गहरी चाल पार्ट--12
"क्या मैं यहा बैठ सकता हू?"
"ज़रूर."
वेटर उसे भी 1 जूस का ग्लास दे गया,शायद उसने पहले ही ऑर्डर कर रखा था.दोनो बाते करने लगे.षत्रुजीत सिंग इस तरह बैठा था की कामिनी से बातें करने के साथ-2 वो पूल को भी देख पा रहा था जिसमे अभी 1 गोरी,विदेशी लड़की तेर रही थी.लड़की ने 1 सफेद रंग की 2 पीस बिकिनी पहन रखी थी.
वो पूल से निकली & उसके पास बने शवर के नीचे जा खड़ी हुई.लड़की खूबसूरत थी & उसका फिगर कमाल का था.उसके बदन पे कही भी माँस की 1 भी फालतू परत नही दिख रही थी.कामिनी को उसकी शक्ल जानी-पहचानी लग रही थी.
शवर से निकल के वो लड़की तौलिए से अपने बॉल पोन्छ्ति हुई,मुस्कुराते हुए उनकी तरफ आने लगी.कामिनी साँचे मे ढले उसके बदन की मन ही मन तारीफ किए बिना ना रह सकी.गीले ब्रा मे उसके निपल्स का उभार सॉफ पता चल रहा था & लड़की इस वक़्त बड़ी सेक्सी लग रही थी.
कामिनी ने देखा की शत्रुजीत भी उस लड़की को देख के मुस्कुरा रहा था.वो लड़की आई & शत्रुजीत की कुर्सी के बाए हत्थे पे बैठ गयी & अपनी दाई बाँह उसके कंधे पे रख दी,"हाउ वाज़ दा स्विम?",शत्रुजीत ने अपनी बाई बाँह उसकी कमर मे डाल दी,"ग्रेट!"
"ओह!सॉरी,मैने आप दोनो का परिचय नही कराया....शी'स एलेना,शी'स आ मॉडेल..",उसने लड़की की ओर इशारा किया,"..& शी'स कामिनी शरण,वन ऑफ और बेस्ट लॉयर्स & माइ लीगल आड्वाइज़र.",कामिनी को समझ आ गया कि क्यू उसकी शक्ल उसे जानी हुई लगी थी.उसने उसे अख़बारो & मॅगज़ीन्स मे छपे फॅशन शोस की तस्वीरो मे देखा था.
"हेलो,कामिनी."
"हेलो,एलेना.",कामिनी को उसका बोलने का लहज़ा थोड़ा अजीब लगा,"आइ'वी सीन युवर पिक्चर्स & मस्ट से यू'आर वेरी ब्यूटिफुल."
"..& सो आर यू कामिनी....आइ फ़ीएल सो रेफ़र्रेशेद आफ़तरर दट स्विंम..इट'स सो डिफफ्फ़ेररेंट फ्ररों रशिया...आइ'एम फ्ररों रशिया यू नो..",इसीलिए उसका लहज़ा थोडा अजीब था.थोड़ी देर बाते करने के बाद एलेना ने शत्रुजीत के कान मे कुच्छ कहा तो वो खड़ा हो गया,"अच्छा,अब मैं इजाज़त चाहूँगा,कामिनी."
"ओके,मिस्टर.सिंग.",वो एलेना की तरफ घूमी,"इट वाज़ नाइस मीटिंग यू,एलेना."
"सेम हेररे,कमिनीई.",दोनो 1 दूसरे की कमर मे बाहे डाले पूल से थोडा हट के बने चेंजिंग रूम्स मे चले गये.मर्दो & औरतो के लिए अलग-2 चेंजिंग रूम्स बने थे मगर वो दोनो 1 ही रूम मे घुस गये.
कामिनी का दिल धड़क उठा...दोनो 1 ही कमरे मे गये..क्या ये दोनो वाहा कुच्छ करेंगे?उसने आस-पास देखा,कोई भी उसकी ओर ध्यान नही दे रहा था.वो उठी & चेंजिंग रूम्स की तरफ चली गयी.
चेंजिंग रूम्स लकड़ी के बने हुए थे.1 बड़े से लकड़ी के कॅबिन को ही पारटिशन करके 4 रूम्स बनाए गये थे-2 मर्दो के लिए & 2 औरतो के लिए.दोनो के 1 लॅडीस चेंजिंग रूम मे घुसे थे.कामिनी उसके साथ वाले दूसरे लॅडीस रूम मे चली गयी.8 फ्ट ऊँचे पारटिशन & कॅबिन की छत के बीच कोई 2 फिट का फासला था...अगर कुच्छ चढ़ने को मिल जाता तो वो पारटिशन & छत के बीच के गॅप से उस कमरे मे देख सकती थी.कमरे मे तो उसे कुच्छ नही नज़ारा आया..हां!बाहर पड़ी कुर्सियाँ.
वो बाहर गयी & लोगो की नज़रे बचा के 1 कुर्सी अंदर ले आई.कुर्सी पे चढ़ अंदर का नज़ारा देख उसका हाथ खुद बा खुद उसकी चूत पे चला गया-शत्रुजीत & एलेना पूरे नंगे होके 1 दूसरे से लिपटे किस्सिंग कर रहे थे.एलेना का बस बाया हाथ शत्रुजीत के गले मे था & दाया उन दोनो के जिस्मो के बीच..शायद वो उसका लंड हिला रही थी.
दरअसल शत्रुजीत की पीठ कामिनी की तरफ थी & उसे उसकी पूरी हरकते दिख नही रही थी,फिर उसे बीच-2 मे झुकना भी पड़ रहा था क्यू की एलेना का मुँह उसी की तरफ था & जब वो आँखे खोलती तो उसे डर था की वो उसे देख ना ले.
"ओह्ह्ह....इट'स सो बीगग,शत्र्रु....उऊहह.."...हां,
वो लंड ही मसल रही थी & शत्रुजीत शायद उसकी गंद.शत्रुजीत ने उसे दीवार से सटा दिया & झुक के उसकी चूचियो से खेलने लगा.वो जब एलेना की बाई चुचि चूमने के लिए झुका तो कामिनी को उसकी दाई चुचि नज़र आ गयी.मॉडेल होने की वजह से उसकी चूचिया बहुत बड़ी तो नही थी मगर बिल्कुल गोल & कसी हुई थी & उनपे छ्होटे,हल्के भूरे रंग के निपल्स बिल्कुल सख़्त नज़र आ रहे थे.
"ऊहह....आहह...इय्य्ाआ...",एलेना मस्ती मे आहे भर रही थी,शत्रुजीत का 1 हाथ अब उसकी टाँगो के बीच घूम रहा था.कामिनी ने अब अपना हाथ अपनी स्कर्ट उठा के अपनी पॅंटी मे घुसा दिया था & बस अपनी चूत को रगडे जा रही थी.वो किसी भी तरह शत्रुजीत के लंड की बस 1 झलक पाना चाहती थी पर उसकी पीठ कामिनी की तरफ होने का कारण ऐसा मुमकिन नही हो रहा था.
दीवार से सटी एलेना आहे भरते हुए अपनी कमर आगे-पीछे करने लगी थी.ये देख शत्रुजीत ने अपना हाथ उसकी टांगो के बीच से निकाल लिया.एलेना ने अपनी दाई टाँग उठा दी तो शत्रुजीत थोड़ा झुक कर अपना लंड उसकी चूत मे घुसाने लगा,"..उऊहह..!"
पूरा लंड अंदर घुसने के बाद उसने अपने दोनो हाथो मे उसकी जांघे थाम ली & फिर खड़े-2 धक्के लगाकर एलेना को चोदने लगा.कामिनी पहली बार किसी और की चुदाई देख रही थी & इस कारण वो बहुत मस्त हो गयी थी,उसकी उंगलिया बस उसकी चूत को घिसे जा रहे थी.शत्रुजीत के गले मे बाहे डाले,उस से चिपकी हुई एलेना आँखे बंद किए उस से चुदे जा रही ही.
उसे चोद्ते हुए खड़े शत्रुजीत के फौलादी बदन की पीठ की 1-1 मांसपेशी फदक रही थी,उसकी टांगे खंबो की तरह अटल खड़ी थी & एलेना की जंघे उठाए उसकी मज़बूत बाजुओ की बाइसेप्स बिल्कुल उभर आई थी.
कामिनी की नज़रे उस खूबसूरत मर्दाना जिस्म से चिपकी हुई थी.वो मन मे ये सोच कर उंगली से अपनी चूत मार रही थी की एलेना की जगह वो शत्रुजीत की बाहो का सहारा लिए खड़ी उसका लंड अपने अंदर लिए उस से चुद रही है.
शत्रुजीत की कसी हुई गंद अब बहुत तेज़ी से हिल रही थी & साथ-2 कामिनी की उंगलियो की रफ़्तार भी बढ़ गयी थी.अचानक एलेना के होंठ "ओ" के आकर मे गोल हो गये & शत्रुजीत का बदन भी झटके खाने लगा-दोनो झाड़ रहे थे.ठीक उसी वक़्त शत्रुजीत के ख़यालो मे डूबी कामिनी की चूत ने भी पानी छ्चोड़ दिया.
एलेना ने आँखे खोली तो कामिनी फ़ौरन झुक गयी & कुर्सी सेउतर कर उसपे बैठ गयी.थोड़ी देर बैठ के उसने अपने को संभाला,फिर उठी & उन दोनो के दूसरे कॅबिन से निकलने से पहले वाहा से बाहर चली गयी.
झड़ने के बावजूद कामिनी बेचैन थी...करण को भी आज ही जाना था!उसे एलेना से जलन हो रही थी..उसे यकीन था की दोनो क्लब से कही और जा के इतमीनान से चुदाई करेंगे& वो...वो अकेली बैठी अपनी उंगली से काम चलाएगी!
इन्ही ख़यालो मे गुम वो रिक्रियेशन रूम मे दाखिल हुई & घुसते ही वाहा 1 कोने की कुर्सी पे बैठे उसे चंद्रा साहब दिखाई दिए,"सर.."
"अरे,कामिनी.वॉट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़!तुम यहा कैसे?"
"मैने कुच्छ ही दिन पहले क्लब जाय्न किया है,सर.",वो टांग पे टांग चढ़ा उनके सामने की कुर्सी पे बैठ गयी.
"दट'स ग्रेट!"
"अब आपकी तबीयत कैसी है,सर?"
"बिल्कुल बढ़िया..",चंद्रा साहब ने 1 नज़र उसकी गोरी टाँगो पे डाली,"..तभी तो आज यहा बैठा हू.तुम्हारी आंटी बहुत दीनो से अपने भाई से मिलने जाना चाह रही थी पर मेरी बीमारी की वजह से जा नही पा रही थी.अब तबीयत संभाल गयी तो आज उसे नौकर के साथ 4 दीनो के लिए वाहा भेज दिया & सोचा की आज खाना यहा खाया जाए."चंद्रा साहब की नज़रे 1 पल को उसके स्कर्ट की बगल से झँकते जाँघो के हिस्से पे गयी & फिर उठ के उसके चेहरे को देखने लगी.
उनकी इस हरकत पे कामिनी मन ही मन मुस्कुराइ,"आज मैं भी आपके साथ ही खाऊंगी सर!"
"हां-2 क्यू नही!"
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गहरी चाल compleet
Re: गहरी चाल
खाना ख़त्म करने के बाद दोनो घर जाने के लिए बाहर आए,"सर,कार अचानक खराब हो गयी है.",ये चंद्रा साहब का ड्राइवर था,"..& अब इस वक़्त कोई मेकॅनिक भी नही मिल रहा है."
"सर,मैं आपको छ्चोड़ देती हू.",कामिनी के दिमाग़ मे 1 ख़याल कौंधा,शायद आज रात उसे अकेली नही सोना पड़े.
"तुम्हे खमखा तकलीफ़ होगी."
"तकलीफ़ कैसी,सर.मेरा घर आपके घर से कोई ज़्यादा दूर तो है नही."
"अच्छा..",वो ड्राइवर की ओर घूमे,"..सुनो,तुम अभी अपने घर जाओ,कार यही रहने दो.कल सवेरे बनवा के घर ले आना."
"ठीक है,सर."
दोनो कामिनी की कार मे बैठ के चंद्रा साहब के घर के लिए रवाना हो गये.कार चलते हुए कामिनी ने देखा की बगल की सीट पे बैठे चंद्रा साहब चोर निगाहो से उसकी नंगी टाँगो को देख रहे हैं.उसने उन्हे थोड़ा और तड़पने की गरज से कार के 1 ट्रॅफिक सिग्नल पे रुकते ही उनकी नज़र बचा के अपनी स्कर्ट थोड़ा उपर कर ली.अब घुटनो के उपर उसकी नर्म जाँघो का हिस्सा भी दिख रहा था.चंद्रा साहब तो अब बस उसकी जाँघो को घूर्ने लगे.कामिनी को इस खेल मे बहुत मज़ा आ रहा था & चंद्रा साहब तो उनके घर पहुँचने तक बुरी तरह बेचैन हो गये थे-इसका सबूत था उनका बार-2 अपने लंड पे हाथ फेरना जैसे उसे शांत रहने को कह रहे हो.
"सर,आज तो आप घर मे बिल्कुल अकेले हैं ना?",कामिनी भी उनके साथ कार से उतरी.
"हां."
"तो चलिए,मैं देख लेती हू की आपकी ज़रूरत की सारी चीज़े है ना..फिर अपने घर जाऊंगी."
"तुम बेकार मे परेशान हो रही हो,कामिनी."
"कोई बात नही,सर.",उसने उनके हाथ से चाभी लेके दरवाज़ा खोला & दोनो अंदर आ गये.
"आप जाके कपड़े बदलिए,सर.मैं तब तक किचन & फ्रिड्ज देख लेती हू की उनमे सुबह के नाश्ते के लिए क्या है."
चंद्रा साहब अपने बेडरूम मे गये,तब तक कामिनी ने फटाफट फ्रिड्ज चेक किया-वो पूरा भरा हुआ था.ये वो पहले से जानती थी की आंटी ने सब इंतेज़ाम कर रखा होगा.उसे तो बस उनके साथ घर मे घुसने का बहाना चाहिए था.इसके बाद वो उनके बेडरूम मे घुस गयी,चंद्रा साहब ने शर्ट उतार दी थी & अपनी अलमारी मे कुच्छ ढूंड रहे थे,"क्या ढूँढ रहे हैं,सर?"
"वो..",वो केवल पॅंट मे थे & उनका सफेद बालो से ढँका सीना नंगा था,ऐसी हालत मे उन्हे कामिनी के सामने थोड़ी झिझक हो रही थी पर उसे तो जैसे कोई परवाह ही नही थी,"..कुर्ता-पाजाम ढूंड रहा था,पता नही तुम्हारी आंटी ने कहा रख दिया है."
"लाइए मैं ढूंडती हू.",कामिनी उनके बगल मे खड़ी हो अलमारी मे कपड़े ढूँदने लगी तभी उसे अपनी गंद पे वोही पुराना एहसास हुआ-उसके गुरु उसकी गंद को सहला रहे थे.कामिनी ने पलट के उनकी आँखो मे आँखे डाल दी तो उन्होने सकपका के हाथ खींच लिया & घूम कर बिस्तर के पास खड़े हो गये.
कामिनी उनके पास गयी & उन्हे घुमा कर उनका चेहरा अपनी तरफ किया,"आपने हाथ क्यू खींच लिया,सर?"
चंद्रा साहब ने चेहरा घुमा लिया,"...प्लीज़,सर बोलिए ना."
"आइ'एम सॉरी,कामिनी."
"मगर क्यू?मुझे तो बिल्कुल बुरा नही लगा,सर.",चंद्रा साहब ने हैरत से उसे देखा,"..हां..जब मैं आपके साथ काम करती थी तो भी तो आप मुझे छुते थे,सर..मगर मैने कभी कुच्छ नही कहा..वो शाम जब लाइट चली गयी थी याद है आपको..उस दिन भी मैने कुच्छ नही कहा था...क्यू सर जानते हैं?",चंद्रा साहब बस इनकार मे सर हिला पाए.
"क्यूकी मुझे आपकी हरकत बिल्कुल बुरी नही लगी,सर बल्कि मुझे तो बहुत मज़ा आआया था..मगर आपने शायद शर्मिंदगी महसूस की..कि आप अपनी इतनी कम उम्र की असिस्टेंट के साथ ऐसी हरकत कैसे कर सकते हैं..इसीलिए अपने विकास & मुझे अलग प्रॅक्टीस करने को कहा था.है ना?"
चंद्रा साहब ने हां मे सर हिलाया.
"मगर क्यू,सर?इसमे शर्म की क्या बात है!आप अच्छी तरह जानते हैं की अगर मेरी रज़ामंदी नही होती तो आप मेरा नाख़ून भी नही च्छू सकते थे.तो जब मेरी भी रज़मदी थी फिर आपको शर्मिंदा होने की क्या ज़रूरत थी?"
"मगर..-"
"नही,सर,इसमे कोई बुराई नही है.आप क्यू अपना मन मार रहे हैं?..और इसमे कुच्छ ग़लत नही है..आज ही की बात लीजिए..हुमारा क्लब मे मिलना,आपकी कार का खराब होना...यू घर का खाली होना..क्या सब इत्तेफ़ाक़ है या शायद कुद्रत भी हमे आज मिलाना चाहती है...& कुद्रत के खिलाफ जाने वाले हम कौन होते हैं.",उसने उनका दाया हाथ थामा & अपनी गंद पे रख दिया,"..अब बेझिझक होके च्छुईय मुझे."
चंद्रा साहब उसकी बातो को सुन फिर से गरम हो गये थे.इतनी खूबसूरत,जवान लड़की खुद उन्हे अपने पास बुला रही थी,फिर उन्हे क्या ऐतराज़ हो सकता था.वो दोनो हाथो से उसकी गंद की फांको को स्कर्ट के उपर से सहलाने लगे,"उउन्न्नह..",कामिनी ने उनके कंधे पे हाथ रख दिए & आँखे बंद करके आहे भरने लगी.धीरे-2 चंद्रा साहब के हाथो का दबाव बढ़ने लगा तो कामिनी भी उनके सीने को सहलाते हुए वाहा के सफेद बालो से खेलने लगी.
उसके हाथ उनके सीने से फिसलते हुए नीचे गये & उनकी पॅंट से टकराए तो उसने उसे फ़ौरन उतार दिया,फिर उनकी छाती पे हाथ रख के हल्के से धकेला तो वो बिस्तर पे बैठ गये & अपनी पॅंट को अपने पैरो से निकाल दिया.अब वो अंडरवेर पहने पलंग पे बैठे थे,कामिनी उनके करीब गयी & उनकी टाँगो के बीच खड़ी हो अपना दाया घुटना उनकी बाई जाँघ के बगल मे बिस्तर पे रखा दिया & फिर उनके हाथो को अपनी गंद से लगा दिया.चंद्रा साहब फिर से उसकी गंद से खेलने लगे.कामिनी ने आँखे बंद कर अपनी बाहे उनके कंधो पे टीका दी & हाथो से उनके सर को सहलाने लगी.
चंद्रा साहब ने उसकी स्कर्ट उठा दी थी & अब उसकी पॅंटी के उपर से उसकी गंद को छेड़ रहे थे.उनके हाथ घुटनो तक उसकी जाँघ पे फिसल कर नीचे आते & फिर वैसे ही उपर जा के उसकी गंद की फांको को दबाने लगते.कामिनी मस्त हो आहे भर रही थी.अचानक उसे महसूस हुआ की चंद्रा साहब अपने हाथ उसके जिस्म से हटा रहे हैं.उसने फ़ौरन उनकी कलाया पकड़ हाथो को गंद पे वापस दबा दिया & आँखे खोल उन्हे सवालिया नज़रो से देखा,"..तुम्हारी शर्ट.."
"..आप सिर्फ़ हुक्म कीजिए,सर.काम करने के लिए आपकी ये असिस्टेंट है ना!",उसके जवाब ने चंद्रा साहब के जोश को और बढ़ा दिया & उन्होने बेदर्दी से उसकी गांद भींच दी,"..ऊओवव्व...!",कामिनी ने अपनी शर्ट के बटन खोल उसे ज़मीन पे गिरा दिया.चंद्रा साहब 1 तक उसकी सफेद ब्रा मे कसी चूचियो को देख रहे थे.ब्रा मे से नज़र आता उसका क्लीवेज बड़ा प्यारा लग रहा था.उन्होने हल्के से उसके क्लीवेज को चूमा,"..उउंम.."
"इसे भी हटा दो.",कामिनी ने उनकी आँखो मे झँकते हुए अपना ब्रा खोल दिया,चंद्रा साहब की आँखो के सामने उसकी बड़ी,मस्त चूचिया छलक उठी.नंगी होते ही उन्होने अपना मुँह उनके बीच घुसा दिया,"..ऊहह...",कामिनी ने उनके सर को बड़े प्यार से हाथो मे थाम लिया & वो उसकी गंद मसल्ते हुए चूचियो को चूमने,चूसने लगे.काफ़ी देर तक वो वैसे ही उसकी छातियो पे लगे रहे & जब उठे तो कामिनी ने देखा की उसका सीना उनकी ज़ुबान ने पूरा गीला कर दिया था.
"सर,मैं आपको छ्चोड़ देती हू.",कामिनी के दिमाग़ मे 1 ख़याल कौंधा,शायद आज रात उसे अकेली नही सोना पड़े.
"तुम्हे खमखा तकलीफ़ होगी."
"तकलीफ़ कैसी,सर.मेरा घर आपके घर से कोई ज़्यादा दूर तो है नही."
"अच्छा..",वो ड्राइवर की ओर घूमे,"..सुनो,तुम अभी अपने घर जाओ,कार यही रहने दो.कल सवेरे बनवा के घर ले आना."
"ठीक है,सर."
दोनो कामिनी की कार मे बैठ के चंद्रा साहब के घर के लिए रवाना हो गये.कार चलते हुए कामिनी ने देखा की बगल की सीट पे बैठे चंद्रा साहब चोर निगाहो से उसकी नंगी टाँगो को देख रहे हैं.उसने उन्हे थोड़ा और तड़पने की गरज से कार के 1 ट्रॅफिक सिग्नल पे रुकते ही उनकी नज़र बचा के अपनी स्कर्ट थोड़ा उपर कर ली.अब घुटनो के उपर उसकी नर्म जाँघो का हिस्सा भी दिख रहा था.चंद्रा साहब तो अब बस उसकी जाँघो को घूर्ने लगे.कामिनी को इस खेल मे बहुत मज़ा आ रहा था & चंद्रा साहब तो उनके घर पहुँचने तक बुरी तरह बेचैन हो गये थे-इसका सबूत था उनका बार-2 अपने लंड पे हाथ फेरना जैसे उसे शांत रहने को कह रहे हो.
"सर,आज तो आप घर मे बिल्कुल अकेले हैं ना?",कामिनी भी उनके साथ कार से उतरी.
"हां."
"तो चलिए,मैं देख लेती हू की आपकी ज़रूरत की सारी चीज़े है ना..फिर अपने घर जाऊंगी."
"तुम बेकार मे परेशान हो रही हो,कामिनी."
"कोई बात नही,सर.",उसने उनके हाथ से चाभी लेके दरवाज़ा खोला & दोनो अंदर आ गये.
"आप जाके कपड़े बदलिए,सर.मैं तब तक किचन & फ्रिड्ज देख लेती हू की उनमे सुबह के नाश्ते के लिए क्या है."
चंद्रा साहब अपने बेडरूम मे गये,तब तक कामिनी ने फटाफट फ्रिड्ज चेक किया-वो पूरा भरा हुआ था.ये वो पहले से जानती थी की आंटी ने सब इंतेज़ाम कर रखा होगा.उसे तो बस उनके साथ घर मे घुसने का बहाना चाहिए था.इसके बाद वो उनके बेडरूम मे घुस गयी,चंद्रा साहब ने शर्ट उतार दी थी & अपनी अलमारी मे कुच्छ ढूंड रहे थे,"क्या ढूँढ रहे हैं,सर?"
"वो..",वो केवल पॅंट मे थे & उनका सफेद बालो से ढँका सीना नंगा था,ऐसी हालत मे उन्हे कामिनी के सामने थोड़ी झिझक हो रही थी पर उसे तो जैसे कोई परवाह ही नही थी,"..कुर्ता-पाजाम ढूंड रहा था,पता नही तुम्हारी आंटी ने कहा रख दिया है."
"लाइए मैं ढूंडती हू.",कामिनी उनके बगल मे खड़ी हो अलमारी मे कपड़े ढूँदने लगी तभी उसे अपनी गंद पे वोही पुराना एहसास हुआ-उसके गुरु उसकी गंद को सहला रहे थे.कामिनी ने पलट के उनकी आँखो मे आँखे डाल दी तो उन्होने सकपका के हाथ खींच लिया & घूम कर बिस्तर के पास खड़े हो गये.
कामिनी उनके पास गयी & उन्हे घुमा कर उनका चेहरा अपनी तरफ किया,"आपने हाथ क्यू खींच लिया,सर?"
चंद्रा साहब ने चेहरा घुमा लिया,"...प्लीज़,सर बोलिए ना."
"आइ'एम सॉरी,कामिनी."
"मगर क्यू?मुझे तो बिल्कुल बुरा नही लगा,सर.",चंद्रा साहब ने हैरत से उसे देखा,"..हां..जब मैं आपके साथ काम करती थी तो भी तो आप मुझे छुते थे,सर..मगर मैने कभी कुच्छ नही कहा..वो शाम जब लाइट चली गयी थी याद है आपको..उस दिन भी मैने कुच्छ नही कहा था...क्यू सर जानते हैं?",चंद्रा साहब बस इनकार मे सर हिला पाए.
"क्यूकी मुझे आपकी हरकत बिल्कुल बुरी नही लगी,सर बल्कि मुझे तो बहुत मज़ा आआया था..मगर आपने शायद शर्मिंदगी महसूस की..कि आप अपनी इतनी कम उम्र की असिस्टेंट के साथ ऐसी हरकत कैसे कर सकते हैं..इसीलिए अपने विकास & मुझे अलग प्रॅक्टीस करने को कहा था.है ना?"
चंद्रा साहब ने हां मे सर हिलाया.
"मगर क्यू,सर?इसमे शर्म की क्या बात है!आप अच्छी तरह जानते हैं की अगर मेरी रज़ामंदी नही होती तो आप मेरा नाख़ून भी नही च्छू सकते थे.तो जब मेरी भी रज़मदी थी फिर आपको शर्मिंदा होने की क्या ज़रूरत थी?"
"मगर..-"
"नही,सर,इसमे कोई बुराई नही है.आप क्यू अपना मन मार रहे हैं?..और इसमे कुच्छ ग़लत नही है..आज ही की बात लीजिए..हुमारा क्लब मे मिलना,आपकी कार का खराब होना...यू घर का खाली होना..क्या सब इत्तेफ़ाक़ है या शायद कुद्रत भी हमे आज मिलाना चाहती है...& कुद्रत के खिलाफ जाने वाले हम कौन होते हैं.",उसने उनका दाया हाथ थामा & अपनी गंद पे रख दिया,"..अब बेझिझक होके च्छुईय मुझे."
चंद्रा साहब उसकी बातो को सुन फिर से गरम हो गये थे.इतनी खूबसूरत,जवान लड़की खुद उन्हे अपने पास बुला रही थी,फिर उन्हे क्या ऐतराज़ हो सकता था.वो दोनो हाथो से उसकी गंद की फांको को स्कर्ट के उपर से सहलाने लगे,"उउन्न्नह..",कामिनी ने उनके कंधे पे हाथ रख दिए & आँखे बंद करके आहे भरने लगी.धीरे-2 चंद्रा साहब के हाथो का दबाव बढ़ने लगा तो कामिनी भी उनके सीने को सहलाते हुए वाहा के सफेद बालो से खेलने लगी.
उसके हाथ उनके सीने से फिसलते हुए नीचे गये & उनकी पॅंट से टकराए तो उसने उसे फ़ौरन उतार दिया,फिर उनकी छाती पे हाथ रख के हल्के से धकेला तो वो बिस्तर पे बैठ गये & अपनी पॅंट को अपने पैरो से निकाल दिया.अब वो अंडरवेर पहने पलंग पे बैठे थे,कामिनी उनके करीब गयी & उनकी टाँगो के बीच खड़ी हो अपना दाया घुटना उनकी बाई जाँघ के बगल मे बिस्तर पे रखा दिया & फिर उनके हाथो को अपनी गंद से लगा दिया.चंद्रा साहब फिर से उसकी गंद से खेलने लगे.कामिनी ने आँखे बंद कर अपनी बाहे उनके कंधो पे टीका दी & हाथो से उनके सर को सहलाने लगी.
चंद्रा साहब ने उसकी स्कर्ट उठा दी थी & अब उसकी पॅंटी के उपर से उसकी गंद को छेड़ रहे थे.उनके हाथ घुटनो तक उसकी जाँघ पे फिसल कर नीचे आते & फिर वैसे ही उपर जा के उसकी गंद की फांको को दबाने लगते.कामिनी मस्त हो आहे भर रही थी.अचानक उसे महसूस हुआ की चंद्रा साहब अपने हाथ उसके जिस्म से हटा रहे हैं.उसने फ़ौरन उनकी कलाया पकड़ हाथो को गंद पे वापस दबा दिया & आँखे खोल उन्हे सवालिया नज़रो से देखा,"..तुम्हारी शर्ट.."
"..आप सिर्फ़ हुक्म कीजिए,सर.काम करने के लिए आपकी ये असिस्टेंट है ना!",उसके जवाब ने चंद्रा साहब के जोश को और बढ़ा दिया & उन्होने बेदर्दी से उसकी गांद भींच दी,"..ऊओवव्व...!",कामिनी ने अपनी शर्ट के बटन खोल उसे ज़मीन पे गिरा दिया.चंद्रा साहब 1 तक उसकी सफेद ब्रा मे कसी चूचियो को देख रहे थे.ब्रा मे से नज़र आता उसका क्लीवेज बड़ा प्यारा लग रहा था.उन्होने हल्के से उसके क्लीवेज को चूमा,"..उउंम.."
"इसे भी हटा दो.",कामिनी ने उनकी आँखो मे झँकते हुए अपना ब्रा खोल दिया,चंद्रा साहब की आँखो के सामने उसकी बड़ी,मस्त चूचिया छलक उठी.नंगी होते ही उन्होने अपना मुँह उनके बीच घुसा दिया,"..ऊहह...",कामिनी ने उनके सर को बड़े प्यार से हाथो मे थाम लिया & वो उसकी गंद मसल्ते हुए चूचियो को चूमने,चूसने लगे.काफ़ी देर तक वो वैसे ही उसकी छातियो पे लगे रहे & जब उठे तो कामिनी ने देखा की उसका सीना उनकी ज़ुबान ने पूरा गीला कर दिया था.
Re: गहरी चाल
चंद्रा साहब अब उसके पेट को चूम रहे थे.उनकी जीभ उसके मखमली पेट को चाटते हुए उसकी नाभि मे घुस गयी तो कामिनी की जैसे सांस अटक गयी & वो उनके सर को अपने पेट पे दबाते हुए झुक के उनके सर को चूमने लगी.उसकी नाभि को जी भर के चाटने के बाद उन्होने ने अपना सर उठाया & उसकी स्कर्ट की ओर इशारा किया.शोखी से मुस्कुराती हुई कामिनी ने हौले से स्कर्ट के हुक्स खोल दिए.स्कर्ट उसके पैरो के गिर्द दायरे मे ज़मीन पे गिर गयी.छ्होटी सी सफेद पॅंटी मे खड़ी कामिनी को देख चंद्रा साहब की खुशी का ठिकाना नही था.
उन्होने उसकी कमर को अपनी बाहो मे कस लिया & उसकी कमर के बगल मे चूमते हुए उसकी पॅंटी से ढँकी गंद को देखने लगे.उनके दिल मे उस गंद को नंगी देखने की हसरत जागी & उन्होने बिजली की तेज़ी से उसकी पॅंटी उतार उसे पूरा नगी कर दिया.पहली बार वो अपनी असिस्टेंट की मस्त गंद को-जिसने उन्हे पहले दिन से दीवाना कर रखा था,नंगी देख रहे थे.वो अपना सर उसकी कमर पे टिकाए उसकी गंद को देखते हुए अपने हाथो से उसे मसल रहे थे.
"ऊन्न्ह्ह....उउंम्म....".कामिनी अपना बाया हाथ उनके सर पे रखे & दाया हाथ अपने मज़े मे पीछे झुके सर पे रख आहे भरे जा रही थी.चंद्रा साहब उसकी कमर को चूमते हुए सामने उसकी चूत पे चूमने ही वाले थे की उसने उन्हे परे कर दिया.चंद्रा साहब ने चौंक कर उसे देखा तो वो झुक के उनके पैरो के बीच बैठ गयी & उनका अंडरवेर खींच दिया.उसकी आँखो के सामने उनका 7 इंच लंबा लंड पूरा तना हुआ नाच उठा.लंड का सूपड़ा प्रेकुं से गीला था.कामिनी ने लंड को अपने हाथो मे पकड़ा तो चंद्रा साहब ने मज़े मे आँखे बंद कर अपना सर पीछे झुका लिया.कामिनी ने लंड के गीलेपान को चाट कर सॉफ कर दिया.चंद्रा साहब ने उसका सर थाम लिया तो वो समझ गयी की अगर उसने थोड़ी देर और लंड को मुँह मे रखा तो वो झड़ जाएँगे.
1 तो वो बूढ़े थे दूसरे अभी बीमारी से उठे उन्हे ज़्यादा समय नही हुआ था.कामिनी जानती थी की अगर अभी वो झाड़ गये तो दुबारा खड़ा होने मे लंड को वक़्त लग सकता है & शायद वो प्यासी भी रह जाए.उसने लंड को छ्चोड़ा & फ़ौरन बिस्तर पे चढ़ गयी.वो बिस्तर पे पीठ के बल लेट गयी.उसने अपनी बाहे अपने सर के बगल मे उपर कर फैला दी,ऐसा करने से उसकी बड़ी चूचिया कुच्छ और उभर गयी,उसने अपनी टाँगो को भी थोड़ा फैला लिया,"आइए,सर.कर लीजिए अपनी तमन्ना पूरी.आज मैं आपकी हू...मुझे जी भर के प्यार कीजिए."
इन लफ़ज़ो ने जैसे चंद्रा साहब की रागो मे बह रहे खून को फिर से जवान कर दिया.वो अपनी असिस्टेंट पे टूट पड़े..कभी वो उसकी मस्त चूचिया चूमते तो कभी गोल पेट..उनके हाथ कभी उसके चेहरे को सहलाते तो कभी उसकी बिना बालो की,चिकनी,गुलाबी चूत को.उनकी हालत इस वक़्त उस बच्चे की तरह थी जिसे उसकी सालगिरह पे ढेर सारे खिलोने मिले हैं & उसे ये समझ मे नही आ रहा की पहले वो किस खिलोने से खेले!
चंद्रा साहब ने उसके उपर चढ़ उसके गुलाबी होंठो को चूमा तो कामिनी ने अपनी ज़ुबान उनके मुँह मे घुसा उनकी जीभ से लड़ा दी.चंद्रा साहब तो जैसे पागल से हो गये.अपने हाथो से उसकी छातियो को बेदर्दी से मसल्ते हुए वो पूरे ज़ोर-शोर से उसे चूमने लगे.कामिनी भी बेचैनी से उनके पूरे बदन पे हाथ फिरा रही थी.उसे उनसे इतनी गर्मजोशी की उम्मीद नही थी & अब उसे बहुत मज़ा आ रहा था.
चंद्रा साहब उसके होतो को छ्चोड़ नीचे उसके सीने पे पहुँचे & काफ़ी देर तक जाम कर उसकी गोलैईयों को दबाया,मसला,चूमा,चॅटा & चूसा.उसके पेट को चूमने के बाद उन्होने उसकी कमर पकड़ उसे पलट दिया & उसकी मखमली पीठ को चूमने लगे.उसकी पीठ चूमते हुए वो नीचे बढ़े तो कामिनी अपनी कोहिन्यो पे अपने बदन का भर रहते हुए अपना सर बिस्तर से उठा लिया & आहे भरने लगी.
चंद्रा साहब उसकी कमर को चूमते हुए उसकी गंद तक पहुँचे & उसे अपने हाथो मे दबोच लिया.गंद की 1 फाँक उनके हाथो मे होती तो दूसरी पे उनकी ज़ुबान चल रही होती.कामिनी तो बस मस्ती मे उड़ी जा रही थी.1 शादीशुदा इंसान के साथ उसकी बीवी की गैरमौजूदगी मे उसी के बिस्तर पे ये सब करना उसके जोश को और बढ़ा रहा था & उसकी चूत तो बस पानी छ्चोड़े जा रही थी.
"ऊऊहह.....!",चंद्रा साहब ने उसकी गंद को ज़रा सा फैलाया & उसकी टाँगो के बीच अपने घुटनो पे झुक अपना मुँह पीछे से उसकी चूत पे लगा दिया था.अब तो कामिनी पागल ही हो गयी.चंद्रा साहब हाथो से उसकी गंद को मसल्ते हुए उसकी चूत चाटे जा रहे थे & वो बस मस्ती मे दीवानी हो रही थी.उसने अपनी कमर थोड़ी सी उठा ली & हिला के चंद्रा साहब के मुँह पे रगड़ने लगी.वो बस मज़बूती से उसकी कमर थामे उसकी चूत चाटे जा रहे थे.कामिनी अब अपनी मंज़िल के करीब पहुँच रही थी की तभी चंद्रा साहब ने उसकी कमर को हवा मे उठा दिया.
वो अपना लंड थामे उसके पीछे अपने घुटनो पे आ गये तो कामिनी समझ गयी को वो उसे डॉगी स्टाइल मे चोदेन्गे.उसने अपना सर गद्देदार बिस्तर मे धंसा दिया & गर्दन मोड़ कर देखने लगी की कैसे उनका लंड उसकी गीली चूत मे घुस रहा है.चंद्रा साहब ने धीरे-2 करके पूरा लंड उसकी चूत मे उतार दिया & उसकी कमर पकड़ धक्के लगाने लगे.
"तड़क..!",उन्होने उसकी गंद पे 1 चपत मारी,"ऊव..!",कामिनी करही पर साथ ही उसे मज़ा भी आया.चंद्रा साहब वैसे ही उसकी गंद पे चपत लगाते हुए धक्के लगा के उसकी चुदाई करने लगे.कामिनी को भी इसमे बहुत मज़ा आ रहा था.अचानक चंद्रा साहब ने चपत लगाना छ्चोड़ दिया & दोनो हाथो से उसकी कमर थामे बड़े गहरे धक्के लगाने लगे,कामिनी समझ गयी की वो अपनी मंज़िल के करीब पहुँच रहे हैं पर उसकी मंज़िल अभी दूर थी.
"सर,ज़ा...रा इन...हे भी तो डब...आइए...ना..आ..न्न्ह..!",उसने वैसे ही झुके हुए अपनी छातियो की ओर इशारा किया तो चंद्रा साहब ने बाए हाथ से उसकी कमर थामे दाए को उसकी दाई चुचि से चिपका दिया.कामिनी वैसे ही झुके हुए अपनी बाई बाँह पे अपने बदन को टिकाए दाए हाथ से अपनी चूत के दाने को रगड़ने लगी.कमरे मे बस दोनो की आहो का शोर गूँज उठा & थोड़ी ही देर बाद चंद्रा साहब आहे भरते हुए कामिनी की चूत को अपने पानी से भर रहे थे,ठीक उसी वक़्त उनके लंड & अपनी उंगली की मिली-जुली रगड़ से कामिनी भी झाड़ गयी.
चंद्रा साहब ने लंड निकाला & हान्फ्ते हुए बिस्तर पे लेट गये.कामिनी भी उठी & उनकी बाई तरफ करवट से लेट गयी1 चादर खींच उसने दोनो के जिस्मो को ढँका,फिर उसने उन्हे अपनी ओर घुमाया & उनका सर अपनी छातियो मे दबा लिया & अपनी बाहो मे कस लिया.चंद्रा साहब वैसे ही नींद के आगोश मे चले गये तो कामिनी ने भी आँखे बंद कर ली.उसके चेहरे पे काफ़ी सुकून का भाव था.
उन्होने उसकी कमर को अपनी बाहो मे कस लिया & उसकी कमर के बगल मे चूमते हुए उसकी पॅंटी से ढँकी गंद को देखने लगे.उनके दिल मे उस गंद को नंगी देखने की हसरत जागी & उन्होने बिजली की तेज़ी से उसकी पॅंटी उतार उसे पूरा नगी कर दिया.पहली बार वो अपनी असिस्टेंट की मस्त गंद को-जिसने उन्हे पहले दिन से दीवाना कर रखा था,नंगी देख रहे थे.वो अपना सर उसकी कमर पे टिकाए उसकी गंद को देखते हुए अपने हाथो से उसे मसल रहे थे.
"ऊन्न्ह्ह....उउंम्म....".कामिनी अपना बाया हाथ उनके सर पे रखे & दाया हाथ अपने मज़े मे पीछे झुके सर पे रख आहे भरे जा रही थी.चंद्रा साहब उसकी कमर को चूमते हुए सामने उसकी चूत पे चूमने ही वाले थे की उसने उन्हे परे कर दिया.चंद्रा साहब ने चौंक कर उसे देखा तो वो झुक के उनके पैरो के बीच बैठ गयी & उनका अंडरवेर खींच दिया.उसकी आँखो के सामने उनका 7 इंच लंबा लंड पूरा तना हुआ नाच उठा.लंड का सूपड़ा प्रेकुं से गीला था.कामिनी ने लंड को अपने हाथो मे पकड़ा तो चंद्रा साहब ने मज़े मे आँखे बंद कर अपना सर पीछे झुका लिया.कामिनी ने लंड के गीलेपान को चाट कर सॉफ कर दिया.चंद्रा साहब ने उसका सर थाम लिया तो वो समझ गयी की अगर उसने थोड़ी देर और लंड को मुँह मे रखा तो वो झड़ जाएँगे.
1 तो वो बूढ़े थे दूसरे अभी बीमारी से उठे उन्हे ज़्यादा समय नही हुआ था.कामिनी जानती थी की अगर अभी वो झाड़ गये तो दुबारा खड़ा होने मे लंड को वक़्त लग सकता है & शायद वो प्यासी भी रह जाए.उसने लंड को छ्चोड़ा & फ़ौरन बिस्तर पे चढ़ गयी.वो बिस्तर पे पीठ के बल लेट गयी.उसने अपनी बाहे अपने सर के बगल मे उपर कर फैला दी,ऐसा करने से उसकी बड़ी चूचिया कुच्छ और उभर गयी,उसने अपनी टाँगो को भी थोड़ा फैला लिया,"आइए,सर.कर लीजिए अपनी तमन्ना पूरी.आज मैं आपकी हू...मुझे जी भर के प्यार कीजिए."
इन लफ़ज़ो ने जैसे चंद्रा साहब की रागो मे बह रहे खून को फिर से जवान कर दिया.वो अपनी असिस्टेंट पे टूट पड़े..कभी वो उसकी मस्त चूचिया चूमते तो कभी गोल पेट..उनके हाथ कभी उसके चेहरे को सहलाते तो कभी उसकी बिना बालो की,चिकनी,गुलाबी चूत को.उनकी हालत इस वक़्त उस बच्चे की तरह थी जिसे उसकी सालगिरह पे ढेर सारे खिलोने मिले हैं & उसे ये समझ मे नही आ रहा की पहले वो किस खिलोने से खेले!
चंद्रा साहब ने उसके उपर चढ़ उसके गुलाबी होंठो को चूमा तो कामिनी ने अपनी ज़ुबान उनके मुँह मे घुसा उनकी जीभ से लड़ा दी.चंद्रा साहब तो जैसे पागल से हो गये.अपने हाथो से उसकी छातियो को बेदर्दी से मसल्ते हुए वो पूरे ज़ोर-शोर से उसे चूमने लगे.कामिनी भी बेचैनी से उनके पूरे बदन पे हाथ फिरा रही थी.उसे उनसे इतनी गर्मजोशी की उम्मीद नही थी & अब उसे बहुत मज़ा आ रहा था.
चंद्रा साहब उसके होतो को छ्चोड़ नीचे उसके सीने पे पहुँचे & काफ़ी देर तक जाम कर उसकी गोलैईयों को दबाया,मसला,चूमा,चॅटा & चूसा.उसके पेट को चूमने के बाद उन्होने उसकी कमर पकड़ उसे पलट दिया & उसकी मखमली पीठ को चूमने लगे.उसकी पीठ चूमते हुए वो नीचे बढ़े तो कामिनी अपनी कोहिन्यो पे अपने बदन का भर रहते हुए अपना सर बिस्तर से उठा लिया & आहे भरने लगी.
चंद्रा साहब उसकी कमर को चूमते हुए उसकी गंद तक पहुँचे & उसे अपने हाथो मे दबोच लिया.गंद की 1 फाँक उनके हाथो मे होती तो दूसरी पे उनकी ज़ुबान चल रही होती.कामिनी तो बस मस्ती मे उड़ी जा रही थी.1 शादीशुदा इंसान के साथ उसकी बीवी की गैरमौजूदगी मे उसी के बिस्तर पे ये सब करना उसके जोश को और बढ़ा रहा था & उसकी चूत तो बस पानी छ्चोड़े जा रही थी.
"ऊऊहह.....!",चंद्रा साहब ने उसकी गंद को ज़रा सा फैलाया & उसकी टाँगो के बीच अपने घुटनो पे झुक अपना मुँह पीछे से उसकी चूत पे लगा दिया था.अब तो कामिनी पागल ही हो गयी.चंद्रा साहब हाथो से उसकी गंद को मसल्ते हुए उसकी चूत चाटे जा रहे थे & वो बस मस्ती मे दीवानी हो रही थी.उसने अपनी कमर थोड़ी सी उठा ली & हिला के चंद्रा साहब के मुँह पे रगड़ने लगी.वो बस मज़बूती से उसकी कमर थामे उसकी चूत चाटे जा रहे थे.कामिनी अब अपनी मंज़िल के करीब पहुँच रही थी की तभी चंद्रा साहब ने उसकी कमर को हवा मे उठा दिया.
वो अपना लंड थामे उसके पीछे अपने घुटनो पे आ गये तो कामिनी समझ गयी को वो उसे डॉगी स्टाइल मे चोदेन्गे.उसने अपना सर गद्देदार बिस्तर मे धंसा दिया & गर्दन मोड़ कर देखने लगी की कैसे उनका लंड उसकी गीली चूत मे घुस रहा है.चंद्रा साहब ने धीरे-2 करके पूरा लंड उसकी चूत मे उतार दिया & उसकी कमर पकड़ धक्के लगाने लगे.
"तड़क..!",उन्होने उसकी गंद पे 1 चपत मारी,"ऊव..!",कामिनी करही पर साथ ही उसे मज़ा भी आया.चंद्रा साहब वैसे ही उसकी गंद पे चपत लगाते हुए धक्के लगा के उसकी चुदाई करने लगे.कामिनी को भी इसमे बहुत मज़ा आ रहा था.अचानक चंद्रा साहब ने चपत लगाना छ्चोड़ दिया & दोनो हाथो से उसकी कमर थामे बड़े गहरे धक्के लगाने लगे,कामिनी समझ गयी की वो अपनी मंज़िल के करीब पहुँच रहे हैं पर उसकी मंज़िल अभी दूर थी.
"सर,ज़ा...रा इन...हे भी तो डब...आइए...ना..आ..न्न्ह..!",उसने वैसे ही झुके हुए अपनी छातियो की ओर इशारा किया तो चंद्रा साहब ने बाए हाथ से उसकी कमर थामे दाए को उसकी दाई चुचि से चिपका दिया.कामिनी वैसे ही झुके हुए अपनी बाई बाँह पे अपने बदन को टिकाए दाए हाथ से अपनी चूत के दाने को रगड़ने लगी.कमरे मे बस दोनो की आहो का शोर गूँज उठा & थोड़ी ही देर बाद चंद्रा साहब आहे भरते हुए कामिनी की चूत को अपने पानी से भर रहे थे,ठीक उसी वक़्त उनके लंड & अपनी उंगली की मिली-जुली रगड़ से कामिनी भी झाड़ गयी.
चंद्रा साहब ने लंड निकाला & हान्फ्ते हुए बिस्तर पे लेट गये.कामिनी भी उठी & उनकी बाई तरफ करवट से लेट गयी1 चादर खींच उसने दोनो के जिस्मो को ढँका,फिर उसने उन्हे अपनी ओर घुमाया & उनका सर अपनी छातियो मे दबा लिया & अपनी बाहो मे कस लिया.चंद्रा साहब वैसे ही नींद के आगोश मे चले गये तो कामिनी ने भी आँखे बंद कर ली.उसके चेहरे पे काफ़ी सुकून का भाव था.