सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

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The Romantic
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Re: सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

Unread post by The Romantic » 09 Nov 2014 21:28

दुलारा भतीजा
भाग -4


शोभा की चूत में भरा हुआ अजय के लन्ड का चित्र पद्मा के दिमाग में अपने आप बन गया. शोभा ने अजय का कुमारत्व छीन कर उसे बच्चे से जवान मर्द तो बना ही दिया था. अजय की जिन्दगी में किसी दूसरी औरत का साया पाकर उसका मन शोभा के लिये जबरदस्त जलन से भर गया. शोभा को खुद से दूर करके पद्मा उठी और रसोई में चली गयी.
शोभा की आंखों में देख कर ना तो वो अपनी जलन को जाहिर करना चाहती थी और ना ही अजय के लिये अपने दिमाग में चलते आज रात के प्लान के बारे में उसे कुछ भनक पड़ने देना चाहती थी. अपने अजय को वो किसी के साथ भी नहीं बांट सकती थी. अगर अजय को किसी औरत का साथ ही चाहिये था तो वो साथ पद्मा का ही होना चाहिये था किसी और का नहीं. जिन निपल्लों को अजय ने चूसा वो उसकी ताई के ही होने चाहिये थे और उसके औजार ने शोभा की जो चूत मारी थी वो अब सिर्फ़ पद्मा की होनी चाहिये थी. कम से कम इस वक्त वो अजय के पुरुषत्व को छुना चाहती थी. उसे अपने करीब महसूस करना चाहती थी. खुद की चूत से जो पानी बह कर जांघों तक पहुंच गया था और अब वो पद्मा को आज रात तक चैन नहीं लेने देगा. हे भगवान, क्या क्या सोच रही है पद्मा? अजय के साथ हमबिस्तर होकर वो उसे वापिस पा लेगी. पद्मा की लम्बी चुप्पी ने शोभा पर कुछ और ही असर किया. शायद पद्मा इस पूरे प्रकरण से काफ़ी आहत हुई थी और शोभा से फ़िर कभी बात ही नहीं करेगी. कहीं पद्मा ने सब कुछ उसके पति को बता दिया तो गजब ही हो जायेगा. पूरे परिवार में दरार पड़ जायेगी.
देर रात १० बजे. शोभा और कुमार घर छोड़ कर जा चुके थे. कुमार ने ऑफ़िस का कुछ जरूरी काम बता वहां से विदा ली. सवेरे जब चाय बना कर उसने सब को आवाज लगाई तो शोभा सबसे आखिर में पूरी तरह से तैयार हो कर डाईनिंग टेबिल पर आई थी. तब तक अजय अपने कॉलेज के लिये निकल चुका था. पूरे दिन के लिये अपनी सहेली के घर जाने का बहाना बना कर निकल गयी और फ़िर पद्मा के सामने नहीं आई. पद्मा को मालूम था कि असली वजह शोभा और उसके बीच सवेरे चला लम्बा वार्तालाप था.पद्मा अपने कमरे में बैठी कुछ सोच रही थी. गोपाल सो रहे थे. आज का पूरा दिन मानसिक और शारीरिक उथल पुथल से भरा रहा था. पद्मा ने आज पूरे दिन अजय पर नज़र रखी थी. अजय दिन भर अपनी पैंट के उभार को ठीक करता रहा था. बिचारा अपनी प्यारी चाची को ढूंढ रहा था. बोलना चाहता था कि वो उनसे कितना प्यार करता है. लेकिन उसकी प्यारी चाची तो कब की उसे छोड़ कर जा चुकी थीं. जब बार बार अजय किसी ना किसी बहाने से शोभा के बारे में पूछता तो पद्मा का दिल जल उठता. अजय को सिर्फ़ उसके बारे में ही सोचने का हक था. काश, उसने अजय को नहलाना बन्द नहीं किया होता तो जो सब शोभा ने किया वही सब वो खुद भी करती थी. उसका बेटा आज अपनी चाची का नहीं बल्कि उसका दिवाना होता था. अपने ही भतीजे के बारे में उसके कामुक विचार विकराल रुप धारण कर चुके थे. तेज होती सासें, पैरों के बीच अजय के लन्ड को महसूस करने की चाह और जबरदस्त तने हुये निप्पल सब कुछ वास्तविक था. और एक वास्तविकता ये भी थी कि वो अजय की ताई थी. ममता और वासना की मिली जुली भावनाओं से पद्मा के दिमाग में हलचल सी मची हुई थी. लेकिन जल्द ही वासना ने प्रेम के साथ मिल कर सब कुछ अपने काबू में कर लिया. दिमाग अब सिर्फ़ अजय के शरीर के बारे में सोचने लगा. आखिर कैसा होगा अजय का हथियार? लम्बा या मोटा? शोभा क्यूं कह रही थी की अजय बिल्कुल अलग है?
या शायद अजय में वहीं जन्गली जानवर है जिसे सैक्स के समय हर औरत अपने सहचर में पाना चाहती है? इन सब विचारों से पद्मा का शरीर कांप रहा था. अब निर्णय की घड़ी पास ही थी. पद्मा अजय के कमरे मे दबे पांव घुसी. आज रात अपने बच्चे को पास से देखना चाहती थी. अजय के बिस्तर के किनारे पर लेटी हुई पद्मा, उसके नन्गे जिस्म को निहार रही थीं. अजय गहरी नींद में था. और पद्मा की आंखों में दूर दूर तक नींद का नामोनिशान नहीं था. निषिद्ध सैक्स और अजय के लिये मन में घर कर चुकी वासना ने उन्हें सोने ही नहीं दिया था.




थोड़ी देर के लिये पद्मा की आंख भी लग गयी. अचानक, बिस्तर के हिलने और कराहने की आवाजों से पद्मा जाग गयी. आंखें जब अन्धेरे की अभ्यस्त हुयीं तो देखा कि अजय चादर के अन्दर हाथ डाले किसी चीज को ज़ोर ज़ोर से हिला रहा था. अजय, कमरे में अपनी ताई कि मौजूदगी से अनभिज्ञ मुट्ठ मारने में व्यस्त था. शायद अजय कल की रात को सपनों में ही दुहरा रहा था. "आह, चाचीईईई" अजय की कराह सुनकर पद्मा को कोई शक नहीं रह गया कि अजय के दिमाग में कौन है. शोभा के लिये उनका मन घृणा से भर उठा. आखिर क्यूं किया उसने ऐसा? आज उनका लाड़ला ठीक उनके ही सामने कैसा तड़प रहा है. और वो भी उस शोभा का नाम ले कर. नहीं. अजय को और तड़पने की जरुरत नहीं है. जनम नहीं दिया तो क्या हुआ फ़िर भी यहां पर मैं उसकी ताई हूं उसकी हर ज़रुरत को पूरा करने के लिये. अजय के लिये उनके निर्लोभ प्रेम और इस कृत्य के बाद में होने वाले असर ने क्षण भर के लिये पद्मा को रोक लिया. अगर उनके पति अजय के ताऊ को कुछ भी पता चल गया तो? कहीं अजय ये सोचकर की उसकी ताई कितनी गिरी हुई औरत है उन्हें नकार दे तो? या फ़िर कहीं अजय जाकर सब कुछ शोभा को ही बता दे तो? तो, तो, तो? बाकी सब की उसे इतनी चिन्ता नहीं थी. और अपने खुले विचारों वाले पति को वो सब कुछ खुद ही बता कर समझा सकती थी कि अजय की जरुरतों को पूरा करना कितना आवश्यक था. नहीं तो जवान लड़का किसी भी बाजारु औरत के साथ आवारागर्दी करते हुये खुद को किसी भी बिमारी और परेशानी में डाल सकता था. पता नही कब, लेकिन पद्मा चलती हुई सीधे अजय की तरफ़ बिस्तर के पास जाकर खड़ी हो गईं. अजय ने भी एक साये को भांप लिया. तुरन्त ही समझ गया की ये शख्स कोई औरत ही है और पक्के तौर पर घर के अन्दर से ही कोई ना कोई है. क्या उसकी प्यारी शोभा चाची लौट कर आ गयीं हैं? क्या चाची भी उससे इतना ही प्यार करती है जितना वो उनसे? रात अपना खेल खेल चुकी थी. उसकी बिस्तर की साथी उसके पास थीं. अपने लन्ड पर उसकी पकड़ मजबूत हो गयी. बिचारा कितना परेशान था सवेरे से. दसियों बार मुत्ठ मार मार कर टट्टें खाली कर चुका था. लेकिन अब उसकी प्रेमिका उसके पास थी. और वो ही उसको सही तरीके से शान्त कर पायेंगी.
पद्मा कांपते कदमों से अजय कि तरफ़ बढ़ी. सही और गलत का द्वंद्ध अभी तक उसके दिमाग में चल रहा था. डर था कि कहीं अजय उससे नफ़रत ना करने लगे. तो वो क्या करेगी? कहीं वो खुद ही अपने आप से नफ़रत ना करने लगे. इन सारे शकों के बावजूद भतीजे को चोदने का ख्याल पद्मा अपने दिल से नहीं निकाल पाई. चादर के अन्दर हाथ डाल कर लन्ड के ऊपर जमे अजय के हाथों को अपने दोनो हाथों से ढक लिया. अब जैसे जैसे अजय लन्ड पर हाथ ऊपर नीचे करता पद्मा का हाथ भी खुद बा खुद उपर नीचे होता. "चाची" अजय फ़ुसफ़ुसाया. अपना हाथ लन्ड से अलग कर पद्मा के हाथों को पूरी आजादी दे दी उस शानदार खिलौने से खेलने की. अपने सपनों की मलिका को पास पाकर अजय का लन्ड कल से भी ज्यादा फ़ूल गया. पद्मा ने अजय के लन्ड पर उन्गलियां फ़िराईं तो नसों में बहता गरम खून साफ़ महसूस हुआ.
आंखे बन्द करके पूरे ध्यान से उस महान औजार को दोनो हाथों से मसलने लगी. पद्मा के दिल से आवाज आई कि ये अजय का लन्ड कभी उसका हिस्सा था. इतना कठोर, इतना तगड़ा, अपने ही पानी से पूरी तरह से तर ये जवानी की दौलत उसकी अपनी थी. इससे पहले अपनी जिन्दगी में उन्होनें कभी ऐसे किसी लन्ड को हाथ में नहीं लिया था. पता नहीं अजय के जन्म से पहले उसकी माँ ने क्या खाया था कि आज उसका लन्ड अपने ताऊ चाचा से भी कहीं आगे था.
अपने ही ख्यालों में डूबी हुई उस ताई को ये भी याद नहीं रहा कि कब उनकी मुट्ठी ने अजय के लन्ड को कसके दबाकर जोर जोर से दुहना चालू कर दिया. लन्ड की मखमली खाल खीचने से अजय दर्द से कराह उठा. हाथ बढ़ा कर अजय ने पद्मा की अनियंत्रित कलाई को थामा. पद्मा ने दूसरे हाथ से अजय का माथा सहलाया. खुद को घुटनों के बल बिस्तर के पास ही स्थापित करती हुई पद्मा ने लन्ड को मुठियाना चालू रखा. अजय के चेहरे से हटा अपने हाथ को पद्मा ने अब उसके सीने पर निप्पलों को आनन्द देने के काम में लगा दिया.
"हाँ आआआआहहहह". शरीर पर दौड़ती जादुई उन्गलियों का असर था ये. और ज्यादा आनन्द की चाह में अजय बेकरारी में अपनी कमर हिलाने लगा. अजय के हाथ पद्मा के कन्धों पर से होते हुए स्तनों को थामकर उन्हें अपने पास खीचने लगे. अन्धेरी रात में अजय उस मादा शरीर को अपने पूरे बदन पर महसूस करना चाहता था. लेकिन उसकी प्रेमिका ने तो पूरे कपड़े पहने हुये है. अजय की उत्तेजना अपने चरम पर थी. उधर पद्मा ने भी शरीर को थोड़ा और झुकाते हुए अजय के खड़े लन्ड तक पहुंचने की चेष्टा की. जो शोभा ने किया वो वह भी कर सकती है. तो क्या हुआ अगर लन्ड चूसने का उसका अनुभव जीरो है, भावनायें तो प्रबल हैं ना. एक बार के लिये उसे ये सब गलत लगा लेकिन फ़िर शोभा का ख्याल आते ही नया जोश भर गया. अगर उसने आज अजय का लन्ड नहीं चूसा तो वह कल फ़िर से इस आनन्द को पाने के लिये शोभा के पास जा सकता है. नहीं. नहीं. आज किसी भी कीमत पर वो अपने लाड़ले के दिलो दिमाग से शोभा की यादें मिटा देगी चाहे इसके लिये उन्हें कुछ भी क्युं ना करना पड़े. अजय अब अपनी सहचरी का चेहरा देखना चाहता था. वहीं चेहरा जो कल रात किसी देवी की मूर्ति की तरह चमक रहा था. हाथ बढ़ाकर बिस्तर के पास की लैम्प जलाई तो लम्बे बालों मे ढका चेहरा आज कुछ बदला हुआ लगा. ये उसकी चाची तो नहीं थीं. पद्मा ने अपना चेहरा अजय की तरफ़ घुमाया
“ताई ?”
लड़के के चेहरे पर दुनिया भर का आश्चर्य और डर फ़ैल गया. अजय जल्दी से अपनी चादर की तरफ़ झपटा. पद्मा समझ गईं अभी नहीं तो कभी नहीं वाली स्थिति आ खड़ी हुई है. अगर उन्होनें वासना और अनुभव का सहारा नहीं लिया तो इस मानसिक बाधा को पार नहीं कर पायेंगी और फ़िर अजय भी कभी उनका नहीं हो पायेगा. लन्ड पर तुरन्त ही झुकते हुये पद्मा ने पूरा मुहं खोला और अजय के तन्नाये पुरुषांग को निगल लिया. पद्मा के होंठ लन्ड के निचले हिस्से पर जमे हुये थे. मुहं के अन्दर तो लार का समुन्दर सा बह रहा था. आखिर पहली बार कोई लन्ड यहां तक पहुंचा था. लन्ड चुसाई करते हुए भी पद्मा के दिल में सिर्फ़ एक ही जज्बा था कि वो अजय को सैक्स के चरम पर अपने साथ ले जायेगी जहां ये लड़का सब कुछ भूल कर बस उन्हीं को चोदेगा.दो मिनट पहले के मानसिक आघात के बाद जो लन्ड थोड़ा नरम पड़ गया था वो फ़िर से अपने शबाब पर लौट आया. पद्मा के लम्बे बाल अजय की जांघों और पेट पर बिखर कर अलग ही रेशमी अहसास पैदा कर रहे थे. पिछली रात से बहुत ज्यादा अलग ना सही लेकीन काफ़ी मजेदार था ये सब. अजय ने भी अब सब कुछ सोचना छोड़ कर पद्मा के सिर को हाथों से थाम लिया और फ़िर कमर हिला हिला कर उनके मुहं को चोदने लगा. अजय का नियंत्रण खत्म हो गया. वो अभी झड़ना नहीं चाहता था परन्तु पद्मा का मखमली मुहं, वो जोश, वो गर्मी और मुहं से आती गोंगों की आवाजों से आपा खो कर उसका वीर्य बह निकला.
"ताई ताई" अजय सीत्कारा "रुको, रुको.. रुक जाओ" अजय चिल्लाया. पद्मा सब समझ गई. अजय छूटने वाला था. लन्ड की नसों मे बहते वीर्य का आभास पाकर पद्मा ने अपना मुहं हटाय़ा और गुलाबी सुपाड़े में से वीर्य की धार छूट पड़ी. पद्मा ने दोनो आंखें बन्द कर लीं. पद्मा का हाथ अजय के वीर्य से सना हुआ था. "बर्बाद" एक ही शब्द पद्मा के दिमाग में घूम रहा था. अभी तक झटके लेते लन्ड को पद्मा ने निचोड़ निचोड़ कर खाली कर दिया. लड़के के मुहं से कराह निकली
" ताई ताई, ये आपने क्या कर दिया?"
"वहीं, जो मुझे बहुत पहले कर देना चाहिये था" पद्मा ने जवाब दिया "तुमको मेरी जरूरत है. ना कि किसी चाची या किसी भी ऐरी गैरी लड़की या औरत की, तू सिर्फ़ मेरा है" उनके वाक्यों में गर्व मिश्रित अधिकार था.
अजय ने बिस्तर पर एक तरफ़ हटते हुये अपनी ताई के लिये जगह बना ली. पद्मा भी अजय के पास ही बिस्तर पर लेट गयी. खुद को इस तरह से व्यवस्थित किया की अजय का चेहरा ठीक उनके स्तनों के सामने हो और लन्ड उनके हाथ में. नाईट गाऊन के सारे बटन खोल कर पद्मा ने उसे अपने बदन से आज़ादी दे दी. अजय की आंखों के सामने ताई की नन्गी भरी पूरी जवानी बिखरी पड़ी थी. जबसे सैक्स शब्द का मतलब समझने लगा था उसकी ताई ने कभी भी उसे अपने इस रूप का दर्शन नहीं दिया था. हां चाची के साथ जरूर किस्मत ने कई बार साथ दिया था. अजय का सिर पकड़ पद्मा ने उसे अपने बड़े बड़े गोरे गुलाबी उरोजों में छिपा लिया. अजय थोड़ा सा कुनमुनाया.
"श्श्श्श". "मेरे बच्चे, तेरे लिये तेरी ताई ही सब कुछ है. कोई चाची या कोई भी दूसरी औरत मेरी जगह नही ले सकती. समझे?"
अजय के होठों ने अपने आप ही ताई ताई के निप्पलों को ढूंढ लिया. ताई के दोनों निप्पल बुरी तरह से तने हुये थे. शायद बहुत उत्तेजित थी. अपने भतीजे के लिये उसकी ताई ने इज्जत की परवाह भी ना की. अजय का मन पद्मा के लिये प्यार और सम्मान से भर गया. ताई भतीजे एक दूसरे से बेल की तरह लपटे पड़े थे. अजय का एक पांव पद्मा की कमर को जकड़े था तो हाथ और होंठ ताई के सख्त हुये मुम्मों पर मालिश कर रहे थे. लन्ड में भी धीरे धीरे जान लौटने लगी. पर दिन भर का थका अजय जल्दी ही अपनी ताई के आगोश में सो गया.
पद्मा थोड़ी सी हताश तो थी किन्तु अजय की जरुरतों को खुद से पहले पूरा करना उनकी आदत में था. खुद की टांगों के बीच में आग ही लगी थी पर अजय को जन्मजात अवस्था में खुद से लिपटा कर सोना उसे सुख दे रहा था. थोङी देर में पद्मा भी नींद के आगोश में समा गयी. जो कुछ भी उन दोनों के बीच हुआ वो तो एक बड़े खेल की शुरुआत भर था. एक ऐसा खेल जो इस घर में अब हर रात खेला जाने वाला था.
आधी रात के बाद अजय की नींद खुली। पिछले चौबीस घन्टों में अपने ही घर की दो सीधी सादी दिखने वाली भद्र महिलाओं के साथ हुये उसके अनुभव को याद करके अजय का लन्ड फ़िर तेजी से सिर उठाने लगा. बिस्तर पर उसकी ताई जन्मजात नन्गी अवस्था में उसकी बाहों में पड़ी हुयीं थीं. अजय की तरफ़ ताई की पीठ थी। ताई के कड़े निप्पलों को याद करके अजय का हाथ अपने आप ही पद्मा के बड़े बड़े स्तनों पर पहुंच गया. हथेली में एक स्तन को भर कर अजय हौले हौले से दबाने लगा. शायद ताई जाग जाये और क्या पता खुद को चोदने भी दे. आज की रात वो किसी औरत के जिस्म को बिना चोदे रह नहीं पायेगा. अजय ने धीरे से ताई की तरफ़ करवट बदलते हुये अपना लन्ड उनके भारी नितंबों की दरार में घुसेड़ दिया. अपनी चूतड़ पर दबाब पाकर पद्मा की आंखें खुल गईं.
"अजय, ये क्या कर रहे हो?", पद्मा बुदबुदाईं.

क्रमश:………………

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Re: सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

Unread post by The Romantic » 09 Nov 2014 21:29

दुलारा भतीजा
भाग -5


बिचारा अजय क्या बोलता की ताई मैं तुम्हे चोदना चाहता हूं. क्या कोई भी ये बात कभी भी अपनी ताई से कह पायेगा?
नहीं ना?
अजय ने जवाब में अपने गरम तपते होंठों से पद्मा के कानों को चूमा. बस. इतना करना ही काफ़ी था उस उत्तेजना से पागल हुई औरत के लिये. पद्मा ने खुद पेट के बल लेटते हुये अजय के हाथों को खींच कर अपनी झांटो के पास रखा और एक पैर सिकोड़ कर घुटना मोड़ते हुये उसे अपनी बुरी तरह गीली हुई चूत के दर्शन कराये. अजय ने ताई की झांटो भरी चूत पर उन्गलियां फ़िराई. परन्तु अनुभवहीनता के कारण ना तो वो उन बालों को अपने रास्ते से हटा पा रहा था ना ही चूत में अन्दर तक उन्गली करने का साहस कर पा रहा था. समस्या को तुरन्त ही ताड़ते हुये पद्मा ने अजय की उन्गलियो को अपने हाथों से चूत के होठों से छुलाया. फ़िर धीरे से अजय की उन्गली को गीली चूत के रास्ते पर आगे सरका दिया. जहां पद्मा को स्वर्ग दिख रहा था वहीं अजय ये सोच कर परेशान था की कहीं उसकी कठोर उन्गलियां उसकी प्यारी ताई की कोमल चूत को चोट ना पहुंचा दे. अजय शायद ये सब सीखने में सबसे तेज था. थोडी देर ध्यान से देखने के बाद बुद्धीमत्ता दिखाते हुये उसने अपनी उन्गली को चूत से बाहर खींच लिया. अब अपनी मध्यमा (बीच की सबसे बड़ी उन्गली) को चूतड़ के छेद के पास से कम बालों वाली जगह से ठीक ऊपर की तरफ़ ठेला. चूत के इस हिस्से में तो जैसे चिकने पानी का तालाब सा बना हुआ था. इस तरह धीरे धीरे ही सही अजय अपनी ताई की खुजली दूर करने लगा.
पद्मा सिसकी और अपनी टांगों को और ज्यादा खोल दिया. साथ ही खुल गई चूत की दीवारें भी. अब एक उन्गली से काम नही चलने वाला था. अजय ने कुहनियों के बल ताई के ऊपर झुकते हुये एक और उन्गली को अपनी साथी के साथ चूत को घिसने की जिम्मेदारी सौंप दी.
"आह, मेरे बच्चे", अत्यधिक उत्तेजना से पद्मा चींख पड़ी. बाल पकड़ कर अजय का चेहरा अपनी तरफ़ खींचा और अपने रसीलें गरम होंठ उसके होठों पर रख दिये.
आग में जैसे घी ही डाल दिया पद्मा ने. अजय ने आगे की ओर बढ़ते हुये ताई की जांघों को अपने पैरों के नीचे दबाया और फ़ुंकार मारते लन्ड से चूत पर निशाना लगाने लगा. अजय के शारीरिक बल और प्राकृतिक सैक्स कुन्ठा को देख कर पद्मा को शोभा की बात सच लगने लगी. नादान अजय के लन्ड को जांघों के बीच से हाथ डाल कर दबोचा और खाल को पीछे कर सुपाड़े को अपनी टपकती पावरोटी सी फ़ूली चूत के मुहांने पर रख दिया. कमर हिला हिला कर खुद ही उस कड़कड़ाते लन्ड को चूत रस से सारोबार करने के बाद फ़ुसफ़ुसाई "अब डाल न अन्दर इसे ।".
एक बार भी दिमाग में नहीं आया की ये कर्म अजय के साथ उनके एक नये रिश्ते को जन्म दे देगा. अब वो सिर्फ़ अजय की ताई नहीं बल्कि प्रेमिका, पत्नी सब कुछ बन जायेंगी. अजय ने ताई के मुम्मों को हथेलियों में जकड़ा और एक ही झटके में अपने औजार को ताई की पनियाती चूत में अन्दर तक उतार दिया.
"ओह ताई ताईआआ", "तुम्हारी बहुत गरम है अन्दर से" दोनों आंखे बन्द किये हुए चूत में लन्ड से खुदाई करने लगा. स्तनों को छोड़ अजय ने ताई की भरी हुई कमर को पकड़ा और अपनी तरफ़ खींचा कि शायद और अन्दर घुसने को मिल जाये. पद्मा का अपना कोई बच्चा नहीं था जो कुछ था वो अजय था उसके ताऊ के सामान्य लन्ड से इतने सालों तक चुदने बाद पद्मा की चूत अब भी काफ़ी टाईट बनी हुई थी. अजय का लन्ड आधा ही समा पाया था उस गरम चूत में.
"आह बेटा, चोद मुझे जोर जोर से, फ़क मी", पद्मा गिड़गिड़ाई. अपनी ताई के मुहं से ऐसे वचनों को सुनकर अजय पागल हो गया.
"हां, हां, हां. बेटा, रुक मत ।",
पद्मा आनन्द कराह रही थी. आज तक उनके पति ने कभी भी उनकी चूत को इस तरह से नहीं भरा था. सबकुछ काफ़ी तेजी के साथ हो रहा था और पद्मा अभी देर तक इन उत्तेजना भरे पलों का मजा उठाना चाहती थी. खुद को कुहनियों पर सम्भालते हुये पद्मा ने भी अजय के लन्ड की ताल के साथ अपने कुल्हों को हिलाना शुरु कर दिया. एक दूसरे को पूरा आनन्द देने की कोशिश में दोनो के मुहं से घुटी घुटी सी चीखें निकल रही थीं. "हां, लो और लो ताई, " लन्ड को पद्मा की चुत पर मारते हुये अजय बड़बड़ा रहा था.
अचानक पद्मा ने अपनी गति बढ़ा दी. अजय का लन्ड खुद को सम्भाल नहीं पाया और चूत से बाहर निकल कर ताई की गोल चूतड़ पर थपकियां देने लगा. "हाय, नो नो, अजय बेटा इधर आ,
प्लीईईईज" "ले भर ना इसे" पद्मा कुतिया की तरह एक टांग हवा में उठा कर कमर को अजय के लन्ड पर पटकती हुई मिन्नतें करने लगी.
लेकिन अजय का मन अब इस आसन से भर गया था. अब वो चोदते वक्त अपनी शयनयामिनी का चेहरा और उस पर आते जाते उत्तेजना के भावों को देखना चाहता था. ताई को अपने हाथों से करवट दे पीठ से बल पलटा और दोनों मोटी मोटी मांसल जाघों को अलग करते हुये उठा कर अपने कन्धों पर रख लिया. हजारों ब्लु फ़िल्मों को देखने का अनुभव अब जाकर काम आ रहा था. परन्तु एक बार फ़िर से ताई के अनुभवी हाथों की ज़रुरत आन पड़ी थी. पद्मा ने बिना कहे सुने ही तुरन्त लन्ड को पकड़ कर चूत का पावन रास्ता दिखाया और फ़िर अजय की कमर पर हाथ जमा एक ही धक्के में लन्ड को अपने अन्दर समा लिया.
अजय ने ताई के सुन्दर मुखड़े की तरफ़ देखा. गोरा चिकना चेहरा, ताल के साथ दबाने मसलने से लाल हो रहे थिरकते बड़े बड़े गोरे उरोज और उनके बीच में से उछलता हार नाईट लैम्प की मद्दम रोशनी में दमक रहे थे. उत्तेजना से फ़ुदकती चूत में अजय का लन्ड अन्दर बाहर हो रहा था और ताई किसी रन्डी कि तरह चीखने को विवश थी. "हांआआआआ, हां बेटाआआआ" "उंफ़, आह, आह, हाय राम मर गई".
मन ही मन सोचने लगी की शायद अजय के साथ में भी जानवर हो गयी हूं. अपने ही हाथों से अपने भतीजे की पीठ, कुल्हों और टांगो पर ना जाने कितनी बार नाखून गड़ा दिये मैनें.
अजय ने आगे झुक कर ताई के एक निपल को मुहं में दबा लिया. एक साथ चुदने और चुसे जाने से पद्मा खुद पर नियंत्रण खो बैठी. बड़े बड़े गोरे गुलाबी स्तनों के ऊपर अजय ने दांत गड़ा कर चाहे अपना हिसाब किताब पूरा कर लिया हो पर इससे तो पद्मा की चूत में कंपकंपी छूट गयी. पद्मा को अपनी चूत में हल्का सा बहाव महसूस हुआ. अगले ही क्षण वो एक ज्वालामुखी की तरह फ़ट पड़ी. ऐसा पानी छूटा की बस "ओह अजय, मेरे लाल, मैं ताई गई बेटा, आआआआहा".
पद्मा के गले से निकली चीख घर में जागता हुआ कोई भी आदमी आराम से सुन सकता था. पूरी ताकत के साथ अपने सुन्दर नाखून अजय के नितम्बों में गड़ा दिये.
पद्मा ने अजय को कस कर अपने सीने से लगा लिया. लेकिन अजय तो झड़ने से कोसों दूर था.
पद्मा ताई खुद थोड़ा सम्भली तो अजय से बोली "श्श्श्श्श बेटा, मैं बताती हूं कैसे करना है". पद्मा को अपनी बहती चूत के अन्दर अजय का झटके लेता लन्ड साफ़ महसूस हो रहा था. अभी तो काफ़ी कुछ सिखाना था इस नौजवान को. जब अजय थोड़ा सा शांत हुआ तो पद्मा ने उसे अपने ऊपर से धक्का दिया और पीठ के बल उसे पलट कर बैठ गईं. अजय समझ गया कल रात में चाची को अपने भतीजे के ऊपर सवारी करते देख ताई भी आज वहीं सब करेंगी. लेकिन अजय को इस सब से क्या मतलब उसे तो बस अपनी गरम गरम रॉड को किसी चिकनी चूत में जल्द से जल्द पैवस्त करना था. पद्मा ने अजय को एक बार भरपूर प्यार भरी निगाहों से देखा और फ़िर उसके ऊपर आ गईं. एक हाथ में अजय का चूत के झाग से सना लन्ड लिया तो सोचा की इसे पहले थोड़ा पोंछ लूं. अजय की छाती पर झुकते हुये उसकी छाती, पेट और नाभी पर जीभ फ़िराने लगी. खुद पर मुस्कुरा रहीं थीं कि सवेरे मल मल कर नहाना पड़ेगा. दिमाग ने एक बात और भी कही कि ये सब अजय के ताऊ से सवेरे आंखे मिलाने से पहले होना चाहिये. पद्मा ने बिस्तर पर बिखरे हुये नाईट गाऊन को उठा कर अजय के लन्ड को रगड़ रगड़ कर साफ़ किया. अपने खड़े हथियार पर चिकनी चूत की जगह खुरदुरे कपड़े की रगड़ से अजय थोड़ा सा आहत हुआ. हालांकि
लन्ड को पोंछना व्यर्थ ही था जब उसे ताई की रिसती चूत में ही जाना था. सवेरे से बनाया प्लान अब तक सही तरीके से काम कर रहा था. अजय को अपना सैक्स गुलाम बनाने की प्रक्रिया का अन्तिम चरण आ गया था. पद्मा ने अजय के लन्ड को मुत्ठी में जकड़ा और घुटनों के बल अजय के उपर झुकते हुये बहुत धीरे से लन्ड को अपने अन्दर समा लिया. पूरी प्रक्रिया अजय के लिये किसी परीक्षा से कम नहीं थी.
"हां ताई, प्लीज, जोर जोर से...ओह"
चिल्लाता हुआ अजय ताई की चूत भरे जा रहा था. जब अजय का लन्ड उसकी चूत की गहराईओं में खो गया तो पद्मा सीधी हुई. अजय के चेहरे को हाथों में लेते हुये उसे आदेश दिया "अजय, देख मेरी तरफ़". धीरे धीरे एक ताल से कमर हिलाते हुये वो अजय के लन्ड की भरपूर सेवा कर रही थीं. उस तगड़े हथियार का एक वार भी अपनी चूत से खाली नहीं जाने दिया. वो नहीं चाहती थी की अजय को कुछ भी गलत महसूस हो या जल्दबाजी में लड़का फ़िर से सब कुछ भूल जाये. "मै कौन हूं तेरी?" चुत को अजय के सुपाड़े पर फ़ुदकाते हुए पूछा. " ताई " अजय हकलाते हुये बोला. इस रात में इस वक्त जब ये औरत उसके साथ हमबिस्तर हो रही है तो उसे याद नहीं रहा की ताई किसे कहते है.
" ताई इतने सालों से तेरी हर जरूरत को पूरा करती आई है. है कि नहीं?" पद्मा ने पासा फ़ैंका. आगे झुकते हुये एक ही झटके में अजय का पूरा लन्ड अपनी चूत में निगल लिया.
"आआआआआह, हां ताई ताई, सब कुछ !" अजय हांफ़ रहा था. उसके हाथों ने ताई की चिकनी गोल चूतड़ को पकड़ कर नीचे की ओर खींचा.
"आज से तुम अपनी शारीरिक जरूरतों के लिये किसी भी दूसरी औरत की तरफ़ नहीं देखोगे. समझे?" अपने नितंबों को थोड़ा ऊपर कर दुबारा से उस अकड़े लन्ड पर धम्म से बैठ गईं.
"उउउह्ह्ह्ह, नो, नो, आज के बाद मुझे किसी और की जरुरत नहीं है." कमर ऊपर उछालते हुये ताई की चूत में जबर्दस्त धक्के लगाने लगा.
अजय के ऊपर झुकते हुये पद्मा ने सही आसन जमाया. "अजय, अब तुम जो चाहो वो करो. ठीक है" पद्मा की मुस्कुराहट में वासना और ममता का सम्मिश्रण था. अजय ने सिर उठा कर ताई के निप्पलों को होठों के बीच दबा लिया. पद्मा के स्तनों से बहता हुआ करन्ट सीधा उनकी चूत में पहुंचा. हांलाकि दोनों ही ने अपनी सही गति को बनाये रखा. जवान जोड़ों के विपरीत उनके पास घर की चारदीवारी और पूरी रात थी.
पद्मा ने खुद को एक हाथ पर सन्तुलित करते हुये दूसरे हाथ से अपनी चूचीं पकड़ कर अजय के मुहं में घुसेड़ दी. अजय ने भी भूखे जानवर की तरह बेरहमी से उन दो सुन्दर गुलाबी स्तनों का मान मर्दन शुरु कर दिया. ताई के हाथ की जगह अपना हाथ इस्तेमाल करते हुये अजय ने दोनों निप्पलों को जोर से उमेठा.
अब पद्मा ने आसन बदलते हुये एक नया प्रयोग करने का मन बनाया. अजय की टांगों को चौड़ा करके पद्मा उनके बीच में बैठ गयीं. एक बार के लिये अजय का लन्ड चूत से बाहर निकल गया परन्तु अब वो अपने पैरों को अजय की कमर के आस पास लपेट सकती थी. जब अजय भी उठ कर बैठा तो उसका लन्ड खड़ी अवस्था में ही ताई के पेट से जा भिड़ा. पद्मा ने नज़र नीची करके उस काले नाग की तरह फ़ुंफ़कारते लन्ड को अपनी नाभी के पास पाया. २ सेकेन्ड पहले भी ये लन्ड यहीं था लेकीन उस वक्त यह उनके अन्दर समाया हुआ था. अजय की गोद में बैठ कर पद्मा ने एक बार फ़िर से लन्ड को अपनी चूत में भरा. चूत के होंठ बार बार सुपाड़े के ऊपर फ़िसल रहे थे. अजय ने घुटनों को मोड़ कर उपर ऊठाने का प्रयत्न किया किन्तु ताई के भारी शरीर के नीचे बेबस था.
"ऊईईई माआआं" पद्मा सीत्कारी. अजय की इस कोशिश ने उनको उठाया तो धीरे से था पर गिरते वक्त कोई जोर नहीं चल पाया और खड़े लन्ड ने एक बार फ़िर ताई की चूत में नई गहराई को छू लिया था. पद्मा ने उसके कन्धे पर दांत गड़ा दिये उधर अजय भी इस प्रक्रिया को दुहराने लगा. पद्मा ने अजय का कन्धा पकड़ उसे दबाने की कोशिश की. इतना ज्यादा आनन्द उसके लिये अब असहनीय हो रहा था. ताई भतीजे की ये सैक्सी कुश्ती सिसकियों और कराहों के साथ कुछ क्षण और चली.
पसीने से तर दोनों थक कर चूर हो चूके थे पर अभी तक इस राऊंड में चरम तक कोई भी नहीं पहुंचा था. थोड़ी देर रुक कर पद्मा अपने लाड़ले भतीजे के सीने और चेहरे को चूमने चाटने लगी. अजय को अपने सीने से लगाते हुये पूछा, "शोभा कौन है तुम्हारी?".
"कौन?" इस समय ऐसे सवाल का क्या जवाब दिया जा सकता था? अजय ने एक जोरदार धक्का मारते हुये कहा.
"कोई नहीं, राईट?" पद्मा ने भी अजय के धक्के के जवाब में कमर को झटका दे उसके लन्ड को अपनी टाईट चूत में खींच लिया. ताई के जोश को देख कर बेटा समझ गया कि शोभा जो कोई भी हो अब उसे भूलना पड़ेगा.
"उसका काम था तुम को मर्द बना कर मेरे पास लाना. बस. अब वो हमेशा के लिये गई. समझ गये?" पद्मा के गुलाबी होंठों पर जीत की मुस्कान बिखर गई.
इतनी देर से चल रहे इस चुदाई कार्यक्रम से अजय के लन्ड का तो बुरा हाल था ही पद्मा कि चूत भी अन्दर से बुरी तरह छिल गय़ी थी. शोभा सही थी. उसके भतीजे ने जानवरों जैसी ताकत पाई है. और ये अब सिर्फ़ और सिर्फ़ उसकी है. अजय को वो किसी भी कीमत पर किसी के साथ भी नहीं बाटेगी.
"अजय बेटा. बस बहुत हो गया. अब झड़ जा. ताई कल भी तेरे पास आयेगी" पद्मा हांफ़ने लगी थी. अजय का भी हाल बुरा था. उसके दिमाग ने काम करना बन्द कर दिया था. समझ में नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दे. बस पद्मा के फ़ुदकते हुये मुम्मों को हाथ के पंजों में दबा कमर उछाल रहा था.
"ऊहहहहहहहहहह! हां! ऊइइइ ताई ताईआआ!" चेहरे पर असीम आनन्द की लहर लिये पद्मा बिना किसी दया के अजय के मुस्टंडे लन्ड पर जोर जोर से चूत मसलने लगी. "आ आजा बेटा, भर दे अपनी ताई को", अजय को पुचकारते हुये बोली.
इन शब्दों ने जादू कर दिया. अजय रुक गया. दोनों जानते थे कि अभी ये कार्यक्रम काफ़ी देर तक चल सकता है लेकिन उन दोनों के इस अद्भुत मिलन की साथी उन आवाजों को सुनकर गोपाल किसी भी वक्त जाग सकते थे और यहां कमरे में आकर अपने ही घर में चलती इस पाप लीला को देख सकते थे. काफ़ी कुछ खत्म हो सकता था उसके बाद और दोनों ही ऐसी कोई स्थिति नहीं चाहते थे. अजय ने धक्के देना बन्द कर आंखे मूंद ली. लन्ड ने गरम खौलते हुये वीर्य की बौछारे ताई की चूत की गहराईयों में उड़ेल दी. "ओह" पद्मा चीख पड़ी.
जैसे ही वीर्य की पहली बौछार का अनुभव उन्हें हुआ अपनी चूत से अजय के फ़ौव्वारे से लन्ड को कस के भींच लिया. अगले पांच मिनट तक लन्ड से वीर्य की कई छोटी बड़ी फ़ुहारें निकलती रहीं. थोड़ी देर बाद जब ज्वार उतरा तो पद्मा उसके शरीर पर ही लेट गय़ीं. भारी भरकम स्तन अजय की छातियों से दबे हुये थे. अजय ने पद्मा के माथे को चूमा और गर्दन को सहलाया.
" ताई ताई, मैं हमेशा सिर्फ़ तुम्हारा रहूंगा. तुम जब चाहो जैसे चाहो मेरे संग सैक्स कर सकती हो, आज के बाद मैं किसी और की तरफ़ आंख उठा कर भी नहीं देखूंगा", अजय ने अपनी ताई ताई, काम क्रीड़ा की पार्टनर पद्मा को वचन दिया. पद्मा ने धीरे से सिर हिलाया. अजय आज के बाद उनकी आंखों से दुनिया देखेगा. एक बार फ़िर अजय को सब कुछ सिखाने की जिम्मेदारी उनके ऊपर थी. और अब उन्हें भी सैक्स में वो सब करने का मौका मिलेगा जो उनके पति के दकियानूसी विचारों के कारण आज तक वह करने से वंचित रहीं. अजय को फ़िर से पा लेने की सन्तुष्टी ने उनके मन से अपने कृत्य की ग्लानि को भी मिटा दिया था. पद्मा ने अजय के मोबाईल में सवेरे जल्दी उठने का अलार्म सेट किया ताकि अपने पति से पहले उठ कर खुद नहा धो कर साफ़ हो सकें. मोबाईल साथ ले अजय के होठों पर गुड नाईट किस दिया और अपने कमरे में चली गयी.

क्रमश:………………

The Romantic
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Re: सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

Unread post by The Romantic » 09 Nov 2014 21:30

दुलारा भतीजा
भाग - 6



उस रात के बाद पद्मा के जीवन में एक नया परिवर्तन आ गया. अपने अजय के साथ संभोग करते समय हर तरह का प्रयोग करने की छूट थी जो उनका उम्रदराज पति कभी नहीं करने देता था. हालांकि दैनिक जीवन में दोनों काफ़ी सतर्क ताई भतीजे की तरह रहते थे. दोनों के बीच बातचीत में उनके सैक्स का जिक्र कभी नहीं आता था. पद्मा ने अजय के व्यवहार में भी बदलाव महसूस किया. अजय पहले की तुलना में काफ़ी शान्त और समझदार हो गया था. सबकुछ अजय के बेडरूम में ही होता था और वो भी रात में कुछ घन्टों के लिये.
पद्मा ही अजय के बेडरूम में जाती थी जब उन्हें महसूस होता था की अजय की जरुरत अपने चरम पर है. बाकी समय दोनों के बीच सब कुछ सामान्य था या यूं कहें की दोनों और ज्यादा करीब आ गये थे. हाँ, अजय के कमरे में दोनों के बीच दुनिया की कोई तीसरी चीज नहीं आ सकती थी. अजय और पद्मा यहां वो सब कर सकते थे जो वो दोनों अश्लील फ़िल्मों में देखते और सुनते थे. एक दूसरे को सन्तुष्ट करने की भावना ही दोनों को इतना करीब लाई थी.

इस सब के बीच में फ़िर से शोभा चाची का आना हुआ. काफ़ी दिनों से कुमार अपने बड़े भाई के घर जाना चाहता था और शोभा इस बार उसके साथ जाना चाहती थी. पिछली बार शोभा ने कुमार को वहां से जल्दी लौटने के लिये जोर डाला था और कुमार बिचारा बिना कुछ जाने परेशान सा था कि अचानक से शोभा का मूड क्यूं बिगड़ गया. खैर अब सब कुछ फ़िर से सामान्य होता नज़र आ रहा था. उधर शोभा अपने घर लौटने के बाद भी अजय को अपने दिमाग से नहीं निकाल पाई थी. अजय के साथ हुये उस रात के अनुभव को उसने कुमार के साथ दोहराने का काफ़ी प्रयत्न किया परन्तु कुमार में अजय की तरह किशोरावस्था की वासना और जानवरों जैसी ताकत का नितान्त अभाव था. कुमार काफ़ी पुराने विचारों वाला था. शोभा को याद नहीं कि कभी कुमार ने उसे ढंग से सहलाया और चाटा हो. लेकिन अजय ने तो उस एक रात में ही उसके पेटीकोट में घुस कर सूंघा था. क्या पता अगर वो अजय को उस समय थोड़ा प्रोत्साहन देती तो लड़का और आगे बढ़ सकता था. चलो फ़िर किसी समय सही....शोभा पद्मा के घर में फ़िर से उसी रसोईघर में मिली जहां उसने अजय के साथ अपनी रासलीला को स्वीकारा था. अजय एक मिनट के लिये अपनी चाची से मिला परन्तु जल्द ही शरमा कर चुपचाप खिसक लिया था. अभी तक वो अपनी प्रथम चुदाई का अनुभव नहीं भूला था जब उसकी चाची ने गरिमापूर्ण तरीके से उसे सैक्स जीवन का महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाया था. "सो, कैसा चल रहा है सब कुछ",
शोभा ने पूछा."क्या कैसा चल रहा है?" पद्मा ने शंकित स्वर में पूछा.
अपनी और अजय की अतरंगता को वो शोभा के साथ नहीं बांट सकती थी."वहीं सबकुछ, आपके और भाई साहब के बीच में.." शोभा ने पद्मा को कुहनी मारते हुये कहा. दोनों के बीच सालों से चलता आ रहा था इस तरह का मजाक और छेड़खानी."आह, वो", पद्मा ने दिमाग को झटका सा दिया. अब उसे बिस्तर में अपने पति की जरुरत नहीं थी. अपनी शारीरिक जरुरतों को पूरा करने के लिये रात में किसी भी समय वो अजय के पास जा सकती थी. अजय जो अब सिर्फ़ उनका भतीजा ही नहीं उनका प्रेमी भी था."दीदी, क्या हुआ?" शोभा के स्वर ने पद्मा के विचारों को तोड़ा."नहीं, कुछ नहीं. आओ, हॉल में बैठ कर बातें करते हैं".
साड़ी के पल्लू से अपने हाथ पोंछती हुई पद्मा बाहर हॉल की तरफ़ बढ़ गई. हॉल में इस समय कोई नहीं था. दोनों मर्द खाने के बाद अपने अपने कमरों मे सोने चले गये थे और अजय का कहीं अता पता नहीं था. दिन भर में अजय ने सिर्फ़ एक बार ही अपनी चाची से बात की थी और पहले की तुलना में काफ़ी सावधानी बरत रहा था. उसके हाथ शोभा को छूने से बच रहे थे और ये बात शोभा को बिल्कुल पसन्द नहीं आई थी. पद्मा सोफ़े पर पसर गई और शोभा उसके बगल में आकर जमीन पर ही बैठ गयी."आपने जवाब नहीं दिया दीदी."
"क्या जवाब?" पद्मा झुंझला गयी. ये औरत चुप नहीं रह सकती. "मुझे अब उनकी जरुरत नहीं है" फ़िर थोड़ा संयन्त स्वर में बोली. "क्यूं?" शोभा ने पद्मा के चेहरे को देखते हुए पूछा. "क्या कहीं और से...?" शोभा के होठों पर शरारत भरी मुस्कान फ़ैल गई. पद्मा शरमा गई. "क्या कह रही हो शोभा? तुम्हें तो पता है कि मैं गोपाल को कितना प्यार करती हूं. तुम्हें लगता है कि मैं ऐसा कर सकती हूं?" "हां तुमने जरूर ये कोशिश की थी" पद्मा ने बात का रुख पलटते हुये कहा. अजय और शोभा के संसर्ग को अभी तक दिमाग से नहीं निकाल पाई थी. चूंकि अब वो भी अजय के युवा शरीर के आकर्षण से भली भांति परिचित थी अतः वो इसका दोष अकेले शोभा को भी नहीं दे सकती थी. लेकिन अजय को अब वो सिर्फ़ अपने लिये चाहती थी. शोभा पद्मा के कटाक्ष से आहत थी. खुद को नैतिक स्तर पर पद्मा से काफ़ी छोटा महसूस कर रही थी."आप जैसा समझ रही हैं वैसा कुछ भी नहीं था मेरे मन में. हां उसके कमरे में गलती से में घुसी जरूर थी फ़िर अपने ही भतीजे को तड़पते देख उसकी जरुरत को पूरा करने की भावना में बह मैनें ये सब किया था।"
वो पद्मा के सामने सिर झुकाये बैठी रही. पद्मा ने अपना हाथ शोभा के कन्धे पर रखते हुये कहा "हमने कभी इस बारे में खुल कर बात नहीं की ना?"
"मुझे लगा आप मुझसे नाराज है. इसी डर से तो में उस दिन चली गई थी" शोभा बोली.
"लेकिन मैं तुमसे नाराज नहीं थीं."
शोभा के कन्धे पर दबाव बढ़ाते हुये पद्मा ने कहा.
"फ़िर आप कुछ बोली क्यूं नहीं""मैं उस वक्त कुछ सोच रही थी और जब मुड़ कर देखा तो तुम जा चुकी थीं. अब मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है. इस उम्र के बच्चों को ही अच्छे बुरे की पहचान नहीं होती और फ़िर तुम उसके कमरे में गलती से ही घुसी थीं. अजय को देख कर कोई भी औरत आकर्षित हो सकती है"."हां दीदी, मैं भी आज तक उस रात को नहीं भूली. उसकी वो ताकत और वो जुनून मुझे आज भी रह रह कर याद आता है. कुमार और मैं सैक्स सिर्फ़ एक दुसरे की जरूरत पूरा करने के लिये ही करते हैं." "अजय ने मेरी बरसों से दबी हुई इच्छाओं को भड़का दिया है और ये अब मुझे हमेशा तड़पाती रहेंगी. लेकिन जो हुआ वो हुआ. उस वक्त हालात ही कुछ ऐसे थे. अब ये सब मैं दुबारा नहीं होने दूंगी. शोभा के स्वर में उदासी समाई हुई थी. मालूम था की झूठ बोल रही है. उस रात के बारे में सोचने भर से उसकी चूत में पानी भर गया था. पद्मा ने शोभा की ठोड़ी पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर उठाया, बोली "उदास मत हो छोटी, अजय है ही ऐसा. मैनें भी उसे महसूस किया है. सच में एक एक इन्च प्यार करने के लायक है वो".
शोभा पद्मा के शब्दों से दंग रह गयी,"क्या कह रही हो दीदी ?" पद्मा को अपनी गलती का अहसास हो गया. कुछ भावनाओं में बह कर पाप का राज संगी पापी के संग बांटने के लिए उसने शोभा को उसके और अजय के बीच बने नये संबंधों का इशारा ही दे दिया था. शोभा ने पद्मा को हाथ पकड़ कर अपने पास खींचा और बाहों में भर लिया. "क्या हुआ था दीदी" शोभा की उत्सुकता जाग गयी."मैं नहीं चाहती थी अजय मेरे अलावा किसी और को चाहे. पर उसके मन में तो सिर्फ़ तुम समाई हुयीं थी.""तो, आपने क्या किया?""उस रात, तुम्हारे जाने के बाद मैं उसके कमरे में गई, बिचारा मुट्ठ मारते हुये भी तुम्हारा नाम ले रहा था. मुझसे ये सब सहन नहीं हुआ और मैनें उसका लन्ड अपने हाथों में ले लिया और फ़िर...." पद्मा अब टूट चुकी थी. शोभा के हाथ पद्मा की पीठ पर मचल रहे थे. जेठानी के बदन से उठती आग वो महसूस कर सकती थी.
"क्या अजय ने आपके बड़े बड़े ये (स्तन) भी चूसे थे?" बातों में शोभा ही हमेशा बोल्ड रही थी."हां री, और मुझे याद है कि उसने तुम्हारे भी चूसे थे." पद्मा ने पिछले वार्तालाप को याद करते हुये कहा. उसके हाथ अब शोभा के स्तनों पर थे. अपनी बहन जैसी जेठानी से मिले इस सिग्नल के बाद तो शोभा के जिस्म में बिजलियां सी दौड़ने लगीं. पद्मा भी अपने ब्लाऊज और साड़ी के बीच नन्गी पीठ पर शोभा के कांपते हाथों से सिहर उठी. दोनों औरतों को कोई गुमान नहीं था. ना तो पद्मा को आज तक ऐसा आर्गैज्म आया था ना ही शोभा को. लेकिन शोभा के उछलते चूतड़ों की बढ़ती गति और सिकुड़ते फ़ैलते चूत के होठों को देखकर अनुमान लगाया जा सकता था कि अब क्या होने वाला है. जब शोभा की चूत की दीवारों से पानी छूटा वो जैसे अन्दर ही अन्दर पिघल गई वो. थोड़ी देर में शोभा सुस्त हो कर पद्मा के ऊपर ही गिर पड़ी. इस शक्तिशाली ओर्गैज्म ने उसके शरीर से पूरी ताकत निचोड़ ली थी. अब दोनों ही औरते एक दूसरे के रस से लथपथ हुई पड़ी थीं.
शोभा पद्मा के शरीर पर से उतर कर जमीन पर उसके बाजु में आ गयी और उसकी तरफ़ चेहरा कर लेट गयी.
"आपमें और मुझमें कोई मुकाबला नहीं है दीदी." शोभा बुदबुदाई. "जैसे अजय आपका है वैसे ही मैं भी आपकी ही हूं. आप हम दोनों को ही जैसे मर्जी चाहे प्यार कर सकती है. अगर ये सब मुझे आप से ही मिल जायेगा तो मैं किसी की तरफ़ नहीं देखूंगी" कहते हुये शोभा ने अपनी आंखें नीची कर ली.
शोभा के बोलों ने पद्मा को भी सुधबुध दिलाई को वो दोनों इस वक्त हॉल में किस हालत में है. कुशन, कपड़े और फ़र्नीचर, सब बिखड़ा पड़ा था. इस हालत में तो दुबारा पहले की तरह कपड़े पहन पाना भी मुश्किल था. पद्मा ने शोभा की चूतड़ पर थपकी दी और बोली,
"छोटी, हम दोनों को अब उठ जाना चाहिये. कोई आकर यहां ये सब देख ना ले".
"म्म्मं, नहीं", शोभा ने बच्चों की तरह मचलते हुये कहा। पद्मा ने समझा बुझा कर उसे अपने से अलग किया. हॉल में बिखरे पड़े अपने कपड़ों को उठा कर साड़ी को स्तनों तक लपेट लिया और ऊपर अपने कमरे की राह पकड़ी. जाती हुई पद्मा को पीछे से देख कर शोभा को पहली बार किसी औरत की मटकती चूतड़ का मर्दों पर जादुई असर का अहसास हुआ.
पद्मा ने पलट कर एक बार जमीन पर पसरी पड़ी शोभा पर भरपूर नज़र डाली और फ़िर धीमे से गुड नाईट कह ऊपर चढ़ गई.



शोभा की आंखें थकान और नींद से बोझिल हो चली थी और दिमाग अब भी पिछले २-३ महीनों के घटनाक्रम को याद कर रहा था. अचानक ही कितना कुछ बदल गया था उसके सैक्स जीवन में.
पहले अपने ही भतीजे अजय से अकस्मात ही बना उसका अवैध संबंध फ़िर पति द्वारा संभोग के दौरान नये नये प्रयोग और अब बहन जैसी जेठानी से समलैंगिक सैक्स. किसी मादा शरीर से मिला अनुभव नितांत अनूठा था पर रात में इस समय बिस्तर में किसी पुरुष के भारी कठोर शरीर से दबने और कुचले जाने का अपना अलग ही आनन्द है. काश अजय इस समय उसके पास होता. किस्मत से एक ही बार मौका मिला था उसे परन्तु पद्मा तो हर रात ही अजय से चुदने का लुत्फ़ लेती होगी. आज अजय मिल जाये तो उसे काफ़ी कुछ नया सिखा सकती है. अजय अभी नौजवान है और उसे बड़ी आसानी प्रलोभन देकर अपनी चूत चटवाई जा सकती है. फ़िर वो पद्मा के मुहं की तरह ही उसके मुहं पर भी वैसे ही पानी बरसायेगी. मजा आ जायेगा.
पता नहीं कब इन विचारों में खोई हुई उसकी आंख लग गयी. देर रात्रि में जब प्यास लगने पर उठी तो पूरा घर गहन अन्धेरे में डूबा हुआ था. बिस्तर के दूसरी तरफ़ कुमार खर्राटे भर रहे थे. पानी पीने के लिये उसे रसोई में जाना पड़ेगा सोच कर बहुत आहिस्ते से अपने कमरे से बाहर निकली. सामने ही अजय का कमरा था. हे भगवान अब क्या करे. पद्मा को वचन दिया है कि कभी अजय की तरफ़ गलत निगाह से नहीं देखेगी. पर सिर्फ़ एक बार दूर से निहार लेने से तो कुछ गलत नहीं होगा. दिल में उठते जज्बातों को काबू करना जरा मुश्किल था.
सिर्फ़ एक बार जी भर के देखेगी और वापिस आ जायेगी. यही सोच कर चुपके से अजय के कमरे का दरवाजा खोला और दबे पांव भीतर दाखिल हो गई. कमरे में घुसते ही उसने किसी मादा शरीर को अजय के शरीर पर धीरे धीरे उछलते देखा. पद्मा के अलावा और कौन हो सकता है इस वक्त इस घर में जो अजय के इतना करीब हो. अजय की कमर पर सवार उसके लन्ड को अपनी चूत में समाये पद्मा तालबद्ध तरीके से चुद रही थी. खिड़की से आती स्ट्रीट लाईट की मन्द रोशनी में उसके उछलते चूंचे और मुहं से निकलती धीमी कराहो से पद्मा की मनोस्थिति का आंकलन करना मुश्किल नहीं था.
"कुतिया, अभी अभी मुझसे से चुदी है और फ़िर से अपने भतीजे के ऊपर चढ़ गई" मन ही मन पद्मा को गन्दी गन्दी गालियां बक रही थी शोभा. खुद के तन भी वही आग लगी हुई थी पर मन तो इस जलन से भर उठा कि पद्मा ने उसे अजय के मामले में पछाड़ दिया है. उधर पद्मा पूरे जोशोखरोश के साथ अजय से चुदने में लगी हुई थी. रह रहकर उसके हाथों की चूड़ियां खनक रही थी. गले में पड़ा हार भी दोनों स्तनों के बीच उछल कर थपथपा कर उत्तेजक संगीत पैदा कर रहा था और ये सब शोभा की चूत में फ़िर से पानी बहाने के लिये पर्याप्त था. पहले से नम चूत की दीवारों ने अब रिसना चालू कर दिया था. आभूषणों से लदी अजय के ऊपर उछलती पद्मा काम की देवी ही लग रही थी. शोभा को अजय का लन्ड चाहिये था. सिर्फ़ पत्थर की तरह सख्त अजय का मासपिण्ड ही उसे तसल्ली दे पायेगा. अब यहां खड़े रह कर इनकी काम क्रीड़ा देखने भर से काम नहीं चलने वाला था.
शोभा मजबूत कदमों के साथ पद्मा की और बढ़ी और पीछे से उसका कन्धा थाम कर अपनी और खींचा. हाथ आगे बढ़ा शोभा ने पद्मा के उछलते कूदते स्तनों को भी हथेलियों में भर लिया. कोई और समय होता तो पद्मा शायद उसे रोक पाती पर इस क्षण तो वो एक चरम सीमा से गुजर रही थी. अजय नीचे से आंख बन्द किये धक्के पर धक्के लगा रहा था. उसे ताई के दुख रहे मुम्मों का कोई गुमान नहीं था. इधर पद्मा को झटका तो लगा पर इस समय स्तनों को सहलाते दबाते शोभा के मुलायम हाथ उसे भा रहे थे. कुछ ही क्षण में आने वाली नई स्थिति को सोचने का समय नहीं था अभी उसके पास. शोभा को बाहों में भर पद्मा उसके सहारे से अजय के तने हथौड़े पर कुछ ज्यादा ही जोश से कूदने लगी.
"शोभा--आह--आआह", पद्मा अपनी चूत में उठती ऑर्गैज्म की लहरों से जोरो से सिसक पड़ी।
वो भी थोड़ी देर पहले ही अजय के कमरे में आई थी. शोभा की तरह उसकी चूत की आग भी एक बार में ठंडी नहीं हुई थी और आज अजय की बजाय अपनी प्यास बुझाने के उद्देश्य से चुदाई कर रही थी. अजय की जब नींद खुली तो ताई बेदर्दी से उसके फ़ूले हुये लण्ड को अपनी चूत में समाये उठक बैठक लगा रही थी. कुछ ना कर पाया लाचार अजय. आज रात अपनी ताई की इस हिंसक करतूत से संभल भी नहीं पाया था कि दरवाजे से किसी और को भी कमरे में चुपचाप आते देख कर हैरान रह गया. पर किसी भी तरह के विरोद्ध की अवस्था में नहीं छोड़ था आज तो ताई ने.
"शोभा तुम्हें यहां नहीं आना चाहिये था, प्लीज चली जाओ." पद्मा अनमनी सी बोली थी. शोभा के गदराये बदन को बाहों में लपेटे पद्मा उसकी हथेलियों को अपने दुखते स्तनों पर फ़िरता महसूस कर रही थी. लेकिन अपने भतीजे के सामने.. नहीं नहीं. रोकना होगा ये सब. किन्तु किशोर अजय का लण्ड तो ताई के मुख से अपनी चाची का नाम सुनकर और ज्यादा कठोर हो गया.
पद्मा ने शोभा को धक्का देने की कोशिश की और इस हाथापाई में शोभा के बदन पर लिपटी एक मात्र रेशमी चादर खुल कर गिर पड़ी. हॉल से आकर थकी हुई शोभा नंगी ही अपने बिस्तर में घुस गई थी. जब पानी पीने के लिये उठी तो मर्यादावश बिस्तर पर पड़ी चादर को ही लपेट कर बाहर आ गई थी. शोभा के नंगे बदन का स्पर्श पा पद्मा के तन बदन में बिजली सी दौड़ गई. एकाएक उसका विरोध भी ढीला पड़ गया. अजय के लण्ड को चोदते हुये पद्मा और कस कर शोभा से लिपट गई. नीचे अजय अपनी ताई की गीली हुई चूत को अपने लण्ड से भर रहा था शोभा के मन में डर पैदा हो गया कि कहीं अजय उसकी चूत भरने से पहले ही झड़ ना जाये उसने ऊपर से दाहिना हाथ आगे बढ़ा हथेली को संभोगरत ताई भतीजे के मिलन स्थल यानि पद्मा की चूत के पास फ़सा दिया. किसी अनुभवी खिलाड़ी की तरह शोभा ने क्षण भर में ही पद्मा के तने हुये चोचले को ढूंढ निकाला और तुरंत ही चुटकी में भर के उस बिचारी को जोरों से मसल दिया. लण्ड पर चाची की उन्गलियों का चिर परिचित स्पर्श पा अजय मजे में कराहा,
"चाचीईईईई".
"हां बेटा", शोभा चाची ने भी नीचे देखते हुये हुंकार भरी.

क्रमश:………………

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