पंडित & शीला पार्ट--49
***********
गतांक से आगे ......................
***********
आज तो दोनों एक -दुसरे को कच्चा खा जाने के मूड में थे ..रितु बड़ी अजीब सी आवाजें निकालते हुए पंडित जी के लंड को चूस रही थी ..और पंडित जी भी उसकी चूत की परतों को हटा कर अपनी जीभ को अन्दर तक घुसा रहे थे ..
पंडित जी का लंड चूसते -२ रितु ने उनसे कहा : "पता है ..जब मैं यहाँ आ रही थी तो माँ की आँखों में देखकर ये लग रहा था की उनका भी मन है ..पर ना जाने क्यों उन्होंने कुछ कहा नहीं ..''
इतना कहकर वो फिर से इनके लंड को चूसने लगी ..
उसकी बात सुनकर पंडित जी के मन में एक ख्याल आया ..क्यों न दोनों माँ बेटियों को एक साथ चोदा जाए ..वो बोले : "एक काम करना ..कल अपनी माँ को भी लेकर आना इसी वक़्त यहाँ ..बोलना मैंने बुलाया है ..''
उनकी बात सुनकर रितु पलटकर फिर से उनके ऊपर आ गयी और उनके होंठों को चूसते हुए बोली : "आपने तो मेरे मन की बात बोल दी है ...मेरा भी मन है की मैं माँ के साथ वो सब करू ...''
और फिर वो पंडित जी के चेहरे पर टूट पड़ी ..और अपनी गोलाईयां उनके सीने से मसलते हुए अपनी चूत वाले हिस्से को उनके लंड से रगड़ने लगी ..
पंडित जी से भी सहन करना अब मुश्किल हो रहा था ..उनके मुंह में उसकी चूत के रस का स्वाद अभी तक था और उन्हें अभी भी प्यास लग रही थी ..उन्होंने रितु को बेड पर लिटाया और खुद नीचे खिसक कर उसकी चूत अक पहुँच गए और अपनी जीभ से उसकी चूत के अन्दर के खजाने को कुरेद कर बाहर निकालने लगे ..और रितु खुद ही अपने शरीर को ऊपर नीचे करके उनकी जीभ के स्पर्श को चूत के चेहरे पर महसूस करने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...पंडित जी ....बस यही सब मैं मिस कर रही थी ....जैसा आप चूसते है ...वैसा कोई नहीं ....अह्ह्ह ...अब जल्दी से वो भी करो जो आप जैसा कोई और नहीं कर सकता ...चोदो मुझे ..पंडित जी ....चोदो ....बुझा दो मेरी सारी प्यास ...अह्ह्ह्ह्ह .....''
इतना कहकर उसने पंडित जी के चोटी वाले सर को ऊपर खींच लिया और उनके होंठों पर लगे हुए रस को चाटकर अपनी चूत का स्वाद खुद भी चख लिया ..
पंडित जी ने अपने हाथ की दो उँगलियों को उसकी चूत के अन्दर घुसा दिया और बचा हुआ खजाना उनकी मदद से बाहर निकालने लगे ..
रितु चिल्लाई : "अह्ह्ह्ह्ह .....अब और मत तरसाओ ....जल्दी से अपना लंड डालो ...अन्दर ....और चोदो मुझे ....''
इस बार रितु की आवाज में एक आदेश भी था ..जिसे पंडित जी ने झट से मान लिया ..
उन्होंने अपना लंड उसकी चूत की गुफा के मुहाने पर रखा ..और एक मीठे से धक्के के साथ उसे अन्दर खिसका दिया ...
'म्म्म्म्म्म्म्म्म ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी ......ओफ़्फ़्फ़्फ़ .......आप नहीं जानते .....क्या चीज पाल रखी है आपने .....इसने तो दीवाना बना डाला है मुझको .....और मेरी माँ को ....''
उसकी बात सुनकर पंडित जी मुस्कुराये बिना नहीं रह सके ..
और फिर तो पंडित जी ने धक्के मार मार कर उसकी माँ बहन एक कर दी ..
''ओफ़्फ़्फ़्फ़ अह्ह्ह्ह ...उम्म्म ....येस्स ....अह्ह्ह ..और तेज ....उम्म्म्म्म ....हां न…। .....ऐसे ही ...अऒऒओ ...ऒऒऒ .....आ गयी .....अह्ह्ह मैं .....आयीईई .........''
और वो आँखे बंद करके अपने ओर्गास्म को महसूस करके गहरी साँसे लेने लगी ..और उसने झुककर पंडित जी के होंठों को अपने मुंह में भर लिया ..और ऐसा करते ही पंडित जी के लंड से भी ढेर सारी गोलियां निकलकर रितु की चूत में जाने लगी ...
पंडित जी बस आँखे बंद करके वो सुख महसूस करने में लगे हुए थे ..उनके मन में कई विचार एक साथ चल रहे थे ..जैसे कल कैसे रितु और माधवी को एक साथ चोदेंगे ...और कल कोमल अपनी कौनसी इच्छा उनसे पूरी करवाएगी ...
अगले दिन पंडित जी जब फ्री हुए तो थोड़ी देर बैठकर वो सोचने लगे की आखिर कोमल उनसे ही वो सब क्यों करवा रही है ..वो चाहती तो किसी के साथ भी ऐसा एक्सपीरियंस ले सकती थी ..फिर भी उसने उन्हें ही क्यों चुना ..पर काफी सोचने के बाद भी उन्हें कुछ समझ नहीं आया ..
उन्होंने टाइम देखा ...एक बजने वाला था ..कभी भी कोमल का फ़ोन आ सकता था ..
पर अगले आधे घंटे तक भी उसका फ़ोन नहीं आया तो वो इन्तजार करते -२ ऊँघने लगे ..तभी उनके कमरे के पीछे वाले दरवाजे पर दस्तक हुई ..
उन्होंने दरवाजा खोला तो चकित रह गए ..वहां कोमल खड़ी थी ..उसने बड़े अजीब से कपडे पहने हुए थे ...सलवार कुर्ता ...और ऊपर से एक जेकेट भी .
वो जल्दी से अन्दर आई ..पंडित जी कुछ पूछ पाते इससे पहले ही वो उनके बाथरूम में घुस गयी जैसे उसे जोर से पेशाब लगा हो ..और लगभग पांच मिनट के बाद जब वो बाहर निकली तो उसकी वेशभूषा पूरी बदल चुकी थी ..उसने एक स्किन टाइट ब्लेक जींस पहन ली थी जिसमे उसकी टांगो और गांड के पुरे कटाव दिखाई दे रहे थे ...बाल खोल लिए थे ..और ऊपर उसने ब्लेक कलर की ही टाइट टी शर्ट पहनी हुई थी ..जिसमे से उसके गोरे और भरे हुए उभार लगभग पुरे ही दिखाई दे रहे थे .
उसने बड़ी ही अदा से अपने सर के ऊपर हाथ रखा और पंडित जी से बोली : "कैसी लग रही हु पंडित जी मैं ..''
अब येही सवाल पंडित जी के बदले अगर उसने उनके लंड से किया होता तो जवाब कब का मिल चुका होता ..क्योंकि लंड की जुबान नहीं होती ..वो तो बस खड़ा होकर अपनी सहमति प्रकट कर देता है ..
पर यहाँ तो जुबान पंडित जी की गायब हो चुकी थी ..उसने इतनी सेक्सी ड्रेस में लड़की आज तक नहीं देखि थी ..वो धीरे से बोले : "उम्म्म ...ये ..ये सब क्या है ...कोमल ...''
कोमल (घूम कर अपनी पूरी ड्रेस उन्हें दिखाते हुए) : "ये मेरी ड्रेस है ..पंडित जी ..पता है , मैंने लास्ट इयर ली थी , जब मैं दीदी के पास आई थी रहने के लिए ..पर जब घर लेकर आई तो उन्होंने बहुत डांटा था .बोले, मैं ऐसे कपडे नहीं पहन सकती, और गाँव जाकर तो वैसे भी पोस्सीबल नहीं था, इसलिए ये कपडे इस बार भी मैं वापिस ले आई, थोड़े टाईट हो गए है ..पर अभी तक इन्हें पहनने का लालच मेरे अन्दर बना हुआ है ..मैं इन्हें पहन कर बाहर घूमना चाहती हु ...."
पंडित : "और तुम चाहती हो की मैं तुम्हारे साथ चलू ..''
कोमल : "और नहीं तो क्या ...चलिए, आप भी जल्दी से तेयार हो जाओ ..आज मुझे शोपिंग करनी है ..''
पंडित : "पर मुझे एक बात बताओ ....ये सब तुम मुझसे ही क्यों करवा रही हो ...क्या मिल रहा है तुम्हे ..तुम्हारी ऐसी उल जलूल की इच्छाओं की पूर्ति के लिए मैं अपना मान सामान दांव पर नहीं लगा सकता ..यहाँ सब लोग मुझे जानते हैं, मेरी इज्जत करते हैं, उन्होंने मुझे तुम्हारे साथ ऐसे कपडे में देख लिया तो क्या बोलेंगे .. नहीं .. नहीं ..मैं नहीं कर सकता ये सब ...''
कोमल का चेहरा एक दम से उतर गया ..वो रुन्वासी सी होकर बोली : "ये आप क्या कह रहे हैं पंडित जी ...मेरे मन में कोई छल कपट नहीं है ..आप मुझे अच्छे इंसान लगे, इसलिए मैंने अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आपको जरिया बनाया ..वर्ना मेरा इरादा आपके सम्मान को ठेस पहुंचाना नहीं था ..और रही बात आपके फायेदे की तो मेरी जैसी हॉट लड़की आपके साथ ये सब कर रही है ..कुछ तो फायेदा मिल रहा होगा आपको , जो आप भी मेरे साथ हमउम्र बनकर मेरा साथ देने चल पड़ते हो ..''
उसकी मासूम सी बात का पंडित जी के पास कोई जवाब नहीं था ..या तो वो बहुत मासूम थी या फिर हद से ज्यादा चालाक, क्योंकि उसकी बातों का पंडित जी पर ऐसा असर हुआ की अगले ही पल वो बोले : "अच्छा, नाराज मत हो तुम ...मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था ..बोलो ..ऐसी ड्रेस पहन कर कहाँ बिजलियाँ गिराने का इरादा है ..''
कोमल के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी और वो बोली : "बोला न मैंने, शोपिंग के लिए चलना है ..और शोपिंग भी ऐसी वैसी नहीं ..वो वाले कपड़ो की ...''
पंडित जी पहले तो कुछ समझे नहीं ..पर जब कोमल ने अपनी उँगलियों से अपने कंधे पर झाँक रही ब्रा के स्ट्रेप को पकड़कर एक झटका दिया तो उनकी समझ में सब आ गया ..कोमल उन्हें ब्रा-पेंटी खरीदने के लिए ले जाना चाहती थी ..हे भगवान्, ये लड़की के दिमाग में ना जाने कैसे-२ फितूर भरे पड़े हैं ..वो जल्दी से बाथरूम में गए और उन्होंने नकली मूंछ लगा ली ..आज उन्होंने एक शर्ट और पेंट पहनी और सर पर टोपी , और आँखों पर चश्मा ..कल की तरह आज भी वो पहचाने नहीं जा रहे थे .और कल से ज्यादा स्मार्ट ही लग रहे थे वो ..
उनके बाहर आते ही कोमल बोली : "वाव ...पंडित जी ..आज तो आप बड़े कमाल के लग रहे हो ..स्मार्टी ..''
उसने उन्हें छेड़ते हुए एक सीटी भी बजा दी ..पंडित जी उसकी हरकत पर मुस्कुरा दिए ..
उसके बाद दोनों बाहर निकल पड़े ..पुरे रास्ते पंडित जी देखते जा रहे थे की उन्हें कोई पहचान तो नहीं रहा ..एक दो लोग मिले भी उनकी पहचान के पर उनका ध्यान तो कोमल की तरफ था ..जो बड़ी ही अदा से अपनी गांड मटकाते हुए चल रही थी ..और हर आने-जाने वाला उसे ही देखे जा रहा था ..
पंडित जी सोचने लगे की आज तो वो अपने रूप में भी आते, तब भी उनकी तरफ कोई देखने वाला नहीं था ..क्योंकि कोमल को देखने से किसी को फुर्सत ही नहीं थी ..
उन्होंने आगे जाकर एक ऑटो लिया और उसमे बैठकर एक मॉल की तरफ चल दिए ..
अन्दर बैठते ही कोमल की हंसी फुट गयी , वो बोली :"आपने देखा पंडित जी ..सबकी नजरें कैसे घूर रही थी मुझे ...हा हा हा ...मजा आ गया आज तो ..''
खेर, बीस मिनट के बाद जब वो लोग मॉल पहुंचे तो वहां भी यही हाल था ..सभी लोग कोमल को घूर-२ कर देख रहे थे.
पंडित जी ने अपनी टोपी उतार दी थी ..क्योंकि वहां किसी के पहचानने का डर कम ही था ..और वैसे भी उन्होंने मूंछ तो लगा ही रखी थी ..
कुछ देर घूमने के बाद एक बड़ी सी शॉप के बाहर आकर कोमल रुक गयी, वो एक इंटरनेशनल लिंगरी ब्रांड का शोरूम था , ''विक्टोरिया'स सीक्रेट '' जिसके बाहर शो पीस पर छोटी-२ ब्रा पेंटी लगा राखी थी ..जो देखने में ही बड़ी उत्तेजक लग रही थी ..उन्हें पहन कर अगर कोमल उनके सामने आ गयी तो वो उसकी चूत का कीमा बना कर खा जायेंगे ..
कोमल अन्दर घुस गयी और उनके पीछे-२ पंडित जी भी ..
ऐसे किसी माल में और ऐसे शो रूम में आने का पंडित जी का पहला मौका था ..वो तो बस वहां की चमक धमक और सेल्स गर्ल्स को देखकर दंग रह गए ..जिन्होंने टाइट टी शर्ट और शोर्ट स्कर्ट पहनी हुई थी ..जिसमे से उनके जिस्म के कटाव साफ़ दिखाई दे रहे थे ..उनमे से एक लड़की उनके पास आई और बोली : "कहिये सर ...क्या लेंगे आप मेडम के लिए ..''
पंडित : "उम्म्म ....जी वो. ....वो ...''
उन्होंने कोमल की तरफ देखा ..जो उन्हें देखकर मुस्कुरा रही थी ..वो बोली : "जी ..मुझे ब्रा पेंटी का सेट दिखाइए ...लेटेस्ट ...''
वो लड़की मुस्कुरायी और उन्हें अपने साथ चलने को कहा ..और वो उसके साथ चलते हुए एक छोटे से कमरे में पहुँच गए ..जहाँ एक बड़ा सा शीशा लगा हुआ था ..और एक टेबल था बस ..
फिर वो लड़की कुछ बॉक्सेस लेकर आई और उनमे से निकाल कर ब्रा पेंटी कोमल को दिखाने लगी ..कोमल भी बड़ी उत्सुक्तता से सब देख रही थी ..पंडित जी सोच रहे थे की वैसे तो ये गाँव की रहने वाली है पर शोंक इसने अमीरों वाले पाल रखे हैं ..क्योंकि वहां कोई भी ब्रा पेंटी पांच हजार से कम नहीं थी ..इतने में तो दो दर्जन सेट आ जाते हैं ..
कोमल ने तीन जोड़े पसंद कर लिए ..वो लड़की बोली : "मेम .आप ट्राई कर लीजिये ...मैं बाहर ही हु ...''
और इतना कहकर वो बाहर निकल गयी और दरवाजा बंद कर दिया ..
पंडित जी ने नोट किया की वहां कोई अलग से ट्रायल रूम नहीं था ..उन्होंने कोमल की तरफ देखा और बोले : "तुम पहन कर देखो ..मैं बाहर इन्तजार करता हु ...''
वो जैसे ही जाने लगे, कोमल ने उनका हाथ पकड़ लिया और धीरे से बोली : "नहीं ...आप यहीं रुकिए ...आखिर मेरे लिए आप इतना कर रहे हैं , इतना तो आप देख ही सकते हैं ...''
ओह्ह तेरी ...यानी कोमल उनके सामने नंगी होने के लिए तैयार थी ...वो एकदम से उत्साहित हो उठे ..
पर तभी वो बोली : "आप दूसरी तरफ मुंह कर लो ..और जब मैं पहन लू तो आप बताना, मैं कैसी लग रही हु ...''
पंडित जी का उत्साह एक दम से पानी के बुलबुले की तरह फट गया ..
उन्होंने मन मार कर दूसरी तरफ मुंह कर लिया ..और पीछे से कोमल के कपडे उतारने की आवाजें आने लगी ..
कुछ ही देर में उसकी धीमी सी आवाज आई ..: "अब देखो ...आप ...''
पंडित जी तो बस इसी पल का इन्तजार कर रहे थे ..वो घूमे तो उनका मुंह खुला का खुला रह गया ..
उनके सामने कोमल सिर्फ पेंटी ब्रा में खड़ी थी ..और वो इतनी सेक्सी लग रही थी की पंडित जी अपनी पलके झपकाना भी भूल गए ..
वो उसी अंदाज में इतरा कर बोली : "अब बताइए पंडित जी ..मैं कैसी लग रही हु ...''
पंडित : "सेक्सी ......कमाल की लग रही हो तुम ...''
वो उसके करीब आये और उसके चारों तरफ घूम कर उसके हर अंग को निहारने लगे ...जैसे वो कोई इंसान नहीं पुतला हो ..
उसकी भरी हुई जांघे, पतली कमर ..उभर हुआ सीना ..गोरा रंग ...कमाल की लग रही थी वो ..
कोमल : "ठीक है ...अब ज्यादा आँखे मत सको ...मुंह उधर करो, मुझे ये दूसरी भी पहन कर देखनी है ..''
पंडित जी ने मुंह फिर से दूसरी तरफ कर लिया ...शुक्र है उसने उनके लंड की तरफ नहीं देखा ..वर्ना उसे देखकर पता चल जाता की उनके लंड का क्या हाल हो रहा है ..
और पता नहीं कोमल आज उनके लंड का और कितना बुरा हाल करेगी ..
पंडित & शीला compleet
-
- Platinum Member
- Posts: 1803
- Joined: 15 Oct 2014 22:49
Re: पंडित & शीला
पंडित & शीला पार्ट--50
***********
गतांक से आगे ......................
***********
पंडित जी के मुंह से अपने लिए सेक्सी शब्द सुनकर कोमल का चेहरा शर्म से लाल हो उठा ...वो मन ही मन ख़ुशी से झूम उठी ..गाँव में उसके कपड़ो से ढके शरीर को निहारने के लिए न तो कोई ढंग का लड़का था और न ही वहां का माहोल ऐसा था की वो छोटे कपड़ों में वहां घूम सके और देखने वालों को अपना दीवाना बना सके ..पर जब से वो शहर आई थी , उसके मन में वो सब करने और महसूस करने का जनून सवार हो गया था जिसके बारे में वो और उसकी सहेलियां बातें किया करती थी ..और यहाँ कोई उसे पहचानता भी नहीं था इसलिए वो ये सब बेशर्मी के साथ कर रही थी ..और किसी न किसी को तो अपना सीक्रेट पार्टनर बनाना ही था, और पंडित जी से अच्छा और कौन हो सकता था ..वो अपनी हद में रहकर ही उसकी सारी इच्छाएं पूरी करवाएंगे ..
पर यहाँ शायद कोमल गलत थी ..पंडित जी तो बस सही वक़्त का इन्तजार कर रहे थे ..
पंडित जी की नजरें तो कोमल के शरीर से चिपक सी गयी थी ..उसके सीने के उभार जहाँ से शुरू हो रहे थे, वहां एक लाल रंग का तिल था ..जो अलग से चमक रहा था ..पंडित जी ने मन ही मन निश्चय कर लिया की जल्द ही अपने होंठों के बीच इस तिल को भींच लेंगे ..
कोमल : "अब बस भी करो पंडित जी ...आप ऐसे देख रहे हैं मुझे शर्म आ रही है ...''
उसने अपने पैरों की उँगलियों से जमीन कुरेदते हुए कहा ..
पंडित जी ने जल्दी से अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया .
कोमल : "अब मैं आपको दूसरी वाली पहन कर दिखाती हु ..''
कुछ देर होने के बाद पंडित जी ने पूछा : "घूम जाऊ क्या ....?"
कोमल : "नहीं ...रुको जरा ....ये पहले वाली अभी तक नहीं उतरी ..इसका हुक अटक गया है ...''
पंडित जी बिना कुछ बोले उसकी तरफ घूम गए ..कोमल का चेहरा दूसरी तरफ था ..और उसके दोनों हाथ अपनी पीठ पर लगे हुए हुक को खोलने में जुटे थे ..पर वो खुल ही नहीं पा रहे थे ..
पंडित जी धीरे से आगे आये ..और कोमल के पीछे जाकर खड़े हो गए ..कोमल का चेहरा नीचे था और वो बड़ी संजीदगी से हुक खोलने में लगी थी, उसे पंडित जी के पीछे खड़े होने का एहसास भी नहीं हुआ ..और अचानक पंडित जी के हाथ ऊपर आये और उन्होंने कोमल के हाथों को पकड़ लिया ..कोमल का पूरा शरीर बर्फ जैसा ठंडा हो गया ..उसने नजरें ऊपर की तो सामने लगे शीशे में पंडित जी का चेहरा अपने कंधे के पीछे दिखा और दोनों की नजरें चार हुई ..कोई कुछ न बोला ..
और धीरे -२ पंडित जी ने कोमल के दोनों हाथों को पकड़कर नीचे कर दिया ...और खुद और करीब होकर उसकी पीठ से चिपक कर खड़े हो गए और सर झुका कर धीरे से उसके कान में बोले : "मैं खोल देता हु. ...''
कोमल बेचारी कुछ भी बोलने की हालत में नहीं थी ..उसके लगभग नग्न शरीर को छूने वाला वो पहला व्यक्ति था ..उसके पुरे शरीर में चींटियाँ सी रेंग रही थी ..उसके दिल की धड़कन धोंकनी की तरह से चल रही थी ..
पंडित जी की अनुभवी उँगलियों ने ब्रा के क्लिप को अपने हाथ में पकड़ा और खींचा पर वो खुली नहीं ..उन्होंने नीचे झुक कर देखा तो पाया की वहां तीन हुक लगी हुई थी ..जिसमे से एक हुक अन्दर की तरफ मुड़ गयी थी इसलिए वो खुल नहीं रही थी ..उन्होंने अपनी ऊँगली के नाख़ून से उसे सीधा करने की कोशिश की पर कोई फायेदा नहीं हुआ ..वहां कोई पेनी चीज भी नहीं थी जिसकी मदद से वो हुक को सीधा कर पाते ..
उन्होंने कोमल से कहा : "ओहो ...यहाँ तो हुक अन्दर की तरफ मुड़ गया है ..इसे सीधा करने के लिए कोई नुकीली चीज चाहिए ...रुको ...मैं एक कोशिश करता हु ..''
इतना कहकर उन्होंने अपना चेहरा नीचे किया और हुक को पकड़कर अपने मुंह में ले गए और उसे अपने पैने दांत के बीच फंसाकर उसे सीधा करने लगे ..
कोमल का पूरा शरीर एक दम से ऐंठ गया ...क्योंकि पंडित जी के गीले होंठों ने उसकी पीठ को छु लिया था ..
और ये सब पंडित जी ने जान बूझकर किया था ..उन्होंने बिना किसी चेतावनी के उसकी ब्रा के स्ट्रेप को अपने मुंह में डाल लिया था और अपने होंठों को गीला करके उन्हें उसकी पीठ से भी छुआ दिया था ..
और उसकी पीठ के मखमली एहसास को अपने होंठों पर महसूस करके पंडित जी का लोड़ा टनटना उठा ..
एक मिनट तक कोमल की ब्रा के स्ट्रेप को अपने मुंह में चुभलाने के बाद आखिर उन्होंने हुक को सीधा कर ही दिया ..पंडित जी की ये कलाकारी देखकर कोमल बोली : "वाह पंडित जी ...बड़ी ट्रिक्स आती है आपको ..''
पंडित जी मुस्कुरा दिए ..और कुछ न बोले ...और उन्होंने ब्रा के स्ट्रेप को एकदम से खोल दिया और दोनों तरफ के स्ट्रेप झटके से आगे की तरफ गए, अगर कोमल ने सही वक़्त पर हाथ लगा कर ब्रा को रोक न लिया होता तो वो छिटक कर दूर जा गिरती और पंडित जी की आँखों की अच्छी खासी सिकाई हो चुकी होती ..
कोमल ने गुलाबी आँखों को तरेर कर हँसते हुए पंडित जी से कहा : "आप तो बड़े बदमाश हो पंडित जी ...चलो अब घूम जाओ ..मुझे दूसरी पहन कर दिखानी है आपको ..''
पंडित जी वापिस अपनी पोसिशन में आ गए ..
कुछ ही देर में कोमल की आवाज आई ..: "अब देखिये ...''
पंडित जी घूमे तो उनके दिल की धड़कन रूकती हुई सी महसूस हुई ..
कोमल ने सिंगल पीस बिकनी पहनी हुई थी ...सिल्वर कलर की ..जिसमे से उसके सोने जैसा बदन झाँक रहा था ..मोटी और भरवां टांगें ...मोटी गांड ...आधी नंगी छातियाँ ...वो देखने में किसी सेक्स बम जैसी लग रही थी ..
कोमल (इतराते हुए) : "क्या हुआ पंडित जी ...बोलती क्यों बंद हो गयी आपकी ..बताइए न ..कैसी लगी ये वाली ...''
पंडित जी की नजरें तो उसके बदन की फोटोकॉपी करने में लगी हुई थी ..जिसे वो अपने जहन में हमेशा के लिए बसाकर रखना चाहते थे ..
वो आगे आये और कोमल के पास आकर खड़े हो गए ..कोमल की साँसे फिर से तेज हो गयी .
पंडित जी के हाथ धीरे से ऊपर उठे और वो कोमल के मोटे - २ मुम्मों की तरफ बड़े ..
कोमल की तो हालत ही खराब हो गयी ..उसकी समझ में नहीं आ रहा था की ये अचानक पंडित जी को हुआ क्या है ..वो ऐसा क्यों कर रहे हैं ..
पंडित जी के हाथ उसके मुम्मों के ऊपर की तरफ आये और वहां से नीचे आ रही ब्रा के कपडे को उन्होंने सीधा किया और बोले : "ये यहाँ से कपडा सीधा नहीं था ...अब ठीक है ...''
पंडित जी ने बड़ी चतुराई से उसके उरोजों की नरमाहट अपनी उँगलियों से महसूस कर ली थी ..जिसे छुकर उन्हें लगा की उनकी उँगलियाँ ही झुलस जायेंगी ..इतनी गर्माहट थी उन तोप के गोलों में ..
पंडित जी ने सोच लिया की कोमल इतनी बेशर्मी से उन्हें अपने जलवे दिखा कर उन्हें सता रही है ..वो भी अब अपनी शर्म छोड़कर मैदान में कूद पड़े ..उन्होंने मन ही मन कुछ सोचा और कोमल से बोले ..
पंडित : "कोमल ...पता नहीं मुझे ये कहना चाहिए या नहीं ..पर तुम्हे ऐसे देखकर मुझे कुछ हो रहा है ..''
कोमल (अनजान सी बनती हुई) : "क्या हो रहा है पंडित जी .."
पंडित : "मैं तो क्या ...कोई भी इंसान तुम जैसी खूबसूरत लड़की को ऐसी हालत में देखकर अपने आप पर नियंत्रण नहीं रख पायेगा ..और मुझसे भी नियंत्रण नहीं हो पा रहा है ..''
कोमल (मन ही मन मुस्कुरायी ) : "क्या करने का मन कर रहा है आपका, पंडित जी .. "
पंडित : "वो ....वो ....तुम्हे छूने का मन कर रहा है ...''
इतना सुनते ही कोमल की ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे रह गयी ..उसकी समझ में नहीं आया की वो क्या बोले ..पंडित जी ने उसकी इतनी मदद की थी की वो उन्हें मना कर भी नहीं सकती थी ..और उनसे उसे अभी और भी दुसरे काम थे ...
कोमल : "ये ...ये ...आप क्या बोल रहे है ...पंडित जी ...मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा ...''
पंडित जी आगे आये और बोले : "तुम सब समझ रही हो कोमल ...मैं क्या बोल रहा हु ...देखो ...तुमने मेरा क्या हाल कर दिया है ..''
उन्होंने अपने आखिरी वार किया और अपने खड़े हुए लंड की तरफ इशारा किया जिसने पेंट में टेंट बनाया हुआ था ..
कोमल तो मंत्र्मुघ्ध सी होकर देखती ही रह गयी ...
पंडित जी को अब तक इतना तो पता चल ही चुका था की उसने आज तक किसी का लंड नहीं देखा है ..और लंड देखने की इच्छा हर जवान लड़की को होती है ..
पादित : "तुमने मुझे जो भी कहा ...मैंने किया ...अब मुझसे नहीं रहा जा रहा ..मुझे तुम्हे छुना है बस ...''
पंडित जी ने इस बार अपनी रणनिति बदल दी थी ...पहले वो हर लड़की को उस हद तक ले जाते थे जहाँ वो खुद उनके सामने अपने घुटने टेक देती थी ..पर कोमल के मामले में पंडित जी ने सोचा की अगर ये ऐसे ही उन्हें तरसाती रही तो उनकी सारी प्लानिंग धरी की धरी रह जायेगी ..इसलिए उन्होंने इस बार खुद ही पहल करने की सोची ..
कोमल कुछ नहीं बोल पा रही थी ..वो तो बस पंडित जी के शेर को घूरने में लगी हुई थी ..
पंडित जी ने उसकी मौन स्वीकृति समझी और आगे आकर अपने हाथ सीधा उसकी कमर पर रख दिए ..
वो कुछ समझ पाती , इससे पहले ही उन्होंने उसे अपनी तरफ खींचा और अपने गले से लगा कर जोर से भींच लिया ...उसके दशहरी आम पंडित जी के चोड़े सीने से पिचक गए ..
कोमल के मुंह से एक मीठी सी सिसकारी निकल गयी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म्म्म्म .....''
पंडित जी ने अपने हाथ उसके पुरे शरीर पर घुमाने शुरू कर दिए ..
उसके जिस्म की खुशबू पंडित जी को पागल कर रही थी ..वो अपने हाथों से उसकी नंगी पीठ को नोच से रहे थे ..और जैसे ही उन्होंने उसके नितम्बो को पकड़ कर अपनी उँगलियों से भींचा ..कोमल के मुंह से एक चीख सी निकली और उसने अपनी चूत वाला हिस्सा पंडित जी की खड़ी हुई तोप से सटा दिया ....
पंडित जी को ऐसा लगा की जैसे कोई जलता हुआ कोयला उनके लंड पर रख दिया हो कोमल ने ...
पंडित जी के हाथ जैसे ही आगे की तरफ आकर उसके उरोजों पर फिसले , वो छिटक कर दूर हो गयी ...
और गहरी साँसे लेते हुए बोली : "बस .....बस .....और नहीं ....बस ....अब चलो ....यहाँ से ...''
वो जैसे नींद से जागी थी ...
पंडित जी खुद को कोसने लगे की उन्होंने शायद जल्दबाजी कर दी है ...और अपने आप को बुरा भला कहते हुए वो कमरे से बाहर निकल आये ..
कुछ ही देर में कोमल भी आ गयी ..उसने एक सेट ले लिया था ...पर वो तीसरा वाला था, जिसे पंडित जी ने देखा भी नहीं था ..कोमल ने उसके पैसे दिए और बाहर निकल आई ..
पंडित जी भी बाहर आ गए ..
उसके बाद दोनों में कोई बात नहीं हुई ..और दोनों घर की तरफ चल दिए .
पर जाते हुए कोमल ने अगले दिन फिर से मिलने का वादा जरुर किया ..पंडित जी की सांस में सांस आई की चलो अच्छा है, इसने उतना भी बुरा नहीं माना जितना वो सोच रहे थे .
शाम को घर पहुंचकर पंडित जी नहाये और पूजा अर्चना करके वो मंदिर के बरामदे में उगे एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गए ..उन्हें आज अपने आप पर बहुत गुस्सा आ रहा था ..वो मन ही मन अपने आपको कोस रहे थे की आखिर उन्हें हुआ क्या था ..जो वो अपने आप पर कण्ट्रोल नहीं रख पाए ..
तभी पीछे से एक आवाज आई ...''पंडित जी ...ओ पंडित जी ..''
वो शीला थी ..जो शायद उन्हें ढूंढते -२ वहां पहुँच गयी थी ..
शीला : "अरे पंडित जी ..आप यहाँ क्यों बैठे है ..मैं आपको अन्दर ढूंढ रही थी ..''
पंडित जी (गुस्से में ) : "क्यों......किसलिए .. ढूंढ रही थी ...''
पंडित जी उसकी छोटी बहन कोमल का गुस्सा उसके ऊपर उतार रहे थे ..
पंडित जी के मुंह से ऐसी गुस्से से भरी बात सुनने का शायद शीला को भी अंदाजा नहीं था ..वो हकलाते हुए बोली : "वो तो मैं ...बस ..आपके लिए ...ये ....पकोड़े लायी थी ...घर पर बनाये थे ..तो सोचा आपके लिए ....लेती चलू ..''
उसकी आँखों से आंसू बहने लगे ..ये सब बोलते हुए ..
पंडित जी एक झटके से उठे और उन्होंने जाकर शीला के हाथो में पकड़ा बर्तन ले लिया और उसे अपने साथ बिठाया और बोले : "मुझे माफ़ कर दो शीला ....मैं किसी और बात को सोचकर परेशान था, जिसका गुस्सा तुमपर उतार दिया ..''
शीला सुबकते हुए बोली : "कक ..कोई बात नहीं ..मैं तो बस ...यु ही ...''
पंडित जी ने पकोड़े खाने शुरू कर दिए ..ताकि शीला को ज्यादा रोने का मौका न मिले ..
पंडित : "वाह ...ये तो बहुत स्वाद है। ...''
उन्होंने शीला को भी खाने के लिए बोला पर उसने मना कर दिया ...
शीला : "वो ..पंडित जी ...आपसे एक बात करनी थी ...''
पकोड़े खाते हुए पंडित जी बोले : "किस बारे में ....''
शीला : "जी ..वो ....कोमल के बारे में ..''
पंडित जी खाते -२ रुक गए ...उन्हें लगा की कही शीला को उन दोनों के बारे में पता तो नहीं चल गया है ...या फिर कोमल ने घर जाकर कुछ बोल तो नहीं दिया उनके बारे में ...
वो शीला की तरफ देखकर बोले : "कोमल के बारे में क्या बात ....''
शीला ने सर झुका लिया और बोली : "आप तो जानते है मैंने उसे दुनिया की हर बुरी चीज से बचा कर रखा है ...इसलिए उस दिन आपको भी मैंने बुरा भला बोल दिया था ..पर ...पर ...मुझे एक दो दिन से शक सा हो रहा है उसपर की वो किसी से मिलती है बाहर जाकर ...''
पंडित जी की दिल की धड़कन बंद सी होने लगी ये बात सुनकर ..वो बोले : "तुम ये सब कैसे कह सकती हो ...''
शीला : "वो दो दिनों से कुछ ज्यादा ही खुश दिख रही है ..हर समय गुनगुनाती रहती है ..कोई न कोई बहाना बनाकर बाहर भी चली जाती है ...और आज जब वो घर आई तो उसके बेग से ...मुझे ...दो मूवी टिकेट ...और ...और ...एक महंगी ब्रा पेंटी का सेट भी मिला ...''
इसकी माँ की चूत ...साली ने कल की टिकेट अभी तक संभाल कर रखी हुई है बेग में ...जैसे उसका रिफंड मिलेगा उसको ...साली ....चुतिया ...
पंडित : "को ...कौन सी मूवी ...''
शीला : "वो मैंने देखा नहीं ...पर क्या फर्क पड़ता है ...कोई तो था उसके साथ जो उसे मूवी भी दिखा लाया और इतनी महंगी ब्रा पेंटी भी दिलाकर लाया ...''
अब पंडित जी बेचारे उसे क्या बोलते की कोई और नहीं वो खुद थे उसके साथ ...और ब्रा पेंटी तो उसने खुद के पैसो से खरीदे हैं ..पर अभी कुछ बोलने का मतलब था शीला के गुस्से में झुलसना, , इसलिए वो चुप रहे ..
शीला : "पंडित जी ...मैं जानती हु की आप सोच रहे होंगे की मैं ये आपको किसलिए बोल रही हु ...दरअसल ..उसने आज आते ही बताया की उसे कल फिर से एक इंस्टिट्यूट जाना है ...और मुझे पक्का विशवास है की कल भी वो उस लड़के से जरुर मिलेगी ...मुझे तो वो साथ नहीं ले जा सकती ...इसलिए ..अगर ...अगर ..आप उसके साथ कल चले जाओ तो ...मैं आपका ये एहसान जिन्दगी भर नहीं भूलूंगी ...''
पंडित : "अच्छा ....तो ये बात है ...तभी ये पकोड़े बनाकर लायी थी तुम ..मुझसे अपनी बात मनवाने के लिए ...है न ...''
पंडित जी ने उसकी टांग खींचने के मकसद से कहा ..
शीला : "न ....नहीं पंडित जी ...ऐसा मत सोचिये ...मैं जानती हु की मैंने ही आपको उससे दूर रहने के लिए कहा था ...पर देखिये न ..कोई और आकर मेरी प्यारी गुडिया की जिन्दगी से ऐसे खेल रहा है ...वो बच्ची है अभी ..उसे यहाँ के लोगो के बारे में कुछ भी नहीं मालुम ..आप साथ रहेंगे तो मुझे भी आश्वासन रहेगा ..प्लीस ..पंडित जी ...''
***********
गतांक से आगे ......................
***********
पंडित जी के मुंह से अपने लिए सेक्सी शब्द सुनकर कोमल का चेहरा शर्म से लाल हो उठा ...वो मन ही मन ख़ुशी से झूम उठी ..गाँव में उसके कपड़ो से ढके शरीर को निहारने के लिए न तो कोई ढंग का लड़का था और न ही वहां का माहोल ऐसा था की वो छोटे कपड़ों में वहां घूम सके और देखने वालों को अपना दीवाना बना सके ..पर जब से वो शहर आई थी , उसके मन में वो सब करने और महसूस करने का जनून सवार हो गया था जिसके बारे में वो और उसकी सहेलियां बातें किया करती थी ..और यहाँ कोई उसे पहचानता भी नहीं था इसलिए वो ये सब बेशर्मी के साथ कर रही थी ..और किसी न किसी को तो अपना सीक्रेट पार्टनर बनाना ही था, और पंडित जी से अच्छा और कौन हो सकता था ..वो अपनी हद में रहकर ही उसकी सारी इच्छाएं पूरी करवाएंगे ..
पर यहाँ शायद कोमल गलत थी ..पंडित जी तो बस सही वक़्त का इन्तजार कर रहे थे ..
पंडित जी की नजरें तो कोमल के शरीर से चिपक सी गयी थी ..उसके सीने के उभार जहाँ से शुरू हो रहे थे, वहां एक लाल रंग का तिल था ..जो अलग से चमक रहा था ..पंडित जी ने मन ही मन निश्चय कर लिया की जल्द ही अपने होंठों के बीच इस तिल को भींच लेंगे ..
कोमल : "अब बस भी करो पंडित जी ...आप ऐसे देख रहे हैं मुझे शर्म आ रही है ...''
उसने अपने पैरों की उँगलियों से जमीन कुरेदते हुए कहा ..
पंडित जी ने जल्दी से अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया .
कोमल : "अब मैं आपको दूसरी वाली पहन कर दिखाती हु ..''
कुछ देर होने के बाद पंडित जी ने पूछा : "घूम जाऊ क्या ....?"
कोमल : "नहीं ...रुको जरा ....ये पहले वाली अभी तक नहीं उतरी ..इसका हुक अटक गया है ...''
पंडित जी बिना कुछ बोले उसकी तरफ घूम गए ..कोमल का चेहरा दूसरी तरफ था ..और उसके दोनों हाथ अपनी पीठ पर लगे हुए हुक को खोलने में जुटे थे ..पर वो खुल ही नहीं पा रहे थे ..
पंडित जी धीरे से आगे आये ..और कोमल के पीछे जाकर खड़े हो गए ..कोमल का चेहरा नीचे था और वो बड़ी संजीदगी से हुक खोलने में लगी थी, उसे पंडित जी के पीछे खड़े होने का एहसास भी नहीं हुआ ..और अचानक पंडित जी के हाथ ऊपर आये और उन्होंने कोमल के हाथों को पकड़ लिया ..कोमल का पूरा शरीर बर्फ जैसा ठंडा हो गया ..उसने नजरें ऊपर की तो सामने लगे शीशे में पंडित जी का चेहरा अपने कंधे के पीछे दिखा और दोनों की नजरें चार हुई ..कोई कुछ न बोला ..
और धीरे -२ पंडित जी ने कोमल के दोनों हाथों को पकड़कर नीचे कर दिया ...और खुद और करीब होकर उसकी पीठ से चिपक कर खड़े हो गए और सर झुका कर धीरे से उसके कान में बोले : "मैं खोल देता हु. ...''
कोमल बेचारी कुछ भी बोलने की हालत में नहीं थी ..उसके लगभग नग्न शरीर को छूने वाला वो पहला व्यक्ति था ..उसके पुरे शरीर में चींटियाँ सी रेंग रही थी ..उसके दिल की धड़कन धोंकनी की तरह से चल रही थी ..
पंडित जी की अनुभवी उँगलियों ने ब्रा के क्लिप को अपने हाथ में पकड़ा और खींचा पर वो खुली नहीं ..उन्होंने नीचे झुक कर देखा तो पाया की वहां तीन हुक लगी हुई थी ..जिसमे से एक हुक अन्दर की तरफ मुड़ गयी थी इसलिए वो खुल नहीं रही थी ..उन्होंने अपनी ऊँगली के नाख़ून से उसे सीधा करने की कोशिश की पर कोई फायेदा नहीं हुआ ..वहां कोई पेनी चीज भी नहीं थी जिसकी मदद से वो हुक को सीधा कर पाते ..
उन्होंने कोमल से कहा : "ओहो ...यहाँ तो हुक अन्दर की तरफ मुड़ गया है ..इसे सीधा करने के लिए कोई नुकीली चीज चाहिए ...रुको ...मैं एक कोशिश करता हु ..''
इतना कहकर उन्होंने अपना चेहरा नीचे किया और हुक को पकड़कर अपने मुंह में ले गए और उसे अपने पैने दांत के बीच फंसाकर उसे सीधा करने लगे ..
कोमल का पूरा शरीर एक दम से ऐंठ गया ...क्योंकि पंडित जी के गीले होंठों ने उसकी पीठ को छु लिया था ..
और ये सब पंडित जी ने जान बूझकर किया था ..उन्होंने बिना किसी चेतावनी के उसकी ब्रा के स्ट्रेप को अपने मुंह में डाल लिया था और अपने होंठों को गीला करके उन्हें उसकी पीठ से भी छुआ दिया था ..
और उसकी पीठ के मखमली एहसास को अपने होंठों पर महसूस करके पंडित जी का लोड़ा टनटना उठा ..
एक मिनट तक कोमल की ब्रा के स्ट्रेप को अपने मुंह में चुभलाने के बाद आखिर उन्होंने हुक को सीधा कर ही दिया ..पंडित जी की ये कलाकारी देखकर कोमल बोली : "वाह पंडित जी ...बड़ी ट्रिक्स आती है आपको ..''
पंडित जी मुस्कुरा दिए ..और कुछ न बोले ...और उन्होंने ब्रा के स्ट्रेप को एकदम से खोल दिया और दोनों तरफ के स्ट्रेप झटके से आगे की तरफ गए, अगर कोमल ने सही वक़्त पर हाथ लगा कर ब्रा को रोक न लिया होता तो वो छिटक कर दूर जा गिरती और पंडित जी की आँखों की अच्छी खासी सिकाई हो चुकी होती ..
कोमल ने गुलाबी आँखों को तरेर कर हँसते हुए पंडित जी से कहा : "आप तो बड़े बदमाश हो पंडित जी ...चलो अब घूम जाओ ..मुझे दूसरी पहन कर दिखानी है आपको ..''
पंडित जी वापिस अपनी पोसिशन में आ गए ..
कुछ ही देर में कोमल की आवाज आई ..: "अब देखिये ...''
पंडित जी घूमे तो उनके दिल की धड़कन रूकती हुई सी महसूस हुई ..
कोमल ने सिंगल पीस बिकनी पहनी हुई थी ...सिल्वर कलर की ..जिसमे से उसके सोने जैसा बदन झाँक रहा था ..मोटी और भरवां टांगें ...मोटी गांड ...आधी नंगी छातियाँ ...वो देखने में किसी सेक्स बम जैसी लग रही थी ..
कोमल (इतराते हुए) : "क्या हुआ पंडित जी ...बोलती क्यों बंद हो गयी आपकी ..बताइए न ..कैसी लगी ये वाली ...''
पंडित जी की नजरें तो उसके बदन की फोटोकॉपी करने में लगी हुई थी ..जिसे वो अपने जहन में हमेशा के लिए बसाकर रखना चाहते थे ..
वो आगे आये और कोमल के पास आकर खड़े हो गए ..कोमल की साँसे फिर से तेज हो गयी .
पंडित जी के हाथ धीरे से ऊपर उठे और वो कोमल के मोटे - २ मुम्मों की तरफ बड़े ..
कोमल की तो हालत ही खराब हो गयी ..उसकी समझ में नहीं आ रहा था की ये अचानक पंडित जी को हुआ क्या है ..वो ऐसा क्यों कर रहे हैं ..
पंडित जी के हाथ उसके मुम्मों के ऊपर की तरफ आये और वहां से नीचे आ रही ब्रा के कपडे को उन्होंने सीधा किया और बोले : "ये यहाँ से कपडा सीधा नहीं था ...अब ठीक है ...''
पंडित जी ने बड़ी चतुराई से उसके उरोजों की नरमाहट अपनी उँगलियों से महसूस कर ली थी ..जिसे छुकर उन्हें लगा की उनकी उँगलियाँ ही झुलस जायेंगी ..इतनी गर्माहट थी उन तोप के गोलों में ..
पंडित जी ने सोच लिया की कोमल इतनी बेशर्मी से उन्हें अपने जलवे दिखा कर उन्हें सता रही है ..वो भी अब अपनी शर्म छोड़कर मैदान में कूद पड़े ..उन्होंने मन ही मन कुछ सोचा और कोमल से बोले ..
पंडित : "कोमल ...पता नहीं मुझे ये कहना चाहिए या नहीं ..पर तुम्हे ऐसे देखकर मुझे कुछ हो रहा है ..''
कोमल (अनजान सी बनती हुई) : "क्या हो रहा है पंडित जी .."
पंडित : "मैं तो क्या ...कोई भी इंसान तुम जैसी खूबसूरत लड़की को ऐसी हालत में देखकर अपने आप पर नियंत्रण नहीं रख पायेगा ..और मुझसे भी नियंत्रण नहीं हो पा रहा है ..''
कोमल (मन ही मन मुस्कुरायी ) : "क्या करने का मन कर रहा है आपका, पंडित जी .. "
पंडित : "वो ....वो ....तुम्हे छूने का मन कर रहा है ...''
इतना सुनते ही कोमल की ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे रह गयी ..उसकी समझ में नहीं आया की वो क्या बोले ..पंडित जी ने उसकी इतनी मदद की थी की वो उन्हें मना कर भी नहीं सकती थी ..और उनसे उसे अभी और भी दुसरे काम थे ...
कोमल : "ये ...ये ...आप क्या बोल रहे है ...पंडित जी ...मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा ...''
पंडित जी आगे आये और बोले : "तुम सब समझ रही हो कोमल ...मैं क्या बोल रहा हु ...देखो ...तुमने मेरा क्या हाल कर दिया है ..''
उन्होंने अपने आखिरी वार किया और अपने खड़े हुए लंड की तरफ इशारा किया जिसने पेंट में टेंट बनाया हुआ था ..
कोमल तो मंत्र्मुघ्ध सी होकर देखती ही रह गयी ...
पंडित जी को अब तक इतना तो पता चल ही चुका था की उसने आज तक किसी का लंड नहीं देखा है ..और लंड देखने की इच्छा हर जवान लड़की को होती है ..
पादित : "तुमने मुझे जो भी कहा ...मैंने किया ...अब मुझसे नहीं रहा जा रहा ..मुझे तुम्हे छुना है बस ...''
पंडित जी ने इस बार अपनी रणनिति बदल दी थी ...पहले वो हर लड़की को उस हद तक ले जाते थे जहाँ वो खुद उनके सामने अपने घुटने टेक देती थी ..पर कोमल के मामले में पंडित जी ने सोचा की अगर ये ऐसे ही उन्हें तरसाती रही तो उनकी सारी प्लानिंग धरी की धरी रह जायेगी ..इसलिए उन्होंने इस बार खुद ही पहल करने की सोची ..
कोमल कुछ नहीं बोल पा रही थी ..वो तो बस पंडित जी के शेर को घूरने में लगी हुई थी ..
पंडित जी ने उसकी मौन स्वीकृति समझी और आगे आकर अपने हाथ सीधा उसकी कमर पर रख दिए ..
वो कुछ समझ पाती , इससे पहले ही उन्होंने उसे अपनी तरफ खींचा और अपने गले से लगा कर जोर से भींच लिया ...उसके दशहरी आम पंडित जी के चोड़े सीने से पिचक गए ..
कोमल के मुंह से एक मीठी सी सिसकारी निकल गयी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म्म्म्म .....''
पंडित जी ने अपने हाथ उसके पुरे शरीर पर घुमाने शुरू कर दिए ..
उसके जिस्म की खुशबू पंडित जी को पागल कर रही थी ..वो अपने हाथों से उसकी नंगी पीठ को नोच से रहे थे ..और जैसे ही उन्होंने उसके नितम्बो को पकड़ कर अपनी उँगलियों से भींचा ..कोमल के मुंह से एक चीख सी निकली और उसने अपनी चूत वाला हिस्सा पंडित जी की खड़ी हुई तोप से सटा दिया ....
पंडित जी को ऐसा लगा की जैसे कोई जलता हुआ कोयला उनके लंड पर रख दिया हो कोमल ने ...
पंडित जी के हाथ जैसे ही आगे की तरफ आकर उसके उरोजों पर फिसले , वो छिटक कर दूर हो गयी ...
और गहरी साँसे लेते हुए बोली : "बस .....बस .....और नहीं ....बस ....अब चलो ....यहाँ से ...''
वो जैसे नींद से जागी थी ...
पंडित जी खुद को कोसने लगे की उन्होंने शायद जल्दबाजी कर दी है ...और अपने आप को बुरा भला कहते हुए वो कमरे से बाहर निकल आये ..
कुछ ही देर में कोमल भी आ गयी ..उसने एक सेट ले लिया था ...पर वो तीसरा वाला था, जिसे पंडित जी ने देखा भी नहीं था ..कोमल ने उसके पैसे दिए और बाहर निकल आई ..
पंडित जी भी बाहर आ गए ..
उसके बाद दोनों में कोई बात नहीं हुई ..और दोनों घर की तरफ चल दिए .
पर जाते हुए कोमल ने अगले दिन फिर से मिलने का वादा जरुर किया ..पंडित जी की सांस में सांस आई की चलो अच्छा है, इसने उतना भी बुरा नहीं माना जितना वो सोच रहे थे .
शाम को घर पहुंचकर पंडित जी नहाये और पूजा अर्चना करके वो मंदिर के बरामदे में उगे एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गए ..उन्हें आज अपने आप पर बहुत गुस्सा आ रहा था ..वो मन ही मन अपने आपको कोस रहे थे की आखिर उन्हें हुआ क्या था ..जो वो अपने आप पर कण्ट्रोल नहीं रख पाए ..
तभी पीछे से एक आवाज आई ...''पंडित जी ...ओ पंडित जी ..''
वो शीला थी ..जो शायद उन्हें ढूंढते -२ वहां पहुँच गयी थी ..
शीला : "अरे पंडित जी ..आप यहाँ क्यों बैठे है ..मैं आपको अन्दर ढूंढ रही थी ..''
पंडित जी (गुस्से में ) : "क्यों......किसलिए .. ढूंढ रही थी ...''
पंडित जी उसकी छोटी बहन कोमल का गुस्सा उसके ऊपर उतार रहे थे ..
पंडित जी के मुंह से ऐसी गुस्से से भरी बात सुनने का शायद शीला को भी अंदाजा नहीं था ..वो हकलाते हुए बोली : "वो तो मैं ...बस ..आपके लिए ...ये ....पकोड़े लायी थी ...घर पर बनाये थे ..तो सोचा आपके लिए ....लेती चलू ..''
उसकी आँखों से आंसू बहने लगे ..ये सब बोलते हुए ..
पंडित जी एक झटके से उठे और उन्होंने जाकर शीला के हाथो में पकड़ा बर्तन ले लिया और उसे अपने साथ बिठाया और बोले : "मुझे माफ़ कर दो शीला ....मैं किसी और बात को सोचकर परेशान था, जिसका गुस्सा तुमपर उतार दिया ..''
शीला सुबकते हुए बोली : "कक ..कोई बात नहीं ..मैं तो बस ...यु ही ...''
पंडित जी ने पकोड़े खाने शुरू कर दिए ..ताकि शीला को ज्यादा रोने का मौका न मिले ..
पंडित : "वाह ...ये तो बहुत स्वाद है। ...''
उन्होंने शीला को भी खाने के लिए बोला पर उसने मना कर दिया ...
शीला : "वो ..पंडित जी ...आपसे एक बात करनी थी ...''
पकोड़े खाते हुए पंडित जी बोले : "किस बारे में ....''
शीला : "जी ..वो ....कोमल के बारे में ..''
पंडित जी खाते -२ रुक गए ...उन्हें लगा की कही शीला को उन दोनों के बारे में पता तो नहीं चल गया है ...या फिर कोमल ने घर जाकर कुछ बोल तो नहीं दिया उनके बारे में ...
वो शीला की तरफ देखकर बोले : "कोमल के बारे में क्या बात ....''
शीला ने सर झुका लिया और बोली : "आप तो जानते है मैंने उसे दुनिया की हर बुरी चीज से बचा कर रखा है ...इसलिए उस दिन आपको भी मैंने बुरा भला बोल दिया था ..पर ...पर ...मुझे एक दो दिन से शक सा हो रहा है उसपर की वो किसी से मिलती है बाहर जाकर ...''
पंडित जी की दिल की धड़कन बंद सी होने लगी ये बात सुनकर ..वो बोले : "तुम ये सब कैसे कह सकती हो ...''
शीला : "वो दो दिनों से कुछ ज्यादा ही खुश दिख रही है ..हर समय गुनगुनाती रहती है ..कोई न कोई बहाना बनाकर बाहर भी चली जाती है ...और आज जब वो घर आई तो उसके बेग से ...मुझे ...दो मूवी टिकेट ...और ...और ...एक महंगी ब्रा पेंटी का सेट भी मिला ...''
इसकी माँ की चूत ...साली ने कल की टिकेट अभी तक संभाल कर रखी हुई है बेग में ...जैसे उसका रिफंड मिलेगा उसको ...साली ....चुतिया ...
पंडित : "को ...कौन सी मूवी ...''
शीला : "वो मैंने देखा नहीं ...पर क्या फर्क पड़ता है ...कोई तो था उसके साथ जो उसे मूवी भी दिखा लाया और इतनी महंगी ब्रा पेंटी भी दिलाकर लाया ...''
अब पंडित जी बेचारे उसे क्या बोलते की कोई और नहीं वो खुद थे उसके साथ ...और ब्रा पेंटी तो उसने खुद के पैसो से खरीदे हैं ..पर अभी कुछ बोलने का मतलब था शीला के गुस्से में झुलसना, , इसलिए वो चुप रहे ..
शीला : "पंडित जी ...मैं जानती हु की आप सोच रहे होंगे की मैं ये आपको किसलिए बोल रही हु ...दरअसल ..उसने आज आते ही बताया की उसे कल फिर से एक इंस्टिट्यूट जाना है ...और मुझे पक्का विशवास है की कल भी वो उस लड़के से जरुर मिलेगी ...मुझे तो वो साथ नहीं ले जा सकती ...इसलिए ..अगर ...अगर ..आप उसके साथ कल चले जाओ तो ...मैं आपका ये एहसान जिन्दगी भर नहीं भूलूंगी ...''
पंडित : "अच्छा ....तो ये बात है ...तभी ये पकोड़े बनाकर लायी थी तुम ..मुझसे अपनी बात मनवाने के लिए ...है न ...''
पंडित जी ने उसकी टांग खींचने के मकसद से कहा ..
शीला : "न ....नहीं पंडित जी ...ऐसा मत सोचिये ...मैं जानती हु की मैंने ही आपको उससे दूर रहने के लिए कहा था ...पर देखिये न ..कोई और आकर मेरी प्यारी गुडिया की जिन्दगी से ऐसे खेल रहा है ...वो बच्ची है अभी ..उसे यहाँ के लोगो के बारे में कुछ भी नहीं मालुम ..आप साथ रहेंगे तो मुझे भी आश्वासन रहेगा ..प्लीस ..पंडित जी ...''
-
- Platinum Member
- Posts: 1803
- Joined: 15 Oct 2014 22:49
Re: पंडित & शीला
पंडित & शीला पार्ट--51
***********
गतांक से आगे ......................
***********
पंडित जी के मन में तो लड्डू से फुट रहे थे ..वो तो वैसे भी कोमल के साथ जाना चाहते थे ...उसकी सारी इच्छाएं जो पूरी करनी थी उन्हें ....
पंडित जी (अकड़ के साथ) : "पर इन सबमे मुझे क्या मिलेगा ...''
शीला : "मैं हु न उसके लिए ...आप जो कहोगे मैं करुँगी ...आपकी गुलाम बनकर रहूंगी ..''
पंडित जी ने भी चतुराई से काम लिया और बोले : "तुम्हारी बहन सच में बहुत सुन्दर है ..और इसमें कोई शक नहीं है की जब मैंने उसे देखा था तो मेरे मन में भी उसे ...चोदने का ख़याल आया था ..''
शीला फटी हुई आँखों से पंडित जी को देखने लगी ..
पंडित : "पर तुम्हारे कहने पर मैंने वो इरादा बदल दिया था ..और अब तुम चाहती हो की मैं उसके साथ रहू ..और फिर भी मेरे मन में उसके लिए वैसे विचार ना आये ...तो तुम्हे मेरे सामने कोमल बनकर रहना होगा ..मतलब, मैं तुम्हारे साथ जो भी करूँगा वो कोमल समझकर और तुम भी मेरे सामने अपने आपको कोमल बुलाओगी ..बोलो मंजूर है ...''
शीला ने कुछ देर तक सोचा ..और धीरे से बोली : "ठीक है ...मुझे कोई आपत्ति नहीं है इसमें ..''
पंडित : "चलो ..मेरे कमरे में जाओ ..और सारे कपडे उतारकर मेरी प्रतीक्षा करो ...मैं अभी आता हु बस ..कोमल''
कोमल नाम लेते हुए पंडित जी ने कुछ ज्यादा ही जोर दिया ...
शीला ने उनकी बात मान ली और उठकर उनके कमरे की तरफ चल दी ..
पंडित जी भी पांच मिनट के बाद अन्दर की तरफ चल दिए ..
और उनकी आशा के अनुरूप वहां शीला बैठी थी ...जमीन पर ...पूरी नंगी ..
पंडित जी उसके सामने जाकर खड़े हो गए ..और बोले : "कोमल ...चल चूस मेरा लंड ...''
कोमल उर्फ़ शीला ने बिना किसी परेशानी के पंडित जी के लंड को अपने मुंह में धकेला और चूसने लगी ..
पंडित जी : "साली ...तू फिर से शीला बन गयी ...पता है न तू कोमल है ...जिसने आज तक कोई लंड नहीं देखा ...तू तो ऐसे चूसने लग गयी जैसे बचपन से चूसती आई है ..''
शीला को अपनी गलती का एहसास हुआ ...उसने खुद को मन ही मन कोमल के जैसा अबोध और नादान सोचा और फिर पंडित जी के लंड को पकड़कर धीरे से मुंह में डाला ...और हलके से काट लिया ...
पंडित जी दर्द से बिलबिला उठे ...''अह्ह्ह्ह्ह ....सास्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स लिईईईईइ … ....काटती है ...''
शीला : "ओहो ....माफ़ करना ...मुझे पता नहीं है न ..की कैसे चूसते हैं ...''
वो कोमल के केरेक्टर में घुस चुकी थी ..
पंडित जी : "चल ...अब ज्यादा नाटक मत कर ....जोर-२ से चूस इसे ...रंडी की तरह ... ''
पंडित जी की परमिशन मिलते ही उसने उन्हें बिस्तर पर लिटाया और उनके लंड को पागल कुतिया की तरह नोचने - खसोटने लगी, अपने मुंह से ...
"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......मेरी जान .....उम्म्म्म्म्म ...धीरे .....चूस .... ....मेरी रानी .....कोमल .....''
उनकी आँखे बंद थी ...दिमाग में कोमल घूम रही थी ...और वो भी लंड चूसती हुई ...और उनके मुंह से भी उसका ही नाम निकल रहा था ..और सामने लंड चूसने वाली कोई और नहीं शीला थी, कोमल की बड़ी बहन ...ये सब करिश्मा पंडित जी ही कर सकते हैं बस ..
अब पंडित जी के लंड की पिचकारियाँ जल्द ही निकलने वाली थी ...उन्होंने शीला को उठाकर बिस्तर पर पटका और बोले : "अब मैं तुझे चोदुंगा .....और तू चीखेगी भी ऐसे , जैसे पहली बार चुदने पर चीखी थी तू ..''
शीला की हालत तो बस ऐसी थी की उसकी गीली चूत में लंड आ जाए ...उसने हाँ में सर हिलाया ..और अपनी टाँगे फेला दी और उन्हें ऊपर करके अपने हाथों से बाँध लिया ......अपने मालिक के लिए ..
पंडित जी आगे आये और उन्होंने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रखा और एक जोरदार पंजाबी झटके के साथ उन्होंने अपना पूरा लंड अन्दर पेल दिया ...
''आआयीईईई .......मर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र .....गयी ......रे .......अह्ह्ह्ह्ह्ह ..........पंडित जी ........चोद डाला ......आपने कोमल को ......अह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म .....दर्द हो रहा है ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ...''
उसे तो मजा आ रहा था ...ये सब तो वो बस पंडित जी को खुश करने के लिए बोल रही थी ...ताकि वो उसकी जमकर चुदाई करे ...
और पंडित जी ने किया भी वैसे ही ...उन्होंने उसकी चूत का ऐसा बेंड बजाया ...ऐसा बंद बजाया ...की उसकी चूत का पानी बूंदों की किश्तों के रूप में बाहर की तरफ निकलने लगा ...
''अह्ह्ह ....अह्ह्ह्ह्ह ....ओफ्फ्फ प…. ....पंडित जी .......आपने तो ....अह्ह्ह्ह ...फाड़ डाली .....अह्ह्ह ...मेरी कच्ची चूत .....अह्ह्ह .....पर .....अह्ह्ह ....मजा ....आ रहा है .....अह्ह्ह ....''
पंडित जी : "मैंने कहा था न कोमल ....मजा आएगा ....मेरा लंड है ही ऐसा ......तू पता नहीं किसके साथ घूमती है ...कैसा होगा वो ...असली मजा लेना है तो ...मेरे लंड से ही चुदियो ....समझी .....''
पंडित जी ने बातों ही बातों में अपनी मन की बात शीला को बता दी ...और शीला भी शायद समझ गयी थी पंडित जी के कहने का क्या मतलब है ...पर चुदाई के खुमार में वो ऐसी डूबी हुई थी की वो कुछ बोल ही नहीं पा रही थी ...
और एक जोरदार झटके के साथ ...शीला की चूत में से एक ज्वालामुखी फट पड़ा ....
और रास्ते में आ रहे लंड को बाहर धकेलता हुआ फुव्वारे के रूप में बाहर उछला ...
''अह्ह्ह्ह्ह ......पंडित जी ......मैं तो गयी ............अह्ह्ह्ह्ह ......गयी आपकी कोमल .....''
पंडित जी ने एक दो झटके और मारे तो उन्हें भी लगने लगा की वो भी झड़ने वाले है ...उन्होंने अपना लंड बाहर निकाल और एक झटके से शीला को पलटकर उल्टा कर दिया ...और अपने लंड को मसलकर जोरदार पिचकारियाँ मारी और अपने रस से उसकी गांड के ग्लोब को ढक दिया ...
शीला बेचारी गहरी साँसे लेती हुई अपने आप पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी ...
कुछ ही देर में शीला वहां से चली गयी ...कल के लिए उसने बोल दिया था की वो कोमल को उनके पास ही भेज देगी ..
पंडित जी मन ही मन बहुत खुश थे ...अब वो थोडा आराम करना चाहते थे ...
क्योंकि रात को …
वादे के मुताबीक ....
रितु आने वाली थी ...
अपनी माँ माधवी को लेकर ...
और उन दोनों को एकसाथ चोदने की इच्छा पंडित जी के मन में ना जाने कब से थी ..
शाम को पंडित जी ने खाना जल्दी खा लिया ..बादाम वाला दूध भी पी लिया, जिसकी उन्हें आजकल कुछ ज्यादा ही जरुरत महसूस हो रही थी ..और पुरे आठ बजे उनके घर का दरवाजा खडका ..उन्होंने जल्दी से जाकर दरवाजा खोल दिया ..
सामने रितु खड़ी थी ..उसके चेहरे की मुस्कराहट और चमक बता रही थी की वो आज कितनी खुश है ..
और उसके पीछे शरमा कर खड़ी हुई माधवी को देखकर पंडित जी का लोड़ा एकदम से टन्ना गया ..उसके चेहरे की लालिमा बता रही थी की वो कितना असहज महसूस कर रही है अपनी बेटी के साथ आकर ..
दोनों अन्दर आ गयी और पंडित जी ने दरवाजा बंद कर दिया ..
हमेशा की तरह पंडित जी ने धोती और कुरता पहना हुआ था ..रितु ने टी शर्ट और पायजामा और माधवी ने सलवार सूट ..
माधवी सीधा जाकर पंडित जी के बेड पर बैठ गयी .
रितु : "ये क्या माँ ..जब से हम घर से निकले हैं, आप तो ऐसे शरमा रहे हो जैसे पहली बार कर रहे हो ये सब ...''
माधवी कुछ ना बोली
रितु : "देखो माँ ..आप अगर ऐसे ही शर्माते रहोगे तो वो कैसे करोगी जो करने आई हो ..ओफ्फो ..आपको ऐसे बैठना है तो बैठो ..मुझसे तो रहा नहीं जा रहा अब ..''
इतना कहते ही वो पंडित जी पर ऐसे झपटी जैसे कोई लोमड़ी अपने शिकार पर झपटती है ..उसने पंडित जी को अपनी बाहों में दबोचा और उन्हें लेकर बेड पर गिर पड़ी ..जहाँ उसकी माँ पहले से सकुचाई सी बैठी थी ..
पंडित जी ने भी अपने आप को रितु के जज्बातों के हवाले कर दिया ..और उसकी उत्तेजना का मजा लेने लगे ..
रितु ने पंडित जी के लंड वाले हिस्से पर अपनी गरम चूत को लगाया और उसे जोर से दबा कर उसकी कठोरता का एहसास अपनी चूत पर लेते हुए एक जोरदार सिसकारी मारकर अपने होंठो से पंडित जी के होंठों को दबोच लिया ..और उन्हें बुरी तरह से चूसने लगी ..
''उम्म्म्म्म्म्म ......पुच्च्छ्ह्ह्ह्ह्ह ....मुच्च्छ्ह्ह .....अह्ह्ह्ह्ह ....''
रितु आज कुछ ज्यादा ही उत्तेजित लग रही थी ..वो तो पंडित जी को खा जाने वाले मूड से आई थी आज ..
पंडित जी की नजरें बेड पर बैठी हुई माधवी की तरफ थी ..जो कनखियों से अपनी बेटी को बेशर्मी से पंडित जी का रस पीते हुए देख रही थी ..माधवी के गुलाबी होंठ फड़क रहे थे ..उसके मुंह में भी पानी आ रहा था ..पर शायद किसी चीज ने रोक हुआ था उसके अन्दर की जानवर को .
पर पंडित जी को मालुम था की ऐसे तूफ़ान को ज्यादा देर तक अपने अन्दर संभाल कर रखना संभव नहीं है ..वो कहते है ना .. खाने और सेक्स में शरम करोगे तो नुक्सान अपना ही है ..
रितु ने अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए ..और एक मिनट के अन्दर ही वो पूरी नंगी थी ..उसने पंडित जी को भी नंगा करने में ज्यादा देर नहीं लगायी ..
और जैसे ही उसकी आँखों के सामने पंडित जी का खड़ा हुआ लंड आया ..वो प्यासी छिपकली की तरह अपनी जीभ लपलपाती हुई उनके लंड के ऊपर आई और उसे अपने मुंह में धकेल दिया ..
और उनके लंड को लोलीपोप की तरह चूसते हुए उसका रस पीने लगी .
अपनी माँ की तरफ देखा तो पाया की वो अब भी ललचाई हुई नजरों से उन दोनों को ही देख रही है ..
रितु ने लंड बाहर निकाला और माधवी से बोली : "माँ ..तुम यहाँ क्या ऐसे ही बैठने के लिए आई हो ...''
माधवी : "तू कर ले ...मैं बाद में करती हु ...''
उसने कह तो दिया था ..पर पंडित जी जानते थे की ऐसी हालत में काबू पाकर रखना ज्यादा देर तक मुमकिन नहीं है ..
उनके दिमाग में एक आईडिया आया ..माधवी को ललचाने का ..उसे ऐसे -२ सीन देखाए जाए जिन्हें देखकर माधवी अपने आप पर काबू न रख पाए और कूद पड़े बीच में ही ..
उन्होंने रितु को बेड के ऊपर खींचा और खुद नीचे टाँगे लटका कर बैठ गए ..और खड़ी हुई रितु की चूत को अपने मुंह के सामने रखकर अपना मुंह वहां लगा दिया और उसके शरीर के लचीलेपन से तो वो वाकिफ थे ही ..उन्होंने धीरे - २ रितु के ऊपर वाले हिस्से को पीछे करके पूरा झुका दिया ..और अपना खड़ा हुआ लंड उसके घूम कर उल्टा हुए मुंह के अन्दर ड़ाल दिया ..
बड़ा ही अजीब आसन बना वो ..पर दोनों को मजा काफी आ रहा था इसमें ..
रितु की चूत की फांके संतरे की तरह फेल कर बाहर निकल रही थी जिनपर लगा हुआ रस पंडित जी अपनी जीभ से किसी कुत्ते की तरह चाट कर साफ़ कर रहे थे .
उसी तरह उनका खड़ा हुआ लंड रितु के मुंह के अन्दर तक घुस रहा था, कारण था उसका एंगल , क्योंकि पंडित जी का लंड मुड़ा हुआ था बीच में से ..
दोनों को ऐसी हालत में देखकर माधवी की चूत की टंकी ऐसे बहने लगी जैसे वहां से कोई ढक्कन हटा दिया हो ..
उसके हाथ अपने आप रेंगने लगे अपनी चूत के ऊपर ..पंडित जी समझ गए की अब यही वक़्त है ..उन्होंने रितु को अपने चुंगल से आजाद किया और उसके कान में कुछ कहा ..
उसके बाद दोनों ने माधवी को खड़ा किया और पीछे से रितु और आगे से पंडित जी ने उसको अपनी बाहों में जकड लिया ..
रितु ने माधवी के कान में कहा : "माँ ...अब देखना ..आपके साथ क्या होता है ..''
इतना कहते ही रितु ने अपनी माँ की कमीज पकड़कर ऊपर उठा दी ..माधवी ने भी अपने हाथ ऊपर किये और कमीज निकाल दी ..और जैसे ही उसकी गोरी चूचियां सामने आई, पंडित जी ने लपक कर अपना मुंह उसकी गुदाज छातियों पर दे मारा ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म्म ....पंडित जी .....''
उसने पंडित जी का सर अपनी छाती पर जोर से दबा दिया ..
पीछे से रितु ने अपनी माँ की ब्रा खोल दी ..और अपने हाथ आगे करके उसकी छातियों को अपने हाथों में पकड़ लिया ..
ये पहला मौका था जब रितु ने अपनी माँ की ब्रैस्ट को पकड़ा था ..वो इतनी बड़ी और मुलायम थी की उसे खुद अपनी माँ से इश्र्या होने लगी ..
उसने अपने हाथों में दोनों थन पकड़कर पंडित जी के मुंह के आगे परोस दिए ..जिसे पंडित जी ने ख़ुशी -२ ग्रहण कर लिया ..
माधवी चिहुंक उठी ...
''आउय्य्यीईईइ .........धीरे .....काटो मत .......चूसऒऒऒओ ......अह्ह्ह्ह्ह्ह .....''
पर पंडित जी अब कहाँ मानने वाले थे ..उन्होंने माधवी के चिकन मोमोज को इतनी बुरी तरह से झंझोड़ा की उसने पंडित जी के मुंह को अपनी छातियों पर जोर से भींच कर वहीँ दबा दिया ..ताकि वो अपने दांतों से उनकी दुर्गति ना कर पाए ..
इसी बीच रितु ने माधवी की सलवार का नाड़ा खोलकर उसे नीचे गिरा दिया ..नीचे उसने हमेशा की तरह कच्छी नहीं पहनी हुई थी ..
रितु ने अपने हाथ की तीन उँगलियाँ एक साथ आगे लेजाकर अपनी माँ की चूत में डाल दी ..और पीछे से अपने होंठों को उनकी गर्दन पर रखकर वहां चूसने लगी ..
''अय्य्य्य्य्य्य्य्य्य ........उम्म्म्म्म्म्म्म ......उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ..... ''
इतना मजा तो उसे आज तक नहीं आया था ..एक साथ चार हाथ और दो -२ होंठों के प्रहार से उसका शरीर कांपने सा लगा ...
और वो झड गयी ...थोड़ी देर के लिए ही सही, पर वो शांत हो गयी थी ..
रितु के हाथ में अपनी माँ की चूत से निकला अमृत आया और उसने उसे पी लिया ..
अब उसकी चूत में भी खुजली हो रही थी ..
माधवी को थोडा टाइम लगना था फिर से चार्ज होने में, इसलिए रितु ने उन्हें सोफे पर बिठा दिया ..और खुद जाकर बेड पर लेट गयी ..पंडित जी को पता था की अब क्या करना है ..
वो जाकर रितु के साईड में लेट गए ..और उसकी टांग को उठा कर अपना पपलू वहां फिट कर दिया ..और उसकी आँखों में देखकर एक कसक से भरा झटका अन्दर की तरफ मारा ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .........ओम्म्म्म्म्म्म्म ......पंडित ......जी ......स्स्स्स्स्स ......मार ही डालोगे .....उम्म्म्म ...''
रितु की गर्दन को उन्होंने बुरी तरह से पकड़ा हुआ था ..और उसके हिलते हुए मुम्मों पर उनकी पकड़ ऐसी थी मानो गोंद से चिपका दिए हो उनके हाथ वहां पर ..
रितु : "अह्ह्ह्ह .....ओह्ह्ह ......अब बोलो ........किसके साथ ज्यादा मजा आता है .....उम्म्म्म .....बोलो ....मम्मी ....के साथ .....या ....मेरे ....साथ ....''
ओ तेरी .....ये कैसा सवाल पूछ रही है ये ....और वो भी अपनी माँ के सामने ...
रितु : "बोलो ....अह्ह्ह्ह ......किसकी .....चूत मारने में ज्यादा मजा आता है ...उम्म्म्म ...ओफ्फ्फ ....ओफ्फ्फ ....अह्ह्ह्ह ....बोलो ना ...मेरे राजा ....''
वो पंडित जी को ललचा रही थी ...उसके अन्दर शायद कुछ चल रहा था और वो उसका जवाब चाहती थी ...शायद वो जानना चाहती थी की उसके होते हुए अब तक आखिर पंडित जी उसकी माँ के भी पीछे क्यों पड़े हैं ..पर उस बेचारी को कौन समझाए की औरत की उम्र में साथ उसकी सेक्स करने की पॉवर में भी बढोतरी होती चली जाती है ..बशर्ते उसका मन हो वो सब करने में ..एक्सपीरियंस वाली औरत जो मजा दे सकती है, वो आजकल में चुदना सीखी लड़कियां क्या देंगी ..पर अभी कुछ बोलने का मतलब था एक को नाराज करना और पंडित जी ऐसा हरगिज नहीं चाहते थे ..
वो बोले : "तुम दोनों ....अहह ....अपनी-२ जगह पर ज्यादा मजे देती हो ......उम्म्म .....दोनों को ...अ ह्ह्ह्ह्ह ....एक साथ करूँगा ....तब बताऊंगा ....अभी तो तू ऊपर आ मेरे ...''
और इतना कहते हुए उन्होंने उसको अपने ऊपर खींच लिया और वो भी उनके लंड के सिंहासन पर विराजमान होकर हिचकोले खाने लगी ..
***********
गतांक से आगे ......................
***********
पंडित जी के मन में तो लड्डू से फुट रहे थे ..वो तो वैसे भी कोमल के साथ जाना चाहते थे ...उसकी सारी इच्छाएं जो पूरी करनी थी उन्हें ....
पंडित जी (अकड़ के साथ) : "पर इन सबमे मुझे क्या मिलेगा ...''
शीला : "मैं हु न उसके लिए ...आप जो कहोगे मैं करुँगी ...आपकी गुलाम बनकर रहूंगी ..''
पंडित जी ने भी चतुराई से काम लिया और बोले : "तुम्हारी बहन सच में बहुत सुन्दर है ..और इसमें कोई शक नहीं है की जब मैंने उसे देखा था तो मेरे मन में भी उसे ...चोदने का ख़याल आया था ..''
शीला फटी हुई आँखों से पंडित जी को देखने लगी ..
पंडित : "पर तुम्हारे कहने पर मैंने वो इरादा बदल दिया था ..और अब तुम चाहती हो की मैं उसके साथ रहू ..और फिर भी मेरे मन में उसके लिए वैसे विचार ना आये ...तो तुम्हे मेरे सामने कोमल बनकर रहना होगा ..मतलब, मैं तुम्हारे साथ जो भी करूँगा वो कोमल समझकर और तुम भी मेरे सामने अपने आपको कोमल बुलाओगी ..बोलो मंजूर है ...''
शीला ने कुछ देर तक सोचा ..और धीरे से बोली : "ठीक है ...मुझे कोई आपत्ति नहीं है इसमें ..''
पंडित : "चलो ..मेरे कमरे में जाओ ..और सारे कपडे उतारकर मेरी प्रतीक्षा करो ...मैं अभी आता हु बस ..कोमल''
कोमल नाम लेते हुए पंडित जी ने कुछ ज्यादा ही जोर दिया ...
शीला ने उनकी बात मान ली और उठकर उनके कमरे की तरफ चल दी ..
पंडित जी भी पांच मिनट के बाद अन्दर की तरफ चल दिए ..
और उनकी आशा के अनुरूप वहां शीला बैठी थी ...जमीन पर ...पूरी नंगी ..
पंडित जी उसके सामने जाकर खड़े हो गए ..और बोले : "कोमल ...चल चूस मेरा लंड ...''
कोमल उर्फ़ शीला ने बिना किसी परेशानी के पंडित जी के लंड को अपने मुंह में धकेला और चूसने लगी ..
पंडित जी : "साली ...तू फिर से शीला बन गयी ...पता है न तू कोमल है ...जिसने आज तक कोई लंड नहीं देखा ...तू तो ऐसे चूसने लग गयी जैसे बचपन से चूसती आई है ..''
शीला को अपनी गलती का एहसास हुआ ...उसने खुद को मन ही मन कोमल के जैसा अबोध और नादान सोचा और फिर पंडित जी के लंड को पकड़कर धीरे से मुंह में डाला ...और हलके से काट लिया ...
पंडित जी दर्द से बिलबिला उठे ...''अह्ह्ह्ह्ह ....सास्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स लिईईईईइ … ....काटती है ...''
शीला : "ओहो ....माफ़ करना ...मुझे पता नहीं है न ..की कैसे चूसते हैं ...''
वो कोमल के केरेक्टर में घुस चुकी थी ..
पंडित जी : "चल ...अब ज्यादा नाटक मत कर ....जोर-२ से चूस इसे ...रंडी की तरह ... ''
पंडित जी की परमिशन मिलते ही उसने उन्हें बिस्तर पर लिटाया और उनके लंड को पागल कुतिया की तरह नोचने - खसोटने लगी, अपने मुंह से ...
"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......मेरी जान .....उम्म्म्म्म्म ...धीरे .....चूस .... ....मेरी रानी .....कोमल .....''
उनकी आँखे बंद थी ...दिमाग में कोमल घूम रही थी ...और वो भी लंड चूसती हुई ...और उनके मुंह से भी उसका ही नाम निकल रहा था ..और सामने लंड चूसने वाली कोई और नहीं शीला थी, कोमल की बड़ी बहन ...ये सब करिश्मा पंडित जी ही कर सकते हैं बस ..
अब पंडित जी के लंड की पिचकारियाँ जल्द ही निकलने वाली थी ...उन्होंने शीला को उठाकर बिस्तर पर पटका और बोले : "अब मैं तुझे चोदुंगा .....और तू चीखेगी भी ऐसे , जैसे पहली बार चुदने पर चीखी थी तू ..''
शीला की हालत तो बस ऐसी थी की उसकी गीली चूत में लंड आ जाए ...उसने हाँ में सर हिलाया ..और अपनी टाँगे फेला दी और उन्हें ऊपर करके अपने हाथों से बाँध लिया ......अपने मालिक के लिए ..
पंडित जी आगे आये और उन्होंने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रखा और एक जोरदार पंजाबी झटके के साथ उन्होंने अपना पूरा लंड अन्दर पेल दिया ...
''आआयीईईई .......मर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र .....गयी ......रे .......अह्ह्ह्ह्ह्ह ..........पंडित जी ........चोद डाला ......आपने कोमल को ......अह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म .....दर्द हो रहा है ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ...''
उसे तो मजा आ रहा था ...ये सब तो वो बस पंडित जी को खुश करने के लिए बोल रही थी ...ताकि वो उसकी जमकर चुदाई करे ...
और पंडित जी ने किया भी वैसे ही ...उन्होंने उसकी चूत का ऐसा बेंड बजाया ...ऐसा बंद बजाया ...की उसकी चूत का पानी बूंदों की किश्तों के रूप में बाहर की तरफ निकलने लगा ...
''अह्ह्ह ....अह्ह्ह्ह्ह ....ओफ्फ्फ प…. ....पंडित जी .......आपने तो ....अह्ह्ह्ह ...फाड़ डाली .....अह्ह्ह ...मेरी कच्ची चूत .....अह्ह्ह .....पर .....अह्ह्ह ....मजा ....आ रहा है .....अह्ह्ह ....''
पंडित जी : "मैंने कहा था न कोमल ....मजा आएगा ....मेरा लंड है ही ऐसा ......तू पता नहीं किसके साथ घूमती है ...कैसा होगा वो ...असली मजा लेना है तो ...मेरे लंड से ही चुदियो ....समझी .....''
पंडित जी ने बातों ही बातों में अपनी मन की बात शीला को बता दी ...और शीला भी शायद समझ गयी थी पंडित जी के कहने का क्या मतलब है ...पर चुदाई के खुमार में वो ऐसी डूबी हुई थी की वो कुछ बोल ही नहीं पा रही थी ...
और एक जोरदार झटके के साथ ...शीला की चूत में से एक ज्वालामुखी फट पड़ा ....
और रास्ते में आ रहे लंड को बाहर धकेलता हुआ फुव्वारे के रूप में बाहर उछला ...
''अह्ह्ह्ह्ह ......पंडित जी ......मैं तो गयी ............अह्ह्ह्ह्ह ......गयी आपकी कोमल .....''
पंडित जी ने एक दो झटके और मारे तो उन्हें भी लगने लगा की वो भी झड़ने वाले है ...उन्होंने अपना लंड बाहर निकाल और एक झटके से शीला को पलटकर उल्टा कर दिया ...और अपने लंड को मसलकर जोरदार पिचकारियाँ मारी और अपने रस से उसकी गांड के ग्लोब को ढक दिया ...
शीला बेचारी गहरी साँसे लेती हुई अपने आप पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी ...
कुछ ही देर में शीला वहां से चली गयी ...कल के लिए उसने बोल दिया था की वो कोमल को उनके पास ही भेज देगी ..
पंडित जी मन ही मन बहुत खुश थे ...अब वो थोडा आराम करना चाहते थे ...
क्योंकि रात को …
वादे के मुताबीक ....
रितु आने वाली थी ...
अपनी माँ माधवी को लेकर ...
और उन दोनों को एकसाथ चोदने की इच्छा पंडित जी के मन में ना जाने कब से थी ..
शाम को पंडित जी ने खाना जल्दी खा लिया ..बादाम वाला दूध भी पी लिया, जिसकी उन्हें आजकल कुछ ज्यादा ही जरुरत महसूस हो रही थी ..और पुरे आठ बजे उनके घर का दरवाजा खडका ..उन्होंने जल्दी से जाकर दरवाजा खोल दिया ..
सामने रितु खड़ी थी ..उसके चेहरे की मुस्कराहट और चमक बता रही थी की वो आज कितनी खुश है ..
और उसके पीछे शरमा कर खड़ी हुई माधवी को देखकर पंडित जी का लोड़ा एकदम से टन्ना गया ..उसके चेहरे की लालिमा बता रही थी की वो कितना असहज महसूस कर रही है अपनी बेटी के साथ आकर ..
दोनों अन्दर आ गयी और पंडित जी ने दरवाजा बंद कर दिया ..
हमेशा की तरह पंडित जी ने धोती और कुरता पहना हुआ था ..रितु ने टी शर्ट और पायजामा और माधवी ने सलवार सूट ..
माधवी सीधा जाकर पंडित जी के बेड पर बैठ गयी .
रितु : "ये क्या माँ ..जब से हम घर से निकले हैं, आप तो ऐसे शरमा रहे हो जैसे पहली बार कर रहे हो ये सब ...''
माधवी कुछ ना बोली
रितु : "देखो माँ ..आप अगर ऐसे ही शर्माते रहोगे तो वो कैसे करोगी जो करने आई हो ..ओफ्फो ..आपको ऐसे बैठना है तो बैठो ..मुझसे तो रहा नहीं जा रहा अब ..''
इतना कहते ही वो पंडित जी पर ऐसे झपटी जैसे कोई लोमड़ी अपने शिकार पर झपटती है ..उसने पंडित जी को अपनी बाहों में दबोचा और उन्हें लेकर बेड पर गिर पड़ी ..जहाँ उसकी माँ पहले से सकुचाई सी बैठी थी ..
पंडित जी ने भी अपने आप को रितु के जज्बातों के हवाले कर दिया ..और उसकी उत्तेजना का मजा लेने लगे ..
रितु ने पंडित जी के लंड वाले हिस्से पर अपनी गरम चूत को लगाया और उसे जोर से दबा कर उसकी कठोरता का एहसास अपनी चूत पर लेते हुए एक जोरदार सिसकारी मारकर अपने होंठो से पंडित जी के होंठों को दबोच लिया ..और उन्हें बुरी तरह से चूसने लगी ..
''उम्म्म्म्म्म्म ......पुच्च्छ्ह्ह्ह्ह्ह ....मुच्च्छ्ह्ह .....अह्ह्ह्ह्ह ....''
रितु आज कुछ ज्यादा ही उत्तेजित लग रही थी ..वो तो पंडित जी को खा जाने वाले मूड से आई थी आज ..
पंडित जी की नजरें बेड पर बैठी हुई माधवी की तरफ थी ..जो कनखियों से अपनी बेटी को बेशर्मी से पंडित जी का रस पीते हुए देख रही थी ..माधवी के गुलाबी होंठ फड़क रहे थे ..उसके मुंह में भी पानी आ रहा था ..पर शायद किसी चीज ने रोक हुआ था उसके अन्दर की जानवर को .
पर पंडित जी को मालुम था की ऐसे तूफ़ान को ज्यादा देर तक अपने अन्दर संभाल कर रखना संभव नहीं है ..वो कहते है ना .. खाने और सेक्स में शरम करोगे तो नुक्सान अपना ही है ..
रितु ने अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए ..और एक मिनट के अन्दर ही वो पूरी नंगी थी ..उसने पंडित जी को भी नंगा करने में ज्यादा देर नहीं लगायी ..
और जैसे ही उसकी आँखों के सामने पंडित जी का खड़ा हुआ लंड आया ..वो प्यासी छिपकली की तरह अपनी जीभ लपलपाती हुई उनके लंड के ऊपर आई और उसे अपने मुंह में धकेल दिया ..
और उनके लंड को लोलीपोप की तरह चूसते हुए उसका रस पीने लगी .
अपनी माँ की तरफ देखा तो पाया की वो अब भी ललचाई हुई नजरों से उन दोनों को ही देख रही है ..
रितु ने लंड बाहर निकाला और माधवी से बोली : "माँ ..तुम यहाँ क्या ऐसे ही बैठने के लिए आई हो ...''
माधवी : "तू कर ले ...मैं बाद में करती हु ...''
उसने कह तो दिया था ..पर पंडित जी जानते थे की ऐसी हालत में काबू पाकर रखना ज्यादा देर तक मुमकिन नहीं है ..
उनके दिमाग में एक आईडिया आया ..माधवी को ललचाने का ..उसे ऐसे -२ सीन देखाए जाए जिन्हें देखकर माधवी अपने आप पर काबू न रख पाए और कूद पड़े बीच में ही ..
उन्होंने रितु को बेड के ऊपर खींचा और खुद नीचे टाँगे लटका कर बैठ गए ..और खड़ी हुई रितु की चूत को अपने मुंह के सामने रखकर अपना मुंह वहां लगा दिया और उसके शरीर के लचीलेपन से तो वो वाकिफ थे ही ..उन्होंने धीरे - २ रितु के ऊपर वाले हिस्से को पीछे करके पूरा झुका दिया ..और अपना खड़ा हुआ लंड उसके घूम कर उल्टा हुए मुंह के अन्दर ड़ाल दिया ..
बड़ा ही अजीब आसन बना वो ..पर दोनों को मजा काफी आ रहा था इसमें ..
रितु की चूत की फांके संतरे की तरह फेल कर बाहर निकल रही थी जिनपर लगा हुआ रस पंडित जी अपनी जीभ से किसी कुत्ते की तरह चाट कर साफ़ कर रहे थे .
उसी तरह उनका खड़ा हुआ लंड रितु के मुंह के अन्दर तक घुस रहा था, कारण था उसका एंगल , क्योंकि पंडित जी का लंड मुड़ा हुआ था बीच में से ..
दोनों को ऐसी हालत में देखकर माधवी की चूत की टंकी ऐसे बहने लगी जैसे वहां से कोई ढक्कन हटा दिया हो ..
उसके हाथ अपने आप रेंगने लगे अपनी चूत के ऊपर ..पंडित जी समझ गए की अब यही वक़्त है ..उन्होंने रितु को अपने चुंगल से आजाद किया और उसके कान में कुछ कहा ..
उसके बाद दोनों ने माधवी को खड़ा किया और पीछे से रितु और आगे से पंडित जी ने उसको अपनी बाहों में जकड लिया ..
रितु ने माधवी के कान में कहा : "माँ ...अब देखना ..आपके साथ क्या होता है ..''
इतना कहते ही रितु ने अपनी माँ की कमीज पकड़कर ऊपर उठा दी ..माधवी ने भी अपने हाथ ऊपर किये और कमीज निकाल दी ..और जैसे ही उसकी गोरी चूचियां सामने आई, पंडित जी ने लपक कर अपना मुंह उसकी गुदाज छातियों पर दे मारा ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म्म ....पंडित जी .....''
उसने पंडित जी का सर अपनी छाती पर जोर से दबा दिया ..
पीछे से रितु ने अपनी माँ की ब्रा खोल दी ..और अपने हाथ आगे करके उसकी छातियों को अपने हाथों में पकड़ लिया ..
ये पहला मौका था जब रितु ने अपनी माँ की ब्रैस्ट को पकड़ा था ..वो इतनी बड़ी और मुलायम थी की उसे खुद अपनी माँ से इश्र्या होने लगी ..
उसने अपने हाथों में दोनों थन पकड़कर पंडित जी के मुंह के आगे परोस दिए ..जिसे पंडित जी ने ख़ुशी -२ ग्रहण कर लिया ..
माधवी चिहुंक उठी ...
''आउय्य्यीईईइ .........धीरे .....काटो मत .......चूसऒऒऒओ ......अह्ह्ह्ह्ह्ह .....''
पर पंडित जी अब कहाँ मानने वाले थे ..उन्होंने माधवी के चिकन मोमोज को इतनी बुरी तरह से झंझोड़ा की उसने पंडित जी के मुंह को अपनी छातियों पर जोर से भींच कर वहीँ दबा दिया ..ताकि वो अपने दांतों से उनकी दुर्गति ना कर पाए ..
इसी बीच रितु ने माधवी की सलवार का नाड़ा खोलकर उसे नीचे गिरा दिया ..नीचे उसने हमेशा की तरह कच्छी नहीं पहनी हुई थी ..
रितु ने अपने हाथ की तीन उँगलियाँ एक साथ आगे लेजाकर अपनी माँ की चूत में डाल दी ..और पीछे से अपने होंठों को उनकी गर्दन पर रखकर वहां चूसने लगी ..
''अय्य्य्य्य्य्य्य्य्य ........उम्म्म्म्म्म्म्म ......उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ..... ''
इतना मजा तो उसे आज तक नहीं आया था ..एक साथ चार हाथ और दो -२ होंठों के प्रहार से उसका शरीर कांपने सा लगा ...
और वो झड गयी ...थोड़ी देर के लिए ही सही, पर वो शांत हो गयी थी ..
रितु के हाथ में अपनी माँ की चूत से निकला अमृत आया और उसने उसे पी लिया ..
अब उसकी चूत में भी खुजली हो रही थी ..
माधवी को थोडा टाइम लगना था फिर से चार्ज होने में, इसलिए रितु ने उन्हें सोफे पर बिठा दिया ..और खुद जाकर बेड पर लेट गयी ..पंडित जी को पता था की अब क्या करना है ..
वो जाकर रितु के साईड में लेट गए ..और उसकी टांग को उठा कर अपना पपलू वहां फिट कर दिया ..और उसकी आँखों में देखकर एक कसक से भरा झटका अन्दर की तरफ मारा ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .........ओम्म्म्म्म्म्म्म ......पंडित ......जी ......स्स्स्स्स्स ......मार ही डालोगे .....उम्म्म्म ...''
रितु की गर्दन को उन्होंने बुरी तरह से पकड़ा हुआ था ..और उसके हिलते हुए मुम्मों पर उनकी पकड़ ऐसी थी मानो गोंद से चिपका दिए हो उनके हाथ वहां पर ..
रितु : "अह्ह्ह्ह .....ओह्ह्ह ......अब बोलो ........किसके साथ ज्यादा मजा आता है .....उम्म्म्म .....बोलो ....मम्मी ....के साथ .....या ....मेरे ....साथ ....''
ओ तेरी .....ये कैसा सवाल पूछ रही है ये ....और वो भी अपनी माँ के सामने ...
रितु : "बोलो ....अह्ह्ह्ह ......किसकी .....चूत मारने में ज्यादा मजा आता है ...उम्म्म्म ...ओफ्फ्फ ....ओफ्फ्फ ....अह्ह्ह्ह ....बोलो ना ...मेरे राजा ....''
वो पंडित जी को ललचा रही थी ...उसके अन्दर शायद कुछ चल रहा था और वो उसका जवाब चाहती थी ...शायद वो जानना चाहती थी की उसके होते हुए अब तक आखिर पंडित जी उसकी माँ के भी पीछे क्यों पड़े हैं ..पर उस बेचारी को कौन समझाए की औरत की उम्र में साथ उसकी सेक्स करने की पॉवर में भी बढोतरी होती चली जाती है ..बशर्ते उसका मन हो वो सब करने में ..एक्सपीरियंस वाली औरत जो मजा दे सकती है, वो आजकल में चुदना सीखी लड़कियां क्या देंगी ..पर अभी कुछ बोलने का मतलब था एक को नाराज करना और पंडित जी ऐसा हरगिज नहीं चाहते थे ..
वो बोले : "तुम दोनों ....अहह ....अपनी-२ जगह पर ज्यादा मजे देती हो ......उम्म्म .....दोनों को ...अ ह्ह्ह्ह्ह ....एक साथ करूँगा ....तब बताऊंगा ....अभी तो तू ऊपर आ मेरे ...''
और इतना कहते हुए उन्होंने उसको अपने ऊपर खींच लिया और वो भी उनके लंड के सिंहासन पर विराजमान होकर हिचकोले खाने लगी ..