गाँव का राजा पार्ट -13
हेलो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी गाँव का राजा पार्ट -13 लेकर हाजिर हूँ दोस्तो कहानी कैसी है ये तो आप ही बताएँगे
उसने सपने में भी नही सोचा था कि उसकी मा की चुचियाँ इतनी सख़्त और गुदाज होंगी. रंडी और घर के माल का अंतर उसे पता चल गया. शीला देवी की आँखे नशे में डूबी लग रही थी. उसके बगल में लेट ते हुए अपनी तरफ घुमा लिया और उसके रस भरे होंठो को अपने होंठो में भर नंगी पीठ पर हाथ फेरते हुए अपने बाहों के घेरे में कस ज़ोर से चिपका लिया. करीब पाच मिनिट तक दोनो मा-बेटे एक दूसरे से चिपके हुए एक दूसरे के मुँह में जीभ ठेल-ठेल कर चुम्मा-चाटि करते रहे. जब दोनो अलग हुए तो हाँफ रहे थे और दोनो के आँखो की शरम अब धीरे-धीरे घुलने लगी थी. मुन्ना ने शीला देवी की चुचियों को फिर से दोनो हाथो में थाम लिया और उसके निपल को चुटकी में पकड़ मसल्ते हुए एक चुचि के निपल से अपनी जीभ से सहलाने लगा. शीला देवी भी अपने एक हाथ से चुचि को पकड़ मुन्ना के मुँह में ठेलने की कोशिश करते हुए सीस्यते हुए चुस्वा रही थी. बारी-बारी से दोनो चुचियों को मसालते चुस्ते हुए उसने दोनो चुचियों को चूस-चूस कर लाल कर दिया. चुचियों पर दाँत गढ़ाते हुए चूस्ते हुए बोला "मा…तू ..ठीक कहती… है…अपने पेड़ के…आम…अफ..पहले क्यों…अभी तक तो पूरा चूस चूस कर…सारा आम-रस पी.." मुन्ना का जोश और चूसने का तरीका शीला देवी को पागल बना रहा था. अपनी छिनाल मामी की दी हुई ट्रैनिंग का पूरा फ़ायदा उठा ते हुए वो शीला देवी की चुचि चूस्ते हुए उसे गरम कर रहा था. वो कभी उसके सिर के बालो को सहलाती कभी उसकी पीठ को कभी उसके चूतरों तक हाथ फेरती बोली "अभी…चूसने को मिला…अच्छे से चूस…बेटा….सारा रस तेरे लिए ही…संभाल…" तभी मुन्ना ने अपने दन्तो को उसकी चुचियों पर गढ़ाते हुए निपल को खींचा तो दर्द से करहती बोली "कु..त्ती…चूसने वाला…आम है,....खाने वाला…उन रंडियों…का होगा..जिनको…उफ़फ्फ़….धीरे से चूस…चूस कर…अफ ..बेटा…निपल को…होंठो के बीच दबा…के…बचपन…में…धीरे से…नही तो छोड़…दे…" इस बात पर मुन्ना ने हस्ते हुए शीला देवी की चूचियों पर से मुँह हटा उसके होंठो को चूम धीरे से कान में बोला "इतने जबर्दर्स्त...आम पहले नही चखाए उसी की सज़ा…" शीला देवी भी मुस्कुराती हुई धीरे से बोली "कमीना…गंदा लरका..."
"गंदी औरत…कम…" बोलते बोलते मुन्ना रुक गया. शीला देवी की मुस्कान और चौड़ी हो गई. दोनो हाथो में बेटे के चेहरे को भरती हुई उसके होंठो और गालो को बेतहाशा चूमती हुई उसके गाल पर अपने दाँत गढ़ा दिए, मुन्ना सीस्या कर कराह उठा. हस्ती हुई बोली "कैसा लगा…गंदी औरत बोलता है…खुद अपनी मा के साथ गंदा काम…". मुन्ना ने भी अपना गाल छुड़ा कर उसके गाल पर दाँत सेकाट लिया और बोला "तू भी तो अपने बेटे के साथ…". दोनो अब बेशरम हो चुके थे. झिझक दूर हो चुकी थी. मुन्ना अपने हाथ को चुचियों पर से हटा नीचे जाँघो पर ले गया और टटोलते हुए अपने हाथ को जाँघो के बीच डाल दिया. चूत पर पेटिकोट के उपर से हाथ लगते ही शीला देवी ने अपनी जाँघो को भींचा तो मुन्ना ने ज़बरदस्ती अपनी पूरी हथेली जाँघो के बीच घुसा दी और चूत को मुठ्ठी में भर, पकड़ कर मसल्ते हुए बोला "अपना बिल दिखा ना…" पूरी चूत को मसले जाने पर कसमसा गई शीला देवी, फुसफुसती हुई बोली
"तू…आम…चूस…मेरी ..छेद…देखेगा तो मादर…चोद…बन…" मुन्ना समझ गया की गंदी बाते करने में मा को मज़ा आ रहा है.
"डंडा डालूँगा…. तभी….मादर..चोद बनूंगा…अभी खाली दिखा…." कहते हुए चूत को पेटिकोट के उपर से और ज़ोर से मसलते उसकी पुट्तियों को चुटकी में पकड़ ज़ोर से मसला.
"हाई…हरामी मेरी…बिल… में डंडा…घुसा…एगा." जोश में आ उसके गालो को अपने दन्तो में भर लिया और अपने हाथ को सरका कमर के पास ले जाती लूँगी के भीतर हाथ घुसाने की कोशिश की. हाथ नही घुसा मगर मुन्ना की दोनो अंडकोष उसकी हथेली में आ गये. ज़ोर से उसी को दबा दिया, मुन्ना दर्द से कराह उठा. कराहते हुए बोला "उखडीगी,…क्या…चाहिए…"
शीला देवी ने जल्दी से अंडकोष पर पकड़ ढीली की "हथियार…दिखा.."
"थोड़ा उपर नही पकड़ सकती थी….पेड़ पर तो सब देख लिया था…"
"पेड़ पर… तो तूने भी….देखा…"
"तुझे पता…था…जान-बूझ कर दिखा…" कहते हुए शीला देवी का हाथ पकड़ अपनी लूँगी के भीतर घुसा दिया. खड़े लंड पर हाथ पड़ते ही उसका बदन सिहर गया. गरम लोहे की छड़ की तरह तपते हुए लंड को मुठ्ठी में कसते ही लगा जैसे चूत ने एक बूँद पानी टपका दिया. लंड को हथेली में कस कर जाकड़ मरोर्ति हुई बोली "गधे का…उखाड़ कर लगा लिया…"
"है तो…तेरे बेटे का…मगर…गधे के…जैसा.." बोलते हुए चूत की दरार में पेटिकोट के उपर से उंगली चलाते हुए बोला "पानी…फेंक रही है…"
"मादर..चोद बने..एगा...क्या.."
"तू…रंडी…बन..ना"
"हा….अब रहा नही जा रहा…"
"नंगी कर…दू…"
"हा….और तू भी…" झट से बैठ ते हुए अपनी लूँगी खोल एक तरफ फेंका तो उसका दस इंच का तम्तमता हुआ लंड कमरे की रोशनी में शीला देवी की आँखों को चौंधिया गया. उठ कर बैठ ते हुए हाथ बढ़ा उसके लंड को फिर से पकड़ लिया और चमड़ी खींच उसके पहाड़ी आलू जैसे लाल सुपरे को देखती बोली "हाई…आया ठीक बोलती…तू बहुत बड़ा….हो गया है…तेरा…केला तो….च्छेद…फाड़"
गाँव का राजा
Re: गाँव का राजा
पेटिकोट के नारे को हाथ में पकड़ झटके के साथ खोलते हुए बोला "फर..वाएगी…."
"हाई…मेरा….छेद…फार…"
कहती हुई शीला देवी ने अपनी गांद उठा पेटिकोट को गांद के नीचे से सरकाते हुए निकाल दिया. इस काम में मुन्ना ने भी उसकी मदद की और सरसरते हुए पेटिकोट को उसके पैरों से खींच दिया. शीला देवी लेट गई और अपनी दोनो टांगो को घुटनों के पास से मोड़ कर फैला दिया. दोनो मा बेटे अब असीम उत्तेजना का शिकार हो चुके थे दोनो में से कोई भी अब रुकना नही चाहता था. शीला देवी की चमचमाती जाँघो को अपने हाथ से पकड़ थोड़ा और फैलाता हुआ उनके उपर अपना मुँह लगा चूमते हुए दाँत से काट ते उसकी झांतदार चूत के उपर एक जोरदार चुम्मा लिया और बित्ते भर की बूर की दरार में जीभ चलाते हुए बूर की टीट को झांतो सहित मुँह में भर कर खींचा तो शीला देवी लहरा गई. चूत की दोनो पुट्तियों ने दूप-दुपते हुए अपने मुँह खोल दिए. सीस्यति हुई बोली "इसस्स…..क्या कर रहा है…" कभी चूत चटवाया नही था. दरार में जीभ चलाने पर मज़ा तो आया था मगर लंड, बूर में लेने की जल्दी थी. जल्दी से मुन्ना के सिर को पिछे धकेल्ति बोली "….क्या…करता…है…जल्दी से चढ़….".
पनियाई चूत की दरार पर उंगली चला उसका पानी लेकर, लंड की चमरी खींच, सुपरे की मंडी पर लगा कर चमचमते सुपरे को शीला देवी को दिखता बोला "मा...देख मेरा…डंडा…तेरी छेद…में…"
"हा…जल्दी से….मेरी छेद में…. " . लंड के सुपरे को चूत के छेद पर लगा पूरी दरार पर उपर से नीचे तक चला बूर के होंठो पर लंड रगड़ते हुए बोला "हां पेल दू…पूरा…"
"हा….मादर…चोद बन जा…"
"हाई…छेद…फाड़ दूँगा…रंडी…"
"बक्चोदि छोड़…फड़वाने के….लिए तो….खोल के…नीचे लेटी….जल्दी कर…" वासना के अतिरेक से काँपति आवाज़ में शीला देवी बोली. लंड के लाल सुपरे को चूत के गुलाबी झांतदार छेद पर लगा मुन्ना ने कच से धक्का मारा. सुपरा सहित चार इंच लंड चूत की कसमसाती छेद की दीवारों को कुचालता हुआ घुस गया. हाथ आगे बढ़ा मुन्ना के सिर को बालो में हाथ फेरती हुई उसको अपने से चिपका भर्रई आवाज़ में बोली " पूरा…डाल दे…बेटा…चढ़ जा". मुन्ना ने अपनी कमर को थोड़ा उपर खींचते हुए फिर से अपने लंड को सुपरे तक बाहर निकाल धक्का मारा. इस बार का धक्का ज़ोर दार था. शीला देवी की गांद फट गई. इतने दीनो से उसने लंड नही खाया था उसके कारण उसकी चूत का छेद सिकुर कर टाइट हो गया था. चूत के अंदर जब तीन इंच मोटा और दस इंच लंबा लंड जड़ तक घुसाने की कोशिश कर रहा था तो चूत छिलगई और दर्द की एक तेज लहर ने उसको कंपा दिया. "आआ….धीरे….फट….उई..माआआआआआ…." करते हुए अपने होंठो को भींच दर्द को पीने की कोशिश करते हुए अपने हाथो के नाख़ून मुन्ना की पीठ में गढ़ा दिए.
"बहुत….टाइट…है…तेरा…छेद…" चूत के पानी में फिसलता हुआ पूरा लंड उसकी चूत के जड़ तक उतार ता चला गया.
"बहुत बड़ा…है..तेरा…केला…उफ़फ्फ़….मेरे…आम चूस्ते हुए….डाल" मुन्ना ने एक चूची को अपनी मुट्ठी में जाकड़ मसालते हुए दूसरी चुचि पर मुँह लगा कर चूस्ते हुए धीरे धीरे एक चौथाई लंड खींच कर धक्के लगाते पुचछा
"पेलवाती… नही… थी…"
"नही….किस से पेलवाती…"
"क्यों…चौधरी…."
"उसका अब…खड़ा…नही…"
"दूसरा…कोई…"
"हरामी….कुत्ते….तुझे अच्छा…लगेगा…मैं दूसरे से….यही चाहता है…तेरी मा…" गुस्से से चूतर पर मुक्का मारती हुई बोली.
"बात तो सुन लिया कर पूरी…सीधा गाली…देने…" झल्लाते हुए मुन्ना चार पाँच तगड़े धक्के लगाता हुआ बोला. तगड़े धक्को ने शीला देवी को पूरा हिला दिया. चुचियाँ थल-थॅला गई. मोटी जाँघो में दल्कन पैदा हो गई. थोड़ा दर्द हुआ मगर मज़ा भी आया क्योंकि चूत पूरी तरह से पनिया गई थी और लंड गछ गछ फिसलता हुआ अंदर-बाहर हुआ था. अपने पैरों को मुन्ना के कमर से लपेट उसको भींचती सीस्यति हुई "उफ़फ्फ़…सी…हरामी…दुखा…दिया…आराम..से..भी बोल सकता…था…" मुन्ना कुच्छ नही बोला, लंड अब चुकी आराम से फिसलता हुआ अंदर-बाहर हो रहा था इसलिए वो अपनी मा की टाइट गद्देदार रसीली चूत का रस अपने लंड के पीपे से चूस्ते हुए गाचा-गछ धक्के लगा रहा था. शीला देवी को भी अब पूरा मज़ा आ रहा था, लंड सीधा उसकी चूत के आख़िरी किनारे तक पहुच कर ठोकर मार रहा था. धीरे धीरे गांद उचकाते हुए सीस्यति हुई बोली "बोल ना…तो जो बोल…रहा…"
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"मैं तो…बोल रहा था…कि अच्छा हुआ…जो किसी और से…नही…करवाया…नही तो….मुझे…तेरी टाइट…छेद की जगह…ढीली…छेद…"
"हाई…हरामी…तुझे..छेद की…पड़ी है…इस बात की नही की मैं दूसरे आदमी…"
"मैं तो…बस एक..बात बोल रहा…था की…वैसे…"
"चुप कर…कामीने…दूसरे से करवा कर मैं बदनाम होती…साले…घर की बात…"
"हा…घर की बात…घर में…रहे तो, …फिर दस इंच के हथियार वाला बेटा किस दिन…काम आएगा…ठीक किया तूने…बचा कर रखा…मज़ा आ रहा….अब तुझे खूब मज़े…"
"हाई…बहुत मज़ा…आ…पेलता रह…मेरा जवान लौंडा….गाओं भर की हरमज़ड़िया मज़े लूटे और मैं…"
"हाई अब…गाओंवालियों को छ्चोड़…अब तो बस तेरा बेटा…तेरे को….ही…सीईईईईई उफ़फ्फ़…बहुत मजेदार छेद है…" गपा-गॅप लंड पेलता हुआ मुन्ना सीस्यते हुए बोला. लंड बूर की दीवारों को बुरी तरह से कुचालता हुआ अंदर घुसते समय चूत के दूप-दुपते छेद को पूरा चौड़ा कर देता था और फिर जब बाहर निकलता था तो चूत की पत्तियाँ अपने आप सिकुड कर छेद को फिर से छ्होटा बना देती थी. बड़े होंठो वाली गुदाज चूत होने का यही फ़ायडा था. हमेशा गद्देदार और टाइट रहती थी. उपर के रसीले होंठो को चूस्ते हुए नीचे के होंठो में लंड धँसाते हुए मुन्ना तेज़ी से अपनी गांद उच्छाल उच्छाल कर शीला देवी के उपर कूद रहा था.
"हाई तेरा केला भी….बहुत मजेदार…है, मैने आजतक इतना लंबा…डंडा…सस्सीईईई…ही डालता रह….ऐसे ही…अफ…पहले दर्द किया…मगर…अब….आराम से….ही….अब फाड़ दे…डाल….सीईए…पूरा डाल…कर….हाँ मादर..चोद…बहुत पानी फेंक रही…है मेरी…चू…." नीचे से गांद उच्छलती मुन्ना के चूतरों को दोनो हाथो से पकड़ अपनी चूत के उपर दबाती गॅप गॅप लंड खा रही थी शीला देवी. कमरे में बारिश की आवाज़ के साथ शीला देवी की चूत के पानी में फॅक-फॅक करते हुए लंड के अंदर-बाहर होने की आवाज़ भी गूँज रही थी. इस सुहाने मौसम में खलिहान के वीरान में दोनो मा-बेटे जवानी का मज़ा लूट रहे थे. कहा तो मुन्ना अपनी चोरी पकड़े जाने पर अफ़सोस मना रहा था वही अभी खुशी से गांद कूदते हुए अपनी मा की टाइट पवरोटी जैसी फूली चूत में लंड पेल कर वाडा-पाव खा रहा था. उधर शीला देवी जो सोच रही थी कि उसका बेटा बिगड़ गया है, नंगी अपने बेटे के नीचे लेट कर उसके तीन इंच मोटे और दस इंच लंब लंड को कच-कच खाते हुए अपने बेटे के बिगड़ने की खुशियाँ मना रही थी. आख़िर हो भी क्यों ना, जिस लंड के पिछे गाओं भर की औरतो की नज़र थी अब उसके कब्ज़े में था, घर के अंदर, जितनी मर्ज़ी उतना चुदवा सकती थी.
"हाइईईईईई बहुत….मजेदार है तेरे आम…तेरा छेद…उफफफफफफफफ्फ़…शियीयीयियीयियी अब तो…हाइईईईई मा मज़ा आ रहा अपने बेटे डंडा बिल में घुस्वा के….सीईईईईईई….हाइईईईईईईईईईईई पहले बता दिया होता तो…अब तक…कितनी बार तेरा आम-रस पी लेता….तेरी छेद पेल देता…सीईईईईई तेरी सिकुदीईईईईईईइ हुई छेद खोल देता…रंडी…खा अपने बेटे का….लंड…द्द्दद्ड….हीईईईईईइ…बहुत मज़ा हीईईई…तूने तो खेल खेल कर इतना…तडपा दिया है…अब बर्दाश्त नही हो रहा…मेरा तो निकल जाएगा……सीईई…पानी फेंक दू तेरीईईईईईईईईईइ….चूऊऊऊऊऊऊऊऊओ…त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त..में. सीस्यते हुए मुन्ना बोला. नीचे से धक्का मारती और उपर से ढाका-धक लंड खाती शीला देवी भी अब चरम सीमा पर पहुच चुकी थी. गांद उच्छलती हुई अपनी टाँगो को मुन्ना की कमर पर कास्ती चिल्लई…"मार..मार ना भोसड़ीवाले…मेरे छ्होटे चौधरी…मार…अपनी चौधरैयन….की चूत…फाड़ दे….हाइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई….बेटा मेरिइईईईईईईईईईईईईईईईई भी अब पानी फेंक देगीईईईईईईईइ…..पुराआआआआआआ लंड…डाल के चोद दीईईईईईई…अपनी मा…की बूर….हाइईईईईईईई…सीईई अपने घोड़े जैसे….लंड का पानी…डाल दे…पेल दीईईईईईईईई….माआआआआआ के लालल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल….बेहन्चोद्द्द्द……मेरी चूऊत में…." यही सब बकते हुए उसने मुन्ना को अपनी बाहों में कस लिया. उसकी चूत ने पानी
फेंकना शुरू कर दिया था. मुन्ना के लंड से भी तेज फ़ौवार्रे के साथ पानी निकलना शुरू हो गया था. मुन्ना के होंठ चौधरैयन के होंठो से चिपक हुए थे, दोनो का पूरा बदन अकड़ गया था. दोनो आपस में ऐसे चिपक गये थे कि तिल रखने की जगह भी नही थी. पसीने से लत-पथ गहरी सांस लेते हुए. जब मुन्ना के लंड का पानी चौधरैयन की बूर में गिरा तो उसे ऐसा लगा जैसे उसकी बर्शो की प्यास भुज गई हो. तपते रेगिस्तान पर मुन्ना का लंड बारिश कर रहा था और बहुत ज़यादा कर रहा था आख़िर उसने अपनी मामी के बाद अपनी मा को चोद दिया था. उसके लंड के नीचे उसके ख्वाबो की दोनो पारियाँ आ चुकी थी बस एक तीसरी बाकी थी…किस्मत ने साथ दिया तो…
करीब आधे घंटे तक दोनो एक दूसरे से चिपके बेशुध हो कर वैसे ही नंगे लेट रहे मुन्ना अब उसके बगल में लेटा हुआ था. शीला देवी आँखे बंद किए टांग फैलाए बेशुध लेटी हुई थी और बाहर बारिश अपने पूरे शबाब पर छ्होटे चौधरी और बड़ी चौधरैयन की चुदाई की खुशी मना रही थी.