मस्त मेनका पार्ट--10
गतान्क से आगे.....................
आइए अब समय मे थोड़ा आगे चलते हैं-बस 2 दिन आगे.
महल मे मातम छाया हुआ था.राजा साहब अभी-2 अपने हाथों से अपने दूसरे बेटे की भी चिता को आग दे कर लौटे थे.उस सुबह डॉक्टर.पुरन्दारे के फोन के करीब 3 घंटे बाद बॅंगलुर पोलीस ने विश्वा की लाश को उस बदनाम मोहल्ले की गली से बरामद कर लिया था.राजा साहब तो बस बॅंगलुर के लिए निकलने ही वाले थे जब उन्हे ये मनहूस खबर मिली.
पोस्ट मॉर्टेम रिपोर्ट मे मौत की वजह ड्रग ओवरडोस बताई गयी थी पर डॉक्टर.पुरन्दारे का कहना था कि विश्वा अपनी लत को काफ़ी हद तक छ्चोड़ चुका था & उन्हे बिल्कुल भी यकीन नही हो रहा था कि वो सेंटर से भाग गया था वो भी ड्रग्स के लिए.राजा साहब के लिए इन बतो का कोई मायने नही रह गया था,उनका दूसरा बेटा भी मौत के मुँह मे जा चुका था & अब वो अकेले थे,उनका वंश उनके बाद ख़तम हो जाने वाला था.
विश्वा की मौत ने उन्हे तोड़ दिया था & वो अपनी स्टडी मे बैठे अपनी किस्मत पे रो रहे थे.और मेनका.....
...मेनका को विश्वजीत की मौत का अफ़सोस था पर दुख...दुख नही था..और होता भी कैसे,उसने उसे कभी 1 पत्नी का दर्जा दिया ही नही था..उसके लिए तो बस वो उसकी जिस्म की भूख मिटाने की चीज़ थी बस.मेनका को उसकी मौत पे जितना अफ़सोस था उस से कही ज़्यादा अपने ससुर की चिंता थी.इस हादसे के बाद वो बिल्कुल निराश & हताश हो गये थे.वो शख्स जो अभी तक ज़िंदगी की सभी मुश्किलो का सामना 1 चट्टान की तरह करता आया था,आज उस सूखे पत्ते की तरह था जिसे वक़्त की हवाएँ जब चाहे,जहा चाहे उड़ा सकती थी.
मेनका उन्हे संभालना चाहती थी पर इस समय महल मे रिश्तेदारो की भीड़ थी,उसके मा-बाप भी वही थे.इन सब के होते उसे राजा साहब से बात करने का मौका ही नही मिल रहा था.और मौका मिलता भी तो क्या होता..वो अभी उनसे खुल कर बात भी तो नही कर पाती तो बस मेनका बस सही मौके का इंतेज़ार करने लगी.उसने ठान लिया था कि वो अपने ससुर & उनके द्वारा खड़े किए गये बिज़्नेस को बर्बाद नही होने देगी.
उधर जब्बार जश्न मना रहा था,"ये लो मेरी जान,पियो.",उसने मलिका की कमर मे हाथ डाल बियर की बॉटल उसके होठ से लगा दी.
"ये बताओ की मेरे अकाउंट मे मेरे पैसे जमा कराए की नही?",मलिका ने 1घूँट भरा.
"हा,मेरी जान.कल बॅंक जाकर चेक कर लेना.",जब्बार ने उसकी कमर से हाथ उपर लाते हुए उसके टॉप मे घुसा कर 1 चूची को दबोच लिया.मलिका ने उसके होठ चूम लिए,"एयेए...अहह..पूरे पैसे डाले है ना?या पिच्छली बार की तरह आधे ही डाले हैं?"
"तू बस कल बॅंक जाकर देख लेना.",जब्बार ने उसका टॉप उतार फेंका & उसकी चूचियो को चूसने लगा.थोड़ी देर तक मलिका खड़ी उस से अपनी छातिया चुस्वती रही फिर उसे धकेल कर परे कर दिया & ज़मीन पे सोफे से पीठ लगा कर बैठ गयी & बियर की बॉटल मुँह से लगा ली.जब्बार को तो बस उसे चोदने का भूत सॉवॅर था.उसने अपने कपड़े उतार दिए & मलिका के पास जाकर उसके हाथो से बॉटल छ्चीन अपना लंड उसके मुँह मे डाल दिया,"इसे पी,बियर से ज़्यादा नशा है इसमे."
ये बात सच थी,मालिका के लिए तो 1 मर्द का कड़ा & बड़ा लंड दुनिया की सबसे ज़्यादा नशीली चीज़ थी.वो लंड अपने मुँह मे ले चूसने लगी पर उसकी चूत को कल्लन के लंड का चस्का लग गया था & कल्लन उनके साथ राजपुरा आया नही था.
"तेरा वो पालतू कहा है,ज़ालिम?",उसने जब्बार के आंडो को हाथ से दबाया & जीभ उसके लंड की छेद पे लगा दी.
"उसे कुच्छ दीनो के लिए अंडरग्राउंड रहने को कहा है.जब ये विश्वा की मौत की खबर थोड़ी बसी हो जाए फिर वो बाहर आएगा.",उसने मलिका के सर को पकड़ लिया & अपनी कमर हिलाते हुए उसके मुँह को चोदने लगा.
"..अभी थोड़ी देर पहले जब तू नहा रही थी तब साले ने फोन किया था.उसे भी तेरी तरह अपने पैसों की चिंता लगी हुई थी.",जब्बार ने मलिका को वही ज़मीन पर लिटा दिया & उस पर चढ़ कर अपना लंड उसके अंदर घुसा दिया.
"आआनन्न...न्नह..",मलिका उस से चुदने लगी & वो जानती थी की उसकी चुदाई से वो झदेगी भी फिर भी जब्बार मे वो कल्लन वाली बात नही थी.करीब 1 घंटे की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद जब्बार ने उसे छ्चोड़ा & उठ कर बातरूम चला गया.उसके जाते ही मलिका ने उसका मोबाइल उठाया,उसमे कल्लन का नंबर देखा & अपने मोबाइल से डाइयल करने लगी,"कहा है ज़ालिम?मेरी प्यास तो बुझा जाता.",वो फुसफुसा.कल्लन ने उसे अपना ठिकाना बता दिया पर शायद उसे पता नही था कि वो कितनी बड़ी ग़लती कर रहा था.
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विश्वा की मौत को 1 महीने से उपर हो गया.मेनका की मा भी आज वापस चली गयी थी,उसके पिता तो काफ़ी पहले ही चले गये थे.मा उसे अपने साथ ले जाना चाहती थी पर उसी ने बाद मे आने को कह के बात टाल दी.आज उसे मौका मिला था अपने ससुर से बात करने का.
रात नौकरो के जाते ही वो उनके कमरे मे पहुँच गयी.राजा साहब सर झुकाए बैठे थे.
"आप राजा यशवीर सिंग ही है ना?"
राजा साहब ने सर उठा कर उसकी तरफ सवालिया नज़रो से देखा.
"मैं जिस राजा यशवीर सिंग को जानती थी वो तो 1 हिम्मतवार & हौसले वाले इंसान थे.आप तो मुझे कोई और लग रहे हैं...1 ऐसा इंसान जिसकी शक्ल राजा साहब से मिलती है,बस."
"मेनका,हूमे प्लीज़ अकेला छ्चोड़ दो."
"क्यू?यहा अंधेरे मे हार मान कर आँसू बहाने के लिए?",मेनका उनके घुटनो पे हाथ रख उनके सामने बैठ गयी.,"मेरी तरफ देखो,यश.बॅंगलुर पोलीस को शक़ था कि विश्वा की मौत उतनी सिंपल नही जितनी दिखती है.सेंटर के डॉक्टर्स & बाकी लोगो से बात करने के बाद ये बात सॉफ थी कि विश्वा ठीक होने की पूरी कोशिश कर रहा था फिर आख़िर उस रात ऐसा क्या हुआ कि वो वाहा से भाग गया या फिर वो भगा नही उसे भगाया गया?"
"राजा साहब ने उसकी तरफ देखा,"देखो,मेनका हुमारा बेटा अब वापस नही आएगा.अब क्या फयडा है इन बातो का.",वो उठ कर खिड़की पे चले गये & बाहर देखने लगे.
"फयडा नही राजा यशवीर सिंग क़र्ज़ है आपके बेटे की मौत का.उसे हक़ है कि अगर उसकी मौत उसकी बुरी लत के बजाय किसी और कारण से हुई है,तो उस कारण का पता लगाया जाए & मौत के ज़िम्मेदार को सज़ा मिले.",उसने राजा साहब को अपनी तरफ घुमाया,"..ये देखिए",उसने उनका हाथ उठा कर उनके सामने किया जिसमे उसका दिया ब्रेस्लेट चमक रहा था."..राजकुल के सुर्य की चमक बरकरार रखने की ज़िम्मेदारी आपकी है.राजकुल का खून बहाया गया है & जिसने भी ये काम किया है उसे इसकी कीमत आपको चुकानी पड़ेगी."
राजा साहब की नज़रे ब्रेस्लेट मे बने सुर्य पर टिकी हुई थी....किसी ने उनके बेटे की जान ली है & वो चुपचाप बैठे हैं?नही...आख़िर उन्हे हुआ क्या था जो वो इतने दीनो तक बैठे आँसू बहाते रहे?...आज मेनका ने उन्हे फिर से जगाया है.अब तो वो अपने बेटे की मौत की गुत्थी सुलझा कर रहेंगे.
उन्होने ने मेनका के हाथ अपने हाथों मे ले लिए,"हूमे होश मे लाने के लिए शुक्रिया...पता नही हूमे क्या हो गया था.थॅंकआइयू,मेनका.अगर तुम नही होती तो हुमारा क्या होता?"
"नही,यश.अगर तुम नही होते तो हुमारा क्या होता.तुमने इतनी मेहनत से कुल का मान & बिज़्नेस को बनाए रखा है.ये सब हम अपनी आँखो के सामने मिट्टी मे मिलते तो नही देख सकते थे ना."
राजा साहब ने मेनका की बात सुनकर उसे सीने से लगा लिया,फिर हाथों मे उसका चेहरा ले लिया,"इतने दीनो हम अपने गम मे खोए रहे,ये भी नही सोचा कि तुम पर क्या बीत रही होगी.",उनका ध्यान मेनका की सफेद सारी पे गया,"कल से ये मनहूस लिबास पहनने की कोई ज़रूरत नही है."
"यश,दुनिया की नज़रो मे मैं 1 विधवा हू & विश्वा को गुज़रे बस महीना भर ही हुआ है.लोग क्या कहेंगे?"
"ज़माना कहा से कहा पहुँच गया है & हुमलोग अभी तक लिबास के रंग मे अटके हैं.हम देखेंगे कौन क्या कहता है."
"समझने की कोशिश करो,यश.लोगो की हुमारे परिवार से कुच्छ उम्मीदें होती हैं,उनके लिए हूमे कुच्छ दिन तक ऐसे कपड़े पहन ने ही चाहिए."
"ठीक है तो विश्वा की मौत के 3 महीने पूरे होने के बाद तुम ये सफेद सारी नही पहनॉगी.",राजा साहब उसे साथ लेकर अपने बिस्तर पे बैठ गये.उन्होने उसके कंधे पे अपना हाथ रखा हुआ था.
"अच्छा बाबा!जैसा तुम कहो.",मेनका ने उन से सॅट के बैठते हुए उनका हाथ अपने हाथों मे दबा लिया.मेनका पिच्छले 1 महीने से नही चुदी थी.महल का माहौल विश्वा की मौत के कारण ऐसा हो गया था कि चुदाई का ख़याल उसके दिमाग़ से मीलो दूर था.पर इधर 2 दीनो से रात मे उसे राजा साहब के लंड की ज़रूरत महसूस होने लगी थी.मेनका,जोकि हर रात कम से कम 3-4 बार चुद्ति थी,उसे पिच्छली दो रातों को अपने जिस्म को ठंडा करने के लिए अपनी उंगली का सहारा लेना पड़ा था.
आज कई दीनो बाद उसका प्रेमी उसे अपने पुराने रंग मे आता दिख रहा था & उसकी चूत राजा साहब के लंड के लिए बेकरार होने लगी थी.उसे शांत करने के लिए वो अपनी टांग पे टांग चढ़ा के बैठ गयी & चूत को अपनी जांघों मे भींच लिया.उसे पता नही चल रहा था कि राजा साहब चुदाई के मूड मे है या नही.उसने बात आगे बढ़ने की गरज से पूचछा,"तुम्हे तो याद भी नही होगा कि डॉक्टर.पुरनदरे & बॅंगलुर पोलीस के अफ़सर तुमसे मिलके गये थे?"
"याद है पर बस इतना ही की डॉक्टर.साहब माफी माँग रहे थे & पोलिसेवाले फॉरमॅलिटीस पूरी करने के लिए कह रहे थे.",उनका हाथ मेनका के कंधे से फिसल कर नीचे उसकी नंगी कमर पे आ गया था.
"डॉक्टर.साहब को यकीन है कि विश्वा खुद भागा नही था बल्कि कुच्छ और बात है.पोलिसेवालो का भी कहना है की पोस्ट मोर्टें रिपोर्ट तो ड्रग ओवरडोस का कारण बताती है पर ये कौन बताएगा कि ड्रग्स उसने खुद लिए थे या किसी ने ज़बरदस्ती इंजेक्ट किए थे.",बात तो गंभीर हो रही थी पर मेनका इतने दीनो बाद अपने ससुर के करीब आने पर गरम हुए जा रही थी.
"ह्म्म.मुझे बॅंगलुर जाना पड़ेगा.अब पानी सर से उपर गुज़र गया है.इसके पीछे जो भी है उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी."
"तुम पोलीस की मदद क्यू नही लेते?मैं नही चाहती तुम ख़तरे मे पाडो.",उसने प्यार से राजा साहब के चेहरे पे हाथ फेरा.
"नही,मेनका.पोलीस के पास गया तो दुश्मन सतर्क हो जाएगा.इस बार मैं उसे बच के नही जाने दूँगा.हो ना हो इसमे जब्बार का ही हाथ है."
"जो भी करना बहुत सावधानी से करना & ये ध्यान मे रखना कि तुम्हारे साथ मेरी जान भी जुड़ी है.",मेनका के जिस्म की आग की दाहक उसकी आँखों मे अब सॉफ नज़र आ रही थी.राजा साहब ने उसकी नशे से बोझिल आँखें देखी तो उनके दिल मे भी वोही आग भड़क उठी.उन्होने उसकी कमर पकड़ कर अपनी ओर खींची & अपने होठ उसके तपते होठों पे रख दिए.मेनका तो इसी बात का इंतेज़ार कर रही थी.वो उनसे चिपक गयी & दोनो 1 दूसरे को पागलो की तरह चूमने लगे.राजा साहब उसके चेहरे को & गर्दन को अपनी किस्सस से सराबोर किए जा रहे थे.
मस्त मेनका compleet
Re: मस्त मेनका
मेनका का आँचल सरक कर नीचे हो गया था & सफेद ब्लाउस के गले मे से झँकता उसका क्लीवेज भारी सांसो के साथ उपर-नीचे हो रहा था.राजा साहब ने अपने होठ उसके क्लीवेज पे लगा दिए तो मेनका पागल हो उठी & उनका सर अपने सीने पे दबा दिया.
राजा साहब ने थोड़ी देर तक उसके सीने को चूमने के बाद उसके ब्लाउस के सामने की तरफ बने बटन खोल दिए.सफेद ब्रा मे क़ैद उसकी चूचिया मस्त लग रही थी & उसके कड़े निपल्स ब्रा कप्स मे नुकीले उभार बना रहे थे.राजा साहब वैसे ही ब्रा मे बंद उसकी चूचिया चूमने-चाटने लगे.उनके हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे थे.घूमते हुए उनके हाथ उसकी ब्रा स्ट्रॅप के नीचे कुच्छ इस तरह घुसे की उसके हुक्स पटापट खुल गये.ब्रा के ढीले होते ही राजा साहब की जीभ उसकी पूरी छाती पे घूमने लगी & थोड़ी देर बाद ही उसका 1 निपल उनके मुँह के अंदर था.जैसे ही रहा साहब ने उसके निपल को चूसा महीने भर की प्यासी मेनका झाड़ गयी.
उसने उनका सर कस के पकड़ लिया & अपने हाथ उनके कुर्ते के अंदर घुसा उनकी पीठ पे अपने नाख़ून गढ़ा दिए.राजा साहब के उसकी चूचिया चूसने मे उसका ब्रा & ब्लाउस अड़चन पैदा कर रहे थे.वो बेसबरे से होकर उसके सीने से अलग हुए & उन दोनो कपड़ो को उतार कर फेंक दिया & फिर से जुट गये उसके उरज़ोन को दबाने & चूसने मे.
मेनका अभी भी उनके कुर्ते के अंदर हाथ घुसा उनकी पीठ सहला रही थी की उसका 1 हाथ फिसल कर आगे उनके सीने पे आया & वाहा के बालों मे घुस गया.अब उसकी बारी थी.उसने अपने ससुर का कुर्ता उनके जिस्म से अलग किया & उन्हे धकेल कर बिस्तर पे लिटा दिया & उनके उपर झुक कर उनके बालों भरे सीने को चूमने लगी.उसने उनके 1 निपल को अपने मुँह मे लेकर चूसना शुरू किया तो दूसरे को अपने नाख़ून से हल्के-2 छेड़ने लगी.
"आ...अहह..",राजा साहब की आह निकल गयी & उनके लंड ने पाजामे मे तंबू बना दिया.मेनका छाती चूमते नीचे आई & उनकी नाभि मे अपनी जीभ डाल कर चाटने लगी.राजा साहब के लिए ये बिल्कुल नया अनुभव था & वो जोश से पागल हुए जा रहे थे.मेनका ने डोरी खींच कर उनका पाजामा खोला तो उन्होने अपनी गंद उठा कर खुद ही उसे उतार दिया.
मेनका की आँखों के सामने उनका बड़ा लंड पूरा तना खड़ा था.कितने दीनो बाद ये प्यारा लंड उसके सामने था.इधर राजा साहब ने शेव नही किया था तो उनकी झाँते पूरी तरह से उस बड़े लंड को घेरे हुए थी.उसने उसे बड़े प्यार से अपने हाथों मे लिया & 1 उंगली के नाख़ून से धीरे-2 उनके लंड के सिरे से जड़ तक खुरचने लगी.राजा साहब की आँखे मज़े मे बंद हो गयी.मेनका ने अपना मुँह लंड के सूपदे पे रखा & केवल सूपड़ा मुँह मे भर चूसने लगी.राजा साहब नीचे से गंद हिला कर पूरा लिंड उसके मुँह मे पेलने की कोशिश करने लगे पर मेनका ने अपनी मुट्ठी मे उसे मज़बूती से जाकड़ उन्हे ऐसा नही करने दिया.राजा साहब उसकी इस हरकत से पागल हो गये & उसके सर को अपने लंड पे दबाने लगे.
मेनका थोड़ी देर तक उन्हे ऐसे ही तड़पति रही & जब उन्हे लगा की वो ऐसे ही उन्हे झाड़वा देगी तो उन्हे चौंकाते हुए उसने उनका पूरा लंड अपने मुँह मे भर लिया & चूसने लगी.राजा साहब ने नीचे से ज़ोर-2 से कमर हिलाकर उसके मुँह को चोदना शुरू कर दिया.मेनका आज जी भर कर उनके लंड को चूसना चाहती थी.उसने हाथ रख कर राजा साहब को कमर हिलाना बंद करने का इशारा किया.उसने अपना मुँह लंड से अलग कर दिया & अपने ससुर की आँखों मे देखते हुए उनके अंदो को नाख़ून से छेड़ने लगी & लंड के आस-पास के बालो को चूमते हुए उन्हे जन्नत की सैर करने लगी.
उसके होठ घूमते हुए उनके अंदो पे कस गये.राजा साहब ने अपने हाथ उसके बालों मे घुसा दिया.मेनका ने लंड को हाथ मे भर ज़ोर-2 से हिलाना शुरू कर दिया.वो अपने होठ अंदो से हटा उनके लंड पे लाई,राजा साहब को लगा की वो उनका लंड मुँह मे लेने वाली है तो उन्होने ने अपनी कमर उचकाई पर मेनका ने उनको तड़पते हुए मुँह हटा लिया.अब वो मुँह नीचे लाती & लंड के सिरे के पास ला जैसे ही राजा साहब घुसाने को होते तो मुँह वापस खींच लेती.राजा साहब तो तड़प से पागल हो गये.उन्होने उसका सर पकड़ अपने लंड पे लगा दिया & इस बार अपना लंड 1 बार फिर उसके मुँह मे पूरा घुसा दिया.
मेनका ने उनका लंड अपनी मुट्ठी मे भर लिया & हिलाते हुए लगी चूसने.राजा साहब के लिए बात अब बर्दाश्त से बाहर हो गयी थी.उन्होने उसके सर को पकड़ नीचे से ज़ोर-2 से कमर हिलाते हुए उसके मुँह मे अपना वीर्या गिरा दिया.मेनका उनका वीर्या पीने लगी जिसकी 1 बूँद उसके होंठो के कोने से निकल कर उसकी ठुड्डी पे आ गयी.पूरा लंड चाट कर सॉफ करने के बाद वो उठी & अपनी ठुड्डी पे गिर आई उस बूँद को 1 उंगली से पोंच्छा & उस उंगली को मुँह मे ले चूसने लगी.
उसकी ये कातिल हरकत देख राजा साहब ने हाथ बढ़ा कर उसे खीच कर अपने उपर ले लिया & उसे चूमने लगे & अपने वीर्या का स्वाद चखने लगे.आज मेनका उन्हे तड़पने के मूड मे थी.जैसे ही राजा साहब ने उसके बदन पे अपनी बहो की गिरफ़्त मज़बूत की वो हँसती हुई अलग हो गयी.उन्होने हाथ बढ़ाया तो वो छितक कर अलग हो बेड से उतर गयी.
राजा साहब उठे & उसकी सारी का पल्लू पकड़ कर उसे अपने पास खींच लिया.,"छ्चोड़ो ना...मुझे नींद आ रही है.",मेनका उन्हे तड़पाने के इरादे से बोली.
"झूठ मत बोलो,चलो आ जाओ.",वो उसे फिर से बिस्तर पे ले जाने लगे.
"उउन्न्न...नही...",मेनका फिर मच्लि तो राजा साहब ने 1 हाथ से उसकी कमर को जकड़ा & दूसरे से उसकी सारी खींच दी.
"ऊन्न्न्ह्ह..बदमाश कहीं के!",मेनका ने उनके सीने पे बनावटी गुस्से मे मुक्के मारे.अगले ही पल उसका पेटिकोट भी ज़मीन पे था & थोड़ी दे बाद वो केवल 1 पॅंटी मे अपने नंगे ससुर की बाहों मे उनके बिस्तर मे पड़ी उन्हे चूम रही थी.चूमते हुए राजा साहब ने उसकी पीठ पे हाथ फेरते हुए उसकी पॅंटी मे हाथ डाल उसकी गंद को दबाने लगे.
थोड़ी देर गंद दबाने के बाद उन्होने ने उसकी पॅंटी को घुटनो तक सरका दिया & फिर अपनी टांग उठा कर उसकी पॅंटी मे फँसा उसे पूरी तरह से अपनी बहू के जिस्म से अलग कर दिया.अब वो उसकी चूचियाँ चूस रहे थे & हाथ पीछे से उसकी गंद दबाने के बाद उसकी चूत मे घुस उसके दाने को रगड़ रहा था.मेनका जोश मे कमर हिलाने लगी.विश्वा की मौत के पहले उसकी गोरी चूचियाँ उसके ससुर की लव बाइट्स से भरी हुई थी,पर इधर 1 महीने मे वो वापस बेदाग हो गयी थी.राजा साहब आज इस ग़लती को सुधारने मे लगे हुए थे & उसके सीने पे अपने होठों के निशान पे निशान छ्चोड़े जा रहे थे.उनकी उंगली की रागड़ाई ने मेनका को फिर से झाड़वा दिया.
राजा साहब ने उसे लिटाया & उसकी चूचिया चूमते हुए नीचे उसके पेट पे आ गये,थोड़ी देर तक उनका मुँह उसके पेट & नाभि पे घूमता रहा & फिर वो उसकी जाँघो के बीच आ गये & उसकी टाँगे अपने कंधों पे चढ़ा ली.वो झुक कर उसकी चूत के आस-पास चूमने लगे.मेनका ने अपनी उंगलियो मे उनके बाल पकड़ लिए & बेचैनी से मचलने लगी.चूमते हुए जैसे ही राजा साहब के होंठो ने उसकी चूत को च्छुआ उसकी कम्र हिलने लगी.राजा साहब की जीभ ने उसकी चूत को चाटना चालू कर दिया & उनके हाथ उसकी चूचियो & उनके निपल्स से खेलने लगे.मेनका अपने ससुर के सर को अपनी भारी जाँघो मे दबा कर उनका मुँह अपनी चूत पे भींचने लगी.."ऊओ...ऊऊहह...या...ष्ह..!"
राज साहब ने चाट-2 कर उसकी चूत का सारा रस पी लिया.बीच-2 मे वो अपने होठ उसकी चूत से हटा उसकी आंद्रूणई जाँघो को चूमने-चूसने लगते & कही भी अपने होंठो के निशान छ्चोड़ देते.उनके हाथ उसकी बाहरी जाँघो को मज़बूती से थामे दबाते,सहलाते & फिर वापस उसकी मस्त चूचियो पे लग जाते.मेनका अपने ससुर की जीभ की चुदाई से 3 बार झड़ी.अब राजा साहब का लंड फिर से तैय्यर था.
वो उठे & घुटनो के बल अपनी बहू की जाँघो के बीच बैठ गये.उन्होने अपना लंड उसकी चूत की दरार पे 1 बार फिराया तो मेनका ने धीरे से अपनी कमर उचका उसे अपने अंदर लेने की कोशिश की.राजा साहब ने अपना लंड उसकी चूत पे ररड़ना शुरू किया.मेनका बेचैन हो गयी,वो चाह रही थी की राजा साहब अब उसे अपने नीचे दबा कर उसे जम कर चोदे पर वो तो बस लंड उसकी चूत पे रगड़ कर उसे तडपा रहे थे.
राजा साहब ने थोड़ी देर तक उसके सीने को चूमने के बाद उसके ब्लाउस के सामने की तरफ बने बटन खोल दिए.सफेद ब्रा मे क़ैद उसकी चूचिया मस्त लग रही थी & उसके कड़े निपल्स ब्रा कप्स मे नुकीले उभार बना रहे थे.राजा साहब वैसे ही ब्रा मे बंद उसकी चूचिया चूमने-चाटने लगे.उनके हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे थे.घूमते हुए उनके हाथ उसकी ब्रा स्ट्रॅप के नीचे कुच्छ इस तरह घुसे की उसके हुक्स पटापट खुल गये.ब्रा के ढीले होते ही राजा साहब की जीभ उसकी पूरी छाती पे घूमने लगी & थोड़ी देर बाद ही उसका 1 निपल उनके मुँह के अंदर था.जैसे ही रहा साहब ने उसके निपल को चूसा महीने भर की प्यासी मेनका झाड़ गयी.
उसने उनका सर कस के पकड़ लिया & अपने हाथ उनके कुर्ते के अंदर घुसा उनकी पीठ पे अपने नाख़ून गढ़ा दिए.राजा साहब के उसकी चूचिया चूसने मे उसका ब्रा & ब्लाउस अड़चन पैदा कर रहे थे.वो बेसबरे से होकर उसके सीने से अलग हुए & उन दोनो कपड़ो को उतार कर फेंक दिया & फिर से जुट गये उसके उरज़ोन को दबाने & चूसने मे.
मेनका अभी भी उनके कुर्ते के अंदर हाथ घुसा उनकी पीठ सहला रही थी की उसका 1 हाथ फिसल कर आगे उनके सीने पे आया & वाहा के बालों मे घुस गया.अब उसकी बारी थी.उसने अपने ससुर का कुर्ता उनके जिस्म से अलग किया & उन्हे धकेल कर बिस्तर पे लिटा दिया & उनके उपर झुक कर उनके बालों भरे सीने को चूमने लगी.उसने उनके 1 निपल को अपने मुँह मे लेकर चूसना शुरू किया तो दूसरे को अपने नाख़ून से हल्के-2 छेड़ने लगी.
"आ...अहह..",राजा साहब की आह निकल गयी & उनके लंड ने पाजामे मे तंबू बना दिया.मेनका छाती चूमते नीचे आई & उनकी नाभि मे अपनी जीभ डाल कर चाटने लगी.राजा साहब के लिए ये बिल्कुल नया अनुभव था & वो जोश से पागल हुए जा रहे थे.मेनका ने डोरी खींच कर उनका पाजामा खोला तो उन्होने अपनी गंद उठा कर खुद ही उसे उतार दिया.
मेनका की आँखों के सामने उनका बड़ा लंड पूरा तना खड़ा था.कितने दीनो बाद ये प्यारा लंड उसके सामने था.इधर राजा साहब ने शेव नही किया था तो उनकी झाँते पूरी तरह से उस बड़े लंड को घेरे हुए थी.उसने उसे बड़े प्यार से अपने हाथों मे लिया & 1 उंगली के नाख़ून से धीरे-2 उनके लंड के सिरे से जड़ तक खुरचने लगी.राजा साहब की आँखे मज़े मे बंद हो गयी.मेनका ने अपना मुँह लंड के सूपदे पे रखा & केवल सूपड़ा मुँह मे भर चूसने लगी.राजा साहब नीचे से गंद हिला कर पूरा लिंड उसके मुँह मे पेलने की कोशिश करने लगे पर मेनका ने अपनी मुट्ठी मे उसे मज़बूती से जाकड़ उन्हे ऐसा नही करने दिया.राजा साहब उसकी इस हरकत से पागल हो गये & उसके सर को अपने लंड पे दबाने लगे.
मेनका थोड़ी देर तक उन्हे ऐसे ही तड़पति रही & जब उन्हे लगा की वो ऐसे ही उन्हे झाड़वा देगी तो उन्हे चौंकाते हुए उसने उनका पूरा लंड अपने मुँह मे भर लिया & चूसने लगी.राजा साहब ने नीचे से ज़ोर-2 से कमर हिलाकर उसके मुँह को चोदना शुरू कर दिया.मेनका आज जी भर कर उनके लंड को चूसना चाहती थी.उसने हाथ रख कर राजा साहब को कमर हिलाना बंद करने का इशारा किया.उसने अपना मुँह लंड से अलग कर दिया & अपने ससुर की आँखों मे देखते हुए उनके अंदो को नाख़ून से छेड़ने लगी & लंड के आस-पास के बालो को चूमते हुए उन्हे जन्नत की सैर करने लगी.
उसके होठ घूमते हुए उनके अंदो पे कस गये.राजा साहब ने अपने हाथ उसके बालों मे घुसा दिया.मेनका ने लंड को हाथ मे भर ज़ोर-2 से हिलाना शुरू कर दिया.वो अपने होठ अंदो से हटा उनके लंड पे लाई,राजा साहब को लगा की वो उनका लंड मुँह मे लेने वाली है तो उन्होने ने अपनी कमर उचकाई पर मेनका ने उनको तड़पते हुए मुँह हटा लिया.अब वो मुँह नीचे लाती & लंड के सिरे के पास ला जैसे ही राजा साहब घुसाने को होते तो मुँह वापस खींच लेती.राजा साहब तो तड़प से पागल हो गये.उन्होने उसका सर पकड़ अपने लंड पे लगा दिया & इस बार अपना लंड 1 बार फिर उसके मुँह मे पूरा घुसा दिया.
मेनका ने उनका लंड अपनी मुट्ठी मे भर लिया & हिलाते हुए लगी चूसने.राजा साहब के लिए बात अब बर्दाश्त से बाहर हो गयी थी.उन्होने उसके सर को पकड़ नीचे से ज़ोर-2 से कमर हिलाते हुए उसके मुँह मे अपना वीर्या गिरा दिया.मेनका उनका वीर्या पीने लगी जिसकी 1 बूँद उसके होंठो के कोने से निकल कर उसकी ठुड्डी पे आ गयी.पूरा लंड चाट कर सॉफ करने के बाद वो उठी & अपनी ठुड्डी पे गिर आई उस बूँद को 1 उंगली से पोंच्छा & उस उंगली को मुँह मे ले चूसने लगी.
उसकी ये कातिल हरकत देख राजा साहब ने हाथ बढ़ा कर उसे खीच कर अपने उपर ले लिया & उसे चूमने लगे & अपने वीर्या का स्वाद चखने लगे.आज मेनका उन्हे तड़पने के मूड मे थी.जैसे ही राजा साहब ने उसके बदन पे अपनी बहो की गिरफ़्त मज़बूत की वो हँसती हुई अलग हो गयी.उन्होने हाथ बढ़ाया तो वो छितक कर अलग हो बेड से उतर गयी.
राजा साहब उठे & उसकी सारी का पल्लू पकड़ कर उसे अपने पास खींच लिया.,"छ्चोड़ो ना...मुझे नींद आ रही है.",मेनका उन्हे तड़पाने के इरादे से बोली.
"झूठ मत बोलो,चलो आ जाओ.",वो उसे फिर से बिस्तर पे ले जाने लगे.
"उउन्न्न...नही...",मेनका फिर मच्लि तो राजा साहब ने 1 हाथ से उसकी कमर को जकड़ा & दूसरे से उसकी सारी खींच दी.
"ऊन्न्न्ह्ह..बदमाश कहीं के!",मेनका ने उनके सीने पे बनावटी गुस्से मे मुक्के मारे.अगले ही पल उसका पेटिकोट भी ज़मीन पे था & थोड़ी दे बाद वो केवल 1 पॅंटी मे अपने नंगे ससुर की बाहों मे उनके बिस्तर मे पड़ी उन्हे चूम रही थी.चूमते हुए राजा साहब ने उसकी पीठ पे हाथ फेरते हुए उसकी पॅंटी मे हाथ डाल उसकी गंद को दबाने लगे.
थोड़ी देर गंद दबाने के बाद उन्होने ने उसकी पॅंटी को घुटनो तक सरका दिया & फिर अपनी टांग उठा कर उसकी पॅंटी मे फँसा उसे पूरी तरह से अपनी बहू के जिस्म से अलग कर दिया.अब वो उसकी चूचियाँ चूस रहे थे & हाथ पीछे से उसकी गंद दबाने के बाद उसकी चूत मे घुस उसके दाने को रगड़ रहा था.मेनका जोश मे कमर हिलाने लगी.विश्वा की मौत के पहले उसकी गोरी चूचियाँ उसके ससुर की लव बाइट्स से भरी हुई थी,पर इधर 1 महीने मे वो वापस बेदाग हो गयी थी.राजा साहब आज इस ग़लती को सुधारने मे लगे हुए थे & उसके सीने पे अपने होठों के निशान पे निशान छ्चोड़े जा रहे थे.उनकी उंगली की रागड़ाई ने मेनका को फिर से झाड़वा दिया.
राजा साहब ने उसे लिटाया & उसकी चूचिया चूमते हुए नीचे उसके पेट पे आ गये,थोड़ी देर तक उनका मुँह उसके पेट & नाभि पे घूमता रहा & फिर वो उसकी जाँघो के बीच आ गये & उसकी टाँगे अपने कंधों पे चढ़ा ली.वो झुक कर उसकी चूत के आस-पास चूमने लगे.मेनका ने अपनी उंगलियो मे उनके बाल पकड़ लिए & बेचैनी से मचलने लगी.चूमते हुए जैसे ही राजा साहब के होंठो ने उसकी चूत को च्छुआ उसकी कम्र हिलने लगी.राजा साहब की जीभ ने उसकी चूत को चाटना चालू कर दिया & उनके हाथ उसकी चूचियो & उनके निपल्स से खेलने लगे.मेनका अपने ससुर के सर को अपनी भारी जाँघो मे दबा कर उनका मुँह अपनी चूत पे भींचने लगी.."ऊओ...ऊऊहह...या...ष्ह..!"
राज साहब ने चाट-2 कर उसकी चूत का सारा रस पी लिया.बीच-2 मे वो अपने होठ उसकी चूत से हटा उसकी आंद्रूणई जाँघो को चूमने-चूसने लगते & कही भी अपने होंठो के निशान छ्चोड़ देते.उनके हाथ उसकी बाहरी जाँघो को मज़बूती से थामे दबाते,सहलाते & फिर वापस उसकी मस्त चूचियो पे लग जाते.मेनका अपने ससुर की जीभ की चुदाई से 3 बार झड़ी.अब राजा साहब का लंड फिर से तैय्यर था.
वो उठे & घुटनो के बल अपनी बहू की जाँघो के बीच बैठ गये.उन्होने अपना लंड उसकी चूत की दरार पे 1 बार फिराया तो मेनका ने धीरे से अपनी कमर उचका उसे अपने अंदर लेने की कोशिश की.राजा साहब ने अपना लंड उसकी चूत पे ररड़ना शुरू किया.मेनका बेचैन हो गयी,वो चाह रही थी की राजा साहब अब उसे अपने नीचे दबा कर उसे जम कर चोदे पर वो तो बस लंड उसकी चूत पे रगड़ कर उसे तडपा रहे थे.
Re: मस्त मेनका
"ऊ..ऊओह..प्लीज़...या..श..करो ना..!"
"क्या मेरी जान?",राजा साहब वैसे ही लंड रगड़ रहे थे.उन्होने लंड चूत पे रख हल्का सा धक्का दिया & फिर झट से निकाल लिया तो मेनका जोश मे पागल हो गयी.
"प्लीज़ जा..आन..और मत ताड़..पाओ.अब करो ना!"
"क्या करू?बताओ तो."
"ऊ..ऊफ़..इसे घुसाओ..",अपनी बात से मेनका खुद शर्मा गयी & अपने हाथो से अपना चेहरा ढक लिया.
"इसे क्या कहते हैं,जान?",उन्होने उसके हाथ चेहरे से हटा अपने हाथों मे ले लिए.
"हूमे नही पता..",मेनका के गाल लाज के मारे लाल हो गये थे.
"तो ये अंदर भी नही जाएगा."
"उन्न..उउन्न्ह..प्लीज़."
"पहले इसका नाम बताओ."
"हुमने कहा ना हुमे नही मालूम....एयाया..आअहह..!",राजा साहब ने लंड उसके दाने पे रगड़ दिया था.
"हम बताते हैं..इसे लंड कहते हैं & इसे चूत.अब बोलो कि हम क्या कहा घुसाएँ."
मेनका का तो शर्म से बुरा हाल था.उसने अपनी आँखे बंद कर रखी थी पर वही उसका जिस्म अब ये तड़पन और बर्दाश्त नही कर सकता था.राजा साहब ने उसकी चूत पे लंड रगड़ना तेज़ कर दिया तो वो और बेचैन हो गयी & अपनी कमर उठा लंड को चूत मे घुसाने की नाकाम कोशिश करने लगी.राजा साहब ने उसके पेट पे हाथ रख उसकी कमर को वापस बिस्तर पे लिटा दिया,"..जल्दी बोलो.."
मेनका ने आँखे खोली & हाथ बढ़ा लंड को पकड़ लिया,"प्लीज़ यश..अपना...अपना..लंड हुमारी च..चूत मे घुसाओ.."
कहने की देर थी कि राजा साहब ने अपना लंड 1 ही झटके मे उसकी कसी,गीली चूत मे उतार दिया.,"..ऊऊ...ऊऊव्व्वव...!",मेनका चीख कर अपने ससुर से चिपक गयी & अपनी कमर हिलाते हुए उनके तेज़ धक्कों का जवाब देने लगी..."..हा..अन्णन्न्...या...श ऐसे...ही...करो....हूमे आप...एयाया....आआआआअहह...अपने से...अलग मा...त कर..ना...ऊऊ....ओओओएएएएएएएएए...!"
राजा साहब ने पहली बार अपनी बहू को चुदाई के दौरान ऐसे बोलते सुना था & उनका जोश तो दुगुना हो गया था.वो जम कर धक्के मार उसे चोद रहे थे,"..नही..मेरी जान.तुम सिर्फ़ हुमारी हो...तुम्हे कभी नही छ्चोड़ेंगे...जीवन भर ऐसे ही चोदेन्गे.....!"
कमरे मे अब दोनो की आँहे & मस्त बाते गूँज रही थी.दोनो 1 दूसरे के बदन मे डूबे जा रहे थे कि वो घड़ी आ गयी जब अपने उपर कोई ज़ोर नही रहता.मेनका की कमर ज़ोर से हिलने लगी & वो अपने ससुर से चिपक इनकी पीठ मे नाख़ून & कंधों मे दाँत गाड़ते हुए झाड़ गयी.वही राजा साहब के लंड ने जैसे ही उसकी चूत का पानी चखा,उसने भी 2-3 ज़ोरदार झटके मारे & अपने पानी से चूत को भर दिया.
राजा साहब ने करवट ले अपनी बहू को बहो मे भर लिया & उसके मखमली बदन को प्यार से सहलाने लगे.थोड़ी देर की खामोशी के बाद मेनका ने उनके सीने मे प्यार से मुक्के मारे,"कितनी गंदी बातें बुलवाई हमसे!"
"तुमने भी तो तडपा कर गंदी हरकत की थी.पर सच कहना मज़ा आया की नही."
जवाब मे मेनका ने शर्मा कर उनके सीने मे मुँह च्छूपा लिया.राजा साहब नेभी हंसते हुए उसे अपने आगोश मे भर लिया.
क्रमशः.................................
"क्या मेरी जान?",राजा साहब वैसे ही लंड रगड़ रहे थे.उन्होने लंड चूत पे रख हल्का सा धक्का दिया & फिर झट से निकाल लिया तो मेनका जोश मे पागल हो गयी.
"प्लीज़ जा..आन..और मत ताड़..पाओ.अब करो ना!"
"क्या करू?बताओ तो."
"ऊ..ऊफ़..इसे घुसाओ..",अपनी बात से मेनका खुद शर्मा गयी & अपने हाथो से अपना चेहरा ढक लिया.
"इसे क्या कहते हैं,जान?",उन्होने उसके हाथ चेहरे से हटा अपने हाथों मे ले लिए.
"हूमे नही पता..",मेनका के गाल लाज के मारे लाल हो गये थे.
"तो ये अंदर भी नही जाएगा."
"उन्न..उउन्न्ह..प्लीज़."
"पहले इसका नाम बताओ."
"हुमने कहा ना हुमे नही मालूम....एयाया..आअहह..!",राजा साहब ने लंड उसके दाने पे रगड़ दिया था.
"हम बताते हैं..इसे लंड कहते हैं & इसे चूत.अब बोलो कि हम क्या कहा घुसाएँ."
मेनका का तो शर्म से बुरा हाल था.उसने अपनी आँखे बंद कर रखी थी पर वही उसका जिस्म अब ये तड़पन और बर्दाश्त नही कर सकता था.राजा साहब ने उसकी चूत पे लंड रगड़ना तेज़ कर दिया तो वो और बेचैन हो गयी & अपनी कमर उठा लंड को चूत मे घुसाने की नाकाम कोशिश करने लगी.राजा साहब ने उसके पेट पे हाथ रख उसकी कमर को वापस बिस्तर पे लिटा दिया,"..जल्दी बोलो.."
मेनका ने आँखे खोली & हाथ बढ़ा लंड को पकड़ लिया,"प्लीज़ यश..अपना...अपना..लंड हुमारी च..चूत मे घुसाओ.."
कहने की देर थी कि राजा साहब ने अपना लंड 1 ही झटके मे उसकी कसी,गीली चूत मे उतार दिया.,"..ऊऊ...ऊऊव्व्वव...!",मेनका चीख कर अपने ससुर से चिपक गयी & अपनी कमर हिलाते हुए उनके तेज़ धक्कों का जवाब देने लगी..."..हा..अन्णन्न्...या...श ऐसे...ही...करो....हूमे आप...एयाया....आआआआअहह...अपने से...अलग मा...त कर..ना...ऊऊ....ओओओएएएएएएएएए...!"
राजा साहब ने पहली बार अपनी बहू को चुदाई के दौरान ऐसे बोलते सुना था & उनका जोश तो दुगुना हो गया था.वो जम कर धक्के मार उसे चोद रहे थे,"..नही..मेरी जान.तुम सिर्फ़ हुमारी हो...तुम्हे कभी नही छ्चोड़ेंगे...जीवन भर ऐसे ही चोदेन्गे.....!"
कमरे मे अब दोनो की आँहे & मस्त बाते गूँज रही थी.दोनो 1 दूसरे के बदन मे डूबे जा रहे थे कि वो घड़ी आ गयी जब अपने उपर कोई ज़ोर नही रहता.मेनका की कमर ज़ोर से हिलने लगी & वो अपने ससुर से चिपक इनकी पीठ मे नाख़ून & कंधों मे दाँत गाड़ते हुए झाड़ गयी.वही राजा साहब के लंड ने जैसे ही उसकी चूत का पानी चखा,उसने भी 2-3 ज़ोरदार झटके मारे & अपने पानी से चूत को भर दिया.
राजा साहब ने करवट ले अपनी बहू को बहो मे भर लिया & उसके मखमली बदन को प्यार से सहलाने लगे.थोड़ी देर की खामोशी के बाद मेनका ने उनके सीने मे प्यार से मुक्के मारे,"कितनी गंदी बातें बुलवाई हमसे!"
"तुमने भी तो तडपा कर गंदी हरकत की थी.पर सच कहना मज़ा आया की नही."
जवाब मे मेनका ने शर्मा कर उनके सीने मे मुँह च्छूपा लिया.राजा साहब नेभी हंसते हुए उसे अपने आगोश मे भर लिया.
क्रमशः.................................