा ने मेरे रूम का दरवाजा उस चाबी से खोला जो सदा उनके पास रहती थी. उस चाबी का उन्होने आख़िरी बार इस्तेमाल करलिया था. मैने बाथरूम का दरवाजा अपनी तरफ से बंद कर लिया. मैने अपने बदन पर लिपटे टवल को नीचे गिर जाने दिया और अपनी आँखों मे आँसू लिए चाचा की तरफ दौड़ी. चाचा ने मुझे कस कर अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. उनकी आँखों मे भी आँसू थे.
हम दोनो काफ़ी देर तक इसी तरह एक दूसरे की बाहों मे चुप चाप खड़े रहे. मैं पूरी तरह नंगी थी और चाचा नाइट ड्रेस मे थे. फिर चाचा ने मेरा चेहरा अपने हाथों मे ले कर मेरे आँसू पोन्छे. मैने भी मेरे प्यारे चाचा के आँसू पोन्छे. अब हम थोड़ा मुश्कारा रहे थे.
आख़िर चाचा ने चुप्पी तोड़ी.
चाचा – ये हमारा आख़िरी मिलन है जूली. पर तुम हमेशा मेरे दिल रहोगी. तुम को पता है ये बात.
मैं – हां चाचा. आप मेरा पहला प्यार है और मैं आप को हमेशा याद रखूँगी.
चाचा – जूली ! मैं नही जानता कि मैने तुम्हारे साथ चुदाई करके सही किया या ग़लत, पर तुम जानती हो कि मैं तुम से प्यार करता हूँ.
मैं – चाचा ! ये बातें फिर से शुरू मत करो. मैं केवल इतना जानती हूँ कि जब मैं चुदाई के लिए बेचैन थी तो आप वो इंसान थे उस समय जिस ने मुझे सच्चा प्यार दिया और मुझे किसी ग़लत हाथों मे पड़ने से बचाया. मेरे लिए आप ने अपनी शादी नही की. जिंदगी के इस मोड़ पर मैं बिना किसी शिकायत के आप से सच्चा प्यार करती हूँ.