पंडित & शीला compleet

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The Romantic
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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 13:54

पंडित & शीला पार्ट--46

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गतांक से आगे ......................

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गिरधर के घर से निकल कर पंडित जी ने नूरी को उसके घर के बाहर तक छोड़ा और फिर अपने घर की तरफ चल दिए ..

अगले दिन नूरी अपने शोहर के घर के लिए रवाना हो गयी .

पंडित जी भी जानते थे की अब उनकी दिनचर्या पहले जैसी व्यस्त नहीं रहेगी ..क्योंकि नूरी अपने ससुराल जा चुकी थी और माधवी और रितु को घर पर ही खुलकर चुदाई करने को मिल रही थी .

पंडित जी का अगला दिन बिना चूत मारे बीता ..जो इतने दिनों के बाद पहला मौका था ... पर इतने दिनों तक की लगातार चुदाई के बाद उनका जिस्म चूत मारने की एक मशीन बन चुका था, और चूत ना मिलने से उनके अन्दर एक अजीब सी बेचैनी होने लगी ..ये कैसा केमिकल रिएक्शन हुआ था उनके जिस्म का इतनी चूतें मारकर ..रात भर उन्हें नींद नहीं आई ...आखिरकार उन्हें अपना पहला शिकार शीला ही याद आई पर वो भी कई दिनों से मंदिर नहीं आई थी . उन्होंने निश्चय कर लिया की कल सुबह सब काम मिप्ता कर सबसे पहले उसके घर जायेंगे ..आखिर पता तो चले की वो इतने दिनों से आ क्यों नहीं रही .

सुबह मंदिर के काम निपटा कर पंडित जी शीला के घर की तरफ चल दिए. दरवाजा उसकी माँ ने खोला ..

माँ : "अरे पंडित जी ...आप ..हमारे अहोभाग्य ...आइये ..पधारिये ..''

पंडित जी अन्दर आ गए ..और बैठ गए , शीला कहीं भी दिखाई नहीं दे रही थी .

माँ : "पंडित जी ..आपने तो हमारी बेटी को एक नया जीवन दिया है ...पहले वो इतनी बुझी - २ सी रहती थी, पर जब से आपने पूजा - पाठ करके उसके अन्दर की सोयी हुई आत्मा को जगाया है, वो फिर से जीने लगी है ..आपका धन्यवाद देने के लिए मेरे पास शब्द ही नहीं है ..''

पंडित : "अरे नहीं मांजी ..आप ऐसा मत कहिये ..ये तो मेरा फ़र्ज़ था ..उसकी आत्मा का परमात्मा से मिलन करवाकर मैंने उसके अन्दर सिर्फ चेतना जगाई है ..बाकी तो उसकी खुद की करनी है ..वैसे कई दिनों से वो मंदिर भी नहीं आई ..उसको एक विधि बतानी थी मैंने ..बस उसी के लिए आया था ..''

माँ : "ओहो ...दरअसल ..उसकी तबीयत ठीक नहीं है दो दिनों से ..मैं भी रोज -२ छुट्टी नहीं ले सकती थी स्कूल से ..उसकी छोटी बहन को भी आना था गाँव से ..इसलिए नहीं आई वो ..''

पंडित : "छोटी बहन ...?? पर उसके बारे में कभी बताया नहीं पहले ..वो तो हमेशा कहती है की वो अकेली बेटी है आपकी ." पंडित जी हेरान थे ..

माँ : "अब क्या बताऊ पंडित जी ...वो ...वो ...दरअसल ...''

कहते -२ उसकी माँ का चेहरा लाल सुर्ख होने लगा ..

माँ : "दरअसल ...उसका जन्म शीला के जन्म के 9 सालों के बाद हुआ था ..और घर पर जवान बेटी के रहते हुए मैं फिर से माँ बनने जा रही थी ..इसलिए मैं अपने गाँव चली गयी थी और उसकी डिलीवरी वहीँ करवा कर, उसे अपनी बहन की झोली में डालकर आ गयी थी ..यहाँ शहर में कोई बातें न बनाए , इसलिए किसी को पता नहीं है ..आपसे भी विनती है की आप किसी को मत बताइयेगा ..आपसे तो मैं ये सब छुपा नहीं सकती ..आप तो मन की बातें भी जान लेते हैं ..''

शीला ने शायद पंडित जी की मन की बात जानने वाली बात बता रखी थी अपनी माँ को ..

पंडित जी मन ही मन उसकी उम्र की केलकुलेशन करने लगे ..

अभी शीला लगभग 25 साल की है ..और उसकी बहन 9 साल छोटी है ...यानी ...वाह ..जवानी की देहलीज पर पाँव रख रही योवना होगी वो ..उसको तो देखना ही पड़ेगा ..

पंडित : "अच्छा ...कोई बात नहीं ..आप निश्चिंत रहिये ..मैं किसी से भी इस बात का
नहीं करूँगा ..वैसे शीला है कहाँ ...क्या मैं उसको देख सकता हु ..''

माँ : "हाँ ..हाँ ...क्यों नहीं ..मैं अभी हु उसको ...तब तक मैं आपके लिए पानी भिजवाती हु ..''

और इतना कहकर वो उठी और जोर से आवाज देकर बोली : "अरी कोमल .....ओ कोमल ...जल्दी से एक ठंडा गिलास पानी लेकर आ ...पंडित जी आयें हैं ..''

पंडित मन ही मन उसका नाम सुनकर खुश होने लगे ...नाम कोमल है ..वो भी कोमल होगी ..शीला भी कम नहीं है ..उसकी छोटी बहन तो कमाल होनी चाहिए ..

वो सोच ही रहे थे की ऊपर से भागते हुए क़दमों की आहट सुनकर वो चोकन्ने हो गए ..और उधर ही देखने लगे ..उन्हें पक्का विशवास था की कोमल ही होगी ..

वो कोमल ही थी ..

और जैसे ही वो नीचे आई, पंडित जी की आँखें खुली की खुली रह गयी ...इतनी गोरी चिट्टी लड़की उन्होंने आज तक नहीं देखि थी ..टीके नैन नक्श ..छोटे- २ बूब्स ..टी शर्ट और जींस पहनी हुई थी उसने ...पतले होंठों पर हलकी लिपस्टिक ..शराबी आँखों में काला काजल ..

वो तो किसी भी एंगल से अपनी माँ की बेटी नहीं लग रही थी ..पर हां ...शीला की छोटी बहन जरुर लग रही थी ..

और उसके पीछे -२ शीला भी भागती हुई नीचे आई ..और उसने आते ही कोमल को वापिस ऊपर जाने को कहा ..वो बिना कुछ कहे ऊपर चली गयी .

माँ : "अरे शीला ...तू क्यों आई नीचे ..कोमल को बुलाया था मैंने तो ..तेरी तबीयत ठीक नहीं है ...''

शीला पंडित जी को देखकर हडबडा सी रही थी ...
वो बोली : "जी ..जी ... माँ ...वो ...अब ठीक है ...इसलिए आई .....वो कोमल किचन के काम नहीं करती ...आपको तो पता ही है ..''

इतना कहकर वो जल्दी से किचन में गयी और पानी ले आई .

पंडित जी को उसका व्यवहार अजीब सा लगा ..उसके चेहरे को देखकर लग नहीं रहा था की वो बीमार है ..जरुर कुछ गड़बड़ है ...

माँ : "ये कोमल भी ना ...जैसे - २ जवान हो रही है, आलसी होती जा रही है ..पता नहीं क्या होगा इसका ..मैं देखती हु ..''

इतना कहकर वो ऊपर जाने लगी ..तो शीला ने टोक दिया : "अरे नहीं माँ ...तुम रहने दो ...मैं कर रही हु न ....''

पंडित जी को तो ऐसा प्रतीत हुआ जैसे शीला खुद ये नहीं चाहती की कोमल पंडित जी के सामने आये . पर वो ऐसा क्यों कर रही थी .

उसकी माँ बुदबुदाती हुई अन्दर चली गयी ..

उसके जाते ही शीला पंडित जी के पास आकर बैठ गयी ..वो पंडित जी से नजरें नहीं मिला रही थी ..

पंडित जी भी बड़े चालाक थे ..उन्होंने शीला से कहा : "क्या बात है शीला ..तुम इतने दिनों से आई नहीं मंदिर में ..तुम्हारी तबीयत तो ठीक लग रही है ...''

शीला : "वो ...बस ....ऐसे ही ....पंडित जी ....''

पंडित : "देखो ...मुझसे कोई बात छुपाने का कोई फायेदा नहीं है ..जलदो बताओ ...क्या चल रहा है तुम्हारे अन्दर ...''

पर शीला भी कम नहीं थी ...वो बोली : "कक्क ...कुछ नहीं पंडित जी ....वो मेरी तबीयत भी ठीक नहीं थी ..और वो छोटी भी आई हुई थी ..इसलिए ..''

पंडित : "ह्म्म्म ...पर इस छोटी के बारे में तुमने पहले कभी नहीं बताया ...मुझसे छुपा कर रखना चाहती हो क्या ...''

पंडित जी की बात सुनकर वो ऐसे चोंकी जैसे पंडित जी ने उसकी चोरी पकड़ ली हो ..वो फटी हुई आँखों से पंडित जी को देखती रह गयी, उसके मुंह से कुछ नहीं निकला ..

पंडित जी समझ गए उसकी दुविधा और उसके मंदिर ना आने का कारण ..वो अपनी बहन को पंडित जी के साए से भी बचा कर रखना चाहती थी ..और बचाए भी क्यों ना , वो पंडित जी को पूरी तरह से जान चुकी थी, उनकी चुदाई कई बार देख चुकी थी ..और उनके हुनर से वो अच्छी तरह से वाकीफ थी ..वो जानती थी की पंडित जी की नजरों में अगर उसकी बहन आ गयी तो कहीं पंडित जी उसके साथ भी .....इसलिए जब से कोमल आई थी, वो पंडित जी से मिलने भी नहीं गयी थी ..घर पर भी बीमारी का बहाना बना दिया था ..ताकि उसके घर पर भी कोई ना बोले की कहाँ तो रोज , दिन - रात मंदिर के चक्कर लगाती थी और कहाँ बहन के आते ही सब दिनचर्या बदल गयी .

पर उसे क्या पता था की पंडित जी घर ही आ जायेंगे ..और कोमल को देख भी लेंगे अचानक ..पर पंडित जी तो जैसे अपने मन में कोमल को चोदने का प्लान बना चुके थे ..

पंडित जी की आँखों में छिपे इरादों को भांपकर शीला एक दम से पंडित जी के पैरों में गिर पड़ी : "पंडित जी ....आप जो सोच रहे हैं ..वो भूल जाइये ...वो बच्ची है अभी ...उसे कुछ भी पता नहीं है इन चीजों के बारे में ..आप ....आप ...चिंता मत करिए ..मैं आउंगी अभी ...बस थोड़ी देर में ...आप चलिए ...मैं आती हु आपके कमरे में ....आप जो कहेंगे मैं करुँगी ..जिसके साथ कहेंगे मैं करुँगी ...पर ....पर आप ....कोमल ....के बारे में ....प्लीस ...कुछ न सोचिये ...''

अपनी बहन को बचाने के लिए शीला भावुक सी होकर रोने लगी ....उसके दिल में छुपे बहन के प्रति प्यार को देखकर पंडित जी भी जान गए की अगर जबरदस्ती करी तो शीला भी हाथ से निकल जायेगी ..

वो सोचने लगे ...अपने मन में योजनायें बनाने लगे ...बात अब उनकी आन पर आ गयी थी ..

पंडित जी वहां से निकलकर अपने घर की तरफ चल दिए .

एक बात तो पंडित जी जान ही चुके थे की शीला अपनी छोटी बहन को उनसे बचाना चाहती है ..और उसकी हडबडाहट और रवैय्या देखकर वो सब साफ़ महसूस हो रहा था .

वो घर पहुंचकर नहा धोकर बैठ गए और शीला का इन्तजार करने लगे और उन्हें ज्यादा इन्तजार भी नहीं करना पड़ा शीला लगभग भागती हुई वहां पहुंची और जल्दी से दरवाजा बंद करके अपनी साडी खोलने लगी ..

पेटीकोट और कसे हुए ब्लाउस में वो कमाल की लग रही थी ..पर पंडित जी का इरादा कुछ और था ..वो आराम से बैठे रहे .

शीला ने उनकी तरफ देखा ..और धीरे-२ अपने ब्लाउस के बटन खोलने लगी ..पंडित जी किसी राजा की तरह से बैठकर उसे बेपर्दा होते हुए देख रहे थे ..

ब्लाउस के निकलते ही उसकी ब्लेक और रेड कलर की ब्रा सामने आ गयी ..ये कोई नयी ब्रा थी, पंडित जी ने आजतक नहीं देखि थी ..पर उसे देखकर भी पंडित जी अपनी जगह से हिले नहीं ..वो चुपचाप बैठकर देखते रहे .

उसके बाद जैसे ही शीला ने अपना पेटीकोट नीचे गिराया , पंडित जी खुद गिरते-२ बचे ..उसकी मेचिंग पेंटी थी ....उसकी चूत जिसे उन्होंने ना जाने कितनी बार चूसा था, मारा था ,उसकी पतली सी पेंटी के अन्दर से भी उभर कर ऐसे लश्कारे मार रही थी जैसे हीरे की खान हो अन्दर ..उसकी चूत के बोर्डर पर गाड़े पानी का झरना रुका हुआ सा प्रतीत हो रहा था ..पंडित का मन तो कर रहा था की जाए और उस झरने में नहा ले ..पर अभी उसे थोड़ी अकड़ दिखानी थी ..

सिर्फ ब्रा-पेंटी पहनी हुई शीला किसी सेक्स बम जैसी लग रही थी ...जब से वो आई थी, दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी ..और अब ये बात शीला को खटक रही थी ..वो लगभग नंगी होने के कगार पर थी और पंडित जी अपनी जगह से हिले भी नहीं थे ..उसे तो लगा था की पंडित जी उसे ऐसी हालत में देखकर भूखे शेर की तरह उसपर टूट पड़ेंगे ..पर ऐसा हुआ नहीं .

वो धीरे से मुस्कुराती हुई आई और पंडित जी के सामने बेड पर आकर बैठ गयी .


शीला : "क्या हुआ पंडित जी ..आज आप मुझे ऐसी हालत में देखकर भी आराम से बैठे हुए हैं ..''

उसने अपने मोटे-२ मुम्मों की तरफ इशारा करते हुए पंडित जी से कहा ..

पंडित : "तुमने आते ही अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए ..मैंने कब कहा की आज मैं तुम्हारी चूत मारने के मूड में हु ..''

पंडित जी ने अपनी ईगो दिखाई ..

शीला समझ गयी की पंडित जी कोमल वाली बात को लेकर अभी तक उससे नाराज है ..

शीला : "पंडित जी ..आप समझने की कोशिश करिए ..उसे मैंने अपनी बेटी की तरह पाला है .. और उसकी उम्र ही क्या है अभी ..इसलिए मैंने ये सब किया ...''

पंडित : "पर मैंने तो तुम्हारी बहन का जिक्र भी नहीं किया ..तुम अगर उसकी हिफाजत माँ बनकर करना चाहती हो तो मुझे क्या प्रॉब्लम हो सकती है ..मुझे तो बस इस बात की शिकायत है की तुम इतने दिनों तक आई नहीं मेरे पास ..''

पंडित जी ने बड़ी चालाकी से बात पलटी ..

शीला भी अब निश्चिन्त सी हो गयी ..और मुस्कुराते हुए बोली : "मुझे तो बस उसी बात की चिंता थी ..वर्ना जब से आपसे मिलन हुआ है, उस दिन से रोज मुझे आपका महाराज मेरी रानी के अन्दर चाहिए ..''

वो किसी रंडी की तरह से अपनी टांगो को फेला कर अपनी चूत को पेंटी के ऊपर से ही रगड़ने लगी ..

अब पंडित जी का मनोबल भी टूटता सा दिख रहा था ..

पंडित : "पर फिर भी ..तुम्हे आकर मुझे बताना तो चाहिए था ना ..''

पंडित अभी भी भाव खा रहा था .

शीला ने अपनी ब्रा के दोनों स्ट्रेप अपने कंधे से गिरा दिए ..और पंडित जी की तरफ खिसक आई ..और बोली : " तो मेरी गलती की सजा इन्हें क्यों दे रहे हो आप ...इनका क्या कसूर है इसमें ..''

उसके दोनों सफ़ेद और मोटे मुम्मे छलक कर बाहर निकल आये ..और उनपर लगे हुए भूरे निप्पल अपने हाथों में पकड़कर जैसे ही शीला ने मसला ..वो खुद ही कराह उठी ..शायद आवेश में आकर थोड़े जोर से मसल दिया था उन्हें ..

शीला ने अपनी पेंटी के कपडे को ऊपर से पकड़कर जोर से खींचा तो वो पतला सा होकर चूत की दरार के अन्दर घुस गया ..और चूत के दोनों होंठ पतले कपडे के दोनों तरफ फेलकर फुफकारने लगे ..और वो बोली : "और इसका भी क्या कसूर है ..मेरी नासमझी की सजा इसको पहले से ही मिल रही है ..अब तो ये बर्दाशत नहीं कर पाएगी ..देखिये ..देखिये न ...कैसे आपको देखते ही इसके मुंह में पानी आ गया है ..''

उसकी साँसे तेजी से चलने लगी ..चार दिन का गुबार अन्दर इकठ्ठा हुआ पड़ा था ..वो उसके मुंह की गर्म साँसों और चूत के गाड़े पानी के रूप में बाहर निकलने लगा ..

शीला : "ओह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म ...पंडित जी ......अब और कितना तरसाओगे ....निकालो अपना नाग ...निकालो ना ....''

पंडित जी ने कुछ नहीं कहा और अपनी टाँगे फेला दी शीला के सामने ..

वो किसी बिल्ली की तरह वहां झपटी और आनन् फानन में उनकी धोती और कच्छे को निकाल फेंका ..और जैसे ही उसे सामने पंडित जी का नाग आया, वो उसे अपने मुंह के अन्दर ऐसे ले गयी जैसे ऑक्सीजन का पाईप हो ..और अन्दर लेते ही जोर-२ से साँसे लेते हुए वो उसे चूसने लगी ..

''उम्म्म्म्म्म। ....स्स्स्स्स्स्स ......कितना मिस्स किया है मैंने ये सब .....ये मुझे ही पता है ...पुच्च्छ्ह्ह ....''

पंडित जी की तो जैसे शामत आ गयी थी ..उत्तेजना के ज्वार भाटे में बहकर वो अपने दांतों का भी इस्तेमाल कर रही थी ..जिसकी वजह से पंडित जी को परेशानी हो रही थी ..


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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 13:54

पंडित & शीला पार्ट--47

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गतांक से आगे ......................

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पंडित : "उम्म्म्म्म .....धीरे .......दांत मत मारो ....शीला .....अग्ग्ग्ग्ग्ग ह्ह्ह्ह ,,,,,,''

पर वो जंगली बिल्ली कहाँ मानने वाली थी ...उसने अपने प्रहार जारी रखे ..

पंडित जी ने सामने लेटी हुई शीला की चूत की तरफ हाथ बड़ाया और जैसे ही अपनी उँगलियाँ वहां डाली वो पूरी गीली हो गयी ..ऐसा लगा जैसे वो झड गयी हो ..पर ऐसा हुआ नहीं था ..

इतने दिनों के बाद की चुदाई वैसे भी मजेदार होती है ..शीला ने जल्दी से अपनी ब्रा-पेंटी निकाली और उन्हें नीचे फेंक कर वो पंडित जी पर सवार हो गयी ...

और उनके खड़े हुए लंड को जैसे ही उसने अपने हाथों में लेकर अपनी चूत पर लगाया ..उसकी धड़कन इतनी तेजी से चलने लगी की उसकी आवाज पंडित जी को बाहर तक सुनाई दे रही थी ..और एक जोरदार चीख के साथ वो उनके लंड को निगल गयी ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .........उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ .......पंडित ......जीईईईई .............. अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...... चोदो .......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....मुझे .......''

पंडित जी ने अपने हाथ ऊपर किये और उसके दोनों खरबूजे अपने हाथों में पकड़कर मसल डाले और जोर-२ से धक्के मारकर उसकी चूत मारने लगे ...

''अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ उम्म्म उम्म्म ........अह्ह्ह्ह ...ऐसे ही .....और तेज .....और तेज .....अह्ह्ह्ह ....और तेज ....''
पंडित जी का रोकेट उसकी चूत में झटके मार रहा था ..और वो अपना मुंह फाड़े उसे अन्दर जाते हुए देख रही थी ..

और तेज धक्के मारने के चक्कर में आज पंडित जी का भी झड़ना शीला के साथ-२ हो गया. ..और दोनों एक साथ चीखते हुए अपने -२ ओर्गास्म को महसूस करके अपने दांत किटकिटाते हुए झड़ने लगे ...

''अह्ह्ह्ह्ह ,,......पंडित जी .......उम्म्म्म्म्म्म .....मजा आ गया ......अह्ह्ह्ह्ह ....''
पंडित जी के लंड की पिचकारी उसकी चूत में चल गयी थी ..उन्होंने अपना लंड बाहर खींचा और बची हुई एक-दो पिचकारियाँ बाहर भी निकली जो उसकी गांड के केनवास पर बिखर कर एक नयी कलाकृति का निर्माण कर गयी ..

पंडित जी भी बेचारे कुछ बोलने के काबिल नहीं बचे थे ..
उन्होंने अपने लंड को दोबारा अन्दर डाला पर वो फिसलकर बाहर निकल आया और पीछे -२ आया शीला की चूत से ढेर सारा गाडा और सफ़ेद रस ..

उसके बाद शीला ने अपने कपडे समेटे और पहनकर अपने घर की तरफ निकल गयी ..

शाम को पंडित जी अपने कार्यों से निपट कर बाजार की तरफ निकले ..उन्हें कुछ सामान भी लेना था ..

एक बड़े सिनेमाघर के सामने से निकलते हुए उन्हें अचानक वहां कोमल दिखाई दी ..

वो चोंक गए ..वो अकेली थी ..जींस और टी शर्ट में ..सर पर स्कार्फ लपेटा हुआ था ..जो उसके चेहरे को भी छुपा रहा था ..पर पंडित जी उसे देखते ही पहचान गए ..वो छुपकर देखने लगे की वो वहां कर क्या रही है .

वो जहाँ खड़ी थी वहां काफी अन्धेरा था ..और वो दिवार पर लगे हुए पोस्टर को देख रही थी ..शायद किसी मूवी का था जो उस सिनेमाघर में लगी हुई थी ..


पहले तो उन्होंने सोचा की हर जवान लड़के / लड़की की तरह इसे भी शायद फिल्मों का शोंक है ..इसलिए शायद बाजार जाते हुए पोस्टर देखकर रुक गयी होगी ..पर जैसे ही पंडित जी का ध्यान उस पोस्टर पर गया उनकी आँखे फटी की फटी रह गयी ..वो एक एडल्ट फिल्म का पोस्टर था ..''जवानी का नशा'' जिसमे हीरो ने हीरोइन को अपनी बाहों में लपेटा हुआ था ..और उसे लिप्स पर किस्स कर रहा था ..दोनों ऊपर से नंगे थे ..

ओहो ...तो ये बात है ...जवान हो रही कोमल को जवानी का नशा चढ़ रहा है ..और वो पोस्टर को देखकर अपने अन्दर की आग और जिज्ञासा शांत कर रही है ..

पंडित जी मन ही मन मुस्कुराने लगे ..उन्हें कोमल को पटाने का आईडिया मिल चुका था ..और वो बाहर निकल आये और कोमल की तरफ चल दिए ..

और उसके पीछे जाकर उन्होंने उसे पुकारा : "कोमल ......''

पंडित जी की आवाज सुनते ही कोमल ने पलटकर देखा ..और पंडित जी को अपने सामने देखकर उसके चेहरे का रंग पीला पड़ गया ..उसे तो शायद आशा भी नहीं थी की इस शहर में कोई उसे पहचान लेगा ..वो हडबडा उठी .

कोमल : "आप .....य ....यहाँ ......''

पंडित : "हाँ ...मैं ..यहाँ ...पर तुम यहाँ क्या कर रही हो ..''

कोमल : "जी ....जी ...वो ....मैं .....मैं तो .....बस ...मार्किट आई थी ...''

वो शायद जानती थी की पंडित जी ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया है ..गन्दी मूवी का पोस्टर देखते हुए ..

पंडित जी उसके चेहरे को देखते हुए उसके मन में चल रहे अंतरद्वंद को पड़ने की कोशिश कर रहे थे, वो अपने हाथों की उँगलियों को मसल रही थी ..और अपनी आँखे पंडित जी से नहीं मिला पा रही थी .

पंडित : "ये देख रही थी ...''

उन्होंने पोस्टर की तरफ इशारा किया ..वो मना करने की स्थिति में नहीं थी ..उसने अपना सर झुका लिया .

पंडित : "चलो मेरे साथ ..!"

उसने एक दम से अपना चेहरा ऊपर उठाया ..उसमे डर के भाव थे ..

पंडित : "घबराओ मत ...मैं तुम्हारी दीदी को नहीं बोलूँगा ..चलो मेरे साथ ..यहाँ खड़ा होना सही नहीं है ..''

वो दोनों आगे चल दिए ..और एक बड़े से पेड़ के नीचे जाकर पंडित जी खड़े हो गए और कोमल से बोले : "मैं जानता हु की तुम्हारी उम्र में ये सब स्वाभाविक है ..ऐसी बातें मन को लुभाती है ..अगर तुम चाहो तो मुझसे ये सब बातें खुलकर कर सकती हो ..हो सकता है की मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकू ..''

वो धीरे से बोली : "पर ....पर ...दीदी ने आपसे ज्यादा बात करने से मना किया है ..''

पंडित जी की तो झांटे ब्राउन हो गयी कोमल की बात सुनकर ..शीला ने अपनी बहन को ऐसा कैसे बोल दिया ..

पर वो भी सही थी अपनी जगह, शीला अच्छी तरह से जानती थी की पंडित जी की नजर पड़ने के बाद उसकी मासूम सी बहन का क्या हश्र होगा ..अब पंडित जी को भी चालाकी से काम लेना होगा ..कुछ इस तरह से की उनकी हरकतों की खबर शीला तक ना पहुंचे वर्ना कोमल के साथ-२ शीला भी हाथ से निकल जायेगी .

पंडित : "वो इसलिए की तुम अभी छोटी हो ना ..ये सब बातों के लिए तुम्हारी उम्र अभी कम है ..वो तुम्हे बच्चा समझती है अभी ..''

कोमल (थोडा ऊँचे स्वर में) : "ऐसा कुछ नहीं है ...मेरे गाँव में भी मुझसे समझदार कोई नहीं है ..माँ और दीदी तो बस मेरे पीछे ऐसे ही पड़ी रहती हैं ..उन्हें अभी पता नहीं है की मुझमे इन बातों की कितनी समझ है ..''

पंडित जी ने जैसा सोचा था , वैसा ही हुआ था, चोट सही जगह पर लगी थी ..और कोमल आखिरकार पंडित जी के बहकावे में आकर बोलती चली गयी ..

पंडित : "अच्छा ...पर जिस तरह से तुम वो पोस्टर देख रही थी ..लग तो नहीं रहा था की तुम्हे इन सब के बारे में कुछ मालुम भी है ..''

कोमल का गोरा रंग गुलाबी हो गया ..वो बोली : "ये मूवीज में तो कुछ ज्यादा ही दिखाते हैं ..वैसे मेरी सहेलियों ने जो बताया है ..और मैंने जो देखा है किताबो में ..ये शायद उनसे अलग होता होगा ...बस यही देख रही थी ..और ..और ...''

पंडित : "हाँ ...हाँ ..बोलो, शरमाओ मत ...मैं कोई भी बात तुम्हारी दीदी से नहीं कहूंगा ..''

वो थोडा आश्वस्त हो गयी ..और बोली : "मैंने अपनी क्लास की लड़कियों से शर्त लगायी है इस बार ..की यहाँ शहर में आकर मैं हर वो चीज करुँगी ..जिसकी हम सभी बातें करते हैं ..''

पंडित : "अच्छा ...क्या बातें करती हो तुम सभी ..''

वो फिर से शरमा गयी ..और धीरे से बोली : "वो मैं आपको नहीं बता सकती ..''

वो पंडित जी से नजरें नहीं मिला रही थी ..और मुस्कुराती जा रही थी ..

पंडित : "चलो कोई बात नहीं ...मत बताओ ..पर एक बात तो मैं जान ही चूका हु उनमे से ..''

कोमल ने एकदम से चोंक कर पंडित जी की आँखों में देखा ..वो धीरे से बोले : "तुम ये गन्दी वाली मूवी देखना चाहते हो ना ..''

उसकी आँखों में आई चमक को देखकर और फिर उसके शर्माने के अंदाज से पंडित जी समझ गए की उनका ये तीर भी निशाने पर लगा है .

पंडित : "तुम अगर चाहो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हु इसमें ...ये मूवी देखने में ..''

कोमल : "पर कैसे ...मैंने अभी देखा वहां कोई भी लड़की नहीं थी ..सब गंदे-२ लड़के थे बस ..''

पंडित : तुम चाहो तो मेरे साथ चल कर तुम भी वो मूवी देख सकती हो ..बस हमें अपना हुलिया बदल कर जाना होगा वहां ..तुम्हे इसलिए की तुम लड़की हो ..तुम्हे लड़का बनकर चलना होगा ..और मुझे यहाँ ज्यादातर लोग जानते हैं ..कोई मुझे ना पहचान ले इसलिए मुझे भी अपना भेष बदल कर जाना होगा ..''

वो कुछ देर तक सोचती रही ..और फिर चहक कर बोली : "वाव ...ऐसा तो मूवीज में होता है ...मजा आएगा ...मैं तैयार हु ...बोलो कब चलना है ..''

उसके चेहरे की ख़ुशी देखकर पंडित का मन तो कर रहा था की उसे वहीँ पकड़ कर रगड़ डाले और उसके गुलाबी होंठों को चूसकर उनका रस पी जाए ..और जो मूवी में देखना चाहती है, वो यहीं उसे दिखा दे ..पर वो कोमल को पूरी तरह से अपने शीशे में उतारना चाहते थे ..

पंडित : "कल दोपहर का शो देखने आते हैं यहाँ ..उस वक़्त ज्यादा भीड़ नहीं होती ..ठीक है ..''

कोमल : "ठीक है ..कल मिलते हैं ...पर आप प्लीस दीदी से इस बारे में कोई जिक्र मत करना ..मैं उनसे कहकर आउंगी की एक कोर्स के बारे में पता करने जाना है ..ठीक है ..''

अब उस पगली को ये बात कौन समझाए की ये बात तो पंडित जी को बोलनी चाहिए थी की अपनी शीला दीदी से इस बारे में कोई बात ना करे .

अब अगले दिन मंदिर में मिलने का समय निर्धारित करने के बाद वो दोनों अपने-२ रास्ते चले गए ..

पंडित जी ने रास्ते से कल के मेकअप के लिए जरुरी सामान और कपडे ले लिए ..उन्हें भी अन्दर से रोमांच का एहसास हो रहा था ये सब करते हुए ..

अगले दिन कोमल ठीक 11 बजे पंडित जी के मंदिर में पहुँच गयी ..उस वक़्त मंदिर में 4 -5 लोग थे, पंडित जी ने उसे बैठने का इशारा किया और उनसे निपटने के बाद वो उसे अपने कमरे में ले आये ..जहाँ उन्होंने उसकी शीला दीदी के अलावा ना जाने कितनी चूतों का उद्धार किया था ..

कोमल : "वह पंडित जी ..आपका कमरा तो बड़ा सही है ..अकेले रहते हो आप यहाँ ...''

वो शायद कुछ कन्फर्म कर रही थी ..

पंडित : "हाँ ..अकेला रहता हु ..कभी भी मेरी जरुरत हो तो बेझिझक आ सकती हो ..''

वो मुस्कुरा दी ..कुछ न बोली ..

आज वो टी शर्ट और जींस पहन कर आई थी ..

पंडित जी ने एक थेला उसे दिया और बोले : "इसमें एक टी शर्ट है ...और ..और एक कपडा ...भी ...वो अन्दर पहन लेना ..''

वो कुछ समझी नहीं ...उसने थेले के अन्दर से टी शर्ट निकाली ...वो लडको वाली टी शर्ट थी .. और फिर उसने अन्दर हाथ डालकर वो कपडा भी निकाला ..वो स्पोर्ट्स ब्रा थी ..बिलकुल छोटी सी ...जिसे देखकर वो शरमाने के साथ-२ चोंक भी गयी ..

पंडित : "ये नीचे पहन लो ...ताकि तुम्हारी ...ये ....ये ...छातियाँ देखकर कोई समझ ना सके की तुम लड़की हो ..''

पंडित ने अपने हाथ की उँगलियों से उसकी ब्रेस्ट की तरफ इशारा किया ..

कोमल ने जल्दी से दोनों कपडे वापिस अन्दर डाले और भागकर बाथरूम में चली गयी ..

पंडित जी मन ही मन मुस्कुराने लगे ..

उन्होंने भी जल्दी से अपने लिए लाये हुए टी शर्ट और जींस को निकाल और पहन लिया ..

ऐसे कपडे उन्होंने करीब दस सालों के बाद पहने थे ...वर्ना हमेशा धोती कुरता ही पहनते थे वो ..

फिर उन्होंने एक नकली मूंछ निकाली और लगा ली ..अब वो बिलकुल भी पहचाने नहीं जा रहे थे ..

तभी कोमल भी बाहर निकली ..पंडित जी की नजर सीधा उसकी छाती पर गयी ..जो अब लगभग ना के बराबर दिख रही थी ..

वो अपनी नजरें नीची करके सामने आकर खड़ी हो गयी ..

स्पोर्ट्स ब्रा पहनने की वजह से उसकी 32 नंबर की छातियाँ बिलकुल सपाट हो गयी थी ..उन्होंने एक और मूंछ निकाली और उसके होंठों के ऊपर लगा दी ..और फिर एक लाल रंग की स्पोर्ट्स केप भी निकाल कर उसे पहना दी ..अब वो एक जवान लड़के जैसा दिख रही थी ..

और फिर दोनों पीछे वाले दरवाजे से निकल कर सिनेमा हाल की तरफ चल दिए ..

जहाँ लगी थी वो मूवी ..''जवानी का नशा''

कमरे से बाहर निकलकर पंडित जी को बस यही चिंता सता रही थी की कहीं कोई उन्हें पहचान तो नहीं जाएगा ..

वो कहते है न, गलत काम करने वाला हमेशा डरता है ..और हो भी यही रहा था , पंडित जी की हालत खराब थी ..पर ये रोमांच भी कुछ कम नहीं था .

अचानक पंडित जी की गांड फट कर उनके हाथ में आ गयी .

सामने से शीला आ रही थी . और वो शायद पंडित जी के कमरे की तरफ ही जा रही थी .

पंडित जी ने धीरे से कोमल से कहा : "अपना मुंह नीचे कर लो ..तुम्हारी दीदी आ रही है ..''

उसकी भी फट कर हाथ में आ गयी ..उसने वैसे तो कपडे ऐसे पहने थे और हुलिया चेंज किया हुआ था, फिर भी उसने अपना सर नीचे झुका लिया ताकि टोपी के पीछे उसका चेहरा पूरा छुप जाए .

शीला तेजी से चलती हुई आई और उनपर एक नजर डाल कर आगे निकल गयी ..

उसने पंडित जी को पहचाना ही नहीं ..पंडित जी की सांस में सांस आई ..उनका मेकअप काम कर गया था .

अब वो बिना किसी डर के चलने लगे ..जब उन्हें शीला ने नहीं पहचाना तो और कोई कैसे पहचानेगा ..

मेन रोड पर पहुंचकर उन्होंने एक ऑटो लिया और उसमे बैठ गए ..उसमे पहले से ही चार लोग बैठे थे ..कोमल ऊपर चढ़ कर बीच में फंस कर बैठ गयी तो पंडित जी के लिए जगह ही नहीं बची ..

ऑटो वाले ने उनसे कहा की वो आगे आकर उसके साथ बैठ जाए ..अक्सर यही करते हैं ये ऑटो वाले ..पंडित जी बिना कुछ बोले आगे आ गए और बैठ गए ..उन्होंने पीछे मुंह करके कोमल को आश्वस्त किया की थोड़ी देर की ही बात है ..एडजस्ट कर लो बस .

पर उन्हें क्या पता था की कोमल जिनके साथ बैठी है उनमे से एक आदमी तो पंडित जी को अच्छी तरह से जानता था ..और पंडित जी जब कोमल को इशारा कर रहे थे तब उन्होंने उसका चेहरा देखा ..वो चुपचाप आगे मुंह करके बैठ गए .

अपने साथ बैठाते ही उस आदमी ने ,जिसका नाम हरिया था , अपना हाथ घुमा कर उसके कंधे पर रख दिया ..

कोमल : "ये क्या बदतमीजी है ..हाथ पीछे करिए ..''

गुस्से में उसकी लड़कियों वाली आवाज ही निकल गयी ..जिसे सुनकर हरिया हंसने लगा ..वो बोला : "साले , लड़कियों जैसा दीखता है और आवाज भी वैसी ही है ..''

पंडित जी ने पीछे मुड़ कर देखा और आँखों ही आँखों में कोमल को चुप रहने को कहा ..कहीं उनकी पोल पट्टी ही ना खुल जाए ..

वो बेचारी करती भी क्या, खून का घूंट पीकर वो चुपचाप बैठ गयी ..

अब हरिया को भी मस्ती सूझ रही थी , उसने अपने हाथ से उसके कंधे को दबाना शुरू कर दिया ..उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर रखा था , और वो सिर्फ उसके कोमल शरीर पर अपने हाथ लगाकर उसके एहसास का मजा ले रहा था ..

कोमल के नथुनों में उसके पसीने की गन्दी स्मेल आ रही थी ..उसे अक्सर ऐसे सपने आते थे जिसमे नीचे तबके के लोग उसके साथ गलत हरकत कर रहे हैं ..और आज उसे वो सपना सच होता दिख रहा था .

हरिया ने सोचा भी नहीं था की किसी लड़के की बॉडी इतनी सॉफ्ट भी हो सकती है ..चेहरा तो इतना चिकना था ..कोमल ने दूसरी तरफ चेहरा किया हुआ था जिसकी वजह से उसकी लम्बी और गोरी गर्दन हरिया के चेहरे से सिर्फ पांच इंच की दुरी पर थी ..हरिया के मन में ना जाने क्या आया की उसने आगे बढकर कोमल की गोरी गर्दन पर अपने खुरदुरे होंठ रख दिए ..और जोर से चूम लिया ..

कोमल का पूरा शरीर झन्ना उठा , उसके शरीर पर किसी ने पहली बार अपने होंठ लगाए थे ..पर वो इतने गंदे और गलत इंसान के होंगे ये उसने नहीं सोचा था, वो लगभग चिल्ला उठी ..

''साले ...कर क्या रहा है तू ..समझ क्या रखा है तूने मुझे ..''

उसकी गुर्राती हुई आवाज सुनकर सभी लोग उनकी तरफ देखने लगे ..और हरिया सकुचा कर अपने आप ऑटो से उतर गया ..उसके उतरते ही पंडित जी पीछे गए और कोमल के साथ जाकर बैठ गए .

और उन्होंने भी कोमल के कंधे से हाथ घुमा कर उसके पीछे रख दिया ..

पर हरिया और पंडित जी में फर्क था ..जिसे कोमल ने महसूस किया ..पंडित जी के शरीर से भीनी -२ महक आ रही थी ..उनके हाथ के स्पर्श में एक नर्म एहसास था ..एक सुरक्षा का एहसास था ..उसने अपना सर पीछे करके पंडित जी की बाजू पर टिका दिया ..और सफ़र ख़त्म होने का इन्तजार करने लगी .


The Romantic
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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 13:55

पंडित & शीला पार्ट--48

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गतांक से आगे ......................

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पंडित जी की नंगी बाजू पर कोमल की नर्म और ठंडी गर्दन अपना असर छोड़ रही थी ..और उनका एफ्फिल टावर खड़ा होने लगा ..और पेंट पहनने की वजह से उन्हें बैठने में परेशानी भी हो रही थी ..उन्होंने बड़ी मुश्किल से वहां हाथ रखकर अपने उभार को कोमल की नजरों से बचाया ..

खेर, थोड़ी ही देर में उनका स्टेंड आ गया और वो उतर गए ..पंडित जी ने जाकर टिकट ली और वो दोनों अन्दर चल दिए ..

वो एक पुराना सा सिनेमा हाल था, जहाँ सिर्फ बी ग्रेड मूवीज ही लगती थी ...वहां ज्यादातर आदमी ही आये हुए थे ..दो तीन औरतें भी थी ..पर पंडित जी की नजरों ने पहचान लिया की वो सब धंधे वाली औरतें थी , जो सिर्फ थोड़े रूपए और मस्ती के लिए किसी के साथ भी मूवी देखने घुस जाती थी ..

टिकट चेकर ने पंडित जी की तलाशी ली और उन्हें अन्दर जाने दिया ..पीछे-२ कोमल भी थी , उसके शरीर पर भी चेकर ने बड़े ही केसुअल तरीके से हाथ फेरे ..पर उसके गुदाजपन का एहसास होते ही उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी ..उसने एक बार और अपना हाथ फेरना शुरू किया ..खासकर उसके जांघो पर ..जहाँ उसके हाथ चिपक कर रह गए ..और उसकी उँगलियों की चुभन कोमल को अन्दर तक महसूस हुई ..पर वो कुछ न बोली ..फिर उसके हाथ फिसलते हुए ऊपर आये और उसके कुलहो और कमर के बाद उसकी छातियों पर आकर फिर से रुक गए ..और उसने उन्हें दबा दिया ..

तभी पीछे से आवाज आई : "अरे भाई ..इसकी ही तलाशी लेता रहेगा क्या ..जल्दी कर , मूवी शुरू होने वाली है ..''

बेचारे को बेमन से कोमल को छोड़ना पडा ..और वो भागकर अन्दर आ गयी, जहाँ पंडित जी पहले से ही सीट पर जाकर बैठ गए थे, उन्होंने कोमल को हाथ का इशारा करके अपनी तरफ बुलाया, वो वहां जाकर बैठ गयी ..उसके शरीर में अभी तक टिकट चेकर की उँगलियों की चुभन का एहसास हो रहा था , आज तक उसके शरीर को किसी ने इस तरह नहीं छुआ था ..पहले ऑटो में वो आदमी और अब यहाँ ये टिकेट चेकर ने भी उसे जैसे रोंद सा डाला था ..

वो धीरे से पंडित जी के कानो में बोली : "वो ऑटो वाला आदमी भी बदतमीज था और ये चेकिंग वाला भी ..''

पंडित जी के कानो में उसके होंठों का स्पर्श उन्हें मदहोश सा कर गया ..उन्होंने अपना होश संभाला और उसके कानो में बोले : "गलती उनकी नहीं है ...तुम्हारे शरीर की कोमलता है ही ऐसी की वो अपने आप को रोक नहीं पाए ...''

कहते -२ पंडित जी ने अपने हाथ की उंगलिया उसकी नंगी बाजुओं पर फेरा दी ..कोमल के रोंगटे खड़े हो गए उनकी बात और टच को महसूस करके ..

वो कुछ न बोली और चुपचाप बैठकर फिल्म के शुरू होने का इन्तजार करने लगी .

थोड़ी ही देर में पिक्चर शुरू हो गयी ..

कोमल की आँखों में चमक आ गयी, जैसे ही फिल्म का नाम स्क्रीन पर आया ..उसने झट से अपना मोबाइल निकाला और मूवी के नाम की फोटो खींच ली ..

पंडित : "ये किसलिए ..?"

कोमल : "सबूत के लिए ..अपनी सहेलियों को दिखाउंगी न ..नहीं तो वो बोलेंगी की मैं गप्पे मार रही हु .."

पंडित जी मुस्कुरा दिए .

दस मिनट के बाद ही मूवी में एक गर्म सीन आ गया , जिसमे हिरोइन सफ़ेद कपडा पहन कर झरने के नीचे नहाते हुए गाना गा रही थी और एक विलेन उसको छुप कर देख रहा था .. भीगने की वजह से वो कपडा पारदर्शी हो गया और उसके दोनों मुम्मे चमकने लगे ..पंडित जी का भी लंड खड़ा होने लगा वो देखकर ..उन्होंने तिरछी नजरों से कोमल को देखा जो अपनी नजरें झुका कर उस सीन को देख रही थी ..

गाना ख़त्म होते ही विलेन लड़की पर झपट पडा और वो भागती हुई एक गुफा में घुस गयी ..भागने की वजह से उसका कपडा खुल गया और वो पीछे से अपनी गांड के दर्शन कराती हुई अन्दर घुस गयी .उसकी नंगी गांड देखते ही पुरे हाल में सीटियाँ बजने लगी . जिन्हें सुनकर कोमल हंसने लगी ..और वो पंडित जी से बोली : "जैसा सुना था ..ठीक वैसा ही माहोल है ऐसी पिक्चर को देखने का ..मजा आ गया ..कसम से ..''

उसकी भोली बात सुनकर पंडित जी का मन तो करा की उसे वहीँ पकड़ कर चूम ले ..

कोमल की नजरें इधर - उधर कुछ ढूंढने लगी ..और आखिर उसकी नजरों ने वो देख ही लिया जो वो देखना चाहती थी ..

एक जोड़ा कोने वाली सीट पर बैठा था वो दोनों एक दुसरे को बुरी तरह से चूम रहे थे ..कोमल उन्हें देखकर मंद-२ मुस्कुराने लगी ..

पंडित जी ने धीरे से उसके कान में कहा : "उन्हें क्यों देख रही हो अब ..ये गन्दा नहीं लग रहा तुम्हे ..''

कोमल कुछ ना बोली ..और अपनी नजरें झुका कर पंडित जी से धीरे से बोली : "इस्स्श्ह्ह ....चुप करो आप ...''

उसके चेहरे की गुलाबी रंगत पंडित जी की आँखों को अँधेरे में भी दिख रही थी .एक बार तो उन्होंने सोचा की उसके चेहरे को अपनी तरफ करे और उसे भी ऐसे ही चूमने लग जाए ..पर वो जल्दबाजी करके काम बिगाड़ना नहीं चाहते थे .

थोड़ी ही देर में वो लड़की उस आदमी के घुटनों के पास बैठ गयी और उसके लंड को मुंह में डालकर चूसने लगी ..उसे अपने आस-पास बैठे हुए लोगों की भी कोई परवाह नहीं थी ..और वो आदमी तो अपने आप को राजा समझ रहा था जो कुर्सी पर आराम से बैठकर अपना लंड चुसवा रहा था .

कोमल की नजरें भी उधर ही थी ..वो धीरे से बोली : "छि ....कैसी बेशरम औरत है ..खुले आम ऐसा कर रही है ..''

पंडित जी उसके भोलेपन पर हंस दिए और बोले : "वो उसकी बीबी या गर्लफ्रेंड नहीं है ..ऐसी औरतें पांच सो में मिल जाती है ..जो ऐसे काम करने के लिए अन्दर आ जाती है इनके साथ ..''

कोमल ने अपनी एक आई ब्रो ऊपर करके पंडित जी से कहा : "बड़ी नोलेज है आपको ...और क्या -२ पता है ..''

पंडित जी : "मुझे सब पता है ..चाहो तो आजमा कर देख लो ..''

पंडित जी की द्विअर्थी बात शायद कोमल को समझ आ गयी थी ...उसका चेहरा शर्म से लाल हो उठा ..और उसने फिर से अपनी नजरें फिल्म पर लगा दी ..पर उसका मन अब फिल्म में नहीं लग रहा था ..जैसे ही उस औरत ने लंड का माल चूसकर उस आदमी को खल्लास किया , वो अपने पैसे लेकर बाहर निकल गयी ...

कोमल : "चलो अब ...और नहीं देखनी पिक्चर ...चलो यहाँ से ..''

पंडित जी को भी कुछ समझ नहीं आया की एकदम से कोमल को क्या हुआ ..पर उन्होंने कुछ नहीं कहा और वो उठकर बाहर निकल आये .

थोडा दूर निकलने के बाद कोमल पंडित जी की तरफ घूमी और उनके गले लग गयी और धीरे से उनके कान में बोली : "थेंक यू ...''

और एकदम से हट कर वापिस पलटी और आगे निकल गयी ..

पंडित जी बेचारे उसके सीने के एहसास को अपनी छाती पर पूरी तरह से महसूस भी नहीं कर पाए थे ..

वो भी अपनी आँखे उसकी मटकती हुई गांड से चिपका कर उसके पीछे-२ चल दिए .

कोमल ने अपनी मूंछ निकाल दी और अपनी टोपी भी उतार कर हवा में उछाल दी ..और जोर से चीखी : "मजा आ गया ....आज का दिन मेरे लिए बहुत अलग है ..''

और फिर वो चलते-२ पंडित जी की तरफ घुमि और उल्टा चलती हुई उनसे बोली : "और ये सब आपकी वजह से हुआ है पंडित जी ..आप न होते तो मैं ये नहीं कर पाती ..पर अब आप मिल गए हो ना ..तो एक अच्छे दोस्त की तरह मेरे जीवन की वो सभी इच्छाएं पूरी करवा दो, जो मैंने आज तक सोची हुई है ...बोलो करोगे न ..''

उसकी आवाज में एक कशिश थी,एक अल्हड़पन था, एक हुक्म था, जिसे पंडित जी चाह कर भी मना नहीं कर सकते थे ..

वो पंडित जी के पास आई और धीरे से बोली : "मैं आपको अपनी सारी इच्छाएं एक साथ नहीं बता सकती ..पर जैसे ही एक पूरी होगी, तो दूसरी बता दूंगी ..ओके ..''

पंडित जी ने हाँ में सर हिला दिया ..

वो उनके और पास आई और बोली : "आप अपनी आँखे बंद करो प्लीस ..मैं आपके कान में ही बताउंगी ..नहीं तो मुझे शरम आएगी ..''

पंडित जी ने अपनी आँखे बंद कर ली ..और कोमल के होंठों से निकल रही गर्म साँसों के बाद उसके
मुंह से निकलने वाले शब्दों का इन्तजार करने लगे .

कोमल के लाल होंठ फडके और उनमे से शब्द निकलकर पंडित जी के कानों में जाने लगे ..

कोमल : "वो ...मुझे ...गालियाँ देने वाले लोग बहुत पसंद है ...मेरा मतलब, जब कोई गाली देकर बात कर रहा होता है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है ..इसलिए ...अगर आप ...मेरे साथ ..गालियों वाली भाषा में .बात करे तो.....खुलेआम ...सबके सामने ..''

पंडित जी भी सोचने लग गए की इसके दिमाग में ये भरा क्या हुआ है ..कितनी अजीब सी ख्वाहिशे है ..साली ये नहीं बोल सकती थी की मुझे चुदवाना अच्छा लगता है ..आप मुझे चोदो ..सबके सामने ..पर ये तो गाली के लिए बोल रही है ..ये सब करके कैसे किसी की कोई इच्छा पूरी हो सकती है ..ये तो बड़ी आम सी बात है ..और अजीब भी.

पंडित : "मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है ..पर ये सब करके तुम्हे मिलेगा क्या ..मतलब ..ये तो बहुत मामूली सी बात है ..''

कोमल (नजरें झुका कर बोली ) : "ये आप मर्दों के लिए मामूली है ..हमारे लिए नहीं ..आप ही बताइए , आपने कितनी लड़कियों को इस तरह से गाली गलोच करते सूना है ..नहीं सुना ना ..''

अब वो उस बेचारी को क्या बताते ..की जब चुदाई होती है तो सामने वाली अपने आप गालियाँ देने लगती है ..जो चुदाई में चार चाँद लगा देती है ..

कोमल : "हम सहेलियां तो एक दुसरे को कभी कभार गालियाँ दे लेती है ..पर ..उतनी गन्दी नहीं ..जितनी मर्द देते हैं ..और सच कहूँ ..जब भी कोई किसी को गालियाँ दे रहा होता है, एक दुसरे की माँ बहन के बारे में गन्दी बाते बोल रहा होता है .. तो ..तो ..मुझे कुछ होता है अन्दर से ..''

पंडित : "क्या होता है ..जरा हमें भी तो बताओ ...''

पंडित ने आगे आकर अपना कन्धा उसके कंधे पर मारकर राजेश खन्ना के अंदाज में कहा ..

कोमल का चेहरा शर्म से लाल हो गया ..वो बोली : "पंडित जी ...आप बड़े वो हैं ..आप जैसे दीखते हैं , वैसे हैं नहीं ..''

पंडित : "अच्छा जी ...फिर कैसा हु मैं ..''

कोमल : "बेशरम ...आप बहुत बेशरम हो ..''

पंडित : "बेशरम मैं नहीं हु ...भेन की लोड़ी .....तू है कुतिया ...''

पंडित जी की बात सुनते ही कोमल का चेहरा पीला पड़ गया ...वो घबरा गयी .

कोमल : "ये ..ये ..क्या बोल रहे है आप ...''

पंडित (गुर्राते हुए ) : "साली ...हरामजादी ...बड़ी भोली बनती है ..तेरी माँ चोदुंगा न जब सबके सामने ...तब तुझे पता चलेगा ..कैसे अपनी इच्छा पूरी करवाते हैं ..''

पंडित जी की बात सुनते ही कोमल को सब समझ आ गया, पंडित जी ने उसकी बात मान ली थी और वो गालियाँ देकर ही बात कर रहे थे ..

पर उसे बताना तो चाहिए था न ..

उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी ..वो धीरे से बोली : "अभी तूने मेरी माँ को देखा ही कहाँ है पंडित ...जो उसे चोदने की बात कर रहा है ..''

कोमल के मुंह से 'चोदना' शाद सुनकर पंडित जी का सच में चोदने का मन करने लगा ..

पंडित : "देखा है ...तेरी माँ को भी देखा है ..और तेरी बहन को भी ...दोनों मस्त माल है ..दोनों की चुदाई एक साथ करूँगा ..और वो भी तेरे ही सामने ...''

दोनों खुले आम चलते हुए जैसे एक दुसरे से लडाई कर रहे थे ..

कोमल (इतराते हुए) : हूँह ...इतना आसान नहीं है पंडित ...मेरी माँ-बहन को चोदना ...तेरे बाप का माल नहीं है वो ..तेरा ....तेरा ....वो ..वो ...काट कर फेंक दूंगी मैं ..''

पंडित : "साली ...बोलते हुए ही घबरा रही है ...काटेगी क्या ....भेन चोद .''

कोमल : "मैं नहीं घबराती ...वो ..वो ...तेरा लंड काट कर फेंक दूंगी ...अगर मेरी माँ बहन के बारे में कुछ कहा तो ..''

हाँ ...ये हुई न बात ...उसके मुंह से लंड शब्द कितना मीठा लग रहा था ..

पंडित : "ये लंड काटने के लिए नहीं होता हरामजादी ...इससे तेरी जैसी रंडियों की चुदाई करी जाती है ..''

कोमल : "रंडी होगी तेरी माँ ..भेन के लोड़े ...कोमल नाम है मेरा ..तेरे जैसो को तो खुले आम नंगा करके गांड मरवा देती हु मैं कुत्तों से ..''

'ओह तेरी ....क्या नोलेज है इसको भी ..सही है ..मजा आएगा ..' पंडित ने मन ही मन सोचा

और जब कोमल ये बात बोल रही थी ..उनके सामने से एक जोड़ा निकला, और कोमल की गालियों से भरी बात शायद उन्होंने सुन ली थी ..और वो दोनों मुंह फाड़े एक दुसरे को और कभी कोमल को देख रहे थे ..की देखने में कितनी मासूम सी लड़की और बातें कितनी गन्दी कर रही है ..वो दोनों रुक गए और पंडित और कोमल की बातें सुनने लगे ..

पंडित : "मेरी गांड क्या मरवाएगी तू ...मैं मारूंगा तेरी गांड ..ये है न जो तूने छुपा रखी है ..मक्खन जैसी गांड ..गली की कुतिया को चुदते हुए देखा है न तूने, वैसे ही चोदुंगा तुझे पीछे से ..डोगी स्टाईल में ..कुतिया की तरह , साली चुद्दक्कड़ ....''

पंडित की हर गाली सुनकर कोमल की आँखों की चमक बढती चली जा रही थी ..वैसे भी वो तो ये सब सिर्फ अपनी इच्छा को पूरी करने वाला खेल ही समझ रही थी ..पर वो क्या जानती थी की पंडित की हर बात के पीछे उनकी भी इच्छा है ..जो वो इस तरह से खुलेआम बोलकर जाहिर कर रहे थे .

पर सबसे ज्यादा मजा तो उस जोड़े को देखकर आ रहा था, जो उन दोनों को इस तरह से गालियों की जुबान में बात करते हुए लड़ता देख रहे थे ..और उनके चेहरे के हाव भाव देखकर कोमल का मन झूम रहा था ..

उस जोड़े से इतनी गालियाँ सुनना सहन नहीं हुआ ...और वो दोनों आगे निकल गए ..

उनके जाते ही कोमल और पंडित जी जोर से ठहाका मारकर हंसने लगे ..और हँसते -२ कोमल ने पंडित जी को अपनी बाहों में ले लिया और उनसे लिपट गयी ..

कोमल : "ओह्ह्ह ....पंडित जी ....यु आर सिम्पली ग्रेट ...मुझे मालूम ही नहीं था की मंदिर के पंडित को भी इन सब बातों का ज्ञान हो सकता है ..अब लगता है की आप मेरी बची हुई इच्छाएं भी जल्द ही पूरी कर दोगे ...''

पंडित जी उसकी अगली ''इच्छा'' का इन्तजार करने लगे ..

कोमल : "पर आज के लिए इतना ही काफी है ...बाकी कल ..ओके ...अब चलो जल्दी से ..दीदी और माँ इन्तजार कर रही होंगी ..''

पंडित ने भी ज्यादा जोर नहीं दिया ..क्योंकि उन्हें भी मंदिर की दिनचर्या निभाने के लिए वापिस जाना था ..

वो दोनों वापिस चल दिए ..कोमल अपने घर चली गयी और पंडित जी अपने घर की तरफ .

वहां पहुंचकर उन्होंने मंदिर के कार्य निपटाए और अपने कमरे में जाकर सो गए .

सपने में उन्हें कोमल ही दिखाई दे रही थी ..जो अपनी चुदने की इच्छा लेकर उनके पास आई और उन्होंने उसकी वो इच्छा भी पूरी करने लगे ..वो उनका लंड चूसने लगी ..तभी उनकी नींद खुल गयी .. और सच में कोई उनका लंड चूस रहा था ..उन्होंने उसके चेहरे से बाल हटा कर देखा तो ख़ुशी के मारे उछल ही पड़े ..वो रितु थी ..और वो भी पूरी नंगी .

पंडित : "ओह्ह्ह ....रितु ....तू ...अह्ह्ह्ह ....आज मेरी याद कैसे आ गयी ....''

रितु ने लंड बाहर निकाला और बोली : "पंडित जी ....दो दिनों से पापा ने मेरी चूत को चोदकर उसका बेन्ड बजा रखा है ..पर आप जैसी चुदाई कोई नहीं कर सकता ..इसलिए दौड़ी चली आई आज ...''

पंडित : "घर पर पता है क्या ...की तू यहाँ आई है ..''

रितु : "हाँ ...माँ को बता कर आई हु मैं आज ..की मैं जा रही हु अपने पंडित जी के पास ...''

वो हंसने लगी ...और फिर से उनके लंड को चूसने लगी ..

पंडित जी के लंड को सुबह से कोमल ने वैसे ही खड़ा करके रखा हुआ था ..अच्छा हुआ जो रितु खुद ही आ गयी उनके पास, वर्ना रात तक उन्हें ही उसके घर जाकर माधवी या उसकी चूत मारनी पड़ती ..

वो सुबह से ही प्यासे थे ..उन्होंने रितु को किसी गुडिया की तरह से घुमा कर उल्टा कर दिया और 69 की पोसिशन में आकर उसकी चूत को अपने मुंह से चूसने लगे ..वो भी प्यासी चुड़ैल की तरह उनके लंड के सिरे से रस निकालने लगी ..


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