छोटी सी भूल compleet

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raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 21:42

गतांक से आगे ............. अगले दिन संजय और चिंटू के जाने के बाद, मैं इस कसम्कश में खो गयी कि अब क्या करना है.

अपने पति को बताने की हिम्मत मुझमे हो नही पा रही थी और मैं दुबारा ग़लत रास्ते पर चलना नही चाहती थी.

एक पल को ख्याल आया कि मैं घर को लॉक करके कही चली जाती हू, पर कहाँ इस बारे में फ़ैसला नही कर पा रही थी.

तभी मुझे ख़याल आया कि मुझे मौसी के घर चले जाना चाहिए.

पर मैं ये सोच कर रुक गयी कि, मुझे हालात का सामना करना चाहिए, ऐसे भागने से बात नही बनेगी.

बिल्लू की बात से लगता था कि वो अब मुझे ब्लॅकमेल करने की कोशिस करेगे. इस लिए मैं तैयार थी कि वो संजय को बताने की धमकी देता है तो देने दो मैं उनके झाँसे में नही आउन्गि. फिर मुझे ये भी ख्याल आया कि अगर वो ब्लॅकमेल करने की कोशिस करता भी है तो भी उसके पास सबूत क्या है. और अगर बात ज़्यादा बढ़ भी गयी तो मैं संजय को बुला कर सब कुछ बता दूँगी.

इस लिए मैने घर पर ही रहने का फ़ैसला किया.

मैं अपने रोजाना के कामो में लग गयी.

11 बजने को थे और मैं बेचन हो रही थी.

मैं खुद को विस्वास दिला रही थी कि मई सब कुछ संभाल सकती हूँ, बस मुझे शांति से काम लेना है.

मैं इशी कसंकश में थी और कब 11:30 बज गये पता ही नही चला.

मेरे मन को शांति मिली कि अछा हुवा वो कमीना नही आया. मुझे लग रहा था कि शायद वो समझ गया है कि मैं अब उसके झाँसे में नही आउन्गि.

मैं चैन से बेडरूम में लेट गयी.

मेरी आँख लगी ही थी कि फोन की घंटी बज उठी,

ये बिल्लू का फोन था, इस से पहले कि मैं फोन रख पाती,

उसहने कहा, सॉरी मैं कल गुस्से में तुझे यू ही कुछ कुछ बोल गया, तू अब चिंता मत कर मैं तेरे घर नही आ रहा, मैं तेरे साथ कोई ज़बरदस्ती नही करना चाहता. अगर तू मेरे साथ एंजाय करना चाहती है तो मैं तुझे लेने आ जाता हू, सब कुछ तेरी मर्ज़ी पर निर्भर है.

मैने कहा तुम ये सोच भी कैसे सकते हो कि मैं फिर से तुम्हारे साथ चलूंगी. तुम्हारा कोई ब्लॅकमेल नही चलेगा.

वो बोला ब्लॅकमेल मैं करना भी नही चाहता, क्या अब तक मैने तुझे ब्लॅकमेल किया ?

मैने कहा, ब्लॅकमेल तो नही था पर………

वो बोला, पर क्या ?

मैने कहा कुछ नही तुम खुद सब जानते हो, इतने भोले मत बनो.

वो बोला, मैं कुछ नही जानता, मैं तो बस तुझे चाहता हू

मैने गुस्से में पूछा चाहते हो तभी मुझे धोके से उस कामीने अशोक के पास ले गये थे.

वो बोला क्या तुझे नही लगता कि तुझे तेरे किए की सज़ा मिली है.

मैने पूछा ये क्या बकवास कर रहे हो.

वो बोला क्या तुझे नही पता, तूने और तेरे बाप ने मिलकर उसका क्या हाल किया था ?

मैने पूछा मेरे दादी ने क्या किया था ? उसे बस उसके किए की सज़ा ही तो दिलवाई थी. उसे तो पोलीस के हवाले करना चाहिए था, यही हमसे चूक हो गयी.

वो बोला, तो करवा देते, पोलीस के हवाले वैसे भी क़ानून सिर्फ़ ग़रीब के लिए होता है. तुम अमीरो के लिए तो सब माफ़ है

मैने कहा ऐसी बाते कर के तुम लोगो का गुनाह कम नही हो जाता, वैसे भी अब इन बातो का क्या मतलब तुम अब मुझे चैन से जीने दो, मेरा पीछा छोड़ दो.

वो बोला, चल बीती बाते भुला दे. अशोक अब हमारें बीच नही आएगा. जो हो गया सो हो गया, अब बस हम दोनो मज़ा करेंगे

मैने गुस्से में पूछा क्या मतलब, तुम मुझे समझते क्या हो ?

वो बोला, मेरे लिए तो तू सब कुछ है. मैं तुझे जी भर कर पाना चाहता हू. तेरी गांद बस एक बार ली है. सच में रोज तेरे लिए तड़प्ता हू. अगर अशोक का मुझ पर कर्ज़ ना होता तो मैं अशोक की बजाए उस दिन खुद तेरी लेता.

मैने कहा, बंद करो ये बकवास

raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 21:43

वो बोला, ये बकवास नही सच है. जिस दिन अशोक तेरी ले रहा था क्या में भी नही ले सकता था? पर मुझे तुझे टाइम से घर पहुचना था ताकि तेरे घर पर कोई समश्या ना हो. वरना तो मैं उस दिन तेरे साथ कुछ भी कर सकता था.

मैने कहा अछा होता तुम मुझे वही जहर दे कर मार देते. मुझे इतनी ज़िल्लत तो ना झेलनी पड़ती.

वो बोला तुझे मार कर मुझे क्या मिल जाएगा. अगर तुझे ये सब इतना बुरा लग रहा है तो मैं अब तुझे परेशान नही करूँगा.

मैने पूछा क्या उस साइकल वाले को तुमने मेरे पीछे नही लगाया ?

वो बोला अरे मैने तुझे बताया तो था मैं उसे नही जानता, क्यो अब क्या हुवा ?

मैने कहा, कल उसने मुझे बस में परेशान किया. मैं बड़ी मुस्किल से जान बचा कर बस से उतर पाई.

मैने उसे सारी बात बता दी.

वो बोला, अछा तूने उसे थप्पड़ नही मारा

मैने कहा मैं डर गयी थी कि कही वो सब लोगो के सामने बकवास ना करने लगे,

वो बोला, पर तूने मुझे तो बड़े आराम से थप्पड़ मार दिया था. तू अगर उसे थप्पड़ मारती तो बस के लोग उसे खूब मारते

मैने कहा पर बस मे सभी लोग आराम से तमाशा देख रहे थे. मुझे किशी पर विस्वास नही था.

वो बोला, तू डर मत मैं उसे सीधा करता हू, उसकी इतनी हिम्मत कैसे हो गयी.

मैने कहा उसकी कोई ज़रूरत नही है. तुम बस मुझे अकेला छोड़ दो. मैं बस इतना चाहती थी कि अगर वो तुम्हारे साथ है तो उसे समझा दो. वरना ?

बिल्लू ने पूछा वरना क्या ?

मैने कहा, वरना मैं तुम सब को पोलीस के हवाले कर दूँगी. तुम्हे पता नही मेरे पाती की पहुँच उपर तक है. अगर तुम लोग सोचते हो कि मुझे ब्लॅकमेल कर सकते हो तो तुम लोग ग़लत हो.

वो बोला, तुझे ब्लॅकमेल ना अब तक किया है ना करूँगा, आख़िर तू समझती क्यो नही ?

मैने पूछा, अछा वो अशोक यहा क्या करने आया था उस दिन ?

वो बोला, अभी तू कुछ नही समझेगी वक्त आने दे तुझे सब पता चल जाएगा.

मैने पूछा किस वक्त का इंतेज़ार कर रहे हो तुम ?

वो बोला, जाने दे वैसे ही बोले दिया.

मैने पूछा, तो बताओ वो अशोक यहा क्यो आया था ?

वो बोला, तुझे अजीब लगेगा, पर वो तेरे पति को सब कुछ बताने ही आया था. पर तूने उस से अपने शरीर का शोदा कर लिया और उसे वाहा से भेज दिया.


raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 21:43

मैने कहा, चुप करो तुम. तुम मेरे बारे में ऐसा कैसे कह सकते हो. ये सब तुम लोगो की चालाकी थी.

वो बोला सच हमेशा कड़वा होता है. तुझे अगर लगता था कि तूने कुछ ग़लत किया है तो अपने पति को सब कुछ बता कर माफी माँग लेती. तेरा पति बहुत अछा इंसान है तुझे माफ़ कर ही देता. पर तू तो अपने किए पर परदा डालना चाहती थी इश्लीए मेरे घर आ गयी.

मैने कहा ऐसा कुछ नही है. ये तुम भी जानते हो.

वो बोला अगर ऐसा नही है तो तूने अशोक को क्यो कहा कि तू जो वो कहेगा करेगी.

मैने कहा मुझे नही पता था कि वो अशोक है वरना ऐसा नही कहती.

वो बोला, अछा कोई और तेरी ले लेता तो ठीक था पर बेचारे अशोक ने ले ली तो तेरा ईमान जाग गया.

मैने कहा, बंद करो ये बकवास तुम क्या जानो कि ईमान क्या होता है.

वो बोला तो ठीक है अगर तेरे अंदर हिम्मत है तो अपने पति को सब कुछ बता दो. उसने तुझे माफ़ कर दिया तो ठीक है वरना मैं तुझे अपना लूँगा.

मैने कहा अपना लूँगा मतलब ? अपनी औकात में रहो.

वो बोला, मेरी औकात क्या बस तेरी गांद मारने तक थी, क्या मैं तुझे अपने साथ नही रख सकता, तुम अमीर लोग एक नंबर के कामीने हो.

मैं उसे कोई जवाब नही दे पाई.

वो बोला, अगर तुम कहो तो मैं तेरे पति को हमारे बारे में सब कुछ बता देता हू, तू तो लगता है कुछ कह नही पाएगी.

मैने पूछा क्या ये ब्लॅकमेल है ?

वो बोला, फिर वही बात, मैने तुझे तेरी मर्ज़ी से पाया था. तुझे ब्लॅकमेल नही किया था, और आगे भी मेरा ऐसा कोई इरादा नही है. मैं कितनी बार तुझे सम्झाउ. तेरी मर्ज़ी होगी तब ही मैं तेरे साथ करूँगा. मैं तो बस ये कह रहा था कि अगर तुझ में हिम्मत ना हो अपने पति को बताने की तो मैं बता देता हू. अगर तू नही चाहती तो ठीक है. वैसे भी उसे ना ही पता चले तो ठीक है, हम आराम से मज़े कर सकते है. तू मेरे साथ रिस्ता मत तोड़. बाकी रही उस साइकल वाले की बात, तू उसकी चिंता मत कर मैं उसकी अकल ठिकाने लगाता हूँ.

मैने कहा, मेरा तुम्हारे साथ कोई रिस्ता नही है.

वो बोला अछा तो क्या बस गांद और लंड तक ही सब कुछ था. मज़े लिए और चलते बने.

मुझे समझ नही आ रहा था कि मैं उसे क्या जवाब दू.

मैने कहा, तुम अब ऐसी बाते मत करो और मेरा पीछा छोड़ दो.

वो बोला, ठीक है जैसी तेरी मर्ज़ी, मैं अब तुझे परेशान नही करूँगा. तू अपनी जिंदगी में खुस रह. मेरा यकीन कर मैं कोई ब्लॅकमेल नही करूँगा. ज़बरदस्ती नमर्दो का काम है, मैं तो सेडक्षन में विस्वास करता हू.

ये कह कर उसने फोन रख दिया.


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