खिलोना compleet

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raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:50

सास के माथे पे हाथ फेरते वो सोचने लगी,..कैसा अजीब रिश्ता था दोनो का!वो उनकी बहू भी थी & सौतेन भी.रात को जब वो अपने ससुर का पूरा साथ देते हुए उनसे चुद्ति थी तो क्या उन्हे सच मे कुच्छ नही पता चलता था?उनका दिमाग़ क्या इतना बेकार हो चुका है कि बगल के पलंग पे अपने पति & बहू की शोर भरी रंगरेलियाँ भी उन्हे समझ नही आती थी?

उसने नज़रे नीची कर उन्हे देखा-सुमित्रा जी सो चुकी थी.रीमा ने गहरी साँस ले उनके सर से हाथ हटाया & अपने दिमाग़ से ये सारे सवाल निकाले & उठ खड़ी हुई.

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पहले रीमा रवि के मोबाइल सर्विस के कस्टमर केर सेंटर पे गयी तो उन्होने बताया की पिच्छले 2 महीने से बिल नही जमा किए होने & कस्टमर यानी रवि से कोई कॉंटॅक्ट नही होने के कारण ये नंबर डिसकंटिन्यू कर दिया गया था & अगर उसे ये नंबर फिर से शुरू करवाना था तो उसे कंपनी के ऑफीस मे जाके बात करनी पड़ेगी.

रीमा ने घड़ी देखी अभी बस 11 ही बजे थे & ऑफीस भी पास मे ही था,उसने वाहा जाने का फ़ैसला किया.कोई आधे घंटे बाद वो ऑफीस मे खड़ी थी,"..मेडम,मेरी बात समझने की कोशिश कीजिए.1 तो ये नंबर. बॅंगलुर का है उपर से किसी भी अप्लिकेशन के लिए नंबर यूज़र के सिगनेचर्स चाहिए.बिना उसके मैं क्या कर सकता हू?"

"देखिए मेरे पति विदेश गये हैं.हम बॅंगलुर से यहा शिफ्ट हुए तो आपाधापी मे बिल नही पे किया.पर वो नंबर. हम रखना चाहते हैं.प्लीज़ कोई तो रास्ता होगा?",रीमा ने झूठ बोल कर मिन्नत की.

"क्या हुआ,विशाल?",सुनते ही दोनो ने घूम कर देखा.सामने 32-33 साल का 1 स्मार्ट सा इंसान खड़ा था.

"सर,इनका ये नंबर. है..",& उस लड़के ने रीमा की प्राब्लम उसे बताई पर उस इंसान का ध्यान प्राब्लम मे कम रीमा मे ज़्यादा था.उसकी नज़रे उसके पूरे जिस्म का मुआयना कर रही थी.रीमा के बदन मे झुरजुरी सी हुई साथ ही दिल मे ये ख़याल भी आया कि अपने बदन के इस्तेमाल से इस आदमी से काम निकाला जा सकता है.

"एक्सक्यूस मी.क्या सच मे यहा से आपलोग कुच्छ नही कर सकते?",उसने दोनो बात करते मर्दो को जानबूझ के टोका.

"आइ'एम अरुण वेर्मा,मॅनेजर,कस्टमर ग्रीवेन्सस.",उसने अपना हाथ रीमा की तरफ बढ़ाया.

"रीमा साक्शेणा",उसने भी मुस्कुराते हुए उसका हाथ थामा.वेर्मा ने उसके कोमल हाथ को आम हॅंडशेक से कुच्छ ज़्यादा देर तक पकड़े रखा.

"आइए रीमा जी.देखते हैं क्या कर सकते हैं.",वो उसके पीछे-2 चलने लगी.बिल्डिंग के 4थ फ्लोर पे लिफ्ट से बाहर आ दोनो 1 गलियारे के आख़िर के कमरे मे दाखिल हो गये.कमरा बड़ा था,अंदर दाखिल होते ही रीमा को सामने डेस्क & उसके दोनो तरफ चेर्स लगी दिखी.बाई ओर निगाह डाली तो वाहा 1 सोफा & 1 टेबल लगे थे & दाई ओर कोने मे 1 और दरवाज़ा था जोकि शायद अटॅच्ड बाथरूम था.

"बैठिए & ये बताएँ की गरम लेंगी या ठंडा",वेर्मा ने सोफे की तरफ इशारा किया.

"वैसे तो मुझे गरम चीज़े पसंद है पर फिलहाल 1 ग्लास ठंडे पानी से काम चला लूँगी.",रीमा मुस्कुराइ.वो इस आदमी से बिना अपना काम करवाए यहा से जाने वाली नही थी & उसने जानबूझ कर ये दोहरे मतलब वाली बात कही थी.

जवाब मे वेर्मा मुस्कुराया & पास रखे कूलर से पानी निकाल उसकी ओर ग्लास बढ़ाया.ग्लास थामते वक़्त रीमा ने जानबूझ कर उसकी उंगलियो से अपनी उंगलिया च्छुआ दी.वेर्मा उसकी बगल मे बैठ गया,"अब कहिए."

रीमा ने उसे वही झूठी कहानी सुनाई,"देखिए,रीमा जी .._"

"प्लीज़ कॉल मी रीमा."

"ओके.रीमा",वेर्मा थोड़ा उसके और करीब खिसक आया,"आप तो जानती ही हैं कि हम ऐसे आपका ये काम नही कर सकते.आप बिल पे करने को तैय्यार हैं पर नंबर.बंद हो चुका है,दुबारा तो बिना आपके पति के साइन & डॉक्युमेंट्स के नही शुरू करवा सकते ना."

"पर कोई तो रास्ता होगा ना?",रीमा ने मिन्नत करते हुए उसके हाथ को थाम लिया,"ओह..आइ'एम सॉरी.",शरमाने का नाटक कर हाथ फ़ौरन छ्चोड़ भी दिया.

"इट'स ओके.",वेर्मा की दाई जाँघ रीमा की बाई से आ सटी थी.

"पर रीमा तुम्हे वही नंबर. क्यू चाहिए?मैं यही से बॅंगलुर का दूसरा नंबर.दिलवा देता हू."

जवाब मे रीमा सर झुकाए अपने हॅंडबॅग के स्ट्रॅप से खेलने लगी.

"देखो बतओगि नही तो मुश्किल आसान कैसे होगी?",उसका हाथ उसकी कलाई पे आ गया.

रीमा ने परेशान चेहरा बना कर उसकी ओर देखा जैसे कुच्छ कहना चाहती हो & कह ना पा रही हो.बेचैनी का नाटक कर उसने कलाई पे रखे वेर्मा के हाथ को पकड़ लिया,"मैं कैसे बताऊं आपको?"

"रिलॅक्स!टेक युवर टाइम.",वेर्मा ने उसके हाथ को मज़बूती से थाम लिया & दूसरे से उसके कंधे को सहलाने लगा.


raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:51

"देखिए,मैं आप पे बहुत भरोसा कर के ये बात बता रही हूँ.",रीमा थोड़ा घूम उसकी तरफ हो गयी तो उसकी 1 चूची उसके सीने को 1 पल को छु गयी.इस हरकत ने वेर्मा को बेचैन कर दिया.रीमा को उसकी आँखो मे अब वासना के डोरे सॉफ दिख रहे थे.

"हां,हाँ!बेझिझक होके बोलो.ट्रस्ट मे,ये बात इस कमरे के बाहर नही जाएगी.",वेर्मा के हाथो का दबाव थोडा और बढ़ गया था.रीमा मन ही मन हँसी,वो सब समझती थी कि कौन सी बात कमरे से बाहर नही जाएगी.उसे अब इस खेल मे मज़ा आ रहा था पर रोनी सूरत बनाए हुए उसने आगे कहा.


raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:51

खिलोना पार्ट--12

"मेरे पति का किसी और लड़की के साथ अफेर चल रहा है & मुझे उसके बारे मे जानना है.",रीमा सूबकने लगी.

"आइ'एम सॉरी.",वेर्मा ने अब उसे कंधे से पकड़ अपने थोड़ा और पास कर लिया.

"उस लड़की की वजह से मेरे पति तो मुझे भूल ही गये हैं.जब यहा थे तो घंटो फोन पे उसी से ना जाने क्या-2 बाते करते रहते थे.इसीलिए मैने सोचा की फोन कंपनी से उनके कॉल डीटेल्स चेक करू.अपने मोबाइल से तो सब डेलीट कर देते हैं वो.उपर से अब यहा हैं भी नही,पर वो कामिनी इंडिया मे ही है मुझे पता है.बस 1 बार उसका नंबर मिल जाए फिर उसकी वो खबर लूँगी कि याद रखेगी!",रीमा 1 साँस मे बोलती चली गयी & रुकी तो उसकी आँखो से आँसू बहने लगे.उसे खुद पे हैरत हो रही थी कि वो इतनी सफाई से कैसे झूठ बोले जा रही थी.साथ ही उसे शर्म भी आ रही थी कि उस पे जान च्चिड़कने वाले रवि के बारे मे वो ऐसा झूठ बोल रही थी...पर ये झूठ भी तो उसने रवि की मौत के बारे मे जानने के लिए ही बोला था ना.

"तुम बेफ़िक्र रहो.मैं अभी अपने कंप्यूटर से उनकी कॉल डीटेल्स निकाल देता हू.

"थोड़ा पानी और मिलेगा,प्लीज़.",रीमा सिसकियो के बीच बोली.

"हां,हां!ज़रूर.",वेर्मा उठा & कूलर से दूसरा ग्लास भर पानी ले आ रीमा को थमाया.

"थॅंक्स...ऊप्स!",रीमा के हाथ से ग्लास छूट गया & सारा पानी उसकी शर्ट पे गिर गया.

"आइ'एम सॉरी.",रीमा सोफे से उठ खड़ी हुई.

"इट'स ऑलराइट.पर तुम्हारी शर्ट तो पूरी भीग गयी.अब तुम यहा से बाहर कैसे जाओगी?"

"जी.कोई बात नही.मैं मॅनेज कर लूँगी."

वेर्मा की आँखे गीली शर्ट से झाँकते उसकी ब्रा के गले मे से दिख रहे उसके भीगे क्लीवेज से चिपकी हुई थी,"फिर भी इसे पोंच्छ तो लो.",वेर्मा ने अपना रुमाल निकाला & रीमा के सीने पे फिराने लगा.पोंच्छने के बहाने वो उसकी छातियो को हल्के-2 दबा रहा था.

"चलिए ना.डीटेल्स निकाल दीजिए.",रीमा ने उसके रुमाल वाले हाथ को पकड़ अपने सीने से अलग किया & थाम लिया.

"वो तो हो जाएगा,रीमा.पर मुझे इसके लिए कंपनी के रूल्स तोड़ने होंगे.अब तुम्हारा काम तो हो जाएगा पर बाद मैं कही किसी चक्कर मे फँस गया तो?"

"आपको मुझ पे यकीन नही तो ठीक है मैं जाती हू.कुच्छ और रास्ता निकाल लूँगी.",रीमा उसका हाथ छ्चोड़ अपना हॅंडबॅग उठाने लगी.

"अरे..अरे तुम तो बुरा मान गयी.",उसने उसके बॅग को वापस टेबल पे रख दिया.

"देखो,मेरी बात को समझो.मैं तुम्हारी बात का यकीन करता हू पर इस यकीन को थोड़ा पक्का कर ले तो कैसा रहे?",उसने उसकी उंगलियो मे अपनी उंगलिया फँसा दी.

"मतलब?"

"मतलब की तुम मेरी कोई ज़रूरत पूरी कर दो & मैं तो तुम्हारी मदद कर ही रहा हू."

"क्या ज़रूरत है आपकी?",रीमा ने बड़ी भोली आवाज़ मे पुचछा.1 बार फिर वो खुद पे ही हैरान हो गयी.अपने ससुर & जेठ को अपने रूप के जाल मे फाँसना 1 बात थी & 1 बिल्कुल अंजान मर्द के साथ ऐसी हरकत करना...आख़िर ये कौन सी रीमा छुपि थी उसके अंदर जो आज बाहर आ गयी थी..क्या वो चुदेगि इस वेर्मा से?उसका दिमाग़ उसे ऐसा करने से रोक रहा था पर दिल के किसी कोने मे इस स्मार्ट इंसान का लंड देखने की हसरत भी थी.

"जैसे तुम तन्हा हो,वैसे ही मैं भी.क्यू ना दोनो 1 दूसरे की तन्हाई दूर करे?"

"ये आप क्या कह रहे हैं?मैं शादीशुदा हू,मेरी ससुराल है यहा.किसी को पता चला तो ग़ज़ब हो जाएगा.",रीमा हाथ छुड़ा उसकी तरफ पीठ कर खड़ी हो गयी.

"मैं भी शादीशुदा हू.पर क्या मिला है हमे शादी से?!तन्हाई!दुख!!",उसने उसे घुमा उसकी उपरी बाहे थाम ली,"क्या हमे खुश रहने का कोई हक़ नही,रीमा?क्यू नही?",वो आगे झुक उसे चूमने की कोशिश करने लगा.

"नही!प्लीज़..इतनी जल्दी नही..",रीमा कसमसाते हुए उसकी पकड़ से निकल गयी,"आपकी बात सही है पर मुझे समझ नही आ रहा.."

"क्या समझ नही आ रहा,रीमा?बात पानी की तरह सॉफ है.किस्मत ने आज हमे इसलिए मिलाया है कि हम दोनो 1 दूसरे के घाव पे मरहम लगा अपना दुख बाँट ले."

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