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raj..
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by raj.. » 19 Dec 2014 14:12
Jemsbond wrote:sir plz compleet this stori
dost update de diya hai
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raj..
- Platinum Member
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- Joined: 10 Oct 2014 07:07
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by raj.. » 20 Dec 2014 15:01
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गतान्क से आगे…………………………………….
दोनो बहेनें मस्त थीं ..सिसकारियाँ भर रही थी..किलकरियाँ भर रही थी..झूम रही थी...
मेरा लौडा सिंधु के रस से लगातार भींगता जा रहा था ...रस टपक रहा था ....." हां रे सिंधु..मेरी जान ..मेरी रानी.....अया और ज़ोर धक्के मार ना रे ..और ज़ोर " मैं कराह रहा था ..मैं झड़ना चाह रहा था ..पर सिंधु इतनी मस्त हो गयी थी..उस ने पहले ही मेरे लौडे को जाकड़ लिया अपनी चूत से ..ढीली पड़ गयी और रस का फवारा छोड़ते हुए मेरे सीने पर ढेर हो गयी ....मेरा लौडा अभी भी कड़क था
था ..बूरी तरह कड़क ..उसकी गीली और उसके रस से पॅच पॅच भरी चूत के अंदर ...
इधर बिंदु भी मा की जोरदार चुसाइ, घिसाई और उंगलियों से चुदाइ के मारे पागल हो उठी और चूतड़ उछालते हुए मा के मुँह में अपना सारा माल छोड़ दिया और वो भी ढीली पड़ गयी ...हाँफने लागी ..मेरे चेहरे पर अपना मुँह लगाए ... और अपनी चूत मा के चेहरे पर रखे ...
मैं झड़ना चाह रहा था ..दोनो बहने निढाल थीं...
मैं उठा , अपने कड़क लौडे को सहलाता हुआ ..जो बूरी तरह गीला था ....
सिंधु को अपने से नीचे किया और बिंदु को मा से अलग हटाया..दोनो गद्दे पर पड़ी थी..
मा ने मुझे देखा अपना लौडा हिलाते हुए ..उसने अपनी बाहें फैला दीं . अपनी टाँगें फैला दीं..." हां मेरा राजा बेटा ..हां रे आ जा मेरी बाहों में ...चोद ले मुझे ,..आ जा मैं तुझे ठंडा कर दूं ...आ जा "
और मैं मा की टाँगों के बीच आता हुआ अपना लौडा उसकी गीली चूत पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा ....पूरे का पूरा लौडा फतच से अंदर था..
मा का पूरा बदन सिहर उठा..कांप उठी मा , और मेरे लौडे को उसका ठीकाना मिल गया ..उफ़फ्फ़ मा की चूत की गर्मी ..उसकी.. मुलायम मक्खन जैसी फाँक , मानो मेरे लौडे को उसकी मंज़िल मिल गयी...
मैं भी सिहर उठा....और फिर धक्के पे धक्का लगाता गया ..पागलों की तरह ..मैं बूरी तरह बेचैन था झड़ने को ..मा भी समझ रही थी ....उस ने मुझे जाकड़ लिया ..अपने सीने से चिपका लिया " हां मेरा राजा ..मेरा सोना ..आ जा ..मा की चूत में ..हां बेटा ..." मेरे सर पर हाथ फ़ीरा रही थी..मेरी पीठ सहला रही थी ..मुझे चूम रही थी ......अपनी चूत मेरे धक्कों के साथ उछालती जा रही थी ......कभी अपनी चूत से मेरे लौडे को जाकड़ लेती ...और मैं पागल होता हुआ धक्के लगाए जा रहा था .....
और फिर मुझे लगा मेरा सारा खून लौडे के अंदर जमा हो गया हो...सन सना रहा था मेरा लौडा ....मेरा लौडा कांप उठा मा की चूत के अंदर ... मा समझ गयी ..मैं झड़ने वाला हूँ .. उस ने मुझे और भी जाकड़ लिया ..अपनी टाँगें मेरे चूतड़ पर लगाते हुए मुझे और करीब खिच लिया
" हां ..हां मेरे लाल ..आ जा ....आ जा मेरे बेटे ...तेरी मा की चूत है ना तेरे लिए ..तेरे लिए ही तो है बेटा ....बस आ जा ...आ ना रे ...." मा मुझे पुच्कार्ती रही ..प्यार करती रही ......और मैं झटके पे झटके खाता अपनी मा की चूत को अपने गर्म गर्म वीर्य की पीचकारी से भरता गया ..गाढ़े गाढ़े वीर्य की धार फूट पड़ी उसकी चूत के अंदर ...
मा भी सिहर उठी ..कांप उठी ...मेरे गर्म गर्म वीर्य की धार से , उस ने मेरे लौडे को अपनी चूत से जोरों से जाकड़ लिया ..मानो मेरा पूरा लौडा चूस डालेगी ..मुझे अपने सीने से चिपका लिया और फिर ढीली पड़ गयी ...हाँफने लगी
मैं मा के सीने पर अपना सर रखे हाँफ रहा था ..
मुझे सुकून मिल गया था ..मैं अब शांत था ..मेरा लौडा भी शांत था ..उसे मा की चूत चाहिए थी ...उसे अपना जन्नत मिल गया था ...
थोड़ी देर बाद मैं दूरूस्त हुआ..अपनी आँखें खोलीं ..देखा तो मा मेरा सर सहला रही थी ...मेरी आँखों में झाँकते हुए बोल उठी " बेटा अच्छा लगा ना...मैं जानती थी तुझे मेरी ही चूत चाहिए थी ..आख़िर बेटा अपनी मा की चूत से शांत होगा ना...हां बेटा...."
और उस ने मुझे अपने सीने से और भी चिपका लिया ..मैं अपनी मा की चूचियों की गर्मी से , उसकी नर्मी से लिपट ता हुआ ..उसकी चूचिओ पर सर रखता हुआ सो गया ...
दूसरे दिन दो-पहर होते ही मन में झुरजुरी सी होने लगी मेरे...मेम साहेब उर्फ शन्नो को कार चलाने का पाठ जो पढ़ाना था....कल की याद आते ही मेरे लौडे में हलचल मच उठी ..उफ्फ आग थी शन्नो ..एक दम आग...देखें आज आग बुझी है यह और भी भड़क उठी है ...मैं फ्रेश हो कर निकल ही रहा था कि मा की आवाज़ आई
" बेटा जग्गू ..ज़रा इधर तो आना रे.."
आवाज़ सुन मैं उधर देखा .तो मा बाथरूम के बाहर खड़ी मुझे इशारे से अपनी तरफ बूला रही थी...
" क्या है मा..?" मैं उनकी ओर बढ़ता हुआ बोला..
" ह्म्म्म..उपर से तो बड़ा सजधज के जा रहा है ..अंदर भी सब सज़ा सँवरा है ना रे..? " मा हंस रही थी...
" क्या मतलब मा..अंदर से ..??? अरे अंदर क्या क्रीम लगाऊं..? "
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raj..
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by raj.. » 20 Dec 2014 15:02
मा और भी जोरों से हंस पड़ी..फिर बोली " अरे कल रात को जब मेरी चुदाई कर रहा था ना मुझे लगा तेरे बाल काफ़ी उग आए हैं तेरे हथियार के आस पास..अरे लड़ाई में जा रहा है , हथीयार तो चमका ले रे ...आ इधर आ..पॅंट खोल मैं देखती हूँ..मेम साहेब को खुश रखना है ना ..आ . शर्मा मत ..चल खोल पॅंट.."
मैं भुन भुनाता हुआ उसके और करीब गया" क्या मा ..तू भी ना....चल जल्दी कर जो करना है.."
और मैने पॅंट खोल दिया उर नीचे से नंगा हो गया ..
मा ने देखा ...." उफफफफफ्फ़.तू भी ना जग्गू..देख तो कितने बाल उग आए हैं...अरे चूत में जब लंड जाता है ना भोले राम..बाल होने से रुकावाट आती है..चिकना रहता है तो बिल्कुल चिपकता हुआ पूरे का पूरा चंदे से चमड़ा टकराता है ..तभी तो मज़ा है रे बूधू.."
और मुझे मेरे लंड को थामते हुए खिचते हुए बाथरूम के अंदर ले गयी..
सबून लगा कर अच्छे से मला और फिर मेरे सेफ्टी रेज़र से ही फटाफट बाल साफ कर दिए ...उफफफ्फ़ ..मा के बाल साफ करने से मेरी बूरी हालत हो गयी थी ..मेरा चिकना लौडा हवा से बातें कर रहा था ...
" लो अब इसे शांत कौन करेगा ...मा तुम भी ना देखो तो क्या हाल कर दिया तू ने..अब मैं क्या करूँ..??"मैने झल्लाते हुए कहा ..
मा मेरे चिकने लौडे को अपने हथेली से सहला रही थी , उसकी जोरों से हँसी निकल गयी ...
" हा ! हा!!...वाह .देख तो चिकना लंड कितना मस्त लगता है पकड़ने में ..मन करता है खा जाऊं ...ला इतने चिकने लंड को मैं ही खाती हूँ.. सब से पहले ..."
और मा मेरे लौडे को अपनी हथेली से हल्के हल्के दबाते हुए ..चॅम्डी आगे पीछे करते हुए ...नीचे बैठ गयी और जीभ लपलपाते हुए पूरे लौडे की लंबाई चाट गयी....हाथेलि से लौडे के नीचे जाकड़ लिया और मुँह में ले चूसने लगी जोरों से ....मैं तो कांप उठा ..मेरे घूटने मूड गये....मा जोरों से कभी होंठों से चूस्ति..कभी जीभ फिराती ..कभी सिर्फ़ हथेली से जोरों से जाकड़ लेती..मूठ मार देती ..और मैं आँखें बंद किए मस्ती में सिहारता जा रहा था....उफफफफफ्फ़..क्या चूसाई चल रही थी..मुझे ऐसा लग रहा था मेरे पूरे बदन से खून खिचता हुआ लंड के अंदर आता जा रहा हो..और मैं और नहीं टिक सका ..मेरे लौडे ने झटके खाने शुरू कर दिए..मा ने चूसना रोक दिया ..हथेली से जकड़े अपने मुँह पर मेरे लौडे की छेद रख ली ..और मैं जोरदार पीचकारी छोड़ दिया उसके मुँह में....छोड़ता रहा ....छ्छूड़ता रहा...मा मेरे पूरे वीर्य को अपने गले के नीचे उतारती गयी...और फिर लौडे को चाट चाट कर पूरा सॉफ कर दिया ...मेरा लौडा चमक उठा ....और शांत हो गया ..
मा उठ गयी ..मुझे गले लागया..और कहा" जा अब मेम साहेब की जम कर चुदाई कर .... देखना ना अब जल्दी नहीं झदेगा ....मैने झाड़ दिया ना..." और मेरे लौडे को मेरे पॅंट के अंदर डाल दिया .
मैं भी झूम उठा था ..मस्त हो गया था और उसी झूमते कदमों से मेम साहेब के बंगले की ओर चल दिया..
वहाँ पहून्च्ते ही दरवाज़ा खटखटाया अंदर से बड़ी मीठी सी आवाज़ आई " अरे जग्गू ..आ भी जा ना रे ...सब कुछ तो खुला है ...दरवाज़ा खुला है रे ...." और जोरदार हँसी की आवाज़ आई ...
मैं समझ गया आज मेरी खैर नहीं ... मेम साहेब की शन्नो ने काफ़ी हलचल मचा रखी है ....
मैं दरवाज़ा खोलता हुआ अंदर गया...मेम साहेब सोफे पर लेटी थीं ...उन्होने एक लंबा फ्रॉक पहना था ..सोफे पर लेटी थीं ...और फ्रॉक उनके घुटनों तक उठा हुआ था ..नीचे पैंटी वॅंटी कुछ नहीं ....उनकी भी चूत चमक रही थी ....एक भी बाल नहीं था वहाँ ...फूली फूली चूत .... और गुलाबी फाँकें ...मन किया उन्हें दबोच लूँ ...
उन्होने लेटे लेटे ही मुझे अपने पैरों के पास बैठने का इशारा किया ..
मैं बैठ तो गया ..पर मेरी निगाहें उनकी चूत पे ही अटकी थी...
मैने कहा " मेम साहेब .....ओउफफफफफफ्फ़ सॉरी सॉरी शन्नो ...हां शन्नो ..क्या है आज ..चलें बाहर ..कार की चाभी दो ना ....."