रश्मि एक सेक्स मशीन compleet

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:03



ट्रेन चलने लगी थी. धीरे धीरे वो मुझसे बातें करने लगे और मैं उनसे खुलने लगी. मैने अपनी आप बीती उन्हे सुनाई तो स्वामी जी ने मेरे सिर पर हाथ फेरा. मुझे ऐसा लगा मरो बिजली की तरंगे उनके हाथ से निकल कर मेरे जिस्म मे प्रवेश कर रही हैं.



“ बस तुम ने जिंदगी मे बहुत दुख झेले हैं. तुम तो अपनी जिंदगी समाप्त करने जा रही थी. हमने तुम्हे बचा लिया. तो हमारे कहे अनुसार अपनी बाकी की जिंदगी हमारे हवाले कर दो. मैं रास्ता दिखाउन्गा तुम्हे आत्मिक सच का. जीवन के सच्चे आनंद का मार्ग दिखाउन्गा.” कहते हुए उन्हों ने मेरे माथे को चूमा. मैने नीचे बैठ कर उनके चरण छ्छू कर उनमे अपनी श्रद्धा और सहमति जताई.



मैं उनके साथ चलती हुई देल्ही चली आइ. यहा आश्रम के वातावरण मे मे इतनी घुलमिल गयी कि मुझमे किसी बात की कोई चिंता नही रह गयी. यहाँ के उन्मुक्त वातावरण मे रहते हुए मैं खुद अपने आप को स्वामी जी की सेवा मे न्योचछवर कर दिया. जिस दिन इन्हों ने मुझे पहली बार च्छुआ मुझे लगा कि मेरा जीवन सफल हो गया है.



“ सच रजनी, तुम बहुत खुशनसीब हो जो आख़िर तक स्वामीजी की छत्र छाया मे आ ही गयी. स्वामी जी उस विशाल पेड की तरह हैं जिस की छत्र छाया मे आने वाले हर किसी को सिर्फ़ मन की ठंडक ही नही बल्कि तन की भूख से भी निजात मिलती है.” मैने रजनी की हथेलियों को अपनी हथेली से दबाया.



तभी एक आदमी ने आकर बताया कि स्वामी जी ने मुझे बुलाया है. मैने रजनी से विदा ली और उस आदमी के साथ साथ स्वामी जी के कमरे मे पहुँची. स्वामी जी इस वक़्त एक अलग कमरे मे थे. इस कमरे मे चारों तरफ शीशा लगा हुआ था. मेरा अक्स हर दीवार पर नज़र आ रहा था. कमरे के बीच ज़मीन पर एक आसान बिच्छा था.



स्वामी जी उस आसान पर बिल्कुल नग्न बैठे थे. उनका लिंग पूरा तना हुआ उनकी जांघों के बीच खड़ा था. उनकी आँखें बंद थी मगर एक एक रोया उत्तेजना से फदक रहा था. पूरे कमरे मे एक हल्की सी रोशनी हो रही थी और पिन ड्रॉप साइलेंट था. यहाँ तक की चलने फिरने से कपड़ों के रगड़ खाने की आवाज़ भी सुनाई दे रही थी. पूरे कमरे मे भीनी भीनी एक सुगंध फैली हुई थी जिससे कमरे का वातावरण और ज़्यादा नशीला हो रहा था. ऐसे वातावरण मे जब कोई सेक्स की कामना करे तो सामने वाला कितना भी सख़्त दिल हो अपने ऊपर काबू नही रख पाता है.



मैं चलते हुए उनके सामने जाकर खड़ी हुई. उस आदमी ने मेरे पीछे आकर मेरे गाउन की डोर को ढीला कर दिया और उसे खोल कर कंधे से उतार दिया. मैने अपनी बाँहें पीछे की ओर करके उसे उसके काम मे मदद की.

raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:04


अब मैं भी बिल्कुल नग्न थी. उस आदमी ने मेरे गाउन को तह करके एक बक्से के उपर रख दिया और बिना किसी आवाज़ के बाहर निकल गया. कमरे के दरवाजे के बंद होने की हल्की सी “क्लिक” की आवाज़ सुन कर स्वामीजी ने अपनी आँखें खोली. मुझे अपने सामने नग्न अवस्था मे देख कर उनके होंठो पर एक हल्की सी मुस्कुराहट दौड़ गयी.



स्‍वमी जी ने अपना एक हाथ मेरी ओर बढ़ा दिया. मैने भी अपना हाथ बढ़ा कर उनके हाथ पर रख दिया. उन्हों ने मेरी हथेली को थाम कर हल्के से अपनी ओर खींचा. मैं अपने घुटने मोड़ कर उनके सामने बैठ गयी.



हम दोनो घुटनो के बल एक दूसरे को छ्छूते हुए आमने सामने बैठे थे. उस कमरे मे हर ओर सिर्फ़ और सिर्फ़ उत्तेजना फैली हुई थी. मेरा बदन एक अद्भुत रोमांच से सिहर रहा था. मेरी योनि से तरल प्रेकुं बहता हुया बाहर निकल रहा था.



स्वामी जी ने घुटने के बल उठ कर मुझे अपनी बाँहों मे भर लिया और अपने तपते होंठों से मेरे होंठों को हल्के से च्छुआ. मैं उत्तेजना बर्दस्त नही कर पा रही थी. मैने अपने हाथों मे उनके सिर को थाम लिया. और मानो उनके होंठों पर टूट पड़ी. मेरे सूखे होंठ उनके होंठों को मसल्ने लगे. मैने अपनी जीभ उनके मुँह मे डाल दी और उनके मुँह मे फिराने लगी. मेरी जीभ के धक्कों से उनकी भी जीभ चुप नही रह सकी और फिर दोनो की जीभ एक दूसरे से गुत्थम गुत्था हो गयी.



ऐसा लग रहा था मानो मैं पहली बार किसी मर्द के संपर्क मे आइ हूँ. मैं सेक्स मे पागल हो रही थी. मगर वो थे कि उनपर मानो कोई असर नही हो रहा था. कुच्छ देर तक उन्हों ने मुझे अपनी कर लेने दिया फिर कंधों से पकड़ कर मुझे अपने से अलग किया. मुझे अपने से कुच्छ दूर कर कुच्छ लम्हों तक मेरे एक एक अंग को निहारते रहे.



“क्या…देख रहे हैं…?” मेरे बाल खुल कर चेहरे पर बिखर गये थे और आँखें उत्तेजना मे बंद हुई जा रही थी.



“ तुम्हे रश….” आज पहली बार उनके मुँह से अपने लिए “देवी” की जगह अपना नाम वो भी इतने प्यार से, सुन कर एक बार तो विश्वास ही नही हुआ.



“ क्या कहा…..क्या कहा अपने? एक बार और पुकारो. प्लीज़..” मेरे कन उनकी मीठी आवाज़ को सुनने के लिए तरस रहे थे.



“ रश…..रश्मि देवी.”



“ नही रश…रश ही ठीक है. मैं आपकी रश हूँ. कर लो अपनी दीवानी को जी भर कर प्यार कर लो. मैं आपके साथ बिताए हर एक लम्हे को जीना चाहती हूँ. जब मैं यहाँ से वापस जाउन्गी तो इन्हे मैं अपने दिल मे छिपा कर ले जाउन्गी.”



वो मेरी बातों को सुनकर मुस्कुरा रहे थे. मैने अपनी हथेली को आगे बढ़ा कर उनके लिंग को थाम लिया और उसे हल्के हल्के से सहलाने लगी. बीच बीच मे मैं उनके नीचे लटक रहे अंडकोषों को भी मुट्ठी मे भर कर भींच देती.



मैने उनके हाथ को पकड़ कर अपनी एक छाती पर रख कर उसे हल्के से दबा कर अपनी इच्च्छा जाहिर की.



“ नही इस तरह इनको मसल्ने से तुम्हारे कलश मे भरा अमृत व्यर्थ बेकार जाएगा.”
दोस्तो कहानी अभी बाकी है पढ़ते रहिए राज शर्मा की कामुक कहानियाँ आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः............


raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:04

रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -27

गतान्क से आगे...


“ तो इन्हे खाली कर दो ना मेरे देव. मेरे इन स्तनो को इतना मसलना कि अगले दो दिन तक भी इनमे दूध ना आए. और जब भी इनको देखूं आप की याद आ जाए.” मैने उनके सिर को पकड़ कर अपने स्तनो की ओर खींचा. वो बिना किसी विरोध के मेरे एक निपल के चारों ओर अपने होंठ रख दिए. उन्हों ने अपनी जीभ से मेरे निपल को सहलाना शुरू किया.



“म्‍म्म्मम…..आआहह…..उफफफफ्फ़” जैसी उत्तेजना भरी आवाज़ मेरे होंठों से निकल रही थी. फिर उनके दाँत मेरे निपल के चारों ओर फिरने लगे. वो अपने दाँतों के बीच मेरे निपल को लेकर उन्हे हल्के हल्के से कुतर रहे थे. मेरा पूरा बदन उनकी हर्कतो से बार बार सिहर उठता था. वो अपने सामने के दाँतों के बीच मेरे एक निपल को दबा कर अपनी खुरदरी जीभ से मेरे निपल के टिप को सहला रहे थे. मैं उत्तेजना मे “सीईईईईईई…..आआअहह…….नहियिइ…..स्वामीयीईईईई……” मैं इस तरह बड़बड़ाती हुई उनके बालों को अपनी मुट्ठी मे भर कर सिर को अपनी चूचियो पर दाब रही थी.



फिर उनके कहे बिना ही मैं अपने ही स्तानो को दबा दबा कर मसल कर उनके मुँह मे खाली करने लगी. वो मेरी हालत का मज़ा लेते हुए मेरे स्तन से बाते दूध को पीते जा रहे थे. मैं अपने उस स्तानो को तब तक मसल्ति रही जब तक उस स्तन का पूरा दूध मैने अपने गुरु को पीला नही दिया.



“ अब इसे छ्चोड़ दो दूसरे को भी तो खाली करना है.” कह कर मैने उनके सिर को अपने स्तन से खींच कर हटाया. फिर अपने दूसरे स्तन को अपने हाथों से उठा कर उनके होंठों पर रख दिया.



“ पियो इसे. आपके लिए ही तो सुबह से इंतेजार कर रही थी. कि कब मेरे गुरुदेव आएँगे और मैं उनकी सेवा अपने दूध से करूँगी.” मैने दूसरे स्तन को भी मसल मसल कर उनके मुँह मे खाली किया. जब दोनो दूध की बॉटल्स खाली हो गये तब जाकर उन्हों ने मुझे छ्चोड़ा.


Post Reply