नौकरी हो तो ऐसी

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The Romantic
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Re: नौकरी हो तो ऐसी

Unread post by The Romantic » 24 Dec 2014 13:07


वो दीवान से उठा और फिरसे दरवाजे की तरफ जाके एक बड़ी कील को दरवाजे मे घुसा के अच्छे से बंद कर लिया…. वो फिर मेरे पास आके दीवान पे बैठा और चादर को मेरे मुँह की तरफ धकेला… मुँह पे पूरी चादर थी मेरा मुँह पूरा ढका गया.. मैं कुछ समझ नही पा रहा था… उसने एकदम फटाक से मेरी पॅंट को नीचे खिचा…. फिर मेरे निक्कर को भी नीचे खीच के मेरे काले पहाड़ को हाथ मे ले लिया और गपक कर मुँह मे भर लिया… मैं दंग रह गया पर मज़ा आ गया…वो बहुत ही कसा हुआ खिलाड़ी मालूम हो रहा था उसने पूरा लंड एक ही बार मे मुँह मे ले लिया और अपने मुँह मे अंदर तक घुसा दिया.. मेरा पूरा लंड मुँह मे जाने की वजह से उस की साँसे फूल गयी और कुछ पल बाद उसने आधे अधिक उसे बाहर निकाल दिया…. और अपनी लार उस पे टपका के चाटने लगा मैं सातवे आसमान पे था मुझे नही पता था कि आदमी भी औरत का मज़ा दे सकता है… वो मेरे सुपरे की चमड़ी अपने मुँह के अंदर बड़ी आसानी से उपर नीचे करके अपनी जीब से घिस रहा था…. अब वो मेरी गांद के नीचे हाथ डाल के मेरे निचले शरीर को उपर उठाते हुए लंड को मुँह मे अंदर ही अंदर भर रहा था… मेरा बालो का जंगल उसकी नाक मे दस्तक दे रहा था… उसकी साँसे फूली जा रही थी पर रुक ने का कुछ भी नाम नही था… घ्घ्घ्घ्ग्गाअताक्क्क…. गुपप्प्प्प….गाअत्ट….गगगगगगगग…..गुपप्प्प्प्प्प्प्प्प गुपप्प्प गुपप्प्प्प्प्प्प्ुउुुऊउक्

ककककककक…गगगगगगज्गगगग्गगुउुुुुउउप्प आवाज़े आ रही थी …मैं अपने आप को पूरी तरह नियंत्रण मे रखे हुए था

इतने मे उसने मेरे काले घोड़े को मुँह से निकाला और मेरी गोटियो को हाथ मे पकड़ के उनको तान के उनपर थुका.. और अपनी जीब उन पर फेरने लगा.. जीब फेरते फेरते उसने मेरी दोनो गोटियो को मुँह मे भर लिया और उनके साथ मुँह मे मस्ती करने लगा… जैसे वो गोटियो के साथ पकड़ा पकड़ी का खेल रहा हो मेरी गोटियो को बहुत ही मस्त मस्साज़ मिल रहा था….. गोतिया बाहर निकाल के वो मेरे मुण्ड पे थूकने लगा उसकी वो गाढ़ी थूक को वो फिर चाट के पूरे लंड पे पसार देता…. मेरा अभी रुकना नामुमकिन के बराबर था.. इतने मे उसने अपनी नाक मेरी दो गोटी के बीच की चमड़ी पे रगड़ना शुरू किया और एक हाथ मेरे सूपदे की चमड़ी को हिलाने लगा.... उसका वो कोमल चेहरा मेरे लंड महाराज से टकराने लगा … मेरा नियंत्रण अभी छूटने वाला था…

तभी उसने फिरसे मेरा लंड मुँह मे भर लिया और चूसने लगा… मैं चरम सीमा लाँघ चुका था… मैने अपनी मलाई उसके मुँह के अंदर ही छोड़ना चालू किया…. वैसे ही उसने मेरे लंड से निकलती पूरी मलाई को अपने जीब पे जमाए रखा और धीरे से निगलने लगा…..वो निगलता गया और मैं छोड़ता गया… मा कसम क्या मज़ा आया था…. उसने मेरे लंड को पूरी तरह चाट लिया….



तभी किसीकि दूर से आहट सुनाई दी उसने मेरी पैंट और चड्डी को उपर उठा दिया और मेरी चादर ठीक कर दी. और फाटक से जाके दरवाजे से कील निकाल ली और जाके बाजुवाले दीवान पे सो गया…


मैं अभी संभल गया था और कुछ समझ पा रहा था… इसका मतलब ये था कि रमिता और रजिता का बाप था ये… ताइजी का पति परमेश्वर.. पर ये तो लंड की तलाश मे था… मेरे सर मे बहुत सारे प्रश्नो का कोलाहल मच गया….
उतने मे दरवाजा खुला और ताइजी अंदर आ गयी. उन्होने मेज पे रखी मोमबत्ती जला दी…



मोमबत्ती के प्रकाश मे ताइजी का वो चिकना चेहरा, टमाटर जैसे लाल लाल गाल और चुचिया अति उभरकर दिखने लगी… उन्होने सफेद ब्लाउस को ठीक किया…

मैने पीछेसे देखा तो मुझे ब्लाउस के अंदर का अंतरवस्त्र(ब्रा) कीपत्तिया नही दिखी मतलब ताइजी ब्रा निकाल के आई थी… लाल सारी और सफेद ब्लाउस मे वो काम की देवी दिख रही थी…. उनके माथे का सिंदूर तो और भी चमक रहा था….


ताइजी ने बाल खोल दिए…उनके वो लंबे बाल ठीक गांद के उभार तक जाके गांद से चिपक गये .. ताइजी अपने पति के बाजू दीवान पे लेट गयी….. ताइजी का पति खिड़की के बाजू मे था उनके बाजू ताइजी और दूसरे दीवान पे मैं था… उन्होने लेटते ही अपनी सारी का पल्लू उन्होने अपनी चुचियो से हटा दिया.. और मैं देखते रह गया….


क्या दूध थे… एक से एक …तरबूज की तरह… पूरा दिन उनमे मुँह घुसाए रखो ऐसे….एक दम कड़क और मोटे….सीधी पीठ पे सोने से वो पहाड़ के जैसे उँचे उँचे ….चुचियोसे चूचुक आसमान को पुकार रहे थे ..

चूचुक(निपल्स) बड़े बड़े गुलाबी गुलाबी अंगूरो की तरह दिखने लगे…. ताइजी अभी मेरे बाजू मुँह कर के सोई… वैसे उनके वो दोनो चूचुक मेरे तरफ निसाना करके मुझे निमंत्रित करने लगे…. इससे मेरे लंड महाराज फिरसे उठने की कोशिश करने लगे और इससे थोड़ा मेरे लंड को दर्द होने लगा.

क्रमशः...................


The Romantic
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Re: नौकरी हो तो ऐसी

Unread post by The Romantic » 24 Dec 2014 13:08

नौकरी हो तो ऐसी--16

गतान्क से आगे…………………………………….

मुझे रसोई घर की बात याद आई.. कंटॅकटर बाबू की आमो वाली बात…. कॉंट्रॅक्टर बाबू अपनी बहेन को कहते कहते कह गये कि दो दिन पहले ही आम खाए थे… क्या इसका मतलब कॉंट्रॅक्टर बाबू जो ताइजी के सगे भाई थे वो ताइजी की बुर चोदते थे…. इन सबका मुझे पता लगाना था… उन्होने रसोईघर मे सबके सामने जब यह बात कही थी तब वकील बाबू और रावसाब भी मुस्कुरा रहे थे इसका मतलब क्या ये तीनो भाई….???????????????


तभी ताइजी के पति दीवान से उठे और जाने लगे………..

ताइजी – इतनी रात गये कहाँ जा रहे हो…………….

ताइजी के पति – मैं ज़रा नीचे जाके सोने की कोशिश करता हू…………

ताइजी – क्यू क्या हुआ यहाँ…………….

ताइजी के पति – नही यहाँ मुझे नींद नही आ रही………..

ताइजी – अरे अच्छे ख़ासे तो सोए थे यहाँ……………..

ताइजी के पति – नही आँख खुल गयी फिरसे…. बहुत देर बाद लगी थी… मैं नीचे ही सोता हू

ताइजी – ठीक है….

मेरे मन मे आनंद की धाराए बहने लगी थी… ताइजी और मैं अकेले कमरे मे, इससे मुझे बुर चुदाई की आशा बढ़ती लग रही थी…….

10-15 मिनट तक जब कुछ हलचल नही दिखी तो मेरे लंड जी शांत हो गये और मुझे नींद भी आने लगी थी और मैं सो गया….

अचानक आधी रात को मुझे कुछ गिरने की आवाज़ सुनाई दी… मैने चादर मुँहसे हल्केसे हटा के देखा तो कमरे की छोटी बल्ब जल रही थी … मैने देखा कोई शीशी का ढक्कन उठा रहा था…. शरीर से देखा जाए तो वो कॉंट्रॅक्टर बाबू ही लग रहे थे… और उनके हाथ एक शीशी थी…..

शीशी पे कुछ नाम नही था पर शीशी से निकल रही गंध से ये ज़रूर पता चल रहा था कि गाव की हाथ भट्टी पे बनी कोई मस्त और महँगी दारू है….
कॉंट्रॅक्टर बाबू ने शीशी का ढक्कन मेज पे रख दिया… एक ग्लास उठाई और उसमे आधे से ज़्यादा दारू डाल दी और थोड़ा सा पानी डाला

वो ग्लास लेके वो ताइजी के दीवान के पास आए और उन्हे जगाने लगे…ताइजी आँखो को मसलते हुए उठी और बैठ गयी

ताइजी – ये क्या है….

कॉंट्रॅक्टर बाबू – ये वोही है जो तुम्हे बहुत पसंद है

ताइजी – अरे वाह…असलीवाली ताजी ताजी दारू…. मज़ा आएगा …


कॉंट्रॅक्टर बाबू – हाँ मज़ा तो ज़रूर आएगा

ताइजी – हाँ पर मुझे एक ही ग्लास पीना है… मैं जब ज़्याता लेती हू तो मुझे तो सरदर्द होता है बहुत… मुझे दूसरे दिन पूरे अन्ग अन्ग मे दर्द होता है… चलने और उठने मे तकलीफ़ होती है…...तुम मुझे एक से ज़्यादा मत पीने देना

कॉंट्रॅक्टर बाबू – ठीक है.. ज़रूर ज़रूर

ताइजी – नही तो मेरे होश नही रहते और फिर तुम मेरे आम चुसते हो…
कॉंट्रॅक्टर बाबू – हम बस आम चुसते है ताइजी… और कुछ नही करते
ताइजी – याद ही नही रहता एक बार जो मैं पी लेती हू

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Re: नौकरी हो तो ऐसी

Unread post by The Romantic » 24 Dec 2014 13:09


अब मेरे दिमाग़ मे बात जा रही थी के आमो के साथ ये भाई ताइजी का क्या क्या चुसते और चोदते थे…

उधर ताइजी के मुँह को कॉंट्रॅक्टर बाबू ने ग्लास लगाया… ताइजी ने 2-3 घूंठ पी लिए… कॉंट्रॅक्टर बाबू ताई जी से सटिककर बैठे थे. उनके हाथ ताइजी की चुचीयोको कोहनी से घिस रहे थे…5-10 मिनट बाद….. ताइजी ने और एक बार ग्लास को मुँह लगाया और 2-3 घूंठ पी गयी… उनपे उस गाव की दारू का नशा चढ़ते हुए दिख रहा था…

अब ताइजी ने फिरसे ग्लास को मुँह लगाया और गतगत सब दारू पी गयी… ग्लास खाली हो गया….


ताइजी – कितनी मस्त है ना ये दारू

कॉंट्रॅक्टर बाबू – हाँ बहुत मस्त है… और चाहिए तुम्हे

ताइजी – हाँ चाहिए पर….

ताइजी की आँखे झपक रही थी दारू का असर उनके चेहरे पे सॉफ दिख रहा था वो अपना आधा अधिक होश खोनेके कगार पे थी…..दारू पीते हुए ताइजी के होठ और गुलाबी और मदभरे लग रहे थे अभी कॉंट्रॅक्टर बाबू ने ताइजी की चुचीयोको थोड़ा थोड़ा करके मसलना शुरू किया था…

कॉंट्रॅक्टर बाबू – पर वर कुछ नही ताइजी मैं दो शीशी लेके आया हू…
ताइजी – अरे वाआह… तो लाओ….


कॉंट्रॅक्टर बाबू की छाती पे गिरती हुई वो बोली, कॉंट्रॅक्टर बाबुने ताइजी को बिस्तर पे ठीक से बिठाया और ग्लास लेके मेज की तरफ गये…. ताइजी अभी काम की देवी लग रही थी…. वो मचलता बदन और हसीन और गरम हो गया था…

कॉंट्रॅक्टर बाबुने ग्लास भरा और इस बार उसमे बिल्कुल हल्कसा पानी मिलाया…. मैं दंग रह गया… खड़े खड़े ही ताइजी के मुँह को ग्लास लगा दिया, और एक ही झटके मे उन्होने पूरा पिला दिया…. ग्लास से दारू गिरती हुई ताइजी के ब्लाउस को गीला कर गयी….. उससे उनकी चुचिया गीली हुई और उस हल्केसे प्रकाश मे भी एक दम स्पष्ट दिखने लगी…..

ताइजी अभी लगभग पूरा होश गवाँ बैठी

ताइजी – और दो… और दो मुझे…. और


कॉंट्रॅक्टर बाबू – हाँ हाँ ज़रूर…. ज़रूर

कॉंट्रॅक्टर बाबुने और एक ग्लास भरा और इस बार शीशी मे सब बची कूची दारू ग्लास मे डाल दी… पानी डालनेकी जगह ही नही थी ….ग्लास से उन्होने ताइजी के मुँह को लगाया… घ्घ्घ्गतक गतक गगग्गगातक करके ताइजी फिरसे एक ग्लास पी गयी

अब ताइजी को बिल्कुल भी होश नही था… इधर कॉंट्रॅक्टर बाबुने ग्लास को मेज पर रखा और दीवान पे बिस्तर पे मुन्दि डालके बैठ गये… जैसे कि ताइजी का शरीर मस्त फूला फला था वैसे ही कॉंट्रॅक्टर बाबू का शरीर भी था उन्होने ताइजी को अपनी तरफ खिचा और उठ कर छोटी बच्ची की तरह अपनी गोद मे बिठा लिया बस गोद मे बिठाते वक़्त ताइजी का मुँह अपने मुँह के तरफ कर लिया.


भाई की गोद मे बहेन…मेरा लंड तन के खड़ा हो गया…. मेरी हालत पतली होने लगी….

उधर कॉंट्रॅक्टर बाबू ने ताइजी के ब्लाउस के हुक निकाल दिए… ताइजी हल्की आवाज़ मे कुछ तो बड़बड़ा रही थी… कॉंट्रॅक्टर बाबुने ब्लाउस निकाल के फेंक दिया वो मेरे मुँह पे आके गिरा…. उसमे से दारू की गन्ध आ रही थी… उससे मैं रोमचित हो उठा

कॉंट्रॅक्टर बाबुने ताइजी की छाती मे चुचियो के बीच मे अपना मुँह दबाया और दोनो हाथो से चुचीयोको अपने मुँह पे दबाने लगे… ताइजी के मुँह से आअहह….अया… की आवाज़े आ रही थी…. उन्होने एक चुचिको मुँह मे पकड़ा और उसकी चूचुक(निपल) को कस के काटने लगे वैसेही ताइजी कराह उठी
पर कॉंट्रॅक्टर बाबू चुचि को काटते रहे…ताइजी कराह रही थी….. अब कॉंट्रॅक्टर बाबुने दोनो चुचियो को एक साथ किया और दोनोकी निपल्स को पकड़ के जोरोसे काटने लगे

ताइजी ज़ोर्से कराह उठी

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