गन्ने की मिठास compleet

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007
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Re: गन्ने की मिठास

Unread post by 007 » 14 Oct 2014 17:32

bro new stories dalo ye to padhi hui hai

rajaarkey
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Re: गन्ने की मिठास

Unread post by rajaarkey » 15 Oct 2014 07:02

dost pahle apna stock to post kar lun

rajaarkey
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Re: गन्ने की मिठास

Unread post by rajaarkey » 15 Oct 2014 07:04

गन्ने की मिठास--23

गतान्क से आगे......................

रुक्मणी मेरी बात सुन कर घूम कर मेरे सीने से बिल्कुल अपनी पीठ सटा कर बैठ गई उसकी मोटी गंद से मेरा लंड भिड़ गया और मैने उसके आगे हाथ ले जाकर उसके दूध को खूब कस-कस कर दबाना शुरू कर दिया,

राज- रुक्मणी

रुक्मणी- आह जी बाबा जी

राज- तुमने लगता है पराए मर्दो से अपने बदन को खूब दब्वाया है

रुक्मणी- क्या करू बाबा जी इसमे मेरी ग़लती नही है मेरा आदमी हरिया बहुत चुड़क्कड़ है जिसके भी औरत को उसका मन चोदने का होता है वह मुझे आगे करके उसे चोद लेता है,

राज- मतलब बेटी

रुक्मणी- अपनी जाँघो को फैला कर मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी चूत मे रख लेती है और कहती है बाबा जी ज़रा यहाँ तेल लगाओ फिर मैं आपको मेरी बात का मतलब बताती हू

मैने रुक्मणी की चूत की फांको को दोनो हाथो से अच्छे से फैला लिया और उसकी चूत को खूब सहलाने लगा,

रुक्मणी- बाबा जी एक बार मेरा बड़ा भाई अपनी बीबी के साथ हमारे यहाँ आया, उसकी बीबी बहुत मस्त माल थी कोई भी मर्द उसकी मोटी गंद और दूध देख ले तो उसका लंड खड़ा हो जाए, हरिया की तो लार टपकने लगी थी हरिया मुझसे कहने लगा एक बार तेरी भाभी की दिलवा दे बहुत मस्त माल है,

मैने कहा मैं कैसे दिलवा दू तब हरिया मुझसे कहने लगा अपने भैया का लंड अपनी चूत मे लेगी बड़ा मोटा लंड है उसका मेरे लंड से डबल है तुझे रात भर नंगी करके चोदेगा सच तू मस्त हो जाएगी,

हरिया बहुत चालाक है वह औरत की कमज़ोरी जानता था इसलिए ऐसी बाते वह मेरी चूत का दाना सहलाते हुए कह रहा था, मैने कहा मैं नही जानती जो तुम्हारा मन कहे वह करो,

राज- फिर क्या हुआ बेटी

रुक्मणी- फिर क्या था बाबा जी हरिया ने मेरे भैया को बाहर खाट पर बैठा कर चिलम पिलाना शुरू कर दिया, मैं और मेरी भाभी वही घर के अंदर थी मेरा दिल किया कि जाकर सुनू तो सही दोनो क्या बात कर रहे है और फिर मैं चुपके से भाभी से काम का बहाना करके दीवार के पिछे छुप कर उनकी बाते सुनने लगी,

हरिया ने भैया को चिलम पिला कर नशे मे धुत्त कर दिया था,

भैया- और बताओ जमाई बाबू कैसा चल रहा है सब,

हरिया- अरे क्या बताऊ साले साहब जब से शादी हुई है तुम्हारी बहन बहुत परेशान करती है, सच साले साहेब बहुत चुदासी है तुम्हारी बहन खूब मोटा लंड चाहिए उसे अपनी चूत मे, उसकी गंद देखी है कैसे चुदवा चुदवा के मोटी हो गई है,

भैया- अरे वह तो हर औरत चुदवाती है पर इसमे नया क्या है,

हरिया- अरे तुम नही जानते उसे रोज लंड चाहिए और कभी कभी तो चुदते समय तुम्हारे लंड की बाते करने लगती है,

भैया- क्या कहती है मेरे बारे मे

हरिया- कहती है भैया का लंड बहुत मोटा है एक बार तुम्हे उसने मुतते हुए देखा था तब से तुम्हारे लंड को लेने के लिए बहुत तड़पति है, हरिया की बाते सुन कर भैया का लंड खड़ा हो गया था और वह मसल्ने लगे थे,

हरिया- मुस्कुराते हुए क्या हुआ अपनी बहन को चोदने का मन कर रहा है ना

भैया- अब तुम ऐसी बाते करोगे तो लंड तो खड़ा होगा ना

हरिया- आज चोदोगे अपनी बहन को

भैया- पर रुक्मणी क्या मान जाएगी

हरिया- पहले कहो तो चोदोगे क्या

भैया- हाँ चोदने का मन तो बहुत हो रहा है, भैया की बात सुन कर मेरी चूत से पानी आ गया तभी हरिया ने मुझे आवाज़ दी और मैं एक दम से संभाल कर उसके पास पहुच गई,

हरिया ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी गोद मे बैठा लिया और मेरे मोटे-मोटे दूध मेरे भैया के सामने मसल्ने लगा,

रुक्मणी- अरे छ्चोड़ो यह क्या कर रहे हो भैया बैठे है तुम्हे शरम नही आती

हरिया- अरे मेरी रानी तेरा भैया भी तो तेरे मोटे-मोटे दूध मसलना चाहता है आ अच्छे से खाट पर चढ़ कर बैठ जा, फिर हरिया ने मुझे खाट पर बैठा कर मेरी साडी उपर कर दी और भैया को जैसे ही मेरी मोटी जंघे नज़र आई उनसे नही रहा गया और उन्होने भी मेरी जाँघो को अपने हाथो मे भर कर दबोच लिया, भाभी तो पहले से ही चुड़क्कड़ थी उसने भैया के कहने पर हरिया से अपनी चूत मरवाई और भैया ने उस रात मुझे पूरी नंगी करके खूब कस कस कर चोदा,

रुक्मणी की बाते सुन कर मेरा लंड उसकी गंद से सटने लगा और अचानक रुक्मणी ने अपना हाथ पिछे लाकर मेरे लोहे जैसे तने लंड को अपने हाथो मे भर कर दबोच लिया,

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