Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

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Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

Unread post by admin » 13 Jan 2016 09:15

मेरे इस तरह करने से उसे बहुत पीड़ा हुई थी और उसका मुँह भी दर्द
से भर गया था, जिसे उसने बाद में बयान किया।
और सच कहूँ तो मुझे भी बाद में अच्छा नहीं लगा.. पर अब तो
सब कुछ हो ही चुका था.. इसलिए पछताने से क्या फायदा..
पर कुछ भी हो ये तरीका था बड़े कमाल का.. आज के पहले मुझे
लौड़ा चुसाई में इतना आनन्द नहीं मिला था।
फिर मैंने पास रखी बोतल उठाई और पानी के कुछ ही घूट गटके
थे कि माया आई और दर्द भरी आवाज़ में बोली- राहुल आज
तूने तो मेरे मुँह का ऐसा हाल कर दिया कि बोलने में भी
दुखता है.. आआआह.. पता नहीं तुम्हें क्या हो गया था.. इसके
पहले तुमने कभी ऐसा नहीं किया.. तुम्हें मेरी हालत देखकर भी
तरस नहीं आया.. बल्कि चांटों को जड़कर मेरे गाल लाल
करके.. दर्द को और बढ़ा दिया।
तो मैंने उससे माफ़ी मांगी और बोला- माया मुझे माफ़ कर दे..
मैं इतना ज्यादा कामभाव में चला गया था कि मुझे खुद का
भी होश न था.. पर अब ऐसा दुबारा नहीं होगा।
मेरी आवाज़ की दर्द भरी कशिश को महसूस करके माया मेरे
सीने से लग गई और बोली- अरे ये क्या.. माफ़ी मांग कर मुझे न
शर्मिंदा करो.. होता है.. कभी-कभी ज्यादा जोश में इंसान
बहक जाता है.. कोई बात नहीं मेरे सोना.. मेरे राजाबाबू..
आई लव यू.. आई लव यू..
यह कहते हुए वो मेरे होंठों को चूसने लगी और अभी मेरे लौड़े में
भी पीड़ा हो रही थी जो कि मेरे जंग में लड़ने की और घायल
होने की दास्तान दर्द के रूप में बयान कर रही थी।
एक अज़ीब सा मीठा दर्द महसूस हो रहा था.. ऐसा लग रहा
था कि अब जैसे इसमें जान ही न बची हो।
फिर मैंने माया को जब ये बताया कि तुम्हारे दाँतों की चुभन
से मेरा सामान बहुत दुःख रहा है.. ऐसा लग रहा है.. जैसे कि
इसमें जान ही न बची हो.. अब मैं कैसे तुम्हारी गांड मार कर
अपनी इच्छा पूरी कर पाउँगा और कल के बाद पता नहीं ये
अवसर कब मिले.. मुझे लगता नहीं कि अब मैं कुछ और कर सकता
हूँ.. ये तो बहुत ही दुःख रहा है।
तो माया ने मेरे लौड़े को हाथ से छुआ जो कि सिकुड़ा हुआ..
किसी सहमे से कछुए की तरह लग रहा था।
माया मुस्कुराई और मुझे छेड़ते हुए बोली- और बनो सुपर हीरो..
अब बन गए न जीरो.. देखा जोश में होश खोने का परिणाम..
और मुझे छेड़ते हुए मेरी मौज लेने लगी.. पर मेरी तो दर्द के मारे
लंका लगी हुई थी.. तो मैंने झुंझला कर उससे बोला- अब उड़ा
लो मेरा मज़ाक.. तुम भी याद रखना.. मुझे इतना दर्द हो रहा
है और साथ-साथ अपनी इच्छा न पूरी हो पाने का कष्ट भी
है.. और तुम हो कि मज़ाक उड़ा रही हो.. वैसे भी कल वो लोग
आ जायेंगे.. तो पता नहीं कब ऐसा मौका मिले… तुमने तो
इतनी तेज़ी से दाँतों को गड़ाया.. जिससे मेरी तो जान
निकल रही है।
मैं बोल कर दर्द से बेहाल चेहरा लिए वहीं बिस्तर पर आँख बंद
करके लेट गया।
मेरे दर्द को माया सीरियसली लेते हुए मेरे पास आई और मेरे
माथे को चूमते हुए मेरे मुरझाए हुए लौड़े पर हाथ फेरते हुए बोली-
तुम इतनी जल्दी क्यों परेशान हो जाते हो?
तो मैंने बोला- तुम्हें खुराफात सूझ रही है और मेरी जान
निकाल रही है।
वो मुस्कुराते हुए प्यार से बोली- राहुल तेरी ये जान है न.. इसमें
जान डालने के लिए.. तुम अब परेशान मत हो.. अभी देखना मैं
कैसे इसे मतवाला बनाकर एक बार फिर से झूमने पर मज़बूर कर
दूंगी।
और मैं कुछ बोल पाता कि उसके पहले ही उसने अपने होंठों से
मेरे होंठ सिल दिए।

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Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

Unread post by admin » 13 Jan 2016 09:15

हम कुछ देर यूँ ही एक-दूसरे को चूमते रहे..
फिर माया के दिमाग में पता नहीं क्या सूझा वो उठ कर गई
और फ्रिज से बर्फ के टुकड़े ले आई।
यार सच कहूँ तो मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था कि ये
सब क्या करने वाली है।
फिर उसने मेरे लंड को पकड़ कर उसकी अच्छे से सिकाई की..
यार दर्द तो चला गया पर बर्फ का अधिक प्रयोग हो जाने से
वो सुन्न सा पड़ गया था।
मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे मतवाले हाथी को किसी ने मार
दिया हो और अन्दर ही अन्दर बहुत डर सा गया था कि अब
क्या होगा.. अगर इसमें तनाव आना ख़त्म हो गया.. तो क्या
होगा?
मेरे चेहरे के चिंता के भावों को पढ़कर माया बोली- अरे राहुल
क्या हुआ.. तुम इतना उलझन में क्यों लग रहे हो?
तो मैंने बोला- मेरा दर्द तो ठीक हो गया.. पर मुझे अब ये डर है
कि इसमें जान भी बची है कि नहीं?
तो माया मुस्कुरा दी और हँसते हुए बोली- तुमने कभी सुना है..
‘अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारना..’ अब तुमने मेरे मुँह में
जबरदस्ती सब कुछ किया.. तो तुम भुगत रहे हो.. पर अब जो मैं
तुम्हारे दर्द को दूर करने के लिए कर रही हूँ.. उससे शायद मैं खुद
ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जा रही हूँ।
मैं उसकी बातों को सुनकर आश्चर्य में पड़ गया कि आखिर
माया के कहने का मतलब क्या है.. सब कुछ मेरी समझ के बाहर
था।
तो मैंने उससे बोला- साफ़-साफ़ बोलो.. कहना क्या चाहती
हो?
बोली- अरे जान.. तुम्हें नहीं मालूम.. अगर बर्फ से सिकाई अच्छे
से की जाए.. जब तक की लण्ड की गर्मी न शांत हो जाए और
उसके बाद जो सेक्स करने का समय होता है.. वो बढ़ जाता है
और अब तुम परेशान न हो.. परेशान तो मुझे होना चाहिए कि
पता नहीं आज मेरा क्या होने वाला है.. और अब मुझे पता है
कि इसमें कैसे तनाव आएगा.. पर मेरी एक शर्त है।
तो मैं बोला- क्या?
तो बोली- पहले बोलो कि मान जाओगे..
मैंने भी बोला- ठीक है.. मान जाऊँगा।
तो माया बोली- एक तो आज तक पीछे छेद में मैंने किसी के
साथ सेक्स नहीं किया है.. तो तुम फिर से मेरे मुँह की तरह वहाँ
जबरदस्ती कुछ नहीं करोगे और पहले मेरी चूत की खुजली
मिटाओगे.. तुम्हें नहीं मालूम ये साली छिनाल.. बहुत देर से
कुलबुला रही है..
तो मेरे दिमाग में भी एक हरकत सूझी कि बस एक बार किसी
तरह माया मेरा ‘सामान’ खड़ा कर दे.. तो इसको भी बर्फ का
मज़ा चखाता हूँ।
मैंने उससे बोला- ठीक है.. मुझे मंजूर है..
तो वो बर्फ ट्रे लेकर जाने लगी और बोली- अभी आई।
तो मैंने बोला- अरे ये ट्रे मुझे दे दो.. तब तक मैं इससे अपनी
सिकाई करता हूँ।
वो मुझे ट्रे देकर चली गई।
अब आखिर उसे कैसे पता चलता कि उसके साथ अब क्या होने
वाला है।
फिर कुछ ही देर में वो मक्खन का डिब्बा लेकर आ गई और
बोली- जानू.. अब तैयार हो जाओ.. देखो मैं कैसे अपने
राजाबाबू को अपने इशारे पर ठुमके लगवाती हूँ।
तो मैंने हल्की सी मुस्कान देकर अपनी सहमति जता दी।
अब बारी उसकी थी तो उसने अपने गाउन की डोरी खोली
और उसे अपने बदन से लटका रहने दिया और फिर वो एक हलकी
पट्टीनुमा चड्डी को दिखाते हुए ही मेरे पास आ गई और मेरे
सीने से चिपक कर गर्मी देने लगी और मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे
बदन पर हाथों को फेरने लगी..
जिससे मेरे बदन में प्रेम की लहर दौड़ने लगी।
उसकी इस क्रिया में मैंने सहयोग देते हुए और कस कर अपनी
बाँहों में कस लिया.. फिर उसके होंठों को चूसना प्रारम्भ कर
दिया।
देखते ही देखते हम लोग आनन्द के सागर में डुबकी लगाने लगे और
फिर माया ने अचानक से अपना हाथ मेरे लौड़े पर रखकर देखा..
जो कि अभी भी वैसा ही था।
तो वो अपने होंठों को मेरे होंठों से हटा कर बोली- लगता है
इसको स्पेशल ट्रीटमेंट देना होगा।
मैं बोला- कुछ भी कर यार.. पर जल्दी कर।
तो माया उठी और मुझे पलंग के कोने पर बैठने को बोला.. तो
मैं जल्दी से उठा और बैठ गया।
मेरे इस उतावलेपन को देखकर माया हँसते हुए बोली- अरे राहुल..
अब होश में रहना.. नहीं तो यूँ ही रात निकल जाएगी.. फिर
बाद में कुछ भी न कहना।

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Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

Unread post by admin » 13 Jan 2016 09:15

मैं बोला- यार वो एक बार हो गया… अब ऐसे कभी नहीं
करूँगा.. पर दर्द तो जरूर दूँगा.. जब तुझे दर्द में सिसियाते हुए
देखता हूँ और तेरी दर्द भरी चीखें मेरे कानों में जाती हैं.. तो
मेरा जोश और बढ़ जाता है.. पर अब दर्द देने वाली जगह पर ही
दर्द दूँगा।
तो वो हँसते हुए बोली- बड़ा मर्द बनने का शौक है तुझे.. चल
देखती हूँ कि तू कितना दर्द देता है.. मुझे भी तेरे दर्द देने वाली
जगह पर दर्द देने में एक अजीब से प्यार की अनुभूति होती है..
जो कि मुझे तेरा दीवाना बनाए हुए है।
यह कहते हुए उसने मक्खन निकाला और मेरे लौड़े पर मलने लगी।
फिर ऊपरी सतह पर लगाने के बाद उसने थोड़ा मक्खन और
निकाला और मेरे लौड़े की खाल को खींच कर सुपाड़े पर
हल्के-हल्के नर्म उँगलियों का स्पर्श देते हुए मलने लगी।
मैंने ध्यान से देखा तो सुपाड़े का रंग गुलाबी न होकर कुछ कुछ
बैंगनी सा हो गया था.. तो मैं चिंता में पड़ कर सोचने लगा
कि ये गुलाबी से बैंगनी कैसे हो गया?
तो मेरे दिमाग में आया या तो यह चोट के कारण है.. या फिर
बर्फ की ठंडक का कमाल है?
खैर.. अब सब कुछ मैंने माया पर छोड़ दिया था।
फिर उसने सहलाते हुए मेरे लौड़े को फिर से अपने मुख में ढेर
सारा थूक भर कर ले लिया और अपने होंठों से मेरे लौड़े पर पकड़
मजबूत बना दी.. जिससे मुझे मेरे सामान पर गर्मी का अहसास
होने लगा।
फिर कुछ देर यूँ ही रखने के बाद माया बिना होंठों को खोले
अन्दर ही अन्दर मेरे लौड़े के सुपाड़े को चूसने लगी.. जैसे कोई
हाजमोला की गोली चूस रही हो।
उसकी इस चुसाई से मेरे लौड़े में जगी नई तरंगें मुझे महसूस होने
लगीं और समय के गुजरने के साथ साथ मेरा लौड़े ने फिर से
माया के मुँह की गर्मी पाकर हिलोरे मारने शुरू कर दिए..
जिसे माया ने भी महसूस किया और मुझसे हँसते हुए बोली- अब
होश मत खोना.. बस थोड़ा समय और दो.. देखो कैसे अभी इसे
लोहे सा सख्त करती हूँ।
वो फिर से मेरे लौड़े को मुँह में भरकर चूसने लगी और चूसते हुए
उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ कर अपनी दोनों चूचियों पर रख
दिए।
मैंने उसके इस इशारे को समझ कर धीरे-धीरे उसके चूचे मसलने लगा
और कुछ ही देर में मैंने महसूस किया कि मेरे लौड़े का हाल पहले
ही जैसा और सख्त हो चुका था।
तो मैंने माया के मुँह से अपने लौड़े को निकला जो कि उसके
थूक और मक्खन से सना होने के कारण काफी चमकदार और
सुन्दर महसूस हो रहा था.. जैसे उस पर पॉलिश की गई हो।
अब सुपाड़ा भी अपने रंग में वापसी कर चुका था.. जो कि
शायद बर्फ की ठंडक के कारण नीला सा हो गया था।
फिर धीरे से मैंने माया के माथे को चूमा और उसे ‘थैंक्स’
बोला.. तो बोली- अरे इसमें थैंक्स की क्या बात है.. ये तो सब
चलता है.. और किसी का भी ‘आइटम’ इतनी जल्दी खराब
नहीं होता.. तभी भगवान ने इसमें हड्डियां नहीं दीं..
ये कह कर वो हँसने लगी।
तो मैंने माया के कन्धों को पकड़ा और उसे उठा कर बिस्तर पर
लिटा दिया और उसके दोनों हाथों को सर के ऊपर ले जाकर
उसे चूमते हुए.. उसके मम्मों को भींचने लगा।
जबकि माया अभी तक इससे अनजान होते हुए बंद आँखों से मेरे
होंठों का रस चूस रही थी.. उसे क्या पता की आज मैं उसे
कौन सा दर्द देने वाला हूँ और फिर मैंने उसके हाथों पर थोड़ा
पकड़ मजबूत की.. तो बोली- अरे हाथों को इतना न कसो..
दर्द होता है।
तो मैंने बोला- जानेमन.. अभी तो बहुत बोल रही थीं कि दर्द
में मज़ा आता है.. अब क्या हुआ.. अब तू देखती जा.. तेरे साथ
क्या होने वाला है।
तो मारे आश्चर्य के उसकी दोनों आँखें बाहर निकल आईं और
बहुत सहमे हुए तरीके से बोली- अब कैसा दर्द देने वाले हो.. मुझे
कुछ समझ नहीं आ रहा है।
तो मैंने बोला- समझ जाओगी.. बस आँखें बंद करो और ऐसे ही
लेटी रहो..
अब क्योंकि मैं उसके ऊपर था.. तो मैंने उसके ऊपर अपने शरीर
का भार डाल दिया और डोरी को पहले आहिस्ते से पलंग की
रैक को खींचने वाले छल्ले में बाँध दिया जिसमें कि पहले से ही
लॉक लगा हुआ था।
जिसका माया को बिल्कुल भी अहसास न था कि क्या हो
रहा.. बल्कि वो भूखी शेरनी की तरह वासना की आग से
तड़पती हुई मेरी गर्दन और छाती को चूसने और चाटने में लगी
हुई थी।
फिर मैंने धीरे से अपने पैरों को सिकोड़ लिया और उसकी
छाती पर ही बैठ गया ताकि वो कुछ भी न कर सके।
वो जब तक कुछ समझ पाती.. मैंने उसके हाथों में रस्सी का
फन्दा सा बनाकर मज़बूती से कस दिया और उसके ऊपर से
हटकर उसके होंठों को चूसने लगा.. जिससे माया जो बोलना
चाह रही थी.. वो बोल ही न सकी।
मैं इसी तरह निरंतर उसके होंठों को चूसते हुए उसके मम्मों को
रगड़े जा रहा था जिसमें माया का अंग-अंग उमंग में भरकर
नाचने लगा था।
तो मैंने सोचा.. अब मौका सही है.. अब ये कुछ मना नहीं
करेगी।
मैंने उसके होंठों को आज़ाद करके जैसे ही उठा और बर्फ की ट्रे
हाथों में पकड़ी.. वो तुरंत ही चीखकर बोली- अरे राहुल.. अब
क्या करने वाले हो.. मुझे बहुत डर लग रहा है.. प्लीज़ पहले

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