Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

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Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

Unread post by admin » 13 Jan 2016 09:14

फिर वो मेरी गर्दन को अपने जीभ की नोक से सहलाने लगी..
जिससे मुझे असीम आनन्द प्राप्त हो रहा था।
फिर वो धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ते हुए मेरी छाती को चूमने
लगी और निप्पलों को जुबान से छेड़ने लगी.. जिससे बदन में
अजीब सा करेंट दौड़ गया और वो मेरे बदन के कम्पन को महसूस
करते हुए पूछने लगी- राहुल कैसा लग रहा है?
तो मैंने कहा- बहुत ही हॉट फीलिंग आ रही है.. मज़ा आ गया।
फिर वो धीरे-धीरे मेरे निप्पलों को जुबान की नोक से छेड़ते
हुए अपने हाथों को मेरे लोअर तक ले गई और चाटते हुए नीचे को
बैठने लगी।
फिर जैसे ही उसने मेरी नाभि के पास चुम्बन लिया तो मेरे बदन
में एक अज़ीब सी सिहरन हुई।
तो उसने मुस्कान भरे चेहरे से मेरी ओर देखा.. और शरारती
अंदाज़ में आँख मारते हुए बोली- क्यों मज़ा आया न?
तो मैंने बोला- यार सच में.. इतना तो मैंने कभी सोचा ही
नहीं था।
फिर देखते ही देखते उसने मेरा लोअर मेरे पैरों से आज़ाद कर
दिया और मेरी जांघों को रगड़ने लगी।
तो मैंने उसका सर पकड़ लिया और बोला- मेरी जान.. क्या
इरादा है..?
तो बोली- इरादा तो नेक है.. बस अंजाम देना है।
फिर जैसे ही उसकी नज़र मेरी चड्डी के अन्दर खड़े लौड़े पर
पड़ी तो उसकी आँखों की चमक दुगनी हो गई। उसने आव न
देखा ताव.. मेरे लौड़े को चड्डी के ऊपर से ही अपने मुँह में भरकर
दाँतों को गड़ाने लगी और वो साथ ही साथ मेरी जांघों को
हाथों से सहला रही थी।
उसकी इस प्रतिक्रिया पर मेरे मुँह से दर्द भरी मादक ‘आह्ह्ह
ह्ह्ह्ह’ निकालने लगी।
मैंने उसके सर को मजबूती से पकड़ कर अपने लौड़े पर दाब दिया..
जो आनन्द मुझे मिल रहा था उसे सिर्फ महसूस किया जा
सकता है क्योंकि शब्दों में बयान किया तो उस आनन्द की
तौहीन होगी।
फिर उसने मेरी चड्डी को अपने दाँतों से पकड़ कर नीचे
सरकाया जैसे ही मेरा लण्ड गिरफ्त से बाहर आया तो उसने
आते ही माया के माथे पर सर पटक दिया।
मानो कह रहा हो- तुस्सी ग्रेट हो तोहफा कबूल करो।
फिर उसने चड्डी को मेरे जिस्म से अलग कर दिया।
अब मैं उसके सामने पूर्ण निर्वस्त्र खड़ा था और वो उसी गाउन
में नीचे झुकी बैठी थी.. जिससे उसके अनार साफ झलक रहे थे।
फिर उसने मेरे लौड़े को मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप की
तरह उसे चूसने लगी.. जिससे मेरा आनन्द दुगना हो गया और मेरे
मुँह से मादक भरी- श्ह्ह्ह ह्ह्ह आआआअह्ह्ह श्ह्ह्ह ह्हह्ह !!
सीत्कार निकालने लगी और मैंने आनन्द भरे सागर में गोते
लगाते हुए उसके सर को अपने हाथों से कस लिया।
इसके पहले वो कुछ समझ पाती.. मैंने उसके सर को दबा कर अपने
लौड़े को जड़ तक उसके मुँह में घुसेड़ कर उसके मुँह को जबरदस्त
अपनी कमर को उचका-उचका चोदने लगा।
मेरे इस प्रकार चोदने से माया की हालत ख़राब हो गई। उसके
मुँह के भावों से उसकी पीड़ा स्पष्ट झलक रही थी.. उसके
होंठों के सिरों से उसकी लार तार-तार होकर बहने लगी।
इतना आनन्दमयी पल था.. जिसको बता पाना कठिन है..
उसकी आँखों की पुतलियों में लाल डोरे गहराते चले जा रहे थे
और उसके मुख से बहुत ही उत्तेजित कर देने वाली दर्द भरी
सीत्कार ‘आआआह्ह्ह ह्ह्ह आआआउउउ उउउम्म्म्म्म गुगुउउउ’ की
आवाजें बड़े वेग के साथ रुंधे हुए (रोते हुए) स्वर में निकली जा
रही थीं।
मैं बिना उसकी इस दशा की परवाह किए.. बस उसे चोदे जा
रहा था.. और जब कभी उसके दांत मेरे लौड़े पर रगड़ जाते.. तो
मैं उसके गाल पर तमाचा जड़ देता.. जैसा कि मैंने फिल्मों में
देखा था।
जब मुझे यह अहसास हुआ कि अब मैं खुद को और देर नहीं रोक
पाऊँगा.. तो मैंने उसके सर को पकड़ा और तेज़ स्वर में ‘आह्ह
आआअह्ह्ह्ह आआह जानू.. बस ऐसे ही करती रहो.. थोड़ा और
सहो.. मेरा होने वाला है बस..’ और देखते ही देखते मेरे वीर्य
निकालने के साथ-साथ मेरी पकड़ ढीली हो गई।
और फिर माया ने तुरंत ही मेरे लौड़े से मुँह हटा लिया और
खांसने लगी और सीधा वाशरूम चली गई।

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Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

Unread post by admin » 13 Jan 2016 09:14

मेरे इस तरह करने से उसे बहुत पीड़ा हुई थी और उसका मुँह भी दर्द
से भर गया था, जिसे उसने बाद में बयान किया।
और सच कहूँ तो मुझे भी बाद में अच्छा नहीं लगा.. पर अब तो
सब कुछ हो ही चुका था.. इसलिए पछताने से क्या फायदा..
पर कुछ भी हो ये तरीका था बड़े कमाल का.. आज के पहले मुझे
लौड़ा चुसाई में इतना आनन्द नहीं मिला था।
फिर मैंने पास रखी बोतल उठाई और पानी के कुछ ही घूट गटके
थे कि माया आई और दर्द भरी आवाज़ में बोली- राहुल आज
तूने तो मेरे मुँह का ऐसा हाल कर दिया कि बोलने में भी
दुखता है.. आआआह.. पता नहीं तुम्हें क्या हो गया था.. इसके
पहले तुमने कभी ऐसा नहीं किया.. तुम्हें मेरी हालत देखकर भी
तरस नहीं आया.. बल्कि चांटों को जड़कर मेरे गाल लाल
करके.. दर्द को और बढ़ा दिया।
तो मैंने उससे माफ़ी मांगी और बोला- माया मुझे माफ़ कर दे..
मैं इतना ज्यादा कामभाव में चला गया था कि मुझे खुद का
भी होश न था.. पर अब ऐसा दुबारा नहीं होगा।
मेरी आवाज़ की दर्द भरी कशिश को महसूस करके माया मेरे
सीने से लग गई और बोली- अरे ये क्या.. माफ़ी मांग कर मुझे न
शर्मिंदा करो.. होता है.. कभी-कभी ज्यादा जोश में इंसान
बहक जाता है.. कोई बात नहीं मेरे सोना.. मेरे राजाबाबू..
आई लव यू.. आई लव यू..
यह कहते हुए वो मेरे होंठों को चूसने लगी और अभी मेरे लौड़े में
भी पीड़ा हो रही थी जो कि मेरे जंग में लड़ने की और घायल
होने की दास्तान दर्द के रूप में बयान कर रही थी।
एक अज़ीब सा मीठा दर्द महसूस हो रहा था.. ऐसा लग रहा
था कि अब जैसे इसमें जान ही न बची हो।
फिर मैंने माया को जब ये बताया कि तुम्हारे दाँतों की चुभन
से मेरा सामान बहुत दुःख रहा है.. ऐसा लग रहा है.. जैसे कि
इसमें जान ही न बची हो.. अब मैं कैसे तुम्हारी गांड मार कर
अपनी इच्छा पूरी कर पाउँगा और कल के बाद पता नहीं ये
अवसर कब मिले.. मुझे लगता नहीं कि अब मैं कुछ और कर सकता
हूँ.. ये तो बहुत ही दुःख रहा है।
तो माया ने मेरे लौड़े को हाथ से छुआ जो कि सिकुड़ा हुआ..
किसी सहमे से कछुए की तरह लग रहा था।
माया मुस्कुराई और मुझे छेड़ते हुए बोली- और बनो सुपर हीरो..
अब बन गए न जीरो.. देखा जोश में होश खोने का परिणाम..
और मुझे छेड़ते हुए मेरी मौज लेने लगी.. पर मेरी तो दर्द के मारे
लंका लगी हुई थी.. तो मैंने झुंझला कर उससे बोला- अब उड़ा
लो मेरा मज़ाक.. तुम भी याद रखना.. मुझे इतना दर्द हो रहा
है और साथ-साथ अपनी इच्छा न पूरी हो पाने का कष्ट भी
है.. और तुम हो कि मज़ाक उड़ा रही हो.. वैसे भी कल वो लोग
आ जायेंगे.. तो पता नहीं कब ऐसा मौका मिले… तुमने तो
इतनी तेज़ी से दाँतों को गड़ाया.. जिससे मेरी तो जान
निकल रही है।
मैं बोल कर दर्द से बेहाल चेहरा लिए वहीं बिस्तर पर आँख बंद
करके लेट गया।
मेरे दर्द को माया सीरियसली लेते हुए मेरे पास आई और मेरे
माथे को चूमते हुए मेरे मुरझाए हुए लौड़े पर हाथ फेरते हुए बोली-
तुम इतनी जल्दी क्यों परेशान हो जाते हो?
तो मैंने बोला- तुम्हें खुराफात सूझ रही है और मेरी जान
निकाल रही है।
वो मुस्कुराते हुए प्यार से बोली- राहुल तेरी ये जान है न.. इसमें
जान डालने के लिए.. तुम अब परेशान मत हो.. अभी देखना मैं
कैसे इसे मतवाला बनाकर एक बार फिर से झूमने पर मज़बूर कर
दूंगी।
और मैं कुछ बोल पाता कि उसके पहले ही उसने अपने होंठों से
मेरे होंठ सिल दिए।

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Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

Unread post by admin » 13 Jan 2016 09:14

फिर वो मेरी गर्दन को अपने जीभ की नोक से सहलाने लगी..
जिससे मुझे असीम आनन्द प्राप्त हो रहा था।
फिर वो धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ते हुए मेरी छाती को चूमने
लगी और निप्पलों को जुबान से छेड़ने लगी.. जिससे बदन में
अजीब सा करेंट दौड़ गया और वो मेरे बदन के कम्पन को महसूस
करते हुए पूछने लगी- राहुल कैसा लग रहा है?
तो मैंने कहा- बहुत ही हॉट फीलिंग आ रही है.. मज़ा आ गया।
फिर वो धीरे-धीरे मेरे निप्पलों को जुबान की नोक से छेड़ते
हुए अपने हाथों को मेरे लोअर तक ले गई और चाटते हुए नीचे को
बैठने लगी।
फिर जैसे ही उसने मेरी नाभि के पास चुम्बन लिया तो मेरे बदन
में एक अज़ीब सी सिहरन हुई।
तो उसने मुस्कान भरे चेहरे से मेरी ओर देखा.. और शरारती
अंदाज़ में आँख मारते हुए बोली- क्यों मज़ा आया न?
तो मैंने बोला- यार सच में.. इतना तो मैंने कभी सोचा ही
नहीं था।
फिर देखते ही देखते उसने मेरा लोअर मेरे पैरों से आज़ाद कर
दिया और मेरी जांघों को रगड़ने लगी।
तो मैंने उसका सर पकड़ लिया और बोला- मेरी जान.. क्या
इरादा है..?
तो बोली- इरादा तो नेक है.. बस अंजाम देना है।
फिर जैसे ही उसकी नज़र मेरी चड्डी के अन्दर खड़े लौड़े पर
पड़ी तो उसकी आँखों की चमक दुगनी हो गई। उसने आव न
देखा ताव.. मेरे लौड़े को चड्डी के ऊपर से ही अपने मुँह में भरकर
दाँतों को गड़ाने लगी और वो साथ ही साथ मेरी जांघों को
हाथों से सहला रही थी।
उसकी इस प्रतिक्रिया पर मेरे मुँह से दर्द भरी मादक ‘आह्ह्ह
ह्ह्ह्ह’ निकालने लगी।
मैंने उसके सर को मजबूती से पकड़ कर अपने लौड़े पर दाब दिया..
जो आनन्द मुझे मिल रहा था उसे सिर्फ महसूस किया जा
सकता है क्योंकि शब्दों में बयान किया तो उस आनन्द की
तौहीन होगी।
फिर उसने मेरी चड्डी को अपने दाँतों से पकड़ कर नीचे
सरकाया जैसे ही मेरा लण्ड गिरफ्त से बाहर आया तो उसने
आते ही माया के माथे पर सर पटक दिया।
मानो कह रहा हो- तुस्सी ग्रेट हो तोहफा कबूल करो।
फिर उसने चड्डी को मेरे जिस्म से अलग कर दिया।
अब मैं उसके सामने पूर्ण निर्वस्त्र खड़ा था और वो उसी गाउन
में नीचे झुकी बैठी थी.. जिससे उसके अनार साफ झलक रहे थे।
फिर उसने मेरे लौड़े को मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप की
तरह उसे चूसने लगी.. जिससे मेरा आनन्द दुगना हो गया और मेरे
मुँह से मादक भरी- श्ह्ह्ह ह्ह्ह आआआअह्ह्ह श्ह्ह्ह ह्हह्ह !!
सीत्कार निकालने लगी और मैंने आनन्द भरे सागर में गोते
लगाते हुए उसके सर को अपने हाथों से कस लिया।
इसके पहले वो कुछ समझ पाती.. मैंने उसके सर को दबा कर अपने
लौड़े को जड़ तक उसके मुँह में घुसेड़ कर उसके मुँह को जबरदस्त
अपनी कमर को उचका-उचका चोदने लगा।
मेरे इस प्रकार चोदने से माया की हालत ख़राब हो गई। उसके
मुँह के भावों से उसकी पीड़ा स्पष्ट झलक रही थी.. उसके
होंठों के सिरों से उसकी लार तार-तार होकर बहने लगी।
इतना आनन्दमयी पल था.. जिसको बता पाना कठिन है..
उसकी आँखों की पुतलियों में लाल डोरे गहराते चले जा रहे थे
और उसके मुख से बहुत ही उत्तेजित कर देने वाली दर्द भरी
सीत्कार ‘आआआह्ह्ह ह्ह्ह आआआउउउ उउउम्म्म्म्म गुगुउउउ’ की
आवाजें बड़े वेग के साथ रुंधे हुए (रोते हुए) स्वर में निकली जा
रही थीं।
मैं बिना उसकी इस दशा की परवाह किए.. बस उसे चोदे जा
रहा था.. और जब कभी उसके दांत मेरे लौड़े पर रगड़ जाते.. तो
मैं उसके गाल पर तमाचा जड़ देता.. जैसा कि मैंने फिल्मों में
देखा था।
जब मुझे यह अहसास हुआ कि अब मैं खुद को और देर नहीं रोक
पाऊँगा.. तो मैंने उसके सर को पकड़ा और तेज़ स्वर में ‘आह्ह
आआअह्ह्ह्ह आआह जानू.. बस ऐसे ही करती रहो.. थोड़ा और
सहो.. मेरा होने वाला है बस..’ और देखते ही देखते मेरे वीर्य
निकालने के साथ-साथ मेरी पकड़ ढीली हो गई।
और फिर माया ने तुरंत ही मेरे लौड़े से मुँह हटा लिया और
खांसने लगी और सीधा वाशरूम चली गई।

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