छोटी सी भूल compleet

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raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 21:39

मैने उस लेडी को देखा तो पाया कि वो आँखे बंद किए चुपचाप खड़ी थी. मुझे नही पता कि वो सब कुछ एंजाय कर रही थी या नही. ये बात उसके अलावा कोई नही बता सकता था.

तभी अचानक मुझे अपने नितंबो पर फिर से कुछ अहसास हुवा.

मैने पीछे मूड कर देखा तो पाया कि उस मोटे आदमी ने अपना हाथ मेरे नितंबो पर रख रखा था.

मैने उसका हाथ दूर झटक दिया और वो मेरी और देख कर मुस्कुरा दिया.

उस मोटे आदमी की हिम्मत बढ़ती जा रही थी.

मैं सोच रही थी कि क्या करू अब.

मुझे ख्याल आया कि मुझे बस से उतार जाना चाहिए.

अचानक वो साइकल वाला मुड़ा और उसने उस लेडी का हाथ पकड़ा और अपने लिंग पर रख दिया.

मैं हैरान रह गयी कि उस लेडी ने चुपचाप उशके लिंग को हाथ में थाम लिया. मुझे समझ नही आ रहा था कि आख़िर उसकी मजबूरी क्या है, ये सब करने की.

फिर मुझे ख्याल आया कि शायद वो बहक गयी है. जैसे मैं बहक गयी थी बिल्लू के साथ.

वो मुझ से बोला, मेरी जान चुपचाप क्या देख रही है तू भी पकड़ ले.

मैने अपनी नज़रे झुका ली.

मैं बस हैरानी से सब देख रही थी मुझे वाहा कुछ अछा नही लग रहा था.

अचानक बस रुक गयी, वो लेडी झट से आगे बढ़ गयी और बस से उतर गयी. साइकल वाले ने झट से अपना लिंग अंदर कर लिया. सब कुछ एक मज़ाक सा लग रहा था.

बस तुरंत चल पड़ी.

मैने अपने पीछे खड़े एक दूसरे आदमी से पूछा, एमजी रोड कब आएगा. वो बोला, जी वो तो अभी देर में आएगा. ये बस बहुत घूम कर वाहा जाएगी, आपको कोई दूसरी बस लेनी चाहिए थी.

मैं वाहा से हटना चाहती थी पर समझ नही आ रहा था कि कहा जा-ऊँ. कोई शीट भी खाली नही हो पाई थी.

मैं इशी कसंकस में थी कि वो साइकल वाला मेरे पीछे आ गया और मुझ से सॅट कर खड़ा हो गया.

वो मोटा आदमी मेरे दाई ओर आ गया.

मुझे अहसास हो गया कि अब वाहा रुकना ठीक नही है.

साइकल वाले ने मेरे कान में कहा, जैसे उसने मज़ा लिया, तू भी ले, ले.

मैं सोच रही थी कि अब क्या करू. मेरे आगे पीछे हर तरफ आदमी थे. मैं ना पीछे जा सकती थी ना आगे.

फिर भी मैने एक कोशिस की. मैं थोड़ा आगे बढ़ गयी.

पर सब बेकार रहा वो साइकल वाला भी बिल्कुल मेरे कदमो से कदम मिलाता हुवा मेरे साथ साथ आ गया और मेरे पीछे सॅट कर खड़ा हो गया.

वो मेरे कान में बोला, कब तक तड़पावगी मेरी जान. थोड़ा रुक जाओ, यहा शरम आती है तो मेरे घर चलते है, कसम से तेरी जवानी की पूरी तस्सल्ली कर दूँगा.

मैने गुस्से में कहा तुम्हे कोई ग़लत फ़हमी हुई है, मैं कोई ऐसी वैसी लड़की नही हू.

वो बोला, तू जैसी भी है मस्त है, मेरे साथ चल तुझे खुस कर दूँगा, अगर पैसे की बात है तो वो बता, मैं 1000 देने को तैयार हू.

मेरे दिल पर ये सब सुन कर क्या बीत रही थी मैं ही जानती हू.

बिल्लू के कारण और मेरी खुद की भूल के कारण मुझे ये सब सुनना पड़ रहा था.

चारो और लोग पहले की तरह तमाशा देख रहे थे.

बल्कि अब तो सभी लोगो की आँखो में हवश उतर आई थी

उसने मेरा हाथ ज़ोर से पकड़ा और बोला, अब तेरी बारी है ये लंड पकड़ने की, और झट से मेरा हाथ अपने लिंग पर रख दिया.

मेरे शरीर में बीजली की ल़हेर दौड़ गयी.

मैने बड़ी मुस्किल से वाहा से हाथ हटाया.

raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 21:40

मैं भीड़ को जैसे तैसे हटा कर गेट के पास पहुँच गयी और ड्राइवर से बस रोकने को कहा.

ड्राइवर ने बस रोक दी और मैं फॉरन बस से उतर गयी.

पर जैसा की पहले हुवा था, अचानक वो साइकल वाला बस से कूद गया.

मैने चारो और नज़र दौड़ाई तो पाया की मैं बिल्कुल सुनसान सड़क पर उतर गयी हू. आस पास कुछ नही दीख रहा था.

तभी मैने अपने पीछे देखा तो पाया की मेरे पीछे एक गार्डेन है. गार्डेन में कुछ लोग भी नज़र आ रहे थे.

मैं झट से गार्डेन में घुस गयी.

वो मेरे पीछे पीछे आ गया.

मैं बहुत घबरा रही थी. गार्डेन में लोग तो थे पर बहुत कम थे.

मैं जल्दी से गार्डेन के दूसरे गेट पर पहुँच गयी.

दूसरी तरफ अछा ख़ासा ट्रॅफिक चल रहा था.

एक ऑटो खाली खड़ा हुवा दीखाई दिया. मैने उसे मेरे घर चलने को कहा, और उस में बैठ गयी.

मुझ में अब एमजी रोड जाने की हिम्मत नही थी.

घर पहुँच कर मैने चैन की साँस ली, और मैने फ़ैसला किया कि आज के बाद बस में कभी नही चढ़ूंगी.

शाम को संजय ने पूछा कि क्या बना वाहा.

मैने कहा कुछ ऩही मैं ग़लत बस में चढ़ गयी थी. उसने मुझे बिल्कुल ऑपोसिट डाइरेक्षन में उतार दिया.

संजय ने पूछा फिर तुम घर कैसे आई.

मैने कहा, मैने एक ऑटो कर लिया था.

मैं संजय को कोई भी बात बता कर परेशान नही करना चाहती थी, आख़िर सब कुछ मेरी अपनी भूल के कारण ही तो हुवा था.

मैने संजय को कहा मेरा मन इतनी दूर जॉब करने का नही है, मैं बस में नही जाना चाहती.

संजय ने कहा ठीक है, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.

संजय बेडरूम में चले गये और में किचन में आकर काम करने लगी.

अचानक फोन की घंटी बजी. मैने दौड़ कर फोन उठा लिया, मुझे डर था की कही संजय ना उठा ले.

ये बिल्लू का फोन था.

वो बोला, आज कहा थी दिन भर तूने मेरा फोन नही उठाया ?

मैने कहा, तुम्हे किसने यहा फोन करने को कहा है ?

वो बोला, देख अब ज़्यादा नखरे मत कर, और मेरी बात ध्यान से सुन. मैं तुझे कल सुबह लेने आउन्गा, 11 बजे तक तैयार रहना.

मैने कहा, तुम भाड़ में जाओ और ये कह कर फोन पटक दिया.

अभी में बस के गम से उभरी भी नही थी की अब ये नयी मुसीबत आन पड़ी

raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 21:40

मैने बेडरूम में झाँका तो पाया कि संजय बाथरूम में नहा रहे है.

मैने फ़ैसला किया कि मैं अब संजय को सब कुछ बता दूँगी.

मैने एक पेपर लिया और जल्दी जल्दी अब तक की सारी बात उसमे लिख दी और पेपर को संजय के तकिये के नीचे रख दिया, और चुपचाप अपने तकिये पर लेट गयी.

मेरा दिल धक धक कर रहा था, कि संजय सब पढ़ कर क्या कहेंगे.

पर वो बाथरूम से निकल कर बेडरूम में आए ही थे कि मैने फॉरन वो पेपर उठा कर फाड़ दिया और उसे डस्टबिन में डाल दिया.

संजय ने पूछा, वो क्या था ?

मैने कहा, क…क..कुछ नही यू ही बेकार का पेपर था, किचन के सामान की लिस्ट लिखी थी उस पर.

संजय ने मेरे पास आ कर मुझे बाहो में भर लिया और मुझे बेड पर लिटा दिया.

मैने कहा छोड़ो, चिंटू अभी जाग रहा है.

चिंटू बाहर टीवी देख रहा था.

संजय ने कमरा बंद कर लिया और वापस आ कर मेरा नाडा खोलने लगे.

मैं चुपचाप लेटी रही.

उन्होने नाडा खोल कर मेरी पॅंटी नीचे सरका दी और मेरी योनि को हाथ से मसालने लगे.

मैं मदहोश होने लगी.

मेरे मूह से अचानक निकल गया इसे चूम लो ना.

संजय ने हैरान हो कर पूछा, क्या कहा.

मुझे होश आया कि मैं क्या बोल गयी थी.

मैने कहा, कुछ नही.

मैं समझ नही पा रही थी की मैने ऐसा क्यो कहा,

मैं वाहा पड़े, पड़े खुद को कोसने लगी.

मुझे ये भी पता नही चला कि कब संजय ने मेरे अंदर लिंग डाल दिया.

जब मुझे होश आया तो संजय ज़ोर ज़ोर से कर रहे थे.

मैं उनके नीचे पड़ी पड़ी मदहोश होती चली गयी.

मुझे अचानक ये ख्याल आया कि कास उनका लिंग और ज़्यादा गहराई तक पहुँच पाता.

और फिर से मुझे खुद, अपने आप पर शर्मिंदा होना पड़ा, आख़िर मैं ऐसी बात कैसे सोच सकती थी.

मैं फिर सब कुछ भुला कर संजय की बाहो में खो गयी और उस पल का आनंद लेने लगी.

पर मुझे रह रह कर ये ख्याल सता रहा था कि मैं कल बिल्लू से कैसे निपतुँगी.

क्रमशः ...................................


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