नौकरी हो तो ऐसी

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The Romantic
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Re: नौकरी हो तो ऐसी

Unread post by The Romantic » 24 Dec 2014 13:05



वकील बाबू- “हमे बहुत पसंद है लस्सी ज़रा हमे भी पिला दो बड़ी भाभिजी… वैसे कैसे बनी है लस्सी गाढ़ी है या पतली है…”

रूपवती – “लस्सी के आप तो खूब दीवाने है ये कौन नही जानता… वैसे आपकी लस्सी से ज़्यादा गाढ़ी लस्सी कोई नही बना सकता ”


वकील बाबू- “हम कहाँ भाभिजी…..यहा हम से भी बड़े बड़े दीवाने है जो लस्सी के प्यासे रहे है….”

अब सब हसने लगे मुझे कुछ समझ रहा था कुछ नही….

इस बातचीत के कारण मैं अभी कई लोगोको जानने लगा था …ताइजी जो सेठ जी की एकलौती बेटी थी वो कोई अप्सरा से कम नही थी… उसकी एक एक चुचि 2-2 किलो के तरबूज के बराबर थी और उनका वो पारदर्शक सारी मेसे दिखने वाला सुंदर पेट …. मेरा लॉडा खाना खाते हुए ही बड़ा हो रहा था… ताइजी का ख़ासकर मेरी तरफ ज़्यादा ध्यान था और ये बात छोटी बहू ने भाँप ली थी… मैं जब भी उपर देखता वो मुझे हल्केसे आँख मारती और मैं नीचे देखने लगता…



तभी मैने देखा वकील बाबू की मझली लड़की रसोईघर के अंदर आ गयी… वो नलिनी थी, वही नलिनी जिसे खुद के बापने वकिलबाबू ने चलती गाड़ी मे राव साब ने चोदा था और बाद मे पंडितजी ने… उसका वो गदराया बदन और चुतताड एक लय मे हिल रहे थे पर मैने देखा कि उसे चलने मे थोड़ी तकलीफ़ हो रही थी वो धीरे धीरे पाव उठा कर चल रही थी… ये सब कल की चुदाई का परिणाम था… बेचारी को कल 3 भारी भरकम काले घोड़ो की भूख शांत करनी पड़ी थी…. नलिनी धीरसे नीचे बैठ गयी नीचे बैठते समय उसके मुँह पे पीड़ा जनक भाव दिख रहे थे….

क्रमशः...................

The Romantic
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Re: नौकरी हो तो ऐसी

Unread post by The Romantic » 24 Dec 2014 13:06

नौकरी हो तो ऐसी--15

गतान्क से आगे…………………………………….


हम लोगो का भोजन होने के बाद घर की सभी महिलाओ ने भोजन कर लिया और सब लोग अपने अपने कमरो की तरफ चल पड़े……



मैं अपने कमरे के तरफ जानेवाला था कि मुझे कॉंट्रॅक्टर बाबू की छोटी लड़की मालंबंती ने पूछा “आप कौन है” मैं उसके सामने गया और बोला “मैं इस घर मे काम करता हू..”


मालंबंती की चुचिया छोटे छोटे सेब की तरह थी और उस टांग कमीज़ के अंदर से बाहर आने के लिए तरस रही थी..उसने कमीज़ के अंदर कोई अन्तवस्त्र नही पहना होने के कारण उसके छोटे छोटे अंगूर के जैसे चूचुक(निपल्स) का आकार मेरे लंड को फिरसे खड़ा कर रहा था
मालंबंती ने पूछा “कैसा काम…”

मैं – “जो भी तुम कहो वो काम”

मालंबंती – आप सब काम करते हो क्या आपको कहानी सुनाना आता है”

मैं अर्श्चर्य मे पड़ गया इस उमर मे भला ये कहानी सुनने की बात क्यू कर रही है तभी वहाँ पे नलिनी और नसरीन (वकील बाबू की सबसे छोटी लड़की) चहल पहल करते हुए आ गयी. नसरीन एक दम मालंबंती के जैसी दिखती थी.. उसने भी तंग कमीज़ पहनी थी.. उस वजह से उसके चूचुक(निपल्स) भी नमस्ते कह रहे थे और हमारे लंड महाराज भड़क रहे थे… मेरी पॅंट को अगर कोई ठीक से देखता तो जान जाता कि मैं किस हाल से गुजर रहा था….

नसरीन बोली “अरे वाह आप हमे कहानी सूनाओगे.. आपको आती है कहानी..”

मैं उसकी पीठ थपथपाते हुए बोला- “हां आती है और मैं तुम्हे सबको कहानी सुनाउन्गा”… ज़रूर सुनाउन्गा और मैने उसके गाल पे हाथ पे रख के ईक चिमती काट ली…

नलिनी बोली- “चलो ना हमारे कमरे मे हमे कहानी सूनाओ ना…”

उतने मे उधर ताइजी अपनी सारी के पेड्र को ठीक करते हुए और अपने सुंदर पेट पर धकते हुए आई और बोली “लड़कियो तुम सब सो जाओ कल तुम्हे सुनाएँगे ये कहानी…”

सब लड़किया एक सूरमे बोली “नही अभी सुननी है कहानी ..”


ताइजी बोली “नही आज नही कल…सोने जाओ तुम लोग अभी ”

लड़किया ना चाहते हुए भी अपने अपने कमरे मे चली गयी… मैं उनके मस्त मस्त चूतड़ देखते रह गया… ये मेरे खड़े लंड पे वार था…



ताइजी मुझे देखकर बोली “तुम किधर सोवोगे”

मैं – वही जहाँ मैं दोपेहर मे सोया था

ताइजी – अरे नही वहाँ तुम नही सो सकते… उस कमरे मे मैने आज समान रखवाया है

मैं – तो फिर........कहाँ........

ताइजी – तो एक काम करो मेरे कमरे मे दो पलंग है.. तुम एक पे सो जाना
मेरे लंड ने ये सुनके फिरसे लार टपकानी शुरू करदी, फिर भी मैं बोला

मैं – पर….

ताइजी – अरे शरमाओ नही… आ जाओ

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Re: नौकरी हो तो ऐसी

Unread post by The Romantic » 24 Dec 2014 13:06


अब आदेश तो आदेश…वैसे भी अकेले सोने से अच्छा किसिके साथ सोना चाहिए चुदाई के ज़्यादा आसार रहते है... मैं ताइजी के पीछे उनके मुलायम सारी के अंदर के चूतादो का नाप लेते लेते उनके साथ पहला माला चढ़ने लगा, जैसे ही वो पैर उपर रखती चूतड़ मस्त सुर ताल ले मे हिलता और मज़ा आ जाता….

मैं – आपका कमरा कौन्से माले पे है

ताइजी – तीसरे माले पे


मैं – इतना उपर क्यू

ताइजी – मुझे पसंद है…. उपर शान्ती होती है और उपर से सब गाव भी दिखता है ठंडी हवा आती है इसलिए

हम एक बड़े कमरे मे पहुच गये…कमरे मे दो दीवान-पलंग, एक बड़ी मेज, 2-3 कुर्सियाँ, सजने सवरने के लिए एक बड़ा आयना बहुत कुछ था…. ताइजी ने दूसरे पलंग पर पड़ा हुआ बिस्तर थोड़ा ठीक ठाक किया मैं वही खड़ा उनके दूध को और चूचुक(निपल) की मस्ती को देख रहा था… वो चादर डाल रही थी… इससे उनकी चोलिसे उनके मुलायम दूध बाहर आनेकी नाकाम कोशिश कर रहे थे… वो पीछे पीछे आ रही थी… अचानक उनकी बड़ी गांद मेरे जाँघोसे टकरा गयी…


ताइजी – अरे मैने देखा ही नही… माफ़ करदेना

मैं – अरे माफी क्यू.. आप हम से बड़े हो ऐसा मत बोलिए

ताइजी – (हस के)ठीक है… (और बिस्तर ठीक करने लगी)

वाह क्या चेहरा था क्या रुतबा था उस अदा मे, क्या कम्सीन अदा थी … सेठानी की पूरी जवानी और गरमी ताइजी मे उतरी थी… जब वो रास्ते से चलती होगी तो सबके लंड लार ज़रूर टपकाते होंगे…


ताइजी – ये हो गया तुम्हारा बिस्तर तैय्यार अभी तुम सो सकते हो आराम से..( उन्होने हॅस्कर कहा)

मैने हां भरी और पलंग पर गिर गया…

ताइजी बोली – थोड़ी ही देर मे रमिता, रजिता के पिताजी भी आ जाएँगे

मैं – रमिता, रजिता????

ताइजी – ये मेरी दो प्यारी और नटखट बेटियाँ है…जल्द ही मिलवाउंगी मैं तुम्हे उनसे… मैं नीचे जाके आती हू तुम सोजाओ और कुछ लगे तो चंपा को आवाज़ देना
ताइजी नीचे चली गयी… मेरा मान आज सेठानी और छोटी बहुको बहुत याद कर रहा था और याद कर रहा था वो हर एक पल जो मैने उनकी चुदाई करते हुए ट्रेन मे बिताए थे… पर यहा मुझे जागरूक रहना था.. सब परिस्तिथि का अंदाज़ा लेने के बाद ही मैं अपना असली रंग दिखानेवाला था क्यू कि किसिको पता नही चलना चाहिए था कि मैं क्या चीज़ हू नहितो मेरी पूरी आमदनी, नौकरी और पता नही क्या क्या जाना संभव था…

मैने आँख बंद की पर लंड महाराजा चादर को अपनी करतूतो से उपर उठा रहे थे… मैने उपर हाथ रखा पर इससे वहाँ पहाड़ बन गया… मैं एक बाजू पे सोने की कोशिश करने लगा पर वैसे मुझे जल्दी नींद नही आती थी….


लगभग आधा पौना घंटे के बाद कमरे मे किसीकि आहट हुई… दरवाजा बंद हुआ मैं जाग रहा पर आँखे बंद थी… मैने हल्केसे आँखे मिचमिची करके देखा कोई आदमी था… वो मेरे दीवान के पास खड़ा रहा.. काफ़ी अंधेरा था… वो 2-3 मिनट खड़ा रहा और फिर दरवाजा बंद करके मेरे पलंग पे बैठ गया.. मेरे मुँह की अपोजिट दिशा मे…


अब हल्केसे उसने मेरी गांद पे हाथ रखा और उसे सहलाने लगा… मैं अंदर हॅकबॅक्का रह गया… मुझे इस तरह कभी किसी पुरुष ने स्पर्श नही किया था… पहले तो मुझे बहुत गुस्सा आया पर थोड़ा अच्छा भी लगने लगा… वो गांद को सहलाते सहलाते मेरी जाँघो तक पहुच गया और उन्हे सहलाने लगा.. मेरे मन मे एक गुदगुदी होने लगी… मुझे पता नही पर मज़ा आ रहा था….

तभी उसने मेरा एक हाथ पकड़ा मैने भी पता नही क्यू… बेझिझक अपना हाथ ढीला छोड़ दिया.. और अपनी चड्डी मे घुसा दिया और मेरे हाथो को अचानक से कुछ गरम लगा.. वो उसका लंड था.. वो मेरा हाथ उसके लंड पे रखके उपर से अपना हाथ रख के हिलाने लगा… उसका लंड बड़ा ही छोटा लग रहा था पर गरम बहुत था… मेरा लंड पूरा तन गया था पर इसका बिल्कुल ही छोटा सा क्यू था… उसका लंड गरम तो लग रहा था पर अभी भी सोया हुआ था और बहुत ही छोटा, बस करीब 2 इंच तक का लग रहा था…

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