जुली को मिल गई मूली compleet

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raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 14 Oct 2014 07:32

चाचा ने मेरा चुंबन लिया और मुझे ऐसे लगा जैसे एक बार फिर उनके मन से कोई बड़ा बोझ उतर गया. मैने भी चुंबन मे पूरा पूरा साथ दिया.

जहाँ तक मुझे याद है, मेरी जिंदगी मे ये पहला मौका था जब मैं पूरी नंगी होने के बावजूद, चाचा की बाहों मे होने के बावजूद भी सेक्सी फील नही कर रही थी. मैं चुदाई से ज़्यादा प्यार अनुभव कर रही थी.

मैने चाचा की नाइट ड्रेस उतारी और हम दोनो नंगे बिस्तर पर थे. उस समय मुझे बहुत ही आश्चर्य हुआ जब मैने देखा कि चाचा का लंड भी खड़ा नही है, नरम है. इस का मतलब चाचा भी वो ही अनुभव कर रहे थे जो मैं कर रही थी.

चाचा बोले – जूली ! मेरी बात ध्यान से सुनो. अब तुम क़ानूनी रूप से एक शादीशुदा लड़की हो और कल तुम्हारी शादी सामाजिक तरीके से भी हो जाएगी. हमने अच्छे प्रेमियों की तरह 14/15 साल बिताए और जी भर कर प्यार किया. आज इस मौके पर मैं तुम्हे फिर से याद दिला दूं कि अब हम दोनो के बीच कभी भी चुदाई का रिश्ता नही रहेगा. आज के बाद मैं तुम्हे सिर्फ़ तुम्हारा चाचा होने के नाते प्यार करूँगा, एक प्रेमी होने के नाते नही.

मैं – चाचा ! मैं वोही करूँगी जो आप ने कहा है. मैं भी आज के बाद आप को बेटी जैसा प्यार दूँगी………. पर अपने आप को कभी भी अपने मन मे दोष मत देना कि हमारा चुदाई का रिश्ता था. आप ने, अकेले अपने मन से कुछ नही किया. मैं भी इस मे बराबर की ज़िम्मेदार हूँ और मैं नही मानती कि हमने कुछ भी ग़लत किया है. किसी को, एक दूसरे को खुश रखना कभी भी ग़लत नही हो सकता. अब हम ने इस पर काफ़ी बातें कर ली है. अब बस करो और हमारा पसंदीदा खेल शुरू करो.

मैं बिस्तर मे अपनी पीठ के बल लेटी हुई थी और चाचा मेरी तरफ मूह करके, मेरे पैरों पर अपना एक पैर रख कर लेटे हुए थे. मेरा सिर उनके एक हाथ के उपर था. उन्होने मेरे रसीले होंठ अपने मूह मे ले कर उन को प्यार से धीरे धीरे चूसना शुरू किया. कुछ देर बाद उनका नीचे का होंठ मेरे मूह मे और मेरा उपर का होंठ उनके मूह मे था. हम गहरे चुंबन मे थे और चुदाई की गर्मी लगनी चालू हो गयी थी. मेरी निपल कड़क होने लगी और मेरी चूत अपने ही रस से गीली होने लगी. चाचा का लंड भी बड़ा होने लगा और कड़क हो कर मेरी साइड मे दस्तक देने लगा. पता नही क्यों, इस बार हम जो भी कर रहे थे वो बड़े प्यार से, धीरे धीरे कर रहे थे जबकि पहले ऐसा कभी नही हुआ था. उन्होने मुझे चूमते हुए बड़े प्यार से मेरी चुचियाँ दबाई जब कि मैने उनके तन्तनाते हुए लौडे को पकड़ा. अपना मूह मेरे मूह से हटा कर चाचा अपना मूह मेरी चुचियों पर ले आए. हमेशा की तरह हम को मज़ा आने लगा.

इस समय हमारे दिमाग़ मे वो नही था जो कुछ समय पहले था. मैं हमेशा दुनिया को भुला कर चुद्वाती हूँ और मैं वही कर रही थी. चाचा का लंड मेरी पकड़ मे था और मैं उसको हल्के हल्के हिला रही थी. मेरी चूत से तेज़ी से रस निकल रहा था और मेरी दोनो चुचियाँ गुलाबी हो कर तन गई थी. मैं अपने चाचा, मेरे चोदु, मेरे पहले प्रेमी चोदु से अंतिम बार चुद्वाने के लिए पूरी तरह तय्यार थी.

चाचा मेरी तुरंत चुद्वाने की इच्छा को समझ चुके थे. हम दोनो ने ही वक़्त ना खराब करते हुए तुरंत ही चोद्ना और चुद्वाना चाहते थे क्यों कि हम दोनो बहुत गरम हो चुके थे. और फिर हम को दूसरे दिन मेरी शादी के लिए जल्दी भी उठना था जो कि सुबह 9.30 बजे चर्च मे होने वाली थी.

raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 14 Oct 2014 07:32

उन्होने मेरे चौड़े पैरों के बीच पोज़िशन बनाई और अपने तने हुए गरम लंड को आख़िरी बार मेरी चूत पर लगाया. उन के लंड का सूपड़ा मेरी चूत का दरवाजा ख़त खता रहा था. चाचा का लंड अपनी चूत पर पा कर मेरी आँखें बंद हो चली और उन्होने अपना लंड मेरी रसीली चूत मे, मेरी चुचियाँ पकड़ते हुए अंदर घुसाना शुरू किया क्यों कि मेरी चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी. चाचा का आधा लंड मेरी चूत मे घुस चुका था. उन्होने अपना लंड थोड़ा बाहर निकाला और एक ज़ोर का धक्का मेरी चूत मे अपने लंड का मारा जिस से उनका पूरा का पूरा लंड मेरी रसीली फुददी मे घुस गया. मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ क्यों कि इतना चुद्वाने के बाद भी मेरी चूत अभी तक टाइट थी क्यों कि मैने हमेशा अपनी प्यारी चूत का ध्यान रखा है और उस को ढीली नही होने दिया. चाचा थोड़ी देर रुके और फिर धीरे धीरे अपनी गंद आयेज पीछे करने लगे जिस से उनका लंड मेरी चूत मे अंदर बाहर होने लगा. चाचा का चुड़क्कड़ लंड मेरी चूत मे आते जाते हमेशा की तरह मुझे मज़ा देने लगा. मैं भी अपनी गोल गोल मस्तानी गंद उपर नीचे करके चुदाई मे चाचा का साथ देने लगी. मैं अपने कमरे मे फिर एक बार अपने चोदु चाचा से चुद्वा रही थी पर इस बार की चुदाई चाचा के साथ आख़िरी चुदाई थी.

चूत और लंड की रगड़ से, नंगे बदन टकराने से कमरे मे चुदाई का संगीत गूंजने लगा. चुदाई की रफ़्तार धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी. हमेशा की तरह, जल्दी ही मैं झड़ने की तरफ, अपनी चुदाई की मंज़िल की तरफ बढ़ने लगी. चाचा प्यार से मुझे देखते हुए आख़िरी बार चोद रहे थे.

चाचा की चुदाई की रफ़्तार बढ़ती जा रही थी और मज़ा मुझे झड़ने के करीब पहुँचा रहा था. मैं चाचा के चोद्ने की ताल से ताल, अपनी गंद उपर नीचे करती हुई मिला रही थी. मेरा बदन ऐंठने लगा और इसे महसूस करके चाचा ज़ोर ज़ोर से, जल्दी जल्दी मेरी चूत को चोद्ने लगे. मेरी गंद भी तेज़ी से उपर नीचे- उपर नीचे होने लगी. ओह……… ओह….. आ……… ओह….. कितनी ज़ोर से झड़ी थी मैं. मैने कस कर चाचा को पकड़ लिया. मेरा बदन काँप रहा था. हमेशा की तरह चाचा ने क्या शानदार चुदाई की. पूरा मज़ा और पूरी संतुष्टि. चाचा का गरम और कड़क लॉडा अभी भी मेरी चूत की गहराइयों मे था. मेरी चूत मज़े से मचल रही थी. मुझे पता था कि मेरा तो हो चुका है पर चाचा का लॉडा अभी भी पानी बरसाने को तरस रहा है.

चाचा ने अपना गीला लंड मेरी गीली चूत से निकाला और मेरी बगल मे लेट गये. मैं झाड़ कर अपना मज़ा ले चुकी थी और अब मैं चाचा के लंड का पानी निकाल कर उनको मज़ा देना चाहती थी. मैने अपना सिर चाचा के पेट पर रख कर उनके प्यारे लंड को अपने मूह मे लिया. मेरी चूत से निकले हुए रस का स्वाद मेरे मूह मे आया. वो मेरी नंगी पीठ पर प्यार से हाथ फिरा रहे थे. मैं अपने हाथ से उनके लंड पर मुठिया मारते हुए उनका लंड चूस रही थी.

थोड़ी देर बाद मेरे मूह मे उनके लंड का सूपड़ा फूलने लगा तो मैं समझ गई कि प्यार का पानी उनके लंड से निकलने ही वाला है. मैने उनका लंड और कस कर पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी, ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी. चाचा की गंद उपर हुई और उन्होने अपने लंड का प्रेम रस मेरे मूह मे छ्चोड़ दिया. मैने पूरी कोशिश की सारा पानी पीने की मगर फिर भी थोड़ा पानी उनके पेट पर गिरा जिसको मैने चाट लिया. उनका लंड और पेट मैने चाट कर सॉफ कर दिया.

रात के करीब 12.30 बज चुके थे. चाचा अपनी नाइट ड्रेस पहन कर, मुझे अंतिम बार चोद कर अपने कमरे मे जाने को तय्यार थे. मैं अभी भी नंगी ही थी क्यों कि मैं रात को नंगी ही सोती हूँ. चाचा ने मेरा माथा चूमा और बोले – ” जूली! आज के बाद मैं तुम्हारा माथा ही चुमूंगा और तुम्हे अपनी लड़की की तरह प्यार करूँगा.”

मैं बोली – मैं भी आप को जिंदगी भर याद रखूँगी.

चाचा – गुड नाइट जूली.

मैं – गुड नाइट चाचा.

और चाचा अपने कमरे मे चले गये. मैं बिस्तर पर पड़ी चाचा के साथ बिताए चुदाई के दिनो और रातों को याद करती रही.

तारीख 20 डिसेंबर 2009 – सुबह

हम सब, मैं, मेरे माता पिता, मेरे सास ससुर, नज़दीकी रिश्तेदार और कुछ दोस्त चर्च मे मौजूद थे जहाँ मेरी शादी कॅतोलिक तरीके से होनी थी. मैं शादी के लिए विशेष तौर से तय्यार किए सफेद गाउन पहने हुए थी और मेरे पति हल्के भूरे रंग का सूट पहने बहुत हंडसॅम लग रहे थे. मुझे मेरी पसंद पर फिर एक बार गर्व महसूस हुआ. मैं अपने सास ससुर की शुक्रगुज़ार हूँ जिन्होने कॅतोलिक तरीके से हमारी शादी करवाने की मेरे पिताजी की बात मानी और उस मे पूरा सहयोग दिया.

हम ने वान्हा शादी की अंगूठियाँ बदली और फादर ने हम को पति पत्नी घोषित किया. हम ने अपने बड़ों का आशीर्वाद लिया और घर लौट गये क्यों कि शाम को होने वाली मेरी हिंदू तरीके से शादी की तय्यारी भी करनी थी. मेरे सास ससुर चाहते थे कि हिंदू तरीके से भी हमारी शादी हो.

तारीख – 20 डिसेंबर 2009 – शाम

मैं बुनाई कढ़ाई से भरपूर, अपने ससुराल से आई लाल रंग की सारी पहने हुई थी. सब कह रहे थे कि मैं दुल्हन के लिबास मे बहुत खूबसूरत दिख रही हूँ. मेरे पति क्रीम रंग का सूट पहने हुए बहुत जॅंच रहे थे. मेरा सिर साड़ी के पल्लू से ढका हुआ था और पवित्र अग्नि के सामने पंडितजी मन्त्र पढ़ रहे थे. हम ने फेरे लिए और हमारी शादी संपन्न हुई. इसमे करीब दो घंटे लगे. बड़ों का आशीर्वाद ले कर मैं अपने ससुराल के लिए अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने को विदा हुई.


raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:26

जुली को मिल गई मूली-13



गतान्क से आगे...........................................

तारीख 20 डिसेंबर 2009 – रात – मेरी सुहागरात

मैं अपने पति, अपने सास ससुर और कुछ नज़दीकी रिश्तेदारों के साथ अपनी ससुराल पहुँची. मेरा बहुत आदर और प्यार से स्वागत किया गया. मुझे बहुत से तोहफे मिले. मेरी सासू मा ने मुझे बहुत से सुंदर सुंदर सोने के गहने दिए. मेरे ससुरजी ने कहा कि मैं उनको अपने मा बाप ही समझू और अपना प्यार भरा हाथ मेरे सिर पर रखा. मुझे इतना प्यार मिला कि मैं यहाँ अपने आप को नया महसूस नही कर रही थी.

करीब 11.30 बजे कुछ जवान महिला रिश्तेदारों ने मुझे मेरे कमरे मे मेरी सुहागरात के लिए पहुँचाया. वो सब हंस रही थी और मज़ाक कर रही थी. मैं उनकी बातें सुन कर मुश्करा रही थी.

मेरा बेडरूम काफ़ी बड़ा था. एक बड़ा पलंग था जिस पर फूल बिछे थे, दीवार के साथ दो बड़े सोफा थे, एक बड़ी आलमरी थी, बड़ी ड्रेसिंग टेबल थी और टी टेबल पर बहुत सी मिठाइयाँ और बहुत सी चीज़ें रखी हुई थी. उन्होने मुझे पलंग पर बिठाया और हँसती हुई चली गई. इस बड़े कमरे मे मैं अपनी लाल साड़ी पहने, गहनों से लदी अकेली बैठी अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने के लिए अपने पति का इंतज़ार करने लगी.

मेरा इंतज़ार ख़तम हुआ और मेरे पति कमरे मे आए. हालाँकि हम एक दूसरे के लिए नये नही थे पर ना जाने क्यों मुझे शर्म आ रही थी. मैं अपनी आँखों के किनारों से उन को देख रही थी. उन्होने घूम कर दरवाजा अंदर से बंद किया और मेरे पास आए. मैं रोमांचित थी पर वो एक दम नॉर्मल लग रहे थे. उन्होने मेरा चेहरा पकड़ कर उपर उठाया और बोले – “जूली ! तुम दुल्हन के रूप मे बहुत सुंदर लग रही हो.

मैं शर्मा गई और कुछ नही बोल पाई. ये सच है कि मैने शादी के पहले उन से बहुत बार चुद्वाया है, पर आज की रात की तो बात कुछ और थी. मेरे पास पूरे शब्द नही है अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए. मेरे सामने बैठ कर उन्होने मेरा हाथ अपने हाथ मे लिया और अपने गरम होंठ मेरे होंठों पर रख दिए. मेरे पति के रूप मे ये उनका पहला चुंबन था. हम ने एक गरम और गहरा चुंबन पूरा किया तो वो बोले – ” जूली…….. तुम को देख कर तो ऐसा लगता है जैसे आज हम पहली बार मिल रहें है. तुम तो बिल्कुल नई दुल्हन की तरह शर्मा रही हो. पर मुझे अच्छा लगा.

मैं बोली – पता नही क्यों, जब से मैने अग्नि के सामने तुम्हारा हाथ पकड़ कर फेरे लिए है, जो आदर सम्मान और प्यार मुझे यहाँ मिला है, उस से मैं बहुत खुश हूँ. शायद इस परिवर्तन का यही कारण है.

वो बोले – तुम्हे पता है जूली, मा कह रही थी कि जूली एक खुले विचारों वाली क्रिस्चियन लड़की बिल्कुल नही लग रही है. वो तो एक सिंपल हिंदू लड़की लग रही है.

मैं ये सुन कर बहुत खुश हुई. सच लिखूं तो पहले मैं सोचती थी कि एक क्रिस्चियन लड़की हूँ और एक हिंदू परिवार मे कैसे मिल जुल पाउन्गि. पर मेरे सास ससुर का प्यार देख कर मेरे लिए अब ये बहुत आसान लग रहा था. मुझे विश्वास है कि पढ़ने वाले समझ गये होंगे कि मैं क्या कहना चाहती हूँ.

जब उन्होने मेरे बदन पर अपने हाथ प्यार से घुमाना शुरू किया तो हमेशा की तरह मैं गरम होने लगी. मैं बहुत सारे भारी गाहनेपहने हुए थी और हम दोनो समझ रहे थे कि इन गहनों की मेरे शरीर पर मौजूदगी मे दो सेक्सी जिस्म नही मिल पाएँगे. उन्होने एक एक करके मेरे सभी भारी गहने उतारे और मैने उन्हे साइड टेबल पर रख दिया. छ्होटे गहने अभी भी मेरे बदन पर थे जो कि हमारी चुदाई के बीच बाधा नही बन ने वाले थे. जब उन्होने मेरी साड़ी उतारनी चाही तो मैने लाइट बंद करने का इशारा किया. वो चौंक गये क्यों कि उनको पता है कि मैं पूरी रोशनी मे चुद्वाना पसंद करती हूँ. वो मूह से कुछ नही बोले और लाइट बंद करके नीले रंग का नाइट बल्ब जला दिया. नाइट बल्ब की रोशनी भी काफ़ी थी और हम सब कुछ साफ साफ देख पा रहे थे. उन्होने मेरी साड़ी उतारी, ब्लाउज और पेटिकोट खोला तो मेरी गुलाबी ब्रा और गुलाबी चड्डी नाइट बल्ब की नीली रोशनी मे चमक उठी. अब मेरी बारी थी. मैने उनका सूट और बाकी कपड़े उतारे तो वो मेरे सामने अपनी चड्डी मे थे. जल्दी ही उन्होने मेरी ब्रा और चड्डी भी उतार दी और मैने उनकी चड्डी उतार दी.

अब हम दोनो नंगे, एक दूसरे को बाहों मे लिए, आमने सामने पलंग पर लेट गये. मेरी चुचियाँ और निपल्स उनकी चौड़ी छाती पर दब रही थी और उनका मोटा तगड़ा खड़ा हुआ लंड मेरे पेट पर चुभ रहा था पर मुझे अच्छा लग रहा था. मैने कई बार उनसे चुद्वाया है पर शादी के बाद उनकी पत्नी के रूप मे मेरी पहली चुदाई होने जा रही थी. वो मेरी नंगी पीठ पर हाथ घुमाने लगे जिस से मैं गरम और सेक्सी होने लगी. मेरी चूत ने रस छ्चोड़ना शुरू कर्दिया जिस से मेरी टाँगों के जोड़ गीले हो रहे थे. उनके तने हुए लंड से भी चुदाई के पहले का पानी निकल कर मेरे पेट को गीला कर रहा था. मैं तो जैसे सातवें आसमान की सैर कर रही थी.

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