नौकरी हो तो ऐसी

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The Romantic
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Re: नौकरी हो तो ऐसी

Unread post by The Romantic » 24 Dec 2014 13:10


कॉंट्रॅक्टर बाबू – चुप कर रंडी …. आवाज़ मत निकाल

ताइजी कुछ बोल नही पा रही थी…

कॉंट्रॅक्टर बाबू – मालूम है ना कौन है तू रंडी है तू …रंडी है रंडी…..

ये कह के उसने ताइजी को बिस्तर पर लिटा दिया और अपने कपड़े उतार दिए
कपड़े उतरते ही उसका वो बड़ा काला नाग दिखने लगा… ये मेरे नाग के जितना ही था

अब उन्होने ने ताइजी की सारी निकाल दी और उनका अंत्रावस्त्रा भी निकाल दिया….


अब ताइजी पूरी नंगी दीवान पे पड़ी … होश तो उनसे कोसो दूर जा चुका था
कॉंट्रॅक्टर बाबुने अपने नाग को पकड़ा और ताइजिको पलंग के ईक बाजू खिचा और झपाक करके अपने काले लंड को उसकी उस चिकनी बुर मे घुसा दिया
एक ही झटके मे पूरा लंड ताइजी की बुर के अंदर घुस गया… उसके मुँह से आअहह…. आअहह… की आवाज़ निकलने लगी … मिशनरी पोज़िशन मे कॉंट्रॅक्टर बाबू चोद रहे थे

उसकी गति अभी बढ़ गयी ..कमर ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी ….. उन्होने दोनो आमोको अपने हाथो मे पकड़ लिया और ताइजी को पलंग से और बाहर खिचा और खड़े होके…. फिरसे उसकी बुर मे घुसाया.. और गति बढ़ा दी… गति बढ़ने से पचक पाचक आवाज़ आने लगी और पूरे कमरे मे घूमने लगी

ताइजी के मुँह से अब बड़ी ज़ोर्से आवाज़े निकलने लगी..उसने आमो को छोड़ के ताइजी के मुँह पे हाथ रखा और लंड को जोरोसे अंदर बाहर करने लगा…. उसका वो बड़ा लंड पूरा अंदर बाहर जा रहा था…. ताइजी के चूतर और दीवान ज़ोर के धक्को से बहुत ज़यादा हिल रहे थे ….

मुझे बस कॉंट्रॅक्टर बाबुकी कमर और नंगा च्यूट्र दिखाई दे रहा था….
उतने मे कॉंट्रॅक्टर बाबू चिल्लाया – वाह मेरी रंडी मेरी छिंनाल क्या चीज़ है तू वाह… और जोरोके धक्के मारने लगा

और उसके अगले पल वो ताइजी के उपर गिर पड़ा… उसने पूरा रस अंदर छोड़ दिया था और ताइजी की बुर पूरी खुली और सफेद सफेद रस से भर गयी… सफेद सफेद रस बाहर तक आ गया….

उधर कॉंट्रॅक्टर बाबुने अपने कपड़े पहने. ताइजी को 2-4 गालिया दी और उसी हालत मे छोड़ के कमरे से निकल गये


मेरा लंड पूरा तंबू बन गया था और इतना तन गया था कि क्या बोलू….. वैसे मेरे हाथ मे भी मौका था मैं भी इस बहती गंगा मे हाथ धो सकता था पर मैने परिस्तिथि का जायज़ा लेना चाहा… और वैसे ही पड़ा रहा….. ताइजी थोड़ी हिली और उसने अपने पैर पूरे खुले कर दिए इससे उनकी बुर और खुल गयी और वीर्य रस की गन्ध पूरे कमरे मे घूमने लगी…..

तभी दरवाजे पे आहट हुई मुझे पता था ज़रूर कोई ना कोई होगा…. जैसे ही वो अंदर आया मैने भाप लिया ये कोई दूसरा तीसरा कोई नही वकील बाबू है





वकील बाबू अंदर आके सीधे कपड़े उतारने लगे, कपड़े उतार के वो अपने लंड को हाथ मे लेके सहला के बड़ा करने लगे, दो मिनट मे उन्होने अपने नाग को बड़ा किया और सीधे ताइजी के आमो को चूसने लगे… दोनो आमो को हाथ मे पकड़ के ज़ोर्से रगड़ते थे, और मुँह मे भर के काट लेते, वकील बाबू की आँखे चमक रही थी उन्हे बड़ा मज़ा आ रहा था.....

ताइजी दारू की नशे मे कुछ तो बड़बड़ रही थी, उसपे वकील बाबू ने उसे रंडी…… कही की चुप रह साली कह के गाली दी. और अपनी दो उंगलिया ताइजी की बुर मे घुसा के हिलाने लगे, दोनो उंगलिया वीर्य से भर गयी जो कॉंट्रॅक्टर बाबू ने अपनी बहेन की चूत मे छोड़ा था, और आधा वीर्य बुर के आजूबाजू फैला हुआ था… वकील बाबू ने उंगलियाँ निकाल के ताइजी के मुँह मे घुसाई और “चाट साली चाट इसे रंडी….” कहके उसके मुँह मे उंगलिया घुसाने लगे…. सफेद रस से लथपथ उंगलिया ताइजी के कोमल होंठो पे नाच रही थी… ताइजी की कमर तक के बाल दीवान से नीचे तक आ चुके थे….

क्रमशः...................


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Re: नौकरी हो तो ऐसी

Unread post by The Romantic » 26 Dec 2014 14:47

नौकरी हो तो ऐसी--17

गतान्क से आगे…………………………………….

वकील बाबू ने उंगलियो का नृत्य बंद करके ताइजी की घोड़ी बनाई, दो हाथ उसे पकड़ा, उल्टा किया सर दीवान के सामने वाले बाजू पे रखा और अपने सूपदे की चमड़ी को पीछे करके उसपे थोड़ी सी थूक लगा डाली, सूपड़ा लाल काले रंग पर चमक रहा था …. वकील बाबुने ताइजी की गांद को दोनो हाथो से फैलाया… और निशाना लगा डाला…ताइजी के मुँह से चीख सी निकल गयी…वकिलबाबू प्रहार करते रहे अपनी कमर को आगे पीछे करते रहे …ताइजी चुदति रही ..कुछ तो बड़बड़ा रही थी …उन्हे शायद और दारू चाहिए थी ….. ताइजी की गांद एक दम मस्त हिल रही थी ….दीवान से कुई कुई की आवाज़ निकल रही थी …..लगभग 5 मिनट के बाद वकिलबाबू ढेर हो गये और पूरी वीर्य ताइजी की नदी मे छोड़ दिया ….ताइजी के उपर गिर पड़े…और बोले “तुझे चोदने के लिए क्या क्या नही करना पड़ता रंडी …. पर तुझे चोदने मे जो मज़ा है उसके सामने कुछ भी फीका है ….” उनका लंड बुर से बाहर निकल आया…बुर से वीर्य रस की गंगा बह रही थी … आधे से अधिक चादर दारू और वीर्य की वजह से गीला हो चुका था और ताइजी को पता भी नही था कि यहाँ पर क्या हो रहा है और कैसे उनका एक एक भाई उनकी ले रहा है ….



मेरी चादर मे पॅंट के अंदर पता नही कितनी बार तंबू बने और तंबू उखड़ गये….वकील बाबू दीवान से उठ खड़े हुए एक बॉटल मे थोड़ी सी दारू बाकी थी वो पी ली और कपड़े पेहेन्के चुपकेसे दारवाजा खोल के निकल गये…..



अभी जैसे कि कंट्रेटरबाबू और वकील बाबू अपना अपना काम करके चले गये थे, मुझे पूरी आशंका थी अभी और कोई नही रावसाब ही आएँगे…. पर बहुत टाइम होनेपर भी कोई नही आया…. उधर ताइजी थोडिसी नींद मे थी और तभी भी थोडिसी बड़बड़ा रही थी…. उसकी बुर पे हुए प्रहार से उन्हे मज़ा और सज़ा दोनो मिल रही थी… बुर पूरी तरह से सूजी थी …लाल लाल दिख रही थी …बुर के होठ तो ऐसे लग रहे थे जैसे खून छोड़ रहे है इतने लाल थे …उसके उपर वो मुलायम रेशमी बॉल एक दम आकर्षक और मस्त दिख रहे थे….. और उसमे उनके गोल मटोल बड़े बड़े लाल लाल निपल वाले दूध मेरी काम अग्नि को और जला रहे थे…..



बहुत वक़्त होने पर भी कोई नही आया.. मैं सोच रहा था कि अभी कोई तो आएगा पर बहुत वक़्त होनेपर कोई नही आया…. दरवाजा खुला ही था …. मैं सोच रहा था मैं भी हाथ सॉफ करलू…. वीर्य की वो खुशबू पूरे कमरे मे घूम रही थी और उससे मैं पूरा पागल हो गया था…. कब जाके ताइजी के उपर मैं चढ़ु ऐसे मुझे हो रहा था पर मैं यहा हू ये बात जो छुपी थी वो मैं छुपी ही रहने देना चाहता था इसलिए कुछ कदम उठाए बिना अपने लंड की नाराज़गी सहते हुए पड़ा ही रहा था….



लगभग एक घंटा हुआ पर कोई नही आया, अब मेरे मे हिम्मत आ गयी थी… पूरी सावधानी से मैं उठा और जाके दरवाजे को बंद कर दिया…. अपनी पॅंट उतार दी और अपने लंड थोड़ा सा सहलाया और जाके ताइजी के मम्मे पकड़ लिए… उनके वो चूतर और वो मम्मे मुझे कभी छोड़ने का मन ही नही कर रहा था… उनके मम्मे गोल मटोल और इतने रसभरे थे कि मैं उनको दांतो मे पकड़ के चूसने लगा, मम्मो के निपल्स पे दाँत के निशान गढ़े थे और निशान हल्के फुल्के नही बल्कि बहुत ही अंदर तक गये थे…. निपल्स पूरे उभर कर कठोर हो रखे थे. मैं एक एक करके चुसता गया वाह क्या आनंद था उन मम्मो को चूसने का…..



मैने अब वक़्त जाया नही किया औरअपने नाग को थोडिसी थूक लगाई और बुर के प्रवेष्द्वार पे रख के ताइजी की दोनो टाँगे जितना फैला सकता था उतनी फैला दी… प्रवेष्द्वार पहले से ही बहुत सारे वीर्य रस से चिकना हो रखा था… मुझे थूक भी लगाने की ज़रूरत नही थी…उलटा बुर से ही उलटी गंगा बह रही थी जिसमे अब मैने देर ना करते हुए अपने लंड को पेल दिया और एक ही झटके मे आधा लंड बुर मे घुसा दिया…. वाह वाहह…अजब ….मस्त ……लाजवाब….. दिलखुश…. मन खुश … क्या अनुभव था ऐसा लग रहा था कि लंड इस जनम मे इस बुर से फिर कभी नही निकालु…..मैं हल्के हल्के लंड को पेलने लगा और एक हाथ से बुर के रेशमी बालो को सहलाने लगा क्या अदभुत क्षण था वो….




मेरा लंड अंदर जाते ही धक्को से पच्चक पच्छाक आवाज़ होने लगी मैने अपनी गति बढ़ा दी और लंड को ताइजी के चूतरो को हाथ मे पकड़ के बुर की आखरी सीमा तक घुसने लगा पूरा लंड अंदर जाने से ताइजी की आवाज़ अब ज़रा ज़्यादा निकल रही थी… और उससे उसका हुस्न और मस्त और लुभावना लग रहा था ….. मैं पेलता रहा… कुछ देर बाद मैं ताइजी पे गिर पड़ा और अपनी पिचकारी ताइजी की बुर मे रंग दी….. मुझे अंदर बहुत दबाव महसूस हुआ क्यू कि उसमे पहलेसे ही बहुत सारा रस भरा था …मैने अपने लंड को बाहर निकाला और ताइजी के पेटको पोछ के थोड़ा साफ किया और उनके मुँह के पास जाके उनके होटोसे लगा के होंठो को और रस भरित कर दिया…. क्या मज़ा आया था ….जिंदगी मे सबसे ख़ास चुदाई मे एक ये चुदाई थी…..



अब ताइजी पूरी तरह रस से भर गयी थी उनके हर एक अंग पर वीर्य ही वीर्य लगा हुआ था बालो मे वीर्य की बूंदे गिरी थी और उन्हे इस बात का ज़रा भी ख़याल नही था….. अब मैं क्या करूँ इस बात का मुझे ठिकाना नही था … क्यू कि सबेरे जब वो उठेगी तो मुझसे कुछ ना कुछ तो ज़रूर पूछेगी….?

मैने उनकी ब्रा पहेना के, उपर से ब्लाउस चढ़ा दी….. ब्लाउस के उपर से एक बार उनके मम्मो को चूस लिया और थोड़ा आगे पीछे करके उनके पूरे अंगो को सारी ढक दिया…



और अब मैं आके अपने दीवान पे शांति से सो गया… मैं पूरी तरह खुश हो गया था ताइजी की बुर मे अपना पानी छोड़ के…जिसकी गंध अभी भी पूरे कमरे मे घूम रही थी…..ऐसे ही सोते सोते मैं कब सो गया पता ही नही चला
सबेरे जब मैं उठा तो लगभग 7 बज गये थे. मैं उठ कर नीचे जाके नहा धो लिया और सेठ जी के साथ काम पे चल दिया…


आज मुझे खुदसे काम करना था… सेठ जी ने मुझे एक बड़ी लिस्ट दे दी और बोले कि ये लोग है जिनके कुछ पैसे आने है तुम ड्राइवर को साथ लेके जाओ और इन सबसे पूछ के आओ के पैसे कब देनेवाले हो…

मैं पैसे वसूलने के लिए निकल पड़ा, पहला कोई किसान था…मुझे ड्राइवर ने बोला कि ये जो किसान है ये बहुत ही स्याना है…. पैसे होनेपर ऐयाशी करता है…. इसके पास पैसे होनेपर भी सेठ जी का पैसा नही देता …जो भी इसके पास पैसे माँगने जाता है वो वापस से सेठ जी के पास उसे थोड़ा टाइम दे दो कहके बिना पैसे वैसे ही आता है …… थोड़ी देर मे हम जब उसके घर के पास पहुचे तो पाया कि उसका घर नदी के उस पार है उस पूल पे से गाड़ी नही जा सकती. मैने ड्राइवर को नदी के उस पार ही गाड़ी को संभालते हुए बैठने को बोला और मैं वो छोटे से पूल को पार करके उसके घर के पास पहुचा… नदी मे थोड़ा पानी था जो कि धीरे धीरे बह रहा था …. आजूबाजू हल्की हल्की हरियाली थी…. उस किसान का घर ठीक ठाक ही था… मैने उधर खड़े आदमी को पूछा कि इस नाम का व्यक्ति इधर रहता है तो उसने हां मे जवाब दिया… और मुझे उस घर के अंदर लेके गया…..


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Re: नौकरी हो तो ऐसी

Unread post by The Romantic » 26 Dec 2014 14:48


अंदर जाके मैने देखा कि वो किसान और उसकी धर्मपत्नी जो अपने छोटे बच्चे को दूध पिला रही थी… बैठे थे… सामानेवाले आदमी ने जब बोला कि ये सेठ जी के यहाँ से आए है तो वो उठा खड़ा हुआ ..और मुझे “आइए आइए बाबूजी..” बैठने को बोला. अंदर जाके पानी लेके आया, उसकी बीवी उधर ही मेरे सामने बैठे बिना कुछ लाज शरम किए बच्चे को दूध पिला रही थी… जैसे कोई उसके सामने कोई है ही नही..



मैं : तुम्हारे 12 हज़ार रुपये आने बाकी है


किस्सान: हाँ बाबूजी


मैं : सेठ जी ने मुझे पैसे लेने भेजा है


किस्सन: बाबूजी पैसे तो नही है


मैं: फिर कब मिलेंगे

किस्सन : फसल निकलने पे मिलेंगे बाबूजी

मैं: सेठ जी ने मुझे आज ही पैसे लाने को कहा है


किस्सन : मैने बहुत जुगाड़ करना चाहा बाबूजी पर कुछ बना नही बाबूजी

सामने खड़ा हुआ आदमी मुझे इशारा करके निकल गया…. किसान की बीवी के मम्मे मस्त थे… बहुत बड़े नही थे पर बहुत ही गोल और छोटे छोटे टमाटर की तरह उसके छाती से चिपके हुए थे….

किसान फिर बोला: बाबूजी कुछ जुगाड़ कीजिए… इसबार सेठ जी को मना लीजिए कि मैं पैसा फसल निकलने पे दे दूँगा

मैं : अरे भाई मेरी अभी अभी नौकरी लगी है… मैं ऐसे खाली हाथ जाउन्गा तो सेठ जी क्या कहेंगे… मैं भी एक नौकर हू मालिक नही


किसान: पर आप उन्हे मना सकते है …कुछ तो कीजिए बाबूजी

उतने मे उसकी बीवी उठी और अंदर चली गयी… वो मेरे पास आके बैठ गया… मैं उसे क्या बोलू कुछ समझ नही आ रहा था…. उसने मेरे जाँघो पे हाथ रख दिया… और हल्केसे सहलाने लगा…. मैं गरम होने लगा…. मतलब ये सेठ जी का पैसा ना चुकाने के बदले कुछ तो देना चाह रहा था….



मैं भी इसी खोज मे था कि अगर पैसा नही दे रहा है तो कुछ और तो दे सकता है जैसे कि कुछ सामान वमान… पर ये तो पूरा चालू निकला साला …अपनी गांद ही दे रहा था … मेरे से पूरा सॅट कर बैठ गया…. जाँघोसे घुमा के उसने अपना हाथ अभी मेरी पॅंट के बीचोबीच लाया और सहलाने लगा….
थोड़ी देर मे मेरा तंबू बड़ा हो गया… और उसने मेरे तंबू को अपने हाथो से और अच्छे सहलाना शुरू किया… मुझे तो मुफ़्त मे मेज़वानी मिल रही थी…. उतने मे उसकी बीवी आ गयी… और मेरे दूसरे बाजू बैठ गयी…. इतना सॅट के बैठ गयी कि उसकी एक चुचि मेरे हाथ को चिपक रही थी….



इधर इसने मेरा चैन खोला और मेरा लॉडा एक क्षण मे मुँह मे भर लिया….. और चूसने लगा… मैने भी उसके बीवी के साथ रति क्रीड़ा शुरू की और उसके दूध से भरे मम्मो को दोनो हाथो से रगड़ने लगा….. उसने अपना ब्लाउस खोल दिया और एक मम्मा मेरे मुँह मे दे दिया …. मम्मे को मुँह मे लेके मैने अपना ट्रेन वाला सफ़र याद किया जिसमे मैने छोटी बहू के मम्मो मे से दूध पिया था…. मैं देखते ही देखते उसकी चुचियोसे दूध चूसने लगा…ऐसे कि मानो सालो का भूका हू…




नीचे उसका पति मेरा लंड मुँह मे लेके चूसे जा रहा था. पूरा लंड उसने अपने मुँह मे भर लिया था और गोटियो के साथ खेलते खेलते चुसाइ का मज़ा ले रहा था… उसकी थूक मेरे पूरे लंड पे फैल गयी थी…. मज़ा बहुत आ रहा था …उपर दूध और नीचे चुसाइ ….स्वर्ग मे रहने आया हू बल्कि यही स्वर्ग है ऐसा प्रतीत हो रहा था …..



चुसाइ के बाद मैने उसकी बीवी को घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी सारी उपर उठा दी…. साड़ी उसकी पीठ पे चढ़ गयी मैने पीछे से जाके उसके बुर मे उंगली डाली… मस्त बुर थी …. जाने किस जमाने से बल निकाले नही गये थे …बालो मे छिप सी गयी थी ….. मैने 2-3 उंगलिया घुसाई… उधर वो मेरा लंड नीचे सहला रहा था …मैने उसे बाजू किया और घोड़ी बनी उसकी बीवी पे चढ़ा… और उसकी बुर मे उसके पति के थूक से लिच्पिच लंड घुसा दिया…. और पेलने लगा …उसके चूतर मस्त हिलने लगे….

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