जुली को मिल गई मूली compleet

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raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:27

मैं बोली – डार्लिंग! तुम तो जानते हो कि मैं तुम्हारी कुँवारी चूत वाली दुल्हन नही हूँ. जैसा कि मैने पहले कहा था, मेरी गान्ड अभी भी तुम्हारे लिए कुँवारी है. मैं आज इस सुहागरात के मौके पर अपनी कुँवारी गान्ड अपने पति को पेश करती हूँ.

उन्होने मेरी गोल गोल मस्तानी गंद दबाई और बोले – मैं जानता हूँ डियर! पर हम दोनो को ही गंद मारने और गंद मरवाने का तजुर्बा नही है, पर मैं इतना जानता हूँ कि गंद मरवाने वाले को पहली बार मे काफ़ी दर्द होता है.

मैं बोली – कोई बात नही डार्लिंग! तुम्हारे लिए मैं दर्द सहन करने के लिए तय्यार हूँ. मैं चाहती हूँ कि तुम मेरी कुँवारी गंद का तोहफा कबूल करो.

वो बोले – ठीक है जूली. जैसा तुम चाहो. जब तुम मेरी हो तो तुम्हारी प्यारी गंद भी मेरी है. पर गंद मारने और मरवाने मे हम को बहुत सावधानी बरतनी होगी. खास करके पूरा मज़ा लेने के लिए इन्फेक्षन से बचना होगा. तुम को अपनी गंद अंदर से पूरी तरह साफ करनी होगी और पूरे मज़े के लिए, पूरी गंद मरवाने के लिए इस को अंदर से चूत की तरह चिकनी बनानी होगी. मैं तुम्हारी बात रखते हुए आज की रात तुम्हारी कुँवारी गंद का तोहफा कबूल करता हूँ, पर आज मैं सिर्फ़ शगुन के तौर पर ही तुम्हारी गंद मारूँगा पर कॉंडम लगा कर. पूरी तरह मैं तुम्हारी गंद अपने हनिमून पर मारूँगा क्यों कि वहाँ पर गंद मारने और मरवाने के शौकीन लोगों के लिए बहुत सामान मिलता है और हम बिना कॉंडम के ही गंद का पूरा मज़ा ले सकते है.

मैने कहा – ओ के डार्लिंग. मैं तय्यार हूँ. मैं खुश हूँ कि तुम ने मेरी कुँवारी गंद का तोहफा कबूल किया.

वो उठे और आलमरी से कॉंडम का पॅकेट निकाल कर साइड टेबल पर रखा. हम फिर से प्यार मे खो गये. वो मेरे सभी अंगों से खेल रहे थे, दबा रहे थे, मसल रहे थे और उन्होने मेरी निपल अपने मूह मे ले कर किसी बच्चे की तरह चूसने लगे जैसे अभी दूध निकलेगा. मैने उनके लंबे, मोटे, तने हुए और गरम लंड को पकड़ कर उस से खेलना शुरू कर दिया. लंड मेरे खेलने का पसंदीदा खिलोना है. मेरे हाथ मे आते ही उनका पहले से कड़क लंड और भी कड़क हो गया. हम दोनो बहुत सेक्सी फील कर रहे थे.

उन्होने मेरी नंगी गंद और कमर के नीचे तकिया रखा और मैं बहुत रोमांचित थी कि आज मेरी कुँवारी गंद का उद्घाटन मेरे पति के लंड से होने जा रहा था. उन्होने अपने खड़े लंड पर कॉंडम चढ़ाया और मेरी गंद के छ्होटे से छेद पर कोल्ड क्रीम लगाई.

वो बोले – तुम्हारी गान्ड का छेद तो बहुत छ्होटा है जूली. तुम को मेरा लंड अपनी गंद मे लेने के लिए बहुत तकलीफ़ होगी.

मैने जवाब दिया – कोई बात नही डार्लिंग! चिंता मत करो. मैं दर्द सहन करलूंगी.

वो बोले – तो फिर ठीक है. गंद को थोड़ा रिलॅक्स करो.

raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:27

मैने अपनी गंद के छेद को थोड़ा रिलॅक्स किया तो वो थोड़ा खुल गया. उन्होने अपनी उंगली से मेरी गंद के अंदर तक कोल्ड क्रीम लगाई तो मुझे मेरी गंद मे ठंडा ठंडा लगने लगा. काफ़ी सारी क्रीम उन्होने मेरी गंद के अंदर और बाहर लगाई. अपने कॉंडम चढ़े लंड पर भी कोल्ड क्रीम लगाई.

मेरे पैर चौड़े थे और गंद के नीचे तकिया होने की वजह से मारने के लिए उनको मेरी गंद पूरी तरह नज़र आ रही थी. मैं अपनी गंद मे अपने पति का लंड लेने को, अपनी कुँवारी गंद मरवाने को तय्यार थी. वो मेरे पैरों के बीच मे, अपने घुटनों पर, अपना लंड अपने हाथ मे लेकर मेरी गंद मारने को तय्यार हो गये थे. उन्होने अपने लंड का मूह, सूपड़ा मेरी गंद के छेद पर रखा तो रोमांच से मेरी गंद का छेद फिर से टाइट हो गया.

वो बोले – ढीला करो जूली.

और मैने फिर से अपनी गंद के छ्होटे छेद को ढीला छ्चोड़ा. और उन्होने अपने खड़े लंड का ज़ोर मेरी गंद पर लगाया. मैने उनके लंड का सूपड़ा अपनी गंद के छेद मे महसूस किया. कोई दर्द नही हुआ. उन्होने फिर थोड़ा ज़ोर लगाया तो मुझे दर्द होने लगा पर उनके लंड का सूपड़ा मेरी गंद के अंदर घुस गया. वो रुक गये और मेरी रसीली सफाचत फुददी से खेलने लगे. उनकी उंगलियाँ मेरी चूत के बीच मे घूमने लगी और मेरी चूत और ज़्यादा गीली हो गई. मेरी गंद का दर्द कम हुआ और उन्होने अपने लंड का एक और धक्का लगाया. फिर से मेरी गंद मे दर्द हुआ पर उनके लंड का अगला हिस्सा मेरी गंद मे घुस चुका था. वो लगातार मेरी चूत से खेलते जा रहे थे. एक और धक्का उनके लंड का मेरी गंद मे और मुझे महसूस हुआ जैसे मेरी गंद फॅट गई है. मैं अब समझी कि गंद फटना किसे कहतें है. दर्द काफ़ी हो रहा था पर साथ ही साथ अच्छा भी लग रहा था. मेरी गंद का उद्घाटन मेरे पति के लंड से हो चुका था.

वो बोले – जूली……….. मैं आधा लंड ही डालूँगा ताकि तुम को ज़्यादा दर्द ना हो.

उन्होने फिर एक धक्का लगाया और मैने महसूस किया कि उनका आधा लंड मेरी मस्तानी गंद मे घुस चुका है. मेरी गंद मे बहुत ही ज़ोर से दर्द होने लगा. मैने अपना हाथ नीचे करके अपनी गंद के छेद पर लगाया तो उनका लंड हाथ मे आया जो कि आधा मेरी गंद के अंदर था और आधा बाहर था. मेने अपनी गंद के छेद पर हाथ लगाया तो मेरी उंगलियाँ क्रीम से गीली हो गई. मैने अपनी उंगलियाँ नाइट बल्ब की रोशनी मे देखी तो मैं दंग रह गई. मेरी उंगलियों पर क्रीम के साथ साथ खून भी लगा था. इस का मतलब सचमुच मेरी गंद फट गई थी. मेरा दर्द बढ़ता जा रहा था पर मैने उन से खून के बारे मे कुछ नही कहा. मेरी आँखों मे दर्द के मारे आँसू आ गये थे जो मैने जल्दी से पोंछ लिए. उन का लंड आधा मेरी गंद मे घुस कर आराम कर रहा था और वो मेरा दर्द बाँटने के लिए मेरी चूत से खेलते जा रहे थे. अब तो वो मेरी चूत को उंगली से चोद्ने लगे. उनकी उंगली मेरी चूत मे अंदर बाहर हो रही थी जैसे कोई छ्होटा लंड मेरी चूत चोद रहा था. मुझे लग रहा था जैसे कि जब उनकी उंगली मेरी चूत के अंदर जाती तो उन को मेरी गंद मे घुसा उनका लंड भी महसूस हो रहा था. मतलब मेरी गंद मे घुसा लंड मेरी चूत मे घुसी उंगली को दीवार की दूसरी तरफ महसूस कर सकता था. मुझे दर्द हो रहा था पर मेरी चूत मे घूमती उनकी उंगली और गंद मे घुसा उनका लॉडा मज़ा भी दे रहे थे. थोड़ी ही देर मे मैं अपनी चूत उंगली से चुद्ने के कारण झड़ने के पास पहुँच गई. पर उनकी उंगली ने मेरी चूत को चोद्ना बंद किया और मेरी रसीली चूत के अंदर घुस कर बैठ गई.

वो बोले – इस बार अलग तरीके से झड़ने के लिए तय्यार हो जाओ.

मैने जवाब दिया – ठीक है डियर.

वो – क्या दर्द हो रहा है तुम्हारी गंद मे?

मैं – ज़्यादा नही डार्लिंग. तुम आगे बढ़ो.

उन्होने अपना लंड थोड़ा बाहर निकाला और फिर से अंदर धकेला. उनकी उंगली अभी भी मेरी चूत के काफ़ी अंदर थी. फिर वो धीरे धीरे धक्के लगाते हुए मेरी गंद मारने लगे. दर्द थोड़ा कम हो गया था और मैं पहली बार गंद मरवाने का आनंद लूटने लगी. मुझे पता नही था कि गंद मरवाने मे भी इतना मज़ा आता है. जैसे वो हमेशा मेरी चूत चोद्ते है, वैसे ही वो मेरी गंद मार रहे थे अपने कड़क लंड को मेरी गंद मे अंदर बाहर कर के. मेरी तो इच्छा हो रही थी कि वो अपना पूरा लंड मेरी गंद मे डाल कर आज मेरी गंद फाड़ दे, पर मेरे पति बहुत समझदार और धीरज वाले है. उन्होने मेरी गंद मारने की रफ़्तार बढ़ाई और अब उनका लंड बिना ज़्यादा दिक्कत के मेरी गंद मे अंदर बाहर हो रहा था. मैं भी अपनी चूत और अपनी गंद की अंदर की दीवार पर उनकी उंगली और लंड का मिलन महसूस कर रही थी. मैं लिख नही सकती मैं कितना अच्छा फील कर रही थी. उनके मेरी गंद मारने की वजह से, पहली बार मुझे पता चला कि गंद मरवा कर भी झाड़ा जा सकता है. उनकी उंगली फिर से मेरी चूत मे हरकत मे आ गई और अंदर बाहर होने लगी. चूत मे उनकी उंगली अंदर बाहर हो रही थी और गंद मे उनका लंड अंदर बाहर हो रहा था.मेरी दोहरी चुदाई हो रही थी और मैं खुश थी.

raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 15 Oct 2014 16:28

मेरे बदन मे तनाव पैदा होने लगा, मेरी नसें खिंचने लगी और उनकी उंगली की मेरी चूत मे और लंड की मेरी गंद मे रफ़्तार बढ़ गई. अचानक मैं झाड़ गई. ऐसी झड़ी थी, इतनी ज़ोर से झड़ी थी जैसी पहले कभी नही झड़ी थी. शायद ऐसा चूत और गंद दोनो एक साथ मरवाने की वजह से हुआ था. ऐसा लग रहा था जैसे मुझे दो मर्दों ने एक साथ चोदा हो. मैने अपने पैर भींच लिए और मेरी गंद का छेद अपने आप ही टाइट हो गया. उनका आधा लंड अभी भी मेरी गंद के अंदर ही था. हम शांत हो गये और मेरी आँखें बंद हुई जा रही थी. मैं अलग तरीके से झड़ने का, पहली बार गंद मरवाने का आनंद ले रही थी और वो भी अपनी सुहाग रात के मौके पर.

उन्होने जब अपना लंड मेरी गंद से बाहर निकाला तो फिर से मेरी गंद मे दर्द हुआ और उन्होने कॉंडम पर खून देख कर कहा – ” ओह डार्लिंग! मैने तो तुम्हारी गंद फाड़ दी. क्या बहुत दर्द हो रहा है?

मैं बोली – नही डियर! ठीक है. दर्द से ज़्यादा मज़ा आया.

उन्होने अपने लंड से कॉंडम उतार कर, बाद मे फेंकने के लिए साइड टेबल के नीचे रखा और टिश्यू पेपर से मेरी गंद साफ की. मेरी गंद के उपर और अंदर एंटिसफटिक क्रीम लगाई. मुझे लग रहा था जैसे मेरी गंद पर सूजन आ गई है. पर ये सब उस मज़े के सामने कुछ नही था जो मैने अपनी कुँवारी गंद अपने पति से सुहाग रात को मरवा कर पाया था.

मैं अब अपने पति के लंड का प्रेम रस अपनी चूत मे निकालने के लिए अपनी दूसरी चुदाई के लिए तय्यार थी.

वो मेरा मूह दूसरी तरफ करके, मेरे पीछे से मेरी चूत मे अपना लंड डाल कर, मेरी चुचियाँ दबाते हुए मुझे चोद रहे थे. उनका लंबा और मोटा प्यारा लंड मेरी चूत को चोद्ने लगा. उनका एक हाथ मेरे नीचे से और दूसरा हाथ उपर से मुझे जकड़े हुए था. मैं पूरी तरह उनकी गिरफ़्त मे थी और चुद्वा रही थी. उनकी कमर और गंद हिल हिल कर उनके लंड को मेरी चूत मे अंदर बाहर कर रहे थे. मैं भी अपनी गंद हिला कर उनका साथ देने लगी. हमेशा की तरह चुदाई का संगीत कमरे मे गूंजने लगा. हमारे सेक्सी बदन आपस मे टकराने लगे, उनका लंबा लंड मेरी गीली रसीली चूत मे अंदर बाहर होने लगा. मैं तो एक बार पहुँच चुकी थी और मुझे लग रहा था जैसे वो भी अपने पहली बार झड़ने के करीब पहुँच रहे थे. मैं खुश थी कि वो हमेशा की तरह जम कर ज़ोर ज़ोर से मेरी चुदाई कर रहे थे. उनका लंबा लंड मेरी चूत की गहराइयों तक जा रहा था और मैं दूसरी बार झड़ने को तय्यार थी. मैने उनको और ज़्यादा मज़ा देने के लिए अपनी चूत भींच ली थी और वो मुझे चोदे जा रहे थे……… चोदे जा रहे थे…… और मैं चुद्वाती जा रही थी. मेरा बदन अकड़ता महसूस करके उन्होने ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाना चालू किया और उनके चोद्ने की रफ़्तार बढ़ गई. और और…….मैं…….. झाड़ गई. बहुत ही ज़ोर से झड़ी थी पर मैं जानती थी कि वो बीच मे है, उनके लंड का पानी निकलना बाकी है. मैने उनको बिना रुके चोद्ते रहने को कहा ताकि उनको भी चुदाई का पूरा आनंद आए. मैं भी कोशिश करने लगी उनके लंड से पानी निकालने के लिए. अचानक मैने उनके लंड का सूपड़ा अपनी चूत मे फूलता हुआ महसूस किया और उन्होने चोद्ते चोद्ते मुझे पीछे से ज़ोर से जाकड़ लिया. उन्होने लंड के धक्के बंद किए और उनका लंड मेरी चूत के अंदर गहराई मे था. मैने उनके लंड रस की जोरदार बरसात को अपनी चूत मे महसूस किया. उनके लंड का गरम रस उनके नाचते हुए लंड से निकलकर मेरी चूत के अंदर बरस रहा था. हम दोनो ही चोद कर और चुद्वा कर खुश थे. हम दोनो कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे और चुदाई का मज़ा लेते रहे. उनका लंड मेरी चूत मे आराम कर रहा था. मैने महसूस किया कि उनका लंड मेरी चूत के अंदर नरम हो रहा है. मैं उनका नरम लंड चूसना चाहती थी. मुझे नरम लंड चूसना बहुत अच्छा लगता है. उनका लंड नरम पड़ता मेरी चूत से बाहर आने लगा.

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